दफ्तर वाली गर्म लड़की की चुत चुदाई

हॉट ऑफिस गर्ल सेक्स कहानी में पढ़ें कि मेरे दफ्तर की एक लड़की मुझे भाई कह कर बुलाती थी, पर उसके दिल में और था. उसने मेरे लंड का मजा कैसे लिया?

सभी चूत की मालकिनों और लंड के मालिकों को मेरा नमस्कार!

दोस्तो, मेरा नाम मनोज है और उम्र 35 साल की है. मैं उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ शहर का रहने वाला हूं.

ये साईट न केवल आप सबके लिए मनोरंजन का साधन है बल्कि अपनी आपबीती को बिंदास सभी को बताने का एक माकूल पटल है.

इस साइट पर ये मेरी पहली सेक्स कहानी है. ये हॉट ऑफिस गर्ल सेक्स कहानी मेरी जिंदगी की हकीकत है. अगर आप सभी लोगों को पसंद आई और प्यार मिला, तो मैं अपने जीवन की बहुत सी घटनाओं को यहां लिखूंगा, जो कि बिल्कुल सच्चाई पर आधारित होंगी.

मैं एक शादीशुदा मर्द हूँ. मेरी लंबाई 5 फुट 6 इंच है, दिखने में बहुत स्मार्ट हूँ. कई लड़कियां मेरी दीवानी हैं. मेरी आठ दस गर्लफ्रैंड भी हैं.

मेरे लंड का साइज 6 इंच है और मेरी सेक्स क्षमता 30 मिनट से भी ज्यादा है.

मैं एक प्राइवेट कर्मचारी हूँ और अपने परिवार से दूर उत्तर प्रदेश के ही दूसरे शहर मुरादाबाद में रह कर नौकरी करता हूं.
इधर मैं अकेला ही किराये पर कमरा लेकर रहता हूं.

मैं आदत से बहुत मिलनसार हूँ. जिसकी वजह से कोई भी मेरी तरफ बहुत जल्दी आकर्षित हो जाता है.

एक बार मेरे दफ्तर में एक नई लड़की काम करने के लिए आयी. वो 22 या 23 साल की रही होगी.
उसका असली नाम मैं यहां नहीं लिख सकता हूँ, उसकी प्राइवेसी की बात है.

हम यहां उसे अलीज़ा कह कर बुला सकते हैं.

अलीज़ा एक अविवाहित लड़की थी, मगर कुंवारी नहीं थी.

अलीज़ा को दफ्तर में आए हुए पूरे 2 साल हो गए थे पर मेरी उससे कभी कोई ज्यादा बात नहीं हुई थी.
उस समय मेरे दफ्तर में ही एक दूसरी लड़की से मेरा अफेयर चल रहा था, उसका नाम सलमा था.
अलीज़ा को पता नहीं था कि मेरा और सलमा का कोई संबंध है.

सलमा भी अविवाहित थी मगर कुंवारी नहीं थी.
मैंने और सलमा ने कई बार मेरे रूम पर चुदाई की थी, वो बहुत ही मस्त माल थी.

सलमा उम्र में मुझसे 7 साल बड़ी थी. उसके 34 के चुचे, भरी हुई 36 की गांड थी. न जाने कितने लड़के सलमा का नाम लेकर मुठ मार कर अपना माल गिराते थे.

हालांकि अलीज़ा भी कम नहीं थी. उसके भी 34 के चुचे ऊपर को उठे हुए थे. मांसल जांघें थीं जो उसकी चुस्त लैगी से साफ़ नुमायां होती थीं.
अलीज़ा की गोरी चमड़ी, काली आंखें और उठी हुई गांड देख कर लड़के लंड सहला कर आहें भरते थे.

अलीज़ा के शरीर पर तो क्या उसकी चूत पर भी बाल नहीं थे. ये जब मैंने उसकी चुदाई की तब देखा था.

एक बार अलीज़ा सलमा के पास आकर बातें करने लगी.
सलमा और मेरा केबिन एक ही था.

वो बातें तो सलमा से कर रही थी पर देख मेरी ही तरफ रही थी.

इतने में सलमा ने मुझसे कहा- अलीज़ा से बात नहीं करोगे?
मैंने कहा- हां क्यों नहीं … मुझे लगा कि वो तुमसे बात करने आई है.

अलीज़ा- नहीं भाई … मैं तो फ्री थी तो दीदी के पास आ गई थी. मैंने सोचा कि शायद आप व्यस्त हैं तो मैंने दीदी से पूछा था कि क्या भाई कुछ ज्यादा ही बिजी हैं, जो हमारी तरफ नहीं देख रहे हैं.

वो मुझे भाई कह कर बुलाती थी, पर उसके दिल में और था.
उसे लेकर मेरे भी दिल में कुछ कुछ चलने लगा था.

अलीज़ा ने मुझसे बात करनी चाही तो मैं भी उससे बात करने लगा.

फिर लंच हुआ तो सलमा ने मुझसे कहा- चलो बाहर कैंटीन में चल कर कुछ खाते हैं, वहीं टिफिन भी खा लेंगे.
मैंने कहा- मैं तो खुद ही आज टिफिन नहीं लाया. चलो बाहर ही चलते हैं.

अब हम तीनों कैंटीन में आ गए और अलीज़ा ने मुझे अपने टिफिन से खाना खिलाया.
उसका प्रेम देख कर मुझे समझ आ गया था कि औरत अपने प्यार को पाने के लिए मर्द के पेट का रास्ता चुनती है.

अब गाहे बगाहे ये होने लगा था.

अलीज़ा मुझे फोन पर भी बात करने लगी थी.
वो आए दिन मेरे लिए खाना बना कर ले आती और मुझसे फोन पर कह देती कि आप खाना बनाने की जहमत मत उठाना. मैंने आपके लिए भी बना लिया है.
वह खाने के दौरान मेरी पसंद के खाने की बात करने लगी थी और जो-जो मुझे पसंद था, अलीज़ा वो ही मेरे लिए बना कर लाने लगी थी.

इस सबकी जानकारी सलमा को भी थी क्योंकि मैं सलमा के बिना अलीज़ा से नहीं मिलता था.
सलमा मेरी सैटिंग थी और मैं जब चाहे उसे चोद लेता था.
मगर अलीज़ा के बारे में अभी ये कहना मुश्किल था कि वो मेरे लंड से चुदेगी भी या नहीं.

इस तरह से धीरे धीरे अलीज़ा और मेरे बीच काफी बातें होने लगी थीं. हम एक दूसरे के सामने खुलने भी लगे थे.
अलीज़ा को बिंदास करने में सलमा का भी हाथ था. वो अक्सर एडल्ट जोक सुना कर हम दोनों के बीच कि दूरी को कम करने की कोशिश कर रही थी.

एक दिन जब मैं सलमा को अपने कमरे पर चोद रहा था तब सलमा ने मुझसे कहा- अलीज़ा कैसी लगती है?

मैं लंड चूत में चलाते चलाते जरा धीमा हुआ और सलमा की जगह अलीज़ा को इमेजिन करके लंड और तेजी से चुत में अन्दर बाहर करने लगा.

तभी सलमा बोली- अच्छा… मतलब अलीज़ा इतनी अच्छी लगती है कि तुमने शताब्दी एक्सप्रेस दौड़ा दी.
मैं कुछ नहीं बोला और सलमा को यूं ही रगड़ता रहा.

सलमा ही समझ गई थी कि मैं कुछ नहीं बोलूंगा, मगर अलीज़ा की चुत मुझे चोदना ही है.

ऐसे ही कुछ दिन बीत गए, मैंने सलमा से अलीज़ा के लिए कुछ भी नहीं कहा था.

फिर एक बार अलीज़ा सलमा से कहने लगी- दीदी चलो न … आज भाई का रूम देख कर आते हैं.
उन दोनों की जुगलबंदी जमी और उन दोनों ने मेरे कमरे पर आने का तय कर लिया.

फिर सलमा अलीज़ा को लेकर मेरे रूम पर आ गयी.
हम सभी ने साथ बैठ कर कोल्ड ड्रिंक पी और चिप्स खाए.

फिर कुछ देर बात करने के बाद वो दोनों चली गईं.

दरअसल ये अलीज़ा की एक चाल थी, उसे मेरा रूम देखने का मन था. क्योंकि वो मुझसे चुदना चाहती थी, ये बात बाद में अलीज़ा ने मुझे बताई थी.

दो दिन बाद मेरे नंबर पर अलीज़ा का फ़ोन आया. उस दिन मैं ऑफिस नहीं गया था.

वो बोली- आज आप ऑफिस क्यों नहीं आए?
मैंने कहा- हां यार, जरा काम था. मगर काम भी नहीं हो सका और ऑफिस से भी छुट्टी लेनी पड़ गई.

वो बोली- मुझे आपसे अकेले में मिलना है. यदि आपको कोई दिक्कत न हो, तो मैं आपके कमरे पर आ जाऊं?
मैं उस टाइम अपने रूम पर रेस्ट कर रहा था तो मैंने अलीज़ा को बोला- हां इसमें दिक्कत कि क्या बात है, तुम मेरे रूम पर आ जाओ.

वो कुछ ही देर में आ गई. मेरा रूम आफिस से 10 मिनट की दूरी पर ही था. वो आयी और मुझसे बातें करने लगी.

कुछ देर बाद वो बोली- मैं आपसे प्यार करती हूँ.
ये कह कर वो मुझसे लिपट गई.

मैंने उसे बताया कि अलीज़ा मैं शादीशुदा हूँ, ये आसान नहीं है … देख लो मैं तुमसे शादी तो नहीं कर सकता, पर तुम्हें सेक्स का सुख जरूर दे सकता हूँ.
वो बोली- मैं जानती हूँ, सलमा दीदी ने मुझे आपके बारे में सब बता दिया है कि आप लंबी रेस के घोड़े हैं. इसी लिए मैं आपके पास आई हूं.

मैंने कहा- जब तुम्हें कोई परेशानी नहीं है … तो मुझे क्या होगी.

हम दोनों लिपट गए और हमारे होंठ आपसे में मिल गए.
कुछ मिनट तक हम दोनों एक दूसरे के होंठों को चूसते रहे.

वो सेक्स की आग में जल रही थी. शायद उसे चुदाई ने बहुत ज्यादा सता रखा था.

धीरे धीरे मैंने उसके कपड़े उतारने शुरू किए; उसकी सलवार और कुर्ती उतार दी.
अलीज़ा ने अन्दर गुलाबी रंग की ब्रा पहनी थी. उसकी ब्रा में उसके गुलाबी निप्पल वाली चूचियां मस्त लग रही थीं.
नीचे लाल फूलों वाली पैंटी में अलीज़ा की बिना वालों वाली चूत गजब की फूली हुई लग रही थी.
उसकी चूत पाव रोटी की तरह फूली हुई थी.

फिर उसने भी मेरे भी कपड़े उतार दिए. मेरा लौड़ा उसकी चूत को सलामी दे रहा था.

अलीज़ा ने मेरे लंड को हाथ से पकड़ लिया और लंड के ऊपर की खाल को अपने मुलायम हाथों से ऊपर करके गुलाबी टोपा निकाल कर देखा.

एक पल बाद अलीज़ा बोली- तुम्हारा लंड तो बहुत ही मस्त है.

मैंने उससे लंड चूसने को बोला तो वो मना करने लगी.
तो मैंने भी ज्यादा जिद नहीं की.

मैंने उसे अपनी बांहों में ले लिया और जल्दी ही नंगी अलीज़ा मेरे लंड के नीचे आ गई थी.

अब मैंने हाथ लगा कर देखा, तो उसकी चूत से पानी निकल रहा था.
मैंने अपना लौड़ा उसकी चूत पर घिसना शुरू कर दिया.

अलीज़ा जोर जोर से सिसकारियां लेने लगी.
वो बहुत ही ज्यादा चुदासी हो रही थी. उसकी गांड उठ रही थी और वो जल्द से जल्द लंड चुत में लेने की आतुरता दिखा रही थी.

मैंने एक झटके में ही अपना पूरा लौड़ा उसकी गुलाबी चूत में अन्दर जड़ तक उतार दिया.

उसके मुँह से एक दबी सी चीख निकल गई. हमारे होंठ आपस में जुड़े हुए थे, तो अलीज़ा की आवाज़ मेरे मुँह में ही दब कर रह गई.

अलीज़ा बोली- आह भाई … धीरे धीरे करो; मुझे चूत में दर्द हो रहा है.

मगर मैं बेदर्दी की तरह उसकी चूत को बीस मिनट तक अपने लौड़े से पेलता रहा.
उसकी चुत एक बार झड़ चुकी थी तो चुत में लंड सटासट आ-जा रहा था.

अब मैंने उसको कुतिया बनने को बोला तो वो झट से कुतिया बन गई और मैं उसके पीछे आ गया.

मैंने पीछे से अलीज़ा की चूत में लंड पेला और उसकी चूचियां पकड़ कर चुत का बाज़ा बजाता रहा.

चुदाई से पहले मैंने अपने लंड पर मैनफोर्स का स्ट्रॉबेरी फ़्लेवर का कंडोम लगा रखा था तो अलीज़ा के गर्भवती होने का कोई डर नहीं था.

मेरे लंड के हर झटके पर अलीज़ा की चूत और मुँह आवाज़ बढ़ती ही जा रही थी.
अलीज़ा की मादक सिसकारियां जैसे जैसे बढ़ रही थीं, मेरे लंड की स्पीड भी उतनी ही बढ़ रही थी.

पूरे कमरे में बस चूत और लंड की टप टप का संगीत गूंज रहा था.

अलीज़ा की चूत ने इतना पानी छोड़ा कि उसकी पूरी टांगें चूत के पानी से भीग गईं.
इस चुदाई के दौरान अलीज़ा 3 बार झड़ चुकी थी. अब मेरे लंड का पानी भी निकलने वाला था.

फिर मैंने अलीज़ा की चूत में आठ दस जोर के धक्के मारे और मैंने अलीज़ा की चूत में अपने लंड का पानी निकाल दिया.
लंड का रस कंडोम में ही था तो हम दोनों एक दूसरे से यूं ही चिपके पड़े रहे.

हम दोनों अपनी हवस बुझा कर शांत हो गए थे. उसके बाद भी हमें कई बार मौका मिला, मैंने हॉट ऑफिस गर्ल अलीज़ा के साथ मेरी हवस को शांत किया.

दोस्तो ये मेरी रियल हॉट ऑफिस गर्ल सेक्स कहानी है. मुझे आपके मेल का इंतजार रहेगा. अपने सुझाव जरूर भेजें.
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