ट्रेन के सफर में मेरे शौहर की कारस्तानी-1

मेरे शौहर कुछ विचित्र प्रकार की प्रवृति के मालिक हैं. वे बिस्तर पर मुझसे गंदी गंदी बातें करते थे और ऐसा लगता था कि किसी और से सम्बन्ध रखने को उकसाते थे.

मेरा नाम डेजी परवीन है. मेरी शादी कुछ ही महीने पहले हुई है. मेरा रंग सांवला है, बदन भरा हुआ, तीखे नाक नक्श, सुन्दर चेहरा और आकर्षक बदन की मालकिन हूं.
शादी के कुछ ही दिन के बाद मुझे अहसास हो गया कि मेरे शौहर कुछ विचित्र प्रकार की प्रवृति के मालिक हैं. वे बिस्तर पर मुझसे गंदी गंदी बातें करते थे और ऐसा लगता था कि किसी और से सम्बन्ध रखने को उकसाते थे.

पहले तो मैंने कुछ खास प्रतिरोध नहीं किया पर जब एक बार उन्होंने मुझसे सीधे सीधे ये बात कही कि मैं उनके एक दोस्त के साथ एक रात गुजार लूं और वो छुप कर देखेंगे तो मेरा गुस्सा फट पडा़. मैंने चिल्लाकर कहा- आपने मुझे समझ क्या रखा है, मैं मरते मर जाऊंगी पर किसी और को खुद को हाथ लगाने नहीं दूंगी.
उन्होंने मुझे गुस्से से देखा और धीरे से कहा- देखते हैं.

उसके बाद दो महीने तक उन्होंने फिर वो बात दुबारा नहीं की.

हमें एक शादी में जाना था, 18 घण्टे का सफर था. जाना जरूरी था तो मेरे शौहर ने रिजर्वेशन करवा लिया.

मैंने मैरून कलर की साडी़ पहनी और डीप गले का ब्लाऊज, पहली बार अपने शौहर के साथ बाहर जा रही थी तो खूब मेकअप किया. 21 साल की मेरे जवान बदन बहुत फब रहा था. मेरी सास ने मेरी नजर उतारी और मैं अपने शौहर के साथ निकल पडी़.

उन्होंने बताया कि रिजर्वेशन एक साथ एक जगह नहीं मिला है, कुछ कम्पार्मेंट के बाद मेरी सीट है. उन्होंने बताया कि ट्रेन में सीट चेंज करवा लेंगे.

स्टेशन पहुंच कर उन्होंने कहा कि सारे पैसे मैं उन्हें दे दूं, ट्रेन में चोरी हो सकती है.
मैंने भी सोचा कि ठीक ही बोल रहे हैं और सारे पैसे उन्हें दे दिये.

हम ट्रेन में चढ़ गये. वो अपनी सीट पर बैठ गये और मुझे एक सीट पर बैठा गये. कहने लगे- जब टी टी आयेगा तो सीट चेंज करवा लेंगे.
ट्रेन चल पडी़ पर लगभग 6 घन्टे तक टी टी नहीं आया.

6 घन्टे बाद टी टी आया और मुझसे टिकट मांगने लगा. मैंने सीट नम्बर बताया और कहा कि वहां मेरे शौहर बैठे है और टिकट उनके पास है.
वो बिना कुछ बोले बाकियों का टिकट देख कर चल दिया.

लगभग 20 मिनट टी टी बाद वापस आया और मुझे बाहर की तरफ बुलाया. वो गेट के पास जाकर खडा़ हो गया और मैं भी वहीं जाकर खडी़ हो गई.
उसने मेरा नाम पूछा और लिस्ट चेक की. फिर मुझसे कहा- मैडम, आपका नाम लिस्ट में नहीं है और मुझे आपके शौहर कहीं नहीं मिले.
उनका नाम बताया मैंने तो उसने फिर लिस्ट देखा और कहा- इस नाम से भी कोई आदमी नहीं है.

मैंने सीट नम्बर बताया तो उसने एक रेलवे के हवलदार को बुला कर उस आदमी को बुलाने भेजा. मेरा दिल जोर जोर से धड़क रहा था. जब उस हवलदार के साथ मेरे शौहर को आते देखी तो जान में जान आई.

उनके आते ही टी टी ने पूछा- ऐ मिस्टर, इनका टिकेट कहां है?
उन्होंने मुझे देखा और कहा- मुझे क्या पता? मैं इनको नहीं जानता.
मुझे तो काटो तो खून नहीं … मैंने हड़बडा़ कर कहा- ये क्या बोल रहे हैं?
टी टी ने बीच में टोका और उनसे पूछा- क्या नाम है आपका?
उन्होंने कहा- विश्वजीत सिंह.

उसने मुझसे कहा- विश्वजीत सिंह और डेजी परवीन, इन्टरकास्ट मैरीज है क्या?
मैंने कहा- ये झूठ बोल रहे हैं.

टी टी ने मुझसे पूछा- आपने कहाँ जाना है?
मैंने शहर का नाम बता दिया. फिर उनसे पूछा तो कोई और नाम बताया.

टी टी ने फिर उनसे पूछा- कोई सबूत है आपके पास?
उन्होंने एक कार्ड निकाल कर टी टी को दिया. टी टी ने पहले खुद देखा और फिर मुझे दिखाया.
सच में तो वोटर आई डी कार्ड था और उनके फोटो के साथ उनका नाम विश्वजीत सिंह लिखा था.

टी टी ने फिर पूछा- मैडम आपके पास कोई सबूत है?
मैंने थोडी़ देर सोचा, पसीने से माथा गीला हो गया था. मैंने धीरे से कहा- मेरा समान इनके बैग में है, मैं बता सकती हूं कि क्या क्या है उसमें.
टी टी ने फिर हवलदार को भेजा और बैग मंगवा लिया.

मैंने अपनी चीजें बताई तो वो अंदर देखने लगा. थोडी़ देर में मैंने कहा कि अब तो यकीन हो गया आपको.
उसने पूरा बैग मेरे सामने पलट दिया.

मेरे तो छक्के छुट गये.
बैग में सिर्फ मर्दाना सामान था और कुछ नहीं.
टी टी ने मुझसे कहा- मैडम आपको फाईन के साथ टिकेट लेना पडे़गा.
मैंने पूछा, कितना. उसने बताया कि 2250.

मैंने अपना पर्स खोला तो याद आया कि पैसे तो पहले ही ले चुके है. मैंने धीरे से झिझकते हुए कहा- पैसे नहीं है मेरे पास.
टी टी ने कहा- ठीक है, फिर अगले स्टेशन पर उतर जाना.

बिना पैसों के एक अनजाने शहर में उतरना भी ठीक नहीं था. ये तो और बुरी स्थिति होती.
मैंने धीरे से कहा- मुझे उतरना नहीं है.
टी टी ने आवाज लगा कर दो और हवलदार को बुला लिया और मुझसे कहा- मैडम आपको उतरना तो पडे़गा ही.

अचानक मेरे शौहर ने टी टी से कहा- एक मिनट साईड आना.
टी टी उनके साथ अलग हो गया.
हवलदार दूर खडे़ थे पर मैं पास थी तो मुझे सुनाई पड़ रहा था उनकी बातें.

वो टी टी से बोले- जहां जाने की बात कर रही है उसमें अभी 12 घण्टे हैं.
टी टी ने कहा- तो?
वो बोले- तो अंधे हैं क्या, दिखता नहीं है?
टी टी बोला- क्या?
वो बोले- ज़वानी नहीं दिखती क्या, क्या रसीली जवानी है, पैसे नहीं है, जाना भी है, उतरना भी नहीं है.

थोड़ी देर तक टी टी देखता रहा तो वो आगे बोले- तो ट्रेन में कोई जगह हो तो ले चलते हैं और 12 घण्टे मजा करते हैं.
टी टी ने मेरे पलट कर गौर से देखा और बोला- ठीक बोल रहे हो, पैसे और फाईन तो आते जाते रहते हैं, ऐसा माल मुश्किल से ही मिलता है. चलो बात कर के देखता हूं.

इतने देर में मुझे ये तो समझ आ गया कि वो मुझसे बदला लेने की कोशिश कर रहे हैं. पर इस स्थिति से निकलने की कोई आस नहीं दिख रही थी.

टी टी वापस आया मुझ तक और कहा- ठीक है मैडम, मैं कुछ एडजेस्मेन्ट करता हूं. आप आइये मेरे साथ.
अब टी टी आगे आगे था और मैं पीछे पीछे चल दी.

दो बोगी के बाद एक डिब्बा आया जिसमे सिर्फ एक कम्पाटमेंट था और बाकी पूरा सामान भरा था.
उसने मुझे वहां रोका और तब तक बाकी लोग भी आ गये.

टी टी ने मुझसे कहा- मैडम, आप यहां रूक सकती हैं. ये हमेशा फ्री रहता है. और चार्ज भी कम है.
मैंने पूछा- कितना चार्ज लगेगा?

टी टी ने मेरे दोनों तरफ से हाथ ला कर मेरे गांड की गोलाइयों को सहलाते हुए कहा- अब आप से पैसे थोडे़ न लेंगे, आप कुछ और दे देना.
मैंने उसका हाथ झटक दिया और कहा- मैं ये नहीं कर सकती.
उसने एक भद्दी सी गाली दी और कहा कि वो अगले स्टेशन पर नीचे फेंक देगा मुझे.

मुझे और कोई रास्ता समझ नहीं आ रहा था तो मैंने धीरे से कहा- नहीं ट्रेन से मत उतारये, आप जो बोलिएगा मैं करूंगी.
टी टी ने मेरी गांड को फिर से पकड़ लिया और कहा- पूरे सफर में तेरी तिक्का बोटी करूंगा और मेरे तीन आदमी भी मेरे साथ रहेंगे और जैसा चाहूंगा वैसा करूंगा.
मैंने सर झुका लिया.

अचानक वो बोल पडे़- और साहब मैं?
टी टी ने उन्हें देखा और पूछा- तुम्हें क्यों?
उन्होंने कहा- क्या साहब, मैंने सुझाव दिया और मुझे ही बाहर कर रहे हैं. अच्छा इसके फाईन का पैसा मैं दे दूँगा आपको.
टी टी ने थोडी़ देर सोचा फिर बोला- अच्छा तू भी आ जा.

उसने मुझे अंदर जाने को कहा तो मैं अंदर चली गई.
वो लोग भी अंदर आ गये और टी टी ने कम्पाटमेंट का गेट बंद कर दिया.

टी टी और एक हवलदार एक सीट पर, मेरे शौहर और एक हवलदार दूसरे सीट पर बैठ गये. मैं दोनों सीट के बीच में खडी़ थी और एक हवलदार मेरे सामने खडा़ था. उसने मेरा पल्लू खींचा और नीचे गिरा दिया. एक बार को मेरा हाथ उठा कि मैं अपने ब्लाऊज को ढक लूं पर फिर मैंने ऐसा नहीं किया.

उस हवलदार ने मेरे ब्लाऊज के उपर से ही मेरे दोनों स्तनों को अपने दोनों हाथों में पकड़ लिया और मसलने लगा.
मैंने अपने शौहर के तरफ देखा तो वो मुस्कुरा रहे थे.

मेरे चेहरे पर दर्द की लकीरें उभरी तो मेरे शौहर बोल पडे़- आराम से भई, इतने उतावले क्यो हो रहे हो?
हवलदार ने गति कम कर दी.
टी टी ने कहा- अबे साले, अकेले ही खेलेगा कि हमें भी माल दिखाएगा!

हवलदार को बात समझ आ गई और उसने जल्दी जल्दी बटन खोलना शुरू किया. जल्दबाजी में मेरे ब्लाऊज के दो बटन टूट गये.
मेरे शौहर फिर बोल पडे़- इसको पहनाने के लिए कुछ नहीं है हमारे पास, कम से कम कपडे़ तो मत फाड़.
हवलदार ने धीरे धीरे ब्लाऊज उतार दिया और मेरे ब्रा के हुक खोल कर मेरी ब्रा भी मेरे बदन से उतार ली.

मेरे स्तन नग्न हो गये पर मैंने उन्हें भी छुपाने की कोशिश नहीं की.

टी टी ने हवलदार को इशारा किया और मुझे खींच कर अपनी गोद में बिठा लिया. टी टी मेरे स्तनों से खेलने लगा और मेरे स्तनों को जोर जोर से मसलने लगा.
मेरे शौहर फिर बोले- आराम से साहब, लौंडिया को हमारे लायक रहने दीजिए.
टी टी ने धीरे धीरे मसलना शुरू किया.

मेरा दिल में तो मेरे शौहर के लिए बहुत गुस्सा आ रहा था, उनको सबक सिखाने का मन तो हो ही रहा था.
मैंने धीरे से टी टी के कान में कहा- आप तो कह रहे थे कि आप अपनी मन की करेंगे. पर यहां हुकुम तो कोई और दे रहा है.

टी टी थोडे़ देर सोचता रहा और उसने मेरे निप्पल को मुंह में ले लिया. थोडे़ देर निप्पल चूसने के बाद उसने धीरे से मेरे स्तनों के उपर काट लिया.
मेरे शौहर फिर बोल पडे़- आराम से साहब, क्या कर रहे हैं?
अचानक टी टी बिफर पडा़- तू सिखाएगा कि क्या करूं और क्या न करूं, बहुत देर से देख रहा हूं कि टांय टांय कर रहा है.

टी टी ने मुझे गोद से उतारा और बगल में बिठा दिया और बोला- तेरे को साथ लेकर गलती की, साले मादरचोद पूरा मजा खराब करेगा उंगली कर करके.
एक हवलदार ने कहा- गलती सुधार देते हैं. रफा दफा करो इसको यहां से.
मेरे शौहर तो बोल ही नहीं पा रहे थे और हवलदार उन्हें धक्के लगा कर बाहर करने लगे.

टी टी भी उनके पीछे चल दिया. उन लोगों ने मेरे शौहर को अगले बोगी में धकेल कर दोनों बोगियों के बीच का दरवाजा बंद कर लिया. बाकी दरवाजे तो पहले से बंद थे.

इतना करके वो लोग कम्पाटमेन्ट की तरफ वापस आ गये और अंदर घुस कर दरवाजा बंद कर दिये.

मैं खडी़ हो गई, मेरा पल्लू निचे पडा़ था, कमर से ऊपर एक भी कपड़ा नहीं था.
टी टी ने कहा- अब हम आराम से तेरी जवानी का मजा लेंगे.

इतना कह कर टी टी ने मेरे कमर के पास मेरी पेटीकोट के अंदर दोनों तरफ से उंगली डाल दी और पेन्टी के अंदर उंगली फंसा कर जोर से नीचे की ओर खींच दिया.
मैंने पेटीकोट को थोडा़ ढीला ही बांधा था तो मेरी साडी़, पेटीकोट और पेन्टी एक इलास्टिक वाले पेन्ट की तरह मेरी कमर से नीचे सरकती चली गई.

मैं हफ्ते में दो बार नीचे के बालो की सफाई करती हूं और आज तो सुबह ही की थी.
अचानक मुझे ख्याल आया जो इतनी अफरा तफरी में ध्यान से उतर गया था. ये लोग चार हैं. और क्या मैं चार लोगों को एक साथ बर्दाशत कर पाऊंगी.
इतना ख्याल आते ही मेरे पसीने छुट गये पर अब क्या हो सकता था, बर्दाशत तो करना ही पडे़गा.
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कहानी का अगला भाग: .ट्रेन के सफर में मेरे शौहर की कारस्तानी-2