मकान मालकिन की चुदक्कड़ लड़की की चुदाई- 1

Xxx स्कूल गर्ल पोर्न कहानी में पढ़ें कि मैं किराये के कमरे में रहता था. वहां एक दिन मैंने मालकिन की जवान बेटी को दूसरे किरायेदार लड़के से चुदती देखा.
नमस्कार दोस्तो, कैसे हैं आप सब!
आपने मेरी सेक्स कहानी
बहन की फटी चुत की चुदाई
को बहुत प्यार दिया और काफी लोगों के ईमेल भी आए.
लेकिन मैं बहुत सारे लोगों को उत्तर नहीं दे सका, उसके लिए माफ़ी चाहता हूँ.
मेरा वादा है कि इस बार मैं आप सभी को उत्तर देने की कोशिश करूँगा.

मैं आज अपने जीवन की एक और दास्तान बता रहा हूँ.
यह Xxx स्कूल गर्ल पोर्न कहानी सच है या नहीं, आप पढ़कर खुद समझ जाएंगे.

बात उस समय की है जब मैं अपने घर से बाहर एक छोटे से कस्बे में कमरा लेकर पढ़ाई करता था. इस कस्बे का नाम बीसलपुर है जो पीलीभीत (यूपी) में है.

मैं उस समय बीए कर रहा था और अपने एक दोस्त के रिश्तेदार के मकान में किराए पर रहता था.
वो मेरे दोस्त के रिश्ते में फूफा लगते थे इसलिए मैं भी उनको फूफा और उनकी पत्नी को बुआ बोलता था.

उनके परिवार में उनका एक बेटा और एक बेटी थी. उनका बेटा अमन आठवीं में पढ़ता था और बेटी लवी बड़ी कक्षा में पढ़ती थी. वो जवान हो चुकी थी.

बुआ के मकान में मेरे अलावा एक कमरा और किराये पर था जिसमें एक संतोष नाम का लड़का रहता था और वो ग्यारहवीं में था.

उस समय मुझे अपने कैरियर की चिंता थी, तो मैं दिन रात पढ़ाई करता था.
मैं किसी से ज्यादा बातचीत नहीं करता था, बस दिन रात पढ़ाई में व्यस्त रहता था.

‌फिर एक रात मैंने कुछ ऐसा देखा कि पूरा माहौल बदल गया.

रात को करीब साढ़े बारह बजे मैं पढ़ाई कर रहा था, तभी मुझे हाजत हुई और मैं फ्रेश होने के लिए छत पर जाने लगा.
मैं सीढ़ी पर चढ़ ही रहा था कि तभी मेरी नजर संतोष के कमरे में पड़ी.

उसका कमरा और सीढ़ी दोनों चिपके ही थे और सीढ़ी के पास एक छोटी सी खिड़की लगी थी.
वो खिड़की से उसके कमरे में रोशनी जाने के लिए लगी थी.

रात का समय था तो उस समय उस खिड़की से रोशनी आ रही थी.
मेरी अन्दर नजर गयी, तो मैंने देखा कि संतोष पूरा नंगा था और वो लवी को पूरी नंगी करके उसकी चुदाई कर रहा था.

ये देखते ही मेरी सांसें एकदम से थम गईं और मैं चुपचाप वहां खड़े होकर उनकी चुदाई देखने लगा.
मुझ उनकी चुदाई एकदम साफ साफ दिखाई दे रही थी.

मैंने देखा कि संतोष ने लवी को जमीन पर लिटा रखा था और उसने लवी के पैरों को पकड़कर अपने कंधों पर रखे हुआ था.
वो धकापेल उसकी चुदाई कर रहा था.

उसकी चूत को देखकर बताया जा सकता था कि लौंडिया अभी अभी हुई जवान है.
संतोष उसकी चूत को लगातार चोद रहा था और Xxx स्कूल गर्ल लवी बिना किसी परेशानी के पूरा लंड ले रही थी.

हालांकि वो उम्र में मुझसे भी छोटी थी लेकिन उसको ऐसे चुदते देख मुझे उसकी चुदाई करने और देखने दोनों का मजा आ रहा था.

उसकी चूत चुदते देखकर मुझसे भी रहा नहीं जा रहा था, मेरा मन कर रहा था कि मैं भी इसकी चूत में लंड डालकर चोद दूँ.

लेकिन उस वक्त मैंने Xxx स्कूल गर्ल पोर्न देखने का आनन्द लेना ठीक समझा.
कुछ दस मिनट की चुदाई के बाद संतोष झड़ गया और उसके ऊपर ही लेट कर उसे किस करने लगा.

इसके बाद संतोष ने अपना लंड चूत से बाहर निकाला और निक्कर पहनने लगा.
उसके हटने के बाद लवी भी उठी और अपनी सलवार पहनने लगी.

तभी मैं वहां से ऊपर चला गया और लवी धीरे से बिना आवाज किए कमरे से निकल कर अपने कमरे में जाकर लेट गयी थी.
लवी तो बिस्तर पर चली गई थी पर मेरा मन उसकी चूत और चुदाई देखकर ना तो सोने का हो रहा था … और ना ही पढ़ने का.

मेरे मन में केवल उसकी चूत ही घूम रही थी और मन में बस इतना ही ख्याल आ रहा था कि लवी को कैसे चोदा जाए.

यही सब सोचते हुए मैं नीचे आ गया और उसकी चूत के ख्यालों में रहते हुए कब सो गया, पता नहीं चला.

अगले सुबह जब मैं उठा तो देखा कि सब उठ चुके थे और अमन और लवी स्कूल जा चुके थे.

वो दोनों एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ते थे तो रोजाना स्कूल जाते थे.
वहीं संतोष एक सरकारी स्कूल में पढ़ता था, तो वो रोज स्कूल नहीं जाता था; सारा दिन इधर उधर घूमता था.

चूँकि मैं कॉलेज में था तो मैं कॉलेज नहीं जाता था, बस एक कोचिंग जाता था.
कोचिंग के अलावा मैं पूरे दिन रूम पर रह कर अपनी पढ़ाई करता था.

रात का सीन बार बार मेरी आंखों में आ रहा था जिससे मेरा मन पढ़ाई में नहीं लग रहा था.
मेरी आंखों में केवल लवी की चूत ही आ रही थी और दिमाग में उसे चोदने का ख्याल ही आ रहा था.

यही सब सोचते हुए दोपहर हो गयी और तब तक अमन और लवी स्कूल से आ चुके थे.

अभी तक मैं लवी को केवल ऐसे ही देखता था किन्तु अब मेरे ख्याल उसके लिए बिल्कुल बदल गए थे.
मैंने उसके निप्पल, गांड सब कुछ खूब निहारने का सोच लिया था.

मेरा कमरा, घर में लगे नल के सामने था और नल के पास ही सीढ़ी थी.

सीढ़ी से पीछे की तरफ चिपका हुआ कमरा संतोष का था.
दोपहर में स्कूल से आने के बाद लवी ने खाना खाया और खाने के बाद जब वो हाथ धोने के लिए नल पर आयी तो मैं आज उसको पहली बार हवस की नजर से देखने लगा.

उसकी छोटी छोटी चूचियां और उसकी कमर मुझे आज कमसिन लग रही थी.
मैं उसकी तरफ वासना से देखने लगा.

वो बहुत ज्यादा सेक्सी लग रही थी.
मेरा मन उसकी छोटी छोटी चूचियों को चूसने को कर रहा था.
ऐसा लग रहा था कि मैं इनको निचोड़ लूँ.
मैं उसको हवस भरी नजर से देख रहा था.

वो हाथ साफ करके जाने लगी और उसी वक्त उसने मुझे उसको घूरते देख लिया.
उससे नजरें मिलते ही मैं एक बार को सकपका गया मगर वो चुपचाप चली गई.

मैं अब बस यही सोचता था कि लवी की बुर कैसे चोदूं.
मकान में मेरे अलावा संतोष और बुआ और उनके दोनों बच्चे रहते थे.
बुआ जी के पति कभी कभी ही आते थे क्योंकि उनको गांव में खेती का काम देखना होता था.

लवी खाना बनाना सीख चुकी थी इसलिए बुआ कभी कभी गांव में फूफा जी के पास चली जाती थीं.
क्योंकि अभी वो भी जवान थीं, शायद 40 के आस पास थीं इसलिए उनका भी मन चुदने का करता होगा.
चुदाई के अलावा उन्हें और कुछ काम भी होते थे.
इस सब कारणों से बुआ जी बीच बीच में गांव जाती रहती थीं.

संतोष भी शनिवार को घर चला जाता था. इस वजह से कभी कभी मकान में मैं और बुआ जी के बच्चे ही रह जाते थे क्योंकि मैं अपने गांव कम जाता था.
अब मैं उस समय का इंतजार करने लगा कि किस दिन बुआ जी गांव जाएंगी.

बुआ जी गांव में 2-3 दिन तक रुकती थीं.
मैं दिन दिन भर लवी को चोदने को सोचते हुए रहने लगा.
मौका मिलते ही उसके निप्पल और उसके शरीर को निहारने लगा था.

मैं उसके दूध और कड़क निप्पलों देख कर मुठ मारने लगा था.
एक दिन मेरे मन में आया कि क्यों ना लवी को अपने लंड के दर्शन कराऊं.

ये बात दिमाग में आते ही मुझे आईडिया आ गया.
उस दिन मैं नहाने के बाद तौलिया लपेटकर बाहर आया तो देखा कि लवी नल के सामने बैठकर मुँह धो रही है.

चूंकि मेरा कमरा, बाथरूम और नल के बिल्कुल सामने था तो मैं तौलिये में ही बाथरूम से बाहर निकल कर कमरे में आ गया.
अपने कमरे में आकर मैं उसकी ओर देखने लगा.

मैंने अपने कमरे का दरवाजा बंद नहीं किया और अपनी चारपाई पर इस तरह बैठ गया जिससे मेरा लंड तौलिया के अन्दर से लवी को पूरा दिख जाए.

लंड दिखाने की नियत से आज मैं बिना निक्कर के ही तौलिया पहन कर बैठा था और उसको देखने लगा था.
उसको देखते देखते मेरा लंड तौलिया के अन्दर ही पूरा खड़ा हो चुका था.

मैं सोच रहा था कि लवी का ध्यान मेरी तरफ हो जाए. ऐसा करने के लिए मैंने लवी को आवाज दी.
वो मेरी तरफ देखने लगी और हम दोनों सामान्य बातें करने लगे.

वो नल के पास बैठी थी और मैं उसके सामने बैठा बात कर रहा था.
तभी मैंने देखा कि लवी की नजर मेरे लंड पर पड़ गई थी. वो बात करते हुए मेरे लंड को देख रही थी.

मैं भी उसको अपने खड़े लंड के दर्शन कराता रहा.
करीब दस मिनट तक उसको लंड के दर्शन कराए.
फिर मैंने देखा कि अब वो शर्माती हुई नजर छिपाती हुई बात करने लगी.

फिर मुझे खुद से अजीब लगा, तो मैं चारपाई से उठकर अन्दर आ गया.
मैं कमरा बंद करके मुठ मारने लगा.

मुठ मारने के बाद मैं सो गया और जब जागा, तो पढ़ाई करने लगा.

फिर शाम को जब मैं छत पर टहल रहा था तो उस समय लवी भी छत पर टहल रही थी.

मैंने ऐसे ही चलते हुए लवी से पूछ लिया- कैसा लगा?
वो मेरी तरफ देखने लगी लेकिन उसने कुछ जवाब नहीं दिया.

लवी मेरी तरफ देखती और टहलती हुई आगे निकल गयी.

मैंने भी बात को बढ़ाना सही नहीं समझा और अपने मोबाइल फोन में ध्यान लगाते हुए टहलता रहा.
कुछ देर बाद मैं नीचे आ गया और पढ़ाई करने के बाद सो गया.

ऐसे ही धीरे धीरे समय निकलने लगा.

करीब 10 दिन बाद बुआ जी गांव जाने लगीं, उस दिन शनिवार भी था तो संतोष भी अपने घर चला गया था.

बुआ ने मुझे बताया कि मैं अमन को लेकर गांव जा रही हूँ, लवी यहीं रहेगी. तुम उसको अपने साथ ही बिठा कर पढ़ा लेना.
ये सुनकर मैं बहुत ही ज्यादा खुश हो गया और जल्दी से हां करते हुए मैंने उनको जाने को बोल दिया.

करीब एक घंटा बाद बुआ जी अमन के साथ गांव निकल गईं.
मैं स्कूल से लवी के आने का इंतज़ार करने लगा.

मुझे ये नहीं पता था कि लवी गांव जाना क्यों नहीं चाहती थी.
जब भी बुआ जी उसको साथ चलने को कहतीं तो वो मना कर देती थी.
शायद इसी लिए बुआ जी उसको मेरे साथ छोड़कर चली गई थीं.

बुआ जी के जाते ही बारिश शुरू हो गयी.
उस समय बारिश का मौसम था, इसलिए बारिश होना साधारण सी बात थी.

करीब एक बजे के आस-पास लवी स्कूल से आयी, उसने खाना खाया और सो गयी.
मुझे नींद नहीं आ रही थी. मेरे मन में पूरी तरह वासना जाग चुकी थी. मुझे उसको चोदने का ही प्लान बन रहा था कि कैसे लवी की चुदाई करूं?

ऐसे ही सोचते हुए करीब 3 बज गए.
लवी जाग चुकी थी.

वो कमरे से बाहर आई और आवाज देकर बोली- भैया, संतोष भैया भी घर चले गए हैं क्या?
मैं- हां, संतोष तो दस बजे ही चला गया था.

संतोष को बुआ जी के घर जाने वाली बात का पता नहीं था क्योंकि बुआ जी ने बाद में प्लान बनाया था और उन्हें पता था कि मैं तो यहीं रहूँगा. इसलिए वो मुझे बोलकर चली गईं.

मैं- क्या हुआ … अच्छा नहीं लग रहा है?
लवी- नहीं भैया!

मैं- तो फिर परेशान क्यों दिख रही हो?
लवी- कुछ नहीं भैया.

मैं- ठीक है, खाना खा लिया?
लवी- हां भैया.

मैं- अगर मन नहीं लग रहा है, तो शिज़ा के पास हो आओ.
शिज़ा उसके पास रहने वाली उसकी सहेली थी. वो उम्र में उससे बड़ी थी.

लवी आमतौर पर शिज़ा के घर हो आती थी क्योंकि उसका घर सामने ही था.

लवी- नहीं भैया, अभी तेज बारिश हो रही है.
मैं- ठीक है, फिर अगर मन हो तो स्कूल का काम पूरा कर लो.

उस टाइम टीचर लिखने को बहुत काम दे देते थे क्योंकि वो नोट्स बनाने के लिए किताबों में ही टिक कर देते थे, जिनको नोट्स के तौर पर लिखना होता था. अगर स्टूडेंट्स नोट्स पूरे नहीं करते थे, तो सजा मिलती थी.
वो कुछ नहीं बोली.

मैं- एक काम करो, मेरे पास आकर ही बैठ जाओ और अपना काम पूरा कर लो.
उस समय मैं बहुत पढ़ाई करता था तो मैं तो बैठा ही था.

लवी- ठीक है भैया.
मैं- तुम्हारे स्कूल वालों ने उत्तर ज्यादा लंबे टिक किए होंगे, लाओ मैं उनको शॉर्ट कर देता हूँ.

लवी- ठीक है भैया.
उसके बाद वो अपनी किताबें ले आई और मैंने उनको टिक कर दिया.

वो मेरे पास ही बैठकर काम करने लगी और लिखते लिखते शाम हो गयी.
तभी मैंने उसको लिखने का काम बाद में करने का कहा … और हम दोनों छत पर टहलने चले गए.

उस वक्त बारिश रुक चुकी थी, मौसम सुहाना हो गया था.
छत पर जाते ही वो सामने टहल रही शिज़ा के साथ बात करने लगी.
मैं अलग होकर टहलने लगा.

करीब आधा घंटा में ही फिर से बारिश शुरू हो गई, तो हम दोनों नीचे आ गए और नॉर्मल बात करने लगे.

डिनर करने के बाद लवी ने कहा- भैया, मेरी तरफ इन्वर्टर लगा हुआ है और आपकी तरफ नहीं है, तो आप भी आज इधर ही पढ़ लो. बाद में आप सो जाना.

मैं अपनी किताबें लेकर उसके साथ उसके बेड पर बैठकर पढ़ाई करने लगा.
क्योंकि मेरे रूम में इन्वर्टर की सुविधा नहीं थी. उस वक्त लाइट की कटौती चल रही थी.

मेरे पास रात को कमरे में रोशनी करने के लिए एक सोलर लाइट थी लेकिन उसकी रोशनी में केवल एक ही बन्दा पढ़ सकता था.
मैं लवी के पास ही बैठकर पढ़ाई करने लगा. मैं उससे बातें भी कर रहा था और उसकी चूचियां भी देख रहा था.

वो अपने नोट्स लिख रही थी और बात भी कर रही थी.
बीच बीच में उसकी नजर मेरी नजरों से टकरा रही थी, वो भी समझ रही थी कि मैं उसकी चूचियां देख रहा हूँ.

करीब आधा घंटा के बाद मैंने अपनी किताब साइड में रख दी और लवी से बात करने लगा.
अब मेरा मूड पूरी तरह उसको चोदने को हो चुका था.

Xxx स्कूल गर्ल पोर्न कहानी के अगले भाग में आपको बताऊंगा कि कैसे मैंने लवी को हचक कर चोदा.
आपके मेल मुझे उसकी चुदाई को मस्त तरीके से लिखने के लिए प्रेरित करेंगे.
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Xxx स्कूल गर्ल पोर्न कहानी का अगला भाग: मकान मालकिन की चुदक्कड़ लड़की की चुदाई- 2