ऑफिस वाली लड़की की घर पर चुदाई

यह Xxx ऑफिस चुदाई कहानी है मेरे साथ काम करने वाली एक शादीशुदा लड़की की. वह मेरे साथ अच्छे से व्यवहार करती थी. एक दिन उसने मुझे पैसे मांगे.

मेरा नाम हर्षल है और मैं एक ऑफिस में काम करता था.

मेरे ऑफिस में मेरे साथ काम करने वाली तृप्ति को मैंने कैसे चोदा या ये कहो वह मेरे घर आकर मेरा लंड अपनी चूत में लेने को कैसे राजी हुई, यह उसी विषय पर आधारित Xxx ऑफिस चुदाई कहानी है.

वैसे तो मेरा और तृप्ति का ऑफिस अलग अलग था.
पर शायद ऊपर वाले की मर्जी थी जो मेरा अकेलापन उससे देखा नहीं गया.

मेरे बॉस ने मुझे और मेरे एक दोस्त को ऑफिस से दूसरे ऑफिस में भेज दिया.
यह दूसरा ऑफिस मेरे लिए नई जगह थी.

वहां काम करने वाले लोगों से उधर का काम अच्छे से नहीं हो पा रहा था इसलिए हमें उधर भेजा गया था.

मैं और मेरा दोस्त जब वहां गए तो वहां मेरी मुलाकात तृप्ति से हो गयी.
तृप्ति वहां नयी जॉईन होकर आयी थी.
वह दिखने में कुछ ज्यादा ही गोरी थी. वह काफी ज्यादा दुबली पतली भी थी और अपनी गांड काफी मटका कर चलती थी.

उसके मम्मों का आकार भी कुछ खास नहीं था.
देख कर लगता था कि शायद कभी उसके पति ने उसके दूध सही से दबाए ही नहीं होंगे.

अब मेरा काम काम ही ऐसा था कि मुझे हमेशा तृप्ति को काम के सिलसिले में अपने पास बुलाना पड़ता था.
इसलिए मैंने उसका नंबर लेकर रखा था.

जब भी मुझे उससे काम पड़ता तो मैं उसे कॉल करता या आवाज लगा देता था.

यह सब मैं आस-पास काम करने वाली और लड़कियों को ऐसे लगने लगा कि मेरा और तृप्ति का कुछ चक्कर है.

वे सब उसे चिढ़ाने लगे.
वहां काम करने वाली लगभग सभी लड़कियों की शादी हो चुकी थी, दो लड़कियां अविवाहित थीं, तो उनके बारे में मुझे जानकारी थी कि वे भी चुदी हुई थीं.

शादीशुदा लड़कियों का किसी के साथ चक्कर नहीं था जबकि अविवाहित लड़कियों का स्वभाव रंडियों जैसा था.

एक शाम तृप्ति ने मुझे कॉल किया और बताया कि लड़कियां क्या कह रही हैं.

मैंने भी उससे ऐसे ही मजाक में बोल दिया- हां, तुम मुझे पसंद हो. अगर तुझे मैं पसंद नहीं, तो मैं तुझसे बात नहीं करूंगा.
वह मुझसे हंस कर बोली- तुझे तो अपनी कोई परवाह है नहीं. पर मुझे तो है. आगे से जरा ध्यान रखा कर!

इसका मतलब यह था कि वह मुझे कहीं न कहीं पसंद करती थी.
वर्ना लड़कियों का यह स्वभाव होता है कि वे अपनी इज्जत पर बात आते ही मर्दों से कन्नी काट लेती हैं.

फिर तृप्ति तो एक शादीशुदा लड़की थी.
वह अपनी जिंदगी को किसी पचड़े में क्यों डालेगी!

अब हमारी रोज बात होने लगी.

यह बात फैलते हुए देर नहीं लगी.
जल्द ही उसके पति को जानकारी हो गई और वह शक करने लगा.

एक दिन उसने अपनी बीवी तृप्ति को मारा और उसके भाई ने मुझे भी धमकाया कि तृप्ति से बात नहीं करना है.

अब तक तो मेरे मन में तृप्ति के साथ कुछ ज्यादा करने का नहीं था.
पर जब उसके भाई ने मुझे धमकाया तो मैंने भी सोच लिया कि अब तो मैं तृप्ति को चोद कर ही रहूँगा.
अब मैं अवसर की तलाश में रहने लगा.

उस दौरान मैंने तृप्ति से बात करना भी कम कर दिया था.
शायद हम दोनों के बीच बातचीत का सिलसिला खत्म होने की खबर उसके पति को भी मिल गई थी तो अब ऑफिस में सब कुछ सामान्य हो गया था.

जल्दी ही मुझे तृप्ति को चोदने का मौका मिल गया.

हुआ यूं कि एक दिन पैसे को लेकर तृप्ति के पति के साथ उसका झगड़ा हो गया.
उसका पति उससे पैसे मांग रहा था.

इसी वजह से तृप्ति ने मुझे कॉल किया और पूछा कि क्या मैं उसे पैसे दे सकता हूँ.
उसे कुछ पांच हजार रुपए की जरूरत थी.

मेरे पास पैसे थे, पर मैं आज उसका फायदा उठाना चाहता था.

मैंने उससे कहा- तुझे मेरे घर पर आकर लेने पड़ेंगे.
उसने कहा- मेरे पति का और मेरा काफी झगड़ा हुआ है और उसने मुझे मारा भी है. अगर तुम मुझे पैसे देते हो, तो तुम जो चाहोगे, मेरे साथ कर सकते हो.

पहले तो मुझे यकीन नहीं हुआ कि तृप्ति मुझसे इस तरीके से बात कर रही है.
सच पूछो तो मुझे भरोसा नहीं हुआ कि तृप्ति ने ऐसा कैसे कहा.

फिर भी बात की गहराई को समझने के लिए मैंने उससे दुबारा पूछा- सब कुछ कर सकता हूँ … इस बात का क्या मतलब हुआ?
वह बोली- क्या तुम मूर्ख हो?

मैं हड़बड़ा गया और मैंने सीधे पूछते हुए कहा- मैं मूर्ख नहीं हूँ, पर तुम साफ साफ बताओ कि क्या मैं तुम्हें चोद भी सकता हूँ.
उसने मुस्कुरा कर हामी भर दी.

मैंने कहा- साली, नाटक मत करना कि मैं नहीं लूँगी … या झटके देने लगो.
वह बोली- साले झटके तो तुझे लगाने पड़ेंगे … मैं तो तेरे नीचे रहूँगी.

उसकी इस बात से मेरे लंड में झनझनी आ गई.

मैंने उसे घर आने का कहा और झट से पास के मेडिकल स्टोर जाकर उधर से कंडोम लेकर आ गया.

मैं तृप्ति के आने की राह देखने लगा.

करीब 30 मिनट बाद वह मेरे घर के पास आ गयी.

किसी को पता ना चले, इस तरह से वह मेरे घर में अन्दर आ गयी.
आज वह बड़ी बन संवर कर आई थी.

मैंने उसे बिठाया और उसके लिए पानी लाया.
वह बोली- ला दे पैसे?

मैंने कहा- देता हूँ पहले रसीद तो दे!
वह हंसने लगी.

हम दोनों कुछ देर तक यहां वहां की बातें करते रहे.
वह अपने पति के साथ हुए झगड़े के बारे में बताने लगी.

मुझे अपने शरीर पर आई चोटों के निशान दिखाने लगी.
उसने अपने ब्लाउज को गले से नीचे करके अपने मम्मों के पास पति के काटने के निशान दिखाए तो उसे दूध देख कर मेरा लंड कड़क होने लगा.

मैंने कहा कि तू मुझे निशान दिखा रही है या मेरा खड़ा कर रही है.
वह हंसने लगी.

अब हम दोनों के बीच मस्ती भरी बातें भी होने लगीं.

वह कहने लगी कि मैं तुझे बहुत पसंद करती हूँ, पर क्या करूं मैं शादीशुदा हूँ और एक सड़ी मानसिकता वाले आदमी की बीवी हूँ.

मैं इन सब बातों के दरमियान धीरे से उसके पास को सरक गया और उसे सहलाने लगा.
वह भी मेरे सीने से टिक गई और अपने बदन की गर्मी से मुझे उत्तेजित करने लगी.

मैंने पीछे से उसकी गर्दन पर किस कर दिया.
पहले मुझे लगा कि शायद वह मना कर देगी, पर ऐसा नहीं हुआ था.

शायद वह भी आज चुदाई का मन बनाकर आयी थी.

मैंने भी थोड़ी ज्यादा हिम्मत की और उसके पीछे से सट गया.
उसकी गांड को अपने एक हाथ से दबाते हुए मैंने अपने एक हाथ उसके दूध को भर कर सहलाने लगा.

ऐसा करने लगा मानो मैं उसकी चूचियों की साइज़ चैक कर रहा हूँ.

तृप्ति के पास ज्यादा वक्त नहीं था.
इसलिए उसने भी समय खराब न करते हुए जल्दी से अपनी साड़ी और ब्लाउज को निकाल दिया.

वह पेटीकोट और ब्रा में मेरे सामने खड़ी हो गयी. वह मुझसे निक्कर निकालने को कहने लगी.

मैं जल्दबाजी नहीं करना चाहता था इसलिए मैं उसे अपने बेड पर ले गया और उधर ले जाकर मैंने उसकी ब्रा और पेटीकोट को खोल दिया.

नीचे उसने एक फूलों वाली चड्डी पहनी थी.
मैंने उसे पूरी तरह से नंगी कर दिया और खुद भी नंगा होकर तृप्ति के ऊपर चढ़ गया.

मैं कभी उसके गालों को, तो कभी होंठों को किस करने लगा.
किसी भी नई लड़की से पहली चुदाई को मैं पूरी तरह से एन्जॉय करना चाहता था इसलिए मैं धीरे धीरे उसके जिस्म से खेलने लगा.

उसे भी मेरा इस तरह से प्यार करने का तरीका पसंद आ रहा था.
मैं ऊपर उसके होंठों से होते हुए उसके दोनों मम्मों को दबाने लगा और बारी बारी से उसके दूध चाटने चूसने लगा.

यह सब तृप्ति के लिए शायद नया था.
उसके पति ने कभी उसके साथ ऐसा किया ही नहीं था.

तृप्ति के मम्मों की साइज़ देख कर तो लगता ही नहीं था कि उसको उसका पति इतनी आराम से और प्यार से चोदता होगा.

उसके मम्मों से खेलते खेलते अब मैं उसकी चूत तक आ गया था.
उसे भी अब सेक्स करने में मजा आ रहा था.

जैसे ही मैंने उसकी चूत को चाटना चालू किया, उसने सिहर कर मेरा सर अपनी चूत पर और जोर से दबा लिया.

मैं भी लग गया और काफी देर तक उसकी चूत को चाटने के बाद अब उससे रहा नहीं जा रहा था.

जबकि मैं उसको अभी और तड़पाना चाहता था.
इसलिए मैं उसकी चूत से अपना लंड टच करता रहे, इस तरह से उसके ऊपर चढ़ कर उसको प्यार से किस करता रहा.

मैं उसकी चूत पर लंड रगड़ता हुआ उसके बूब्स दबा रहा था और चूस रहा था.

वह बिन पानी की मछली की तरह तड़प रही थी और मेरे लंड को अपनी चूत में लेने वास्ते अपनी गांड को ऊपर उठा कर कसमसा रही थी.

मैं उसकी इसी तड़फ का इंतजार कर रहा था.
उसकी चूत में लंड पेलने से पहले मैं उसके ऊपर से उठा और अपना लंड तृप्ति के मुँह के पास ले गया.

वह लंड लेने के लिए इतनी कामातुर हो गई थी कि झट से उसने मेरा लंड मुँह में भर लिया और चाट चाट कर उसे गीला कर दिया.
तृप्ति ने मेरा लंड चाट कर पूरी तरह से खड़ा कर दिया था.

वह आंखों ही आंखों में मुझसे लंड पेलने की भीख मांग रही थी.

मैंने भी उसकी चूत में अपने लंड को पेलने का मन बना लिया और चूत की प्यास बुझाने के लिए अपने लंड पर कंडोम चढ़ा लिया.
उसकी चूत में लंड सैट करके मैंने झटका मारना शुरू किया.

उसकी चूत पहले ही पानी छोड़ चुकी थी तो एक ही झटके में चूत में आधा लंड घुसता चला गया.
वह आह करके चुदने लगी.

मैं तृप्ति की चूत में झटके मारता गया और उसकी ताबड़तोड़ चुदाई करता गया.
करीब 20 मिनट की जोरदार चुदाई के बाद मैं और वह साथ में झड़ गए.

कंडोम लगा रखा था तो मैंने बिंदास सारा माल निकाल दिया.

वह भी इतने मजे ले रही थी कि चूत से लंड बाहर निकालते वक्त उसने लंड निकालने से मना कर दिया.

मैं भी लंड पेले पड़ा रहा.

फिर दुबारा से गर्मी आई तो धकापेल आरंभ हो गई.

इस तरह से करीब एक घंटा में चुदाई के दो राउंड मजे लेने के बाद मैंने उसे पैसे देकर घर भेज दिया.

अब हम दोनों रोज फोन पर सेक्स की बातें करने लगे थे.

जब भी मेरा या उसका चुदाई का मन होता, तो वह मेरे घर पर आ जाती और चुदाई करवा कर चली जाती.

करीब 6 महीने तक मैं उसे चोदता रहा. Xxx ऑफिस चुदाई कहानी चलती रही.
इस बीच उसने मुझसे बिना कंडोम के भी चुदवा लिया.
मेरे लंड रस से उसे बच्चा होने वाला था.

उसने ऑफिस आना छोड़ दिया और धीरे धीरे हमारी बात भी बंद हो गई.
अब वह किधर है … कुछ पता नहीं है.

लेकिन लंड पर क्या गजब गांड चलाती थी कि तबियत मस्त हो जाती थी.
छह महीने में मैंने उसकी चूचियों की साइज़ भी बदल दी थी.

आपको मेरी Xxx ऑफिस चुदाई कहानी कैसी लगी, प्लीज बताएं.
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