पति और उनके दोस्तों के साथ चुदाई की रंगरेलियां- 2

Www इंडियन सेक्स कॉम कहानी में पढ़ें कि एक लम्बे अरसे बाद पुराने दोस्तों से मुलाकात हुई तो पुरानी यादें ताजा करके पूरी रात और दिन चुदाई का प्रोग्राम किया. पड़ोसी भी शामिल हुए, बड़ा मजा आया.

फ्रेंड्स, मैं मीता अपने पति राज के दो दोस्तों के साथ शुरू हुए ग्रुप सेक्स कहानी को सुना रही थी.
कहानी के पहले भाग
शादी के बाद पुराने यारों से चुदी
में अब तक आपने पढ़ा था कि तीनों मर्द मिल कर मेरे जिस्म के साथ मजा कर रहे थे और मैं उनके लौड़ों के साथ मस्ती कर रही थी.
चुदाई के दौरान यह ख्याल आया कि पड़ोसी भी हमारी चुदाई देख सकते हैं. शायद किसी ने देख भी ली थी.

यह कहानी सुनें.

अब आगे Www इंडियन सेक्स कॉम कहानी:

किसी ने देखा होगा, यह सोचकर तीनों लंड और भी मस्ती में आ गए और जमकर मेरे तीनों छिद्रों पर जबरदस्ती करने लगे.

मेरे तीनों छेद तीनों के प्यार की सुराहियों से अब भरने वाले हो गए थे … या यूँ कहें कि भरने को तैयार होते जा रहे थे.
तीनों लंड अपनी चरम सीमा पर पहुंच गए और एक साथ झड़ने का ऐलान कर गए.

उफ़ उफ़ … हाय राम!

तीनों ने अपना उबलता नशा मेरे जिस्म को ठंडा करने के लिए बड़े जोर शोर से छोड़ा.
मेरा मुँह राज ने भर दिया और उसका सब पानी मेरे मुँह से बाहर आने लगा.

मुँह भरने से मैं कराह रही थी लेकिन आवाज नहीं आ रही थी.
तीनों मर्द पानी छोड़ते वक्त जोर जोर से चिल्ला भी रहे थे.

बम्ब फटने जैसा शोर हो गया.

मेरी चूत, गांड और मुँह सब भर गया और पूरे जिस्म पर उन तीनों का वीर्य लुढ़क रहा था.
मेरा जिस्म जैसे चमक रहा था.

तभी मैंने देखा पड़ोस की खिड़की से वह जवान बंदा झांक रहा था.
उसने कमरे की लाइट भी जला दी थी.
हमें दिख रहा था कि वह भी नंगा था और अपना लंड हिला रहा था.

मैंने वैसे ही लेटे हुए उसकी तरफ एक फ़्लाइंग किस भेजा जो उसने खींच कर अपने लंड पर रखा.
हम चारों उसकी इस अदा पर हंस पड़े.

फिर हम साफ होने के लिए वाशरूम की तरफ चल पड़े.
गार्डन से निकलकर हम सब बेडरूम की तरफ जा रहे थे.

मैंने गार्डन की तरफ खुलने वाला दरवाजा अच्छी तरह से बंद करना चाहा.
तब तक करन वाशरूम की तरफ बढ़ रहा था.

राज दरवाजा बंद करने मेरी मदद कर रहा था और अवि हॉल में रखी तस्वीरें देख रहा था.

तभी अचानक से डोर बेल बज गयी.
हम सब चौंक पड़े.

दरवाजा खोलने कौन जाएगा?
सभी तो नंगे थे.

फिर भी मालिक होने के नाते राज आगे बढ़ गया और धीरे से दरवाजे के पीछे छुपते हुए दरवाजे को जरा सा खोलकर देखा कि कौन बेल बजा रहा है.

बाहर दीपू खड़ा था.
यह वही बंदा था जिसने हमें चुदाई करते हुए देखकर बत्ती लगाकर अपना लंड दिखाया था.

राज ने थोड़ा सा सख्ती से पूछा- क्या है दीपू … इतनी रात गए क्यों झांक रहे हो?
वह बोला- भाई, सब तो देख चुका हूँ. अब तो साथ देने आना चाहता हूँ. आप कहें तो अन्दर आ जाऊं?

राज मुड़कर मेरी तरफ देख रहा था कि क्या बोलें?

तभी अवि बोल पड़ा- भई, मिठाइयों से भरा बर्तन बेचारे के सामने रख दिया है और अब क्या इसे भूखा रखोगे? आ जाने दो. और इस चिकनी चूत ने भी तो फ्लाईंग किस देकर न्योता दिया है.

मैंने भी हंसकर कहा- आने दो, बेचारा बहुत भूखा होगा. भूख प्यास मिटा देंगे.

यह सुनते ही राज ने दरवाजा पूरा खोल दिया और सभी नंगों की बारात में और एक बंदा शामिल हो गया.

करन भी वापिस आ चुका था.

हमने हॉल में ही बैठने का इरादा किया और दीपू को कपड़े निकालने को कहा.

वह खुशी से उछल पड़ा और जल्दी से नंगा हो गया.

उई माँ क्या जिस्म था बंदे का!
वर्जिश से तने हुए उसके मसल्स बहुत ही लुभावने लग रहे थे.
चौड़ी छाती बालों से भरी हुई थी. रोमन वॉरियर जैसे लग रहा था.

और लंड के तो क्या ही कहने … औरत तो औरत … मर्द भी ऐसे लंड का दीवाना हो जाएगा!
मेरी चूत में तो उसका लौड़ा देखकर ही पानी छूटने लगा.

मैंने हाथ फैलाकर उसे अपने पास बुलाया.

अब बाकी तीनों लंड झड़ चुके थे तो थोड़े ठंडे थे और दीपू का लंड तनतना रहा था.

पास आते ही उसने मुझे कसकर पकड़ा और मेरे होंठों को चूमने लगा.
बाकी तीनों मर्द अब बस देखना चाहते थे.

दीपू मेरे होंठों को चूमते हुए धीरे धीरे नीचे को खिसकने लगा.
होंठों के बाद मेरी गर्दन और फिर नीचे मेरे मम्मे को सहलाने लगा.

वह मेरे दोनों मम्मे अपने हाथों से जैसे मसल रहा था, उससे मम्मे सुर्ख लाल हो गए.

अब वह अपने मुलायम होंठों से मेरे मम्मों के दोनों निप्पलों को बारी बारी से चूमने और चूसने में लग गया.

बूब्स की अच्छी मालिश करने बाद वह धीरे धीरे नीचे जाने लगा.

मैं बस उसकी हरकतें एन्जॉय कर रही थी.
मेरी नाभि से खेलने के बाद नीचे चिकनी चूत की तरफ बढ़ गया.

दाना अपनी जीभ से सहलाते हुए अपने हाथ पीछे मेरे चूतड़ पर रखा और बगैर कोई इशारा करे मुझे अपने दोनों हाथों से ऊपर उठा लिया.

अब मैं हवा में थी और मेरी चूत बिल्कुल दीपू के चेहरे के सामने!
मेरी दोनों टांगें अपने कंधे पर रखकर वह मेरी चूत चाटने लगा.

मैंने सिर के ऊपर लगे फैन को पकड़ लिया और दीपू बड़े चाव से मेरी चूत को ऐसे चाटता गया, जैसे खा रहा हो.

उसके हाथों के दबाव से मेरे चूतड़ चौड़े हो रहे थे और गांड का दरवाजा खिंच गया था.
जिसे बाकी तीनों मर्द देखकर मुस्कुरा रहे थे.

साइड में लगे आइने में मुझे वह नजर आया.
हाथ बढ़ाकर तीनों ने अपनी उंगलियां एक साथ मेरी गांड में पेल दीं.

यह देख कर दीपू ने हाथ हटा दिए.
अब मैं राज, करन और अवि की उंगलियों के बल पर हवा में थी और मेरी दोनों टांगें दीपू ने हाथों से उठाई हुई थीं.

मुझे आइने में सब नजर आ रहा था. मेरा वजन बहुत कम होने से यह मजा और भी ज्यादा मिल रहा था.

इतने में मेरी चूत में फिर से पानी झड़ गया और दीपू का मुँह पूरा गीला हो गया.

उसने हंसते हुए मुझे फैन छोड़ने और बाकी लोगों को गांड से उंगलियां निकालने को कहा.

अपने दोनों हाथ फिर से मेरे चूतड़ के नीचे रख कर उसने मुझे फिर से हवा में उछाल दिया और खुद घूमकर मेरे पीछे आ गया.

अब उसका मुँह मेरी गांड के सामने था और वह मेरे चूतड़ पकड़ कर मेरी गांड चाट रहा था.
उसने जब मेरे मुँह को किस किया, तब मेरे मुँह में राज का वीर्य था.

वह जब चूत चाट रहा था, तब उसमें अवि का वीर्य भी था.
अब वह गांड में लगा था तो वहां करन का वीर्य था.

वह सब उसके मुँह में चला गया.

फिर धीरे धीरे वह मुझे नीचे लेता गया.

जब पीछे से तना हुआ उसका लंड मेरी गांड से टकरा गया, तब मैंने अपनी दोनों टांगें नजदीक लेकर उसे जकड़ लिया.
अब उसने मुझे अलग कर दिया और मेरा मुँह अपनी तरफ मोड़ लिया.

मेरी बगलों में हाथ डाल उसने मुझे उठा लिया और मेरे मुँह में अपना मुँह डाल दिया.
मुझे उसके होंठों के टेस्ट के साथ पहले चोदे हुए तीनों के रस का स्वाद मिल रहा था.

धीरे धीरे उसने मुझे नीचे झुकाया.
अब मैं उसकी बालों वाली छाती, फिर पेट को चाटते हुए उसके लंड की तरफ बढ़ गयी.

आय हाय … क्या लम्बा और मोटा लंड है.
मेरे तो होश ही उड़ गए.

बच्चे को बहुत दिनों से लॉलीपॉप मिला, तो कैसे करेगा … वैसे मैं उसका लंड चूसती गयी.

बहुत ही टाइट हो गया, बिल्कुल लोहे का डंडा लग रहा था.
अब वक्त आ गया उस रॉड को अन्दर लेने का.

मैं दीपू से अलग होकर सोफा की तरफ गयी, जहां राज बैठा हुआ था.
राज ने अपनी बांहों में मुझे ले लिया.
और मैं सोफे पर लेट गयी.

राज की जांघ पर मेरा सर था, वह झुक कर मुझे चूम रहा था.

करन और अवि मेरे दोनों साइड में खड़े हो गए और दोनों ने मेरी टांगें उठाकर पकड़ लीं.
अब दीपू के सामने मेरी चूत ऐसी बिल्कुल खुली थी कि आ जाओ घुसो और … शोर मचा ले, धूम मचा ले.

सचमुच वह बड़ा मोटा काला लंड जब चूत में घुस गया तो मानो बिजली गिर पड़ी.
मैं जान निकल गई हो ऐसे चिल्ला पड़ी.

दीपू बेरहमी से धक्के मार रहा था और मैं चिल्ला रही थी.

मेरी आवाज ज्यादा न हो इसलिए राज अपने होंठों से मेरा मुँह बंद करने की कोशिश कर रहा था.
फिर भी मेरी आवाज काफी तेज लग रही थी.

तभी फिर से डोर बेल बज गयी.
अब कौन आया?

सभी चौंक पड़े लेकिन दीपू रुक नहीं रहा था और मैं भी चिल्लाना कम कर नहीं सकती थी.
राज ने मुझे पकड़ रखा था इसलिए अवि दरवाजा खोलने गया.

उसी तरह छुपकर उसने दरवाजा खोला, तो बाहर पड़ोस वाली सौम्या भाभी खड़ी थीं.
वे पूछ रही थीं- क्या प्रॉब्लम है, मीता दी क्यों चिल्ला रही हैं?

अवि बोला- कुछ नहीं जी … चिल्ला नहीं रही, बस हंस खेल रही हैं. आप जाओ, वे आपसे सुबह मिलेंगी, रात बहुत हो गयी है.

लेकिन सौम्या भाभी ने जाने का नाम नहीं लिया.

तभी मेरे मुँह से मुँह हटाकर राज ने आवाज दी- भाभी जी, सब ठीक है, आप सो जाइए.

तभी मेरा मुँह खुल जाने से मेरी चीख जोर से निकल गयी- हाय हाय, मार डाला और डालो … चोदो.
मैं नासमझी में चीख रही थी.

सौम्या भाभी फिर से बोलीं- देखो मीता दी को कुछ तकलीफ है. मुझे अन्दर आने दो.

अवि का संयम ख़त्म हो गया और वह बक पड़ा- भाभीजी, तकलीफ वकलीफ़ कुछ नहीं, बस आपकी मीता दी चुद रही हैं … इसलिए चिल्ला रही हैं.
भाभी हंस पड़ीं और बोलीं- मैं जानती हूँ, मैंने गार्डन में क्या चल रहा था, देख लिया है. अब चुपके से दरवाजा खोलो, मुझे भी साथ ले लो.

दरवाजा खुल गया और एक जिस्म मजे लेने आ गया.

दरवाजा खुलते ही सामने सोफे पर मुझे देख कर भाभी मेरे पास आ गईं.
मैंने मुस्कुरा कर उन्हें पास बुलाया.

वे दीपू को देख मुस्कुराईं और बोलीं- वाह मेरे शेर, तूने पहला नंबर मार लिया.

दीपू बिना कुछ कहे मेरी चूत रगड़ने में मशगूल था.

भाभी मेरे मम्मे चूसने बैठ गईं.

दीपू ने मेरी दोनों टांगें पकड़े हुए चूत में सटासट लंड पेल कर धक्के दे रहा था.
राज मुझे अपनी बांहों में लिए हुए था.

अवि और करन जो खाली थे, वे भाभी के पीछे लग गए.

मेरे मम्मे के साथ खेलते भाभी को जैसे तैसे दोनों नंगी करने में जुट गए.
भाभी भी नंगी हो गईं.

तीनों लंड भी फिर से होश में आ रहे थे.
बस फिर क्या था.

मेरे मम्मे छोड़ कर भाभी तीनों लंड की तरफ मुड़ गईं और इसे चूसूँ या उसे चूसूँ … इस असमंजस में वे तीनों के लंड चूसने लगीं.

इधर मैं आपको थोड़ा भाभी के बारे में बता दूँ.

उम्र में वे थोड़ी छोटी है, थोड़ी सांवली हैं, लेकिन बहुत ही प्यारा चेहरा और गदराया बदन है.
मुझसे थोड़े बड़े मम्मे और उठी हुई गांड है.
वे ऐसी माल हैं कि किसी भी मर्द का लंड झट से खड़ा करने की ताकत उनके हुस्न में है.

भाभी का पति एक मोटा और ठंडा इंसान है, भाभी सेक्स के लिए भूखी ही रहती हैं.
आज भी हमारा सेक्स देखकर उन्होंने पति का लंड उठाने की कोशिश की लेकिन वह उठ न सका.

थोड़ी देर में जब वह सो गया तो अपनी चूत की आग उन्हें हमारे घर खींच लायी.

आज तो चार लंड उन्हें सामने दिख रहे थे.
उनके तो मजे हो गए थे!

तीनों ने धीरे धीरे अपने लंड भाभी के हाथों से मसलवाए और उनके पूरे जिस्म को प्यार करना शुरू कर दिया.

फ़िलहाल तीनों ने अपने होंठ ही इस्तेमाल करना शुरू किया.

करन जो मेरी गांड टेस्ट कर चुका था, वह अब भाभी के होंठ टेस्ट करने लगा.
राज मेरे होंठों के बाद भाभी की चूत चाटने में लग गया.

अवि अपने होंठों में मेरी चूत का नशा रखे हुए था, वह भाभी की गांड चूसने लगा.

यह सब माहौल देखकर मेरा और दीपू का नशा चरम सीमा पर पहुंच गया और मैं तीसरी बार झड़ने लगी, तो दीपू पहली बार!

ज्वालामुखी जैसे फटता है, वैसे दीपू के लंड से वीर्य का फव्वारा उड़ने लगा.
मेरी चूत में कितना जा पाएगा, सब सोफे पर उड़ने लगा.

दीपू ने लंड बाहर खींचा.
अभी भी वह थोड़ा टाइट ही था … तो मैं झट से पेट के बल लेट गयी और अपने हाथों से उसका लंड गांड में घुसाना शुरू कर दिया.

दीपू भी समझ गया पर उसका पूरा टाइट लंड मेरी गांड में घुसने वाला नहीं था.

ज्यादा कोशिश की तो गांड फट जाएगी, यह सोचकर अब जो थोड़ा सा ढीला हो गया है, वैसा लंड मेरी गांड में अन्दर जाएगा.

यह सचमुच सही साबित हुआ.
दीपू का वह मोटा सा लंड बिना मुश्किल मेरी गांड में चला गया.

अब हम दोनों चैन की साँस ले रहे थे.
मैं सोफे पर पेट के बल लेटी थी और दीपू मेरे ऊपर मेरी गांड में लंड डाल कर लेटा था.

हम दोनों भाभी की चुदाई देख मजा ले रहे थे.
दीपू अपना दाहिना हाथ मेरी जांघों से लेकर मेरी चूत में डाल रखा था और बायां हाथ मेरे छाती के आगे लेकर मम्मों पर रखा था.
चूत और मम्मे दोनों सहलाने में मुझे और उसे मजा आ रहा था.

उधर चुम्मा-चाटी के बाद अब भाभी की चुदाई शुरू हो गयी.

हमारे सामने जो सोफे था, उस पर अवि लेट गया और बाकी दोनों ने भाभी को उठाकर अवि के खड़े लंड पर रख दिया.

अवि का खड़ा लंड भाभी की गांड में डालने की कोशिश चल रही थी.

भाभी की अब तक कभी किसी ने गांड नहीं मारी थी तो अवि जैसा मोटा लंड अन्दर कैसे चला जाएगा.

मैंने राज को वैसलीन लाने को कहा.
फिर उसने भाभी की गांड वैसलीन से भर दी और अवि ने अपने लंड पर बहुत सारी वैसलीन मल कर लंड गांड में घुसा दिया.

भाभी चिल्लाईं, रोईं पर उन्होंने रुकने को नहीं कहा.

बड़ी मुश्किल से लंड अन्दर जाने के बाद अवि और भाभी दोनों को लंड अन्दर रखते हुए सोफे पर लेट गए.
भाभी ने लंड अन्दर बाहर करने को मना कर दिया था.

कुछ देर बाद भाभी की टांगें उठाकर मेरा पति अपना लंड ताने आगे बढ़ा और उसने भाभी की खुली चूत में बड़े जोर से लंड घुसेड़ दिया.

भाभी बड़े जोर से चिल्लाईं.
तो डर लगा कि कहीं पड़ोस में उसका पति सुन ना ले.

लेकिन इस वक्त कोई सोचने के मूड में नहीं था; बस लंड और चूत की लड़ाई और मिलन इसका ही जूनून था.

दोनों लंड ठीक से अपनी जगह फिट होने के बाद करन सोफे पर चढ़ गया और उसने अपना खड़ा लंड भाभी को चूसने दे दिया.

भाभी को बस आराम से बैठे रहना था.
नीचे से गांड में अवि … और चूत में राज अपने लंड से धक्के दे रहे थे और ऊपर मुँह में करन चोद रहा था.

बस माहौल देखते ही बनता था.
अगर कोई लड़की देखे तो अपनी चूत में उंगली डाल कर नाचने लग जाती और लड़का अपना खड़ा लंड हिलाने लग जाता.

इस चुदाई का असर दीपू पर भी हो रहा था.
मेरी गांड में अटका उसका लंड धीरे धीरे बड़ा हो रहा था.

मुझे गांड का फैलना महसूस हो रहा था.
अब तक कई बार मैं गांड मरवा चुकी हूँ. फिर भी यह लंड कुछ और था.

पूरा बड़ा होने के बाद मेरी सांस जैसे अटक गयी.
मैं छटपटा रही थी.
बाकी तीनों मर्द मेरी तरफ देख रहे थे और उन्हें जोश आ रहा था.
वे तीनों जोर जोर से भाभी को चोद रहे थे.

राज दीपू से बोला- अबे दे जोर से झटका. डाल पूरा अन्दर, फाड़ दे मेरी बीवी की गांड. फट गयी तो फट गयी. अब तक चिकनी चू थी, अब फटी गांड हो जाएगी.
फिर क्या था … दीपू भी जोश में आ गया और वे तीनों भी.

हॉल में बस मेरे और भाभी के कराहने की और चूत गांड में बज रहे फट फट ऐसी आवाजें आ रही थीं.

मैं जानती थी कि अब तक जो मैंने टाइट गांड का ख़िताब अपने पास रखा था, वह अब हमेशा हमेशा के लिए मुझसे छीन लिया जाने वाला था और मैं फटी गांड ही कहलाने वाली हो जाऊंगी.

बड़ी देर के बाद जब सबकी झड़ने की बारी आयी तो और जोर शोर से सब एक साथ झड़ गए.
यह शोर इतना हुआ कि जरूर आस-पास के पड़ोसी जग गए होंगे.
सेक्स की आवाज सुन कर खुद सेक्स में लग गए होंगे.

हम सब तो निढाल होकर सोफे से लुढ़क कर नीचे कालीन पर आ गिरे.

चार लंड और दो चूत पूरी तरह सतुंष्ट होकर, निढाल होकर चुपचाप से हो गए थे.
हम एक दूसरे की बांहों में हम सब लेट गए.

उसी में मैंने भाभी से पूछा- आप घर जाना चाहती हो तो जा सकती हो.
लेकिन भाभी ने ये कह कर मना कर दिया कि सुबह पांच बजे उनका पति गांव जाने वाला है, तब जाकर उसे गांव भेजकर वापिस आऊंगी.
ऐसा बोलकर वे मेरे पति से लिपटकर सो गईं.

हॉल, सोफे, कालीन सब गंदा गीला हो चुका था.
फिर भी उसी में हम सोये हुए थे.

हर कोई वाशरूम जाकर पेशाब कर वापस आता था और वैसे ही लिपटकर सो जाता.

चार बजे भाभी उठ गईं और घर चली गईं.
उनके जाने का हमें पता ही नहीं चला.

लेकिन जब वे वापिस आईं तो उन्होंने सबको जगाया.

छह बज चुके थे.
भाभी गर्मगर्म परांठे और चाय बनाकर लायी थीं.
वे हमें जगाकर खाने को कह रही थीं.

हमें भी भूख लग गयी थी तो मुँह धोकर नाश्ता करने में लग गए.

अब भी किसी ने कपड़े नहीं पहने थे.
भाभी घर जाते वक्त कपड़े पहन कर गयी थीं लेकिन आकर उन्होंने भी उतार दिए.

अब पूरा दिन हमारे सामने था और छह नंगों को मजा करना था.
वह बात फिर कभी लिखूँगी.

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कहानी का अगला भाग: पति और उनके दोस्तों के साथ चुदाई की रंगरेलियां- 3