देसी लड़की बस फक कहानी में मैंने रात के सफ़र में एक अनजान लड़की की चूत मारी. हम दोनों सबसे पीछे की सीट पर थे और भीड़ के कारण एक दूसरे से जुड़ कर बैठे हुए थे.
नमस्कार दोस्तो,
मेरा नाम सचिन है। मेरे शरीर की लम्बाई लगभग 5’4″ इंच है और मेरे उस अंग की लम्बाई लगभग 6 इंच है।
मैं यू पी जिले के बरेली शहर का रहने वाला हूँ।
अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली कहानी है.
यह देसी लड़की बस फक कहानी मेरे जीवन में घटित सच्ची घटना है जो मेरे साथ हाल ही में हुई है।
जब मैं अपना पेपर देने लखनऊ जा रहा था।
बस में मेरी एक लड़की से मुलाकात हुई जिसका नाम चंचल था.
वह भी बरेली से लखनऊ जा रही थी.
देखने में वह एक गांव की लग रही थी जो अपनी बहन के संग ही जा रही थी।
बाद में पता लगा कि वह लड़की पीलीभीत के किसी गांव की रहने वाली थी।
उसकी उम्र लगभग 19 साल की रही होगी।
देखने में वह सावली रंग की थी और फिगर भी उसका पतला-दुबला था।
जिस दिन मैं लखनऊ जा रहा था, उस दिन तो उससे मेरी कोई बात नहीं हुई क्योंकि वह एक सीट आगे बैठी थी.
लगभग 4 बजे जब बस बस-स्टेंड पर पहुंची, तबी उससे मेरी थोड़ी बहुत बात हुई.
तब उसने मुझे बताया कि वह अपनी बहन के संग यहाँ कुछ काम से आई है।
उसी समय उसने मेरा नम्बर लिया क्योंकि वे दोनों पहली बार इतनी दूर आयी थी और कोई उनके साथ भी नहीं था.
तब उस लड़की ने मुझ से आग्रह किया- आप जब बरेली वापिस जाएंगे तो हम दोनों भी साथ चलेंगी!
मैंने भी हामी भर दी.
तब तक मेरे मन में ऐसा कोई विचार नहीं आया था.
मेरा पेपर खत्म होने के बाद मैंने उन्हें फोन किया.
तो वे दोनों लगभग 2:30 पर बस स्टेंड आ गयी.
तब हमने बस पकड़ी और बस में अच्छी सीट न मिलने की वजह से हमें सबसे पीछे वाली सीट पर बैठना पड़ा।
उसने बस की पीछे की कोने वाली सीट पकड़ी और मैं उसकी बगल वाली सीट पर बैठ गया।
जब बस चली तो मुझे थकान की वजह से नींद आ गयी और उसे भी!
बस यहीं से मेरा मन बदल गया क्योकि नींद की वजह से मेरा एक हाथ उसकी जांघ पर रखा गया और मेरे मन में उसके प्रति वासना जाग गयी।
बस में भीड़ होने के कारण जिस सीट हम दोनों बैठे थे, उस सीट पर हम दोनों ऐसे बैठे थे कि मन में सेक्स होने को ना हो तो भी हो जाए.
क्योंकि भीड़ ही इतनी थी।
फिर मैंने उसकी जांघ को धीरे धीरे सहलाना शुरू किया.
उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.
इससे मेरी हिम्मत और बढ़ गयी।
उसके मन में भी कुछ होने लगा था.
रात भी हो गयी थी और बस की लाइटें भी बन्द हो गयी थी.
फिर मैंने उसकी जांघ को सहलाते हुए अपने हाथ को उसकी चूत की तरफ बढ़ाया.
लेकिन उसने मेरा हाथ हटा दिया और कहने लगी- यहाँ आस-पास काफी लोग बैठे हैं। किसी से देख लिया तो दोनों ही पकड़े जायेंगे. और अगर मेरी बहन को पता लग गयी तो वह घर पर कह देगी और मेरी मार पड़ेगी।
मैंने उसे समझाया कि पता तो तब लगेगी जब कोई देखेगा.
फिर मैंने उसका डर खत्म करने के लिए अपने बैग में से चादर निकाली और अपने और उसके ऊपर डाल दी।
अब मैंने उससे कहा- अब डर खत्म हो गया हो तो आगे कुछ कर लें?
उसने कुछ कहा नहीं और सर नीचे झुका लिया और इशारा दिया।
मैं समझ गया कि काम बन गया.
और मैंने झट से उसकी चूत पर हाथ रख दिया।
चूत पर हाथ रखते ही वह सिहर उठी और उसने मेरे हाथ को कस के पकड़ लिया।
लेकिन फिर मैं कहाँ मानने वाला था।
मैंने एक उगंली धीरे से उसकी चूत के अंदर सरका दी.
उसने तुरन्त ही अपनी आँखें बन्द कर ली और चुपचाप बैठी रही।
मैं अपनी उगंली को उसकी चूत की दीवारों पर सहलाता रहा।
फिर उसने अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया और सहलाने लगी।
उसके हाथ के स्पर्श मात्र से ही मेरा लंड खड़ा हो गया।
उसने तुरंत मेरी पेन्ट की चेन खोली और मेरे लंड को बाहर निकाल लिया और अपने कोमल हाथ से लंड सहलाने लगी।
अब मुझे भी आनन्द आने लगा था.
दोनों ही एक दूसरे में खो गये थे, जैसे हमें पता ही नहीं था कि हम बस में बैठे हैं.
फिर जब बस किसी पेसेंजर को उतरना था तो बस वाले ने लाइट खोली।
हम दोनों उतनी देर के लिए आराम से बैठ गए।
फिर जैसे ही बस चलना चालू हुई तो हम दोनों फिर आपस में चालू हो गए।
बस आधे रास्ते तक पहुँच चुकी थी।
तो बस में ज्यादा सवारी भी नहीं थी, ज्यादातर सीटें अब खाली थी।
तब फिर मैंने उससे कहा- पजामी को उतारो!
और उसने अपनी पजामी को आधा उतार दिया।
क्योंकि बस में ज्यादा लोग थे नहीं … और जो थे भी, वे आगे बैठे थे।
उसकी बहन भी आगे बैठी सो चुकी थी।
फिर मैंने भी अपनी पैन्ट को आधा उतार दिया और उसको अपने ऊपर बैठने को कहा.
पहले तो उसने मना किया.
तो मैंने एक उंगली उसकी चूत में डाल दी और तेजी से अन्दर बाहर करने लगा।
इससे वह एकदम गर्म हो गयी और अपना सारा लावा मेरी उगंली पर ही निकाल दिया।
एक बार फिर मैंने उससे अपने ऊपर बैठने का आग्रह किया।
इस बार उसने मना नहीं किया और बिलकुल शांत चुप होकर मेरे ऊपर बैठ गयी।
अंधेरा होने के कारण कोई देख भी नहीं पा रहा था.
अभी तक मैंने उसकी चूत के अन्दर अपना लंड नहीं डाला था.
फिर मैंने उससे थोड़ा उठने को कहा जिससे मैं उसकी चूत में अपना लंड सरका सकूं।
जैसे ही वह उठी, मैंने अपना लंड उसकी चूत पर लगाया और उसको झटके के साथ बैठाया.
वह एकदम चिल्लाने जा ही रही थी कि मैंने अपने हाथ से उसके मुँह को दबा दिया जिससे उसकी आवाज वहीं दब गयी।
मेरा पूरा लंड उसकी चूत को फाड़ते हुए उसकी चूत की गहराई में चला गया।
और फिर मैंने अपने लंड को धीरे धीरे अन्दर बाहर करना चालू किया।
इस चूत और लंड की लड़ाई में चूत को हारना पड़ा और मैं आराम से बैठे-बैठे उसकी चूत को चोदे जा रहा था।
बस जब जब गड्ढों पर से गुजरती, तब तब बस के धक्कों से लंड एकदम से बच्चेदानी की दीवार पर टकराता तो वह दर्द भरी हल्की आवाज निकालने लगती।
अब तक वह दो बार झड़ चुकी थी, मेरा अभी भी हुआ नहीं था।
इस बीच में मैं कभी कभी उसके बूब्स को भी दबा देता जिससे उसको बड़ा आनन्द आता।
करीब 20 मिनट तक उसे चोदने के बाद मैंने उससे बोला- मेरा होने वाला है।
तो उसने कहा- जल्दी बाहर निकालो।
मैंने उससे थोड़ा उठने को बोला.
वह जैसे ही थोड़ा उठी, मैंने तेजी से चूत में झटके लगाना चालू कर दिये।
और जैसे ही मेरा निकलने को आया, मैंने उसको एक तरफ हटा दिया और अपना सारा माल सीट के नीचे गिरा दिया.
इस बस फक के बाद हम दोनों ने अपने कपड़े ठीक किये।
अब तक हम दोनों थक चुके थे.
तो पता ही नहीं कि कब नीद आ गयी और हमारा स्टॉप आ गया।
फिर हम दोनों अपने अपने घर को निकल गये।
दोस्तो, आपको यह देसी लड़की बस फक कहानी कैसी लगी?
आप मुझे कमेंट में लिखकर बताइयेगा।
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