देसी सिस्टर ब्रदर कहानी में मैंने अपने ताऊ की लड़की को नंगी नहाती देखा तो मेरे मन में उसे चोदने का ख्याल आया. उसको मैंने गर्म किया, वासना के जाल में फंसाया.
दोस्तो, मेरा नाम समीर है मैं झारखंड का रहने वाला हूँ.
मेरे घर में तीन सदस्य हैं.
मेरे पापा-मम्मी और मैं.
हमारे बड़े पापा हम लोगों से अलग रहते हैं.
उनके यहां दो लड़के और एक लड़की है, लड़की सबसे छोटी है.
आज मैं आपको उसी लड़की की सेक्स कहानी बताने जा रहा हूँ.
यह देसी सिस्टर ब्रदर कहानी मेरे साथ हकीकत में हुई है.
हम लोग मध्यम वर्ग के लोग हैं और किसी तरह अपना गुजारा करते हैं.
ना ही ज्यादा पढ़ाई कर पाते हैं और ना ही किसी प्रकार का व्यवसाय.
हमारे यहां के बच्चे किसी तरह मैट्रिक और इंटर की पढ़ाई करते हैं और बाहर काम करने निकल जाते हैं.
मेरे पापा मिस्त्री हैं.
वे इधर उधर कुछ काम करके घर का ख़र्चा निकाल लेते हैं.
मैं घर में छोटा था तो मेरी मां ने मुझको बाहर जाने नहीं दिया.
तो मैं घर में ही रहता था.
मेरे बड़े पापा की आर्थिक स्थिति थोड़ी ज्यादा खराब थी इसलिए वे तीनों मतलब मेरे बड़े पापा के दोनों लड़के और खुद बड़े पापा भी बाहर काम करने चले गए थे.
उनके घर में बस उनकी लड़की नेहा (बदला हुआ नाम) रहती है और नेहा की मम्मी थीं.
नेहा इस साल इण्टर का एग्जाम देने वाली थी.
उसकी खूबसूरती का पूरा गांव दीवाना था.
सब कोई उसको लाइन मरता पूरे गांव में हर लड़का उसको चोदने का ख्वाब देखता था.
पर नेहा किसी के हाथ नहीं आती थी.
अब उसका बारहवीं के एग्जाम शुरू हो गए थे.
पर एग्जाम सेंटर गांव से बहुत दूर लगभग 80 किलोमीटर दूर पड़ गया था.
इसलिए वह उधर अकेली नहीं जा सकती थी.
उसकी मम्मी मुझको अपने साथ में ले जाने को बोलीं.
हम लोगों ने घर में बात की और तय किया कि वहीं रुक जाना ठीक रहेगा.
रोज का आना जाना तो बहुत महंगा पड़ेगा और समय भी काफी खराब हो जाएगा.
वहीं कोई सस्ता सा कमरा ले कर रुक जाना ठीक रहेगा.
बड़ी मम्मी ने हामी भर दी.
एग्जाम शुरू होने से एक दिन पहले मैं और नेहा बस से उस जगह के लिए निकल गए, जहां एग्जाम होने वाला था.
वहां हम दोनों दोपहर को एक बजे के आस पास पहुंच गए थे.
यह एक गांव सा ही था और उधर कोई बड़े होटल वगैरह नहीं थे.
उधर का एक लड़का हमारी पहचान का निकल आया था.
उसने हमें एक घर में साधारण सा रूम दिला दिया जिसका एक महीने का किराया एक हज़ार देना तय हुआ था.
वह आदमी हमको पंद्रह दिन के लिए कमरा नहीं दे रहा था.
हमारी मजबूरी थी थी तो हम दोनों ने आपस में सलाह करके वह कमरा किराए पर ले लिया.
अब हम दोनों उस कमरे में आ गए और उधर दरी बिछाकर थोड़ी देर आराम करने लगे.
तब तक चार बजे का समय हो गया तो हम दोनों एग्जाम सेंटर देखने निकल गए.
रात को वापसी में कुछ खाने का ले आए … बाकी का घर से खाना लाए थे तो कमरे में आकर हम दोनों ने खाना खाया.
खाना खा कर हम दोनों सो गए.
अगले दिन सुबह मेरी बहन का एग्जाम था.
तो वह बोली- मैं दो घंटा सो कर उठ जाऊंगी और अपनी पढ़ाई करूंगी.
मैंने उससे कहा- देख ले अपने हिसाब से ही जागना … कहीं ऐसा न हो कि सुबह देर से नींद खुले या ज्यादा न सो पाने के कारण आलस आए तो तेरे एग्जाम का क्या होगा?
वह हंस दी और बोली- ऐसा कुछ नहीं होगा भाई … फिर तुम भी तो साथ में हो. मुझे जगा देना.
उस वक्त तक हमारे बीच में कोई गलत सोच नहीं थी.
सब कुछ बिल्कुल सही था.
फिर जब सुबह मेरी नींद खुली तो मैंने देखा कि नेहा बाहर नहा रही थी.
रूम के बाहर एक चापाकल यानि एक एक बाथरूम जैसा बना था.
वह उसी में नहा रही थी.
यह तीन चार रूम के लिए एक कॉमन एरिया बना दिया गया था.
उधर साइड से दीवार थी … पर चापाकल में घुसने का रास्ता हमारे रूम के बिल्कुल सीधा था.
उधर से मैं नेहा को नहाती स्पष्ट देख सकता था.
मेरा ध्यान बार बार उधर ही जा रहा था.
उसने एक छोटा सा गमछा जैसा कपड़ा अपने ऊपर लपेटा हुआ था और वह नहा रही थी.
उसके बदन के गीले हो जाने के कारण गमछा चिपका हुआ था और उसके मम्मों का आकार एकदम क्लियर दिख रहा था.
गमछा कमर से थोड़ी ही नीचे तक था तो उसकी गोरी जांघों को देख कर मेरे अन्दर का शैतान जागने लगा.
तभी दूसरे कमरे के लड़के को पानी लेना था तो वह साइड में आकर बाहर खड़ा था.
मैंने देखा तो आवाज लगाई- नेहा, तेरा नहाना हो गया?
मेरी आवाज देने का सबब यह था कि वह लड़का मेरी बहन के नंगे से दिखने वाले जिस्म को देख कर गर्म न हो जाए और खामखा कोई मसला हो जाए.
वही हुआ.
मेरी आवाज सुनकर वह लड़का तनिक पीछे हो गया और मेरी बहन ने भी मुझे जवाब दे दिया.
उसने कहा- हां भैया, बस अभी आयी.
नेहा नहा कर कमरे में आ गयी पर उसने अपने कपड़े नहीं पहने हुए थे.
नेहा और मेरी उम्र बराबर ही है. उसने गेट को बंद किया और लाइट को भी बुझा दिया.
फिर वह कपड़े बदल रही थी.
तभी उसके हाथ से अचानक उसका कपड़ा नीचे गिर गया जिससे उसका पूरा बदन दिख गया.
पर कमरे में अंधेरा रहने के कारण उतना साफ नहीं दिख सका.
वह गमछा गिरते ही एकदम से घबरा गई.
उसको लगा कि मैं उधर नहीं देख रहा.
फिर वह जल्दी से एक कपड़ा डाल कर अपने कपड़े पहनने लगी.
फिर वह बोली- चलो भैया.
वह मेरे साथ एग्जाम के लिए निकल गयी.
मैं उसको एग्जाम सेंटर पर छोड़ कर जब वापस आया तो मेरे दिमाग में बस वही चल रहा था.
मैंने गेट बंद करके हस्तमैथुन कर लिया, तब जाकर मुझे राहत मिली.
मैं फिर से सो गया.
उसके बाद जब मैं सो कर उठा तो नेहा के इम्तिहान खत्म होने का समय होने वाला था.
मैं कपड़े पहन कर नेहा को लेने चला गया और उसे एग्जाम सेंटर से वापस रूम पर ले आया.
उसके बाद वह फ्रेश हुई और बोली- चलो पार्क चलते हैं.
यह पार्क एग्जाम सेंटर जाते समय रास्ते में देखा था तो मुझे भी वह जगह अच्छी लगी थी.
हम दोनों वहां चले गए.
उधर बहुत सारे बदमाश किस्म के लड़के भी थे जिन्होंने नेहा ओर मेरा मज़ाक उड़ाया.
वे हम दोनों को लैला मंजनू समझ रहे थे तो बहुत गंदी गंदी बात बोल रहे थे.
फिर हम दोनों वहां से वापस आ गए.
पर उन लड़कों की बात का असर मेरे और नेहा दोनों के ऊपर हुआ था.
वे लड़के बोल रहे थे कि एक बार मिल जाए तो मज़ा आ जाए … इसको पूरी रात चोदता रहूँगा, इसके दूध तो देखो साली के एकदम मक्खन जैसे हैं.
दूसरा बोला कि साली की कमर तो देखो एकदम जानलेवा है और इसका ब्वॉयफ्रेंड तो देखो बहन का लौड़ा कितना गंवार दिख रहा है.
वे लोग मुझको नेहा का ब्वॉयफ्रेंड समझ रहे थे.
कमरे में आने के बाद मैं और नेहा एक दूसरे से नज़रें चुरा कर बात कर रहे थे.
क्योंकि इससे पहले कभी ऐसी बात नहीं सुनी थी.
उस रात किसी तरह हम दोनों ने खाना बनाया और खाया फिर सोने चले गए.
पर नींद ही नहीं आ रही थी … ना मुझको और ना नेहा को.
कुछ देर बाद मुझे लगा कि नेहा सो गई है, तो मैं अपने मोबाइल में हिंदी सेक्स कहानी निकाल कर पढ़ने लगा.
मैं उस कामुक कहानी को पढ़ने में इतना मगन हो गया कि मुझे पता ही नहीं चला कि नेहा सब देख रही है.
मैं उसे सोती जानकर हस्तमैथुन करता रहा और वीर्य निकाल कर सो गया.
सुबह नेहा थोड़ी बदली बदली सी लग रही थी.
उसका एग्जाम अब दो दिन बाद था शायद उसका भी मन अब नहीं लग रहा था.
हम दोनों अपने कमरे का गेट हमेशा बंद रखते थे क्योंकि बाहर और भी लड़के निकलते रहते थे.
हम दोनों लेट कर बात कर रहे थे, तभी हमारे बीच उन पार्क वाले लड़कों को लेकर चर्चा होनी शुरू हो गई.
मैं देसी सिस्टर ब्रदर सेक्स की संभावना को देखते हुए कह रहा था- कितने बदमाश होते है आवारा किस्म के लड़के … साले कुछ भी बोलते रहते हैं. ऐसे कोई बोलता है कि इस लड़की के मम्मे मक्खन जैसे हैं.
यह सुनकर नेहा बोली- उनके मुँह से गलती से निकल गया होगा. उन्हें यह थोड़ी मालूम था कि हम दोनों गर्लफ्रेंड ब्वॉयफ्रेंड नहीं हैं!
नेहा की बात सुनकर मैं समझ गया कि आग दोनों तरफ लगी है.
धीरे धीरे हमारी चर्चा अब सिर्फ इसी मुद्दे पर स्थिर हो गई और अब हम दोनों सिर्फ सेक्स की ही बात करने लगे.
वह लगातार गर्म हो रही था.
मेरा भी लंड कड़क हो गया था.
तभी अचानक से मैंने अपना हाथ उसके मम्मों पर रख दिया और उसके दूध को दबाने लगा.
मेरी देसी सिस्टर ने कोई विरोध नहीं किया.
इससे मेरा साहस बढ़ गया.
मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसकी गर्दन पर किस करने लगा और अपने एक हाथ उसकी सलवार के अन्दर घुसेड़ कर उसकी चुत में डाल दिया.
मैंने देखा कि उसकी चुत बिल्कुल गीली थी.
मेरी उंगली चुत में जाते ही वह चिहुंक उठी और बिल्कुल पागलों जैसी हरकतें करने लगी.
उसने मुझे पकड़ लिया और किस करने लगी.
मैं उसे साथ देने लगा तो वह मेरा लंड निकाल कर हिलाने लगी और कामुक सिसकारियां लेने लगी.
पूरा कमरा मादकता से महकने लगा. उसने अपने सारे कपड़े उतारे और मेरे भी उतार दिए.
वह बोली- समीर, अब चोद दे मुझे!
वह बिल्कुल गर्म हो गयी थी.
मैंने भी बिना देरी किये उसके चुत पर लंड टिका कर झटका दे मारा.
लंड अन्दर लेते ही नेहा चिल्ला उठी- ऊई मां मर गई … आह निकालो इसे आह आह फट गई मेरी!
मुझे समझ आ गया कि यह उसका पहली बार का माला था शायद.
वह बोलने लगी- आह समीर प्लीज बाहर निकाल ले … मैं मर जाऊंगी!
मैं भी हवस में था तो मैं उसकी एक बात भी नहीं सुनी और उसको चोदता गया, उसके मम्मों को दबाता गया.
कुछ देर बाद उसे भी मजा आने लगा और वह भी मुझे साथ देने लगी.
कुछ देर की धकापेल के बाद मैं झड़ गया और निढाल हो गया.
नेहा का चेहरा पूरा लाल हो गया था.
मैं उसके ऊपर पड़ा रहा.
कुछ देर बाद नेहा ने फिर से मेरे लंड से खेलना शुरू कर दिया.
जल्दी ही मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया.
वह लंड देख कर कहने लगी- नहीं दुबारा से चुत में नहीं, मैं हाथ से हिला देती हूं … या कोई और उपाय हो तो बोलो!
उसकी चुत सूज गई थी तो वह दर्द से तड़फ रही थी.
मेरा भी लंड एक बार झड़ गया था, तो मैंने भी उसकी बात मान ली.
अब उसने हाथ से लंड को हिला कर वीर्य निकाल दिया.
हम दोनों उस दिन बहुत रात तक मस्ती करते रहे.
अगले दिन फिर से चुदाई हुई.
इस बार नेहा को मजा आ गया था तो उसका भय खत्म हो गया और अब वह मेरे साथ खुल कर चुदाई का मजा लेने लगी थी.
हम दोनों पूरे एग्जाम टाइम तक कमरे में बिना कपड़ों के ही रहे.
बाद में मैंने नेहा की गांड भी मारी और उसकी चुत भी चाटी.
वह सब आपको मैं अपनी सेक्स कहानी के अगले भाग में लिखूँगा.
आपको देसी सिस्टर ब्रदर कहानी कैसी लगी, प्लीज कमेंट्स जरूर करें.
[email protected]