फर्स्ट ऐस सेक्स स्टोरी में मैंने बताया है कि मैंने पहली बार गांड कैसे मरवाई थी. बांके जवान मर्दों को देख कर मेरी गांड कुलबुलाने लगती थी. एक दिन मेले में मुझे एक खूबसूरत मर्द मिल गया.
दोस्तो, आज मेरी उम्र 52 साल है. पर मुझे अपनी कम उम्र में ही ये अहसास हो गया था कि मेरी रुचि लड़कियों या लड़कों में नहीं बल्कि मर्दों में है.
मुझे उस समय 30 से 50 साल के मर्दों को निहारना अच्छा लगता था.
खासकर गोरे और चिकने मर्दों को.
यह फर्स्ट ऐस सेक्स स्टोरी 1992 की है. तब मेरी उम्र 20 की रही साल होगी.
जवानी, जिस्म में हिलोरें मारने लगी थी.
किसी खूबसूरत मर्द को देखते ही मेरा दिल जोर से धड़कने लगता, गांड में सुरसुराहट होने लगती और लंड भी सख्त हो जाता.
हमने मेरठ में जहां अपना घर बनाया था, उस जगह पर उस वक्त बहुत कम लोग रहते थे.
हमारे घर से दस मिनट की दूरी पर एक सरकारी सामुदायिक भवन था.
वहां मार्च के अंत में एक संगीत समारोह था.
उन्हीं दिनों मेरठ में नौचंदी का मेला भी लगता है.
मैंने अपनी मम्मी से कहा कि मुझे भी उस कार्यक्रम को देखने जाना है.
मुझे आसानी से अनुमति भी मिल गई.
मैं रात को 9 बजे चला गया.
यह भवन एक बाग के सिरे पर था और काफी बड़ा था.
उधर ऑडिटोरियम की तरह बैठने के लिए बहुत सारी सीढ़ियां बनी थीं.
मैं भीड़ से थोड़ा हटकर सीढ़ियों पर बैठा था.
लगभग 10:30 बजे एक कामदेव सा खूबसूरत मर्द मेरे पास आकर बैठ गया.
वह इसी संगीत मंडली का हिस्सा था और दो गाने भी गा चुका था.
उसकी उम्र लगभग 35 की होगी.
एकदम मजबूत कसरती जिस्म. उसने साटन सिल्क का गुलाबी कुर्ता और वैसी ही साटन सिल्क की महरून रंग धोती पहनी हुई थी और कंधे पर साटन सिल्क का ही लाल शॉल.
उसका कुर्ता स्लिम फिट था, सो उसके मर्दाने डोलों के उभार साफ दिख रहे थे.
उसके जिस्म से मर्दानी खुशबू आ रही थी.
पहले तो वह इधर उधर की बातें करता रहा.
फिर उसने बताया कि वह इसी एरिया में रहता है और ऐसे ही समारोह या जागरण में गाने गाता है.
एक गाने के उसे 50 रुपये मिलते हैं जो उस समय के हिसाब से काफी अच्छी रकम थी.
उसे आयोजक से आज का मेहनताना मिल गया था.
उसने मुझे 10-10 के 10 नोट भी दिखाए.
मैंने पूछा- क्या तुम्हें सिल्क के कपड़े पहनना अच्छा लगता है?
वह बोला- इसका अहसास बहुत अच्छा लगता है. चाहे तो तुम छूकर देख लो.
मैंने हिचकते हुए उसके डोले छुए, बहुत सख्त और उभरे हुए थे.
मैं थोड़ी देर तक उसके डोले सहलाता रहा.
फिर उसने मेरी जांघ पर हाथ रख दिया.
मेरे जिस्म में बिजली सी दौड़ गई.
मैंने कहा- तुम तो वैसे ही काफी सुंदर हो.
वह मुस्कराने लगा.
शायद उसे ये सुनकर अच्छा लगा.
उसने बताया कि उसका नाम रोहताश है पर उसे कामेश नाम अच्छा लगता है.
मैंने कहा कि लगता है तुम कसरत करते हो?
तो उसने कहा- हां मुझे बॉडी बिल्डिंग बहुत पसंद है.
फिर उसने मुझसे मेले में चलने को कहा.
पहले तो मैंने मना किया और पूछा कि तुम्हें ग्रुप के लोग नहीं ढूंढेंगे क्या?
उसने बताया कि काम खत्म होने के बाद किसी को कोई मतलब नहीं रहता है.
फिर जब उसने ज्यादा जिद की तो मैं तैयार हो गया.
मेले का रास्ता मुख्य मार्ग से भी था और बाग से भी था.
उसने कहा- हम लोग बाग के रास्ते से जाएंगे, तो जल्दी पहुंच जाएंगे.
हम दोनों चल पड़े.
चूंकि चांद बिल्कुल सिर पर था और बाग भी बहुत घना नहीं था … तो कोई दिक्कत भी नहीं हो रही थी; सब साफ साफ दिख रहा था.
फिर भी उसने मेरा हाथ पकड़ा हुआ था.
जब हम लगभग बीच में पहुंच गए तो वहां काफी कम पेड़ थे और उधर एक जगह काफी साफ दिख रही थी.
वह बोला- यार, मैं थक गया हूँ. इसलिए हमें थोड़ी देर बैठ जाना चाहिए.
मुझे कुछ अजीब सा लगा कि इतना तंदुरुस्त इंसान इतनी जल्दी कैसे थक सकता है.
पर मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं थी.
वहां उसने कंधे से शॉल उतार कर बिछा दी और हम दोनों उस पर बैठ गए.
उसने कहा- मुझे थोड़ी देर के लिए लेटना भी है ताकि थकान पूरी तरह उतर जाए … क्योंकि मेले में घूमना भी है.
मैं समझ गया कि वह मेरे साथ वक़्त बिताने के लिए नाटक कर रहा है.
हालांकि मैं भी उसकी तरफ आकर्षित था पर रुकने का मेरा बिल्कुल भी दिल नहीं था … लेकिन उसके सामने मैं कुछ नहीं बोल पाया.
लगभग 5 फुट 9 इंच का गदराया कसरती शरीर … खूब दूध घी पर पला हुआ … सफाचट दाढ़ी, गोरी रंगत, घुंघराले लंबे काले बाल … साक्षात कामदेव था.
शायद उसे मेरी मर्ज़ी से कोई मतलब भी नहीं था.
उसने झट से अपनी धोती खोली और बिछा ली और शॉल को सिर के नीचे रख कर लेट गया.
अब वह जांघों तक नंगा था.
उसकी मांसल चिकनी पिंडलियां थी और पैरों पर बाल नहीं थे.
फिर उसने जैसे ही अपने हाथ ऊपर करके सिर के नीचे किए तो उसका कुर्ता और ऊपर सरक गया.
अब उसकी जांघें काफी ऊपर तक नंगी हो गई थीं.
आह … उसकी गदराई हुई भरी भरी रेशमी चिकनी मांसल गोरी गोरी जांघें देख कर मुझे बहुत अजीब सा लगने लगा.
मेरे कान गर्म होने लगे थे और दिल जोर जोर से धड़कने लगा था.
फिर भी मैं बेमन से उसके पास बैठ गया.
उसने मुझसे भी लेटने को कहा पर मैंने मना कर दिया.
हालांकि उसका लंड अभी नहीं दिख रहा था, पर मैं उसके रेशमी कुर्ते के नीचे हलचल महसूस कर रहा था.
शायद उसका लंड खड़ा होने लगा था.
कुछ देर बाद ही वह बोला- मुझे तो बड़ी गर्मी लग रही है.
मेरा रिएक्शन जाने बिना ही उसने अपना कुर्ता भी उतार दिया.
उसने नीचे कुछ भी नहीं पहना था.
एकदम रेशमी चिकना गोरा गदराया हुआ कसरती जिस्म.
वह कुर्ते को भी सिर के नीचे रख कर सीधा लेट गया.
अब वह मेरे सामने बिल्कुल नंगा था.
मैंने पहले कभी किसी मर्द को बिल्कुल नंगा नहीं देखा था.
उसका जिस्म तो किसी की भी कल्पना से परे था.
उसका पूरा जिस्म गोरा रेशमी और चिकना था, एक भी बाल नहीं था.
चांद की रोशनी में चमचमा रहा था.
मेरा दिल और जोर जोर से धड़कने लगा क्योंकि उसका लंड पूरा तनकर हवा में लहलहा रहा था.
मैं कभी उसके कामदेव से चेहरे को देखता, कभी उसके लगभग 7 इंच के खूबसूरत मोटे से सुर्ख गुलाबी लंड को.
उसके लंड पर उभरी जामुनी लाल नसें उसके लंड को और भी खूबसूरत बना रही थीं.
लंड का सुपारा लाली लिए हुए गुलाबी और चमकदार था.
उसके आंड भी बहुत बड़े और एकदम चिकने थे.
उसे इस हालत में देख कर मेरे लंड में भी खून का दौरा तेज़ होने लगा था.
मैंने कहा- तुम्हारे कपड़े धूल से गंदे हो जाएंगे.
वह बोला- कोई बात नहीं, धुल जाएंगे … बस मुझे ऐसे ही आराम करना है.
अब मैं लगातार उसके मदमस्त से लंड को ही घूर रहा था.
वह बोला- ऐसे क्या देख रहा है, तेरे लिए ही तो है ये खिलौना, खेल ले.
उसने मुझसे अपने लंड को पकड़ने को कहा.
हालांकि मैं भी उसके लंड से खेलना चाह रहा था क्योंकि इतना खूबसूरत लंड मैंने अपनी ज़िंदगी में पहले कभी नहीं देखा था.
पर मैंने मना कर दिया.
उसने मेरा हाथ पकड़ा और मेरी हथेलियों के बीच अपना लंड रखकर मेरी हथेली बंद कर दी.
अपने हाथ मेरे हाथों के ऊपर रख कर मेरे हाथ अपने लंड की सख्त गर्म और मुलायाम चमड़ी पर ऊपर नीचे करने लगा.
साथ ही वह सिसकारी भरने लगा.
उसे बहुत मज़ा आ रहा था.
मुझे लग रहा था, जैसे मैंने कोई तपती हुई लोहे की रॉड पकड़ ली हो.
उसका लंड भी काफी साफ सुथरा था.
लगता था कि वह अपने लंड का बहुत ख्याल रखता है.
उसके लंड पर और लंड के आस पास और उसके आंडों पर बिल्कुल भी बाल नहीं थे.
जल्द ही वह आहें भरने लगा.
फिर उसने अपने हाथ हटा लिए और आराम से दोनों टांगें फैलाकर लेट गया और मुझसे टांगों के बीच में बैठ कर मुठ मारने को कहा.
अब मुझे उसके चिकने सख्त लंड का मुठ मारने में मज़ा आ रहा था.
उसके लंड से वीर्य से पहले निकलने वाले पानी की बूँद आने लगी थीं जिसे मैं उसके लंड के सुपारे पर ही मसल देता, जिससे उसके लंड का सुपारा और भी चमकने लगा.
फिर उसने अपने लंड के सुपारे को चाटने को कहा.
पहले तो मैं झिझका लेकिन क्योंकि मुझे भी मज़ा आने लगा था तो मैं उसके लंड के सुर्ख चिकने सुपारे को चाटने लगा.
उसके लंड के पानी का नमकीन स्वाद मुझे बहुत अच्छा लगा.
फिर मैं उसके लंड के सुपारे को चूसने लगा.
उसका चिकना मखमली सुपारा चूसने में बहुत मज़ा आ रहा था.
मैंने अब उसका लंड मुँह में भर लिया था और मस्ती से चूसने लगा.
धीरे धीरे करके मैंने उसका काफी लंड मुँह में ले लिया था जिससे उसके लंड का सुपारा मेरे हलक में रगड़ मारने लगा था.
मेरी सांस रुकने लगी तो मैंने उसका लंड मुँह से बाहर निकाला.
वह मेरी लार में सन गया था, जिससे वह और भी चमकने लगा.
अब वह मर्द मेरी शर्ट को उतारने लगा.
मैंने बहुत मना किया, पर वह ना माना.
उसने मेरी शर्ट और पैंट दोनों उतार दी और मुझे भी नंगा कर दिया.
मेरा लंड अभी थोड़ा सा सुस्त और लटका हुआ था.
पर शायद उसे पसंद आया क्योंकि वह बोला- माल तो तेरा भी बहुत खूबसूरत है, लटका हुआ भी कितना प्यारा लग रहा है.
वह मेरे आंड सहलाने लगा और फिर मेरा लंड.
इससे मेरे जिस्म में बिजली सी दौड़ने लगी और मेरे लंड भी हरकत में आने लगा.
फिर वह करवट से लेट गया और मुझे अपने आगे ऐसे लिटा लिया कि उसका लंड मेरी गांड से सट गया.
वह अपने लंड को मेरे दोनों चूतड़ों के बीच रगड़ने लगा और जोर जोर से आहें भरने लगा.
शायद उसे कुछ ज्यादा मजा आ रहा था.
अब वह अपने सख्त गुलाबी लंड के चिकने सुपारे को मेरी गांड के छेद पर दबाने लगा.
मुझे हल्का हल्का दर्द होने लगा.
उसकी बहुत कोशिश करने पर भी उसका लंड मेरी गांड में नहीं घुस रहा था.
उसने मुझे उल्टा लिटा दिया और खुद मेरी गांड के दोनों साइड घुटने टेक कर ऐसे बैठ गया कि उसका लोहे सा कड़क गुलाबी चिकना गर्मागर्म लंड मेरी कमसिन सी चिकनी गांड पर टिक गया.
मेरे दोनों चूतड़ उसने अपने हाथों से अलग किए और बीचों बीच के छेद पर अपना लंड रख दिया.
उसने मेरे चूतड़ अपने लंड के दोनों तरफ भींच दिए, जिससे लंड सैंडविच में फंस सा गया था.
बस फिर क्या था … वह अपने लंड को मेरे चूतड़ों के बीच धक्के मार मार कर रगड़ने लगा और आहें भरने लगा.
शायद उसे बड़ा मजा आ रहा था क्योंकि मेरे चूतड़ भी चिकने थे.
लेकिन मेरी तो जान निकल रही थी.
कभी वह अपने लंड को मेरी गांड पर धीरे धीरे रगड़ता, तो कभी स्पीड तेज़ कर देता.
फिर उसने मेरे दोनों चूतड़ अलग किए और मेरी गांड के छेद को चाटने लगा.
वह कभी मेरी गांड पर अपनी लार लगा कर उंगली अन्दर डालता, तो कभी अपनी जीभ मेरी गांड में घुसा देता.
मेरी गांड से जैसे आग सी निकलने लगी और मैं भी आहें भरने लगा, जिससे वह और भी उत्तेजित हो गया.
अब मेरी गांड का छेद बड़ा हो गया था और फर्स्ट ऐस सेक्स के लिए तैयार था.
उसने फिर से अपने लंड का सुपारा मेरी गांड के छेद पे रखा और खूब सारा थूक लगा कर अपने गुलाबी चिकने लंड को मेरी कमसिन गांड में घुसाने लगा.
धीरे धीरे उसका पूरा लंड मेरी कमसिन सी गांड में घुस गया.
उसने कहा- लगता है पहले बार मरवा रहा है, तभी इतनी टाइट है!
मैंने कहा- हां … और इसी वजह से मुझे ज्यादा दर्द भी हो रहा है; बर्दाश्त नहीं हो रहा.
उसने अपना लंड बाहर निकाल लिया. फिर मुझे डॉगी स्टाइल में आने को कहा.
मैं कुत्ता बन गया.
मैंने जमीन पर अपने घुटने और कोहनी टेक लिए जिससे मेरी गांड अच्छी तरह से खुल गई.
उसने फिर से मेरी गांड का छेद अपनी लार से खूब तर किया और अपना गर्म लोहे सा लंड अन्दर घुसा दिया.
एक बार दर्द हुआ, फिर मुझे भी मज़ा आने लगा.
अब हम दोनों ही सिसकारियां भरने लगे.
एक हाथ से वह मेरा लंड भी सहला रहा था.
बीच में उसने पूछा- जल्दी तो नहीं है न!
मैंने कहा- मैं तो सुबह 6 बजे तक फ्री हूँ.
वह बार बार अपना पूरा लंड बाहर निकाल लेता और एक ही झटके में फिर से अन्दर कर देता.
मैं पहली बार किसी मर्द से गांड मरवा रहा था.
ऐसे लग रहा था जैसे मेरा कोई सपना पूरा ही गया हो.
उसने अपना लाल सुर्ख लंड बाहर निकाला और मुझे पीठ के बल लेटने को कहा.
अब उसने अपना लंड मेरे चेहरे पर रख दिया.
उसके लंड से मेरी गांड की खुशबू आ रही थी.
वह मेरे ऊपर लेट गया और मुझे चूमने लगा और मेरी जीभ चूसने लगा जिससे मेरा लंड भी खड़ा होने लगा और तन कर 6 इंच का कड़क हो गया था.
अब उसने मेरी टांगें ऊपर की और मुझसे मेरी टांगों को पकड़ने की कहा.
फिर उसने मेरी जांघों पर हाथ रख दिया और फिर से मेरी गांड चाटने लगा.
वह कभी मेरा लंड चूसता, कभी मेरे आंडों को.
उसके बाद उसने मेरी गांड के छेद पर अपने लंड का सुपारा रख कर दबा दिया.
इस बार एक ही कोशिश में उसने अपना पूरा लंड अन्दर कर दिया.
अब तक मेरी गांड पूरी तरह से खुल गई थी तो दर्द नहीं हुआ.
वह कभी जोर जोर से धक्के मारता और कभी आराम आराम से अपने लंड को अन्दर बाहर करता.
हम दोनों की ही बहुत मज़ा आ रहा था.
कुछ मिनट बाद वह बदहवास होकर जोर जोर से धक्के मारने लगा और अचानक से उसने अपने लंड को गांड से बाहर निकाला और मेरे ऊपर पिचकारी मार दी.
उसने इतनी जोर से पिचकारी मारी कि मैं मुँह से लेकर नाभि तक उसके लंड के दूधिया गाढ़े माल से भीग गया.
मैंने कहा- अन्दर ही निकाल देते!
तो वह बोला- फिर तुझे चलने में परेशानी होती. कोई बात नहीं, मैं पौंछ देता हूं.
उसने अपने शॉल से मेरा सारा जिस्म पौंछ दिया.
मैं बैठ गया.
उसने शॉल मेरे हाथ में देकर लंड साफ करने को बोला.
मैं जैसे ही उसका लंड साफ करता, उसके लौड़े से फिर से कुछ बून्द माल बाहर आ जाता.
पता नहीं उसमें कितना दम था कि उसका लंड अभी भी तना हुआ था.
अब उसने अपना लंड मेरे हाथ में दे दिया और कहा- जब तक माल निकलना बंद ना हो जाए, मेरे लौड़े की मुठ मारता रह!
मैंने वैसा ही किया.
थोड़ी देर में लंड ढीला पड़ गया.
फिर मैंने शॉल से उसका लंड अच्छी तरह से साफ कर दिया.
उसने मुझे कपड़े पहनने को कहा और खुद भी कपड़े पहन लिए.
हमारे सारे कपड़े साफ थे, बस शॉल ही गंदा हो गया था.
उसने उस शॉल को वहीं पेड़ पर सूखने डाल दिया और कहा- इसे वापसी में ले लेंगे.
मैंने घर चलने को कहा तो वह बोला- तूने मुझे मज़ा दिया है तो दावत तो बनती है.
मैं उसकी बात का अर्थ समझ नहीं पाया.
दोस्तो, उसकी बात का मर्म जब समझ में आया तब क्या हुआ … वह कहानी मैं फिर कभी सुनाऊंगा.
फिलहाल आपको मेरी इस फर्स्ट ऐस सेक्स स्टोरी के लिए क्या कहना है, प्लीज कमेंट्स करके जरूर बताएं.
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