मेरे पति ने मुझे भरपूर यौन सुख दिया- 1

स्माल पेनिस सेक्स कहानी में मैं जॉब करती थी और मेरे बॉस शर्मीले थे, लड़कियों से दूर रहते थे. हालात ऐसे बने कि बॉस के मम्मी पापा ने मुझे पसंद करके हम दोनों की शादी करवा दी.

यह कहानी सोनम नाम की एक ऐसी महिला की है जो यह बता रही है कि उसे किन परिस्थितियों में उसके पति ने अपनी खुशी से बहुत सारे लंड दिलवाए.

दोस्तो, मैं आपका साथी रतन दत्त एक बार पुनः अपनी सेक्स कहानी के साथ आपके सामने हाजिर हूँ.

यह कहानी मेरी एक पाठिका सोनम ने भेजी है.
उन्होंने अपना असली नाम और किस शहर से है नहीं बताया, अतः मैंने एक काल्पनिक नाम का सहारा लेते हुए उनकी बात को आप सभी के सामने रखने का प्रयास किया है.

आइए सोनम की स्माल पेनिस सेक्स कहानी उनकी जुबानी सुनते हैं.

मैं सोनम एक साधारण परिवार से हूँ.

हमारे घर में मेरे माता पिता मुझसे तीन साल छोटी बहन और दादा दादी हैं.
इतने लोगों की जिम्मेदारी मेरे पिताजी पर थी.
घर में सदा ही पैसों का अभाव रहता था.

मैं पढ़ने में तेज थी, अपनी इंजीनियरिंग कॉलेज की पढ़ाई का खर्चे के लिए मैं ब/च्चों को घर पर पढ़ाती थी.

मैं देखने में सुन्दर हूँ.
मैंने माँ की पुरानी फोटो देखी थी.
वे अपनी जवानी में बहुत सुन्दर दिखती थीं पर गरीबी ने उनकी सुंदरता छीन ली थी.

मैंने सोच रखा था कि नौकरी करके जब अच्छा कमाने लगूंगी, तभी शादी करूंगी, घर की गरीबी भी कम करूंगी.

बहुत से लड़के मेरे पास आना चाहते थे पर मैं सबसे दूरी बनाये रखती.

मुझे एक छोटी प्राइवेट कंपनी में नौकरी मिली.
उस समय मैं 21 साल की थी.

मैं साड़ी पहनते समय बहुत ख्याल रखती थी, तंग गले का ब्लाउज पहनती थी, आंचल से ऊपरी बदन को ढके रहती और बड़ी ही शालीनता से ऑफिस जाती थी.
कंपनी में लगभग 20 पुरुष और 3 महिलाएं काम करती थीं.

कंपनी के मालिक सज्जन सिंह नामक एक युवा व्यक्ति थे.
उनकी उम्र सिर्फ 28 साल थी.
सज्जन सिंह एक स्मार्ट हैंडसम अविवाहित युवा थे.

सज्जन सर स्वाभाव से शर्मीले थे, वे कांच की दीवारों वाली केबिन में बैठते थे.

मैंने देखा था कि जब भी कोई महिला जब उनके निकट आती तो वे असहज होकर थोड़े दूर हट जाते थे.
मैं जब काम से उनके केबिन में जाती, तो उनसे दूरी बनाए रखती.

हमारी कंपनी को जब कोई नया प्रोजेक्ट मिलता, तो सज्जन सर सबको साथ बैठाकर प्रोजेक्ट के बारे में बताते हुए कहते कि सभी सोचो यह काम कैसे करना है!

मुझे कंपनी में काम करते 3 साल हो गए, मैं काफी काम सीख गयी थी.
सर मुझ पर भरोसा करने लगे.

कभी कभी वे काम के अलावा दूसरी बातें भी करते.
वे मेरे घर के कामों के बारे में … या शौक आदि के बारे में भी पूछ लेते थे.

उसी दौरान एक नयी लड़की ने कंपनी के ऑफिस को ज्वाइन किया.
उसका नाम रति था और उसकी उम्र 22 साल की थी.

जब रति को पता चला सज्जन सर कुंवारे हैं तो वह ऑफिस में सेक्सी कपड़े पहन कर आने लगी.

वह छोटी स्कर्ट और बिना बांह की खुले गले की टी-शर्ट पहन कर आने लगी.

रति अपने सेक्सी बदन का प्रदर्शन कर सज्जन सर को रिझाने की कोशिश करती.

वह सर को फाइल देने के बहाने झुककर अपने स्तन के ऊपरी भाग दिखाती और उनके बहुत पास जाने की कोशिश करती.

सज्जन सर शर्मीले स्वाभाव के थे तो वे उससे दूरी बनाने की कोशिश करते.
एक बार मेरे सामने रोजी मैडम ने रति को समझाया कि सज्जन सर को रिझाने की कोशिश मत करो, तुम सफल नहीं होगी. मैं यहां 6 साल से काम कर रही हूँ. मैंने उनसे निकटता बढ़ाने को बहुत कोशिश की, सफल नहीं हुई. फिर मैंने शादी कर ली.

जब भी रति सज्जन सर के केबिन में जाती, सर मुझे केबिन में किसी काम से बुलाने लगे.

मेरी उपस्थिति में रति सज्जन सर को अंग प्रदर्शन कर रिझा नहीं पाती.

इस तरह से मैं सर की ढाल का काम करती.
सर मेरी बड़ी इज्जत करते.
मैं भी उनकी बहुत इज्जत करती.

सज्जन सर कहते कि कंपनी के सभी कर्मचारी उनके बड़े परिवार का हिस्सा है. वे हर साल अपने बंगले में सभी कर्मचारियों को दशहरे की पार्टी देते. पार्टी में सर के माता पिता भी शामिल होते. वे दोनों मधुर स्वभाव के हैं. वे सबसे बात करते.

सर के पिताजी किसी सरकारी संस्थान में बड़ी पोस्ट पर नौकरी करते हैं.

इस साल दशहरे की पार्टी में रति ज्यादा ही सजकर सेक्सी ड्रेस पहनकर आयी.
वह सर के आस पास घूमने लगी.

सर ने मुझसे कहा- आप मेरे साथ रहिए … रति आज ज्यादा ही पास आ रही है. मुझे असुविधा हो रही है.
जब भी रति सर के बहुत पास आने की कोशिश करती, तो मैं बीच में आ जाती.

मेरी वजह से रति दूसरे कर्मचारियों से बात करने चली गयी.
सर ने मुझे थैंक्यू कहा.

सज्जन सर के माता पिता पास खड़े होकर सब देख सुन रहे थे.

सर की माताजी ने मुझसे कहा कि पार्टी के बाद हमसे मिलकर जाना.

पार्टी खत्म होने के बाद सभी चले गए.
मैं सर के माता पिता के पास गयी

माताजी- सोनम बेटी, हमने देखा सज्जन तुम पर भरोसा करता है, तुम भी उसका ख्याल रखती हो. सज्जन तुम्हें कैसा लगता है?
मैं- मैं सर की इज्जत करती हूँ. वे बहुत अच्छे इंसान हैं.

माताजी- क्या तुम सज्जन से शादी करने को राजी हो?
मैं- मैंने ऐसा कभी सोचा नहीं है.

इतने में सज्जन सर आये और बोले- सोनम आप घर नहीं गईं? रात बहुत हो गयी है … आपको ड्राइवर आपके घर छोड़ आएगा.

माताजी- नहीं सज्जन, तुम सोनम को उसके घर छोड़ आओ, ड्राइवर का खाना खाना बाकी है.

मैं सर के साथ उनकी कार से अपने घर आने लगी.
घर आने पर मुझे एक विचार आया और मैंने सर से बात की.

मैं- आप मेरे परिवार से मिलेंगे?
उन्होंने झट से हामी भर दी.

सर मेरे परिवार से मिले, काफी बातें हुईं.
सर ने मेरे काम और स्वभाव की खूब तारीफ की.

दूसरे दिन ऑफिस में सर ने मुझे केबिन में बुलाकर कहा- मेरे माता पिता ने आपके साथ मेरी शादी का प्रस्ताव मुझे दिया है. मैं आपको पसन्द करता हूँ, पर आपको मैं कितना सुख दे पाऊंगा, यह पता नहीं है.
मैं- मेरी माँ कहती और मानती हैं कि किसी को भी जिंदगी में सभी सुख नहीं मिलते. जिसको जितना मिला, उसे उसी में खुश रहना चाहिए. मैं उनकी इस बात को मानती हूँ और अमल में लाती हूँ.

सज्जन सर के माता पिता मेरे माता पिता से मिले, हमारी शादी तय हो गयी.

मैं अपनी खास सहेली कुसुम से मिली.
उसे अपनी शादी तय होने की खबर दी.
उसकी शादी दो साल पहले हुई थी.

मेरी सहेली कुसुम बोली- सोनम बधाई हो. शादी के बाद पति पत्नी के शारीरिक संबंधों के बारे में तुझे कुछ पता है?

मैंने कहा- मैं पढ़ाई के बाद सीधे अपनी नौकरी में बिजी हो गई थी. मुझे इस बारे में कुछ भी पता नहीं है, तू मुझे बता न!

कुसुम- पति पत्नी को चूमता है, उसके बदन पर हाथ फेरता है. स्तन दबाता चूसता है. इससे पत्नी को मजा आता है. वह यौन वासना से उत्तेजित हो जाती है और उसकी योनि कामरस से गीली हो जाती है. पति का लिंग खड़ा हो जाता है. फिर पति, पत्नी की योनि में लिंग डालता है. पहली बार लिंग योनि में जाने से दर्द होता है, झिल्ली टूटने से खून निकलता है. पति लिंग योनि में अन्दर बाहर करता है, इससे पत्नी को मजा आने लगता है.

इस तरह से कुसुम ने मुझे मुख मैथुन, 69 पोजीशन यानि एक दूसरे की योनि व लिंग को चूसने आदि के बारे में विस्तार से बताया.

मेरी शादी हो गयी.

ससुराल में मेरी सास ने मुझे पूरा बंगला दिखाया.
मेरे पति सज्जन का बेडरूम दिखाकर कहा- आज से यह तुम्हारा है.

फिर उन्होंने बेडरूम के बाजू का कमरा दिखाकर कहा- यह सज्जन का स्टडीरूम है. सज्जन को उसके स्टडीरूम में किसी का जाना पसन्द नहीं है. हम लोग उसके इस कमरे में नहीं जाते हैं. तुम भी नहीं जाना. कमरे की चाबी सज्जन के पास है. स्टडी रूम में दो दरवाज़े हैं, एक दरवाज़ा बेडरूम में खुलता है, दूसरा गलियारे में.

सुहागरात को मैं घूँघट ओढ़ कर बैठी थी.

सज्जन कमरे में आए, उन्होंने मेरा घूँघट उठाया और मुझे सोने की चेन उपहार में देकर कहा- आराम से बैठो, हम लोग बातें करेंगे.

सज्जन अपने कॉलेज, परिवार के बारे में बता रहे थे.
मैंने भी उन्हें अपने बारे में सब बताया.

कुछ देर बाद सज्जन बोले- रात बहुत हो गयी है, चलो अब सो जाते हैं.

सज्जन ने नीली रंग वाली धीमी लाइट जला दी.
मैं सोच रही थी कि जैसा मेरी सहेली कुसुम ने बताया था कि सज्जन मुझे प्यार से चूमेंगे, फिर आगे बढ़ेंगे. पर ऐसा तो कुछ भी नहीं हुआ.

पलंग काफी बड़ा था, सज्जन उसके एक कोने में मुझसे दूर होकर लेट गए.
मैं भी लेट गयी.

सज्जन सो गए, कुछ देर बाद मैं भी सो गयी.

दूसरे दिन से हम दोनों ऑफिस जाने लगे.
शाम को सज्जन मुझे घुमाने, शॉपिंग को ले जाते.
कभी हम रेस्ट्रॉन्ट में खाना खाते, मेरे साथ दोस्ताना व्यवहार करते.

रात हम दोनों बेडरूम में साथ होते, हम दोनों ऑफिस और इधर उधर की बात करते और सो जाते.

मुझे मालूम था कि सज्जन शर्मीले हैं शायद इसलिए शारीरिक संबंध की पहल करने से शर्मा रहे हैं.
ऐसे ही एक महीना बीत गया.

मैं सोचने लगी कि क्या मैं पहल करूं, पर उससे मेरे पति मुझे बेशर्म समझ सकते हैं.

वे बारिश के दिन थे.
उस दिन हमारी छुट्टी थी.

सास ससुर शहर से बाहर गए थे.
मैं सुबह बंगले के बगीचे में पूजा के लिए फूल तोड़ने गयी.

बगीचे में फर्सी से बनी पकडंडी में खड़ी फूल तोड़ रही थी.
इतने में जोरदार बारिश शुरू हो गयी.

मैं भागकर बंगले में जाने लगी, मेरा पैर फिसला और मैं बगीचे की गीली मिट्टी में गिर गयी.
मेरे कपड़े भीग गए, उन पर कीचड़ लग गया.

सज्जन ने खिड़की से मुझे गिरते देखा.
उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे खड़ा करने की कोशिश की.

मेरे पैर में चोट लगी थी, पर इतनी भी नहीं कि मैं खड़ी नहीं हो सकती.

पर मैंने ऐसा दिखाया मानो मुझे बहुत तेज चोट लगी है और मैं खड़ी नहीं हो सकती हूँ.

मेरी इच्छा थी कि सज्जन मुझे गोद में उठाकर ले जाएं, जिससे हम दोनों में निकटता बढ़े और पति की झिझक मिट जाए.

सज्जन ने मुझे गोद में उठाया और बेडरूम में ले जाकर पलंग पर लिटा दिया.
मुझे पति की निकटता में मजा आ रहा था.

सज्जन- सोनम, तुम्हारे कपड़े भीग गए हैं … बदल लो!

मैं- मैं खड़ी नहीं हो सकती, आपको मेरी मदद करनी होगी.

सज्जन ने मुझे सहारा देकर बिठाया और मुँह फेर कर खड़े हो गए.
मैंने ब्लाउज ब्रा को उतारा और कमर तक नंगी होकर लेट गयी.

मुझे शर्म आ रही थी, पर यह मौका मैं छोड़ना नहीं चाहती थी- सज्जन जी, साड़ी साया उतारने में मेरी मदद करो प्लीज!

सज्जन मेरी तरफ मुड़े, मेरा कमर तक नंगा बदन निहारने लगे.
मैंने शर्म से आंखें बंद कर लीं.

सज्जन ने मेरी साड़ी, साया, पैंटी उतार दी.
मैंने पैंटी उतरवाने में अपनी कमर उठाकर सहयोग किया.

मैंने आधी आंख खोलकर देखा, तो सज्जन मेरे नंगे बदन को देख रहे थे.

मैं- मुझे बाथरूम जाना है.
सज्जन मुझे उठाकर बाथरूम ले गए और मुझे कमोड पर बिठाकर बोले कि मैं पलंग की गीली चादर बदल देता हूँ. तुम्हारा हो जाये तो बुला लेना.

शु शु करने के बाद मैंने आवाज देकर उन्हें बुलाया- मेरा हो गया है!
सज्जन ने वापस आकर मुझे गोद में उठाया और ले जाकर पलंग पर लिटा दिया.

मेरा सर और बदन तौलिये से पौंछा, मुझे मैक्सी पहनाई.

फिर वे मेरी आंख और मस्तक चूमकर सर सहलाकर बोले- तुम आराम करो, मैं चाय नाश्ता ले आता हूँ.

मैं पति के स्पर्श और चुम्बन के आनन्द से भावविभोर होकर आंख बंद कर लेटी थी.

थोड़ी देर बाद सज्जन कमरे में आए, मेरे होंठों पर हल्का सा चुम्बन देकर बोले- चाय नाश्ता कर लो.

उन्होंने मुझे सहारा देकर बिठाया, नाश्ता चाय के बाद दर्द निवारक गोली दी.
सज्जन ने मुझे पलंग पर लंच डिनर कराया, दवा दी.
मुझे बाथरूम ले गए.

सुबह मैंने कहा- दर्द कम है, मैं खुद से चल सकती हूँ.

सज्जन ने मुझे नाश्ता कराया.
लंच का इंतजाम किया और ऑफिस चले गए.

मैंने दिन भर आराम किया.

शाम को सज्जन जल्दी घर आ गए.
मैंने उन्हें बताया- मैं अब ठीक हूँ, कल से ऑफिस जाउंगी.

सज्जन- सोनम, मैं सोच रहा हूँ कि क्या हम दोनों शारीरिक संबंध की शुरुआत करें … तुम्हारा क्या कहना है?

मेरा दिल खुशी से उछल उठा.
मैंने अपना सिर हिलाकर मुस्कुराकर हाँ कहा.

सज्जन- कोई नया काम या प्रोजेक्ट शुरू करने के पहले मैं उसके बारे में सारी जानकारी एकत्र करता हूँ. मैंने पढ़ा है कि पहले पुरुष फोरप्ले से स्त्री को तैयार और उत्तेजित करता है, फिर अपना लिंग स्त्री की योनि में डालकर अन्दर बाहर करता है. स्त्री को उसकी योनि में लिंग के घर्षण से आनन्द आता है, चरम आनन्द की सीमा पहुंचने के बाद स्त्री झड़कर निढाल हो जाती है.

एक पल रुकने के बाद मेरे पति ने पुनः कहा- सोनम तुम्हें इस बारे में कुछ पता है?
मैं- मेरी शादीशुदा सहेली ने भी ऐसा ही बताया है.

रविवार को हमारी छुट्टी होती है, तय हुआ अगले शनिवार शाम यौन क्रीड़ा की शुरुआत करेंगे.
मतलब आज से 5 दिन बाद.

मैं ऑफिस जाने लगी.
चौथे दिन मैंने पार्लर में फुल बॉडी वैक्सिंग कराई, योनि के बाल साफ़ किए और अपने मन में ही मंद मंद मुस्कुराती हुई अपने पति के सपनों में खो गई.

दोस्तो, अगले भाग में मैं आपको अपने पति के साथ हुए संभोग की सेक्स कहानी लिखूँगी.
आप अपने विचार रतन जी को लिख कर जरूर भेजें ताकि मैं भी जान सकूँ कि आपको यह स्माल पेनिस सेक्स कहानी कैसी लगी.

प्लीज अपने पत्र लिखते समय कहानी का नाम अवश्य लिखें ताकि जबाव लिखने में आसानी हो.
रतन जी ने बहुत सारी कहानियां लिखी हैं.
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