पति और उनके दोस्तों के साथ चुदाई की रंगरेलियां- 3

नमस्कार दोस्तो, मैं मीता राठी एक बार पुन: आपके सामने अपनी सेक्स कहानी के साथ हाजिर हूँ.

मैंने अपनी सेक्स कहानी के पिछले भाग
पति और उनके दोस्तों के साथ चुदाई की रंगरेलियां- 2
में लिखा था कि मेरी और मेरी पड़ोसन सौम्या भाभी की दमदार चुदाई हुई थी और हमें चोदने वाले मेरे पति, उनके दो दोस्त व पड़ोस का दीपू था.

सौम्या भाभी चुद कर अल सुबह अपने घर चली गई थीं और जब वे वापस आईं, तो गर्म गर्म परांठे बना लाई थीं.
उनके हाथ के बने नाश्ते का मजा हम सभी छहों जन लेने लगे थे.

सभी नंगे थे और सौम्या भाभी भी नंगी होकर मजा कर रही थीं.

अब आगे :

भाभी के द्वारा बनाकर लाए हुए आलू के परांठे दही के साथ हम सबने खा लिए, चाय भी पी ली.
अब हम सब मिल कर पूरे दिन का प्लॉन डिस्कस कर रहे थे.

हमारे पास शाम तक का वक्त था क्योंकि शाम में अवि और करन को वापिस निकलना था और भाभी का पति भी तो शाम लौट रहा था, तो हम सभी शाम तक फुल एन्जॉय करने का सोच रहे थे.
आज दिन भर स्नान वगैरह करने के बाद सिर्फ चुदाई और चुदाई होगी, यह तो तय था.

हम छहों में से कोई भी कपड़े नहीं पहनेगा, यह भी तय हो गया था.

चूँकि दोनों पड़ोसी हमारे साथ थे तो गार्डन में मजा लेने में अब कोई हर्ज नहीं था.
क्योंकि हमारा गार्डन इन दोनों पड़ोसियों को छोड़कर किसी और को नजर नहीं आता है.

अब सुबह की हल्की धूप में सेक्स का मजा कुछ और ही होगा.
यह भी तय किया गया कि जल्दी जल्दी नहा धोकर सब लोग गार्डन में आ जाएंगे.

तभी भाभी बोलीं- अरे भई, दिन में सिर्फ सेक्स से पेट नहीं भरेगा, खाना भी तो खाना चाहिए. तुम लोग पहले नहा धो लो, मैं तब तक घर जाकर खाना बना लाती हूँ.
मैंने तुरंत यह कहते हुए मना कर दिया कि खाना तो मेरे घर ही बनेगा.

तो फिर तय हुआ कि पहले मर्द लोग नहाएंगे, तब तक मैं और भाभी खाना बनाएंगे.

अब मैं भाभी के साथ किचन में जाने के लिए रेडी हो गयी.
राज भी हमें हेल्प करने आ गया.

करन हमारे बेडरूम वाले वाशरूम में गया और दूसरा वाशरूम अवि और दीपू इस्तेमाल करने लगे.

साथ में नहाना टॉयलेट करना, अब कुछ शर्म वाला नहीं बचा था.
राज सब्जी काटने में एक्सपर्ट था तो उसने वही जिम्मा उठाया.

बाकी का काम मैंने और सौम्या भाभी ने शुरू किया.

पहली बार हम तीनों नंगे बदन किचन में काम कर रहे थे.
कुछ अजीब तो लग रहा था, लेकिन मजा भी आ रहा था.

सब्जी काटते काटते राज मुझे किस करता, भाभी के मम्मे दबा देता.
उसने लौकी काटने से पहले धो ली और उसी को मेरी चूत में घुसाने लगा.

मेरी आह … निकल गई.
लौकी थोड़ी बड़ी थी. दीपू के लंड से भी बड़ी थी, तो अन्दर गयी ही नहीं.

‘जाने दो फिर कभी कोशिश करेंगे.’
यह कह कर राज ने उस बड़ी वाली लौकी को अलग रख दिया और दूसरी थोड़ी छोटी लेकर पहले मेरी चूत में, फिर भाभी की चूत में डाल थोड़ी अन्दर बाहर की, फिर उसे ही बिना धोए काटने लगा.

आज चूत के रस में सनी सब्जी का स्वाद हम सब लेने वाले थे.

सब्जी, चावल तैयार होने के बाद भाभी चपाती बनाने में लग गईं.
बाकी काम हो चुका था तो वह मुझे और राज को वाशरूम जाने को कह रही थीं.

लेकिन वाशरूम खाली नहीं थे, तो हम वहीं इंतजार करने लगे.
फुर्सत मिली तो मैंने सोचा कि क्यों ना राज के लंड साथ खेल लिया जाए!

मैं राज के सामने झुककर उसके लंड को चूसने लगी.
भाभी चपाती बेलती हुई मुझे चीयर करने लगीं.

तब तक करन नहा कर वापिस आ गया.
हमारा नजारा देखकर उसका लंड खड़ा हो गया और हंसते हंसते वह भाभी की तरफ मुड़ गया.

भाभी चपाती बेल रही थीं, तो वह उनके पीछे लग गया. पीछे से लंड भाभी की जांघों में घुसाकर दोनों हाथों से उनके मम्मे दबाने लगा.
भाभी भी मदमस्त हो रही थीं. वे मुंडी पीछे करके करन को किस करने लगीं.

करन थोड़ा पीछे हट कर झुक गया और वह पीछे से भाभी की गांड चाटने लगा.
भाभी बस फुदक रही थीं.

फिर करन जोर-शोर से भाभी की गांड और चूत में पीछे से उंगलियां डाल कर मजे लेने लगा था.
मैं राज का लंड चूसना छोड़कर उन दोनों को देख रही थी.

अब भाभी ने चपाती बेलना छोड़ दिया और वे करन के सामने झुक गईं.
करन भी पीछे से उन पर चढ़ गया और वह भाभी की चूत में अपना लंड घुसाकर उन्हें डॉगी स्टाइल में चोदने लगा.

भाभी मुँह से न जाने कैसी कैसी आवाजें निकल रही थीं.
वे बोल रही थीं कि उसका पति उसको कभी ऐसे नहीं चोदता.
उन्हें चुदवाने में बड़ा मजा आ रहा था.

मैं समझ गई कि वे दोनों झड़ने तक ऐसे ही चुदाई करते रहेंगे.
मुझे टट्टी आ रही थी तो मैं राज से कहकर वाशरूम जाने लगी.

राज भी मेरे साथ चल दिया.

मैं जल्दी में कमोड पर जा बैठी और हगने लगी, क्योंकि बड़े जोर से आ रही थी.
लेकिन राज बोला- अरे मुझे भी जोर से पेशाब आ रही है. थोड़ा हट जा, पहले मुझे मूत लेने दो.

मैं कमोड से कैसे हट सकती थी.
राज सामने खड़ा था, तो मैंने अपनी दोनों टांगें खोल कर उससे कहा- बीच में मूत लो.

वह मूतने लगा तो उसकी धार इधर उधर जाने लगी.
मैंने अपने हाथ से उसका लंड पकड़कर मूत की धार को सही रास्ता दिखाया.

उसका लंड अभी भी थोड़ा हिलने के कारण उसका मूत इधर उधर जा रहा था.

मुझे उसकी गर्म धार से बड़ा मजा आने लगा था.
मैंने उसका लंड अपने हाथ से घुमाया तो उसका गर्म गर्म मूत मेरी टांगों के बीच से हट मेरी चूत पर, पेट पर … और फिर चूचियों पर गिरने लगा.
आह … मस्त मजा आ रहा था.

पूरा मूत लेने के बाद मैं उसके लंड को अपने मुँह में ले लिया और मेरी टट्टी पूरी होने तक मैं मुँह में काफी अन्दर तक लेकर चूसती रही.
मैंने उसकी मूत की कुछ बूंदें भी चख ली थीं.

टट्टी होने के बाद राज ने बड़े प्यार से मेरी गन्दी गांड धो डाली.

उसने पूछा- आज एनीमा क्यों नहीं लिया?
‘हां यार, मैं तो भूल गयी.’
‘तो अब ले लो, फिर से लेने में क्या हर्ज है, पूरा छेद साफ़ हो जाएगा.’

मैंने एनिमा की डंडी गन्दी गांड अन्दर डाल कर पानी छोड़ दिया और एनीमा पूरा होने के बाद बची खुची टट्टी भी साफ़ हो गयी.

फिर से गांड धोने के बाद राज मेरी साफ हो चुकी गांड देख कर खुश हो गया.

वह छेद को प्यार से चाटने लगा.
अपनी जीभ गांड के छेद के अन्दर डाल कर जीभचोदन भी करने लगा.

मैं तो जैसे हवा में उड़ रही थी.
मेरी चूत फिर से गीली गीली हो गयी.

मैंने राज से कहा- अब बस भी करो यार … मेरी चूत से इतना पानी निकल रहा है कि कहीं पानी की कमी से बीमार ना हो जाऊं?
राज भी रुक गया.

उसने मुझसे एक सवाल पूछा- मेरी चिकनी चुत, गांड चाटने का मतलब जानती हो?
मैं बोली- नहीं जानती ?

उसने बताया कि गांड चाटने वाला, जिसकी गांड चाटता है, वह उसका गुलाम कहलाता है. गुलाम अपने मालिक की गांड चाटता है.
“ओह … मैंने ऐसा कभी सोचा ही नहीं था.”

मैंने राज से कहा- तो चलो मैं तुम्हारी गांड चाटती हूँ, क्योंकि मैं तुम्हें अपना मालिक मानती हूँ. आज अपनी इस गुलाम से अपनी गांड चटवा लो पिया जी!

राज ने खुशी से हां भर दी और एनीमा लेने के लिए भी तैयार हो गया.

मैंने प्यार से अपने पति को एनीमा दिया.
फिर टट्टी के लिए कमोड पर बिठाया.

टट्टी करते वक्त रिटर्न गिफ्ट के तौर पर वह मेरी चूत चाटता रहा.
टट्टी पूरी होने के बाद उसकी गन्दी गांड अच्छी तरह से धोकर मैंने उसकी गांड से खेलना शुरू किया.

चूमना, चाटना और एक एक करके उंगली डालना … यह मेरे खेल का हिस्सा था.

तभी करन का पूरा वीर्य अपनी चूत में लिए सौम्या भाभी वाशरूम में आ गईं.

मैं राज की गांड में बिज़ी थी तो वे राज के सामने खड़ी हो गईं और उससे अपनी चूत साफ करवाने लगीं.

करन का पूरा माल राज ने अपनी जीभ से साफ करके भाभी की चूत को बिल्कुल कांच सी चमका दी.

राज की गांड के जो मजे चल रहे थे, उसे देखकर भाभी बोलीं- आज क्यों ना राज की गांड मारी जाए?
मुझे आईडिया अच्छा लगा लेकिन राज ने मना कर दिया.

वह बोला- आज नहीं … फिर कभी. आज तो सिर्फ तुम दोनों की मारेंगे. मीता कल तेरी फटी गांड हो गयी थी, लेकिन आज भाभी को फटी गांड करेंगे. मीता को चिकनी चु ही रहने दो, सौम्या भाभी अब फटी गांड वाली हो जाएगी.

भाभी ने शर्माकर हां कह दी.

साथ ही उन्होंने यह भी कहा- राज, तुमने अपनी गांड मरवाने के लिए ना नहीं बोला, बल्कि तुमने ‘आज नहीं.’ ऐसा कहा है. इसका मतलब तुम आइंदा कभी गांड मरवाना चाहते हो और मैं यह बात याद रखूंगी. अवि और करन तो आज वापिस जा रहे हैं, लेकिन दीपू तो है.

हम तीनों हंसने लगे.

अब सौम्या भाभी की गांड न केवल मारनी है, बल्कि फाड़नी भी है.
कल पहली बार गांड मरवाने से उन्हें बहुत दर्द हो रहा था.

उन्होंने यह बताया भी कि आज शायद मेरी गांड इजाजत नहीं देगी.

लेकिन मुझे याद आया कि कुछ दिन पहले राज को पाइल्स की तकलीफ थी.
तो उसने एक मलहम को लगाया था, जिससे उसे बहुत आराम मिल गया था.
वह मलहम वाशरूम में ही मौजूद थी.

मैंने झट से वह ट्यूब उठाया और भाभी की गांड में वह मलहम लगा दी.

मैं बड़े प्यार से उंगली से हल्के हल्के भाभी की गांड में मलहम लगा रही थी.

तब तक भाभी राज का लंड चूसने में मगन रहीं तो उनको कोई दर्द ना हुआ.

जैसे जैसे मलहम का असर होता गया, वैसे वैसे उनकी गांड का दर्द कम होने लगा.
लेकिन वे बोलीं- फिर भी गांड मरवाने में मुझको डर लग रहा है. फिर दीपू का इतना मोटा लंड मैं कैसे ले पाऊंगी?

भाभी की बात तो सही थी.
उसका एक इलाज भी था.

पहले छोटे लंड से शुरू करते हुए मोटे लंड तक जा सकते हैं.
लेकिन छोटा लंड लाएं कहां से? यहां तो सभी के लंड किंगसाइज हैं … और दीपू तो मॉन्स्टर साइज का है.

सौम्या भाभी बोलीं- मेरे पास छोटे से बड़े सब साइज के डिल्डो हैं, जो मेरी मदद कर सकते हैं.
इतना कहकर वह उठीं और अपने घर की तरफ चल दीं.

वे नंगी ही गईं और अपने घर जाकर तीन साइज़ के डिल्डो ले आईं.
तीनों अलग अलग साइज के थे.
सब में बड़ा वाला करन के लंड की साइज का था, जो बाकी छोरों के लंड में सब में छोटा था.

भाभी जब लौटीं, तो मैंने पूछा कि नंगी ही बाहर जाकर हो आईं, कुछ शर्म भी नहीं आई … किसी ने देखा तो नहीं?
तो भाभी बोलीं- अब मुझे नंगी रहना ही अच्छा लग रहा है. कोई देखे तो उसकी बला से, मैं नहीं शर्माने वाली. अब तो मैं घर में नंगी ही रहूंगी और अपने दोनों घरों में नंगी ही आऊंगी. मेरा मोटा पति तो मुझे चोदेगा नहीं, अब तो राज और दीपू ही मुझ पर चढ़ेंगे.

तो मैंने समझ लिया कि यह सिलसिला अब चलता रहेगा.
अवि और करन न सही, दीपू और राज मुझे व सौम्या भाभी को हमेशा चोदते रहेंगे.

फिर सौम्या भाभी के साथ मैं और राज नहा लिये.

एक दूसरे को नहलाने का मजा कुछ और है.
भाभी बड़े प्यार से राज को साबुन लगा रही थीं. वे खासकर उसके लंड को सहलाकर धो रही थीं.

बाद में टॉवल से अच्छे से पौंछ भी लिया.
उन्होंने मेरी चूत को भी ख़ास तवज्जो दी.

हम दोनों ने भी भाभी को अच्छे से नहलाया.
फिर हम तीनों बाहर गार्डन में बैठे बाकी तीनों से मिलने आ गए.

वहां तीनों शराब की चुस्कियां ले रहे थे.

भाभी सीधे जाकर दीपू की गोद में बैठ गईं और उसी के गिलास से दारू पीने लगीं.
अवि ने मुझे अपनी गोद में बुलाया.

मैंने राज की तरफ देखा तो वह मुस्कुरा कर मुझे जाने को कह रहा था.

मैं बिना झिझक अवि की गोद में चली गयी.

उसका खड़ा लंड नीचे से मेरी गांड को धक्का दे रहा था, बहुत उछल कूद मचा रहा था.

मैं उसकी गोद से उतर गयी और बोली- पहले इसके लंड का कुछ करूँगी … फिर बैठूँगी.
सबने हंस कर मुझे बढ़ावा दिया.

अवि खड़ा हो गया.

उसका खड़ा लंड उसके जिस्म के आगे जमीन की सतह के समानांतर तना हुआ दिख रहा था.
बड़ा ही हसीन नजारा था.

भाभी की नजरें भी उसके लंड में अटक गईं.
बाकी तीनों मर्द भी देख रहे थे.

मेरी गांड की मुलायम त्वचा के स्पर्श ने जैसे उसके लंड में जादू कर दिया था.
सुबह नौ बजे की मीठी धूप में अवि का लंड चम चम कर रहा था.

भाभी दीपू की गोद से कूद कर अवि के सामने आ गईं और उन्होंने अपने घुटने के बल पर बैठ कर उसका लंड अपने मुँह में लिया.
मैं भी भाभी के बाजू में बैठ गयी और हम दोनों बारी बारी से अवि के लंड को चूसने लगीं.

जब सौम्या भाभी लंड का सुपाड़ा चूसतीं तो मैं अवि की गोटियों को चूमती थी.

बाकी तीनों मर्दों से यह नजारा देख कर रहा ना गया.
वे सब भी दोनों लड़कियों की कमर उठाकर पीछे से चढ़ने का मजा लेना चाहते थे.

भाभी की गांड उठाकर दीपू उनकी गांड के छेद में लंड घुसेड़ना चाहता था.
लेकिन भाभी ने गांड में डालने से मना किया तो दीपू पीछे से भाभी की चूत में अपना मॉन्स्टर लंड घुसाने लगा.

मुश्किल था … लेकिन राज उसकी मदद करने लगा.
राज ने अपने मुँह से थूक निकाल कर भाभी की चूत को और दीपू का लंड गीला कर दिया.

फिर धीरे धीरे दीपू का लंड सौम्या भाभी की टाइट चूत में जाने लगा.
राज का बहुत सारा थूक इस काम को अंजाम देने लगा था.

कुछ ही देर में भाभी की चूत पानी छूटने से गीली भी हो गयी और दीपू एक अच्छे रिदम से भाभी को चोदने लगा.

जिंदगी का सबसे हसीन रिदम यही तो है.

भाभी के मुँह से ‘आह ई … उइ माँ … मर गयी’ की आवाजें निकल रही थीं.
भाभी की आवाजों को रोकने को लेकर उनके मुँह में अवि का लंड घुस गया.

अब मुँह में लंड घुस जाने से भाभी की कुछ अजीब सी गों गों की आवाज सुनाई दे रही थी.

जब तक राज और दीपू सौम्या की चुदाई सैटल करते, करन मेरे पीछे लग गया.
पहले वह मेरी कमर उठाकर मेरी चूत और गांड को अच्छे से चाटने लगा था.

उसके चाटने से मेरा पानी छूटने लगा.
करन मेरी चूत का पानी अपनी जीभ पर लेकर उसी पानी को मेरी गांड में छोड़ रहा था.

साफ लग रहा था कि उसे मेरी गांड ही मारनी थी.
मैं भी तो वही चाहती थी, खुद अपनी गांड उठा उठा कर उसे प्रोत्साहित कर रही थी.

मुझे अवि का लंड भाभी के साथ शेयर करना अच्छा लग रहा था.
अवि का लंड अन्दर लेकर मैंने भाभी के होंठ चूम लिए.

भाभी के साथ लिपलॉक और बीच में अवि का लंड, हाय हाय क्या सीन था?

उधर मेरी गांड जब पूरी गीली और ढीली हो गयी तो करन पीछे से मुझ पर किसी छुट्टा सांड की तरह चढ़ गया.

सच में जैसे कोई बैल अपनी गाय पर चढ़ जाता है, वैसे ही यह सांड मेरे ऊपर चढ़ गया था.
शायद बैल, गाय की चूत में अपना लंड घुसाता है, लेकिन यह सांड अपना घोड़े जैसा लंड मेरी बेचारी टाइट गांड में घुसा रहा था.

मेरी गांड उछल उछल कर उसके घोड़े छाप लंड को झेल रही थी.

तब तक दीपू की गाड़ी फुल स्पीड पकड़ चुकी थी और इधर करन का लंड भी मेरी गांड में पूरी मस्ती से चलने लगा था.

अब सिर्फ राज देखने वाला रह गया था. उसे यूं अकेला खाली रहना रास नहीं आया, तो वह मेरे नीचे घुस कर मेरी चूत में पहले उंगली डाल कर घुमाने लगा.
मैं भी और ज्यादा मदमस्त हो गयी. मेरे मुँह में अवि का लंड और सौम्या भाभी के होंठों का रस था. गांड में करन का लंड चल रहा था और चूत में राज की उंगलियां चल रही थीं. साथ में वह अपने होंठों को और जीभ को भी चूत से रगड़ रहा था.

अब एक लड़की को इससे अधिक और क्या चाहिए था … बस चुदाई और चुदाई!

पता नहीं कितनी देर यह सब चल रहा था.
ऐसे लग रहा था कि अवि पहले अपना माल छोड़ेगा.

मैं और भाभी उसके माल के लिए तैयार हो गई थीं.
दोनों ने उसका पूरा माल अपने मुँह में ले लिया और दोनों के होंठ उसके लंड के साथ जैसे सिल गए थे.

दोस्तो, मुझे उम्मीद है कि आप सभी की वासनाओं को भड़काने में मेरी कलम पास हुई होगी.
बस आपके मेल मुझे मिलते रहने चाहिए.
धन्यवाद.
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