भाभी की बड़ी बहन की चूत फाड़ चुदाई

इंडियन लेडी सेक्स कहानी में मैंने अपनी सगी भाभी की बड़ी बहन को सेक्स के पटा कर खूब चोदा. वे विधवा थी और अपनी अन्तर्वासना का दमन कर रही थी.

दोस्तो, मेरा नाम राजकुमार है।
मैं प्रयागराज उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूं।

मेरी उम्र 24 साल है। मेरी हाईट 6 फीट है। मेरी बॉडी बहुत नॉर्मल सी है। मैं थोड़ा पतला हूँ।
इसी तरह मेरे लन्ड की लंबाई सामान्य के थोड़ी अधिक और मोटाई 2.5 इंच है।

अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली कहानी है जो एकदम सच्ची घटना है।
यह घटना पिछले साल दिसंबर में हुई थी।

यह इंडियन लेडी सेक्स कहानी मेरी भाभी की बड़ी बहन रजनी की है जिनके पति का देहावसान कैंसर की वजह से 2019 में हो गया था।
इनकी उम्र 36 साल है।
और फिगर ऐसा कि किसी का भी मन डोल जाए।
इनके 2 बच्चे हैं।

अपने पति की डेथ के बाद वे मायके में बच्चों के साथ रहने लगी हैं।
उनके अलावा केवल उनकी मां उनके साथ रहती हैं।

भाभी की शादी के बाद उनसे हम लोगों की बात कभी कभी हो जाती थी।

उनके पति की मृत्यु के बाद उनका एक बेटा हमारे घर रहकर पढ़ाई करने लगा है।
तब से हम लोगों की बातें कुछ ज्यादा होने लगी हैं।

एक दिन शाम को रजनी का फोन आया और बेटे की पढ़ाई के बारे में पूछने लगी।
फिर वे बोली- दिन भर घर पर बैठ कर बोर होती रहती हूं। तो फोन लगाकर लोगों से बात कर लेती हूं।
तो मैंने उनसे कहा- अगर ऐसी बात है तो आप मुझे रोज आधे घंटे के लिए फोन कर सकती हैं।

उसके बाद हम और रजनी दोनों लोग रोज बातें करने लगे।

शुरु में तो मैं पढ़ाई की बात और वे अपनी बीते दिनों के बारे में बात करती थी।
फिर धीरे धीरे बातें मेरी गर्लफ्रेंड पर आ गई।

मैंने रजनी पर लाइन मारते हुए कहा जब आपके जैसी भाभी हो तो गर्लफ्रेंड की क्या जरूरत है।
रजनी हंसकर बात को टाल गई।

उसके बाद से मैं रजनी को हंसी मजाक में अपनी गर्लफ्रेंड बोलने लगा और वे बुरा भी नहीं मानती थी, बस यही कहती- कोई अपनी उम्र की पटाओ।

धीरे धीरे हम डबल मीनिंग चुटकुले और जोक्स शेयर करने लगे और बातें करने लगे।

फिर धीरे धीरे हम सेक्स की बातें करने लगे।
तब रजनी ने बताया कि उन्होंने पहला सेक्स अपने पति के साथ ही शादी के बाद किया था।

इन बातों को सुनकर अब मैं मेरे मन में जल्द से जल्द उनको अपने लन्ड के नीचे लाने के लिए जुगाड़ सोचने लगा।

एक दिन मैंने मजाक में फोन पे उनसे कहा कि मुझे उनको चोदना है।
इस बात को सुनकर वे गुस्सा हो गई और बात करना बंद कर दी।

करीब एक हफ्ते बाद उनका फोन आया और बात हुई।
रजनी ने कहा कि मैं ऐसी बात दोबारा न करूं।

मैंने कहा- बचाकर क्या करोगी?
तो रजनी ने कहा- मैंने अपने पति के अलावा कभी किसी के बारे में नहीं सोचा!
मैंने कहा- अब सोचो।
वे कुछ नहीं बोली और बाद में धीरे धीरे फिर से सेक्स की बातें शुरू हुई।

कुछ ही दिनों में हम दोनों फोन पर ढेर सारी सेक्स की बातें करते और रजनी अपने एक्सपीरियंस मुझे बताती।

फिर हम दोनों अब फोन पर सेक्स करने लगे थे।
कभी वीडियो काल पर तो कभी फोन पर!

वीडियो कॉल पर रजनी को पूरी तरह नंगी देखकर मैं फोन सेक्स करता था।

रजनी के भरे हुए बदन और बूब्स को देखकर अब मुझसे बर्दाष्ट नहीं हो रहा था.
मैं जल्द जल्द रजनी को अपने लन्ड के नीचे लाना चाह रहा था।

रजनी का शरीर एकदम कसा हुआ है जैसे बड़ी नाजों से बनाया गया हो।

अब तक हम लोग सिर्फ फोन सेक्स से ही गुजारा कर रहे थे क्योंकि भाभी के घर जाने का कोई चांस नहीं मिल रहा था।

एक महीने बाद भाभी की मां 4 दिन के लिए अपने मायके जाने वाली थी।
रजनी ने फोन करके मुझे पहले ही बता दिया था।

और फिर रजनी का फोन भाभी के पास आया- अगले 4 दिन मैं घर पर अकेले रहने वाली हूँ तो राज को घर पर भेज दे।
अगले दिन सुबह भाभी ने मुझको अपने घर जाने को बोला।
मैं बहुत खुशी से जाने लिए तैयार था।

शाम को मैं 3 बजे घर से निकला।
रास्ते में जाते वक्त मैंने मेडिकल शॉप से कंडोम की 4 पैकेट और सेक्स की गोली ली।

मैं झूठ नहीं बोलूंगा, मैंने यह चुदाई सेक्स पॉवर बढ़ाने वाली दवा खाकर की थी।

5 बजे रजनी के घर पहुंच गया।
तब तक उनकी मां जा चुकी थी।

शाम को सबसे पहले पहुंच कर मैंने फ्रिज में बर्फ जमने के लिए रख दिया और फिर हम बात करने बैठ गए।
उनका छोटा बेटा मेरी मोबाइल में गेम खेलने लगा।

रात को रजनी ने खाना बनाया और तकरीबन रात 9 बजे हम तीनों ने खाना खाया.
मैंने साथ ही सेक्स की एक गोली खा ली और सोने के लिए एक ही कमरे अलग अलग तख्त पर लेट गए।

करीब आधे घंटे बाद उनका बेटा सो गया।
फिर रजनी धीरे से मेरे तख्त पर रजाई के अंदर आ गई।

और फिर हम दोनों एक दूसरे के जिस्म से खेलने लगे।
कभी रजनी मेरे गालों को चूमती तो कभी मैं रजनी के गालों को चूमता और चूचियां दबा देता, वे हल्की सी सी … सी … की आवाज निकलती।

इस तरह हम दोनों एक दूसरे के जिस्मों से खेलते खेलते कब आधे नंगे हो गए पता नहीं चला।
मैं सिर्फ अंडरवीयर और बनियान में और रजनी केवल ब्रा और पैंटी में थी।

फिर हम दोनों एक दूसरे को कस कर गले लगाया और किस करने लगे।

रजनी किस करने में एकदम माहिर थी.
एक पल ऐसा लगा कि जैसे वे मेरे होंठों को काट खायेंगी।
इधर मुझ पर भी अब दवाई का असर होने लगा था, मेरे अंडरवीयर में बने तंबू से महसूस हो रहा था।

मैं अब रजनी को जानवरों की तरह किस करने लगा था।
कभी उनके गले पर तो कभी कान और होठों पर मैं काट रहा था।

रजनी के मुंह से सिर्फ आह … आह … ईई … आह … सी … आह … सी … आह … आह … ईई … आह … सी … आह … सी … की कामुक आवाज़ें आ रही थी।

मैं गले से चूमते हुए चूचियों तक पहुंचा जो अब तक ब्रा में कैद थी।
मैंने एक ही झटके ब्रा को खींचा और पीछे से उसकी स्ट्रिप टूट कर रजनी की चूचियों पर लगी जिससे उसकी चीख … अरे मम्मी रे … निकल गई।

तब मैंने उसके गालों पर किस किया और चूचियों को दबाने लगा।

उनके मुंह से आह … आह … ईई … आह … सी … आह … सी … की आवाज़ें निकल रही थी।

अब मैंने उसकी दोनों चूचियों को हाथों से मसला और उनके मुंह से आह … सी … निकला।

फिर मैं रजनी की एक चूची को मुंह में लेकर तेजी तेजी चूसने लगा और दूसरे हाथ से दूसरी चूची को तेजी तेजी पूरे बल से दबा रहा था।

इससे उसके मुंह से केवल आह … आह … ईई … आह … सी … आह … सी … अरे मम्मी रे … आह … आह … आह … ईई … धीरे करो की कामुक आवाज़ें आ रही थी।
जो पूरे कमरे के माहौल को और भी रोमांटिक बना रही थी।

इन सिसकारियों से मुझ पर और भी नशा छा रहा था और मैं और भी तेजी से करने लगता था।
उनके मुंह से केवल कराहने और हल्की सिसकारियों की आवाज आ रही थी।

अब धीरे धीरे मेरा एक एक हाथ उनकी पैंटी पर गया जो काले रंग की थी।
मैंने पैंटी के ऊपर से ही चूत को मसल दिया जिससे उन्होंने चीख कर गर्दन उठा ली।

फिर मैं उठा और फ्रिज से जमाई बर्फ उठा लाया जो छोटे छोटे क्यूब आकार में थी।

बर्फ साइड में रख कर मैंने अपने एक हाथ से उनकी पैंटी उतार दी और चूत को सहलाने लगा।
और वे कमर उठा उठा कर साथ दे रही थी।
उनकी चूत बहुत गर्म हो गई थी।

तभी मैंने साइड में रखे एक बर्फ के टुकड़े को उनकी चूत में डाल दिया।
जिससे रजनी अपने हाथ पैरों को पटकने लगी।
लेकिन मैंने उस टुकड़े को बाहर नहीं निकलने दिया.

अब वे बिन पानी मछली की तरह तड़प छटपटा रही थी।
लेकिन मैंने उसे नहीं छोड़ा।

फिर मैंने थोड़ा नीचे आकर उनकी चूत पर अपने होंठ रख दिए जिससे वे चिंहुक उठी।

अब मैं अपने होंठों से उनकी चूत में घुसे उस बर्फ के टुकड़े इधर उधर करने लगा।
जब एक टुकड़ा पिघल जाता तो उसको मैं पी जाता।

इस बीच रजनी के मुंह से से सीत्कार निकल रही थीं- आह … आह … ईई … आह … सी … आह … सी … ऊ … या … चूस लो … खा जाओ … ये निगोड़ी चूत बहुत परेशान करती है … इसका भरता बना दो … आह … आह … ईई … आह … सी … आह … सी … ऊ … या … के आवाज निकल रही थी।

यह खेल तकरीबन 20 मिनट तक चला।
इस बीच वे 1-2 बार झड़ चुकी थी।

इसके बाद मैं एक साइड में लेट गया गया और किस करने लगा।

थोड़ी देर में मैंने उन्हें लन्ड चूसने को कहा मगर वे मना करने लगी।
मैंने ज्यादा जोर नहीं दिया।

फिर रजनी उठी और मेरे लन्ड को हाथ में लेकर हिलाने लगी और लन्ड के टोपे को आगे पीछे करने लगी।

उसने पास रखे कंडोम को उठाया और लन्ड पर लगाकर लेट गई और मुझे ऊपर आने का इशारा किया।
मैं उसके ऊपर लेट कर उसको किस करने लगा।

फिर लन्ड को चूत पर घिसने लगा जिससे वे और उत्तेजित होने लगी और गांड़ उठा कर चूत में लन्ड लेने की कोशिश करने लगी.
वे मुंह से आह … आह … ईई … आह … सी … आह … सी … ऊ … या … कर रही थी।

फिर मैंने अपने लन्ड को चूत के मुंह पर एक झटका मारा लेकिन लन्ड चूत के बाहर छिटक गया।
इस पर रजनी हंसने लगी, बोली- तुमसे ना होगा।

इस पर हंस पड़ा और बोला- रुको, अभी तुम्हारी चूत फाड़ता हूं।
वे बोली- मेरी चूत फाड़ के दिखाओ तो मैं तुम्हारी भाभी की चूत भी तुमसे फड़वा दूंगी।

मैंने उससे शर्त लगाई कि उनको भाभी की चूत दिलानी पड़ेगी।
वे मान गई।

इस बार मैंने लन्ड को चूत के मुंह पर सेट किया और एक जोर का झटका लगाया।
लन्ड आधा उसकी चूत में जाकर फंस गया।
उनको बहुत दर्द हुआ।

रजनी जोर से चीखने लगी, बोली- लन्ड बाहर निकालो, बहुत जलन हो रही है.
वे इधर उधर सर पटक रही थी … मुझको पीछे करने की नाकाम कोशिश कर रही थी और जोर जोर से चीख रही थी.

लेकिन मैंने एक हाथ से मुंह पकड़ रखा था।
मैं आधा मिनट रुका तो रजनी ने चीखना कम किया।

मैंने लन्ड को थोड़ा बाहर निकाला और एक जोरदार झटका लगाया।
और मेरा लन्ड चूत तो फाड़ता हुआ अंदर बच्चेदानी जा टकराया।

इस पर रजनी बहुत जोर से चीख पड़ी और मुझसे चिपक गई.
उन्होंने मेरे गले पर काट लिया और अपने नाखून मेरे पीठ में गड़ा दिये और रोने लगी।

वे बोली- प्लीज … निकालो बाहर एक बार … बहुत लम्बा और मोटा है तुम्हारा … बहुत दर्द कर रहा है।
मगर मैं रुका नहीं, मैं उनको बिना रुके चोदने लगा.

वे सिर्फ ‘आह आह आह’ करके कराहे जा रही थी.

थोड़ी देर बाद जब वे नॉर्मल हुई तो गांड उठा कर लन्ड के ताल से ताल मिला रही थी।
और पूरे कमरे से फच्च … फ्चा … फच्च … की आवाज़ आ रही थी।

वे मजे से सीत्कारें भरने लगीं- आह … पूरा पेलो आह मजा आ रहा है. और चोदो … अन्दर तक लंड पेलो … मेरी बच्चेदानी में छेद कर दो … आह, फाड़ दो मेरी चूत को!
मैं भी जोश में आ गया- आह ये लो और अन्दर लो … आज के बाद तुम मेरी बीवी हो … आह अह!

रजनी- आह जान, ऐसे ही पेलो. मेरा जीवन धन्य हो गया … आज पहली बार इतनी देर तक चुदी हूँ. आह फाड़ डालो आज मेरी चूत को!

उनके मुंह से निकल रहा था- ऊँ … हहूँ … ओह … हाय रे … वॉव … हां … हो … ओहो … आये हाय और चोदो … बाप रे बाप … फाड़ डालो मेरी बुर … हूँ … ओ … हो … क्या मस्त लौड़ा है तेरा … ऊँहूँ … हो … आ … आहां … बड़ा मज़ा दे रही है। हाय जवानी तो बड़ी कुत्ती चीज है बुरचोदी!

फिर मैंने कहा- अब मैं तुझे घोड़ी बनाकर चोदूंगा, डॉगी स्टाइल में चोदूंगा।
वह बोली- जैसे चाहो, वैसे चोदो पर चोदो, रुको नहीं, चोदे जाओ।

मैंने उसे नीचे उतारा और एक गद्दा डाल कर उसे घोड़ी बना दिया।
तब मैंने लौड़ा पीछे से पेल दिया।

अब मैं अपने दोनों हाथों से उसकी कमर पकड़े हुए दनादन चोदने लगा; पूरा लौड़ा घुसा घुसा कर चोदने लगा।
वे भी चुदाई में पूरा साथ देने लगी।

मैं झटके पर झटके मारे जा रहा था और वे हर झटके का जबाब दे रही थी।

पन्द्रह मिनट में ही रजनी दो बार झड़ चुकी थी और मेरा अभी हुआ नहीं था.

लगभग 25 मिनट की धकापेल चुदाई के बाद मैं झड़ गया और रजनी के ऊपर लेट गया।

थोड़ी देर बाद रजनी उठी और कंडोम निकाल दिया.
वे लन्ड को मुंह में लेकर चूसने लगी।

मैं सोच रहा था कि जो अभी तक चूसने के लिए तैयार नहीं थी, वो अचानक रण्डी की तरह मेरा लंड चूस रही थी।
मैं एकदम मस्त था।

थोड़ी देर में मेरा लन्ड फिर से खड़ा हो गया और वे लन्ड के ऊपर बैठ कर चुदाने लगी।

मैं उनकी दोनों चूचियों को हाथ में लेकर दबा रहा था।
तभी रजनी तेज तेज लन्ड पर कूदने लगी- चोदो मुझे … आह … आह … उह … उह… हाय तौबा… मेरी चूत … और चोदो़ मुझे … फाड़ दो मेरी चूत को … साली बहुत परेशान करती है … हमेशा लंड मांगती रहती है … और चोदो मुझे. आज से मैं तुम्हारी रखैल बन कर रहूँगी. बस मुझे ऐसे ही चोदते रहना।

इंडियन लेडी सेक्स में मेरे लंड पर कूद रही थी और मुझे जहाँ तहां काट रही थी।
थोड़ी देर के लिए तो मुझे उनसे डर ही लगने लगा था।

फिर मैंने भी उनके मम्मों को मुख में भरा और दूसरे को हाथ से दबाने लगा।
इस पर वे और तेजी से मेरे लंड पर उछल कूद करने लगी और ‘आअ या ऊंह उम्म … आआआह … आआ ऊंह उम्म … आआआह … आआह … ऊंह उम्म … आआआह …’ कर रही थी।

दोस्तो, सच बताऊं तो मुझे मजा भी आ रहा था और थोड़ा डर भी लग रहा था।
जिस तरह से रजनी मेरे लंड पर कूद रही थी।
अब मैं उनकी नहीं, वे मेरी चुदाई कर रही थी।

करीब 15 मिनट बाद वो जोर जोर से चिल्लाने लगीं- आ अया … आ … ह हाए मम्मी … हाए मम्मी मर गई आ अया … आज मर गई आह बचा लो … मम्मी! … आंह आई आईआई … अहह … उम्म्म … हम्म्म!
ऐसे करती हुई झड़ गई और मेरे ऊपर लेट गई।

अब मैं नीचे से धीरे धीरे उसकी चुदाई करने लगा.
वे मेरे ऊपर लेटी हुई मुझे किस कर रही थी.

तभी मैंने उनको लेटाया और मैं उनके ऊपर आकर उनकी चुदाई करने लगा.

मेरा भी होने वाला था … तो मैं और तेजी तेजी झटके मारने लगा।
हर झटके पर वे पूरा सिहर जाती और मुख से आवाज़ आ रही थी- हाय मम्मी … मर गई. आह … आह … उम्ह!

करीब 5 मिनट की चुदाई के बाद मेरा भी पानी निकल गया और मैं उनके साइड में उन्हें गले लगाकर लेट गया।

उसके बाद हमने लगभग आधे घंटे तक बातें की.
कि कैसे उसकी पहली चुदाई हुई थी जो उसके पति ने की थी.
और कितने लोग उन पर लाइन मार रहे थे।

इसी बीच मैंने उन्हें उनके किये वादे को याद दिलाया कि उन्हें अब मेरी भाभी को भी मेरे लंड के नीचे लाना है।

उन्होंने कहा- ठीक है, मैं तुम्हारी भाभी को भी तुमसे चुदवा दूँगी. लेकिन अगले तीन दिन तुम मेरी जमकर चुदाई करो और मेरी चूत को भोसड़ा बना दो.

मैंने खुशी से उसे चूम लिया।

मुझे अपनी भाभी के बारे में सोचकर एक अलग सी ही खुशी हो रही थी।

हो भी क्यों ना … मेरी भाभी तब्बू जैसी दिखती है … एकदम कड़क माल 34-32-36 की।

उस रात और अगले तीन दिन मैंने और रजनी ने खूब सेक्स किया।
तीन दिन के बाद रजनी के चेहरे पर एक अलग ही निखार था।

इसके बाद रजनी ने अपने वादे अनुसार भाभी की चूत का भी मुझसे भोसड़ा बनवाया और गांड मरवाई।

उसके बाद अब रजनी मेरे घर आकर मैं, भाभी और रजनी मिल कर खूब चुदाई करते।
फिर कभी जब भाभी मायके जाती तो मैं भी पहुँच जाता और तीनों घमासान चुदाई करते।

लेकिन ये सब कहानी मैं आपके इस कहानी के फीडबैक के बाद लिखूंगा कि कैसे मैंने एक ही बिस्तर पर भाभी और रजनी की चूत और गांड का भोसड़ा बनाया।

आपको यह इंडियन लेडी सेक्स कहानी कैसी लगी, जरूर बताएं।
धन्यवाद
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