प्यासी भाभी की कसी चूत का मजा मुझे मेरे पड़ोस में रहने वाली एक भाभी से मिला जिनके पति दूर शहर में काम करते थे और भाभी की चुदाई की प्यास नहीं मिटती थी. भाभी ने मुझे पटा लिया.
मेरा नाम रवि है.
आज मैं आप लोगों को अपनी स्वयं की एक घटना लिख रहा हूं.
इस घटना में मैं अपने बगल की ललिता भाभी और अपनी सेक्स कहानी के बारे में बता रहा हूं.
यह बात 2018 की है, जब मैं एम ए कर रहा था तब मैंने प्यासी भाभी की कसी चूत का मजा लिया.
ललिता भाभी दो बच्चों की मां हैं.
उनके पति कोलकाता में रहते थे.
वे साल भर में एक बार आते और 10-15 दिन रह कर चले जाते थे.
भाईसाहब अपनी पत्नी की जवानी की प्यास को पूर्ण रूप से शांत किए बिना ही वापस चले जाते थे.
भाभी एकदम प्यासी रह जाती थीं और भाभी अपनी इसी प्यास को बुझाने के लिए मेरी तरफ आकर्षित होती चली गईं.
ललिता भाभी बहुत सुंदर थीं.
उनकी छातियां तो जैसे मेरे लौड़े पर कहर बरपाती थीं.
शुरुआत भी उन्होंने ही की.
जब भी मैं उनके घर किसी काम से जाता था तो वे जल्दी से मेरे बाजू में आकर खड़ी हो जाती थीं और मुझे पकड़कर चिकोटी काट लेती थीं.
मैं समझ नहीं पाता था कि भाभी यह क्यों करती हैं.
यह सिलसिला ऐसे ही चलता रहा.
एक दिन की बात है.
ललिता भाभी सुबह-सुबह मेरे कमरे में आईं.
वे मुझसे बात करती हुई धीरे-धीरे मेरे काफी करीब आ गईं.
बातों बातों में भाभी ने धीरे से शरारत करते हुए मुझे फिर से चिकोटी काट ली.
आज न जाने क्यों मुझे भी शरारत सूझी और मैंने भी उनके पेट में चिकोटी काट ली.
इस पर उन्होंने पलट कर तुरंत मेरे गाल पर चोटी काट ली.
जबाव में मैंने भी उनके गाल पर चिकोटी काट ली.
अब भाभी मेरे और ज्यादा करीब आ गईं और मेरे एक गाल पर अपने होंठ लगा कर मुझको चूम लिया.
मैं भी उनकी सुंदरता को देख अपने आप को रोक ना सका और मैंने उनके दोनों गालों को अपने हाथ में पकड़ा और उन्हें चूमने लगा.
वे भी मस्त होने लगीं.
भाभी के गाल को चूमते चूमते कब मैं उनके रस से भरे लाल-लाल रसीले होंठों को चूसने लगा, पता भी नहीं चला.
उनकी तरफ से भी हरी झंडी थी तो मैं समझ गया कि अब प्यासी भाभी की कसी चूत मुझे मिल जायेगी.
मैंने भाभी को चूसते चूमते उन्हें अपनी गोद में उठाया और पलंग पर लेकर चला गया.
उधर मैंने भाभी को लिटा दिया.
उन्होंने कोई विरोध नहीं किया.
हम दोनों ने एक दूसरे को बहुत चूमा.
ललिता भाभी के गदराए जिस्म की गर्मी और उनकी कोमलता ने मुझे कामुक कर दिया.
हम दोनों अपनी प्यास बुझाने में लग गए थे.
पर समय न सही ना होने के कारण भाभी दूर हट गईं और मुझसे रात में मिलने के लिए कह कर चली गईं.
मैंने उन्हें रोका और कहा- समय तो तय कर लो पहले!
वे मुस्कुरा कर बोलीं- जरा तड़फ दिखाओ ना पहले!
मैंने कहा- अरे तड़फ देखना है तो अभी ही नहीं जाने दूँगा.
वे कहने लगीं- अरे बाबा, रात दस के बाद मिलती हूँ.
मैंने उन्हें जाने दिया.
रात को 10:30 बजे मिलने के लिए कह कर भाभी चली गईं.
रात को 10:30 बजे भाभी ने फोन किया और कहा कि कहा- बच्चे सो गए हैं, मुझे नींद नहीं आ रही है. आ जाओ कितना इंतजार कराओगे?
मैंने कहा- क्यों तड़फ बढ़ गई है क्या?
भाभी हंस दीं.
फिर मैंने कहा- बस अभी आता हूँ.
मैं उनके घर पहुंच गया.
उन्होंने दरवाजा खोल कर मुझे अन्दर कर लिया.
लाल बल्ब की रोशनी में ललिता भाभी का गदराया बदन मुझे अपने आगोश में लेने के लिए तड़प रहा था.
मेरा भी यही हाल था.
उनके शरीर से आती इत्र की खुशबू मुझे भी मदहोश कर रही थी.
वे मुझे पकड़ कर अपने पलंग पर ले गईं और लेट गईं.
उनका शरीर फूल की तरह महक रहा था उनके लाल-लाल होंठों से जैसे मीठा शहद टपक रहा था.
वे अपनी आंखें बंद की हुई लेटी थीं और इंतजार में थीं कि कब मैं उन्हें अपने आगोश में लेकर उनके होंठों को चूसना शुरु करूँगा.
मैं भी खुद को रोक न सका और लपक कर उनके ऊपर चढ़ गया.
उनके नर्म नर्म होंठों को चूसने लगा.
मैं उनके गालों को और होंठों को लगातार चूस रहा था.
वे मुझसे कसकर लिपट गईं और उनके होंठ मेरे होंठों से जुड़ गए.
भाभी के रसभरे होंठों का स्वाद ऐसा था, जैसे वसंत ऋतु की मधु.
मैं उन्हें पीकर मदहोश हो गया.
अब भाभी अब मेरे चेहरे को पकड़ कर अपनी बड़ी बड़ी छातियों पर ले गईं और दबाने लगी.
खुद अपने हाथ से अपने ब्लाउज का बटन खोल दिया और बोलीं- आ जाओ मेरी जान रवि, इन्हें चूसो और दबाओ … ऐसा कभी देखा है क्या?
सच में इतनी मस्त और गदरायी हुई छातियां कभी देखी ही न थीं.
उनमें तो आग लगी हुई थी.
पहले मैंने जी भर कर भाभी के चूचे दबाए और उसके बाद एक को मुँह में दबा कर चूसने लगा.
भाभी की छातियां ऐसी लग रही थीं, जैसे अभी अभी ब्रा को फाड़ कर निकल आएंगी.
मैंने भाभी के दोनों मम्मों को चूसते चूसते उनकी ब्रा का हुक खोल दिया और उन्हें आजाद कर दिया.
भाभी की छातियों को मैंने जीभर कर चूसा और पिया.
वे बोलीं- अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है रवि … मेरी प्यास बढ़ती जा रही है. जल्दी से कुछ करो.
मैंने उनकी प्यासी आंखों में वासना से देख कर कहा- और क्या करूं?
वे बोलीं- जब तक तुम मुझे कसकर नहीं पेलोगे, मेरी प्यास नहीं बुझेगी. तुम मुझे अपनी बांहों में भरकर अपने मोटे लंड से जमकर पेल दो. तभी मेरी प्यास बुझेगी.
मैंने भाभी की भावनाओं को समझ कर उनके जिस्म से साड़ी और पेटीकोट निकाल दिया और उन्हें पूरी नंगी कर दिया.
भाभी का गदराया जिस्म मेरे सामने एकदम संगमरमर सा दमक रहा था; सुनहली आग की तरह धधक रहा था.
चुदास में भाभी बिन पानी मछली की तरह तड़प रही थीं और मुझसे कह रही थीं- और क्यों तड़पा रहे हो. ऐसी भरपूर जवानी को नंगी देख कर भी तुम्हारे मन में कुछ नहीं हो रहा है. आ जाओ मेरे सनम … मुझे पकड़कर कसकर पेलो मुझे … आओ और पकड़ कर मुझे जमकर के चोदो. मेरी चूत में आग लगी है … देख नहीं रहे हो, साली चूत कितना पानी निकाल रही है आह जल्दी से पेलो ना … अब बर्दाश्त नहीं होता.
मैंने तुरंत अपने कपड़े निकाले और उनके गदराए जिस्म पर लेट कर उनके स्तनों पर, गालों पर, होंठों पर किस किया और होंठों के रस को पीने लगा.
उनकी चूत से पानी टपकने लगा.
उनकी चूत पानी से एकदम गीली हो गई.
मैं चूत में उंगली डाल कर रस को महसूस करने लगा.
ललिता भाभी कसमसा कर बोलीं- अब तड़पाओ मत … जल्दी से मुझे कसकर पेल दो ना!
मैंने उनकी दोनों मखमली जांघों को फैला दिया और उनकी टांगों के बीच में खुद को सैट करके अपने लंड को उनकी चूत के छेद पर सैट कर दिया.
फिर अपने सीने से उनकी गदराई हुई दोनों चूचियों को दबाया.
भाभी की रसभरी चूचियां मेरे सीने को बहुत आनन्द दे रही थीं.
उनके सीने को अपने सीने से दबाने के बाद मैंने भाभी के होंठों को अपने होंठों से कैद किया और दबाकर चूसने लगा.
उनकी जीभ को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा.
उस वक्त मेरे लंड के सुपारे ने भाभी की चूत को अपनी गर्मी से पिघलाना शुरू कर दिया था.
भाभी खुद भी अपनी कमर को चलाती हुई मेरे लंड को किसी तरह से अपनी चूत की फाँकों में सैट कर लेना चाहती थीं.
मुझे भी लंड को उसकी चूत से मिलाने की व्यग्रता होने लगी थी.
उस वक्त मैं चाहता, तो अपने हाथ से लंड को चूत के मुँह में लगा कर पेल सकता था. लेकिन मैंने अपने लंड को उनकी चूत में खुद ही घुसने की बात ठान ली थी.
बड़ा ही मस्त चल रहा था.
मैं अपने सीने से भाभी के दूध मसल रहा था और उनके होंठ अपने होंठों से दबा कर चूस रहा था.
भाभी भी मेरे साथ यही सब करती हुई अपनी कमर चला रही थीं.
उनकी कसमसाहट चूत के छेद में लंड को घुसवा लेने की थी.
लगातार ऐसा करने से लंड एकदम फौलाद हो गया था और वह खुद भी चूत को फाड़ कर उसकी धज्जियां उड़ाने के लिए उतावला हो उठा था.
भाभी कुछ कह नहीं पा रही थीं क्योंकि उनके होंठ मेरे होंठों से बंद थे लेकिन वे जिस तरह से अपनी कमर हिला कर चूत में लंड लीलने का प्रयास कर रही थीं, उससे साफ समझ आ रहा था कि आज महीनों बाद भाभी की चूत में लंड जाने वाला था.
मैंने उनकी जीभ को चूसते चूसते ही अपने लंड को भाभी की चूत में फंसा दिया.
जैसे ही लंड से छेद का अहसास किया, मैंने धक्का देकर जोर से पेल दिया.
चिकनी चूत में लंड ने एकदम से घुस कर अपना मोटा तना उस कसी हुई चूत में फंसा दिया था.
मुझे खुद भी लगा कि किसी कुंवारी चूत में मैंने लंड पेल दिया है.
मगर चूत की चिकनाहट ने लंड का साथ दिया और भाभी की संकरी चूत चिरती चली गई.
लंड ने भी मेरे बाहुबल का सहारा लेते हुए चूत की जड़ में जाकर ही दम लिया.
आज महीनों बाद इतना बड़ा और मोटा लंड प्यासी भाभी की कसी चूत में गया, तो वे तड़प उठीं.
वे कसमसाती हुई खुद को मुझसे छुड़वाने की कोशिश करने लगीं.
पर मैंने उन्हें हिलने का मौका ही नहीं दिया.
उनके होंठ मेरे होंठों से दबे हुए थे, वे चिल्ला भी न सकीं.
मैं उन्हें जोर जोर से पेलने लगा और कुछ ही पलों बाद वे मस्त हो गईं.
मैंने उनके होंठ छोड़ते हुए कहा- अब बताओ कितना जोर से पिलावाओगी!
वे हंसने लगीं.
मैंने उन्हें जोर-जोर से पेलने लगा.
भाभी तो जैसे मदहोश होकर मुझसे लिपट गई थीं.
वे अपनी जांघों से मेरी जांघों को सांप की तरह लपेट कर मुझसे चुदवा रही थीं.
उनका यूं लिपट कर चुदवाना मुझे बहुत अच्छा लग रहा था.
भाभी की चूत से पानी की धार बहने लगी थी.
उससे लंड और भी तेज रफ्तार से अन्दर बाहर होने लगा था.
भाभी के रसभरे होठों से रस की बौछार होने लगी थीं.
चुदासे स्वर में भाभी बोलीं- आज पहली बार इस प्रकार से कोई मुझे जमकर पेल रहा है. आज मेरा प्यारा रवि मेरी जवानी का रस पीते हुए मुझे जोर से पेलकर ठंडा कर रहा है.
काफी देर तक मैंने भाभी को जमकर पेला.
उनकी चूत से तीन बार पानी की धार बह चुकी थी.
अब मेरा होने वाला था.
मैंने भाभी को और कसकर पकड़ा, उनके होंठों को अपने होंठों से लेकर चूसते हुए जोर-जोर से पेलने लगा.
भाभी भी किसी जौंक की तरह से मुझसे लिपट गईं और बोलीं- मेरा फिर से पानी निकलने वाला है.
मैंने कहा- मेरा भी!
हम दोनों ने एक दूसरे को कसकर पकड़ लिया.
मैं जोर-जोर से भाभी को पेलने लगा.
करीब 20 धक्कों के बाद मैंने उनकी चूत में अपना वीर्य गिरा दिया और उनके होंठों को चूसते हुए मीठे शहद को चूसने लगा.
भाभी ने भी गर्म गर्म पानी छोड़ा, जो मेरे लंड को गर्माहट का अहसास दे रहा था.
भाभी मुझसे पेलवा कर एकदम ठंडी हो गई थीं.
उसके बाद उस रात मैंने भाभी को दो और बार चोदा और उनके नंगे बदन से ही लिपट कर सो गया.
आपको मेरी प्यासी भाभी की कसी चूत की सेक्स कहानी कैसी लगी, प्लीज बताएं.
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