गांडू बनने की शुरुआत

होमो सेक्स की कहानी में पढ़ें कि मैं कॉलेज में गया तो जवानी का जोश पूरे उफान पर था। सेक्स के लिए मैं कुछ भी करने को तैयार था। मुझे नहीं पता था कि मेरी ये प्यास मेरे गांडू बनने की शुरुआत थी।

नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम निखिल है। मेरी उम्र 25 वर्ष है और मैं दिल्ली एनसीआर के क्षेत्र ग्रेटर नोएडा में रहता हूँ।

यह होमो सेक्स की कहानी आज से लगभग 5 साल पहले की है जब मैं कॉलेज में पढ़ता था।

कॉलेज के शुरुआती दिनों में मैंने लड़की पटाने की बहुत कोशिश की लेकिन बात न बनी।
उस समय जवानी इतनी जोर मार रही थी कि मैं सेक्स के लिए कुछ भी करने को तैयार था।

एक दिन मैं पॉर्न देख रहा था तभी अचानक ही मेरे सामने एक गे पोर्न वीडियो आ गई।
हालाँकि तब तक मैं लड़कों को समान्य नज़र से ही देखता था। मगर फिर उस गे पोर्न ने मेरा देखने का नज़रिया बदल दिया।

अब तो रोज मैं गे पोर्न देखने लगा।
परंतु डर के कारण अभी सिर्फ पोर्न तक ही सीमित था।

एक दिन मैंने गूगल पर गे डेटिंग ऐप के बारे में सर्च किया तो एक ऐप डाऊनलोड भी कर ली।

उस गे डेटिंग ऐप पर कई सारे लड़के थे जो कि मेरे 10 किलोमीटर के दायरे में थे।
मुझे ये नहीं पता था कि टॉप और बॉटम क्या होता है।

ऐसे ही एक लड़के का मैसेज मुझे आया।

उसका नाम दीपक था। उसकी उम्र 28 साल थी वो एक टॉप था। उसने मुझसे पूछा कि तुम बॉटम हो क्या?
मैंने बिना किसी जानकारी के जुटाए ही उसको हां कह दिया जबकि मुझे बॉटम के मायने नहीं पता थे।

उसने कहा कि जगत फार्म पर मिलो, मैं कार लेकर आ रहा हूँ।
मैंने डरते हुए हामी तो भर दी लेकिन मन बहुत घबरा भी रहा था।
पहली बार मैं ऐसा कुछ काम करने जा रहा था और वो भी एक ऐसे लड़के के साथ जिससे मैं पहली बार मिल रहा था।

मैं उसके बताये समय पर जगत फार्म पर पहुंच गया।

मेरे सामने एक ब्लैक कलर की डस्टर कार आकर रुकी।
उसने मुझे कॉल की और बोला कि कार के अंदर आ जाओ।
मैं सीधे जाकर उसकी कार में बैठ गया।

उस लड़के की हाइट 6 फुट के करीब रही होगी।
वो देखने में एकदम जॉन अब्राहम जैसा लग रहा था।

पता नहीं क्यों मैं हल्का हल्का कांपने लगा था।

वो मुझे देख कर मुस्कराने लगा। वो बोला- आराम से बैठो निखिल!
ये बोलकर उसने एक हाथ से मेरी जांघ सहलाना शुरू कर दी।

अब मुझे थोड़ा अच्छा लगने लगा, मेरा लंड भी खड़ा होने लगा।

वैसे आज तक किसी लड़के ने मेरे बदन को इस तरह से नहीं छुआ था।

स्कूल और बाहरी दोस्तों के बीच में मजाक मस्ती होती थी लेकिन उस वक्त तो अगर कोई लड़का कुछ छेड़खानी करता था तो कभी इस तरफ ध्यान नहीं जाता था।

मगर आज दीपक जब मेरी जांघ को अपने हाथ से सहला रहा था तो मेरे लंड में तनाव आने लगा।
उसके द्वारा मेरी जांघ को सहलाया जाना मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।

मुझे ये भी नहीं पता था कि अगर कोई लड़की मेरी जांघ को सहलाती तो क्या ऐसे ही मेरे लंड में तनाव आता, इस बारे में मैं कुछ अंदाजा नहीं लगा सकता था।
मगर उस वक्त तो ये मेरी समझ में आ गया था कि लड़के द्वारा उत्तेजित किये जाने पर भी मैं उत्तेजित हो सकता हूं।

इसी तरह के ख्यालों में मैं उसके साथ बैठा रहा।
वो मेरी जांघ पर हाथ फेरता रहा।

अब धीरे धीरे मेरा मन भी करने लगा था कि मैं भी उसकी जांघ पर हाथ फेर कर देखूं।
मेरा मन भी ये आजमाने को कर रहा था कि किसी दूसरे लड़के की जांघ पर हाथ फेरकर कैसा लगता है।

यही सोचते सोचते तब तक हम उसके घर पहुंच गए।
यह एक अपार्टमेंट था।

जब हम अन्दर पहुँचे वहाँ पहले से ही एक लड़का और बैठा था।
उसकी उम्र लगभग 26 साल होगी। उसका नाम अंकुर था।

मैंने दीपक से धीरे से पूछा- ये कौन है और यहां क्या कर रहा है?
वो बोला- यह लड़का सब जानता है। यह कुछ नहीं करेगा और न कुछ तुमसे कहेगा। ये बस बाहर बैठा है और यहीं बैठा रहेगा।

तब तक हम दोनों अंदर के कमरे में चले गए।

कमरे में अंदर पहुंचते ही दीपक मुझसे लिपटने लगा।

मुझे पहले तो थोड़ा अजीब लगा मगर फिर उसके द्वारा मेरी बॉडी को सूंघा जाना और हल्के फुल्के यहां वहां किस किए जाने से मुझे अच्छा लगने लगा।
मैं भी अब उसको बांहों में भरने लगा।

कुछ देर तक हम दोनों एक दूसरे के जिस्मों पर हाथ फेरते रहे।

इस बीच मेरा लंड पूरा तन गया था और उधर से मुझे दीपक का लंड भी उसकी पैंट में तना हुआ महसूस हो रहा था जो मेरी जांघ पर कई बार टकरा चुका था।

हम दोनों अब गर्म हो गए थे; हमारी सांसें भारी हो गई थीं।

हम दोनों ने एक दूसरे के चेहरे को पकड़ा और हवस भरी नजरों से देखने लगे।
अब तक मेरा डर भी न जाने कहां गायब हो गया था।

उसके होंठ जैसे मेरे होंठों को चूसने के लिए प्यासे से लग रहे थे मुझे!
इतने में ही वो जोर से मुझे किस करने लगा।

मेरा पहली बार था तो मुझे थोड़ा अजीब सा लगा।

मैंने उसको थोड़ा पीछे हटाने की कोशिश की लेकिन वो नहीं हटा।
वो मेरे होंठों को चूसने पर उतारू रहा और मेरे होंठ न खोलने पर भी उनको किस करता रहा।

धीरे धीरे मुझे उसके होंठों को अपने होंठों पर किस किए जाना अच्छा लगने लगा और मैं भी उसका साथ देने लगा।
अब मुझे भी मज़ा आ रहा था।

लगभग पांच मिनट तक हम दोनों का गहरा चुम्बन चला।

मुझे अब ऐसा लग रहा था जैसे कि मुझे यही चाहिए था।

मैं इसी मजे की तलाश में था। मुझे ये नहीं पता था कि लड़की से साथ जिस्म का खेल खेलने का अनुभव कैसा होगा मगर उस वक्त दीपक के साथ मैं जैसे कहीं खो सा गया था।

उसके हाथ अब मेरी गांड को दबाने लगे थे।

फिर दो मिनट के बाद उसने मेरी शर्ट के बटनों को खोलना शुरू कर दिया।
उसके होंठ अभी भी मेरे होंठों पर लगे हुए थे।

उसने मेरी शर्ट उतार दी और फिर बनियान भी निकलवा दिया।

उसने मेरी गर्दन पर चूमा तो जैसे मेरे बदन में बिजली सी दौड़ गयी।
इतना सरसरा अहसास मुझे इससे पहले कभी नहीं हुआ था।

वो लगातार मेरे जिस्म को चूमे जा रहा था; कभी होंठों पर तो कभी गर्दन पर … कभी मेरे गालों पर तो कभी छाती पर।
उसने एक हाथ से मेरी छाती के दायें निप्पल को कस कर भींच लिया और उसके छोटे से दाने को दांत से काटते हुए मेरी चूची को जैसे पीने लगा।

इस हरकत से मेरे अंदर जैसे एक नशा सा छाने लगा। मैं उसके बालों को खुद ही सहलाने लगा।
वो जोश में मेरी निप्पल को दांत से काटते हुए मेरी छाती को पी रहा था।

उसके बाद उसके हाथ मेरी पैंट को खोलने लगे।
उसने मेरी बेल्ट खोली और फिर पैंट का हुक खोलकर उसको ऐसे ही छोड़ दिया।
फिर उसने अपनी शर्ट के बटन खोले और उसको निकाल कर एक तरफ रख दिया।

अब वो बनियान में था। उसका बदन काफी कसा हुआ था।

फिर उसने अपनी बनियान भी उतार दी।
अब उसकी छाती भी मेरे सामने नंगी थी।
वो देखने में काफी आकर्षक लग रहा था।

पता नहीं क्यों आज मुझे पहली बार किसी लड़के के जिस्म को कामुक दृष्टि से देखना अच्छा लग रहा था।

इतने में ही उसने मुझे अपनी ओर खींच लिया; उसने मुझे अपने से सटा लिया।
अब हम दोनों की छाती आपस में सट गई थी।

एक बार फिर से उसके होंठों ने मेरे होंठों को घेर लिया; वो मुझे बेतहाशा किस करने लगा।

उसका लंड उसकी पैंट में तना हुआ अब मेरी जांघों में घुसने की कोशिश कर रहा था।

वो बार बार अपने लंड की टक्कर मेरी जांघों में मार रहा था और इससे मेरी उत्तेजना हर बार बढ़ती जा रही थी।

फिर उसके हाथ मेरी पैंट में चले गए और मेरे चूतड़ों पर हाथ ले जाकर वो उनको मेरे अंडरवियर के ऊपर से ही भींचने लगा।

मेरी गांड आगे की ओर धकेलते हुए मेरे लंड वाला हिस्सा अब उसके लंड वाले हिस्से से सट रहा था।

वो जोर जोर से मेरी गांड को भींच रहा था।
कुछ ही पल के बाद मेरी गांड दुखने लगी।

उसकी पकड़ बहुत ज्यादा मजबूत थी।
फिर उसने मेरी पैंट को नीचे कर दिया।

अब मैंने भी अपने पैरों से पैंट को पूरी ही नीचे निकाल दिया।
मैं केवल अंडरवियर में था और मेरा लंड तना हुआ था।

उसमें से पानी निकलने लगा था जिससे कि अंडरवियर लंड के स्थान पर से गीला होने लगा था।

फिर उसने अपनी पैंट भी निकाल दी।
उसने वी-शेप का अंडरवियर पहना हुआ था जो पूरा काले रंग का था।

उसकी गोरी जांघों पर वह अंडरवियर काफी अच्छा लग रहा था।
उसके अंडरवियर के उभार से पता लग रहा था कि उसका लंड काफी बड़ा है।

उसके लंड ने उसके अंडरवियर को सामने तोप की तरह उठा कर रखा हुआ था जिसमें बार बार झटके लग रहे थे।

एक बार फिर से वो मेरे से लिपटने लगा।
अब हम दोनों के जिस्मों के पूरे मिलन के बीच बस हमारे अंडरवियर ही रह गये थे। दोनों के लंड टकरा रहे थे।

उसके हाथ मेरी गांड को भींचने में पूरी ताकत लगा रहे थे और ऐसा लग रहा था जैसे उसका लंड मेरे लंड की जगह वहां पर छेद करके अंदर घुसने का रास्ता बना लेगा।

उसके बाद उसने मेरे अंडरवियर को भी नीचे निकाल दिया।
अब मैं बिल्कुल नंगा था।

उसने भी अपना अंडरवियर निकाल दिया।
उसका लंड वाकई में ही काफी बड़ा था; काफी गोरा लंड था उसका।
उसने अपने झांटों को क्लीन शेव किया हुआ था।

एक बार फिर से उसने मुझे अपनी ओर खींचा और मेरी गांड को दबाते हुए उसमें उंगली देने की कोशिश करने लगा।

मुझे यह बहुत अजीब लगा और मैंने उसके हाथ को हटा दिया।

फिर उसने कुछ सोचा और अपने हाथ वहां से बिल्कुल हटा लिए।
अब धीरे धीरे वो मेरी गर्दन पर अपनी जीभ का जादू चलाने लगा।

उसके होंठों की वो नर्म छुअन मुझे बहुत अच्छी लग रही थी। कभी वो मेरे कंधों पर चूम रहा था तो कभी मेरी पीठ पर!
मैं जैसे उसके प्यार में खोने सा लगा।

कुछ देर बाद ऐसा लगने लगा कि अब मुझे खुद को इसके हवाले कर देना चाहिए।
मैंने अपने बदन को ढीला छोड़ दिया और दीपक के हवाले कर दिया।
मैं चाह रहा था कि वो जो करे अब अपनी मर्जी से करे।

वो मेरे बदन पर अपने हाथों और होंठों को जादू लगातार चलाता रहा।

मेरे मुँह से बस आह … करके गर्म आहें निकल रही थीं।
मेरे हाथ दीपक के सिर में चल रहे थे।

जब वो मेरे चूचों तक पहुंचा तो मेरी सीत्कार बढ़ने लगी। मुझे एक लड़की की तरह अहसास होने लगा।

मैं बस यही कह रहा था- आह … आह दीपक … आराम से दीपक …काटो मत!
मगर अब दीपक ने एक न सुनी।

उसने मेरी छाती चूस चूसकर लाल कर दी। फिर उसने मुझे छोड़ दिया और बेड पर लेट गया।

मुझे लगा अब मेरी बारी है उसे ख़ुश करने की।
मैं उसके ऊपर आ गया।

उसका लंड बहुत ही बड़ा था। मैं उसकी गर्दन पर किस करने लगा।

मगर अचानक उसने मेरे सिर को पकड़कर अपने लंड की तरफ कर दिया।
हाय … कितनी गर्मी निकल रही थी उसके बदन से!
खासकर उसकी जांघों के बीच में जो वो झांटों वाला एरिया था वहां से बहुत ज्यादा गर्मी का अहसास हो रहा था मुझे।

उसने कहा- जानेमन … इसको भी प्यार दिखाओ।
मैंने मना कर दिया क्योंकि मैंने कभी लंड मुंह में लेना तो दूर लंड के बारे में सोचा भी नहीं था।
तो मैंने उससे कह दिया कि मुझे ये अच्छा नहीं लगता।

फिर भी मैंने हाथ से थोड़ा सहला तो दिया।

अब उसने मुझे नीचे लेटने को कहा, इस तरह कि मेरी टाँगें उसके कंधों पर आ जाएं।
मैं लेटा और मेरी टांगें उसके कंधों पर थीं।

उसने बॉडी लोशन की शीशी से लोशन क्रीम निकाल कर मेरी गांड में लगानी शुरू की।

धीरे धीरे उसने मेरी गांड के छेद में उंगली से काफी सारी लोशन भर दी।
उसकी उंगली गांड में जा रही थी तो मुझे दर्द हो रहा था।
इससे पहले गांड में मैंने तिनका भी महसूस नहीं किया था कभी।

साथ ही मुझे ये सोचकर भी हैरानी हो रही थी कि उसको मेरी गांड में उंगली देना जरा भी अटपटा नहीं लग रहा था।

जब मुझे लगा कि ये मेरी गांड मारने की तैयारी में है तो मैंने कहा- ओ भाई? … मैं गांड नहीं मरवाता हूं!
वो बोला- भोसड़ी के … मादरचोद … पहले ये क्यूं बोला कि तू बॉटम है?

मैंने कहा- मुझे क्या पता … इसका क्या मतलब होता है?
दीपक- चुप! बहन के लौड़े। मूड की मां चोद रहा है … दल्ले … साले!

उसके एकदम से इस तरह के बर्ताव से मुझे बहुत बुरा लगा।
साथ में वो गंदी गंदी गालियां देने लगा तो मैं बेड से उठकर नीचे जाने लगा और अपने कपड़े पहनने लगा।

इतने में वो चिल्लाया (उस दूसरे लड़के से जो बाहर बैठा था)- भाई अंकुर … देखियो तो इसे ज़रा!
अंकुर भी कमरे में आ गया।

अब उन दोनों ने मुझे उठाया और बेड पर पटक दिया। मैं अब थोड़ा डर गया।
मैंने उनसे कहा- यार … सच में मैं गांड नहीं मरवाता हूं; मुझे जाने दो भाई!

दीपक- साले … खड़े लंड को ऐसे ही छोड़कर जाएगा? ना तो तू गांड में ले रहा है और ना ही मुंह में ले रहा है।
मैंने कहा- ठीक है, मैं मुंह में ले लेता हूं। मगर ऐसे मत करो यार मेरे साथ!

फिर दीपक ने मेरे मुंह में लंड दे दिया।
उसकी गांड मेरी छाती पर टिकी थी और वो मेरे मुंह में लंड के धक्के मारकर मेरे मुंह को ही चोदने लगा।
मुझे उल्टी भी होने को हो रही थी लेकिन मैं कुछ नहीं कर सकता था।

किसी तरह मुझे उसकी हवस को शांत करके वहां से निकलना था।

इतने में ही अंकुर ने मेरी गांड में उंगली करनी शुरू कर दी।

उसकी चिकनी उंगली जल्दी जल्दी मेरी गांड में अंदर बाहर होने लगी।

दीपक के बदन की खुशबू मुझे अच्छी लग रही थी।
उसके लंड का स्वाद पहले मुझे बिल्कुल पसंद नहीं आया था मगर अब ठीक लग रहा था।
मैं उसके लंड को चूसता रहा।

उधर अंकुर मेरी गांड में तेजी से उंगली किये जा रहा था।
धीरे धीरे मुझे उंगली का अहसास अच्छा लगने लगा। मेरी गांड खुलने लगी।

पांच मिनट तक दीपक ने मेरा मुंह चोदा और फिर मुझे पेट के बल पटक दिया।

उसने मेरी गांड को चौड़ी किया और अपने लंड का टोपा मेरी गांड के छेद पर रख दिया।

मैंने उसके हाथ हटाये लेकिन अंकुर ने मेरे हाथों को अपने हाथों से दबा लिया।

अब मैं उन दोनों की गिरफ्त में था और बस ये सोच रहा था कि पता नहीं आगे क्या होने वाला है।
जहां एक ओर डर था तो दूसरी ओर कहीं दबा हुआ रोमांच भी था।

दीपक ने अपने लंड का टोपा मेरी गांड के छेद पर सेट किया और हल्का सा झटका मारा।
मेरी तो जैसे जान ही निकल गयी; मेरी आँखों से आँसुओं की धार बहने लगी।

जब तक मैं थोड़ा संभल पाता … उसने तब तक धक्के मार मारकर पूरा लंड मेरी गांड में घुसेड़ दिया।

मुझे लगा जैसे कोई गर्म पिघला लोहा मेरी गांड में डाल दिया हो।

अचानक मेरा सिर भारी सा होने लगा और मैं बेहोश होने लगा।

जब मेरी आँख खुली तो दीपक अपना काम कर चुका था।

मेरा शरीर इतना दर्द कर रहा था कि मुझे लग रहा था जैसे पूरा रूम घूम रहा हो।

जैसे ही मैं उठने की कोशिश करने लगा तो मेरी गांड में जोर से दर्द हुआ।
मैं चीखने ही वाला था कि दीपक ने उठकर मेरे मुंह में फिर से अपना लंड दे दिया।

उसने मेरी गांड को सहलाना शुरू कर दिया।
मेरे दोनों चूतड़ों को उसने दो तीन मिनट जैसे मसाज दी जिससे मेरा दर्द कुछ हल्का पड़ गया।
उसके बाद उसने मेरे मुंह से लंड भी निकाल दिया।

दीपक बोला- आज मैंने तेरी नथ उतार दी है मेरी रांड। अब देख कितना अच्छा गांडू बनेगा तू!

तभी मेरी जांघों पर कुछ हलचल हुई।
मैंने देखा कि पीछे अंकुर अपना लंड तैयार कर रहा था।

जब तक मैं कुछ करता उसने मेरे कंधों को पकड़ा और मेरी गांड के छेद पर लंड को सेट करके मेरे ऊपर लेटता चला गया।

उसका गर्म मोटा लौड़ा मेरी दुख रही गांड को एक बार फिर से चीरता हुआ अंदर चला गया।

मैं फिर से बेहोशी की हालत के करीब पहुंच गया मगर इस बार बेहोश नहीं हुआ।

लंड को डाले हुए वो कुछ देर मेरे ऊपर ही लेटा रहा।
फिर उसने धक्के लगाने शुरू किए।

मुझे बहुत दर्द हो रहा था जैसे कोई गांड को अंदर से मिर्च लगाकर रगड़ रहा हो।

धीरे धीरे उसके लंड की गति बढ़ने लगी।
मैं अब थोड़ा अच्छा अनुभव करने लगा।

उसने मुझे फिर तेजी से चोदना शुरू कर दिया।

कुछ ही देर में मेरी चीखें निकलने लगीं।
मगर इस बार मैं दर्द में नहीं बल्कि आह्ह … आह्ह … करके गांड चुदाई की उत्तेजना में चिल्ला रहा था।

मुझे होमो सेक्स में अब बहुत मजा आ रहा था। मन कर रहा था कि अब लंड ऐसे ही मेरी गांड के अंदर बाहर होता रहे।
दस मिनट की चुदाई के बाद अंकुर मेरे ऊपर निढाल हो गया।

उसका पानी मेरी गांड में भर गया।
उसने फिर लंड को सिकुड़ने तक अंदर ही रखा।

फिर उसके लंड के बाहर आने के साथ ही मुझे मेरी गांड से लिक्वि़ड भी बाहर आने का अहसास हुआ।

इस तरह उस दिन मेरी गांड चुदाई करवाने की शुरुआत हुई।
उसके बाद तो मैं एक पक्की रंडी बन गया।

फिर मैंने न जाने कितने ही लंड लिये। उन सभी की कहानी मैं आगे आने वाले समय में बताऊंगा।

आपको मेरी गांड की पहली चुदाई की ये होमो सेक्स की कहानी कैसी लगी इस बारे में जरूर लिखना।
मेरा ईमेल आईडी है [email protected]