कुंवारी बुर को लगी लंड लेने की तलब- 2

मेरी देसी बुर की पहली चुदाई मेरे पड़ोसी अंकल ने की. वो मुझे अपने खेत में बने कमरे में ले गए. मुझे भी अपने जीवन के पहले सेक्स की ललक थी.

यह कहानी सुनें.

नमस्कार दोस्तो, मैं मधु एक बार फिर से आप सभी का अपनी सेक्स कहानी के अगले भाग में स्वागत करती हूँ.
कहानी के पहले भाग
चढ़ती जवानी को चढ़ा चुदाई का शौक
में अभी तक आपने पढ़ा था कि जवानी में कदम रखते ही कैसे मैं अपने आप पर काबू नहीं रख पाई.
अपने बदन की गर्मी को शांत करने के लिए मैं किशोर के नजदीक आ गई थी.

किशोर मुझसे उम्र में 15 साल बड़ा होने के साथ साथ शादीशुदा मर्द था, मेरे तो अंकल जैसा था. और मैं अभी नई उम्र की गदराई हुई जवान लड़की थी.

उस दिन नदी के पास किशोर ने मेरे होंठों को चूमा था और मेरी गांड सहलाने लगा था. उसने में ही मैं उससे अपना हाथ छुड़ा कर अलग हो गई थी.
किशोर ने भी मेरी भावनाओं को समझा था और हम दोनों कुछ देर रुकने के बाद उधर से चले आए थे.

अब देसी बुर की पहली चुदाई में आगे चलते हैं और जानते हैं कि किस तरह से किशोर ने आपकी मधु की जवानी की प्यास बुझाई और किस तरह आपकी मधु चुदाई की इतनी दीवानी हो गई कि वो कई लोगों के साथ बिस्तर गर्म करने लगी.

दोस्तो, मैं जबसे किशोर से मिलकर आई और जबसे उसने मुझे चूमा था, तब से उस वक्त को याद करते हुए मेरी चड्डी से पानी निकल जाया करता.
मेरी चड्डी दिन में कई बार अपने आप ही गीली हो जाती थी.

उस चुम्बन वाली घटना को काफी दिन हो गए थे मगर मुझे किशोर से मिलने का कोई मौका नहीं मिल रहा था.

स्कूल जाते समय भी मेरी सहेलियां साथ में होती थीं. स्कूल के रास्ते में ही उसका खेत पड़ता था, जहां पर हम दोनों एक दूसरे को देख लिया करते थे.

दिन ऐसे ही गुजर रहे थे और करीब एक महीने बाद मेरी दोनों सहेलियों ने कुछ दिन के लिए स्कूल से छुट्टी ले ली.

बस यही मौका मुझे मिल गया और मैंने एक खत के माध्यम से किशोर को बताया कि मैं स्कूल अकेली जाऊंगी, इसलिए रास्ते में मुझसे मिल लेना.

वो भी शायद ऐसे ही मौके के इंतजार में था.
अगले दिन मैं स्कूल के लिए तैयार हुई और घर से सुबह सुबह निकल गई.

गांव के बाहर रास्ते में किशोर अपनी साईकल लेकर खड़ा हुआ था, उसने मुझे अपनी साईकल पर बैठाया और अपने खेत की तरफ चल दिया.

उसके खेत में एक घर बना हुआ था और हम दोनों वहीं चले गए.
कमरे के अन्दर एक बिस्तर बिछा हुआ था और उस घर के आगे और पीछे दोनों तरफ दरवाजा था.

किशोर ने आगे की तरफ ताला लगा दिया और पीछे के दरवाजे से अन्दर आ गया.

ऐसा उसने इसलिए किया ताकि किसी को पता न चले कि हम लोग घर के अन्दर थे.

किशोर ने मुझसे मेरा स्कूल बैग लेकर किनारे रख दिया और मेरा हाथ पकड़कर मुझे अपनी बांहों में खींच लिया.

मैं भी उसके सीने से चिपक गई और किशोर बिना रुके मेरे होंठों को चूमने लगा. मैं भी उसका साथ देते हुए अपनी जीभ निकालने लगी.

मुझे चूमते हुए उसने मेरी सलवार कमीज दोनों ही निकाल दीं और अपने भी कपड़े निकाल दिए.
मैं बस ब्रा और चड्डी में ही थी और किशोर भी केवल चड्डी में.

खड़े खड़े ही हम दोनों एक दूसरे के बदन से चिपक कर एक दूसरे को चूमते सहलाते रहे.

किशोर मेरी चड्डी के अन्दर हाथ डालकर मेरे बड़े बड़े चूतड़ों को सहलाता और दबाता जा रहा था.

मेरे उभरे और कठोर दूध किशोर के सीने से चिपक कर दबे जा रहे थे.

धीरे धीरे मैं गर्म होती जा रही थी और मेरी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था.
किशोर भी मुझे बेइंतहा चूमता जा रहा था.

आज मेरे अन्दर शर्म, जैसे बची ही नहीं थी. मैं अपने आप को किशोर को सौंप चुकी थी.
किशोर का लंड भी चड्डी के अन्दर तनकर खड़ा हो गया था और मेरे पेट में नाभि को सहला रहा था.

लंबाई में मैं किशोर से कम ही थी और किशोर मुझसे लंबा होने के साथ साथ काफी हट्टा-कट्टा मर्द था.
किशोर अपने दोनों हाथों से मेरी पीठ, कमर के साथ साथ चूतड़ों को सहलाए जा रहा था.

फिर धीरे से उसने मेरी ब्रा के हुक को खोल दिया और मेरी ब्रा निकाल कर अलग कर दी.
मेरे दोनों दूध अब आजाद हो गए थे.

किशोर ने झुककर मेरे एक निप्पल को अपने मुँह में भर लिया और दूसरे दूध को अपने हाथों से सहलाते हुए हल्के हल्के दबाने लगा.

मुझे जिंदगी में पहली बार ऐसा मजा मिल रहा था.
मेरे मुँह से अपने आप ही आवाज निकलने लगी ‘ऊफ़्फ़ … ऊऊईई … उम्म … आह …’

उसके हाथों में मेरा एक दूध पूरी तरह से समा नहीं रहा था. उसके कठोर हाथों से दबते हुए मेरा दूध दर्द करने लगा और दूसरे दूध को वो अपनी खुरदरी जीभ से ऐसे चाट रहा था कि निप्पल बिल्कुल तन गया था.

मेरे गोरे गोरे दूध पर उसके मुँह की लार फैल गई थी.
उसने बारी बारी से दोनों निप्पल को बड़े प्यार से चूमते हुए दोनों ही चूचों को जमकर दबाया.

उसको शायद मेरे बड़े बड़े दूध ज्यादा ही पसंद आ रहे थे.
मैं भी उसके सर को अपने दोनों हाथों से जकड़ कर अपने दूध पर दबाती जा रही थी.
मेरा पूरा बदन उसके चूमने से कांपने लगा था. मुझे बेइंतहा मजा आ रहा था.

पहली बार किसी मर्द का स्पर्श पाकर मेरा रोम रोम खिल उठा था.
मेरे जिस अंग पर उसका हाथ पड़ता, वहां के रोम अपने आप खड़े होते जा रहे थे.

उसे मेरे दूध चूमने और मसलने में इतना मजा आ रहा था और वो इतने जोश में आ गया था कि मेरी गांड पकड़ कर मुझे अपनी तरफ खींच रहा था.
तभी उसने मुझे इतनी जोर से दबा लिया था कि मुझे दर्द होने लगा.
काफी देर तक वो मेरे दोनों मम्मों के साथ मजे लेता रहा.

मैं बहुत ज्यादा गर्म और जोश में आ गई थी. मेरी चड्डी आगे की तरफ से पूरी तरह से गीली हो चुकी थी.
आज इतने दिनों की मेरी मुराद पूरी हो रही थी. जिस चुदाई के बारे में मैं सोचा करती थी, आज वो मुझे मिलने वाली थी.

मेरा पहला अनुभव ही था मगर मेरे अन्दर की प्यासी औरत पूरी तरह से जाग उठी थी.
मैं इतनी गर्म हो गई थी कि पूरा कमरा मेरी कामुक आवाजों से गूंज रहा था.

करीब आधा घंटा तक मेरे मम्मे निचोड़ने के बाद किशोर ने मुझे अलग कर दिया.
उसने मुझे पास में बिछे बिस्तर पर लेटा दिया और तुरंत मेरे ऊपर चढ़ गया.

मेरे ऊपर आते ही उसने मेरी जांघों की तरफ से मुझे चूमना शुरू कर दिया.
मेरी मोटी मोटी चिकनी जांघों को सहलाते और चूमते हुए मेरी चड्डी के ऊपर से ही उसने मेरी चूत को चूमा और फिर मेरे पेट के पास आकर मेरी गहरी नाभि में अपना जीभ डालकर चूमने लगा.

मैं बिन पानी की मछली की तरह बिस्तर पर मचलती रही.
उसने मेरे पेट, कमर, दूध, मेरे गालों पर चुम्बन की झड़ी लगा दी.

उसके बाद वो मेरी चड्डी को अपने दोनों हाथों से नीचे की ओर सरकाने लगा.

अब मैंने अपने दोनों हाथों से अपने चेहरे को ढक लिया. उसने पहली बार मेरी चूत के दर्शन किए.

फिर अपना एक हाथ मेरी चुत पर रखकर उसे हल्के से सहलाया.

मैं अपना चेहरा ढके हुई थी और वो आगे बढ़ता गया.
उसने अपना मुँह मेरी चूत पर लगा दिया.

मैंने ऐसा नहीं सोचा था कि वो ऐसा करेगा.
उसे बिल्कुल भी गंदा नहीं लग रहा था और उसके चूमने चाटने से मेरा मजा कई गुना बढ़ गया था.
मैं जैसे हवा में तैरने लगी थी.

जैसे जैसे वो मेरी चूत चाटता जा रहा था मेरी गांड अपने आप उछलने लगी थी.

कसम से दोस्तो, इतना मजा आ रहा था, जिसके बारे में मैंने न कभी सोचा था और न ही उस अनुभव को मैं शब्दों में बयान कर सकती हूं.

उसको मेरी चूत चाटते लगभग दस मिनट हो गए थे.
तभी मेरा पूरा शरीर अकड़ने लगा, मेरी आंखें अपने आप ही बंद हो गईं.
मैंने दोनों हाथों से चादर को कसके पकड़ लिया.

मुझे ऐसा लग रहा था, जैसे शरीर में कुछ बड़ा होने वाला था.
पूरे शरीर में अन्दर से उथलपुथल मच गई थी.
मुझे समझ नहीं आ रहा था कि ये हो क्या रहा है.

मेरे शरीर को अकड़ता देख कर किशोर ने अपनी जीभ की रफ्तार तेज कर दी और तेजी से मेरी चूत को फैलाकर चाटने लगा.

अचानक से ही मेरे शरीर से लावा फूट पड़ा और पहली बार मैं झड़ गई.

ये मेरी जिंदगी का पहला मौका था, जब स्खलन का सुख मुझे मिला था.
रुक रुक कर मेरी चूत से धार निकलती रही और किशोर उस सारे पानी को चाटता गया.

कुछ समय के लिए मेरा पूरा शरीर शांत हो गया और मैं निढाल अवस्था में लेटी हुई थी.
किशोर मेरी चूत चाटता ही जा रहा था.

मुश्किल से 5 मिनट में ही मैं दुबारा गर्म हो गई थी और अब ऐसा लग रहा था कि किशोर जल्दी से मेरे अन्दर समा जाए.

मेरी भावनाओं को किशोर ने भांप लिया था.
वो सच में चुदाई का एक माहिर खिलाड़ी था.

उसने अपनी चड्डी निकाल दी और पहली बार मैंने किसी मर्द के लंड के दर्शन किए.
बिल्कुल काला मोटा और करीब 6 इंच लंबा किसी काले नाग की तरह उसका लंड मेरी आंखों के सामने लहरा रहा था.

किशोर ने अपने लंड को सहलाते हुए आगे पीछे किया और उसका बड़ा सा गहरे गुलाबी रंग का सुपारा बाहर निकल आया.
मैं बड़े गौर से उसके लंड को देखे जा रही थी.

उसने मेरे दोनों घुटनों को पकड़ा और मेरे पैर फैलाते हुए मेरे ऊपर लेट गया.
उसका लंड बिल्कुल मेरी चूत के ऊपर आ गया.

मैं किशोर से लंबाई में कम थी इसलिए मेरा चेहरा उसके सीने से चिपक गया.
किशोर ने अपने एक हाथ से लंड को चूत पर सैट किया और दोनों हाथों को मेरी पीठ के नीचे ले जाकर मुझे कसकर जकड़ लिया.

अब किशोर ने अपनी कमर से हल्का हल्का दवाब देना शुरू कर दिया था.
मुझे पूरा अहसास हो रहा था कि लंड का सुपारा मेरी चूत की लाइन को फैला रहा है और अब वो चूत के छेद के पास आ गया था.

उसके बाद जैसे ही सुपारा छेद में जाने को हुआ, मुझे ऐसा लगा जैसे कोई रेजर ब्लेड से मेरी चूत को खोल रहा हो. बड़ा अजीब सा दर्द हुआ.

किशोर बहुत ही आराम से लंड डाल रहा था.
धीरे धीरे मेरी चूत का छेद खुलना शुरू हो गया था.

जैसे ही सुपारा छेद में घुसा, मेरा दर्द बढ़ने लगा और मेरे पैर कांपने लगे.
किशोर भी जोर लगा रहा था मगर लंड अन्दर नहीं जा रहा था.

फिर किशोर अपने सुपारे को ही अन्दर बाहर करने लगा.
कुछ समय बाद जब मेरी चूत ज्यादा गीली हो गई, तब उसने मेरे कान में कहा- थोड़ा दर्द सहना मेरी जान … उसके बाद मजा ही मजा आएगा.

इतना कहने के बाद उसने मेरी पीठ दोनों हाथ से थाम ली और मुझे जकड़कर एक जोरदार धक्का लगा दिया.

‘ऊऊईई ईईईई मांआआ मर गईई …. उई ईईई … मेर फट गई … आह छोड़ दे मुझे … आह मुझे नहीं करना …’
इतना दर्द हो रहा था कि बयान करना मुश्किल है.

उधर उसका लंड चूत को चीरता हुआ मेरे अन्दर तक चला गया था.
चूत में लंड पूरी तरह से धंस गया था, हवा तक नहीं जा सकती थी.

मेरा पूरा बदन पसीने से भीग गया, मेरे दोनों पैर जोर जोर से कांपने लगे.
मैं रोये जा रही थी मगर किशोर ने लंड बाहर नहीं निकाला.

काफी समय तक वो लंड डाले हुए मेरे ऊपर लेटा रहा.
इसके बाद उसने हल्के हल्के आधा लंड बाहर निकाला और धीरे धीरे अन्दर कर दिया.
इस तरह उसने कई बार किया.

अब मेरा दर्द शांत होना शुरू हो गया और मेरी चूत वापस से पानी छोड़ने लगी.

उसने भी अपनी रफ्तार तेज करनी शुरू कर दी और मेरी चीखें कामुक आवाजों में बदल गईं.
मुझे अच्छा लगने लगा, किशोर ने भी मुझे ढीला छोड़ दिया.

उसने अपने दोनों हाथ बिस्तर पर टिका लिए और धीरे धीरे मुझे चोदने लगा.

मेरी आंखें बंद होने लगीं और मैं चुदाई का मजा लेने लगी.

उसने झुककर मेरे होंठों को चूमा और बोला- अब मजा आ रहा है न?
मैंने अपना सर हिला कर आंख बंद किए हुए ही जबाव दिया- हां.

उसने रफ्तार बढ़ानी शुरू कर दी और जल्द ही पूरा पलंग जोर जोर से हिलने लगा.
मेरी चूत इतनी गीली हो गई थी कि बहुत ही गंदी आवाज निकलने लगी थी.

‘पछ पोछ पछ पछ फच फच फच …’

हम दोनों भी ‘आह आआआ आह आआह …’ की आवाज निकाल रहे थे.

मुझे मेरी पहली चुदाई का मजा और किशोर को मेरी कसी हुई चूत का मजा मिल रहा था.

करीब दस मिनट की जोरदार चुदाई के बाद मेरा बदन फिर से वैसे ही अकड़ने लगा.
मैं समझ गई कि मैं झड़ने वाली हूँ.

मेरा सीना अपने आप ऊपर उठ गया और मेरा चेहरा ऊपर हो गया.
मैं झड़ गई.

कुछ धक्कों के बाद किशोर ने भी अपना गर्म गर्म वीर्य मेरे अन्दर ही निकाल दिया.

हम लोग काफी समय तक वैसे ही लेटे रहे थे. हम दोनों के बदन पसीने से भीग चुके थे.

फिर किशोर मुझसे अलग हुआ और बगल में लेट गया.
मैंने उसके लंड को देखा, तो उसमें चारों तरफ झाग ही झाग लगा हुआ था.

मैं उठी और अपनी चड्डी तलाश करने लगी.
मैंने भी बैठे बैठे अपनी चूत देखी, उसमें भी बहुत सारा झाग और उसमे हल्का खून लगा हुआ था.

मैंने अपनी चड्डी से चूत को साफ किया और जैसे ही मैंने अपनी चड्डी पहननी चाही, किशोर ने मेरा हाथ पकड़ लिया और लेटे लेटे ही मुझे अपनी बांहों में खींच लिया.

उसने मुझे अपने ऊपर लिटा लिया और मेरी पीठ सहलाते हुए बोला- अभी इतनी जल्दी क्या है तुमको? आज तो स्कूल भी नहीं जाना है. अब तो शाम तक तुम मेरे पास ही रहोगी, फ़िर कपड़े पहनने की जरूरत क्या है?

ऐसा बोलते हुए उसने मेरे चूतड़ को दोनों हाथों से दबाना शुरू कर दिया.

उसने मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिया और दोनों हाथों से मेरी गांड फैला कर अपनी एक उंगली से मेरी गांड के छेद को रगड़ने लगा.

उसके बाद वैसे ही मुझे अपने ऊपर लिटाए हुए अपनी उंगली मेरी चूत में डाल दी और हल्के हल्के अन्दर बाहर करने लगा.

कुछ ही पल में मैं एक बार फिर से गर्म हो चुकी थी और उसका लंड भी दुबारा खड़ा हो गया था.
वैसे ही मुझे अपने ऊपर लिटाए हुए उसने अपना पूरा लंड मेरी चूत में पेल दिया और नीचे से धक्के लगाने लगा.

बहुत देर तक ऐसे ही चोदने के बाद उसने मुझे घुटनों पर आने के लिए कहा और मैं अपने घुटनों पर होकर घोड़ी बन गई.
उसने मेरे पीछे आकर मेरी चूत में अपना पूरा लंड डाल दिया.

उस पोजिशन में मेरी चूत और भी टाइट लग रही थी.
उसने दनादन धक्के लगाना शुरू कर दिए और उसके धक्के लगाने से मेरे चूतड़ से फट फट की जोरदार आवाज आने लगी.

सारा कमरा हमारी चुदाई की आवाज से गूंज उठा.
मैं झुकी हुई चुदाई करवा रही थी और उस पोजीशन में मेरे दोनों दूध नीचे लटक रहे थे.

उसने अपने दोनों हाथ आगे करते हुए मेरे दोनों मम्मों को अपने हाथों में भर लिए और जोर से दबाते हुए मेरी जोरदार चुदाई करने लगा.

उसके बाद उसने मुझे अपनी गोद में लेकर मेरी चुदाई की.
उस बार हमारी चुदाई करीब आधा घंटा तक चली.
फिर हम दोनों ही झड़ कर बिस्तर पर लेट गए.

इसी तरह शाम के 4 बजे तक उसने मुझे 4 बार चोदा और स्कूल के बंद होने के समय के साथ ही मैं वहां से निकलकर घर आ गई.

मैं अपनी पहली चुदाई से इतना थक चुकी थी कि घर आकर मैंने खाना खाया और चुपचाप सो गई.

अगली सुबह जब मेरी नींद खुली तो मेरी चूत में काफी दर्द था.
मुझे हल्का बुखार भी था.

बाथरूम में जाकर जब मैंने देखा तो चूत काफी सूजी हुई थी.
उस दिन मैं स्कूल भी नहीं गई और सारा दिन आराम करती रही.

उसके बाद दोस्तो, हम दोनों का मिलना जारी रहा.
जब भी हम दोनों को मौका मिलता, हम चुदाई का पूरा मजा लेते.
वो मुझे गर्भनिरोधक दवा भी देता रहा, जिससे मैं हमल से न हो जाऊं.

मुझे चुदाई का ऐसा नशा चढ़ गया था कि अगर हम दोनों को कुछ देर का भी समय मिल जाता, जैसे नदी के पास या स्कूल जाते या आते समय तो जल्दी से नीचे से चड्डी सरका कर चुदाई कर लेते.

कुछ ही दिन में मैं चुदाई की इतनी आदी हो गई थी कि रात में घर वालों के सोने के बाद मैं अकेली ही छुपते हुए उसके खेत में चली जाती और रात भर उसके साथ रहती.
सुबह होने के पहले वापस घर आ जाती.

हम दोनों का प्यार बस चुदाई तक ही सीमित रह गया था. हम दोनों एक दूसरे से चुदाई के लिए बेताब रहते थे.

फिर जल्द ही उसने मेरी गांड भी चोद डाली.
शायद ही ऐसा कोई आसन बचा होगा, जिसमें हम लोगों ने चुदाई न की हो.

किशोर ने मुझे बताया कि उसकी बीवी चुदाई में बिल्कुल ठंडी थी और उसको चुदाई में कोई भी दिलचस्पी नहीं थी इसलिए उसे मैं ही पसंद आती थी क्योंकि मैं उसका भरपूर सहयोग करती हूँ.

दोस्तो, ये थी मेरी देसी बुर की पहली चुदाईपहली चुदाई की कहानी!

मगर अभी कहानी खत्म नहीं हुई है. किशोर से चुदाई करवाने की मुझे इतनी बुरी लत लग गई थी कि उसके कारण ही मेरे साथ एक बार ऐसी घटना घट गई कि मुझे दूसरे लोगों से भी चुदना पड़ गया.
वो मैं आपको अगली कहानी में बताऊंगी.

कैसे मेरी जिंदगी में वो घटना घटी कि मुझे एक साथ तीन लोगों ने मिलकर चोदा … और उसके बाद जब तक मेरी शादी नहीं हुई, तब तक मैं लगभग रोज किसी न किसी से चुदती ही रही.
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