वासना के समुन्दर में प्यार की प्यास- 8

ओपन पोर्न का खेल खेला मैंने तीन मर्दों के साथ पहले कार में फिर खुले जंगल में! मैंने अपने तीनों छेदों में एक साथ लंड लिया. मुझे इस खेल में बहुत मजा आया.

कहानी के सातवें भाग
मैनेजर और सी ई ओ के साथ गैंग बैंग
में आपने पढ़ा कि मेरी कम्पनी के मैनेजरों ने मिल कर मुझे पूरी रात चोदा. मैं अपनी वासना पूर्ति तो कर रही थी पर मेरे अंदर मेरी कुलीग को दिए धोखे का बदला लेने की भावना धधक रही थी.

यह कहानी सुनें.

अब आगे ओपन पोर्न का खेल:

मेरा कामुक जिस्म अब जवाब दे चुका था, मैं थक गई थी.

सुबह के साढ़े चार बज रहे रहे थे, सन्दीप ने मेरे वीर्य से भरे बदन पर चादर डाली और गोद में उठा कर अपने कमरे में ले गया।

वहां पहले उसने मुझे बहुत ही प्यार से नहलाया, सबके वीर्य को मेरे हर हिस्से से रगड़ रगड़ के धोया।
फिर मुझे बाहों में उठा कर बिस्तर पर ले गया.

हम दोनों ही साथ नहाए थे तो जाहिर है नंगे थे।
वह और मैं एक दूसरे की बाहों में सो गए.
ऐसा लगा जैसे सन्दीप की बाहों में मिला सुकून मेरी सारी थकान को पी गया।

जब आंख खुली तो सन्दीप और मैं नंगे एक ही बिस्तर पर लेटे थे।
वह सो रहा था।

यह पहली बार था कि मैं किसी मर्द की बांहों में नंगी थी पर वासना से कोसों दूर!

मैं सन्दीप की मेरे प्रति केयर देख उससे लिपट गई, जिससे उसकी आंख खुल गई।
मुझे गले लगाए लगाए सन्दीप ने पूछा- उस वीडियो का क्या करना है?

“वह वीडियो नहीं इस दलदल से निकलने की मेरी चाबी है। अब देखते जाओ मैं इस दीपक को कैसे बर्बाद करती हूं। हालांकि मजा मैंने भी लूटा, पर मुझे पूरे ऑफिस की रंडी बनाने का दीपक और धीरज को कोई अधिकार नहीं था। मैंने भी तरककी और दफ्तर में सरवाइव करने के लिए ये सब किया, पर क्या मेरे पास कोई दूसरा दरवाजा था? नहीं!”

मैं दीपक को ब्लैकमेल करने का मन बना चुकी थी और मैंने तरकीब भी निकाल ली थी.

ये सब रोशनी के जरिए किया जा सकता था.
रोशनी दफ्तर में नहीं है तो उस पर कोई शक भी नहीं करेगा।

दीपक से पैसे और इज्जत से हमारा पीछा छोड़ने की डिमांड रखेंगे, नहीं तो वीडियो पोर्नहब पर और एच आर के पास देने को धमकी।

सन्दीप ने हां में हां मिलाई.

मेरा सन्दीप के प्रति आकर्षण बढ़ता जा रहा था।
पर मन में एक कश्मकश सी थी कि क्या मैं रोशनी को धोखा दे रही हूं।

रोशनी और मैं साथ थी और कई बार लेस्बियन सेक्स कर चुकी थी.
सच कहूं तो सन्दीप के साथ उसकी और उसके छरहरे बदन की याद नहीं आई।

मैं सन्दीप के ऊपर आ गई, सन्दीप मेरे घुंघराले बालों में हाथ फेरने लगा.

मेरे स्तन सन्दीप की छाती में दबे जा रहे थे।
मैंने अपने होंठ सन्दीप के अधरों पर बढ़ा दिए।

सन्दीप ने भी आगे बढ़ कर मेरे होंठ चूम लिए.

हम दोनों एक दूसरे के अधरों को बेतहाशा चूमने और चूसने लगे।

सन्दीप के हाथ मेरी कमर पर धीरे धीरे चल रहे थे।

उसके स्पर्श से लग रहा था कि वह भी मेरी तरफ आकर्षित है।
मैं अपने कूल्हे आगे पीछे कर, सन्दीप को और उत्तेजित कर रही थी।

सन्दीप का लिंग अब धीरे धीरे कड़क होने लगा।
मैं भी होंठों से गुजर, गालों और कानों को चूमने लगी, धीरे धीरे नीचे बढ़ते हुए अब मैं सन्दीप के सीने को चूम रही थी, उसकी छाती के बालों से खेलती हुई उसके निप्पल चूस रही थी।

मैंने हल्का से उसके निप्पल पर दांत गड़ा कर काट लिया।

सन्दीप ने मेरे बालों में घूमते उसके हाथों से कस कर मेरे बाल वासना में खींचे, मुझे पागलों की तरह गर्दन पर चूमने लगा और मेरे कूल्हों को दबाने लगा।

मैं धीरे धीरे नीचे के और बढ़ती हुई उसकी नाभि तक पहुंच गई, अपनी जीभ से उसके जिस्म के हर हिस्से को चूमने और चाटने लगी।

मुझे सन्दीप को यौन से सुख देने का जो आनंद आ रहा था, उसकी सीमा नहीं।

धीरे धीरे नीचे पहुंच मैंने सन्दीप की अंदरूनी जांघों को चूमना शुरू कर दिया।

“आह अह्ह आ आह … वीनस!”

मैंने भी उसका केले सा मुड़ा हुआ लौड़ा अपने मुंह में ले लिया।

सन्दीप जैसे सातवें आसमान पर था, उसकी सुख की सीमा नहीं थी, वह आंखें बंद कर मेरे मुखचोदन का अनुभव कर रहा था।

“सही कह रहा था टॉम, तुम सच में काम की देवी हो! आआह्ह अह आह्ह्ह!”

वह खुद को संभाल नहीं पा रहा था, उसने कहा- मैं झड़ जाऊंगा, रुक जाओ … मुझे तुम्हारी योनि महसूस करनी है.
“और मेरी गांड?”
सन्दीप- हा हा हा … उसके लिए हम फिलिपींस चलेंगे, वहां तुम्हारी गांड और तुम्हारे बदन का हर हिस्सा रगड़ के चोदूंगा।

मैं भी मुस्कुराती हुई टांगें चौड़ी कर सन्दीप के लौड़े पर बैठ गई।

उसका लौड़ा बाकियों से अलग था, एक खास जगह जाकर टकराता था और मुझे समय से पहले चरम सुख प्रदान करता था।

मैं सन्दीप के लंड पर आगे पीछे और ऊपर नीचे होने लगी।
जैसे मैं सन्दीप के लंड पर घुड़सवारी कर रही थी.

मेरी गांड पकड़ कर मुझे आगे पीछे और ऊपर नीचे होने में पूरा साथ से रहा था।
सन्दीप और मैं दोनों इस जिस्मानी सुख से रूबरू होते हुए एक ही लय में एक दूसरे में समाए हुए थे।

हम दोनों की आहों कमरा गूंज रहा था.
“अअह्ह आअह्ह हह”

जब सन्दीप स्खलन की ओर था तो उसने मुझे कसकर बाहों में जकड़ लिया.
मैं तब भी अपनी गांड मटकाती हुई सन्दीप से चुदती रही।

थोड़ी ही देर में हम दोनों चरम सुख की सीमा पर थे, हम दोनों ने एक दूसरे को बाहों में भरकर एक दूसरे के लबों से लब लगा दिए और हमारे बदन स्खलन से अकड़ने लगे।

हम दोनों ने एक दूसरे को कस कर पकड़ लिया और हम मुख और जिस्मानी रूप से एक थे।

काफी देर तक सन्दीप ने मुझे अपनी बाहों में जकड़े रखा और मैं भी उसकी बाहों में सुकून से पड़ी रही।

हमारी आंख लग गई.

जब नींद खुली तो कोई सन्दीप के कमरे का दरवाजा खटखटा रहा था।

“अरे सन्दीप हो गया? जाना नहीं है क्या? नाश्ता तो कर ले यार!” बाहर से मोहित की आवाज आई.

रात भर जगने के कारण नींद भरी आंखें मलते हुए सन्दीप जागा- अरे हां भाई सुन लिया, आ रहा हूं बाहर थोड़ी देर में!

सन्दीप और मैं अलग हुए.
वह कपड़े पहनने लगा, मेरे कपड़े तो दीपक के कमरे में थे।
तो मैंने चादर ओढ़ ली।

सन्दीप- तुम यहीं रुको, मैं नाश्ता लेकर आता हूं तुम्हारे लिए! नहा धो लो जब तक!

सन्दीप ने मेरे होंठ चूमकर मुझसे विदा ली।

मोहित ने दरवाजे से झांक कर मेरी ओर देखा और शरारती मुस्कान के साथ अंदर आ गया।

मोहित आकर बैठ गया, मेरी नंगी जांघों पर हाथ फेर कर बोला- कैसी रही रात? आग कुछ ठंडी हुई तेरी, या बाकी है?

यह कहते हुए वह चादर के अंदर हाथ डालकर मेरे चूचे मसलने लगा।

“दीपक ने बताया नहीं या रात तुमने देखा नहीं, मैं ठंडी नहीं होती.” यह कह मोहित के मचलते हाथों पर हाथ रख उसके हाथ अपनी चूत पर बढ़ा दिए.

इशारा पाकर मोहित ने मेरी चूत भींच डाली और चूत में उंगली करने लगा।
मेरी चूत फिर से गीली होने लगी।

मोहित ने तुरंत अपना लौड़ा निकाला और मुझे बिस्तर पर गिरा कर मुझ पर चढ़ गया।
उसने अपना लौड़ा मेरी चूत पर टिकाया और एक ज़ोर के धक्के के साथ अंदर पेल दिया।

अब मैं मोहित के नीचे लेटी उससे चुदने लगी।

सन्दीप को आने में कम से कम 20 मिनट तो लगेंगे ही … यह सोच मैंने मोहित को ललकारा- क्या हुआ, रात मेरे मुंह में झाड़कर फुस्स हो गए हो सर आप?

यह सुन मोहित ने मुझे पलटा दिया और मुझे कुतिया बना कर चोदने लगा.
उसके धक्के और निर्मम और तेज़ होने लगे।

हर धक्के के साथ मेरी आहें निकल रही थी- आह अआह आअह उह उम्मह आह!

“चुप कर साली रण्डी!” यह कहकर मोहित ने मेरे बाल पकड़ लिए और मुझे अपनी ओर खींचते हुए चोदना जारी रखा।
“कुतिया हरामण … तेरी चूत नहीं जन्नत है! जितना चोदो, कम है। हर चुदाई के साथ और कस जाती है … आह मेरी रंडी मेरी वीनस … अअहह!” कहते हुए मोहित मेरी चूत में झड़ गया।

उसने पैंट पहनी और बाहर चला गया.

थोड़ी देर में सन्दीप भी आ गया.
वह नाश्ते के साथ मेरे कपड़े भी ले आया.

हम दोनों ने साथ में नाश्ता किया और मैं वापिस निकलने के लिए तैयार हो गई.

इस बार धीरज, कार्तिक और दीपक मेरे साथ गाड़ी में बैठ गए।
हम सभी वहां से दोपहर 1 बजे के करीब निकले.

धीरज ने कार्तिक से कहा- अबे, गाड़ी हाइवे पर आने दे, खूब मज़े करेंगे।

दीपक मेरे साथ पीछे बैठा था और धीरज आगे बैठा था.
कार्तिक गाड़ी चला रहा था।

धूप के बहाने से गाड़ी की खिड़की पर टॉवल लगा दिया।
और देखते ही देखते गाड़ी उनकी वासना का अड्डा बन गई.

हाइवे पर आते ही दीपक ने मुझे नंगी करते हुए कहा- वीनस, तेरे इस भरे हुए जिस्म पर कपड़े अच्छे नहीं लगते, आ तेरे इस खूबसूरत बदन को बेपर्दा कर दूं!
धीरज मुड़ मुड़ के पीछे देख रहा था।

दीपक ने मुझे सीट के बीचों बीच बैठने को कहा और कहा कि टांगें जितनी खोल सकती है खोल!

मैंने उसके कहे अनुसार वैसे ही किया.
अब दीपक बगल में बैठे मेरी चूत सहलाते हुए मेरे उरोज पीने लगे।

बीच बीच में वे अपनी भीगी गीली उंगलियां मेरे मुंह में डालकर चुसवाते।

सबके लौड़े रात भर मुझे चोद कर खड़े नहीं हो रहे थे.
पर सब में मुझे नंगी कर मसलने की लालसा अब भी थी।

“अरे धीरज, तुझे भी मज़े लेने हैं तो पीछे आ जा, चुदाई के लिए तैयार है इसकी चूत!”
“अरे सर, पहले आप अच्छे से ठोक लो, फिर मैं करूंगा.”

मैं भी पूरी तरह गर्म हो चुकी थी, मैंने दोनों को आमंत्रण दिया- सर, आप दोनों एक साथ भी तो आ सकते हैं, कहीं गाड़ी रुकवा लें? मैं तो तीनों लंड एक साथ लेना चाहती हूँ अपने तीनों छेदों में। अअह्ह्ह!

यह कहते हुए मैंने आगे बढ़ कर दीपक का हाथ अपनी चूत पर दबाते हुए दीपक के होंठों पर होंठ रख दिए।

अब दीपक के शिथिल पड़े लिंग में हल्का कसाव आने लगा।
और मेरा खुला निमंत्रण पाकर कार्तिक और धीरज दोनों ही मेरी जवानी को फिर से भोगने को मचलने लगे।

एक सुनसान जगह आते देख कार्तिक ने गाड़ी किनारे लगा दी.

मैंने भी आधे अधूरे कपड़े पहन लिए.

हम चारों गाड़ी से बाहर निकले और जंगल में चले गए।

पंद्रह मिनट तक सीधे चल कर जब हाइवे पर चलती गाडियों की आवाज कम आने लगी, तब दीपक ने मुझे पेड़ से टिका कर कहा- तीनों छेद भरने हैं ना तुझे, आज खुले आसमान के नीचे तेरी जवानी का नंगा नाच होगा!
यह कहकर दीपक ने मेरे कपड़े फिर से खोल कर मुझे पूरी तरह निर्वस्त्र कर दिया.

धीरज और कार्तिक भी नंगे होने लगे.

अब तीनों अपने लंड को सहलाते हुए मुझे घेर के खड़े हो गए।

दीपक ठीक मेरे सामने था.
उसने मेरी गर्दन घोटने की क्रिया की तरह पकड़ी और मेरी चूत पर अपने आधे अकड़े लंड का टोपा रगड़ने लगा।

धीरज ने मेरा दाहिना स्तन कसकर दबोचा और चूसने लगा और मेरे हाथ में अपना लौड़ा पकड़ा दिया.
कार्तिक ने भी यही किया।

धीरज और कार्तिक मेरे स्तनों पर तमाचे मारकर उन्हें लाल कर चुके थे.
तब दीपक ने भी मेरे चेहरे पर तमाचे जड़ दिए।

“आह आह … आह आह!”

दोस्तो, आपको लग रहा होगा कि कितनी क्रूरता है!
पर मुझे इस सब में बहुत मज़ा आ रहा था, नया अनुभव था।

मेरे दोनों चूचुक बेदर्दी से मरोड़े जा रहे थे और दीपक मेरी चूत के दाने को अपने लौड़े से सहला सहला कर मुझे स्खलित करने पर आमादा थे।

मेरा बदन अकड़ने लगा.
दीपक जान गये कि मैं स्खलन की ओर हूं.
उन्होंने तुरंत लौड़ा हटा लिया- बहन को लौड़ी, तुझे झड़ने नहीं दूंगा, जब तक हम तीनों खुश नहीं हो जाते!

अब दीपक नीचे अपनी कमीज बिछा कर लेट गया और मुझे अपने लंड पर बैठने को कहा.
मैं लंड अपनी चूत में सेट कर के दीपक पर झुक कर बैठ गई, अपनी गांड को पीछे की ओर उचकाती हुई!

कार्तिक मेरी गांड मारना चाहता था, वह मेरे पीछे आ गया और मुझे अपने और दीपक के बीच सैंडविच बना कर मेरी गांड पर अपना लौड़ा सेट करने लगा.

धीरज साइड में मेरा मुंह ठोड़ी से पकड़े खड़ा था.

जब दीपक और कार्तिक सेट हो गए तो मैंने धीरज के लिए अपना मुंह खोल दिया.

ओपन पोर्न का खेल में अब मैं तीनों दिशा से चुदने लगी।

पर तीनों के लंड आधे अधूरे खड़े थे।
मैं नकली ‘आह आह आह आह’ की आवाजें करती, जंगल के बीच तीन भूखे भेड़ियों से चुदती हुई।

मज़ा बिलकुल नहीं आ रहा था।
चूत और गांड में शिथिल लुल्लियां कहां मज़ा देती हैं!

इस आधी अधूरी चुदाई का दौर तकरीबन एक घंटा चला.
तीनों रुक रुक कर मुझे काफी देर तक रगड़ते रहे।

इस बीच चोदते चोदते उन्होंने सिगरेट फूंकते फूंकते मेरी गांड फाड़ और चूत फाड़ चुदाई कर डाली।

तीनों में से किसी का लंड ठीक से खड़ा नहीं हुआ और ना झड़ा।
आखिर तीनों ने हार मान ली।

थक कर जब चूर हो गए तो पास ही तीनों मूतने लगे।
मुझे भी सूसू लगी थी।
मैं जब मूतने के लिए उठी तो मूत रोक ही ना पाई और खड़े खड़े मेरा मूत मेरी चूत से बह निकला।

तीनों मेरी हालत देख हंसने लगे.
“क्यों आया ना तीनों छेद भरके मजा?” दीपक बोले.

“सर आपने तो चोद चोद के मेरी जान ही निकाल दी है इस बार!”
“मेरी रानी, तू तो लौड़ों की मल्लिका है, सीईओ तक से चुद ली है, अब कौन है जो तेरी तरक्की के आगे आएगा? क्या पता टॉम तुझे अमेरिका बुला ले अपनी रखैल बनाने को!”

कार्तिक बोला- मैं गाड़ी से पानी ले आता हूं, थोड़ा साफ सफाई करके फिर आगे का सफर करते हैं.

कल का पूरा दिन और रात रंगीन करने के बाद आज मेरी हालत खराब थी, मैं लंगड़ाती हुई कुछ दूर पत्थर पर जाकर बैठ गई।

“क्या हुआ, टांगें थक गई चौड़ी कर करके?” धीरज भी बोला.

थोड़ी देर में पानी आ गया, मैंने अपने हाथ पांव और टांगें धोई और कपड़े पहन लिए.

दीपक को कमीज खराब हो गई थी तो कार्तिक डिक्की से दीपक के सामान से नई कमीज भी ले आया।

हम सबने अपने कपड़े ठीक किए और गाड़ी की ओर बढ़ चले.

सफर फिर से शुरू हो गया.

तीनों रात को हुई मेरी रगड़ाई और अभी की चुदाई की बात करने लगे।
थकान के कारण मेरी जाने कब आंख लग गई।

आंख खुली तो धीरज और कार्तिक दोनों उतर चुके थे।
गाड़ी में सिर्फ मैं और दीपक थे।

मुझे जगती देख दीपक ने मुझे आगे आकर बैठने को कहा।

मैं आगे चली गई।
मेरी जांघों को भींचते हुए वे बोले- अच्छा लगा ये ट्रिप? तेरी गर्मी के आगे दफ्तर की सारी लड़कियां फेल हैं! तुझे चोद के जो सुकून मिलता है, ऐसा कभी रोशनी से भी नहीं मिला. पर रोशनी से पहले जो प्रिया थी, वह तेरी तरह कमाल का माल थी। सुबह जल्दी आकर मेरे कमरे में नंगी हो जाती थी, पहले चुदती थी फिर दूजा काम करती थी। उसके भी बहुत मज़े लिए हैं।

“मैं अगले महीने सिंगापुर जा रहा हूं, चलोगी ना मेरे साथ, खूब मजे करेंगे।” दीपक ने प्रस्ताव रखा।
“आपको सोच के बताऊंगी मैं! मुझे घर जाना है. और घर वाले मेरे लिए रिश्ता भी देख रहे हैं.” मैंने टालने के लिए झूठ बोला।
“चलो ठीक है, बता देना अगर चलना हो तो!”

थोड़ी देर में मेरा घर आ गया, दीपक ने मुझे वहां उतार दिया।
और मैं घर लौट गई।

घर आकर मैंने तुरंत रोशनी को फोन लगाया और पूरी बात बताई.
और उसे दीपक वाली वीडियो भी भेजी जिसमें उसका इकबालिया बयान था।

दूसरी और मैंने सन्दीप को नौकरी तुरंत बदलने का सुझाव दिया।
मैं सन्दीप से रिश्ता कायम रखना चाहती थी।

पर समझ नहीं आ रहा था कि रोशनी को कैसे बताऊं।
उधर टॉम भी मुझे अमेरिका ले जाना चाहता था।

कुछ दिन बाद रोशनी ने किसी और के दस्तावेजों से नया सिम और नया फोन लिया.
और तब उसने दीपक को ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया।

शुरू में दीपक ने रोशनी की बात को गंभीरता से नहीं लिया.
पर जब दीपक की रिकॉडिंग की एक झलक रोशनी ने भेजी तो दीपक के हाथ पांव फूल गए।
वह पता कराने लगा कि नंबर किसका है।

उसने कई बार मेरा पर्स और मेरा फोन चेक किया.
यहां तक कि उसके शक के घेरे में अब सभी मैनेजर थे।

अपनी करतूतों के कारण पुलिस के पास भी नहीं जा सकता था।
और यदि भांडा फूट जाता तो सीईओ तक आंच आ सकती थी.
कंपनी का नाम खराब होता अलग!

दीपक की नौकरी जाती और उसे आगे कहीं काम भी ना मिलता।

कुछ ढूंढ ना पाने के कारण दीपक ज्यादा सतर्क हो गया और उसने अपने कारनामों पर काबू किया.
मैंने जब शादी के बहाने से एक माह बाद इस्तीफा दिया तो दीपक को राहत की सांस आई।

उधर रोशनी ने दीपक से 5 करोड़ मांगे, और उन पैसों को एक गुड़गांव की एक बनती बिल्डिंग के नवें माले पर रखने को कहा।

दीपक पैसे वहां रखने गया.
और बहुत देर तक इंतजार करता रहा छुपकर कि शायद कोई आए और वह उसे दबोच ले।

वह तकरीबन बारह घंटे इंतजार करता रहा कोई नहीं आया.
क्योंकि रोशनी पास वाली बिल्डिंग से नजर रखे थी।

उसने दीपक को मेसेज किया- अपने आपको बहुत होशियार समझते हो. अगर पैसा छोड़ कर नहीं गए तो 15 मिनट में यह वीडियो, तुम्हारी बीवी समेत, सबके पास चली जायेगी। अच्छे से सोच समझ के फैसला लेना, पैसा चाहिए या इज्जत?
यह पढ़ने के बाद दीपक को समझ आ गया कि जब तक वह नहीं जायेगा, ब्लैकमेलर नहीं आने वाला!

उसने बहुत देखा कि कहीं कोई सीसीटीवी तो नहीं।

फिर वह चला गया.
रोशनी भी उसी वक्त वहां नहीं गई.

वह सुबह 3 बजे बैग उठा लाई।

उसने मुझे फोन किया और बताया कि पैसे मिल गए हैं।
उसने चार बजे फोन को सिम के साथ दूर जाकर एक नाले में फेंक दिया।

कुछ महीने बाद हमने पैसों के तीन हिस्से किए और मैंने रोशनी को बताया कि किस तरह मैं किसी और के प्यार में पड़ गई हूं।
रोशनी का दिल टूट गया।

सन्दीप ने 3 महीने में दूसरी नौकरी ढूंढ ली और हम मिलकर एक साथ रहने लगे।

हमने शहर बदल लिया और पैसे बैंक के चार अलग अलग लॉकर में रख दिए।

अब मेरे नाम पर गुड़गांव में एक फ्लैट है और सन्दीप के साथ मैं खुश हूं।

सन्दीप और मैं एक ओपन शादी में हैं. हम दोनों ही सेक्स के हर पहलू का अनुभव करने को उत्सुक रहते हैं।
उसके प्यार ने मेरे सारे घाव भर दिए।

हम दोनों अपनी अपनी जिंदगी में बिज़ी रहते हैं और प्यार जताने का कोई मौका नहीं गंवाते।

खूब सारा प्यार, पैसा और सेक्स से जिंदगी अच्छी कट रही है।

सन्दीप जानता है कि मैं बायसेक्सुअल हूं, और उसे मेरे और रोशनी के हमबिस्तर होने से कोई दिक्कत नहीं है।

रोशनी और मेरी लेस्बियन सेक्स की कहानियां फिर कभी।

इस ओपन पोर्न का खेल कहानी को अपना समय देने के लिए धन्यवाद।
आप अपनी राय मुझे मेल और कमेंट्स में भेजें.
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