कोमल हसीना को खुल कर चोदा- 2

होटल हॉट सेक्स कहानी में पढ़ें कि कैसे एक लड़की से मेरी दोस्ती हुई, वो कैसे मेरे कमरे में आयी, कैसे उसने मुझसे सेक्स किया. उसके बाद मैंने उसे खुल कर चुदाई का मजा दिया.

हैलो फ्रेंड्स, मैं निर्वाण शाह एक बार फिर से अपनी सेक्स कहानी में आप सभी का स्वागत करता हूँ.

होटल हॉट सेक्स कहानी के पिछले भाग
कोमल हसीना को दोबारा चुदाई के लिए तैयार किया
में अब तक आपने पढ़ा था कि कैसे मैंने कोमल को फिर से अपने कमरे में बुला लिया और उसकी चूत चुसाई का मजा लेने लगा.

अब आगे होटल हॉट सेक्स कहानी:

कोमल की चूत चूसते हुए जब वो अकड़ने लगी तो मुझे लगने लगा था कि उसका झड़ने का समय आ गया है … तो मैंने उसकी गुलाबी चूत को चूसते हुए अपनी बीच वाली उंगली उसकी चूत में डाल दी.

‘सी सी सीईस ससीईईईई आह … मर गई.’ बोलती हुई कोमल, बांग्ला में पता नहीं क्या क्या बोलती हुई अपनी गांड उठाने लगी.
उसने एक दो बार गांड को उठाया और तीसरी बार में अपना कामरस छोड़ कर अपने जिस्म को थिरकाने लगी और कुछ पल बाद धम से बेड पर गिर गयी.

मैंने तब तक चूत चूसना जारी रखा जब तक कि उसकी चूत का एक एक बूंद निचोड़ ली.
वो छटपटाती हुई अपने दोनों हाथों की मुट्ठियों से चादर को खींचती हुई चूत चटवाती रही.

उसकी चूत का पानी बड़ा ही स्वादिष्ट था और मुझे भी अपने वासना का भूत सा सवार हो गया था.

कुछ समय बाद मैंने उसकी चूत से मुँह हटाया तो कोमल ने अपनी आंखें खोलीं और अपनी थकी हुई आंखों से मेरी तरफ मुस्कुरा कर देखा.
मैं अभी भी उसकी टांगों के बीच चूत के पास अपना मुँह किये हुए अधलेटा सा था.

उसने मुस्कान बिखेरी तो मैंने फिर से जीभ से उसकी चूत की फांकों को सहला दिया.
उसने हंसते हुए अपनी जांघों से चूत को ढकने की कोशिश की, मगर मैं उसकी टांगों में था, तो वो ऐसा न कर सकी.

फिर उसने मेरे सर को सहला कर मुझे ऊपर आने का इशारा किया, तो मैं उसके ऊपर आ गया.

इतने मस्त फोरप्ले में अब तक मेरा लंड भी तन कर खड़ा हो गया था और बॉक्सर में मुड़ कर लंड दर्द दे रहा था.

मैंने एक मिनट बाद उसके ऊपर से उठ कर उसके बगल में आकर उसका एक हाथ पकड़कर अपने बॉक्सर के अन्दर अपने कड़े हो चुके लंड पर रख दिया.
उसको भी समझ में आ गया था कि अब उसकी बारी है.

पहले कोमल एक मिनट तक हाथों से लंड को ऊपर नीचे करती रही, फिर उठ कर उसने मेरे बॉक्सर को निकाल दिया.
बॉक्सर हटते ही मेरा लंड स्प्रिंग की तरह उछल कर बाहर आ गया.

‘वाओ … ये तो काफी बड़ा और मोटा है … तभी इसने मेरे चूत की मां चोद दी.’
कोमल लंड ऊपर करती हुई पहली बार गाली देकर बोली.

कोमल के मुँह से पहली बार चूत और चुदाई की बात सुनकर मेरे लंड ने सुरसुरी ली.

उसने झुककर मेरे लंड पर एक चुम्मी ली और मेरे लंड ने इठलाते हुए प्रीकम छोड़ दिया, जिसे कोमल ने सुरप कर चाट लिया और मेरे लाल सुपारे को अपने नाजुक रसीले होंठों में लेने लगी.

मेरा 3 इंच मोटा लवड़ा फूल कर कुप्पा हो रहा था जिससे वो कोमल के मुँह में आ नहीं रहा था.
लेक़िन कोमल भी पूरे लंड और दोनों गोलों को घुमा घुमा कर लंड चूस और चूम रही थी.

मुझसे जब बर्दाश्त नहीं हुआ तब मैंने कोमल का सिर पकड़ कर लंड पर दबा दिया. जिससे मेरा लंड उसके कंठ तक चला गया औऱ कोमल ‘गुँ गुँ …’ की आवाज़ निकालने लगी.
लेकिन मुझे तो जन्नत का मज़ा आ रहा था.

तभी वो झटके से लंड निकलते खांसती हुई बोली- उम्म … जान लोगे क्या?
मैंने झट से आगे बढ़ कर उसको गले से लगा लिया और उसकी पीठ को सहलाने लगा.

थोड़ी देर में वो शांत हुई, तब तक मेरा लंड मुरझाने लगा था … तो मैंने अपना लंड फिर से उसके मुँह में दे दिया.
लंड अभी थोड़ा मुरझाया हुआ था तो कोमल उसको पूरा जड़ तक लेकर चूस रही थी.

और इधर मैंने उसकी क्लिट को सहलाना दबाना और मींजना चालू कर दिया, जिससे कोमल की आह निकल जाती.

एक बार पानी निकालने के बाद उसकी चूत दोबारा रस बहाना शुरू कर चुकी थी.
मैंने कोमल को उपर उठाके होंठों को चूमते हुए अपने ऊपर आने का इशारा क़िया.

वो मेरे ऊपर आकर जांघों पर बैठ गयी. इस आसन में मेरा लंड उसकी चूत में घुसता तो था, लेकिन बार बार निकल रहा था.

इस बार कोमल पैरों को आगे करके पंजों के ऊपर आके एक हाथ से लंड को पकड़ कर चूत के सामने लायी और धीरे धीरे आह आह कहते हुए बैठने लगी.

अभी लंड 4 या 5 इंच ही गया तभी उसने नीचे जाना बंद कर दिया और धीरे धीरे ऊपर नीचे होने लगी.
मेरा विकराल लंड नीचे से ठुमके लगाकर कोमल को जन्नत की सैर कराने लगा, साथ ही मेरा लंड चूत की दीवारों से घिसते हुए अन्दर और बाहर हो रहा था.

थोड़ी देर में चूत में लंड आसानी से आने जाने लगा तो मैंने कोमल को दबा कर अपने लंड पर पूरा बैठा दिया.

‘ओह मां आह आह ई ई इस स्स स्शस मर गयी.’ करते हुए कोमल की चूत में मेरे लंड का आखिरी 2 इंच विलीन हो गया था. कोमल झुक कर मेरे चौड़े सीने से लग गयी.

मैं वैसे ही लेटे रहा और बीच बीच में अपने लंड पर झटके देते रहा.
थोड़ी देर में कोमल वैसे ही मेरे ऊपर लेटे लेटे ऊपर नीचे करने लगी और कमर चलाने लगी.

जितनी बार मेरा लंड जड़ तक अन्दर जाता, कोमल के शरीर में कंपन दौड़ जाती … और उसके मुँह से मीठी आह निकल जाती.
कुछ देर तक लगातार लंड चूत के अन्दर बाहर हुआ तो अब कोमल की चूत पानी छोड़ने लगी थी.

मेरा लंड एकदम रॉड की तरह कड़क हो गया था.
मैं कोमल को अपने से चिपकाए हुए और लंड बिना निकाले बैठ गया जिससे कोमल और मेरे चूतड़ चिपके हुए से हो गए थे और मेरा लंड उसकी चूत में घुसा था.

मैं उसको अपनी गोद में बिठाए उसकी चूत में लंड पेले हुए था और होंठों को अपने होंठों से चूसते हुए अपने हाथ से उसकी गांड को पकड़ कर धीरे धीरे ऊपर नीचे कर रहा था.

हम दोनों ही ओरल के समय झड़ चुके थे इसलिए हम दोनों को ही कोई जल्दी नहीं थी.
मस्ती से सेक्स के आनन्द में डूबे हुए हम दोनों हर एक स्ट्रोक के मज़े ले रहे थे और एक दूसरे को चूसते चूमते हुए सहला रहे थे.

कोमल की गोरी रसभरी चुचियां मेरे दबाने से लाल हो गयी थीं और निप्पल एकदम कड़े होकर मटर जैसे हो गए थे.

ऐसे बैठे बैठे मुझे उसे चोदने में खास मज़ा नहीं आ रहा था तो मैं कोमल को झुकाते हुए उसे अपने नीचे ले आया. उसके पैरों को मोड़ कर उसकी चुचियों तक ले गया, जिससे उसकी चूत उभर के बाहर आ गई.

मैंने झुक कर उसकी फूली हुई मदनमणि को अपने मुँह में भर लिया और चुभलाने लगा, जिससे कोमल एकदम पागल होकर छटपटाने लगी और मुझे ऊपर खींचने लगी.

तब मैंने अपना लंड उसकी पानी से लबालब चूत पर डाला जोरदार धक्के से अपना लंड जड़ तक चूत में उतार दिया जो जाकर बच्चेदानी पर हमला करके आया.
ऐसे एक के बाद एक चार पांच धक्के लगाए और फिर लंड बच्चेदानी तक गाड़ कर कोमल की चूचियों को चूसने लगा.

वो अपनी चूत के आखिरी छोर में मेरा लंड पाकर सिहर रही थी. उसी समय मेरा पिस्टन उसकी चूत में राजधानी की स्पीड से अन्दर बाहर होने लगा.
अब कोमल भी नीचे से गांड उठा के ताल से ताल मिलाते हुए ‘आह ओह आह’ करती हुई चुदाई के मजे ले रही थी.

उसके धक्के हर पल तेज़ हो रहे थे जिसका मतलब था कि वो झड़ने के करीब थी.
मगर मैं नहीं चाहता था कि वो अभी झड़े, तो मैंने पोजीशन चेंज करने की कोशिश की.

कोमल की गांड जबरदस्त आकर्षक थी और मेरा लंड उसके गांड के छेद के मज़े लेने को व्याकुल था … लेकिन अभी उसे घोड़ी बनाकर पीछे से उसकी चूत की चुदाई करने का समय था.

कोमल को जब डॉगी स्टाइल के लिए बोला, तो वो गांड में लंड ने पेलने की हिदायत देती हुई चौपाया रूप में आ गयी.
मैं उसको कोहनियों के सहारे बिठाते हुए उसके पीछे आ गया और उसकी गेंदों को चूमते सहलाते हुए अपना लंड पीछे से चूत में धकेल दिया.

मेरा लंड गीली चूत में एकदम से सरसराता हुआ घुसा गया और चूत के अंतिम छोर तक चोटकर आया.
वह ‘आह आह …’ करती हुई चुदाई का मज़ा लेने लगी और अपने हाथ से अपने दाने को रगड़ने लगी.

कोमल की चूत के परखच्चे उड़ाता हुआ मेरा लंड जब भी जड़ तक पहुंचता, मेरी जांघ कोमल की मक्खन सी गांड पर फट से आवाज़ करती हुई लगती.

अब मैं कोमल की दोनों चूचियों को दोनों हाथों से पकड़ कर एकदम शताब्दी की रफ्तार से लंड अन्दर बाहर कर रहा था.

कोमल ‘आह ओह … नो यस … उई ई ई इस्स ओह ओह …’ कर रही थी.

थोड़ी देर में कोमल के गांड में थिरकन हुई और वो ‘आह आह आह …’ करती हुई झड़ कर बेड पर पसर गई.
मेरा लंड अभी भी उसकी चूत में था तो मैं थोड़ा धीमे हो गया और उसकी पीठ को सहलाने और चूमने लगा.

हमारी चुदाई पिछले आधे घंटे से चल रही थी.
इससे मैं भी थक कर चूर हो रहा था … सो मुझे अपना पानी निकालने में ज्यादा भलाई लगी.

मैं कोमल की चूत में अब जोर से चुदाई करने लगा जिससे उसकी चूत का रस फैन बनकर मेरे गोलों को भिगोने लगा.
मेरे तेज धक्कों से हो रही चुदाई से कोमल को भी दर्द होने लगा और वो बार बार लंड निकालने के लिए बोलने लगी.

मैंने तूफ़ानी चुदाई जारी रखी और तीस चालीस धक्कों के बाद अपना रस कोमल की चूत में छोड़ दिया.
मैं झड़ कर उसकी पीठ पर पसर गया.

कोमल को इस धमाकेदार चुदाई के बाद इतना ज्यादा थकावट महसूस हो रही थी कि वो हिल भी नहीं रही थी.

थोड़ी देर बाद मैं कोमल के पीठ से हट गया और मेरा लंड जो कोमल के मेरे रस से सरोबार था … उसे और जलन दे रहा था.
कोमल की चूत के नीचे गोलाकार हिस्से में बेडशीट भी भीग गई थी.

मैंने पहले बाथरूम जाकर अपना लंड साफ किया … फिर कोमल की चूत को नैपकिन से साफ किया.

पहले जो चूत की तितलियां अन्दर थीं, वो लाल होकर बाहर आ गयी थीं और अन्दर का छेद एकदम से फैल कर बड़ा होकर एकदम कत्थई लाल हो चुका था. चूत के होंठ फूल कर चिपक गए थे और एकदम लाल हो गए थे.

कोमल एकदम शांत हो गयी थी और अभी भी वही पड़ी हुई थी.

मैंने उसको उठा कर ठीक से तकिया लगा कर सुलाया और मैं उसकी गांड के दरार में अपना सोता हुआ लंड लगाकर सो गया.

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