बड़ी दीदी को नंगी नचाया फिर चूत चोदी

सिस्टर ऐस फक कहानी में पढ़ें कि कैसे मैंने अपनी विवाहित दीदी की चूत और गांड मार कर मजा लिया. इससे पहले मैं घर की सभी चूतों का मजा ले चुका था.

दोस्तो, मैं अंकित यादव. आप कैसे हो. मैं आशा करता हूँ कि आप अच्छे ही होंगे.

मैं पहले ही बता देना चाहता हूं कि यह सिस्टर ऐस फक कहानी मेरी बड़ी दीदी नेहा की चुदाई की है.
मेरे घर में नेहा दीदी ही बची थीं जिनकी जवानी का रस मैंने नहीं पिया था.

उनकी शादी पहले ही हो चुकी थी. वो बहुत दिनों बाद घर आ रही थीं.

मैं ही एक ऐसा मादरचोद इंसान था जिसने घर में सबकी जवानी का रस पिया था.
बड़े भैया इन सब बातों से अनजान थे कि मेरा लंड घर की सभी औरतों की फुद्दी का स्वाद ले चुका है.

जब मुझे पता चला कि नेहा दीदी घर आ रही हैं तो मैं मां से बोला- आप कुछ ऐसा करना कि मेरा लंड नेहा दीदी की चूत का स्वाद जरूर चख ले.
मां बोलीं- हां, कोशिश करूंगी.

मैं मां को हड़काते हुए बोला- कोशिश नहीं, मुझसे दीदी की चूत का स्वाद चाहिए ही है.
मां बोलीं- साले, तुम्हारे लंड के लिए मेरी चूत है ना, जितना मन करे, उतना मेरी चूत को चोद लो … मैं मना करूं तो कहना. तुम्हारा मन मुझे दिन भर पेलने के लिए करे, तो पूरे दिन मुझे पेलो, मैं कहां मना कर रही हूँ.

मैं बोला- वो तो ठीक है, लेकिन नेहा मुझे दीदी की जवानी का रस भी पीना है.
मां बोलीं- ठीक है. मैं उससे बोलूंगी, पहले उसे आने तो दो!

दो दिन बाद दीदी घर आ गईं.
जब मैंने उन्हें देखा, तो हैरान रह गया कि नेहा दीदी पहले से भी अधिक सुंदर दिख रही थीं.
वैसे हमारे घर में सभी लोगों का रंग गोरा ही है.

नेहा दीदी की शादी बहुत कम उम्र में ही हो गई थी. वो इस समय दो बच्चों की मां हो गई थीं. उनकी चूत ने एक लड़की और एक डेढ़ साल का लड़का पैदा कर दिया था.
जब मैंने नेहा दीदी को देखा, तो उनकी चूचिया बहुत ही मोटी थीं. दीदी की चूचियों में दूध भरा होने के कारण उनकी चूचियां और भी ज्यादा फूली हुई थीं.
उनकी गांड मां की तरह चौड़ी थी.

मैं समझ गया कि दीदी की गांड को मारने में कोई समस्या नहीं होगी क्योंकि दीदी अपनी गांड की सेवा करवाती हुई लग रही थीं.

फिर दीदी से हाल चाल जानना हुआ. वो अपने दोनों बच्चों के साथ आई थीं. मेरी नजर उनकी चूचियों पर गड़ी थी.

दीदी भी समझ चुकी थीं कि मैं उनकी चूचियों को ही घूर रहा हूँ.
फिर मैं मां के पास गया और उनसे कहा कि जितना जल्दी दीदी सैट हो जाएं, मेरे लौड़े के लिए उतना ही अच्छा होगा.

मेरा लंड दीदी को देखकर मौसम में आ गया था. मुझसे बिना चुदाई के रहा ही नहीं जा रहा था.
मैं मां से बोला- जल्दी अपनी साड़ी ऊपर करो.

मां ने मेरी चुदास समझ ली और उन्होंने तत्काल झुक कर अपनी साड़ी ऊपर कर दी.
मैंने तुरंत अपना लंड निकाला और मां की चूत में एक जोदार झटके के साथ पेला दिया.
मां सिहर उठीं.

मैं अपनी मां को धकापेल चोदने लगा और मां भी मजे के साथ चूत में लंड पिलवाने लगीं.
मां अपनी कामुक आवाजों को दबा रही थीं.

मैंने मां से कहा- अपनी आवाज मत दबाओ.
मां बोलीं- हां पेल बेटा.

मैं बोला- बुरचोदी, बेटा नहीं, ठोकू बोल.
मां बोलीं- हां मेरे ठोकू, फाड़ दे अपनी बुरचोदी की चूत को.

कुछ मिनट बाद हम दोनों लोग एक ही साथ ठंडे हो गए, मतलब लंड चूत का पानी निकल गया.

मां खड़ी हो गईं और हंस कर बोलीं- इतना मजा मुझे इस उम्र में और कोई नहीं देगा.
मैं लंड सहलाता हुआ बोला- हां ये तो सही बात है.

फिर मैंने मां के होंठों को चूसा और बोला- शालिनी डार्लिंग, अब तुम अपने काम पर लग जाओ.

शाम को दीदी ने नहाने के बाद खुले बाल रखे थे व बिना ब्रा के मैक्सी पहनी हुई थी. उनकी चूची साफ दिखाई दे रही थीं और मैक्सी में से पैंटी के किनारे भी साफ़ दिख रहे थे. दीदी की मैक्सी भी बहुत पतली और पारदर्शी थी.

ये सब देखकर मेरा लंड फिर से मौसम में आ गया.

अब दीदी बोलीं- क्या हुआ अंकित?
मैं बोला- कुछ नहीं दीदी.

फिर मैं मां के पास आया और उनसे कहा- यार, दीदी के साथ कब तक हो पाएगा?
मां- रुको कुछ समय तक.

तभी दीदी भी अन्दर आ गईं.
मैं समझ गया कि दीदी का भी मन है. अब मुझे ही आगे बढ़ना होगा.

इस समय मेरी दीदी मैक्सी में कामवासना की देवी लग रही थीं.

दीदी जाकर सोफे पर बैठ गईं. मैं भी टीवी चालू करके उनके बगल में बैठ गया.
मां बाहर चली गईं और इशारे में बता गईं.
मैं समझ गया.

दीदी टीवी देखने में व्यस्त थीं.
मैंने अपना एक हाथ दीदी की जांघ पर रख दिया.
दीदी कुछ नहीं बोलीं तो मैं उनकी जांघ को हल्के हाथों से दबाने लगा.

वो फिर भी कुछ नहीं बोलीं.
मैं जांघ सहलाने लगा और समझ गया कि ये तो पटी पटाई माल है.

धीरे से मैं अपनी उंगली दीदी के चूत के पास ले गया और चूत को सहला दिया.
उस वक्त दीदी ने मेरी ओर देखा और बोलीं- क्या हुआ अंकित?
मैं बोला- कुछ नहीं.

वो कुछ नहीं बोलीं और उन्होंने अपनी टांगें कुछ ज्यादा खोल दीं.

मैं दुबारा से उंगली को चूत के पास ले गया और उसे फिर से सहला दिया.
मेरी दीदी ने कुछ भी नहीं कहा.

अब मैं उनकी मैक्सी को धीरे धीरे ऊपर करने लगा और उनकी चिकनी जांघ दिखाई देने लगी.
अब मैं पूरी तरह से समझ गया कि दीदी मेरी लंड की सवारी जरूर करने को रेडी हैं.

तभी दीदी मुझे अजीब नजरों से देखने लगीं.
मेरा हाथ अभी भी उनकी जांघों पर ही चल रहा था.

मैंने उनकी तरफ देखा और दीदी का हाथ अपने लंड पर रख दिया.

दीदी ने कहा- प्रीति ने सब कुछ बता दिया है.
मैं बोला- प्रीति दीदी ने आपको जब सब कुछ बता दिया था, तो मुझे क्यों तड़पा रही हो.

ये कह कर मैंने अपनी पैंट को उतार दिया और अंडरवियर में हो गया.
अब मैंने अपना लंड दीदी को सौंप दिया.
दीदी मेरे लंड को सहलाने लगीं.

मैंने दीदी को बिस्तर की ओर इशारा किया.
दीदी बिस्तर पर आ गईं.

मैंने उनकी मैक्सी को निकाल दिया.
दीदी बोलीं- तुम्हारे जीजा जी ने तो मुझे तो बहुत चोदा है. लेकिन उन्होंने मेरी चूत को कभी नहीं चूसा है. आज तुम मेरी ये कामना पूरी कर दो. तुम मेरी चूत चूस लो.

मैंने कहा कि दीदी तुम्हारी चूचियां बहुत मोटी हैं और गांड भी बहुत चौड़ी हो गयी है.
दीदी हंस कर बोलीं- हां तुम्हारे जीजा जी मेरी गांड और चूचियों से बहुत खेलते हैं.

मैं दीदी के ऊपर चढ़ गया और दीदी के रसीले होंठों को चूसने लगा.
वो भी पूरी तरह से मेरा साथ दे रही थीं.

दीदी के होंठों को चूसने के बाद मैं उनकी चूचियों पर टूट पड़ा.
दीदी की चूचियां बहुत ही भरी हुई थीं और एकदम दूध की तरह गोरी थीं.

उनकी चूचियों के निप्पल्स भी बड़े थे.
मैंने दीदी की एक चूची को मुँह में भर लिया और जोर जोर से पीने लगा.
दीदी भी मुझे अपनी चूची से दूध पिला रही थीं.

मैंने दीदी से कहा- मैं आपको कुछ मस्त मस्त शब्दों से बुलाऊं, तो बुरा मत मानना.
दीदी भी बोलीं- तुझे जो बोलना हो, वो बोलो. जब मैं तुमसे चुद सकती हूं, तो बातों का बुरा क्या मानना!

मैंने हंस कर उनके दूध को पकड़ कर खींचा तो उसके चूची से दूध की मोटी धार मेरे मुँह में आने लगी.
दीदी सिस्याती हुई बोलीं- आंह मेरी चुची बाद में पी लेना. सबसे पहले मेरी चूत चूसो.

मैंने दीदी की पैंटी को निकाला तो देखा दीदी की चूत पावरोटी की तरह फूली हुई थी.
अपनी बहन की दोनों टांगों को फैलाकर मैंने उनकी चूत की फांकों में अपनी जीभ लगा दी, चूत के दाने को जीभ चाट लिया.

दीदी इतने से ही गर्मा गईं और वो मेरे सर को अपनी चूत में दबाने लगीं. अपने मुँह से मादक सिसकारियां भी लेने लगीं- आंह चाट के साले भैन के लंड!

मेरी बहन ने खुद ही गाली भरे शब्दों ने मुझे खोल दिया था.
मैं दीदी की चूत को अपनी जीभ से चोदने लगा.

जल्दी ही दीदी की चूत से पानी निकलने लगा.
साथ ही दीदी के मुँह से मादक आवाजें मुझे और ज्यादा उत्तेजित कर रही थीं.

दीदी बोल रही थीं- आंह और चूसो अपनी दीदी की चूत का पानी.
ये कह कर दीदी अपनी गांड उठाती हुई झड़ने लगीं और उनके दोनों हाथों ने मेरे सर को अपनी चूत पर दबा दिया.

मैं अपनी बहन की चूत का पूरा पानी चाट गया.
दीदी अपने मुँह से गर्म आवाजें निकाल रही थीं.

मैंने दस मिनट से अधिक समय तक दीदी के चूत को चाटा था.
दीदी बोलीं- अब अपना लंड मेरी चूत में डाल कर मुझे अच्छी तरह से चोदो.

मैंने अपनी बड़ी बहन की टांगों को पूरा फैलाया और उनकी गांड के नीचे एक तकिया रख दिया.
अब मैंने अपना लंड दीदी की चूत में डाल दिया और दीदी भी मजे से चूत में अपने भाई का लंड लेने लगीं.

मैं अपनी दीदी की रसीली चूत को चोदने लगा.
अभी मैं आहिस्ते आहिस्ते दीदी को चोद रहा था.

दीदी की चूचियां चुदते समय जब ऊपर नीचे हो रही थीं तो देखकर मुझे और ज्यादा मजा आ रहा था.

दीदी बोलीं- मजा आ रहा है न अपनी दीदी को चोदने में!
मैं बोला- हां मेरी जान.

दीदी- तो धीमे धीमे क्यों पेल रहा है भोसड़ी के … शताब्दी एक्सप्रेस चला!
ये सुनकर मैंने और तेजी धक्के देना शुरू कर दिए.

कुछ देर तक ताबड़तोड़ चुदाई के बाद दीदी की आवाजें बढ़ने लगीं व झड़ गईं.
उनके बाद मैं भी उनकी चूत में ही झड़ गया और थककर दीदी के ऊपर ही गिर गया.

दीदी मेरी गांड को सहलाने लगीं और उसे दबाने लगीं.
फिर दीदी ने मेरी गांड को फैलाकर अपनी एक उंगली मेरी गांड में डाल दी.

मैं बोला- उन्ह दीदी … दर्द हो रहा है.

दीदी बोलीं- साले जब तुम लोगों से लड़कियों के कोई छेद नहीं बचे रहते हैं, तो अपने छेद का मजा भी तो लो. तुम सभी लड़के क्या अपना लंड गांड में नहीं डालते हो.
मैंने कहा- हां क्यों नहीं दीदी … अभी रुको जब मैं तुम्हारी गांड मारूंगा. तब लंड का मजा लेना.

दीदी हंस दीं और उठकर बाथरूम में जाने लगीं.
मैं भी पीछे पीछे जाने लगा.

दीदी जब चल रही थीं तो उनकी नंगे चूतड़ ऊपर नीचे हो रहे थे.
क्या मस्त नजारा था.

मैं भी उनके साथ बाथरूम में आ गया.
दीदी बोलीं- तुम क्या करने आये हो?
मैं- जो तुम करने आई हो.
दीदी- मैं तो पेशाब करने आई हूं.

मैंने कहा- तो मैं देखने आया हूं कि मेरी छिनाल बहन मूतती कैसी है.
दीदी हंस दीं.

मैंने दीदी से खड़े होकर ही पेशाब करने को कहा.
दीदी अपनी टांगें फैलाकर पेशाब करने लगीं.

कुछ देर बाद मैं भी मूतने लगा और हम दोनों कमरे में आ गए.
मैंने कहा- रात में कमरे में आ जाना.

ये कह कर मैं अपने कपड़े पहनकर बाहर निकल गया.
उस रात को हम सभी ने साथ में खाना खाया.

खाना के बाद मैं अपने रूम में जाकर सो गया.
मुझे बड़ी मस्त नींद आई थी. सारी रात गहरी नींद में सोता रहा और मेरी नींद सुबह ही खुली.
मैं फ्रेश होकर अपने रूम में आ गया.

कुछ ही मिनट बाद मेरे रूम में मां आईं.
मैं बोला- शालिनी डार्लिंग, मेरे करीब आओ.

मां समझ गईं कि मुझे क्या चाहिए.
मां बोलीं- हां मैं भी तुझसे चुदवाने ही आयी हूँ. रात को तुम मुझे चोद नहीं पाए थे.

मैंने मां को कुतिया बनाया और उनकी साड़ी ऊपर करके पीछे से अपना लंड मां की चूत में डाल दिया.
इतनी उम्र होने के बाद भी मां अपने को मेंटेन करके रखती हैं.

मैंने धीरे धीरे मां की चूत को पेलना शुरू किया.
मां कामुकता भरी आवाजें निकालने लगीं.

उनकी आवाजों से मेरा जोश और बढ़ गया.
मैं पीछे से मां की चोटी पकड़ कर उन्हें तेजी से चोदने लगा.

मां की चूत ने पानी छोड़ दिया.
चूत में चिकनाई हो गई तो मैं और तेजी से मां चोदने लगा.

कुछ देर में मेरा भी पानी निकल गया.
मां चूत चुदवा कर खड़ी हो गईं और मेरे होंठों को चूस कर बोलीं- लंड को आराम मिला या नहीं!
मैंने हां में सर हिलाया.

इसके बाद मां कमरे से निकल गईं.
मैं अपने बिस्तर पर फिर से सो गया.

जब मेरी नींद खुली, तो दस बजने वाले थे.
मैं फ्रेश होकर बाहर निकल गया, दोस्तों के साथ व्यस्त हो गया और शाम को घर आया.
फिर रूम में गया तो मां आईं.

मां ने पूछा- इतने समय से कहां घूम रहे थे?
उन्होंने मुझे किस की और बाहर चल दीं.

मैं थोड़ा गुस्से में था कि नेहा दीदी सुबह से अभी तक मेरे पास नहीं आईं.
जब नेहा दीदी चलती थीं तो उनकी गांड ऊपर नीचे देख कर मन यही करता था उनकी गांड में लंड पेल दूँ.
उनकी पतली कमर थी.

मां और नेहा दीदी की गांड में यही अन्तर था.
मां की कमर थोड़ा मोटी हो गई थी लेकिन दीदी की कमर अभी पतली थी.

रात में मैंने अपने रूम में ही खाना खाया.
खाना खाने के बाद मां ने कहा- दीदी के रूम में चले जाओ.
मां के कहने के बाद दीदी के रूम में गया.

वो रूम पूरी तरह से सजा था; दीदी एक नई नवेली दुल्हन की तरह सजी थीं.

मेरे साथ मां भी आ गई थीं.
उन्होंने मुस्कुरा कर कहा- जाओ आज तुम अपनी दुल्हन को पूरी रात चोदो.
मैं खुश हो गया था.

मां ने कहा- मैं जानती थी, जिसे तुम घर में चोदते हो, उसे तुम अपनी दुल्हन बना कर ही चोदते हो.
मेरी मां से सिंदूर लेकर मैंने दीदी की मांग भरी. दीदी ने मेरे पैर छुए.

फिर मैंने दीदी को गले लगाया और पीछे से उनकी गांड को दबाने लगा.

कुछ देर बाद मैंने दीदी को बेड पर सुलाया और उनके ऊपर चढ़ गया.

मैं दीदी के होंठों को चूसने लगा और उनसे कहा- नेहा डार्लिंग, अभी तक कितने लंड की सवारी कर चुकी हो?
वो बोलीं- तुम्हारे जीजा, एक ब्वॉयफ्रेंड और अब तुम.

मैंने कहा- ब्वॉयफ्रेंड कौन था?
दीदी- एक था. उस ब्वॉयफ्रेंड ने भी शादी से पहले मुझे जमकर चोदा था. लेकिन अब मैं उससे नहीं चुदती हूँ.

अब मैं उठा और दीदी की साड़ी निकाल दी.
दीदी पेटीकोट और ब्लाउज में हो गयी थीं.

मेरी नजर दीदी की नाभि पर पड़ी जो काफी गहरी थी.
मैं दीदी की नाभि को जीभ डालकर अच्छी तरह से चूसने लगा.
दीदी इससे ही आवाज निकालने लगीं.

तभी दीदी ने पेटीकोट की डोरी खोल दी और अपनी गांड उठा कर उसे निकाल दिया.
मैंने दीदी को अपने ऊपर सुला लिया और उनकी मोटी चिकनी गांड को दबाने लगा.

तभी मेरे मन में विचार आया कि ये बहुत अच्छी डांसर भी है.
मैं बोला- नेहा डार्लिंग थोड़ा अदा नाच कर दिखाओ. वो राजी हो गईं.

मैंने एक गाना चालू कर दिया.
उस गाना पर नेहा दीदी ने नंगी ही नाचना शुरू कर दिया.
जब मेरी बहन की नंगी चूचियां और गांड हिलती, तो मुझे बहुत मजा आ रहा था.

कुछ देर बाद मैंने दीदी को बेड पर लिटा दिया और उसकी टांगों को फैलाकर अपना लंड चूत में एक जोरदार धक्का दे मारा.
बम पिलाट धक्के से दीदी की चीख निकल गयी.

दीदी कराहती हुई बोलीं- आंह … आराम आराम से चोद ना!
मैं बोला- फर्स्ट नाईट के दिन दुल्हन को चीखना ही चाहिए.
वो हंस दी.

मैं आराम से दीदी को चोदने लगा.
कुछ देर बाद मैंने दीदी को कुतिया बनाया और पीछे से चूत में लंड डालकर चोदने लगा.

कुछ मिनट बाद मैंने अपना लंड चूत में से निकाल दिया और दीदी की गांड के छेद में सैट करके एक जोरदार झटका मार दिया.
मेरे लंड का टोपा दीदी की गांड में घुस गया.
दीदी की चीख निकल गई.

जब चुदाई की चीखें निकलती हैं, तो कानों को बहुत सुकून मिलता है.
मेरी दीदी बोलीं- आंह साले, आराम आराम से गांड मार भोसड़ी के … शुरू में गांड को हमेशा आराम से ही चोदना चाहिए.

मैंने सिस्टर ऐस को आहिस्ते आहिस्ते चोदना शुरू कर दिया.

कुछ देर बाद दीदी जोश में आ गईं और बोलीं- आंह अब चला अपनी गाड़ी तेज और फाड़ दे अपनी दीदी की गांड.
मैं भी जोश में आकर तेजी से अपनी रंडी बहन की गांड मारने लगा.

कुछ समय बाद मेरा पानी निकलने वाला ही था तो मैंने लंड निकाल कर चूत में पेल दिया और दीदी की चूत चोदने लगा.
आठ दस धक्कों के बाद मैंने अपना सारा वीर्य बहन की चूत में ही गिरा दिया.

दीदी की चूत तो पहले से ही पानी छोड़ चुकी थी.
मैं झड़ कर दीदी की पीठ पर ही गिर गया.

कुछ देर बाद मैंने दीदी को अपने ऊपर ले लिया. दीदी की मोटी चूचियां मेरे सीने को बहुत आराम दे रही थीं.

दीदी मेरे होंठों को चूसती हुई बोलीं- कैसा लगा अपनी दीदी को चोदकर?
मैं बोला- बहुत मजा आया अपनी रंडी बहन को चोदकर.

मैं उस समय अपनी दीदी की गांड को दबा रहा था और हल्के हाथों से थपकी भी मार रहा था.

दीदी ने मां से लेकर सबकी चुदाई के बारे में पूछा तो मैंने उन्हें विस्तार से बताया कि किसको कैसे पेला.

मैंने भी दीदी से पूछा कि आज मां ने आपसे मेरे लंड के लिए क्या बात की थी और कैसे की थी?

दीदी ने हंस कर कहा- मेरे ब्वॉयफ्रेंड के साथ मैंने और मां ने एक साथ चुदाई का मजा लिया था, जिस वजह से मां मेरे साथ खुली थीं. उन्होंने मुझे सीधे सीधे तेरे लंड के लिए कह दिया था कि अंकित का लंड मस्त है, चुद लेना.

मैं खुश हो गया.

इसके बाद मैंने दीदी के साथ अपनी बहन भाभी और मां को एक साथ कैसे चोदा, वो कहानी बाद में लिखूंगा.

दोस्तो, आपको मेरी ये सिस्टर ऐस फक कहानी कैसी लगी, प्लीज़ मुझे मेल करके जरूर बताइएगा.
धन्यवाद.
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मेरी पिछली कहानी थी: मम्मियों का आपस में सेक्स करवाया