अंधेरी रात में दीदी की सास की गांड मारी

X आंटी एस्स स्टोरी में मेरी बहन की सास विधवा थी पर काँटा माल थी. एक बार सब लोग मौसी के शहर में मेला देखने गए. वहां दीदी और उनकी सास भी आई थी.

दोस्तो, मेरा नाम सूरज है. मैं एक एनिमेशन का स्टूडेंट हूँ और आज मैं आपको अपनी दीदी की सास के साथ हुई सेक्स की कहानी बताने जा रहा हूँ.

मैंने X आंटी एस्स स्टोरी में जो लिखा, सब कुछ 100 % सही है। इसमें कुछ भी काल्पनिक नहीं है।

एक बार छुट्टियों में मैं अपने मौसी के यहां मेले में गया था, अपने परिवार के साथ.
उसमें मेरी दीदी की सास भी थीं.
उनका नाम प्रभा था.

मेरी दीदी की सास प्रभा विधवा हो गई थीं और वे अपने घर पर अकेली न रह जाएं उसी वजह से उन्हें दीदी और जीजा जी ने अपने साथ ले लिया था.

कहानी में आगे मैं उन्हें प्रभा नाम से ही लिखूंगा.

प्रभा आंटी बड़ी कांटा माल लगती थीं.
उनकी उठी हुई गांड ने मुझे मस्त कर दिया था.
चूचियां तो इतनी कड़क थीं उनकी कि लौड़े ने सारी लोकलाज खो दी थी और उन्हें सलामी देने लगा था.

उस वक्त प्रभा मुझसे ही बात कर रही थीं तो वे मेरे लंड में हरकत होते हुए देखने लगी थीं.

मैं सकपका गया था और नजर बचा कर अपने लंड को हाथ से ठीक करने लगा था.

मगर लौड़े ने मेरे हाथ की एक न मानी और वह कुत्ते की तरह खड़ा होकर गुर्राने लगा.
मैंने प्रभा आंटी से कहा- मैं एक मिनट में आया.

बस इतना कह कर मैं बाथरूम में चला गया और उधर लंड बाहर निकाल कर प्रभा की चूचियों व गांड को याद करके हिलाने लगा.

कुछ ही देर लंड ने माल फेंक दिया और मुझे चैन मिल गया.

जब मैं बाहर आया तो वे किसी दूसरे के साथ बातें करने लगी थीं.

शाम हुई तो हम सब मेला देखने चले गए.
खूब देर तक मेले में घूमकर मैं थक गया था.
उसी रात खाना खाकर मैं सोने चला गया.

उस दिन मौसी के घर बहुत सारे मेहमान आ गए थे इसलिए सोने की जगह कम पड़ रही थी.

प्रभा ने मुझे अपने पास सोने के लिए बुला लिया.

मैं उनके पास आ गया और सोने की कोशिश करने लगा.
मुझे उनकी हलकट जवानी को याद करके नींद ही नहीं आ रही थी.

एक तो मुझे पैर फैलाकर सोने की आदत है … इसलिए भी नींद नहीं आ रही थी और दूसरा कारण प्रभा की गांड थी.

रात में प्रभा ने चादर ओढ़ रखी थी, जो एक तरफ से थोड़ी ऊपर हो गई थी.

गलती से मेरी दाहिनी जांघ उस चादर के अन्दर चली गई और उनकी दोनों टांगों के बीच मे जाकर उनकी गांड को छूने लगी.

उस वक्त मुझे हल्की-हल्की नींद आने लगी थी, तो मुझे इस बात का अहसास ही नहीं हुआ.
तभी प्रभा थोड़ी हिलीं, तो मैं जाग गया.

उस वक्त मुझे पता चला कि मेरी जांघ उनकी टांगों के बीच जाकर उनकी गांड को लग रही थी.

उनकी नग्न जांघों की गर्मी मुझे मजा देने लगी थी और कमरे की लाइट भी बंद थी, तो मैंने अपनी जांघ को वैसे ही रहने दिया.

उनकी गांड में हलचल हो रही थी.
इस बात से मुझे समझ में आया कि वे अभी सोई नहीं हैं.

अब मैंने जानबूझ कर अपनी जांघ को उनकी टांगों के बीच और अन्दर को धकेला.
वे लगातार अपनी गांड हिलाकर मुझे सिग्नल दे रही थीं.

मैंने उनके कमर पर हाथ रखा और जांघ को उनकी गांड पर ज़ोर से घिसने लगा.
इससे उनकी ज़ोर-ज़ोर से कामुक सिसकारियां निकलने लगीं ‘आह आह!’

जिस वक्त मेरी नींद उचाट हुई थी और मैंने उनकी गर्म सांसों का अहसास करना शुरू किया था, उसी समय से मेरा लंड खड़ा होने लगा था और अब एकदम कड़क हो गया था.

अब मैं अपनी चादर छोड़कर उनकी चादर में घुस गया और अपने हाथ को हरकत में लाने लगा.

पहले मैंने अपने हाथ को उनके मम्मों पर रखा, जब उनका कोई विरोध नहीं आया तो मैंने हल्के से उनके एक दूध को दबाते हुए मसला.

इस पर भी जब प्रभा ने कुछ नहीं कहा तो मैं उनके ब्लाउज़ के बटन खोलने लगा.
मैंने उनके ब्लाउज़ के दो बटन खोले, लेकिन वे कुछ नहीं बोलीं.

प्रभा शायद पूरी गर्म हो चुकी थीं.
अब मैंने उनके ब्लाउज़ में हाथ डाल दिया और उनके मम्मों को दबाना शुरू कर दिया.

उनकी सांसें ज़ोर-ज़ोर से चलने लगीं.
मैंने उनकी साड़ी ऊपर की तो देखा कि उन्होंने अन्दर पैंटी नहीं पहनी थी.

मैं उनकी चूत में दो उंगलियां घुसेड़ने लगा.
वे भी गीली होने लगी थीं तो मैं उनकी गर्दन पर चूमने लगा और उनकी गले के पास की त्वचा को चाटने लगा.

वे मस्त हो चली थीं और मुझे एक बार भी मना नहीं कर रही थीं.
इससे साफ जाहिर था कि वे खुद चुदने के मूड में आ गई थीं.

हम दोनों पूरी शांति से ये सब कर रहे थे.

मैं प्रभा की चुत में अपनी उंगलियां डाले हुए ही दाने को रगड़ने लगा.
साथ ही मैंने उनकी गांड पर अपना लंड लगा दिया.

प्रभा ने अपने हाथ को पीछे किया और मेरे लंड को पकड़ा और अपनी गांड पर घिसवाने लगीं.

लौड़े ने छेद का अहसास किया और उस वक्त मैं पूरी ताकत से लंड को अन्दर धकेलने लगा.
उनके मुँह से मदभरी आवाज़ें निकलने लगीं- आह आह!

इस बार आवाजें कुछ तेज स्वर में निकली थीं तो मैंने उनका मुँह दबाया और ज़ोर-ज़ोर से उनकी गांड मारने लगा.

वे भी शायद गांड मरवाने की शौकीन थीं तो मेरे लंड को अपनी गांड के आखिरी छोर तक लेने के लिए अपनी कमर को लौड़े की लय के साथ हिला रही थीं.

पूरे 15 मिनट तक मैं X आंटी एस्स यानी उनकी गांड मारता रहा.

मेरा वीर्य गिरने का समय आया तो एक ज़ोरदार धक्के के साथ मैंने सारा वीर्य उनकी गांड में डाल दिया.

इस बीच मैंने उनके मुँह को अपने मुँह की तरफ घुमा लिया था और उनके मुँह में अपनी जीभ डाल कर उनकी लार को चाट चूस रहा था.
प्रभा भी पूरे मज़े से मुझे किस कर रही थीं और मैं उनके मम्मे दबा रहा था.

फिर वे इशारों से बोलीं- अब सो जाओ!
मैं अपनी चादर में आकर सो गया.

सुबह उठकर देखा तो वे वहां नहीं थीं.
मैं उठकर हॉल की तरफ गया, तो वो वहां थीं.

मुझे देखकर वे बोलीं- चाय दूँ तुझे?
ये कहकर वो किचन में मेरे लिए चाय लाने चली गईं.

प्रभा अपनी गांड मरवा कर बहुत खुश लग रही थीं.

मैं मुँह धोकर चाय पीने बैठा, तो वे मेरे पास बैठीं और हवस भरी नज़रों से बोलीं- तू कितने दिन रहने वाला है?
मैंने कहा- अभी दो दिन और रहूँगा!

वे खुश होकर बोलीं- मैं भी … अभी तो मेला तीन दिन चलेगा न!
उनके कहने का अर्थ था कि मेला चलेगा मतलब चुदाई चलेगी.

उस दिन शाम को वे मेला जाने की जिद करने लगीं.
तो मौसी ने कहा- तू उन्हें लेकर थोड़ा घूमकर आ जा, बाद में हम सब जाएंगे.

हमारे पास दो बाइक थीं और मौसी के परिवार में कुल आठ लोग थे.

मौसी बोलीं- तुम पहले जाकर आ जाओ, फिर घर आने के बाद तुम दोनों घर में रुक जाना, उसके बाद हम सब मेला जाकर आ जाएंगे.
मैंने कहा- ठीक है मौसी.

मैं प्रभा को लेकर निकल पड़ा.

वे मेरी बाइक पर मुझसे चिपक कर बैठीं और मैं भी उनकी गर्मी के मज़े ले रहा था.

मैंने जल्दी से उन्हें मेले में घुमाया और घर ले आया.
बाकी सब मेले जाने की तैयारी करने लगे और फिर चले गए.

अब वे बोलीं- क्या प्लान है तुम्हारा?
मैंने हंसकर कहा- जो आपका प्लान है, वही मेरा है.

वे हंसने लगीं.

मैंने पूछा- रात को जो हुआ, वह आपको अच्छा लगा?
वे बोलीं- बहुत अच्छा लगा. तुम्हारे जीजू के पिताजी जब थे … तब वे मुझे चोदते थे. उनके जाने के बाद से मैं प्यासी हूँ. कल रात को तुमने मेरी गांड की प्यास बुझाई, आज मेरी चूत की प्यास भी बुझा दे. मेरा पति बनकर मुझे रंडी बनाकर चोद दे!

उनके मुँह से ऐसी खुली खुली अश्लील बातें सुनकर मैं गर्म हो गया.
मैंने कहा- ठीक है … आज मैं तुम्हें रंडी और पत्नी बनाकर चोदूँगा!

वे मेरी बात सुनकर हंसने लगीं और बोलीं- ठीक है तुम्हें जैसा ठीक लगे, वैसा करो, बस मुझे बहुत मज़ा आना चाहिए!

वे बेडरूम में चली गईं और एक उंगली से मुझे अन्दर आने का इशारा करने लगीं.

मैं भागकर गया और ज़ोर-ज़ोर से उन्हें किस करने लगा, उनकी गांड दबाने लगा.
उन्होंने साड़ी पहनी थी.

मैंने उनकी साड़ी उतारी, उन्हें बेड पर लिटाया और उनके पूरे शरीर को चूमने लगा.

वे ज़ोर-ज़ोर से बोलने लगीं- आओ मेरे राजा! आज मुझे अपनी रंडी बना कर चोद दे … मेरी चूत फाड़ दे!

उनकी कामुक बातें सुनकर मैं जोश में आ गया.
मैंने उन्हें पूरी तरह नंगी कर दिया.

फिर अपने कपड़े उतारे और उनके शरीर के ऊपर आकर ज़ोर-ज़ोर से उनके मम्मे दबाने लगा.

वे बोलीं- टाइम वेस्ट मत कर मेरे लाल … मेन काम शुरू कर!
मैंने उनकी बात सुनकर कहा- लाल क्यों बोली? अब तो मैं तेरा पति हूँ!

ये कहकर मैंने उनकी दोनों टांगें फैलाईं.
वे हंस कर बोलीं- आ जाओ मेरे पति देव … लंड पेल कर चोदो मुझे!

मैंने उनकी चूत पर अपना लंड रखा और पूरी ताकत से धकेल दिया.
वे ज़ोर से चीखीं- आह मर गई … ज़रा धीरे मेरे राजा! आज मैं तुम्हारी लुगाई हूँ … ज़रा धीरे धीरे चोदो न!

मैंने धीरे-धीरे चुत चुदाई करना शुरू किया.
कुछ ही देर में वे पूरी गर्म हो चुकी थीं.

अब मैंने ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने शुरू किए.
वे चीखने लगीं- आह .. मजा आ रहा है और ज़ोर से चोदो … आह आज मैं तेरी रंडी हूँ आह ज़ोर से … आह आह!

मैं ऐसे ही 20 मिनट तक उनकी चूत चोदता रहा.
उनकी चूत से पानी निकल रहा था.
मेरा वीर्य भी बाहर आने को मचल रहा था.

वे पूरी तरह झड़ गईं और मैंने भी अपना सारा वीर्य उनकी चूत में गिरा दिया.

हम दोनों नंगे बिस्तर पर पड़े रहे.

पांच मिनट तक मैं उनकी चूत में उंगली डालकर उन्हें किस करता रहा.

मेरा लंड फिर से बड़ा होने लगा और वे भी गर्म होने लगीं.

इस बार मैंने उन्हें कुतिया बनाया, उनकी गांड पर थप्पड़ मारते हुए गांड के मुँह पर अपना मोटा लंड रखा और ज़ोर से धकेल दिया.

वे ‘आह आह आह!’ करके ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगीं.

मैंने कहा- चुप कर रंडी साली!
यह कह कर मैंने उनके मुँह पर हाथ रख दिया.

मैंने पागल कुत्ते की तरह 20 मिनट तक उनकी गांड मारी और फिर गांड में ही झड़ गया.

गांड मारने के दौरान मैं एक हाथ से उनकी चूत में उंगली डालकर अन्दर-बाहर करता रहा और दूसरे हाथ से उनके मम्मे दबाते हुए, किस करते हुए चुदाई में लगा रहा.

कुछ मिनट बाद वे भी पूरी तरह थक गई थीं.
वे बोलीं- बस कर मेरे राजा … मेरी चूत और गांड फाड़ दी तुमने … अभी तुम्हारे पास एक दिन और है!

ये कहकर वे साड़ी पहनने लगीं.
हम दोनों ने कपड़े पहने और बाहर हॉल में आकर बैठ गए.

वे मेरे पास आकर बैठीं और हवस भरी नज़रों से देखने लगीं.

मैंने उनके मुँह को पकड़ा और किस करने लगा.

तभी बाहर हलचल सुनाई दी.
हम दोनों एकदम से अलग होकर बैठ गए.

घर वाले थककर मेले से लौट आए थे.
वे चाय बनाने किचन में चली गईं.

उस रात की चुदाई की कहानी अगले हिस्से में बताऊंगा.

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