पति और उनके दोस्तों के साथ चुदाई की रंगरेलियां- 1

दोस्त की चुदाई कहानी में पढ़ें कि मैं कॉलेज में तीन दोस्तों के ग्रुप से चुदा करती थी. उन्हीं में से एक लड़के से मेरी शादी हो गयी. कई साल बाद ये तीनों दोस्त इकट्ठे हुए तो क्या हुआ?

यह कहानी सुनें.

हैलो फ्रेंड्स … उन दिनों हमने जो रंगीन मजे लूटे थे, आज वह सब मैं आप सबको इस दोस्त की चुदाई कहानी में बताने जा रही हूँ.

आगे बढ़ने से पहले आपको मेरे बारे में कुछ बताना जरूरी है … या यूँ कहिए कि इस घटना की पूर्वपीठिका बताना जरूरी है.

मेरा नाम मीता है और मैं मेरे पति ‘राज’ के साथ रहती हूँ.
दस साल पहले मेरा प्रेमविवाह हो गया था.

मेरा एक बेटा भी है आठ साल का जो फ़िलहाल हॉस्टल में रहकर पढ़ रहा है, सिर्फ छुट्टियों में ही हमारे साथ रहता है.

तो घर में हम दोनों मियाँ-बीवी ही रहते हैं, तो बस एन्जॉय करते रहते हैं.

वो हुआ यूँ था कि मैं और राज स्कूल कॉलेज में साथ पढ़ते थे.
हम चारों का एक ग्रुप था. राज और उसके दो दोस्त करन और अवि इनमें बहुत ही गहरी दोस्ती थी.
और न जाने कैसे स्कूल से ही मैं उनके साथ जुड़ गयी.

कॉलेज की पूरी पढ़ाई होने तक हम साथ ही रहे.

राज के पिताजी का शहर में बड़ा कारोबार है जिसे पढ़ाई के बाद राज संभाल रहा है.

मेरी शादी की बात जब चल रही थी, तब मेरे लिए बड़ी मुश्किल आ गयी थी कि मैं तीनों में किसे चुनूं?
फिर मैंने राज को चुना.

क्यों? यह मैं आपको आगे जरूर बताऊंगी.

उन तीनों से मेरी गहरी दोस्ती थी. गहरी मतलब बहुत ही गहरी. मेरी गहराई और उन तीनों की ऊंचाई एक दूसरे से परिचित थी.
समझ गए न?
नहीं समझे?
अरे भाई, मेरे जिस्म की गहराई तीनों नाप चुके थे और तीनों का स्टैमिना मैंने आजमाया था.

फिर शादी के लिए किसे चुनना ठीक रहेगा, यह समस्या थी.
क्योंकि तीनों मुझे अच्छे से सतुंष्ट किया करते थे.

फिर मैंने सोचा कि राज शहर में ही रहेगा और ये अच्छा खासा कमाता है, तो ये ही सही रहेगा.

वैसे उसकी प्यार करने की स्टाईल बड़ी अच्छी थी.
वह मेरे जिस्म के हर एक हिस्से को प्यार करता है. धीरे धीरे महकाना उसे खूब आता है.

मेरे पूरे जिस्म को चूमना चाटना सहलाना उसका खास शौक है.
बस, उसकी इसी अदा पर अपना दिल आ गया और मैं हमेशा के लिए उसकी हो गयी.

करन और अवि आगे पढ़ाई कर रहे थे और दूसरे शहर में नौकरी के लिए गए, तो उनको भी बुरा नहीं लगा.
हम अभी भी करीबी दोस्त हैं. हां … अब वैसी मुलाकातें नहीं होती हैं.

उन दोनों की शादियां हो गयी हैं और वे दोनों खुश हैं.
वैसे उन तीनों से मेरी नजदीकियों को तीनों ही जानते थे.

राज जानता था कि मैंने शादी से पहले उसके दोनों दोस्तों के साथ रंगरेलियां मनाई हैं.

उसको इस बात से कोई दिक्कत नहीं थी.

शादी के बाद फिर कभी ऐसा मौका ही नहीं मिला कि राज के अलावा उन दोनों से मैं किसी तरह से सेक्स कर सकूँ.

इसी शनिवार शाम पांच बजे तक वे दोनों पधार रहे थे.
हम दोनों पति पत्नी सुबह से ही उनका इंतजार करने में लगे थे.

राज ने मुझसे अच्छे से संवरने को कहा; कॉलेज में मैं जैसे कपड़े पहनती थी, वैसे ही कपड़े पहनने को कहा.
मैं भी वही सही समझती थी.

मैंने लाइट ब्लू कलर की जींस और ऊपर काले रंग का टॉप चुना.

पर अब ये मुझे काफी टाइट बैठ रहा था.
उसमें मेरे मम्मे पुरजोर नजर आ रहे थे.

करीब चार बजे जब मैं तैयार हो गयी तो राज बस देखते ही रह गया.

उसके ट्रॉउज़र में हो रही गड़बड़ी नजर आ रही थी.
वह बोला भी- अरे यार, तूने तो मेरा खड़ा कर दिया!

“अभी उसे बिठाओ, रात में उसकी मरम्मत कर दूंगी.”
वह बोला- पता नहीं, ये दोनों चान्स देंगे या नहीं?

मैं चौंक कर बोली- क्या कह रहे हो? अब इस बात का मतलब है?
वह हड़बड़ाकर बोला- अरे नहीं, उन दोनों से गप्पें मारने में तेरी मारने का अवसर मिलेगा भी या नहीं, पता नहीं!

मैं हंसकर चुप हो गयी.

मैंने कहा- चलो मैं कुछ नाश्ता बनाती हूँ, तब तक वे लोग आ जाएंगे.

राज ने मना कर दिया.
वह बोला- मैंने सब इंतजाम किया है, उनके आने के बाद सिर्फ चाय बनाना.

“ठीक है, फिर तब तक बैठते हैं और इंतजार करते हैं.”

लेकिन राज ऐसे कब बैठने वाला था.
मुझे अपने करीब लेकर मेरे मम्मों के साथ खेलना उसका मनपसंद टाइमपास है.

उसी काम में वह शुरू हो गया.
लेकिन अभी वह आगे बढ़ रहा था कि बाहर कार रुकने की आवाज आई.

‘लो आ गए दोनों.’

दोनों अन्दर आ गए.

राज से लिपटकर कई सालों की दूरियां काम करने की कोशिश करने लगे.
मैं पीछे खड़ी थी.

अचानक करन की नजर मुझ पर गयी और उसने राज को छोड़ कर मुझ पर जैसे अटैक कर दिया.
मुझे अपने आगोश में लेकर चूमने लग गया.

अवि भी अचरज में मेरी तरफ देख रहा था.
वह बोला- अरे मीता, क्या माल दिख रही हो यार!
मैं शर्मा गई.

करन को दूर कर अवि मुझसे लिपट गया और मेरे होंठों से उसने अपने होंठ जोड़ दिए.
राज मजे से सब देख रहा था.

मैं असमंजस में थी कि राज बुरा ना मान जाए!
लेकिन नहीं … राज खुश नजर आ रहा था.

वह बोला- अरे भाई, अपने सामने पूरा दिन और रात पड़ी है. ऐसी भी क्या जल्दी है. तनिक बैठ भी जाओ, बातें करेंगे फिर चुम्मा-चाटी भी करेंगे.

मुझे राज की बातें समझ नहीं आ रही थीं.

लेकिन मैं अवि से अलग हो गयी और दोनों को बैठने कहा.
फिर पानी लाने के बहाने मैं अन्दर चली गयी.

पानी लेकर जब बाहर आयी तो तीनों ठहाके मार कर गप्पें हांक रहे थे.

मैंने गौर से सुना तो वह तीनों मेरे बारे में ही बात कर रहे थे.
मैं खामोश रह कर सुन रही थी.

करन और अवि मेरे बारे में कह रहे थे कि मैं बहुत सेक्सी लग रही हूँ.

वे पूछ रहे थे कि क्या अब भी मैं पहले जैसी टाइट हूँ.
मेरा प्यारा पति बता रहा था कि हां मीता की चूत अब भी टाइट है.

दोस्तों ने पूछा- तूने चोदकर ढीली की नहीं क्या?
तो उसने बताया कि बच्चा जनने के बाद डॉक्टर ने अच्छे से सिलकर टाइट कर दी है. और वह अपनी गांड को एक्सरसाइज करके टाइट रखती है.

लो कर लो बात! मेरा पति अपने दोस्तों को यह बता रहा था.

राज की बात पर एक बोला- यार, सचमुच इसकी टाइट चूत चोदने का मजा आएगा.
इस पर राज हंसकर बोला- रात भर सब मिलकर वही करेंगे यार.

इस बात पर सब ठहाके मारकर हंस पड़े.
मेरे तो पसीने छूट रहे थे लेकिन फिर भी धैर्य से पानी के लिए आवाज लगाकर पूछा और ऐसा प्रदर्शित किया कि मैंने कुछ सुना ही नहीं.

मेरी आवाज पर सब हंसते हंसते चुप हो गए और मेरी तारीफ करने लगे.
मेरी खूबसूरती के चर्चे होने लगे.

मैं चुपचाप सुनती रही.

पहले तो शर्मा रही थी, फिर मुस्कुराने लगी.
फिर दिल लगाकर उनकी बातें सुनकर इतराने भी लगी.

राज मुझे प्यार से ‘चिकनी चू’ ऐसे पुकारता है, ख़ास कर हम जब सेक्स कर रहे होते हैं तब.
यह नाम उसने रखा था क्योंकि मैं हमेशा अपने नीचे वाले बाल शेव करती हूँ.

मुझे अपनी चूत चिकनी यानि शेव की हुई अच्छी लगती है इसलिए चूत में अन्दर डालते वक्त या चूत चाटते वक्त राज की जुबान पर ‘चिकनी चू’ लफ्ज आ ही जाता है.

मैं आज तक सोचती थी कि शायद ‘चिकनी चू’ मेरा नाम सिर्फ राज ही जानता होगा.
लेकिन आज पता चला कि यह तीनों दोस्तों ने मिलकर मेरा यह नाम रखा था.

मेरा जिक्र वे सब ‘चिकनी चू’ कह कर ही कर रहे थे.

इसके अलावा और भी कई बातें मुझे नयी पता चलीं.

शादी से पहले मुझे इन तीनों ने बहुत बार चोदा था.
लेकिन यह बात वह आपस में डिस्कस करते थे, यह मुझे पहली बार मालूम हुई.

बातों बातों में राज अवि का शुक्रिया अदा कर रहा था कि उसने मेरी गांड मारने का आइडिया राज को बताया.

वैसे अवि ने ही पहली बार मेरी गांड मारी थी.
राज ने तो जब मेरी डिलिवरी के बाद डॉक्टर ने चोदना मना किया था, तब गांड मारने का प्रपोजल रखा था.

अब मैंने जाना कि तब अवि ने उसे फोन पर बताया था कि डिलिवरी के बाद चूत में न डालते हुए गांड में लंड डाल सकते हो और मुझे गांड मरवाना आता है.

तब राज ने पहली बार मेरी गांड मारी थी.

देखो … इतनी बातें दोस्तों में लोग शेयर करते हैं.

मेरे गोरे रंग की चर्चा करते करते मेरी हाइट, मेरा वजन इस पर बात चल रही थी.
फिर मम्मे के साइज का जिक्र हुआ.

उसके बाद कमर, गांड सबकी चर्चा हुयी.
गालों का तिल, मेरे बूब्स पर जो बड़ा सा तिल है, वह तीनों देख चुके थे.

उस पर तीनों का दिल और इस डिस्कशन का काफी वक्त अटक गया.
मेरी जांघों का, गांड का सबका जायजा लिया गया.

अवि तो इतना बहक गया था, वह बोला- यार ये सब सुनकर लंड खड़ा हो गया है. पैंट में रखना मुश्किल है. निकाल लूँ बाहर?

आखिर मैंने कहा- अरे आप लोग दूसरा कुछ बोलोगे या नहीं?
फिर कहीं जाकर वे सब होश में आए और चाय पानी की तरफ अपनी तवज्जो देने लगे.

चाय होने के बाद दोनों ने थोड़ा वाश वगैरह लिया, हमारा घर घूमकर देख लिया.

फिर गार्डन में जाकर तीनों बैठ गए.
वहां पर ड्रिंक की तैयारी पहले से रखी हुई थी.

खाने के लिए सब कुछ इंतजाम राज ने किया था.
हम चारों वहीं बैठ गए.

थोड़ी सी व्हिस्की, थोड़ा सा सोडा और बहुत सा पानी, ऐसे ही दौर चलता रहा.

रात नौ बजे तक दो दो पैग लेकर खाना भी हो गया.
उसके बाद उन तीनों ने थोड़ा और ड्रिंक लेने का तय किया तो मैं वाशरूम का बहाना करके निकल गयी.
मुझे बाथ भी लेना था.

मैं जाने के लिए मुड़ी तो राज ने आवाज देकर कहा कि मत सोना, अभी थोड़ी देर में आ रहा हूँ.
तभी दोनों दोस्त बोले- हां, हम भी आ रहे हैं. जागना है.

मैं शर्मा कर वहां से भाग गयी.
रूम में आकर सोचा कि चेंज कर लूँ, लेकिन फिर ख्याल आया कि ये तीनों मुझे छोड़ेंगे नहीं. मेरे तीनों होल आज जमकर चुदने वाले हैं. इसलिए मैंने बाथ लेने का फैसला लिया.

सब कपड़े निकालकर मैं वाशरूम चली गयी.
वैसे मुझे घर में बेडरूम या वाशरूम की कुंडी लगवाने की आदत नहीं.
तो आज भी मैंने दरवाजा खुला ही छोड़ दिया था.

मैं वाशरूम में नंगी होकर कमोड पर बैठ गयी.

गांड मरवाने से पहले छेद साफ़ करना जरूरी है. इसलिए एनीमा लिया और कमोड पर बैठ गयी.

तभी राज मुझे ढूंढता हुआ अन्दर आया और कमोड पर बैठा देख पूछने लगा कि क्या हुआ, मेरा पेट ख़राब तो नहीं ही ना!
मैंने उनकी गलतफहमी दूर कर दी और कहा- सिर्फ आपके लिए सब साफ कर रही हूँ.

साहब एकदम खुश हो गए.

राज ने कहा- ओ हो, तो लो भई हम मदद कर देते हैं.

वह मेरी गांड धोने के लिए वह आगे बढ़ आया.
मुझे शर्म आ रही थी, लेकिन मजा भी लगने लगा.

मैं गांड उसकी नजरों के सामने रख कर बोली- लो जानू, धो लो चाहे जितनी.
फिर क्या … प्यार से राज मेरी गांड धो रहा था, साथ में चिकनी चूत भी धो दी.

फिर प्यार से चूत में डीओ भी लगा दिया और मुझे गोद में उठाकर वाशरूम से बाहर ले आया.

वाशरूम से बाहर लाकर मुझे लगा राज मुझे बेड पर बैठा देगा.
लेकिन नहीं … वह अपनी नंगी बीवी को लेकर राज अपने दोस्तों के सामने लेकर चला आया.

वे दोनों गार्डन में शराब पी रहे थे.

मैं घबराकर बोली- अरे कहां जा रहे हो. मैं नंगी हूँ, कुछ तो ख्याल करो!
राज हंसते हुए बोला- फ़िक्र मत करो, तुझे यूँ देखकर वे दोनों भी नंगे हो जाएंगे.

राज की बात एकदम सच्ची निकली.
जैसे ही हम दोनों गार्डन में पहुंचे, अवि और करन खड़े हो गए और अपनी भूखी नजरें मेरे नंगे बदन पर गड़ाए हुए खुद नंगे होने लगे.

जब तक अपनी गोद से राज मुझे उतारता, अपने तने लवड़ों के साथ राज के दोनों दोस्त मेरे सामने नंगे खड़े थे.
सिर्फ राज ही कपड़े पहने हुआ था.

अवि बोला- हे चिकनी चू … अपने प्यारे पति का लंड भी खुल्ला करो ना! बेचारे को क्यों कैद रहने दिया है?

मैंने अब तक शर्माना छोड़ दिया था और हंसकर आगे को बढ़ी.

मैं बड़ी तसल्ली से राज के कपड़े उतारने लगी.
जल्दी में राज ने अपनी टी-शर्ट और पैंट को फट से निकाल दिया.

मैं सामने बैठ कर उसकी निक्कर उतार रही थी.

अब तक उसका लवड़ा अपनी कैद से फट से बाहर आ गया और मेरे मुँह पर टकरा गया.
बेध्यानी में मेरा मुँह खुल गया और राज का तना हुआ लंड बड़ी आसानी से मेरे मुँह में घुस गया.

मैं भी बड़े चाव से चूसने लगी.
अपने दोस्तों के सामने मुझे लौड़ा चूसते देख राज को बड़ी मस्ती चढ़ रही थी.

उसे मेरे बाल पकड़कर लंड मुँह में घुसेड़ने में बड़ा मजा आने लगा था.

अवि और करन भी चुप नहीं रह सके. पीछे से मेरी कमर उठाकर अवि मेरे नीचे आ गया और मेरी चूत सहलाने में लग गया.

उसने शुरू में उंगली से मेरा दाना मसला और चूत में भी उंगली डाली.

फिर अपनी जीभ से चूत चूसने लगा, तो करन भी चुप कैसे रहता. उसने मेरी गांड का जिम्मा ले लिया.

एक उंगली, फिर दूसरी … ऐसे करते करते वह चार उंगलियां डाल कर मेरी गांड चौड़ी करने लगा.
वह भी नीचे होकर मेरी गांड चाटने लगा.
उसकी पूरी जीभ गांड के अन्दर चली गयी.

अच्छा हुआ कि एनीमा लेकर मैंने गांड साफ़ कर दी थी.

इतने प्यार से मेरी गांड को चाट रहे दोस्त की जीभ पर गंदा मल अच्छा नहीं लगता.
हां लेकिन वह इतना मस्त था कि मेरा गू भी चाट लेता.

वह बोला भी- प्यारी चिकनी चू … तेरी गांड क्या खुशबूदार है? तेरा गु भी मीठा होगा.
राज का लंड अपने मुँह से निकाल कर मैं बोली- कल सुबह टेस्ट कर लेना.
इस पर सभी हंसने लगे.

तभी मेरी चूत से मुँह हटाकर अवि बोला- टेस्ट तो नहीं करेंगे लेकिन देखेंगे जरूर. अब हम जब तक यहां हैं, तब तक कपड़े नहीं पहनेंगे और सब कुछ खाना पीना, हगना मूतना साथ में सामने सामने करेंगे.

हम सभी ने ख़ुशी ख़ुशी हां भर दी.

अब तक राज का लंड मेरे मुँह में डुबकियां लगा रहा था तो मेरा दाना और चूत अवि की शरारतों से झूम रही थी.
मेरी गांड के तो मजे चल रहे थे.

इतना सब होने से मैं बहुत झूम रही थी और अवि का मुँह मैंने अपनी जांघों में कसकर पकड़ लिया क्योंकि मैं झड़ रही थी.

उफ़ यह मस्ती! तीनों लंड अभी मस्त थे.

दोस्त की चुदाई में एक बार झड़ने से मैं थोड़ी थक गयी.
मैंने राज का लंड चूसना थोड़ा धीमा कर दिया.

राज बोला- चलो रे … अब इसे चोदते हैं.

अवि बोला- नहीं यार, तू तो इसे रोज चोदता है. आज पहले मैं!
राज बोला- हां जरूर.

बस फिर क्या था … नेकी और पूछ पूछ!

करन और अवि एक दूसरे के सामने नीचे बैठ गए.

दोनों के खड़े लंड नजदीक नजदीक रख कर मुझे तीनों ने पकड़कर उन दोनों लंड पर बैठने के लिए मदद की.
चूत चाटने वाले अवि का मस्त लंड चूत में और गांड की सेवा करने वाले करन का तना लंड गांड में डालने के लिए रेडी था और मेरा प्यारा पति राज अपने हाथों से उनके लंड पेलने में मदद कर रहा था.

अपने पति के दोनों हाथों से दोस्तों के लंड मेरे अन्दर जाएंगे, ये सोच कर मेरे छेद फड़फड़ा उठए.

पूरी कोशिश करने के बाद राज खड़ा हो गया.
अब मेरा मुँह अवि की तरफ था और उसका लंड मेरे चूत में था.

अपने दोनों हाथों से अवि मेरे बूब्स पकड़े हुए था.
करन मेरे पीछे था तो उसके हाथ भी पीछे से मेरे दूध टटोलने लगे.

अवि ने अपना एक हाथ हटाकर एक बॉल करन को दे दिया.
अब दोनों मेरे दोनों बूब्स रगड़ने लगे और नीचे से अपने कूल्हे उठाकर मुझे चोदने लगे.
मैं भी उछल उछल कर मजे लेने में लगी.

राज ने अपना पुराना काम चालू कर दिया.
उसने मेरे बाल पकड़कर अपना लंड मेरे मुँह में घुसाकर मुँह चोदने लगा.

न जाने यह सिलसिला कितनी देर तक चलता रहा था.
मेरी गर्दन पूरी झूम रही थी.
मैं और एक बार झड़ गयी.

हमारे गार्डन में चार बड़े लैंप लगे रहने से बहुत उजाला था.
इधर हमारी चुदाई का आवाजें भी बहुत जोर से आ रही थीं.

पता नहीं पड़ोसी क्या सोचते होंगे? या दोस्त की चुदाई देखते होंगे?

पड़ोसी का ख्याल आते ही मैंने उछलना थोड़ा हल्का कर दिया.
राज ने पूछा- क्या हुआ?

मैंने बता दिया- देखो कहीं पड़ोसी तो नहीं देख रहे?
राज भी कुछ सहम सा गया और उसने झट से देखा कि कहीं कोई देख रहा है क्या?

कोई नजर तो नहीं आ रहा था.
फिर भी मुझे पड़ोस की एक खिड़की में कुछ हलचल नजर आयी.
वहां एक जवान बंदा अकेला रहता था.

ज्यादा देखने के बाद कुछ नजर नहीं आया इसलिए ‘जाने दो’ कहकर चुदाई का मजा लेना जारी रखा.

दोस्तो, आपको बाकी की सेक्स कहानी आपको अगले भाग में सुनाऊंगी.
आपके कमेंट्स का इंतजार रहेगा.

दोस्त की चुदाई कहानी का अगला भाग: