ऐस सेक्स बैक होल स्टोरी में एक बॉटम लड़के ने गाँव में अपनी गांड के लिए लंड का इंतजाम किया तो टॉप लड़का अपने साथ एक और लम्बे चौड़े मर्द को लेकर आ गया.
दोस्तो, मैं एक प्यारी सी चुलबुली सी ट्रांसजेंडर शिवानी हूँ और अपनी गांड चुदाई की कहानी के इस भाग में आप सभी का स्वागत करती हूँ.
कहानी के पहले भाग
गांड में लंड लेने का जुगाड़ कियाhttps://www.freesexkahani.com/gay-sex-story-hindi/sexy-gand-hole-sex-kahani/
में अब तक आपने पढ़ लिया था कि मैं मनीष और धनंजय के साथ मिलकर व्हिस्की और बियर का मजा ले रही थी और वे दोनों मिल कर मेरी लेने की तैयारी कर चुके थे.
अब आगे ऐस सेक्स बैक होल स्टोरी:
मैंने कहा- मुझे बियर पीनी है.
वे दोनों एक साथ बोले- हम दोनों अलग स्टाइल में तुम्हें बियर पिलाएंगे.
मनीष ने एक ग्लास को पूरा भर कर पैग बनाया और उन दोनों ने अपना लंड बियर में डुबो कर मेरे मुँह में देने लगे.
उनके लंड के साथ दारू और बियर मुझे मजा दे रही थी.
काफी देर तक ऐसे करने से मैं पानी पानी हो गई.
मुझे दोबारा प्यास लगने लगी.
तो दोनों ने एक एक करके अपने लंड मेरे मुँह के गले तक डाले और मेरे मुँह में गर्म गर्म मूत की धार को छोड़ दिया.
मैंने उनके मूत्र को अन्दर ले लिया.
कुछ देर बाद मैं मनीष का लंड चूस रही थी.
तभी उसका बदन अकड़ने लगा.
मैं समझ गई थी कि वह झड़ने वाला है.
मैंने उसका लंड अपने गले तक लेकर माल झाड़ने के लिए उसके पोते सहलाने लगी.
तभी उसके लंड से वीर्य की गर्म धार मुझे मेरे कंठ में आती महसूस हुई.
मैं उसका सारा गाढ़ा रस पीती चली गई और लंड को चूस चूस कर बाकी का अब रस भी निचोड़ लिया.
उसके बाद धनंजय ने मेरे मुँह को चोदना चालू कर दिया था.
कुछ ही देर में वह भी झड़ने लगा और उसने अपना माल मेरे मुँह में टपका दिया.
मैं दो लंड का रस पीकर मदहोश हो गई थी.
मुझे नशा होने लगा था क्योंकि मेरे अन्दर व्हिसकी, बियर और दोनों की पेशाब व वीर्य मिक्स हो गया था.
अब मैं 69 की पोजीशन में मनीष के साथ लेट गई.
वह अपनी जीभ से मेरी गांड चोद रहा था और मैं उसके हथियार को जागृत कर रही थी.
अब मैं मनीष के ऊपर से हटी तो धनंजय के साथ 69 में आ गई.
धनंजय की जीभ की बात ही अलग थी.
उसके जीभ से गांड चोदने से मेरे मुँह से सिसकारियां निकालने लगी थीं ‘उमम्म … ससश उउप्प्प … हूऊ … ऊओंम्म्म.’
तभी सामने से मनीष ने अपना लंड मेरे खुले मुँह में पेल दिया लगा और मेरे मुँह को चोदने लगा.
लंड मुँह में फंसा होने से मेरी घुटी घुटी आवाजें आने लगीं ‘ग्गगय … ग्लप यययाह’
उन दोनों के लंड विकराल रूप धारण कर चुके थे.
अब मुझ सुख के साथ मीठे दर्द की प्राप्ति होने वाली थी.
मेरा बदन सिहर रहा था.
मैं बेड पर लेट गई और मनीष ने मेरी टांगें खोल दीं.
मेरी गोरी गांड का छेद उसे साफ दिखने लगा.
मेरा छेद बहुत टाइट था क्योंकि मुझे गांड मरवाए बहुत दिन हो गए थे.
उसने छेद को देखते हुए अपने लंड पर थूका और मेरी गांड पर अपने लंड का सुपारा टिका कर थूक लगाया.
फिर उसने मेरी लुपलुप होती गांड के मुँह के खुलने का इंतजार किया.
जैसे ही गांड ने मुँह खोला, उसने एक झटका देते हुए अपने लौड़े का सुपारा अन्दर ठांस दिया.
उसकी दाब तेज थी तो लंड गांड का मुँह फैलाता हुआ अन्दर घुसता चला गया.
एकदम से मोटा लंड मेरी कसी हुई गांड में घुसा तो मेरे मुँह से दर्द भरी आवाज निकल गई- आअहह … फाड़ दी … आहह आहह … मर गई!
मेरे चिल्लाते ही धनंजय ने झट से अपना मूसल लंड मेरे मुँह में पेल दिया और आवाज को बंद कर दिया.
अब मैं कराह रही थी और लंड के दर्द से निजात पाने की कोशिश कर रही थी.
जैसे ही गांड को राहत मिली, मैंने मनीष को अपनी कमर हिला कर हरी झंडी का संकेत दे दिया.
मनीष इसी पल के इंतजार में था, उसने एक जोरदार झटके में अपना पूरा लंड मेरी गांड में घुसेड़ दिया.
मुझे बहुत दर्द हुआ और आंखों से आंसू आ गए, पर मुँह में लंड होने के कारण आवाज नहीं निकली.
अब धनंजय मेरा मुँह चोद रहा था और मनीष धीरे धीरे पीछे से गांड मार रहा था.
मुझको थोड़ा दर्द हो रहा था, पर सुख की लालसा में मैं सारा दर्द सहन कर रही थी.
थोड़ी देर की चुदाई से मैं सहज हो गई और अब मैं अपनी गांड को आगे पीछे करके लंड का स्वागत करने लगी.
आवाज खत्म हो जाने से मेरे मुँह से भी धनंजय का लंड निकल चुका था.
उन दोनों को मेरी कामुक सिसकारियां सुननी थीं.
अब मनीष तेजी से चोद रहा था और मेरी गांड पर चमाट मार रहा था.
मैं मस्ती में चुदाई करवा रही थी और बड़बड़ा रही थी- आअहह … म्माआ … आऐईयइ … और जोर से आह फाड़ दो आह!
मनीष ने मुझको 20 मिनट तक चोदा, पर वह तब भी नहीं झड़ा.
अब धनंजय ने अपना सूखा लंड मेरी गांड की भभकती भट्टी में सैट किया और एक जोर का झटका दे मारा.
धनंजय के मूसल लंड का सुपाड़ा काफी गठीला और मोटा था.
उसने अपने बमपिलाट झटके से मेरी गांड में अपना मूसल घुसेड़ दिया.
मेरी खुली हुई गांड को भी बहुत ज्यादा फाड़ता हुआ उसका लौड़ा अन्दर घुसा, तो मैं बहुत जोर से चीख उठी- आअहह … म्माआ … आऐई फाड़ दी साले हरामी ने आह मर गई!
मैं छटपटाने लगी और उससे अलग होने की कोशिश करने लगी.
लेकिन धनंजय ने मुझे कसकर पकड़ हुआ था तो मैं हिल भी न पाई.
थोड़ी देर में मैं सामान्य हुई.
उसने फिर से एक शॉट लगाया और आधा लंड अन्दर पेल दिया.
मैं पुनः चिल्ला उठी- आ … हहा … आज्ज्जज तो माँ चुद गई मेरी आह साले का हाथी का लंड पेल दिया तूने … आह!
मेरे चिल्लाने से उन्हें मजा आ रहा था.
फिर उसने दूसरा शॉट दे मारा और मुझको उसका लंड अपने पेट में अन्दर तक घुसता महसूस हुआ.
मैं किसी तरह से खुद को संभाल रही थी और चीख रही थी.
उसका लंड काफी अन्दर तक वार कर रहा था, मेरी गांड को तो समझो फाड़ ही दिया था.
अब उसने मेरी गांड में लंड पेलने की रफ्तार को बढ़ाया और धकाधक चोदने लगा.
मैं उसके लंड का स्वागत पूरा अन्दर तक लेकर करने लगी और सिसकारियां भरने लगी- आहह … हम्म्म … उउम्म्मम!
वह अपना लंड पूरा बाहर निकालता और एक बार में पूरा अन्दर तक ठांस दे रहा था.
मैं भी सिसक सिसक कर लंड को आगे पीछे करने लगी.
अब तक मनीष का लंड ढीला पड़ने लगा था.
उसने अपने लंड को मेरे मुँह में ठूंस दिया और मुँह को चोदने लगा.
मैं अपने दोनों छेद में मोटे मोटे हथियार से मजा ले रही थी और उन दोनों के लंड चलने से मेरी मीठी मीठी आवाजें निकल रही थीं.
तभी धनंजय राजा ने चोदने के पोज को चेंज किया और उसने मुझे अपनी गोद में उठा लिया.
उसका लंड अभी मेरे पेट में था.
अब वह मुझे उछाल उछाल कर चोदने लगा और मैं बस बेबस होकर मादक आवाजें निकाल रही थी.
मैं तो थी लंड की भूखी भिखारिन सी, जो हार मानने वालों में से नहीं थी.
कुछ देर बाद मेरी गांड से कुछ पानी जैसा निकलने लगा था जो बियर और वीर्य का मिक्स पानी था.
उस पानी से कमरे में आवाज बदल गई.
अब मेरी गांड से फचा फच की आवाज निकलने लगी थी.
मेरे धनंजय राजा के धक्के चालू थे.
कुछ देर बाद वह झड़ गया और उसकी जगह मनीष चोदने आ गया.
मैं उससे बोली- साले अब तू क्या चोदेगा, तेरे लंड का असर तो कुछ पड़ेगा ही नहीं!
वह इस बात से चटक गया और गुस्से से बोला- बहन की लौड़ी … तुझे अपनी गांड पर इतना घमंड!
मैं बोली- हां साले कुत्ते … तेरा लंड मेरी गांड की झांट का बाल भी नहीं उखाड़ पाएगा.
उसने धनंजय से कहा- चल भाई, आज इस रांड कुतिया को एक साथ चोदते हैं. आज इसकी गांड में एक साथ दो लंड घुसेड़ते हैं और चोद चोद कर इसके आगे के माल निकालेंगे.
उसके इतना कहने से मैं डर गई.
वे दोनों तैयारी में लग गए.
धनंजय बेड पर लेटा और मैं उसके ऊपर आ गई.
तभी मनीष ने ढेर सारा थूक मेरी गांड और थूका. फिर नीचे से उसने अपनी रण्डी की गांड को अपने लंड से भर दिया.
मैं एक साथ दो लंड लेकर चिल्ला उठी ‘आह म्म मादरचोद … फट गई … म्म्माँआ.’
उन दोनों को मैं गाली देने लगी.
तो बदले में मनीष भी गाली देने लगा- साली रण्डी मादरचोद कुतिया … हमको घमंड दिखाती है!
तभी पीछे से मनीष का लंड निकल गया.
वह अपना लंड दुबारा से मेरी गांड में डालने की कोशिश कर रहा था पर बार बार लंड फिसल रहा था.
तभी धनंजय राजा ने उसके लंड को दबाया और इशारा किया.
मनीष ने ताकत लगाते हुए अपना लंड अन्दर तक ठांस दिया.
उन दोनों के लंड एक साथ घुस गए थे.
मैं बेहोश हो गई.
साले इतने बेरहम थे कि मेरे मुँह पर थूक रहे थे जिससे मैं होश में आ गई.
वे दोनों गाली दे रहे थे- साली रण्डी, मुंबई की रांड हमको चैलेंज करती है … तेरी मां को चोदूं!
मैं बोली- हां साले मादरचोद … मेरी मां को भी चोद लेना … वह भी मेरी तरह चुदक्कड़ है. पर उससे पहले मेरी फाड़ो सालो.
मेरे इतना कहते दोनों घपाघप लग गए और मेरी गांड की धज्जियां उड़ाते रहे.
मैं गांड चुदाती रही और आवाजें निकालती रही थी- आअहह … अहहाअ और तेज आअहह!
करीब 30 मिनट तक इसी पोज में चोदने के बाद मैं निढाल होकर धनंजय के ऊपर लेटी थी.
उन दोनों ने अपने हथियार एक झटके में बाहर निकाल लिए.
मैं हंसने लगी- हो गई तुम्हारी मां की ऐस सेक्स बैक होल चुदाई!
मनीष बोला- चुप रांड … अभी पोजीशन चेंज करके फाड़ेंगे.
फिर काले पतिदेव धनंजय ने मुझे अपनी गोद में उठाया और अपना विशालकाय लंड एक ही बार में पेल दिया.
उसका लंड मेरे पेट में सरसराता चला गया.
फिर मनीष ने पीछे से पकड़ कर अपने लंड को दबाया और मेरी गांड में घुसा दिया.
मैं चिल्ला उठी.
मेरे चिल्लाने से तेज आवाज आ रही थी.
मैं खुद डर जा रही थी कि कहीं पड़ोसियों ने सुना तो वे भी मेरी गांड मारने आ जाएंगे.
मैं मुँह दबा कर सिसकारी भरने लगी और दोनों से तालमेल मिला कर गांड चुदवाने लगी.
मेरी गांड फट कर गुफा हो गई थी.
फिर भी मेरे दोनों पति सुहागरात को रंगीन बना रहे थे.
मैं दोनों के बीच में सैंडविच बनी बाजारू रण्डी बन कर उछल उछल कर अपनी गांड की धज्जियां उड़वा रही थी.
वे दोनों गाली दे रहे थे और मेरी गांड मार रहे थे- साली रण्डी तेरी मां रण्डी मादरचोद भेंचोद कुतिया … साली हार नहीं मान रही!
‘सालो अब क्या और एक लंड डालोगे कि मैं हार मान लूँ … तुमने पहले ही इस गांड का गोदाम बना दिया है.’
कुछ देर यूं ही मेरी गांड का गड़ा बनाने के बाद मेरे अन्दर वीर्य की इतनी तेज धार चालू हुई कि मेरा पेट फूलने लगा.
उन दोनों के लंड का सारा माल मेरे मुँह से फव्वारे की तरह निकलने लगेगा, ऐसे तेज झटके देकर उन दोनों ने सारा वीर्य छोड़ दिया और मुझे बेड पर पटक कर खुद भी लेट गए.
मैं सदा से वीर्य की प्यासी रंडी उन दोनों का लंड चाट कर साफ करने में जुट गई.
यूं ही हम तीनों एक दूसरे को चूमते हुए सो गए.
जब सुबह हुई, तो मैं चल नहीं पा रही थी.
उन दोनों ने मिल कर मुझे बाथरूम ले जाकर शौच करवाई और नहलाया.
वे दोनों खुद भी नहाए और मुझे बेड पर लिटा कर काम में जुट गए.
एक दवा लाने चला गया और दूसरा मेरे लिए काफ़ी बनाने लगा.
कुछ देर बाद मैं कॉफी पीकर और दवा खाकर सो गई.
जब वापस उठी, तो देखा कि गांड तरबूज की तरह फट गई थी और बहुत बड़ा छेद हो चुका था.
मेरे चूतड़ भी बहुत ज्यादा बड़े हो गए थे.
उन दोनों की संगत में मैं हर दिन कई कई बार चुदने लगी थी.
फिर मेरे घर वाले आ गए.
जैसा कि मेरे काले खसम धनंजय ने कहा था कि तेरी मां को भी चोदूंगा, तो उसने सच में मेरी मां को मुंबई जाने से पहले चोद डाला.
मेरी मां और मेरे पति की चुदाई पढ़ने की इच्छा हो तो आप मुझे इस ऐस सेक्स बैक होल स्टोरी पर कमेंट्स करके बताएं.
मैं सविस्तार अपनी मां की चुदाई की कहानी आपके लिए लिखूँगी.
धन्यवाद.
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