बड़ी भाभी चुदाई कहानी में मुझे भाभी की बहन से प्यार हो गया. पर भाभी इस रिश्ते के खिलाफ थी क्योंकि वे मेरे भाई से खुश नहीं थी. तो मैंने भाभी की चुदाई करके उन्हें अपनी ताकत दिखाई.
कहानी के दूसरे भाग
भाभी बनी मेरे प्यार की दुश्मन
में आपने पढ़ा कि भाभी को मेरी सेक्स की क्षमता पर संदेह था क्योंकि वे भाई की चुदाई से खुश नहीं थी. तो मैंने भाभी को मेरा टेस्ट लेने को कहा. इस पर वे भड़क गयी.
अब आगे बड़ी भाभी चुदाई कहानी:
मैं- सीधी सी बात है, आपको शक है तो आप टेस्ट ले लीजिए, मेरे साथ सेक्स कीजिए. अगर मैं फेल हो गया तो आप शादी नहीं होने देना. और अगर मैं पास हो गया तो शादी के लिए हां बोल देना।
भाभी- क्या बकवास कर रहे हो, मैं ये सब नहीं करूंगी. और तुम्हें शर्म नहीं आई मुझसे ऐसी बात करते हुए?
मैं- जब आपको शर्म नहीं आई अपने पति पर लांछन लगाते हुए, तो मुझे क्यूं आयेगी?
भाभी- मैंने कोई लांछन नहीं लगाया, जो सच है वही बताया है।
मैं- मुझे नहीं पता है मेरे भाई के बारे में, आप हमारी शादी नहीं होने देना चाहती इसलिए उल जलूल बहाने बना रही हैं। अगर मुझ पर शक है तो आप एक बार आजमा कर देख लीजिए।
भाभी- मैं ये सब नहीं करने वाली।
मैं- तो फिर कौन करेगा? रूचि तुम करोगी?
वह कुछ नहीं बोली.
मैंने उसका हाथ पकड़ अपने से चिपका लिया और किस करने लगा.
वह भी मेरा साथ देने लगी.
फिर मैंने उसके गर्दन पर किस करते हुए कान में धीरे से कहा- तुम छुटने की कोशिश करो।
उसने वैसा ही किया।
मैंने उसे पकड़े रखा।
भाभी- ओए … छोड़ उसे!
मैं उसे छोड़ भाभी को पकड़ते हुए- तो ठीक है, आप ही करो।
तभी मैं उनको पकड़ किस करने लगा.
उन्होंने मुझसे छुटने की कोशिश की.
जब वे नहीं छूट पाई तो मुझे थप्पड़ मार दिया।
मैंने उन्हें छोड़ दिया और रोने लगा।
फिर उन्होंने ही चुप कराया।
मैं- भाभी, आप मेरी कसम खा कर बोलो कि आप सच बोल रही हो. क्या सच में भैया के साथ आप खुश नहीं हैं?
भाभी- मैं बिल्कुल सच बोल रही हूं।
मैं- आप पूरा बताओ, क्या प्रॉब्लम है क्या इरेक्शन में प्रॉब्लम है?
भाभी- पता नही, पर वे मुझे टाईम ही नहीं देते. कभी जब वीक में एकाध बार हाथ भी लगाते हैं तो मैं पहली बार शर्माते हुए मना करती हूं तो फिर वे मुझे हाथ भी नहीं लगाते।
मैं- वीक में आप लोग कितनी बार सेक्स करते हो।
भाभी- कभी हफ्ते तो कभी महीने गुजर जाते हैं बिना …
मैं- क्या आपने कभी उनको बोला या रिझाने की कोशिश की?
भाभी- मैं लडकी हूँ. मैं कैसे कह सकती हूं।
मैं- मतलब आप अपने दांपत्य जीवन के प्रति अपनी कोई जिम्मेदारी नहीं समझती।
भाभी चुप रह गयी।
मैं- मुझे लगता है कि प्रॉब्लम आप में है भाई में नहीं!
भाभी- नहीं … मुझमें क्या प्रॉब्लम होगी।
मैं- फिर मुझे ट्राई करने दीजिए।
भाभी कुछ नहीं बोली।
मैंने रूचि को जाने का इशारा किया.
वह चली गई.
मैंने दरवाज़ा बंद कर दिया।
मैं भाभी के सीने से लग गया।
वे मुझे हटाने लगी- छोड़ो मुझे!
मैं- क्या ऐसा ही, आप भाई को भी बोलती हैं।
भाभी कुछ देर चुप रहने के बाद- हां!
मैं- उसके बाद भाई क्या करता है।
भाभी- मुंह फेर कर सो जाते हैं।
मैं- लेकिन आप क्या चाहती हैं।
भाभी- वे मुझसे प्यार करें।
मैं उनके सीने पर चूमते हुए- तो वही तो कर रहा हूं।
भाभी- नही, ये सब ठीक नहीं है, मैं किसी पराए मर्द से संबंध नहीं बना सकती।
मैं- क्या मैं आपके लिए पराया हूं।
भाभी- नहीं … पर अगर तुम्हारे भाई को पता चल गया तो?
मैं- मैं खुद उसे बताऊंगा, वह कुछ नहीं बोलेगा. वह हमसे बहुत प्यार करता है, आप बोलो तो अभी उससे पूछ लूं आपके सामने?
भाभी- ऐसा करना भी मत … नहीं तो मैं कभी उनसे नजर नहीं मिला पाऊंगी।
मैं- अरे लगता है आप उसे अभी तक जान नहीं पाई हैं. शादी के पहले तो वह खुद बोलता था कि तेरी वर्जिनिटी तो मैं अपनी बीवी को गिफ्ट करुंगा, फिर उसने कहा कि आप काफी संस्कारी हो तो नहीं हो पाया।
भाभी- कुछ भी मत बोलो, संस्कारी तो वे हैं. कभी मेरी इजाजत के मुझे हाथ भी नहीं लगाते।
मैं- मैं यह मान ही नहीं सकता कि वह आप जैसी खूबसूरत बीवी को बिना चोदे एक दिन भी रह सकता है।
भाभी- कैसी भाषा बोल रहे हो तुम मेरे सामने?
मैं- सॉरी भाभी, चलो मैं देखता हूं।
फिर मेरी नजर उनकी कांख के बालों पर गयी, काफी लम्बे थे।
अगले दिन दोपहर में भाभी अपने कमरे में आराम कर रही थीं।
मैं उनके कमरे में रूचि के साथ गया।
मैं- भाभी, आपको मेरी सेक्सुअल कैपबलिटी पर शक है ना … तो बिना टेस्ट लिए मुझे फेल क्यों कर रही हैं? आप मेरा एक्जाम लीजिए, फिर डिसाइड कीजिए।
भाभी- क्या मतलब है तुम्हारा?
मैं उनकी कांख को सहलाते हुए बोला- ये क्या है? इतने बाल? इनको देख कर तो किसी का क्या ही मूड बनेगा। यहां हैं तो वहाँ भी होंगे. कितने दिन से आपने सफाई नहीं की है अपने जंगल की?
भाभी- यह कैसी भाषा बोल रहे हो मुझसे?
मैं उनकी कमर को पकड़ उनके होंठ चूसने लगा।
भाभी अपने होंठ छुड़ाते हुए- यह क्या कर रहे हो, मैं फिर मार दूंगी।
मैंने एक चाकू ला उनको दिया- लो जान से मार दो. वैसे भी रूचि के बिना मैं मर ही जाऊंगा। लेकिन मरने से पहले आपके दांपत्य जीवन को मैं खुश देखना चाहता हूं।
वे कुछ नहीं बोली।
मैंने उन्हें बांहों में भर लिया और किस करने लगा.
वे बिल्कुल निर्भाव खड़ी थी. कोई विरोध नहीं, कोई साथ नहीं।
मैं- क्या भाई के साथ भी आप ऐसा ही करती हैं?
भाभी- हूं।
मैं- इसलिए शायद उसका मन नहीं करता होगा। लगता है आपको सब सिखाना पड़ेगा।
तब मैंने उन्हें बताया- सबसे पहले शर्माना छोड़ो, अपनी पति का हर प्ले में साथ दो।
मैंने उन्हें किस करना सिखाया।
उनके होंठ चूसे, उनको मेरे होंठ चूसने बोला.
उनकी गर्दन चूसी, गले को चूसा, सीने को चूमा, कान चूसा, कपड़े के ऊपर से उनके बोबे चूसे .
वे बिल्कुल भी सिसकारी नहीं निकाल रही थीं.
तो मैंने जोर से काट लिया।
भाभी- पागल हो क्या? काट क्यों रहे हो?
मैं- जब मैं सहला रहा था, चूम रहा था तो कैसा लग रहा था?
भाभी- अच्छा!
मैं- अच्छा फील हो रहा था तो आप जता क्यों नहीं रही थी?
भाभी- कैसे जताते हैं?
मैं- सिसकारियां निकाल कर … आपका मन नहीं होता सिसकियां भरने का?
भाभी- होता है … पर मुझे शर्म आती है।
मैं- शर्माना छोड़ो और मजे लो।
अब मैं उन्हें फिर चूसने चाटने लगा.
अब वे धीरे धीरे सिसकारियाँ भरने लगी थी।
मैं- सबसे पहले तो आपकी ग्रूमिंग करनी पड़ेगी।
तब मैं उन्हें बाथरूम में ले गया और उन्हें ऊपर से पूरी नंगी कर दिया.
अब वे सिर्फ़ पेटीकोट पहने थी।
उन्होंने अपने उरोजों को हाथ क्रॉस कर ढक रखा था।
मैंने उनके हाथ हटाइ.
वे शरमाने लगी.
मैंने उनके निप्पल पर जीभ फिरा दी और उनके गुदाज चूचों को मुंह में भर कर पीने लगा.
उनके चूचे काफी सख्त थे, एकदम तने हुए, बिल्कुल भी लटक नहीं।
तब मैंने उनकी कांख के बाल साफ कर दिए।
मैं- देखो अब कैसे चमक रही हो!
भाभी शर्माते हुए- हूं, अब चलो हो गया।
मैं- रुको अभी! अगर मैं गलत नहीं हूं तो एक जंगल ओर है।
बोलते हुए मैंने उनके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया.
पेटीकोट जमीन पर गिर गया।
भाभी अपना पेटीकोट उठाते हुए- पागल मत बनो।
मैं उन्हें किस करने लगा और उनके हाथ से पेटीकोट छुड़ा लिया.
अब वे सिर्फ़ पैन्टी में थी।
उन्होंने अपने हाथ पैन्टी पर रख दिये।
मैंने नीचे बैठे उनके हाथ हटा दिये।
मैं- कहा था ना … एक और जंगल है। कितने दिन से साफ नहीं किया?
उनकी पैंटी उतारते हुए मैंने कहा.
भाभी- क्या कर रहे हो? वहाँ मैं खुद कर लूंगी. तुम जाओ अब!
मैं- 2 इंच से ज्यादा लम्बे बाल हैं. मतलब 3-4 महीने से तो नहीं किया. तब आप ही बताओ, किसी का मूड बन भी जाए तो इसे देख कर खराब हो जायेगा।
मैंने उनकी चूत पर क्रीम लगाना शुरू किया और फिर उसकी सफाई कर दी।
अब मैंने उन्हें उठा बेड कमरे में ले आया।
मैं- देखो, कैसे चमक रही है।
भाभी कुछ नहीं बोली।
मैं- तो अब तैयार हो फाइनल टेस्ट के लिए?
वे कुछ नहीं बोली।
मैंने उन्हें किस करना शुरु किया ऊपर से नीचे आने लगा।
उनके चूचे चूसे, उनके एकदम दूध से सफेद बेदाग चूचों पर भूरे निप्पल काफी मनमोहक लग रहे थे।
वे हल्की हल्की सिसकारियां भरने लगी।
अब मैंने इनके पेट और नाभि को चाटा, उनके पेड़ू को चूमा.
उसके बाद जैसे ही उनकी चूत पर जीभ रकही मैंने … वे सिहर गई।
भाभी- क्या कर रहे हो? वहाँ भी कोई चूमने की जगह है … हटो वहाँ से!
मैं- क्या भाई ने आपकी चूत कभी नहीं चूमी।
भाभी- एक बार उन्होंने कोशिश की थी लेकिन मैंने मना कर दिया।
मैं- लेकिन मुझे करने दो … अगर आपको अच्छा ना लगे तो मुझे कहना!
अब मैं उनकी चूत को चूमने लगा.
उनकी चूत एकदम गोरी थी, उनके होंठ मोटे मोटे … मैंने अपनी जीभ उनकी चूत के छेद पर टिका दी और अन्दर करने की कोशिश करने लगा।
वे मेरा सर हटाने लगी.
मैंने उनका प्रयास विफल कर दिया.
कुछ देर बाद उन्हें मजा आने लगा तो उन्होंने अपनी पूरी जांघें फैला ली।
मैं उनकी चूत पूरे मन से चूसने लगा.
वे आह आह श्स्स्स … करने लगी.
कुछ देर बाद भाभी झड़ गई।
मैंने उनका सारा पानी चाट लिया।
तब मैंने पूछा- कैसा लगा?
भाभी शर्मा गई।
अब मैंने उन्हें किस करते हुए अपने सारे कपड़े उतार दिए।
मैं आगे से हमेशा अपने पति के कपड़े खुद उतारें और पहनायें।
भाभी- ठीक है।
उन्हें किस करते हुए मैंने उनके हाथ में अपना लन्ड पकड़ा दिया.
मैं अपने बाल हमेशा शेव रखता हूं।
वे मेरा लन्ड पकड़ उसे गौर से देखती रही।
मैं- क्या हुआ? कभी किसी का पकड़ा नहीं है ना? और देखो मैं लड़का होकर शेव रखता हूं और आप लड़की होकर जंगल
भाभी शर्माती रही।
मैं उनकी चूत सहलाते हुए उन्हें किस करने लगा।
अब वे गर्म हो गई।
मैं उनके ऊपर लेट कर उनकी चूत पर लन्ड घिसने लगा।
कुछ देर बाद मैंने उनकी आंखों में देखते हुए पूछा- डाल दूं?
भाभी कुछ नहीं बोली, बस शर्मा गई।
मैं- बोलो ना!
भाभी ने अपना सर हां में हिलाया।
मैंने अपना सुपारा उनकी चूत में धंसा दिया, फिर आधा लन्ड, फिर पूरा लन्ड डाल दिया।
वे अपना हाथ मेरे और अपने पेट के बीच रख धक्के लगाने से रोकने लगी।
मैंने उनका हाथ पकड़ ऊपर कर दिया और उनके ऊपर लेट उनकी हल्के हल्के चुदाई करने लगा।
वे बिल्कुल भी सपोर्ट नहीं कर रही थीं।
भाभी अपनी आवाज को और अपनी सिसकारियों को अपने अन्दर दबा रही थीं।
तब मैं उनको जोर जोर से चोदने लगा।
भाभी- इतना जोर से क्यों कर रहे हो? दर्द हो रहा है।
मैं- तो पहले मजा आ रहा था।
भाभी- हां।
मैं- तो आवाज निकालो ना!
भाभी अब आवाज निकालने लगी।
मैं उन्हें अब गोद में उठाकर उनकी चुदाई करने लगा।
भाभी- क्या कर रहे हो? गिरा दोगे क्या?
मैं- आप चुपचाप मजे लो।
अब मैंने उनको डोगी स्टाईल में चोदा.
फिर अपने अपर बिठा कर!
जब भाभी झड़ने को हुई तो मैंने उन्हें लिटा दिया और जोर जोर से उनकी चुदाई करने लगा.
मैंने उनकी जांघो को अपने कमर के चारों ओर लपेट लिया।
वे काफी तेज झड़ गई.
मैंने उन्हें अपनी आवाज ना दबाने को बोला.
वे काफी तेज़ सांसें लेती हुई झड़ गई।
वे पूरी तरह हाम्फ रही थीं।
मैंने फिर पूछा- कैसा लगा भाभी?
बड़ी भाभी चुदाई की बात पर पुनः शरमा गई।
कुछ देर बाद मैंने उन्हें फिर से गर्म किया, उनके चूतड़ सहलाए, दबाए.
जब वे गर्म हो गई तो मैंने फिर उन्हें चोदना शुरू किया.
20 मिनट की चुदाई में वे दो बार झड़ी.
फिर मैं भी उनके अन्दर झड़ गया।
भाभी काफी थक गई थी।
मैं- और टेस्ट करना है? मैं अब भी 4 राउंड तो कर ही सकता हूं. और मैंने कोई दवाई नहीं ली है।
भाभी- नहीं … अब और नहीं! मुझे दर्द हो रहा है।
मैं- दर्द तो मुझे भी हो रहा है. देखो मेरा लन्ड छील गया है।
भाभी मेरा लन्ड देख हंस पड़ी।
मैं- तो क्या मैं अपने आप को पास समझूं?
भाभी हंसती हुई- हूं।
मैं भाभी को गले लगा उन्हें चूमने चाटने लगा।
मैंने उन्हें पेन किलर दी और कपड़े पहन बाहर आ गया।
रूचि कमरे में सो रही थी.
मैंने उसे बताया कि भाभी मान गई हैं। लेकिन मुझे उनकी चुदाई करनी पड़ी।
रूचि मुझे किस करने लगी, उसकी आंखों में आंसू आ गए.
वह खुशी से बोली- कोई बात नहीं, हमारी शादी के लिए कुछ भी करना पड़े, करो।
मैं- लगता है कि भाभी भाई से खुश नहीं हैं।
रुचि- क्यों?
मैं- यह तो भाई ही बताएगा. रुको. उसको फोन करता हूं।
भाई- हेलो, भाई बोलो?
मैं- प्रणाम भईया, अभी फ्री हो? कुछ जरूरी बात करनी है।
हां- फ्री हूँ, बोलो।
मैं- भाभी बोल रही थी कि वे तुम्हारे साथ खुश नहीं हैं, तुम भाभी की जमकर चुदाई नहीं करते क्या?
भाई- क्या बोल रहे हो, ये सब हुआ क्या है?
मैं- बोलो करते हो या नहीं?
भाई- हां, मैं नहीं करता. क्योंकि वह काफी शर्माती है, संस्कारी भी है, मैं कभी टच करता हूं तो काफी दिन वह मना भी कर देती है कि आज नहीं कल! फिर कल नहीं परसों! तो मेरा मन नहीं करता इतनी खूबसूरत सुशील बीवी के साथ जबरदस्ती करूं।
मैं- मैं समझ गया. वे सोचती हैं कि तुम काफी सीधे हो तो उसे दोबारा हाथ नहीं लगाते. और तुम सोचते हो कि वह सीधी है तो उसको दोबारा ना फोर्स करूं।
भाई- लेकिन ये सब तुम क्यों पूछ रहे हो? क्या उसने कुछ कहा?
मैं हंसते हुए- मैंने अभी अभी भाभी की चुदाई कर दी है, तुम्हें कोई दिक्कत तो नहीं?
भाई हंसते हुए- अरे कोई बात नहीं. मेरा भाई है तू! मेरी हर चीज पर हक है तेरा! पर यह कैसे हुआ? वह राजी कैसे हुई?
मैं- अरे इतनी आसानी से नहीं मानी. काफी मनाना पड़ा उन्हें!
भाई- तूने मेरी बीवी को चोदा, तेरी शादी होने दे, मैं तेरी बीवी को चोदूंगा।
रूचि हंसती हुई- मैं नहीं दूंगी जीजू, भूल जाओ।
भाई- अरे रूचि है क्या? वह हमारी बातें कैसे सुन रही है, और वह ऐसा क्यूं बोल रही है?
मैं- क्योंकि, यहीं मेरी बीवी होने वाली है।
मैंने उसे पूरी बात बता दी।
भाई- ओहो, यह बात है. तो रूचि जी, अब तो हमारा दो तरफ का रिश्ता हुआ. अब तो मैं दोनों तरफ से लूंगा।
रूचि हंसती हुई- ज्यादा सपने नहीं देखो जीजू, मैं हाथ नहीं आने वाली!
भाई- अच्छा जी देखता हूं।
मैं- सुनो, ये सब बातें ना भाभी को पता नहीं चलनी चाहियें. मैं ना कुछ प्लान करता हूं तुम दोनों के लिए! वैसे कब आ रहे हो?
भाई- 8-10 दिन में आ जाऊंगा।
मैं- ठीक है. भाभी को बिना बताए आना!
भाई- ठीक!
मैंने फोन बन्द कर दिया।
पाठको, अभी तक की बड़ी भाभी चुदाई कहानी पर अपने विचार मुझे मेल और कमेंट्स में बताएं.
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बड़ी भाभी चुदाई कहानी का अगला भाग: भाई की साली से प्यार में क्या क्या किया- 4