मकान मालकिन की चुदक्कड़ लड़की की चुदाई- 2

देसी गर्ल Xxx चुदाई कहानी में मैंने मकान मालकिन की कमसिन जवान लड़की की चूत की चुदाई की. मैंने उसे अन्य लड़के से चुदती देख लिया था. तो मैंने उसे जल्दी पटा लिया.

दोस्तो, मैं अवधेश कुमार आपको बहन की चुदाई की कहानी का मजा दे रहा था.
कहानी के पहले भाग
कमसिन लड़की की नंगी चुदाई देखी
में अब तक आपने पढ़ा था कि लवी को मैं अपनी बुआ की लड़की जैसी मानता था और उसे चोदने का मूड बनाए हुए उससे बातें कर रहा था.

अब आगे देसी गर्ल Xxx चुदाई कहानी:

मैंने उससे बातचीत करते हुए अचानक पूछा- लवी एक बात बताओ?
लवी- हां भैया, पूछो.

मैं- अगर तुम सच बताओगी तो ही मैं कुछ पूछूंगा.
लवी मेरी तरफ देखने लगी और उसने लिखना बन्द कर दिया.

लवी- हां भैया, पूछो न!
मैं- एक बात बताओ, तुम्हारा संतोष के साथ कुछ है क्या?

लवी- मतलब?
मैं- कुछ प्यार-व्यार वगैरह?

लवी- नहीं भैया, ऐसा आप क्यों कह रहे हो?
मैं- नहीं, बस ऐसे ही लगा … इसलिए पूछ लिया.

लवी- संतोष भैया से तो मैं ज्यादा बात भी नहीं करती हूँ, फिर आपको कैसे लगा?
मैं- नहीं, कुछ नहीं बस ऐसे ही.

वो चुप रही.
मैंने बात को घुमाते हुए आगे कहा- अच्छी बात है, वैसे भी वो अच्छा लड़का नहीं है. ना तो पढ़ता है और आदतें भी अच्छी नहीं हैं.

तभी लवी सोचती हुई मुझ पर हावी होने की कोशिश करने लगी.
लवी- लेकिन भैया आपने ऐसा कैसे सोच लिया. क्या मैं ऐसी लगती हूँ आपको? और आपने मेरे से तो ऐसा कह लिया, कभी मम्मी के सामने मत कह देना.

मैं- अरे यार, ये कोई मम्मी से कहने वाली बातें नहीं होती हैं. मैंने तो ऐसे ही पूछ लिया, मुझे लगा शायद कुछ हो.
मैंने बात को लंबा करने के उद्देश्य से कहा.

लवी- नहीं भैया.
मैं- ठीक है.

मैं बात को नए सिरे से करते हुए बोलने लगा- मैंने एक दो बार कुछ देखा है.
ये सुनते ही लवी का चेहरा बदल गया.

लवी- क्या देखा भैया?
मैं- बोलो तो बता दूँ?

लवी- हां भैया बताओ न … घुमाओ मत!
मैं- एक रात मैं 12 बजे के आस-पास छत पर जा रहा था, तब मैंने तुम्हें संतोष के कमरे में देखा था.

मैंने एकदम निर्भीक होकर सच बोल दिया.
लवी को मानो लकवा मार गया.

मैं- मैंने देखा था कि संतोष तुम्हारी बुर ले रहा है. संतोष भी पूरा नंगा था और तुम्हारे भी कपड़े निकले हुए थे. वो तुम्हारे बूब्स मसल और चूस रहा था और तुम्हारे पैर फैलाकर पूरी तरह से तुम्हारी चुदाई कर रहा था. इसलिए मैंने तुमसे पूछा था … और तुमने सच बताया ही नहीं.

अब लवी डर भी गयी और शर्मा भी गयी.
वो कुछ बोल नहीं रही थी.

मैंने सन्नाटा तोड़ते हुए क़हा- अरे क्या हुआ, शर्माओ मत … सब चलता है यार. अभी तुम जवान हो रही हो, तो कोई बात नहीं है. ये सब नॉर्मल है और सब चलता है. मैंने तो बस इसी लिए पूछा था, लेकिन तुमने बताया ही नहीं.

लवी सिर नीचे करके और हकलाती हुई बोली- सारी भैया, वो मुझे लगा कि आपको नहीं पता है.
मैं थोड़ा हवाबाजी करते हुए आगे बोला- अरे यार, मैंने तुमको एक बार ही नहीं और भी कई बार देखा है.

लवी एकदम से शर्माने लगी.
मैं- एक बात बताओ?
लवी- हां भैया.
मैं- ये कब से चल रहा है?
लवी- आपके यहां रहने से पहले से ही.

मैं जब बुआ जी के मकान में रहने आया, तो उससे एक साल पहले से ही संतोष मकान में रह रहा था.

मैं- तो ये बताओ कि शुरू कैसे हुआ?
लवी शर्माती हुई कहने लगी- क्या भैया आप भी, शर्म नहीं लगती आपको ऐसे पूछते हुए?

मैं खुले शब्दों में बोला- शर्म किस चीज की यार, मैंने तो सब कुछ देखा है, तो पूछने में क्या दिक्कत है?
लवी लजा गयी.

मैं- अब सब बताओ ना प्लीज़.
लवी- पिछले साल एक मम्मी मार्केट गयी हुई थीं, तभी संतोष स्कूल से आया था और मैं बाथरूम में नहा रही थी. तब मकान में कोई नहीं था, तो संतोष गेट बन्द करके बाथरूम में आ गया था और बस फिर हो गया.

मैं- ऐसे ही जबरदस्ती या कुछ था?
लवी- संतोष से थोड़ी बहुत नजरें पहले मिल जाती थीं, तो इसी लिए … उस दिन वो बाथरूम में ही आ गया और मैं मना नहीं कर पायी.

मैं- तो बाथरूम खुला था क्या?
लवी- हां खुला था, लेकिन मुझे ये नहीं पता था कि उस दिन ऐसा हो जाएगा.

मैं- बाथरूम में ही कर लिया क्या?
लवी अब नॉर्मल होकर बात कर रही थी.

वो- नहीं मैंने कपड़े निकाले हुए थे और नहाने में व्यस्त थी. ये कच्छे में अन्दर आ गया और मुझे पकड़कर किस करने लगा, मेरी मालिश सी करने लगा और मुझसे चिपट गया था.
ये कह कर लवी चुप हो गई.

मैंने कहा- पूरी कहानी सुनाओ.
वो कहने लगी- मैंने उसको जब तक मना किया, तब तक उसने अपना कच्छा निकालकर अपना पेनिस बाहर निकाल लिया और मुझे बाथरूम से खींचकर आंगन में ले आ आया था. उसने मुझे आंगन में लिटा दिया था और उसने मेरे साथ सेक्स किया.

मैं- दर्द हुआ था या नहीं?
लवी- हां हुआ था, लेकिन जितना मेरी सहेलियां बताती थीं, उतना नहीं हुआ था.

मैं- उस दिन कितनी बार किया था?
लवी- उस दिन उसने दो बार किया था, वहीं आंगन में लिटाकर.

मैं- अब तक कितनी बार हुआ है?
लवी- अब तक 13 बार हुआ है.

मैं- अरे वाह, तुम तो गिन कर भी रखती हो. अब मजा आता है या नहीं?
मैंने इठलाते हुए पूछा.

लवी शर्मा गयी.

मैं- अरे यार शर्माओ मत, बताओ न.
लवी ने हामी भरते हुए सिर हिला दिया.

मैं- अच्छी बात है, मजे लो. जिन्दगी में लेना भी चाहिए.

लवी- भैया आपकी भी तो गर्लफ्रेंड होगी, आप भी तो करते होंगे?
मैं- हां बिल्कुल, लेकिन अभी कोई नहीं है.

लवी ने एकदम से बात रोकते हुए कहा- भैया एक बात बताऊं, मैं आपको …
मैं- हां बोलो.

लवी- एक दिन मैं नल पर मुँह धो रही थी, तभी … मैंने कुछ देखा था.
मैं समझ गया कि वो क्या बताना चाहती है, लेकिन मैं अंजान बनते हुए उसे देखने लगा.

मैं- क्या देखा था … बताओ?
लवी इठलाती हुई- उस दिन आप नहाकर आए थे और तौलिया पहनकर आए थे. चारपाई पर बैठ कर मुझसे बात कर रहे थे, तब आपने तौलिये के नीचे कुछ नहीं पहना हुआ था और मुझे आपका वो दिख गया था.

मैं अंजान बनते हुए- तो तुमने देख लिया … फिर तो बताओ कैसा लगा?
लवी- मैंने थोड़े ही देखा, वो तो दिख ही रहा था.

मैं- तो बताओ कैसा लगा?
लवी शर्माती हुई- इतना थोड़े ही देखा.

मैं- तो कितना देखा?
लवी- बस एक बार जरा सा.

मैं- हम्म … कितना बड़ा था?
लवी फिर से शर्मा गयी.

मैं- अरे बताओ न … कितना था संतोष वाला बड़ा था या मेरे वाला?
लवी- मैंने सही से नहीं देखा लेकिन शायद आपका.

वो शर्माती हुई मेरी तरफ देखने लगी.
मुझे यही मौका सही लगा और मैंने तुरंत मौके का फायदा उठाना चाहा.

मैं- कोई बात नहीं, उस दिन सही से नहीं देखा, तो आज देख लो.

ये कहते हुए मैंने उसके हाथ को पकड़ कर अपने निक्कर के ऊपर रख दिया और उसे अपने लंड का अहसास कराने लगा.

लवी कुछ नहीं बोल पायी और शर्माती हुई अपना हाथ हटाने लगी.
लेकिन मैंने उसका हाथ अपने हाथ से पकड़ रखा था तो वो हाथ हटा नहीं पायी.

मैं अपने खड़े लंड का निक्कर के ऊपर से ही अहसास कराने लगा.
फिर निक्कर को नीचे करते हुए लंड उसके हाथ में पकड़ा दिया.

लवी बिल्कुल शर्माती हुई लंड पकड़े थी.
मैंने उससे कहा- शर्माओ मत, मैंने सब देखा है कि तुम कैसे पकड़ती हो, मेरे लंड को भी वैसे ही पकड़ो.
वो हंसने लगी.

मैं- अब तो सही से देख लिया न?
वो हां में सर हिलाने लगी.

मैं- अब किसका बड़ा है, बताओ?
लवी- आपका तो बहुत बड़ा है.

मैं- एक बार मालिश कर दो.
वो मेरे लंड को ऊपर नीचे करके मसलने लगी और एक मिनट बाद उसने हाथ हटा लिया.

मैं- क्या हुआ, हाथ क्यों हटा लिया?
लवी- भैया, मुझे शर्म आ रही है.

मैं- एक बात बोलूँ?
लवी- हां भैया.

मैं- तुमने तो मेरा देख लिया, अब एक बार तुम भी दिखा दो.
लवी- नहीं भैया, मुझे शर्म लगती है … और वैसे भी आपने संतोष जब कर रहा था, तब सब देख लिया था.

मैं- उस समय सही से नहीं देख पाया था, अभी दिखा दो.
लवी- नहीं भैया.
मैं- प्लीज.

मैं हाथ से उसकी कुर्ती हटाते हुए उससे कहने लगा.

लवी- नहीं भैया, मुझे शर्म आ रही है.
मैं- प्लीज.

मैं उसकी पजामी नीचे खींचने लगा तो उसने हल्के से अपनी कमर को ऊपर उठा दी जिससे उसकी पजामी मैंने नीचे कर दी.
पजामी नीचे आते ही उसकी चूत मेरी आंखों के सामने थी.

उसने नीचे चड्डी नहीं पहनी थी.
उसकी चूत एकदम गोरी थी और हल्के से भूरे रंग के बाल आ रहे थे.

दो मिनट तक मैं उसकी चूत देखता रहा, फिर मैं उसकी चूत सहलाने लगा.

पहले तो उसने मना किया, फिर मैं जब नहीं माना तो उसने विरोध करना बंद कर दिया.
मैं 5 मिनट तक उसकी चूत सहलाता रहा.

उसकी सांसें तेज हो गईं, तो मैंने उससे कुर्ती निकालने को कहा और उससे निप्पल दिखाने को कहा.

मैं- मुझे तुम्हारे निप्पल देखने हैं.
लवी- नहीं भैया.
मैं- प्लीज एक बार.

ये कहते हुए मैंने उसकी कुर्ती को ऊपर कर दिया और उसके निप्पल देखते ही एकदम से उन पर टूट पड़ा.

वो लगभग गोल्फ वाली गेंद से बड़े और क्रिकेट की गेंद से छोटे थे, लेकिन गेंद की तरह बिल्कुल गोल और सख्त थे.
उसके मस्त चीकू देखते ही मैंने एक निप्पल को मुँह में ले लिया और चूसने लगा. अपने हाथ से उसकी बुर सहलाने लगा.

पहले तो उसने थोड़ा विरोध किया, फिर वो मस्त होकर सिसकारियां लेने लगी.

ऐसे करते हुए मेरा लंड बिल्कुल फटा जा रहा था. मेरा मन उसकी चुदाई का हो गया था.

मैंने धीरे से उससे कहा- लवी एक बार अन्दर डाल लूँ?
लवी- नहीं भैया, आपका बहुत बड़ा है.
वो देसी गर्ल ये कहते हुए मना करने लगी.

तभी मैं समझ गया कि मन तो इसका भी हो रहा है, बस साइज देखकर डर रही है.
क्योंकि संतोष उसी की उम्र का था तो उसका साइज भी बढ़ रहा था लेकिन उतना बढ़ा नहीं था.

मैं- कुछ नहीं होगा, बस आराम से करेंगे. अगर दर्द होगा तो निकाल लेंगे.
लवी- नहीं भैया, अगर कुछ हो गया तो?
मैं- कुछ नहीं होगा, मैं हूँ ना!

वो डर रही थी.
मैं- बस ऊपर ऊपर ही करूँगा.

ये कहते हुए मैंने लवी को लिटा दिया और उसके पैर चौड़े करने लगा.
लवी ने हल्का सा विरोध करते हुए पैर खोल दिए.

लवी- भैया, बस ऊपर ही करना.
मैं- ठीक है.

मैंने धीरे धीरे लंड उसकी बिना बालों वाली चूत में डालना शुरू किया.

लंड थोड़ा अन्दर जाते ही लवी मना करने लगी- आंह भैया … दर्द हो रहा है.
मैं- ज्यादा हो रहा है या सहन कर सकती हो?

लवी- हो रहा है, लेकिन भैया इतना ही रहने दो.
उसका मतलब था कि इतने लंड से ही चुदाई कर लो.

मैंने कहा- ठीक है.
फिर धीरे धीरे मैं लवी की चुदाई करने लगा और जैसे जैसे वो उत्तेजित होती गयी, वैसे वैसे लंड को उसकी चूत के अन्दर पेलता गया.

करीब दो मिनट में मैंने पूरा लंड लवी की चूत में अन्दर तक पेल दिया था.
उसी के साथ मैंने चुदाई की स्पीड बढ़ा दी.

कमरे में तेजी से चुदाई की आवाज आ रही थी और लवी की सिसकारियां लगातार निकलने लगीं.

मैंने लवी के निप्पल चूसते हुए उसके दोनों हाथ ऊपर कर दिए और उसकी कुर्ती को निकाल कर उसे पूरी नंगी कर दिया.
अब मैं फुल स्पीड में उसकी चुदाई करने लगा.

मैं- लवी मजा आ रहा है?
लवी कुछ नहीं बोली वो बस आंखें बंद करके कामुक आवाजें भरती हुई चुदाई का मजा ले रही थी.

कुछ मिनट बाद उसकी पूरी तेजी से चुदाई करते हुए मैं कहने लगा- लवी, तुम और तुम्हारी बुर दोनों ही बहुत मजेदार हैं. आज मैं तुमको जी भरके चोदूँगा.

लवी ने अब मुझे पूरी तरह से पकड़ लिया था और शायद चरम पर पहुंच कर सिसकारियां ले रही थी.
उसका होने वाला था- आह्ह आह्ह् भैया … आआहह भैया मैं गई.
बस एक लंबी आआह के साथ ही वो मुझे कसकर पकड़कर झड़ने लगी और उसके झड़ने के साथ ही मेरी भी स्पीड दोगुनी हो गयी.

अगले एक मिनट बाद मैं भी उसकी चूत में पानी छोड़ने लगा. मैंने लवी की पूरी चूत को मेरे लंड ने पानी से भर दिया और उसके ऊपर ही लेट गया.

अब लवी दोबारा शर्माने लगी.
वो मुझसे आंखें नहीं मिला पा रही थी.

मैंने अपना लंड उसकी चूत से बाहर नहीं निकाला और उसको दुबारा किस करना शुरू कर दिया.
मैं उसके निप्पल चूसने लगा.

उसने भी मेरे सिर को सहलाना शुरू कर दिया तो उसकी चूत में पड़ा मेरा लंड दोबारा तैयार हो गया.

मैंने दुबारा धक्के लगाना शुरू कर दिया.
हम दोनों एक दूसरे को किस करने लगे.
मैं उसके मम्मों की मालिश और चुसाई लगातार कर रहा था और लवी की चूत में मेरा लंड पूरी स्पीड से चोदन करने लगा था.

कमरे में दोबारा मादक आवाजें गूँजने लगीं.

बाहर हो रही बारिश से हमारी मस्ती कुछ ज्यादा ही बढ़ने लगी थी.
हमारे मुँह से तेज आवाजें किसी को बाहर सुनने का डर भी नहीं रह गया था.
हमारी चुदाई की मस्त आवाजों से पूरा कमरा गूंज रहा था.

करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद लवी का शरीर अकड़ने लगा और मुझे तेजी से पकड़ते हुए झड़ने लगी.
जल्द ही वो ढीली पड़ गयी.
उसको झड़ते देख मेरी स्पीड और बढ़ गयी और अगले एक मिनट में मैंने भी उसकी चूत में पानी छोड़ दिया.

मैं उसके ऊपर ही लेट गया.
फिर दो मिनट बाद उसको किस करते हुए मैं उसके बगल में लेट गया और बात करने लगा.

मैं- मजा आया?
लवी नहीं बोली, वो शर्मा रही थी.

मैंने दोबारा पूछा- मजा आया?
इस बार उसने हां में सिर हिलाया.

मैं- संतोष की चुदाई में ज्यादा मजा आया या आज?
लवी- आज.

मैं- कैसे?
लवी- उसने आपकी तरह कभी नहीं किया. आपने बहुत देर तक किया और अच्छे से किया. वो जल्दी जल्दी करता है.
मैं- अब मैं आज पूरी रात ऐसे ही तुमको चोदूँगा.

वो मेरे सीने से लिपट गई.
फिर हमने दुबारा रोमांस शुरू कर दिया.

इस तरह से उस रात पूरी रात बारिश हुई थी और हमने पूरी रात चुदाई की.
उस रात मैंने लवी की कई बार चोदा, उसे हर आसन में चोदा, घोड़ी बनाकर पेला, लंड की सवारी का मजा दिया.

इत्तफाक से अगले तीन दिन ना तो बारिश रुकी और ना ही कोई मकान पर आया, जिससे मैंने लवी को उन तीन दिनों में करीब 20 बार चोदा.
लवी की मैंने डेढ़ साल जमकर चुदाई की.

फिर वहां से मैं बरेली चला आया और उसकी चुदाई छूट गयी.

डेढ़ साल में देसी गर्ल की Xxx चुदाई की. लवी खुद तो जमकर चुदी और उसने शिज़ा, उसकी सहेली की चुदाई भी करवाई.
मैंने उसको भी जमकर चोदा.

जब मैंने शिज़ा को चोदा तो शिज़ा बिल्कुल कुंवारी थी. उसकी सील मैंने कैसे तोड़ी, ये मैं आपको बाद में बताऊंगा.

दोस्तो, मेरी देसी गर्ल Xxx चुदाई कहानी कैसी लगी, आप मुझे मेरी ईमेल आईडी पर जरूर बताएं.
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