ब्रा पैंटी सेक्स कहानी में पढ़ें कि मैं पढ़ाई के लिए कमरा किराये पर लेकर रहता था. एक दिन मेरा हाथ मालकिन की ब्रा पैंटी लग गयी. मेरा लंड खड़ा हो गया. मैंने पैंटी में लंड रख कर मुठ मारी.
हाय फ्रेंड्स, मेरा नाम अचल है.
यह ब्रा पैंटी सेक्स कहानी उस वक्त की है, जब मैं कॉलेज में पढ़ाई करता था.
मैंने कॉलेज के पास ही एक अलग कमरा किराए पर लिया था.
उधर मैं अकेला ही रहता था.
आंटी के घर में जो छत थी, उसकी एंट्री अलग-अलग थी.
मैं अक्सर अपने कमरे की तरफ से छत पर जाने का रास्ता खोल कर रखता था, उधर से अच्छी हवा आती थी.
मेरे कमरे के मकान मालिक अंकल अपने काम में व्यस्त रहते थे तो सब काम आंटी करती थीं.
आंटी को देख मैं पहले दिन ही आकर्षित हो गया था क्योंकि आंटी एकदम भरे हुए बदन की थीं. मोटे मोटे 36 इंच के दूध और 42 इंच की मोटी सी गांड थी.
उनकी इस कामुक काया को देख किसी का भी लंड खड़ा हो सकता था.
मैं हर महीने का किराया समय से आंटी को दे देता था.
इससे आंटी खुश हो जाती थीं और वे मुझ पर भरोसा भी करने लगी थीं.
ऐसे ही एक बार सोसाइटी की फैमिली ट्रिप जा रही थी.
उसमें अंकल आंटी भी जा रहे थे.
आंटी ने मुझे कॉल करके बुलाया.
उन्होंने मुझसे कहा- कुछ काम है जल्दी आ जाओ.
मैं आंटी के पास आ गया.
जैसे ही मैं उनके पास गया, आंटी बोलीं- अचल हम लोग 2-3 दिन के लिए बाहर जा रहे हैं. ये ताला लगा कर चाभी अपने पास रख लेना. अभी मेरे रिश्तेदार आएंगे, तो उनको चाभी दे देना. अगर वे आज नहीं आए तो आज तुम हमारे घर में सो जाना. मुझे भी कॉल करके बता देना. कॉल करने में कोई समस्या नहीं है.
मैंने कहा- जी आंटी, आप टेंशन मत लो, आज मैं सारा दिन अपने कमरे में ही रहूंगा.
अंकल आंटी चले गए.
मैंने सारा दिन आंटी के रिश्तेदार के आने का इंतजार किया पर कोई नहीं आया.
रात हुई तो मैं सोने के लिए उनके घर में चला गया.
रात को सोने के पहले मैं हमेशा मोबाइल देख कर अपना टाइम पास करता हूँ.
मैं वही कर रहा था.
उस वक्त रात के 11 बज गए थे.
जब मुझे नींद आने लगी तो मैंने सोचा कि सोने से पहले वॉशरूम हो आऊं, फिर आकर सोता हूँ.
जैसे ही मैं वॉशरूम में गया और दरवाजा लगाया, मैंने देखा कि दरवाजे के पीछे आंटी ने अपनी ब्रा और पैंटी लटका रखी थी.
मुझे आंटी की ब्रा और पैंटी देखकर मन में लालच आ गया.
मैंने सोचा कि हस्तमैथुन करने का ये सही मौका है.
इसलिए मैंने सुसू की और आंटी की ब्रा और पैंटी लेकर बिस्तर पर चला आया.
मैं उनकी ब्रा और पैंटी की गंध महसूस करते हुए मुठ मारने लगा.
मेरे दिमाग में उस वक्त आंटी की मदमस्त कर देने वाली चूचियां और उनकी थिरकती हुई गांड की कल्पना ही चल रही थी.
कुछ ही देर में लंड एकदम से उत्तेजना से कड़क हो गया और जब सब्र नहीं हुआ तो मेरा माल आंटी की पैंटी पर लग गया.
मैं संतुष्ट तो हुआ लेकिन एक समस्या भी हो गई कि अब आंटी की पैंटी को साफ करना होगा.
मैंने पैंटी और ब्रा दोनों अपने पास रख लीं और सोचा कि अभी जल्दी क्या है, कल धोकर सूखने डाल दूँगा.
कुछ देर बाद मैं सो गया.
अगले दिन सुबह मुझे आंटी का कॉल आया.
उन्होंने कहा- हम लोग थोड़ी ही देर में आ रहे हैं. तुम कहीं बाहर हो तो आ जाओ. चाभी की जरूरत पड़ेगी.
यह सुनकर मैं घबरा गया कि आंटी ने दो तीन बाद आने का कहा था.
फिर सोचा कि अब मैं उनकी इस पैंटी का क्या करूं? यदि अभी धोकर रखूंगा तो पकड़ा जाऊंगा.
इसलिए मैंने ये तय किया कि इसे मैं अपने पास ही रखूंगा.
एक घंटा बाद आंटी घर आ गईं और मैंने चाभी दे दी.
आंटी ने पूछा- कोई प्रॉब्लम तो नहीं हुई ना?
मैंने कहा- जी नहीं.
अब मेरे पास आंटी की ब्रा पैंटी का सैट आ गया था और मैं लगभग रोजाना आंटी की ब्रा और पैंटी को लंड पर लपेट कर मुठ मार लेता था.
एक दिन मुझे दोपहर में बहुत मन हो रहा था कि आज लंड हिलाया जाए.
मैं मुठ मारने के लिए अपने रूम में आ गया.
मुझे ख्याल नहीं था कि मेरी छत से नीचे आने वाला दरवाजा खुला है.
मैं हमेशा की तरह आंटी को इमेजिन करते हुए मुठ मार रहा था और बहुत जोर जोर हाथ चला रहा था.
लौड़े को हिलाने में मैं इतना ज्यादा खो गया था कि मुझे पता ही नहीं चला कि आंटी मुझे छत के खुले दरवाजे से देख रही हैं.
मैं आंटी की पैंटी को लंड पर लगा कर जोर जोर से मुठ मार रहा था.
अचानक से मेरी नज़र दरवाजे पर गयी.
मैंने उन्हें सामने देखा तो गांड फट गई और आंटी को देख कर मेरा पसीना छूट गया.
तब मैंने झट से एक तौलिया लंड पर रखा और अपराध भाव से आंटी की तरफ देखने लगा.
आंटी ने मुझे गुस्से से देखते हुए कहा- मुझे अभी मेरे घर पर आकर मिलो.
मैं आंटी को सॉरी बोलता रहा और आंटी ने कुछ नहीं सुना.
वे बोलीं- घर आओ, मुझसे बात करनी है.
मैं डर गया कि अब क्या करूँ. साली एक झटके में पूरी इमेज खराब हो गई.
ऐसे ही साफ सफाई करके डरते हुए मैं आंटी के घर चला गया.
दरवाज़े की घंटी बजाई तो आंटी ने आकर दरवाज़ा खोला और गुस्से से देखती हुई मुझसे बोलीं- अन्दर आ जाओ, बैठो … तुमसे बात करनी है.
मैं बैठ गया.
आंटी- अचल ये क्या कर रहे थे तुम?
मैं- आंटी सॉरी, अब ऐसा नहीं होगा.
आंटी ने गुस्से से पूछा- मैंने पूछा कि तुम कर क्या रहे थे?
मैं- आंटी व…वो हस्तमैथुन कर रहा था.
आंटी गुस्से से बोलीं- वो मैंने देख लिया था. मगर तुम मेरी ब्रा और पैंटी को लेकर वो सब क्यों कर रहे थे? आ जाने दो अंकल को आज … उन्हें बताऊंगी कि तुम कैसे हो!
मैं- आंटी सॉरी, मुझे माफ़ कर दो. मैं आगे से ऐसा नहीं करूंगा. आप जो कहेंगी, मैं वो ही करूंगा. प्लीज अंकल को मत बोलना.
आंटी- अगर उन्हें नहीं बोलूंगी तो पता कैसे चलेगा कि तुम कैसे हो!
मुझे चक्कर आ गया और मैं ‘आंटी सॉरी …’ बोलता रहा.
आंटी- ठीक है, लेकिन आज के बाद ऐसा नहीं होना चाहिए. आज से मैं जैसा बोलूंगी, तुम्हें वैसे ही रहना होगा!
मैं- ठीक है आंटी.
मैंने धीरे से आंटी से कहा- आपकी ब्रा और पैंटी?
आंटी- उसको शाम को लाकर दो. मुझे उसको फेंकना है.
मैं- ठीक है आंटी.
मैंने अपने रूम में जाकर जल्दी से आंटी की ब्रा और पैंटी को धोकर रख दिया.
सिर्फ आज एक रात निकलना था कि मैं डर गया कि कहीं आंटी अंकल को बोल ना दें.
रात निकल गई, कुछ नहीं हुआ.
मैंने सोचा कि चलो अब बच गया.
मैं नहा धोकर तैयार हुआ और कॉलेज जाने लगा.
उसी समय आंटी का कॉल आया.
मैंने घबरा कर कॉल रिसीव किया.
आंटी- अचल मेरे घर आओ.
मैं- आंटी, वो मैं कॉलेज जा रहा था.
आंटी गुर्रा कर बोलीं- क्या भूल गए … कल तुमने क्या वादा किया था कि मेरी सब बात मानोगे!
मैं- जी, सॉरी … मैं बस अभी आया.
मैंने जल्दी से जाकर उनकी डोरबेल बजाई.
आंटी ने दरवाजा खोला.
मैंने देखा और हैरान सा हो गया.
आज आंटी कुछ ज्यादा ही हॉट लग रही थीं.
उन्होंने एक टाइट नाइटी पहनी हुई थी और इस नाइटी में उनकी कसी हुई गांड को देख कर उन्हें उधर ही पटक कर चोदने का मन करने लगा था.
आंटी- अन्दर आ जाओ.
मैं- जी आंटी, कुछ काम था क्या?
आंटी- मेरी ब्रा और पैंटी नहीं लाए. कहां है?
मैं- सॉरी आंटी देना भूल गया.
आंटी- ओके तुम बैठो.
वे अपने रूम में गईं और ब्रा-पैंटी अपने हाथ में ले आईं.
आंटी- आज फुल रेडी होकर जा रहे हो!
मैं- आंटी कॉलेज जा रहा था.
आंटी- अच्छा. अब मैं जैसा बोलूंगी, वैसा करना ओके. ये लो ब्रा-पैंटी. कल जो तुम कमरे में कर रहे थे, उसे रिपीट करो.
मेरे मन में लड्डू फूट रहे थे.
मैंने ब्रा और पैंटी हाथ में ले ली और अपनी ज़िप खोलकर हथेली में लंड को ब्रा से लपेटा और मुठ मारनी शुरू कर दी.
आंटी वासना से मेरे लौड़े की तरफ देखती हुई बोलीं- ऐसे नहीं, पहले नंगे हो जाओ … फिर करो.
मैं उनका आदेश सुनकर अपनी ड्रेस उतारने लगा.
आंटी- लंड भी मस्त है तेरा … लंबा और मोटा!
मैं समझ गया कि आज ये पक्का मेरे लौड़े से चुदने मचल रही है.
लेकिन साली डॉज न दे रही हो.
मैं- जी, ये आपको देख कर कड़क हो गया है आंटी!
आंटी- अच्छा!! मेरा क्या देख कर कड़क हो गया?
मैंने कहा- खुल कर बताना पड़ेगा.
वे बोलीं- तो बता ना भोसड़ी के … लंड तो दिखा ही रहा है और अब कहने में कैसी शर्म?
मैं- मेरा लंड आपके मोटे स्तन और मोटी गांड देख कर खड़ा और बड़ा हो गया है आंटी!
आंटी- उफ कम-ऑन मेरी जान. अब मुठ मारना शुरू करो!
मैं आंटी की पैंटी की सुगंध लेने लगा और ब्रा से अपने लंड को रगड़ने लगा.
आंटी मुझे देखती जा रही थीं और उनका लालच बढ़ता जा रहा था.
मेरे होंठों के गोल होते ही आंटी नें अपने स्तनों को अपने हाथ से धीरे धीरे मसलना शुरू कर दिया.
मुझे भी उत्तेजना बढ़ रही थी और मैंने आंटी का नाम लेकर जोर जोर से मुठ मारनी शुरू कर दी.
मेरा लंड देख कर आंटी से नहीं रहा गया और वे बोलीं- अचल, आज तू साले मेरा गुलाम है. मैं जैसा बोलूंगी, तुझे मुझको वैसे संतुष्ट करना होगा.
मैंने कुछ बोलने के लिए मुँह खोलना चाहा कि आंटी बोलीं- अगर मेरे कहे अनुसार नहीं करोगे, तो साले तेरे अंकल को सब बोल दूँगी.
अब तक मुझमें भी थोड़ी हिम्मत आ गई थी.
मैंने पूछा- अच्छा आंटी, ये तो बताओ कि अंकल आपको संतुष्ट नहीं करते क्या?
आंटी- वे सिर्फ मिशनरी में चोदना जानते हैं. दूसरे स्टाइल में चोदते ही नहीं हैं.
मैं आंटी के मुँह से चुदाई की बात सुनकर समझ गया कि आंटी को मुझसे खुली खुली बातें करने में अच्छा लग रहा है.
मैंने कहा- तो आप मुझसे कहें. मैं आपकी सब बात मानूँगा.
आंटी- क्या तू मुझे हर स्टाइल में चोदेगा! डॉगी, मिशनरी, काऊगर्ल … और जब मैं चाहूँ तब?
मैं- जी आंटी, आप जब बोलेंगी, तब चोद दूंगा. मैं आपको फुल सेटिस्फाई करूंगा.
इतना सुनते ही मैं जहां पर बैठा था, आंटी उधर को आईं और मेरी गोद में बैठ गईं.
आंटी- चल मेरा मूड बना.
मैं ऐसे ही लंड खोल कर मुठ मार रहा था और आंटी मेरे लौड़े पर बैठ गई थीं.
मैंने उनको टाइट हग किया और किस करने लगा.
मैं- उम्म्म्म उम्म्म्म.
आंटी- आह हां मुझे और चूमो
मैंने उनके होंठों पर चुंबन किया ‘उम्मम.’
आंटी साथ देने लगीं- उफ्फ हां.
मैं- आंटी, तू तो मस्त गोल-मटोल माल है. तुझे चोदने में बहुत मजा आएगा.
आंटी- तू तो मुझे चोदेगा ही, लेकिन सिर्फ मेरे इशारे पर.
मैं उनके बाल पकड़ कर गर्दन पर किस करने लगा.
आंटी- आआहह मजा दे रहा है … कम ऑन और कर.
मैंने धीरे से उनके स्तनों को नाइटी के ऊपर से मसलना शुरू कर दिया.
आंटी- आह हां और दबाओ … आह जोर से दोनों दूध दबा दे.
मैं आंटी के दूध दबाता रहा और उनकी गर्दन पर चुंबन करता रहा.
आंटी- उफ्फ़ बहुत मजा आ रहा है.
मैं- हां आंटी आज आपको बहुत मजा दूंगा. बस आप देखती जाओ.
आंटी- अचल क्या मेरे दूध नहीं चूसेगा!
उनके इतना बोलते ही मैंने आंटी की नाइटी को उतार दिया.
क्या लग रही थीं आंटी … उनके गोरे गोरे बड़े बड़े दूध मुझे बेहद कामुक कर रहे थे.
मैं- आह आंटी, दूध तो क्या … आज तो आपका सब कुछ चूस कर रहूँगा.
आंटी- आह हां आ जाओ और जोर जोर से चूसो मेरे दूध … उफ्फ़.
मैंने आंटी की ब्रा को निकाल दिया और जैसे ही ब्रा निकली, उनके बड़े और मोटे स्तन बाहर आ गए.
मैंने देखा और आंटी ने एक दूध को अपने हाथ से पकड़ कर मेरे मुँह में डालकर चुसवाना शुरू कर दिया.
आंटी- उफ आह … चूस लो इसे.
मैं जोर जोर से चूसने लगा और आंटी मेरा सर अपने मम्मों पर दबाने लगीं.
आंटी- आह हां, अचल मेरी जान आह साले चूस लो भोसड़ी के.
अब तक मेरा लंड बहुत बड़ा हो गया था.
मैं आंटी की चूचियों से नीचे आ गया और उनकी पैंटी को चूसने लगा था.
आंटी- तेरा लंड चुभ रहा है … लगता है बहुत बड़ा हो गया है.
मैं- हां मेरी रांड … तेरी चुदाई के लिए लौड़ा तो फुल तैयार हो गया है.
आंटी- साले हरामी, मुझे रांड बोल रहा है. भोसड़ी के तुझे इतनी जल्दी मेरी चूत चोदने को नहीं मिलेगी. पहले मुझे तेरा लंड चूसना है.
इतना बोल कर आंटी उठ गईं और किचन में जाने लगीं.
मैंने कहा- किधर चली आंटी?
वे बोलीं- शहद लेकर आती हूँ.
आंटी अपनी गांड हिलाती हुई किचन की तरफ जा रही थीं तो पीछे से उनकी मोटी गांड देख कर मेरा लंड और बड़ा हो गया था.
मैं- आंटी तेरी गांड तो मस्त मोटी है. अंकल ने पीछे से तेरी बहुत चुदाई की होगी.
आंटी- वो मेरी चुदाई तो बहुत करते हैं, लेकिन सिर्फ मिशनरी पोज में करते हैं.
फिर आंटी हनी ले आईं और बोलीं- उधर टेबल पर टिश्यू पेपर रखे हैं, जरा ले आ.
मैं- जो हुकुम आंटी.
आंटी- टिश्यू से तेरे लंड को साफ करके पौंछूंगी.
उन्होंने लौड़े को पौंछ दिया और धीरे से मेरे लंड पर शहद टपका दिया और चूसना शुरू कर दिया.
उम्म् उफ्फ.
मैं- आह्ह कम ऑन आंटी … उफ्फ़ चूसो मेरा लंड!
आंटी- उन्ह मजा आ गया … आह उम्म आह्ह … मस्त लौड़ा है तेरा.
उनके लंड चूसने की कला से लग रहा था कि आंटी लौड़े चूसने में प्रोफेशनल रंडी हैं.
मैं- आआह हह आंटी, अंकल का भी ऐसे ही चूसती हो?
आंटी- हां, मैं उनका लंड बहुत चूसती हूँ उफफ आह्ह्ह्ह.
मैं- आह्ह आंटी अब कंट्रोल नहीं हो रहा.
मैंने अपने दोनों हाथों से आंटी के बाल पकड़े और मुँह को आगे पीछे करने लगा.
आंटी मेरे लंड को चूसती रहीं- आअहह उफ्फ … तेरा तो लंड अंकल से बड़ा है … आज ये मेरी चूत में जब घुसेगा, तो मजा आएगा.
मैं- आंटी कंट्रोल नहीं हो रहा. अब चूसना छोड़ो और ये बताओ कि कैसे चुदवाना है?
आंटी- मैं करूंगी और तू चुदेगा. चल आज से मैं तुझे हर स्टाइल में चोदूंगी.
मैं- जैसा चाहो, वैसे भी अब मेरा लंड आपका गुलाम है.
आंटी- तेरे अंकल मुझे डोमिनेट होकर चोदने नहीं देते, इसलिए मैं डोमिनेट करूंगी. चल आ जा बेड पर, लेट जा.
ये बोल कर आंटी ने मेरे दोनों हाथ बांध दिए.
मैं- आंटी, आज तो लग रहा है कि आप बहुत चुदोगी.
आंटी- मेरी चूत जब तक संतुष्ट नहीं होगी, तब तक तुझे चोदूंगी साले.
मेरे दोनों हाथ बंधे थे.
आंटी- अचल अब मैं पहले अपनी चूत चुसवाउंगी … तू तैयार है?
मैं- हां आंटी.
आंटी ने पैंटी निकाल दी तो मैं खुद पर कंट्रोल ही नहीं कर पा रहा था, उनको झपटने का मन कर रहा था लेकिन मेरे हाथ बंधे हुए थे.
आंटी धीरे से चूत को मेरे चेहरे तक लाईं और बोलीं- कम-ऑन चूस मेरी चुत.
मैं चूत चाटने की और चूसने की कोशिश करने लगा, लेकिन हर बार वे अपनी चूत को मेरी जीभ से टच करवा कर हट जा रही थीं.
आंटी को मुझे तड़पते देख कर मजा आ रहा था.
आंटी- कैसा लग रहा है?
मैं- आप बहुत तरसा रही हो.
आंटी- यही तो मजा है तरसने का.
इतना बोलकर आंटी मेरे ऊपर चढ़ गईं और उन्होंने अपनी दोनों टांगें मेरे कंधों पर रख कर मेरा मुँह अपनी चूत पर रख दिया.
अब वे बोलीं- चूस मादरचोद … चूत चूस भोसड़ी के.
मैं आंटी के मुँह से गाली सुनकर और उत्तेजित हो गया और चूत को जीभ से चाटते हुए चूसने लगा.
आंटी- आआ ह्हह्ह मां के लौड़े … उफ्फ़ अपनी मां चोद रहा है, वैसे चूस न भोसड़ी वाले … आह!
उत्तेजना में वे न जाने क्या क्या बड़बड़ा रही थीं और कराह रही थीं.
वे अपने दोनों हाथों से मेरा सिर भी दबाकर चूत रगड़ रही थीं- आह अचल चूस ले मेरी चूत को … आह आज तक ऐसा मजा नहीं मिला … आह और जोर से चाट हरामी … आह इतना मजा आज तक नहीं मिला.
मैं- आंटी, अब मेरा लंड और कंट्रोल नहीं कर सकता.
आंटी- कंट्रोल तो मुझसे भी नहीं हो रहा. आज तेरे लंड को चूत के अन्दर पूरा डलवा कर मैं तुझे चोदूंगी आह.
मैं- चलो आंटी. अब मत तरसाओ.
मैंने सोचा था कि आंटी मेरे ऊपर आकर मिशनरी चुदाई शुरू करेंगी.
पर आंटी मेरे ऊपर पूरी हावी होना चाहती थीं.
आंटी- ये ले और एक तकिया.
ये बोल कर उन्होंने मेरे सिर के नीचे तकिया रख दिया.
मैं- आंटी मेरे हाथ तो खोलो!
आंटी- नहीं, यही तो मजा है हावी होने का.
मैं- उफ्फ आंटी … चलो अब बहुत उत्तेजना हो रही है. प्लीज मेरा लंड अपनी चूत में ले लो.
आंटी- आज बहुत दिनों बाद ऐसा मज़ा मिल रहा है.
मैं- मेरी भी फैंटेसी पूरी होगी.
आंटी- अब जब भी बुलाऊंगी तब आ जाना … और सुन, अगली बार कुतिया बन कर चुदना है मुझे!
मैं- अंकल संतुष्ट नहीं करते क्या? इतनी हॉट चूत है आपकी … ऊपर से मोटी गांड. अगर मौका मिलेगा तो मैं आपको रोजाना चोदूंगा.
आंटी- अंकल जल्दी ही थक जाते हैं. वे मुझे हॉट भी नहीं देते और न ही हावी होने देते. जबकि मुझे डोमिनेट करना पसंद है. जैसा आज किया वैसे नहीं करने देते. अब जल्दी से तैयार हो जाओ और आ जाओ.
ये बोल कर आंटी चुदाई के लिए तैयार हो गईं.
उन्होंने मेरे लौड़े पर अपनी चूत टिकाई और ऊपर नीचे होने लगीं. मेरा मोटा लंड लेने में आंटी की चूत चिर सी गई थी.
वे बातें तो बहुत देर तक चुदाई की कर रही थीं लेकिन पाँच मिनट में ही उनकी चूत का झरना बह गया और वे मेरे ऊपर ढह गईं.
मैंने उन्हें अपनी मुँह से खूब चूमा और चाटा. मेरे हाथ बंधे थे तो सहला नहीं पाया.
कुछ देर बाद आंटी ने मेरे हाथ खोल दिए और मैंने उन्हें नीचे लिटा कर उनकी चूत को आधा घंटा तक बजाया.
वे मेरी स्टेमिना देख कर थर्रा गईं.
उसके बाद मेरी और आंटी का चुदाई का खेल हफ्ते में दो तीन बार होना शुरू हो गया.
मैं हर बार उन्हें अलग-अलग पोजीशन में चोदने लगा था.
वे भी मुझसे चुदना पसंद करने लगी थीं.
दोस्तो, अगली चुदाई की कहानी बाद में लिखूँगा.
अगली बार आंटी की चुदाई की कहानी मुख्य आकर्षण उनकी गांड की चुदाई का होगा.
आप अपने लंड और चूत संभाल कर रखें.
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