कुंवारी गांड के बदले कुंवारी गांड चोदी

ऐस Xxx कहानी गांड का अट्टा बट्टा चुदाई की है. मेले में मुझे एक आदमी पसंद आया तो मैंने उससे अपनी गांड मरवा ली. तो बदले में उसने भी मुझे उसकी गांड मारने को कहा.

दोस्तो, मैं मेरठ के नौचंदी के मेले को देखने गया था और उधर एक गबरू मर्द कामेश से अपनी कुंवारी गांड की सील तुड़वा कर उसी के साथ मेले में घूमने चला गया था.

उस गे सेक्स कहानी
बाग में गांड की सील तोड़ चुदाई
को मैंने आपके सम्मुख पेश किया था. उस ऐस Xxx कहानी में मैंने लिखा था कि उस गबरू मर्द ने मुझे रिटर्न गिफ्ट देने की बात कही थी.

वह रिटर्न गिफ्ट क्या था, तब मैं समझ नहीं पाया था. वह क्या गिफ्ट था, उसे मैं अपनी इस कहानी में लिख कर बता रहा हूँ.

मेरी गांड मारने के बाद कामेश मुझे मेले में ले गया और उसने मुझे बहुत सी चीजें खिलवाईं.
लगभग एक घंटे घूमने के बाद हम दोनों वापस लौटे.

लौटते समय उसने बताया कि आज पहली बार मैंने किसी की सील तोड़ी है हालांकि मैंने सेक्स तो बहुत लड़कों के साथ किया, पर उनकी सील पहले से ही टूटी हुई थी.
हम दोनों आपस में बिंदास हो गए थे और चुदाई की बातें करते हुए जा रहे थे.

अब तो मुझे उसे छूने में भी मज़ा आने लगा था.
मैं बार बार किसी भी तरह उसको कभी कंधों पर, कभी कमर पर छू लेता.

साटन सिल्क के कुर्ते की वजह से उसके रेशमी जिस्म की छूने में और भी मज़ा आ रहा था.

वह भी सब समझ रहा था इसलिए हम जिस भी शॉप पर जाते वह मुझसे सट कर बैठ जाता ताकि मैं उसके रेशमी जिस्म छू सकूं.

कभी कभी मैं उसकी जांघ सहलाता, साटिन की रेशमी धोती के ऊपर से उसकी चिकनी जांघ सहलाने में मुझे बड़ा मजा आ रहा था.

अपनी जांघ सहलवाने में उसे भी मज़ा आ रहा था क्योंकि कई बार उसने खुद मेरा हाथ पकड़ कर अपनी जांघ पर रखा.

एक दुकान पर हम थोड़ा सा कोने में बाकी लोगों से काफी अलग बैठे थे तो मैंने उसकी जांघ को सहलाते सहलाते उसका लंड भी पकड़ लिया और सहलाने लगा था.

उसका सुस्त लंड सहलाने में भी बड़ा मजा आ रहा था.
फिर मैं उसकी धोती में हाथ डालकर उसके लंड की मुठ मारने लगा तो उसका लंड फिर से कड़क होकर खड़ा हो गया था.

पर मौके की नजाकत को देखते हुए उसने मुझे मना कर दिया और मैंने अपना हाथ उसकी धोती से बाहर निकल लिया.
हम फिर बाग वाले रास्ते से ही वापस आने लगे.

हम अभी भी एक दूसरे के हाथ पकड़े हुए थे.

अब मैं उसके साथ पूरी तरह से खुल गया था इसलिए लौटते हुए रास्ते में वह जब भी मुझे चूमता … तो मैं उससे लिपट जाता और उसका पूरा साथ देता.

जब हम वापिस उसी जगह पर आए तो उसने शॉल उठा लिया और चलने लगा.
मैंने उसका हाथ पकड़ कर रोक लिया और कहा- मैं आज की पूरी रात तुम्हारे साथ गुजारना चाहता हूँ.

यह कह कर मैं एकदम से उसके जिस्म से लिपट गया और उसे चूमने लगा.
वह भी खुश हो गया और बोला- यार, मैं तो खुद पूरी रात तेरे साथ गुजारना चाहता हूँ.

मैं उसके खूबसूरत मस्त मस्त लंड से खेलना चाहता था.

उसने शॉल फिर से पेड़ पर लटका दिया.
वह एक पेड़ के सहारे आंख बंद करके और अपने हाथों को सिर के पीछे करके खड़ा हो गया और बोला- अब सब तेरे हाथ में है.

मैं उसके रेशमी कुर्ते के ऊपर से ही उसके निप्पलों को सहलाने मसलने लगा, जिससे उसके निप्पल सख्त हो गए.

मैंने उसका सिल्क का कुर्ता उतार दिया और मैं उसके निप्पलों को चूसने लगा.
अब उसे भी मज़ा आने लगा था.

फिर मैं उसकी धोती के ऊपर से ही उसके लंड को सहलाने लगा.
रेशमी धोती की वजह से लंड सहलाने में बड़ा मजा आ रहा था.

मैंने धोती में हाथ डालकर उसका लंड पकड़ लिया.

वह अभी ढीला और लटका हुआ था लेकिन अभी भी बहुत गर्म था.

पहले तो मैंने अपने हाथ से ही उसका लंड को और उसके आंडों को सहलाया, फिर मैंने अपना सिर उसकी धोती में घुसा दिया और उसका खुशबूदार गुलाबी चिकना लंड चूसने लगा.

अब उसका लंड खड़ा होने लगा था.
थोड़ी देर में वह फिर से गर्म लोहे का बन चुका था.

मैंने उसका लंड धोती से बाहर निकाला.
कभी मैं उसके लंड पर मुठ मारता तो कभी मुँह में लेकर चूसता.

मुझे भी उसके लंड के साथ खेलने में मज़ा आने लगा था.

मैं उसकी रेशमी मांसल जांघों को चूमने और चाटने लगा … कभी उसके रेशमी आंडों को चूसता और कभी उसके गुलाबी चिकने लंड को.

कुछ देर बाद मैंने उसकी धोती खोल कर बिछा दी और हम दोनों आराम से बैठ गए.
इस बार हमें कोई जल्दी नहीं थी.

उसने अपनी घड़ी में देखा रात के 2 बज रहे थे तो हमारे पास काफी वक़्त था.

वह कमर के बल लेट गया और बोला- मेरे जिस्म से जितने मज़े ले सकता है … ले ले.

मैं बिल्कुल खुल चुका था.
उसका नंगा जिस्म मेरे आगे था और वह कोई जोर जबरदस्ती भी नहीं कर रहा था बल्कि वह तो अपने हाथ सिर के नीचे करके आंखें बंद करके आराम से लेट गया था.

मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए और उसके पास लेट गया.

थोड़ी देर हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे.

इस बीच उसका लंड फिर ढीला होकर लटक गया था.

वह बोला- पहले मैंने तेरे जिस्म से मज़े लिए, अब तू ले ले … जितना मज़ा ले सकता है.
मैंने कहा- बताओ क्या करूँ!

उसके कहने पर मैं उसके ऊपर लेट गया.
उसने अपने हाथ मेरी कमर पर लपेट लिए और पैर मेरी गांड पर.

अब मैं पूरी तरह से उसकी आग़ोश में था.
मेरा चेहरा उसके चेहरे के सामने था.

उसने मेरे होंठ चूम लिए जिससे मेरे बदन में आग लग गई.
मैं भी उसके होंठों को चूमने लगा.

फिर तो हमने बहुत देर तक अपने होंठों को एक दूसरे के होंठों से सटाए रखा.
कभी वह मेरी जीभ चूसता, कभी मैं उसकी.

हम दोनों के लंड कड़क हो चुके थे.

क्योंकि मेरी हाइट उससे कम थी तो जब हम एक दूसरे के होंठ चूस रहे थे तो मेरा लंड उसके पेट पर रगड़ खा रहा था … और उसका लंड मेरी गांड के पीछे सटा हुआ था.

मैं अपनी गांड ऊपर नीचे करके उसका लंड रगड़ रहा था.
अब मैं धीरे धीरे नीचे आने लगा.

मैंने उसकी गर्दन को चूमा और नीचे आकर उसके निप्पलों की सख्त गांठों को चूसने लगा.

वह भी दीवानों की तरह आहें भरने लगा और मेरे पूरे जिस्म को अपनी बांहों और पैरों के बीच भींचने लगा.

मैं उसके पेट को चूमते हुए उसकी नाभि तक आ गया.

मैंने उसकी नाभि में जीभ डालकर होंठों को नाभि के चारों ओर सटा लिया.

उसने हाथों से मेरे सिर के बाल पकड़ कर मेरा सिर अपने लंड के ऊपर का झांटों वाले एरिया पर कर लिया.
हालांकि वह बिल्कुल चिकनी जगह थी.

मैंने वह एरिया चाट चाट कर बिल्कुल गीला कर दिया.

वह बोला- अब और ना तरसा और मेरा माल निकाल दे.

मैंने उसका लंड हाथ में ले लिया और पंप करने लगा, फिर मुँह में ले लिया और अपनी लार से उसका पूरा लंड तर कर दिया.
कभी मैं उसके आंड चूसता, कभी लंड.

कुछ मिनटों तक ये ही चलता रहा.

इस बीच वह भी बार बार मेरे लंड को सहला देता था जिससे मेरे बदन में भी बिजली सी दौड़ जाती थी.
फिर उसने कहा- मेरा निकलने वाला है.

मैंने उसके आंड मुँह में ले लिए और उसके लोहलाट गर्मागर्म लंड का जोर जोर से मुठ मारने लगा.

उसने एकदम से पिचकारी छोड़ दी.
कमाल का आदमी था.

अभी डेढ़ घंटे पहले ही तो खाली हुआ था और अब फिर से बहुत सारा मलाईदार माल छोड़ दिया.
कुछ उसके पेट पर गिरा और बाद का बाकी रस उसके लंड के चारों तरफ.

मैं अभी भी उसके लंड का मुठ मार रहा था जिससे उसका लंड उसके ही गाढ़े माल से पूरी तरह से सन गया था और मेरे हाथ भी उसके माल से तर थे.

मैंने उसके पेट पर गिरे माल को उसी के पेट पर मसल दिया जिससे उसका गर्दन से नीचे से लेकर लंड तक का सारा जिस्म, उसी के लंड के गाढ़े दूध से गीला हो गया.
अब उसका जिस्म पसीने और वीर्य से गीला था जिसकी महक मुझे मदहोश कर रही थी.

मैं उसके ऊपर ही लेट गया और फिर से उसकी जीभ अपने मुँह में लेकर चूसने लगा.

फिर हम दोनों निढाल से थोड़ी देर ऐसे ही लेटे रहे.
अब हमारे लंड भी ढीले हो गए थे.
वह मेरे नीचे और मैं उसके ऊपर था.

कुछ पल बाद वह बोला- ऐसे तो हमें नींद आ जाएगी. चल अब मैं तेरा माल निकाल देता हूँ.

अभी तक मैंने खुद मुठ मार कर ही अपना माल निकाला था, कभी किसी और के हाथों से नहीं.

मैं पीठ के बल लेट गया.
वह मेरे होंठों को चूमने लगा और चूसने लगा.

मैंने अपने हाथ पैर उसके जिस्म पर लपेट दिए.
हम दोनों एक दूसरे से ऐसे चिपके हुए थे कि मानो दो जिस्म एक जान हों.

क्योंकि उसका जिस्म उसके ही माल से सना हुआ था तो हमारे जिस्म आपस में चिपक गए.

वह मुझे दीवाना सा चूम रहा था.
फिर वह मेरे कानों की लटकन को चूसने लगा.

इससे मेरी तो जैसे जान निकलने लगी, पूरा जिस्म तपने लगा था जैसे तेज़ बुखार हो गया हो.

धीरे धीरे वह नीचे तक आ गया और मेरे झांटों वाले एरिया में अपने दांतों को गाड़ने लगा.

मैं तो जैसे सातवें आसमान पर था.

फिर वह प्यार से अपनी जीभ को मेरे आंडों से लंड के सुपारे तक ऐसे चाटने लगा मानो मालिश कर रहा हो.

फिर वह मेरे लंड के सुपारे को मुँह में लेकर चूसने लगा.

उसने थोड़ा सा लंड और अन्दर लिया. फिर और … और इस तरह से उसने मेरा पूरा लंड अपने हलक तक ले लिया.

मैं उसके हलक की मांसपेशियों को अपने लंड के सुपारे पर रगड़ता हुआ महसूस कर रहा था.

उसने मेरा पूरा लंड अपनी लार से तर कर दिया था जिससे हल्की रोशनी में भी मेरे लंड का गुलाबी सुपारा चमक मार रहा था.
हालांकि उसका लंड मेरे लंड से तो बहुत ज्यादा खूबसूरत था.

फिर उसने पूछा- मेरी गांड मारेगा क्या?
मैं मना करने लगा.

तो वह बोला- मार के तो देख, बड़ा मज़ा आएगा तुझे.
उसने कहा- आज तक मैंने सिर्फ गांड मारी है, कभी मरवाई नहीं है. लेकिन किसी की गांड की सील आज ही तोड़ी है तो मैं चाहता हूँ कि मैंने जिसकी सील तोड़ी है, आज वह भी मेरी सील तोड़ दे. ये रिटर्न गिफ्ट समझ ले.

मैंने अपनी खुशी दबाते हुए कहा- तुम्हें दर्द होगा!
वह हंसने लगा और बोला- नहीं होगा और थोड़ा सा हुआ भी तो मैं तेरे मज़े के लिए उसे सह लूंगा.

मैंने कहा- मुझे गांड मारनी नहीं आती.

वह डॉगी पोजीशन में आ गया और बोला- मेरी गांड के छेद पर खूब सारी लार लगा कर गीला कर दे और अपनी जीभ से चाट कर गांड को उतावला कर दे.

मैंने कहा- बदबू नहीं आएगी क्या?
वह बोला- कुछ सेकंड अपनी सांस रोक कर चाट, फिर मुँह हटा लेना.

मैंने ऐसा ही किया.
यार उसकी गांड थी या भट्टी.
एकदम गोरी चिकनी गदराई हुई और उसकी गांड के सुर्ख लाल छेद के पास बिल्कुल भी बाल नहीं थे.

फिर उसने अन्दर उंगली डालने को कहा.

अब मैं कभी उसकी गांड में उंगली करता और कभी चाट लेता.
उसकी गांड मैंने अपनी लार से तर कर दी थी.

अब मैंने पोजीशन बनाई और धीरे से अपने लोहलाट हो चुके लंड का सुपारा उसकी गांड के बड़े हो चुके छेद पर दबाने लगा.

वह अपने एक हाथ से मेरी गांड पकड़ कर अपनी गांड पर ऐसे दबाने लगा मानो मेरी मदद कर रहा हो.

तब वह बोला- मेरी जान ऐसे काम नहीं चलेगा. ऐसे हल्के से अन्दर नहीं जाएगा और तेरा लंड भी ढीला पड़ जाएगा. एक बार पूरा जोर लगा कर एक बार में सारा अन्दर कर दे.

मैंने अपने दोनों हाथों से उसके दोनों चिकने चूतड़ अलग किए और पूरे जोर से धक्का मारा.
मेरा लंड एक झटके में अन्दर चला गया.

वह एकदम से तड़प गया शायद उसे भी दर्द हुआ था क्योंकि पहली बार उसकी गांड में कोई लंड घुसा था.

फिर उसने जोर जोर से धक्के मारने को कहा और कहा कि 4-5 धक्के मार कर बाहर निकाल लेना.
मैंने ऐसा ही किया.

मैं कभी धीरे धीरे और कभी जोर से अन्दर बाहर करने लगा.

जब मैं अपना लंड बाहर निकाल कर दुबारा डालता तो उसकी गांड की रगड़ से बड़ा मजा आता.

फिर उसने कहा- चल पोजीशन बदलते हैं.

अब मैं कमर के बल लेट गया.

उसने पहले तो मेरा लंड फिर से चूसा और बोला- यार, मेरी गांड का स्वाद तो बहुत मस्त है. तेरे लंड में मुझे अपनी गांड का स्वाद भी मिल गया.

अपनी लार से मेरा लंड उसने पूरा तरबतर कर दिया था.
फिर वह अपने पैरों के पंजों पर ऐसे बैठ गया कि उसकी गोरी गोरी चिकनी गांड मेरे लंड के ऊपर आ गई थी.

उसने अपने एक हाथ से मेरा कड़क लंड पकड़ा और अपनी गांड का छेद मेरे लंड के सुपारे पर रख कर अपनी गांड को मेरे लंड पर दबा दिया.
इससे मेरा पूरा लंड एक बार में ही अन्दर चला गया.

अब वह ऊपर नीचे होकर आने गांड मरवा रहा था.
जब मैंने कहा कि मेरा माल निकलने वाला है तो उसने फिर से मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया.

उसने मेरा लंड जड़ तक निगल लिया था.
मैं फिर से उसके हलक की मांसपेशियों को अपने लंड पर रगड़ता हुआ महसूस कर रहा था.

तभी मैंने पिचकारी छोड़ दी.

लेकिन उसने मेरा लंड मुँह से नहीं निकाला, जिससे मेरा सारा गर्मागर्म माल उसके हलक में ही निकल गया.

मैंने 2-3 पिचकारी मारी थीं और वह मेरे सारे गर्म गाढ़े माल को पी गया.

कुछ पल बाद उसने मेरा लंड अपने मुँह से बाहर निकाला.

मेरा माल अब भी थोड़ा थोड़ा निकल रहा था जिसे वह तुरंत चाट ले रहा था.
उसने एक बूंद को भी बेकार नहीं जाने दिया.
जब तक मेरा लंड ढीला नहीं हो गया, वह मेरा लंड चाटता रहा.

वह वापिस मेरे ऊपर आया और मेरे होंठों को चूमने लगा.
उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी … तो मुझे अपने ही माल का नमकीन स्वाद आने लगा.

मैंने कहा- मैंने तो बेकार में ही तुम्हारा माल खराब कर दिया. मुझे भी तुम्हारा माल चखना चाहिए था.
लेकिन उसने कहा- मुझे अपने माल से ही अपनी मालिश करवाने में बड़ा मजा आया.

अभी पौने तीन बजे थे.
हमारे पास काफी वक़्त था ऐस Xxx मजा लेने के लिए!

अब हम दोनों के ही लंड ढीले होकर लटक गए थे.

वह मेरे ऊपर से उतरा और बराबर में पीठ के बल लेट गया और मैं उसके ऊपर लेट गया.
उसके गदराए हुए रेशमी जिस्म पर लेटने में मुझे बड़ा मजा आ रहा था.

हम दोनों चुपचाप ऐसे ही लेटे रहे.
मेरा चेहरा उसके सीने में था.
उसके जिस्म से अभी भी वीर्य और पसीने की मदहोश करने वाली गंध आ रही थी.

वह प्यार से धीरे धीरे मेरी गांड भी सहला रहा था.

बहुत देर तक ऐसे ही लेटे रहे.
बीच में मैं कभी उसके निप्पलों को अपने दांतों से काटता तो वह सिसकारी भर देता.

कभी हम दोनों एक दूसरे की चूमने लगते और एक दूसरे की जीभ चूसते.

चार बजे वह बोला- अगर तुम चाहो, तो मेरे गाढ़े दूधिया माल का स्वाद ले सकते हो.
मैंने कहा- तुम 2 बार तो निकाल चुके हो!
वह बोला- बहुत दिनों बाद ऐसा मौका मिला है. आज तो मैं दस बार भी निकाल सकता हूँ. बस तुम्हें ही लंड खड़ा करने में थोड़ी मेहनत करनी पड़ेगी.

बस फिर क्या था … मैं सरक कर नीचे आ गया और उसके ढीले पड़े लंड को सहलाने लगा; कभी उसके आंड चूसता, तो कभी उसके ढीले लंड को.

उसके ढीले लंड को चूसने में भी मज़ा आ रहा था क्योंकि वह ढीला तो था पर बहुत गर्म था.

उसका लंड उसके ही खुशबूदार माल से सना हुआ था जिसे मैंने चाट कर साफ कर दिया था.

मैंने उसके ढीले पड़े लंड को दोनों हाथों से कस कर पकड़ा और उसके सुपारे को चूसने लगा.

लगभग 10 मिनट लगे उसके लंड को फिर से कड़क होने में.

मैंने उसका पूरा लंड अपने मुँह में लेना चाहा लेकिन उसका लंड मेरे लंड से बहुत बड़ा था.
जबकि मैं उसके लंड को जड़ तक खा जाना चाहता था.

फिर भी कई बार मैंने उसके लंड को अपने हलक में उतारा.
जब सांस रुकने लगता, तो बाहर निकाल लेता.

मैं तो उसके लंड के लिए पागल हो गया था.

क्योंकि वह पहले 2 बार निकल चुका था इसलिए अब निकलने में टाइम तो लगता ही.

अब मैंने अपने आपको उसके जिस्म पर ऐसे घुमाया कि मेरा लटका हुआ लंड उसके चेहरे पर टिक गया.
वह समझ गया और मेरे ढीले पड़े लंड को मुँह में लेकर चूसने लगा.

मेरा लंड ढीला पड़ा था, इस समय छोटा भी था.
वह तो मेरे लंड के साथ मेरे आंडों को भी खा जाता था.

धीरे धीरे मेरा लंड भी कड़क होने लगा.
अब तो हम दोनों की ही मज़ा आने लगा.

कुछ मिनट बाद वह बोला- मैं छूटने वाला हूँ.

मैंने जितना ज्यादा हो सकता था, उसका लंड मुँह के अन्दर तक ले लिया क्योंकि इस बार मैं उसके जायकेदार माल की एक बूंद भी जाया नहीं करना चाहता था.

उसने मेरे मुँह में पिचकारी मार दी.
ऐसा लगा जैसे मैंने गर्मागर्म नमकीन माण्ड पी लिया हो.

जब तक उसका लंड फिर से ढीला नहीं हो गया, मैं उसे चूसता ही रहा.
उसके लंड से निकले माल की आखिरी बून्द तक को मैंने चाट लिया.

उसका माल बहुत टेस्टी था.

अब मैं अपने घुटनों के बल खड़ा हो गया और वह अपनी गांड के बल जमीन पर बैठ गया.

मेरा लंड उसके मुँह के सामने था और पूरी तरह से तप कर लोहा हो चुका था.

उसने मेरी गांड अपनी हथेलियों से जकड़ ली और लंड मुँह में लेकर मेरी गांड को अपनी तरफ दबाने लगा, जिससे मेरा लंड बार बार उसके हलक में अन्दर तक चला जाता.

मुझे बड़ा मजा आ रहा था और मैं जल्दी नहीं झड़ना चाहता था.
इसलिए मैं थोड़ी थोड़ी देर में उसके मुँह से लंड बाहर निकाल लेता और झुक कर उसके होंठों को चूसने लगता.

मुझे उसकी जीभ चूसने में बड़ा मजा आ रहा था क्योंकि उसके मुँह में अभी भी मेरे वीर्य का स्वाद था.

जब मेरा माल निकलने को हुआ तो मैंने उसका सिर पकड़ा और अपना पूरा लंड उसके मुँह में दे दिया.

उसने भी मेरी गांड को दबा कर मेरा पूरा साथ दिया.
मैंने जोर जोर से 3-4 पिचकारी उसके हलक में मार दीं.

वह सारा माल निगल गया और मेरा लंड अपने मुँह से तब तक नहीं निकाला, जब तक वह फिर से ढीला नहीं हो गया.

फिर उसने मेरा लंड बाहर निकलकर चाट चाट कर साफ कर दिया.

हम दोनों ही थक गए थे.

वह पालथी मार कर बैठ गया और मैं उसकी गोद में उसकी कमर के इर्द गिर्द पैर लपेट कर बैठ गया.
हमारे चेहरे एक दूसरे के सामने थे.

हम दोनों थोड़ी देर एक दूसरे से लिपट कर ऐसे ही बैठे रहे, फिर कपड़े पहने.

मैंने अपनी जिन्दगी में इतना खूबसूरत लंड नहीं देखा.

अधिकतर लंड डार्क रंग के होते हैं. मेरा भी डार्क रंग का है. लेकिन उसका साफ गोरे गुलाबी रंग का था.

बाग के बाहर तक एक दूसरे का हाथ पकड़ कर निकले.
जब वह हाथ छुड़ाकर जाने लगा तो मैंने पीछे से कहा- बाई कामेश, आई लव यू!

उसे आजतक किसी ने उसके पसंद के नाम से नहीं पुकारा था तो वह इमोशनल होकर पलटा और फिर से मेरे होंठों को चूमने लगा.
फिर वह चला गया.

तो दोस्तो, यह मेरी रिटर्न गिफ्ट वाली गे सेक्स कहानी थी जिसमें कामेश ने पहले मेरी गांड मारी और बाद में मुझसे अपनी गांड मरवाई.

आपको यह ऐस Xxx कहानी कैसी लगी, प्लीज अपने कमेंट्स भेजें.
[email protected]