गांड पहली बार मरवाई मैंने अपने एक दोस्त से. तब मुझे लड़कियों के कपड़े पहनना अच्छा लगता था. एक रात मेरा दोस्त मेरे पास रुका. मैं मैंने उसे सेक्स के लिए उकसाया.
नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम रानी है और मैं मुंबई की रहने वाली हूं.
मैं अन्तर्वासना की एक नियमित पाठिका हूं.
आपको मैं जो कहानी बताने जा रही हूं, वह मेरी पुरानी जिंदगी के बारे में है.
उस वक्त मैं एक लड़का हुआ करती थी.
जब मैं किशोरवय की थी, तभी से मुझे लड़कियों के कपड़े पहनना और उनकी तरह बर्ताव करना पसंद था.
यह कहानी तब की है, जब मैं जवानी की दहलीज पर कदम रख चुकी थी और कॉलेज जाने लगी थी.
उस वक्त तक मेरे ज्यादा दोस्त नहीं थे.
उन्हीं दिनों मेरी मुलाकात कॉलेज के एक लड़के से हुई जो मेरे घर के पास में रहता था.
उसका नाम विशाल था.
वह कॉलेज में खेलों में अव्वल खिलाड़ी था लेकिन पढ़ाई में थोड़ा कमजोर था.
हम दोनों कॉलेज के एक प्रोजेक्ट के सिलसिले में एक दूसरे से बात करने लगे थे.
कुछ दिनों बाद मैंने उसे अपने मम्मी पापा से मिलवाया.
उसका स्वभाव अच्छा होने के कारण वह मेरे मम्मी पापा को भी पसंद आ गया था.
उसके बाद उसका मेरे घर अक्सर आना जाना होने लगा था.
एक दिन जब मैं कॉलेज से वापस आई तो मुझे पता चला कि मेरे मम्मी पापा किसी जरूरी काम से एक हफ्ते के लिए गांव जाने वाले हैं.
मेरे कॉलेज की वजह से वे लोग मुझे नहीं लेकर जा सकते थे, ऐसा उन्होंने ही बताया.
मैं उदास हो गयी थी.
पर जब मेरे पापा ने ऐसा कहा कि उन्होंने मेरे दोस्त विशाल को मेरे साथ रहने के लिए बुला लिया है, तो मैं खुश हो गयी.
मेरे मम्मी पापा दोपहर को गांव के लिए निकल गए.
जब मम्मी पापा निकले, उस वक्त तक विशाल घर नहीं आया था.
उसको आने में कुछ देर लग रही थी.
उसी बीच मैं अपनी मम्मी के कमरे में चली गयी.
मेरा घर दो बेडरूम वाला घर है. एक कमरा मम्मी पापा के लिए और एक मेरे लिए.
मैंने मम्मी की अलमारी का दरवाजा खोला और एक सुंदर सी नीले रंग की ब्रा और पैंटी निकाल ली.
उसे देख कर मुझसे रुका न गया और मैंने अपने सारे कपड़े उतार कर मम्मी की ब्रा पैंटी पहन ली.
अब मैंने खुद को आईने में देखा, तो कुछ कमी लग रही थी.
अब मैंने एक गुलाबी रंग की साड़ी और उसी की मैचिंग का ब्लाउज पेटीकोट भी निकाला.
वह भी पहन लिया.
फिर थोड़ा सा मेकअप किया; होंठों पर लिपस्टिक लगाई.
और अब जब मैं आईने के सामने आई, तो मुझे खुद मेरी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था.
मैं एक लड़की की तरह सुंदर माल लग रही थी.
मैंने इससे पहले कभी ऐसा किया नहीं था तो मैं भी हैरान हो गयी थी.
विशाल को आने में अभी भी थोड़ा समय बाकी था तो मैं ऐसे ही अपने कमरे में चली गयी और अपने बेड पर लेट गयी.
मैं सोच रही थी कि क्या करूँ.
अगले दिन कॉलेज की छुट्टी होने के कारण कुछ ज्यादा काम भी नहीं था.
मैंने अपना लॅपटॉप खोला और मैं कुछ गे पॉर्न देखने लगी.
थोड़ी ही देर बाद मैं बेहद गर्म हो गयी थी तो मैंने पास रखे पेन को अपने थूक से थोड़ा गीला करके अपनी गांड में डालना चालू किया और गांड के मजे लेने लगी.
मेरा लिंग बचपन से अविकसित होने के कारण मैंने उसकी तरफ कभी ध्यान ही नहीं दिया था.
किसी भी तरह की कामुक फिल्म को देखने या सेक्स कहानी को पढ़ने के बावजूद भी मेरा लंड खड़ा ही नहीं होता था.
उसमें बस हल्की फुल्की सी सुरसुरी सी आ जाती थी.
मैं अपनी गांड में पेन को काफी अन्दर तक डाल कर मजा ले रही थी.
कि तभी घर के मुख्य द्वार की घंटी बजी.
मैं भूल ही गई थी कि कोई आ भी सकता है इसलिए मैं एकदम से हड़बड़ा गयी.
मैंने तुरंत पॉर्न बंद किया और साड़ी उतार दी, ब्लाउज को निकालते हुए अपने होंठों की लिपस्टिक को ब्लाउज से ही रगड़ कर साफ कर लिया.
लेकिन घंटी जोर जोर से बजने के कारण मैंने वह पेन अपनी गांड में फंसा छोड़कर तुरंत पैंटी पहन ली.
अपनी अलमारी से एक टी-शर्ट को निकाला और एक हाफ पैंट निकाल कर पहन ली.
मैंने ब्रा भी नहीं उतारी थी.
अब मैं दरवाजे पर आई और दरवाजा खोला, तो विशाल मेरे सामने था.
मैंने उसे अन्दर आने को कहा और सोफे पर बैठने को कहा.
उसे बिठा कर मैं तुरंत अपने बेडरूम में चली गयी और जमीन पर पड़ी साड़ी ब्लाउज पेटीकोट को यूं ही बटोर कर अपनी अलमारी में रख दिया.
मैंने जैसे ही अल्मारी का दरवाजा बंद किया, विशाल ने आवाज लगायी.
तो मैंने कहा- बस एक मिनट.
उसने कहा- मैं थोड़ी देर के लिए बाहर जा रहा हूँ. मैं रात को वापस आ जाऊंगा.
यह कह कर उसने अपना बैग सोफे पर रखा और बाहर चला गया.
उसके जाने के बाद मैंने तसल्ली से ब्रा और पैंटी उतारी और उसे अलमारी में जाकर रख दिया.
फिर अपनी गांड में फंसा हुआ पेन निकाल कर बाजू में रख दिया और अपने रोज वाले कपड़े पहने और काम पर लग गई.
थोड़ी देर बाद रात हो गयी.
मैं अपने मोबाइल में गेम खेल रही थी.
तभी दरवाजे की घंटी बजी.
मैंने दरवाजा खोला तो सामने विशाल खड़ा था.
उसे देखते ही मैंने कहा- अच्छा हुआ कि जल्दी आ गए. मुझे बड़ी भूख लग रही थी. मैं तुम्हारे लिए रुका था.
विशाल- पर मैं अभी अभी खेल कर आया हूं, पहले नहाने जाऊंगा.
ऐसा कहकर वह अन्दर आ गया.
मैंने उसे अपने रूम का बाथरूम इस्तेमाल करने को कहा.
विशाल मेरे बेडरूम के बाथरूम में चला गया.
मैं बाहर आकर बैठ गयी. मैं भूल गयी थी कि मैंने अपनी मम्मी के कपड़े अपनी ही अलमारी में रख दिए थे.
विशाल ने उन्हें मेरी अलमारी में रखा हुआ देख लिया होगा शायद.
वह नहाकर बाहर आ गया.
उसने अपने बैग में से कपड़े निकाल कर पहन लिए थे.
वह आकर सोफे पर मेरे बाजू में बैठ गया.
‘खाने में क्या है? उसने पूछा.
‘दाल और चावल हैं.’ मैंने कहा.
मैंने दोनों के लिए खाना प्लेट में लगाया और बाहर ले आया.
प्लेट को मैंने सोफे के सामने रखी टेबल पर रख दिया.
तभी उसने टीवी चालू किया और उस पर एक इंग्लिश मूवी लगा दी.
‘ये मूवी देखी है?’ उसने पूछा.
‘नहीं, मैंने नहीं देखी है.’ मैंने कहा.
‘ये एक रोमांटिक मूवी है.’ उसने कहा- इसमें हीरो और हीरोईन दोनों अलग अलग जगह से होते हैं.
उसने मुझे मूवी के बारे में थोड़ा ही बताया ताकि मजा खराब ना हो.
‘तुम्हें रोमांटिक मूवी देखना पसंद है?’ मैंने पूछा.
‘हां कभी कभी देख लेता हूं.’ उसने कहा.
हम दोनों मूवी देखते देखते खाना खा रहे थे.
तभी उस मूवी में एक रोमांटिक सीन चालू हुआ, जिसमें हीरो, हीरोईन को बांध कर उसकी आंखों पर पट्टी बांध देता है और उसके बाद वह उसको नंगी कर देता है.
मुझे यह सब देखकर थोड़ा अजीब सा लगा.
थोड़ी देर बाद वह हीरो खुद भी नंगा हो कर उस हीरोईन को चोदने लगा.
ये देख कर मैंने विशाल को देखा, तो वह मूवी देखे जा रहा था.
मैंने उसकी पैंट की तरफ देखा, तो उसमें तंबू खड़ा था.
जब उसने मेरी तरफ देखा तो मैंने उसके ऊपर से नजरें हटा लीं.
‘मेरा खाना हो गया, मैं सोने जा रहा हूं.’
मैंने ओके कहा और मैं किचन की तरफ चली गयी.
किचन में आते ही मैंने प्लेट बेसिन में रखी और अपने अविकसित लंड की तरफ देखा, तो वह थोड़ा गीला हो गया था.
यह पहली बार हुआ था.
मैं तुरंत अपने बेडरूम में गयी और अपनी मम्मी की ब्रा और पैंटी को फिर से पहन लिया.
उसके ऊपर से रोज के कपड़े टी-शर्ट और हाफ पैंट वापस पहन लिए.
फिर मैंने मम्मी की साड़ी और ब्लाउज उठाया और बाहर देखा.
विशाल किचन की तरफ जा रहा था.
जैसे ही विशाल किचन में गया तो मैं अपने कमरे वाले दरवाजे से मम्मी के कमरे में आ गयी और मम्मी के कपड़े अलमारी में रखकर अपने बेड पर आकर लेट गयी.
तभी विशाल ने टीवी बंद कर दिया.
मैंने बाहर आकर देखा तो विशाल सोफे पर बैठा था.
‘तुम मेरे कमरे में जाकर क्यों नहीं सो जाते?’ मैंने विशाल से कहा.
‘हां वह ठीक रहेगा, वैसे भी मुझे बाथरूम ज्यादा यूज करने की आदत है.’
विशाल ने कहा और वह मेरे कमरे की ओर चला गया.
जैसे ही वह मेरे कमरे में गया, मैं अपनी मम्मी के कमरे में जाकर बेड पर लेट गयी.
मुझे रात को पानी पीने की आदत है इसलिए थोड़ी देर बाद मैं पानी पीने के लिए उठी तो मुझे याद आया कि मैंने पानी का गिलास नहीं लिया है.
मैं उठ कर खड़ी हो गयी और किचन की ओर चल दी.
जब मैं पानी का गिलास लेकर वापस आ रही थी तो मैंने अपने कमरे में से रोशनी आती हुई देखी.
मैं दबे पांव अपने कमरे के पास चली गयी और अन्दर देखा तो मैं हक्की बक्की रह गयी.
विशाल अपने मोबाइल में पॉर्न देख रहा था, साथ ही वह अपना लंड हिला रहा था.
उसका लंड छह इंच का लंबा और तीन इंच मोटा था.
मैं उसके लंड को देखती ही रह गयी.
उसका लंड देखते ही मेरे शरीर मैं एक रोमांच जाग उठा.
अचानक से मैं अपने छोटे छोटे मम्मे दबाने लगी और उसके लंड को ख्यालों में भीतर ही भीतर महसूस करने लगी.
तभी विशाल ने दरवाजे की तरफ देखा.
मैं जल्दी से छुप गयी.
शायद विशाल ने मुझे देख लिया होगा, इसी डर से मैं अपने कमरे में भाग गयी.
मैं बेड पर लेटकर बस विशाल के मोटे लंड को याद कर रही थी.
अब मेरे अन्दर की आग कुछ ज्यादा ही लपलपाने लगी थी.
मैंने सोचा कि आज कुछ भी करके लंड अन्दर लेना कैसा होता है, ये देख लेती हूं.
मैं खड़ी हो गयी और अपने कमरे की और चल दी.
अगले कुछ ही पलों बाद विशाल के कमरे से आने वाली हल्की सी रोशनी भी बंद हो गयी थी.
मैंने अन्दर झांक कर देखा, तो विशाल बेड पर लेटा हुआ था.
तब मैंने दरवाजे पर दस्तक दी.
विशाल दरवाजे की तरफ देखने लगा.
‘यार आज मुझे अकेले सोने में डर लग रहा है, क्या मैं आज तेरे बाजू में सो जाऊं?’ मैंने विशाल से डरी हुई आवाज में कहा.
विशाल ने मुझे देखा और फिर कहा- ठीक है … आ जा.
उसने ऐसा कहा और बेड पर मेरे लिए थोड़ी जगह बना दी.
मैं उसके बाजू में जाकर लेट गयी.
विशाल एक साईड पर लेटा था और मैं बस सोने का नाटक कर रही थी.
थोड़ी देर बाद जैसे ही मैं करवट बदलने का नाटक करती, वैसे ही मैं उसके पास थोड़ा थोड़ा करके सरक रही थी.
कुछ देर बाद विशाल ने भी अपनी करवट बदल ली और मेरी तरफ मुँह करके सो गया.
मैं उसकी तरफ पीठ करके सोई हुई थी.
तभी अचानक से उसका हाथ मेरे शरीर पर आ गया.
मैं थोड़ा डर गयी, पर मैंने लंड लेने का मन पक्का कर लिया था तो मैं हिली नहीं.
थोड़ी देर बाद विशाल मेरे करीब आने लगा और मुझसे पूरा चिपक गया.
पहले मुझे अजीब सा लगा, फिर मैं भी उसके शरीर की गर्मी को महसूस करने लगी थी.
तभी मुझे अपनी गांड में कुछ उभार जैसा लगा जो विशाल के पैंट से आ रहा था.
मैंने कुछ नहीं किया और चुपचाप लेटी रही.
थोड़ी देर बाद वह उभार थोड़ा ज्यादा बड़ा हो गया.
अब मुझे यकीन हो गया था कि यह विशाल का लंड ही है जो मुझे चुभ रहा है.
शायद विशाल सोने का नाटक कर रहा था.
मैं भी सोने का नाटक करती हुई उसके पास को सरक गयी.
उसका लंड अब कपड़ों के अन्दर से ही मेरी गांड की दरार में फंस गया.
फिर उसका एक हाथ मेरी छाती पर आया और मेरे छोटे छोटे चूचों पर रुक गया.
उसने मेरे एक मम्मे पर धीरे से अपना हाथ चलाना चालू किया और अपना लंड मेरी गांड पर फेरना चालू रखा.
मुझे मजा आ रहा था.
पर मैंने सोने का नाटक जारी रखा क्योंकि मुझे देखना था कि विशाल आगे और क्या करेगा!
थोड़ी देर बाद विशाल ने अपने लंड को पैंट से बाहर निकाला और हिलाने लगा.
तभी मैंने आंख खुलने का नाटक किया.
विशाल अपना लंड पैंट के अन्दर डालने की कोशिश कर रहा था.
पर मैं जैसे ही उसकी तरफ मुड़ी, तो उसने अपना लंड चादर के नीचे छुपा लिया.
मैं उठ कर वाशरूम में चली गयी और अपने वाशरूम में रखी वैसलीन की डब्बी निकाली.
मैं पहली बार लंड लेने जा रही थी तो मुझे दर्द होगा; ये मुझे पता था तो मैंने अपनी गांड के छेद पर थोड़ी सी वैसलीन को लगा लिया.
कुछ अपने होंठों पर भी लगा ली.
थोड़ी देर बाद मैं वापस बाहर आकर बेड पर ऐसे लेट गयी, जैसे कुछ हुआ न हो.
थोड़ी देर बाद फिर से विशाल और मैं वही खेल खेलने लगे.
इस बार जैसे ही विशाल ने लंड बाहर निकाला तो मैंने झटके से उसका लंड पकड़ लिया.
इससे विशाल अचानक से बैठ गया.
मैं भी विशाल के साथ बैठ गयी.
विशाल मेरी तरफ देख रहा था.
उसने मेरे हाथ से अपना लंड निकाला और पैंट में डाल दिया.
मुझे उसका लंड अब लेने की इच्छा और ज्यादा हो गयी.
मैं उसके लंड की तरफ और उसके चेहरे की तरफ बार बार देखे जा रही थी.
‘ऐसे क्या देख रहा है? उसने पूछा.
मैंने दबी आवाज में कहा- तेरा लंड!
विशाल ने कहा- मुझे पता था तू एक लंडखोर है साले. अब आ और अपने मर्द को शांत कर!
यह कहकर विशाल मेरे और पास आ गया.
मेरे चेहरे को ठोड़ी से पकड़ कर वह अपने चेहरे के पास को ले गया और बोला- चाहिये है क्या?
मैंने हां में सर हिला दिया.
इसके बाद विशाल में अचानक से जोश आ गया.
उसने अपने होंठों मेरे होंठों पर चिपका दिए.
पहले तो मेरी आंखें खुली की खुली रह गईं पर बाद में मैं भी उसका साथ देने लगी.
हम दोनों एक दूसरे को किस किए जा रहे थे.
तभी मैंने अपना हाथ विशाल के पैंट में डाला और उसके लंड को महसूस करने लगी थी.
थोड़ी देर बाद हम दोनों ने किस करना बंद कर दिया.
विशाल अपने कपड़े उतारकर पूरा नंगा होकर मेरे सामने बैठ गया.
उसका लंड तना हुआ था.
उसने अपना लंड हाथ में लेकर आगे पीछे किया और मुझे इशारे से उसको चूसने को कहा.
मैं विशाल की तरफ चली गयी और उसका लंड हाथों से सहलाने लगी.
तब मैं उसका लंड मैं अपने मुँह के पास लाई और सूंघने लगी.
उसके लंड से बहुत अच्छी महक आ रही थी.
यह महक कामांध कर देने वाली थी.
पॉर्न मूवी में जैसे लड़की लड़के का लंड चूसती है, वैसे ही मैंने उसका लंड चूसना चालू कर दिया.
पहले मैंने अपनी जीभ की नोक से उसके लंड के टोपे को स्पर्श किया. मेरी जीभ के स्पर्श से विशाल का लंड एक बार मानो हिनहिनाया हो, ऐसे ऊपर नीचे हुआ.
मैंने अब उसके लंड के चारों तरफ जीभ फेरी तो उसकी मादक आह निकल गई.
थोड़ी देर तक उसका टोपा चूसने के बाद उसने मेरा सर पकड़ लिया और जोर से अपने लौड़े पर दबा दिया.
इससे उसका लंड मेरे मुँह में अन्दर तक चला गया.
मैंने कुछ नहीं किया और उसके लंड को चूसने का मजा लेती रही.
उसने फिर से मेरे सर और जोर से दबाया जिससे उसका लंड मेरे हलक तक अन्दर चला गया.
अब मेरी आंखों से आंसू आने लगे.
मैंने उसका लंड मुँह से निकालने की काफी कोशिश की लेकिन विशाल के ताकतवर हाथों की पकड़ से मैं ऐसा नहीं कर पायी.
थोड़ी देर ऐसे ही चलने के बाद उसने मेरे मुँह को चोदना बंद कर दिया और मुझे सीधा खड़ा कर दिया.
मेरे चेहरे से टपकने वाले आंसू उसने चाट लिए और मुझे किस करने लगा.
फिर उसने मुझसे पूछा- तेल या वैसलीन है क्या तेरे घर में?
मैंने सर हिला कर इशारे से हां कहा और बाथरूम से वैसलीन की डब्बी लेकर आ गयी.
उसने मेरे सारे कपड़े एक एक करके निकाले और एक बाजू में रख दिए.
अब उसने मुझसे घोड़ी बनने को कहा.
गांड पहली बार मरवाने के लिए मैं घोड़ी बनी तो विशाल ने बहुत सारी वैसलीन मेरी गांड के छेद पर लगा दी और उंगली अन्दर बाहर करना चालू कर दी.
पहले मुझे थोड़ा दर्द हुआ, तो मेरे मुँह से आह आह की आवाजें निकलना चालू हो गईं.
थोड़ी देर बाद उसने अपनी दूसरी उंगली भी अन्दर डाली.
मैं अचानक से आगे की तरफ हो हुई और गिर गयी.
तभी विशाल मेरे ऊपर लेट गया और मेरे कान में कहा- पहले कभी नहीं किया है क्या?
मैंने ना में सर हिलाया, तो वह हंस पड़ा.
फिर उसने मुझे किस किया और थोड़ी ज्यादा सी वैसलीन अपने लंड पर भी लगा ली.
उसने इशारा किया कि वापस कुतिया बन जा!
मैं बन गयी.
पहले उसने अपना चिकना लंड मेरी गांड के छेद पर फेरना शुरू किया.
मेरे अन्दर एक नशा छा गया.
मैंने भी अपनी गांड उठा कर उसे उसका साथ देने लगी.
तभी उसने मेरी गांड के छेद पर थूका और अपना लंड छेद पर सैट कर दिया.
मैं लंड के सुपारे की गर्माहट से गनगना उठी.
उसने मेरे सर को बिस्तर पर टिका दिया और मेरे दोनों हाथ पीछे कर लिए.
अब उसने कहा- तैयार रहना भोसड़ी वाली!
पहली बार उसने मुझे लड़की समझ कर गाली दी थी तो मुझे इतना सुखद लगा था कि क्या ही कहूँ.
उसने मेरे दोनों हाथ एक हाथ में पकड़े और दूसरे हाथ से खुद का लंड पकड़ कर छेद पर लगाए रहते हुए कमर से एक धक्का दे दिया.
एक ही धक्के में उसके लंड का टोपा मेरी गांड के छेद के पहले छल्ले को फैलाता हुआ अन्दर चला गया.
मुझे बहुत तेज दर्द होने लगा तो मैं तिलमिला उठी और उसकी पकड़ से छूटने की कोशिश करने लगी.
पर उसकी पकड़ तेज होने के कारण में छूट ही नहीं पाई.
थोड़ी देर बाद ऐसे ही रुके रहने के बाद उसने एक और तेज धक्का दिया.
इस बार उसका पूरा लंड मेरी गांड के अन्दर चला गया.
मुझे बहुत तेज दर्द हुआ.
मैं आगे की तरफ होती हुई गिर गयी.
मेरे मुँह से तेज चीख निकल गयी.
इससे विशाल डर गया और उसने मेरे दोनों हाथ छोड़ दिए.
विशाल पूरा मेरे ऊपर लेट गया.
एक हाथ से उसने मेरा सर पकड़ा हुआ था और दूसरे हाथ से वह मेरे मुँह को दबाने लगा था.
उसका लंड अभी भी मेरी गांड के अन्दर ही था.
उसने मेरे कान में कहा- चुप हो जा भैन की लौड़ी … वर्ना कोई सुन लेगा!
मैं शांत हो गयी.
जब मेरा दर्द कुछ कम हुआ तो मैंने अपनी गांड उठा कर विशाल को इशारा कर दिया.
अब वह धीरे धीरे करके अपनी कमर को आगे पीछे करने लगा.
मेरे मुँह से आह आह की आवाजें निकलने लगीं.
थोड़ी देर बाद विशाल ने अपनी गति तेज कर दी जिससे मुझे फिर से दर्द होने लगा.
पर इस बार मुझे मजा भी आने लगा था.
कुछ देर बाद विशाल ने मेरी गांड से अपना लंड निकाल लिया और मुझे सीधा कर दिया.
उसने मेरी दोनों टांगें हवा में ऊपर की और मेरी गांड के फैल चुके छेद में थूका.
मेरी गांड का फैल चुका छेद इतना बड़ा हो गया था कि उसके थूक का निशाना सटीक लगा और मुझे अन्दर उसके थूक की गर्मी बड़ी लज्जतदार लगी.
वह अपना लंड मेरी गांड में वापस डालकर मुझे चोदने लगा.
इस बार वह मुझे किस करते करते चोद रहा था.
मेरे मुँह से आवाज निकलना भी अब बंद हो गयी थी और मैं भी खुलकर मजा लेने लगी थी.
फिर विशाल ने चोदने की गति और बढ़ा दी.
कुछ देर बाद उसने अपने लंड का सारा माल मेरी गांड के अन्दर ही छोड़ दिया.
लंड से वीर्य निचुड़ जाने के बाद उसने मेरी गांड से अपना लंड बाहर निकाल लिया और एक तरफ लेट गया.
मैंने अपनी गांड के छेद को हाथ लगाया तो वह अब पहले से ज्यादा बड़ा हो गया था.
तब मैंने अन्दर उंगली डाली, तो विशाल का सारा गर्म माल मेरी उंगली पर आ लगा.
मैंने विशाल की तरफ देखा, तो वह आधी नींद में चला गया था.
मैं उठी और बाथरूम जाकर खुद को साफ करके बाहर आ गयी.
मैंने सोचा कि अब जब विशाल मुझे चोद चुका है तो लड़कियों के कपड़े पहनने में क्या संकोच.
मैं मन ही मन मुस्कुराई और तुरंत अपनी मम्मी के कमरे में जाकर ब्रा और पैंटी पहन ली.
बाद में विशाल के बाजू में आकर सो गयी.
सुबह जब मेरी आंख खुली, तो देखा कि विशाल किचन में था.
मैं फ्रेश होकर ब्रा और पैंटी में ही विशाल के सामने आ गयी.
उसने मुझे देखते ही अपनी बांहों में खींच लिया और मुझे किस करने लगा.
कुछ ही देर में हम दोनों गर्म हो गए और उसने सुबह सुबह ही मुझे पुनः चोद दिया.
मेरे घर वालों के वापस आने तक हम दोनों ऐसे ही चुदाई की मस्ती करते रहे.
मैं लड़कियों के कपड़े पहन लेता और विशाल मुझे रोज चोद देता.
ये गे सेक्स कहानी जिसमें मैंने गांड पहली बार मरवाई, आपको कैसी लगी, मुझे कमेंट्स में जरूर बताएं.