पड़ोसन Xxx लव स्टोरी में मेरी पड़ोसन मुझसे इतना आगे पीछे से चुदी कि दर्द के मारे उसका बुआ हाल था. फिर भी वह अगली रात मेरे पास आ गयी और हमें बड़े प्यार से सेक्स का मजा लिया.
दोस्तो, कहानी के दूसरे भाग
पत्नी की सहेली से जबरदस्त प्यार
में अपने पढ़ा कि मेरी बीवी की सहेली और पड़ोस में रहने वाली निधि की मैंने कल उसकी गांड मारी थी, पर वह आज फिर से मुझसे चुदने आ गई थी.
हम दोनों ने वोदका का मजा लिया और एक दूसरे पर टूट पड़े.
अब आगे पड़ोसन Xxx लव स्टोरी:
मैंने निधि का ब्लाउज उतार दिया.
उसने उसके नीचे ब्रा नहीं पहन रखी थी.
उसके भरे उरोजों को देख कर मेरा मन डोल गया और मैं उन्हें होंठों में लेकर चूसने लगा.
इतना मुँह में लिया कि निधि की चीख निकलने लगी.
वह बोली- तुम्हारे ही आम हैं राजा, आराम से चूसो, मैं कहीं भागी नहीं जा रही हूँ.
उसकी बात सुन कर मेरी उत्तेजना पर कुछ देर के लिए रोक लगी लेकिन फिर मेरे होंठ उसके दोनों निप्पलों को बारी बारी से चूसने लगे.
जब उनसे मन भर गया तो उसकी नाभि को थूक से गीला करके पेटीकोट को नीचे खिसकाने की कोशिश की.
लेकिन नाड़ा बंधा होने से ऐसा नहीं हो सका.
हाथ से पेटीकोट का नाड़ा खोल कर उसे नीचे कर दिया.
पेटीकोट के अन्दर भी उसने कुछ नहीं पहना था.
नंगी चूत देख कर मेरी उत्तेजना और बढ़ गयी.
फिर ध्यान आया कि उसकी गांड देखने के समय पैंटी न होने पर ध्यान ही न दिया था.
मेरे होंठ उसकी भग को मुँह में लेकर चूसने लगे.
निधि के हाथों ने मेरे पैरों को अपने ऊपर कर दिए और उसने मेरे लंड को मुँह में लेकर लॉलीपॉप की तरह चूसना शुरू कर दिया.
धीरे-धीरे पूरा लंड उसके मुँह में समा गया.
मेरा सारा शरीर आनन्द की वजह से हिल रहा था.
निधि को पता था कि अगर मैं डिस्चार्ज हो गया तो अगला दौर लम्बा चलेगा.
यही वह चाहती थी.
मैंने उसकी मंशा समझ कर उसकी चूत में उंगली अन्दर बाहर करनी शुरू कर दी.
कुछ देर बाद मुझे उसका जी-स्पाट मिल गया.
अब मैं अपनी उंगली से उसे सहला रहा था, इससे निधि को मजा आ रहा था.
हम दोनों ऐसे सफर पर थे, जहां दोनों को मजा आ रहा था.
कुछ देर बाद निधि के पांव मेरी गर्दन पर कस गए.
इसका यह अर्थ था कि वह डिस्चार्ज हो गयी थी.
कुछ देर बाद मेरे लंड ने भी निधि के मुख में वीर्य उगल दिया.
निधि ने पूरा वीर्य पी लिया और लंड को चूस कर साफ कर दिया.
अब हम दोनों शान्त हो गए और एक-दूसरे की बगल में लेट गए.
शराब की वजह से हमारे शरीर जल से रहे थे.
कुछ ज्यादा ही ताकत लग रही थी.
कुछ 15-20 मिनट बाद जब दुबारा जोश आया तो निधि बोली- आज मैं तुम्हारे ऊपर आती हूं. मैं ही सब करूंगी.
मैंने बांहें फैला दीं.
वह मेरे ऊपर लेट गई.
कुछ देर तो वह मेरे ऊपर लेट कर अपना शरीर मेरे शरीर से रगड़ती हुई दोनों को उत्तेजित करती रही.
फिर जब मेरा लंड तन गया तो उसे हाथ से पकड़ कर चूत के मुँह पर रख कर कूल्हों को हल्का सा धक्का दे दिया.
उसकी चिकनी चूत में लंड अन्दर चला गया.
इसके बाद दूसरे प्रहार में पूरा लंड उसकी चूत में समा गया.
अब वह धीरे-धीरे अपने कूल्हों को ऊपर-नीचे करके और हिला हिला कर लंड को अन्दर बाहर कर रही थी.
उसके उरोज इस काम में हिलने चाहिए थे लेकिन वह छोटे साइज और कसे होने के कारण ऐसा नहीं कर पा रहे थे.
मैंने उन्हें सहलाया और निधि से पूछा कि ये छोटे क्यों हैं?
तो वह बोली कि पता नहीं, कहते हैं कि शादी के बाद तो साइज बढ़ जाता है लेकिन यह नहीं बढ़े हैं. शायद बच्चे के जन्म के समय ही कुछ हो.
मैं उनकी घुन्डियों को दो उंगलियों के बीच लेकर मसलने लगा.
वह बोली- कुछ तो दया करो. कभी पीछे कभी आगे कभी नीचे कभी ऊपर!
मैंने कहा- मजा जहां आएगा, वहां किया जाएगा.
वह बोली- चलो ऐसे ही सही.
यह कह कर वह ऊपर से उतर गयी और मुझको पलट कर मेरी गांड में उंगली डालने की कोशिश करने लगी.
मैंने कहा- आराम से करो, मुझे भी अच्छा लग रहा है.
यह सुन कर उसने पूरी उंगली गांड में उतार दी.
मैं भी कभी कभी उत्तेजनावश अपनी उंगली गांड में डाल लिया करता था.
वह कुछ देर तक ऐसा करनी रही, फिर उसने अपना पूरा अंगूठा भी मेरी गांड में उतार दिया.
मैं भी इसका मजा लेने लगा.
इसी कारण से मेरा लंड और कठोर हो गया था.
अब मैंने निधि को पीठ के बल लिटाया और उसके दोनों पांव अपने कंधों पर रख लिए.
उसकी चूत कस गयी और गांड दिखने लगी.
मैंने बिना कुछ लगाए अपने लंड को उसकी गांड में डालने का प्रयत्न किया.
पहले तो लंड फिसल गया लेकिन दूसरी बार लंड गांड में घुस गया.
निधि चिल्लाने लगी- आह निकालो, उधर नहीं … मेरी गांड फट जाएगी … अभी तो कल का दर्द ही कम नहीं हुआ है.
लेकिन मैं शराब के नशे में होने के कारण कुछ सुन नहीं रहा था.
तीसरी बार में मैंने पूरा लंड उसकी गांड में घुसेड़ दिया.
निधि दर्द की वजह से अंट-शंट बक रही थी लेकिन मैं उसे छोड़ने के मूड में नहीं था. सो उसके कूल्हों को और ऊपर उठा कर उसकी गांड मारने लगा.
कुछ देर बाद उसकी आवाज ‘आहह हह आह’ में बदल गयी.
मुझे पता नहीं कि मैंने कब तक उसकी गांड मारी क्योंकि दूसरी बार में तो ज्यादा समय लगना ही था.
कब मैंने गांड में से लंड निकाला और उसकी चूत में डाल दिया.
उसके पैर मेरे कंधों पर होने के कारण निधि दर्द से कराह रही थी लेकिन मैं किसी तरह की रियायत करने के मूड में नहीं था.
फिर जब मैं थक गया तो उसके पांव नीचे कर दिए और उसकी बगल में लेट कर उसकी चूत में पीछे से लंड घुसेड़ दिया.
मेरे दोनों हाथ उसके उरोजों को मसल रहे थे.
इसके बाद मेरे हाथ उसकी कमर से होते हुए नीचे की तरफ चले गए.
अब उसकी चूत के अन्दर मेरी दो उंगलियां कहर मचा रही थीं.
निधि की आहें मुझे और उत्तेजित कर रही थीं और मैं अपने लंड का प्रहार उसकी चूत पर पूरे जोर से कर रहा था.
मुझे नहीं पता चला कि कब मैं स्खलित हुआ.
सुबह छुट्टी थी, इसलिए चिन्ता नहीं थी लेकिन निधि को तो जाना ही था.
सुबह अंधेरे मेरी आंख खुली तो देखा कि निधि मेरे ऊपर पांव रख कर सो रही थी.
उसका सारा शरीर सना हुआ था.
हम दोनों का बिस्तर भी पानी के दागों से भरा हुआ था.
मैंने निधि को हिलाया तो वह कुनमुनी सी होकर बोली- सोने दो न!
तब मैंने उसे जोर से झकझोरा तो वह उठ कर बैठ गयी.
मुझे देख कर बोली- रात को तो तुमने मेरी जान ही निकाल दी थी. शरीर का कोई हिस्सा नहीं है, जिसे ना मसला हो … क्या हो गया था?
मुझे कुछ याद नहीं आ रहा था.
मैंने कहा- कुछ याद नहीं है, शायद कल रात ज्यादा शराब पी ली थी, इसी लिए मैं नशे में था.
वह बोली- मेरी गांड तो फाड़ ही दी है, आगे भी बुरा हाल है. आज यह आ जाएंगे, तो मैं क्या करूंगी?
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था. इसलिए मैं चुप था.
वह ही वापस से बोली- अब मुझे घर छोड़ कर आओ.
उसकी बात सुन कर मैं जैसे नींद से जागा और कपड़े पहनने लगा.
वह भी कपड़े पहनने लगी.
बाहर अभी भी अंधेरा था.
मैं बड़े ध्यान से ताक-झांक करता हुआ उसे उसके घर छोड़ आया.
घर आकर मैंने अपने पर ध्यान दिया तो देखा कि रात को हम दोनों ने न जाने कितनी बार संभोग किया था.
इस कारण से सारा बिस्तर दाग से भर गया था.
मेरे शरीर में सूखे हुए रज और वीर्य से चिपक चिपक सा हो रहा था.
मैंने सबसे पहले चद्दर उतार कर पानी में डाली.
उसके बाद गीली तौलिया लेकर शरीर साफ किया.
फिर चाय बना कर पी.
चाय से आराम सा लगा लेकिन शराब का हैगओवर भी था.
मैं इतनी शराब तो आराम में पी लेता था लेकिन कल क्या हुआ, मुझे समझ नहीं आ रहा था.
एक ही बात समझ आ रही थी कि कल की रात के अनुभव के बाद निधि दुबारा मेरे पास नहीं आएगी.
एक तरह से मैं यही चाहता था लेकिन उसके साथ मुझे इतना शारीरिक सुख मिला था … जो पत्नी के साथ नहीं मिल पाया था … इस बात का दुख भी था.
अब कुछ हो नहीं सकता था.
यही सोच कर जब मैं बिस्तर पर लेटा तो ना जाने कब आंख लग गयी.
फोन की घंटी से आंख खुली तो देखा कि दिन के 11 बज रहे थे.
पत्नी का फोन था, वह बोली- आज क्या बात है, फोन ही नहीं उठा रहे थे.
मैंने कहा- नींद आ रही थी इसलिए दुबारा सो गया था.
वह बोली- कोई बात नहीं है, आज तो तुम्हारी छुट्टी है … जब तक मर्जी हो, तब तक सोओ.
मैंने उससे पूछा- तुम कब आओगी?
वह हंस कर बोली- मेरे बिना तुम्हारा काम नहीं चलता क्या?
मैंने कहा- हां, तुम्हारे बिना मन नहीं लग रहा है.
वह बोली- एक-दो दिन में आती हूँ.
यह कह कर फोन कट गया.
मैंने उठ कर नाश्ता बनाया और किया.
मन तो हुआ कि निधि को फोन करूं … लेकिन हिम्मत नहीं हुई.
नाश्ते के बाद कामों में लग गया.
शाम को दो मुझे आशा नहीं थी कि निधि खाना लेकर आएगी.
लेकिन वह समय पर खाना लेकर हाजिर थी.
उसे देख कर मुझे बहुत शर्म आ रही थी.
मैंने उसे सॉरी बोला और कहा- कल रात को जो भी हुआ हो, मैं उसके लिए तुमसे माफी मांगता हूँ.
वह कुछ देर मुझे देखती रही, फिर बोली- इस पर कभी बाद में बात करेंगे. अभी तो मैं चलती हूँ.
यह कह कर वह चली गयी.
मैंने खाना खा लिया.
इसके बाद मैं टीवी देखने बैठ गया.
निधि की वजह से मन अशान्त था, समझ नहीं आ रहा था कि उसकी नाराजगी कैसे दूर करूं?
तभी दरवाजे की घंटी बजी, जाकर देखा तो निधि थी.
उसे अन्दर लेकर दरवाजा बंद कर दिया.
हम दोनों कुछ देर चुपचाप खड़े रहे.
फिर मैंने उसे बेड पर ले जाकर बिठाया और कमरे का दरवाजा बंद कर दिया.
उसके सामने उसके पैरों में बैठ कर मैंने उससे क्षमा मांगी और अपने कान पकड़े तथा वायदा किया कि अब कभी उसके साथ गुदा मैथुन नहीं करूंगा.
मेरा यह करना निधि को अच्छा लगा और वह मेरे बाल सहलाती हुई बोली- वैसे तो तुम इतने अच्छे बच्चे हो, लेकिन बिस्तर पर शैतान क्यों बन जाते हो?
मैंने जबाव दिया- मुझसे रुका नहीं जाता.
वह हंस पड़ी और बोली कि अब बताओ … क्या इरादा है?
मैंने उसके चेहरे को देखा, तो वहां शैतानी झलक रही थी.
तो मैंने कहा- जैसा मालकिन चाहेगी, गुलाम वैसा ही करेगा.
मेरी बात पर वह हंस कर दोहरी हो गयी और बोली- तुम तो पूरे नाटकबाज हो, तुम्हारा कुछ नहीं हो सकता. मैं तुम्हें छोड़ भी नहीं सकती और सजा भी नहीं दे सकती!
‘बताओ क्या करूं?’
‘प्यार करो.’
‘सच में?’
‘बदमाश से जो रुकता ही नहीं है.’
‘शराब का दोष था.’
‘अच्छा, शराब को पता था कि आगे से करना है या पीछे से करना है?’
‘वह मेरा दोष था.’
‘क्या सजा दूं?’
‘जो उचित समझो.’
‘मौका तो छोड़ नहीं सकती इसीलिए गुस्से में होने के बावजूद दुबारा आयी हूँ, बस कोई बदमाशी नहीं करना.’
‘कुछ करते ही नहीं हैं.’
‘मैंने यह तो नहीं कहा है.’
‘फिर समझाओ न कि क्या करना है और क्या नहीं करना है!’
‘जैसा सब करते हैं, वैसा करो.’
‘क्या सब करते हैं?’
‘ओहो जैसे तुम्हें ही पता नहीं है.’
‘क्या पता नहीं है?’
‘अब मत सताओ, नहीं तो चली जाऊंगी.’
‘जरा जाकर देखो!’
‘धमकी?’
‘नहीं, सच्चाई.’
मेरी बात पर निधि ने मुझे नीचे से उठा कर बिस्तर पर गिरा दिया और मेरे ऊपर लेट गयी. उसके बदन की सुगन्ध मेरे नथुनों में घुस रही थी.
उसके बदन की गर्मी मुझे गर्मा रही थी. उसके बदन के उतार चढ़ाव मुझे उकसा रहे थे.
मैंने उसके ऊपर अपनी बांहें कस दीं.
कुछ देर तक मैं ऐसे ही पड़ा रहा.
निधि भी चुपचाप पड़ी रही.
फिर वह बोली- क्या बात है?
मैंने कहा- मैं तुम्हें महसूस करना चाह रहा हूं, मुझे करने दो.
वह कुछ नहीं बोली.
कुछ देर बाद मेरे हाथ उसकी कमर से होते हुए कूल्हों से होकर नीचे तक गए और फिर ऊपर आकर उसके चेहरे को पकड़ कर मेरे होंठों ने उसके होंठों को ढक लिया.
वह इसी की प्रतीक्षा में थी. उसके होंठ मेरे होंठों से मानो चिपक गए थे.
बहुत समय तक हम दोनों होंठों का रस पीते रहे.
इसके बाद मैंने उसे खिसका कर अपने चेहरे पर कर लिया और उसके पेटीकोट को हटा कर उसकी चूत को चूमना चाहा तो देखा कि वहां पैंटी मौजूद थी.
मैंने उसी के ऊपर से चूत की गंध लेनी शुरू कर दी, उसकी जांघों को चूमना शुरू कर दिया.
मेरा चेहरा उसके पेटीकोट से ढका था.
काफी देर मैं ऐसा ही करता रहा.
फिर निधि की आवाज आयी- सिर्फ अपनी मत सोचो, मेरी भी सोचो.
उसकी बात सुन कर मैंने उसकी साड़ी खोल दी और पेटीकोट का नाड़ा भी खोल दिया.
इसके बाद पेटीकोट को उसकी कमर से ऊपर करके सिर के ऊपर से निकाल दिया.
अब निधि नीचे से पैंटी में थी.
मैंने उसकी पैंटी को उंगली से किनारे करके उसकी चूत में उंगली डाल कर अन्दर का जायजा लिया.
अन्दर पूरी तैयारी थी, चिकनाई थी.
इसके बाद मेरी जीभ चूत का मुआयना करने लगी.
उत्तेजना के कारण निधि अपने कूल्हे हिला कर उन्हें मेरे चेहरे पर टकरा रही थी.
मैंने दोनों हाथों से उसके कूल्हों को पकड़ कर चूत को चेहरे से चिपका रखा था.
वह ज्यादा हिल नहीं पा रही थी.
निधि को मजा तो आ रहा था लेकिन पैंटी की वजह से उसे परेशानी हो रही थी.
लेकिन मैं उसे उठने नहीं दे रहा था.
तभी मैंने एक हाथ पीछे से हटा कर निधि के उरोजों पर रख दिया.
मैं ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी छातियों को सहलाना चाहता था.
इससे अलग तरह की उत्तेजना मिलती है. यह मुझे पता था.
आज हम दोनों कपड़ों में ही संभोग करने वाले थे.
निधि को भी अच्छा लग रहा था इसलिए वह भी नानुकर नहीं कर रही थी.
तभी निधि बोली- मैं डिस्चार्ज होने वाली हूं.
मैंने कहा- होने दो.
तभी उसकी चूत मेरे मुँह से चिपक गयी.
उसमें से पानी निकल कर मेरे होंठों को गीला करने लगा.
मैं उसकी चूत से निकले रस से उसके कसैले स्वाद को चखता रहा.
निधि के कूल्हे हिल हिल कर अपनी उत्तेजना दिखा रहे थे.
अब मैंने दोनों हाथों से निधि के उरोजों को मसलना शुरू कर दिया था.
ब्लाउज ब्रा के ऊपर से उरोजों का मर्दन निधि को पसन्द आ रहा था.
फिर मेरा हाथ उसके ब्लाउज के अन्दर घुस गया और एक उरोज को पकड़ कर मसलना शुरू कर दिया.
इसमें निधि को दर्द हो रहा था, उसने कहा भी कि दर्द हो रहा है.
यह सुन कर मैंने हाथ निकाल लिया, हाथों से उसके ब्लाउज के हुकों को खोल दिया और ब्लाउज को कंधों पर सरका दिया.
अब काले रंग की ब्रा सामने थी.
इसके बाद हाथ निधि की पीठ पर ले जाकर ब्रा का हुक भी खोल दिया.
इसके बाद निधि ने ब्लाउज और ब्रा उतार दी.
निधि अभी तक मेरे चेहरे पर ही बैठी थी.
मैंने हाथ बढ़ा कर अपना बाक्सर नीचे किया और निधि को नीचे की तरफ खिसका कर उसकी चूत में अपना लंड डाल दिया.
लंड के किनारे से पैंटी का किनारा टकरा रहा था लेकिन मुझे इसमें भी मजा आ रहा था.
मैं नीचे से उछल उछल कर अपना लंड चूत में अन्दर बाहर कर रहा था.
कुछ देर तो निधि कुछ नहीं बोली, फिर बोली- तुम मेरी चीज को परेशान कर रहे हो!
मैंने कहा- वह मेरा है.
तो जबाव मिला कि अब मैं उसकी मालकिन हूँ. उसे दर्द हो रहा है, थोड़ा रुको.
यह कह कर वह मेरे ऊपर से उठ गयी.
उसने पहले अपनी पैंटी उतारी, फिर मेरा बाक्सन निकाला.
उसके बाद मेरी टी-शर्ट भी उतार दी.
अब हम दोनों मादरजात नंगे थे.
उसने कहा- अब मजा आएगा.
यह कह कर वह मेरे लंड के ऊपर बैठ गयी और पूरा लंड उसकी चूत में समा गया.
हम दोनों फिर से दौड़ दौड़ने में लग गए.
जब थक गए तो मैं उसके ऊपर आ गया. फिर तूफान आया और चला गया.
पड़ोसन Xxx लव के बाद दोनों एक दूसरे की बगल में हांफते हुए लेट गए.
जब सांसें सही हुईं तो निधि मेरी तरफ मुड़ कर बोली- आज मजा नहीं आया क्या?
मैंने कहा- मुझे बहुत मजा आया है.
वह बोली- तो कल क्या हुआ था?
मैंने उसे अपने से लिपटाया और कहा कि शराब और तुम्हारे नशे ने मुझे बेकाबू कर दिया था. मुझे सही में पता ही नहीं है कि मैंने क्या किया था. तुम कोई पहली बार तो मेरे साथ नहीं सोई हो?
वह चुप रही, फिर बोली- मुझे तो आज जैसा ही पसन्द है.
मैंने कहा- मुझे भी ऐसा ही पसन्द है.
निधि ने मेरे लंड पर हाथ लगाया तो देखा कि वह तना हुआ था.
उसने मुझसे कहा- तुम जरूर को दवाई खाते हो, नहीं तो संभोग के बाद लंड सिकुड़ कर छोटा हो जाता है. तुम्हारा तो फिर से तैयार है!
मैंने उसे बताया कि ऐसा मेरे साथ पहले से ही है. लगता है कि संभोग के दौरान लंड से तनाव पूरा नहीं जाता या नसों से रक्त वापस नहीं होता है. मैंने कोई दवाई नहीं खायी है, मुझे किसी दवाई के खाने की जरूरत भी नहीं है.
निधि को मैंने बताया कि अभी दुबारा संभोग किया तो मैं काफी समय तक डिस्चार्ज नहीं होऊंगा. उसकी चूत का बाजा बज जाएगा.
वह बोली- आज यह भी देख लेते हैं.
यह कह कर उसने मुझे अपने ऊपर घसीट लिया और मेरा लंड पकड़ कर चूत में डाल लिया.
लंड चूत में चला गया.
मुझे पता था कि वह पूरे तनाव में नहीं है लेकिन निधि को समझाना मुश्किल काम था तो मैं संभोग में लग गया.
संभोग के दौरान लंड की उत्तेजना बढ़ गयी और हम दोनों एक लम्बे सफर पर चल पड़े.
उसी दौरान मैंने निधि से एक सवाल पूछा- क्या मेरी पत्नी को यह मालूम है कि मैं तुम्हारे साथ सेक्स करता हूँ.
इस पर पहले तो वह मेरी तरफ देखने लगी … पर अगले ही पल वह सिर्फ हंस दी और चुप हो गई.
मैं कुछ नहीं बोला बस उसे दुगुनी रफ्तार से चोदता गया.
जब चुदाई का सफर खत्म हुआ तो दोनों बुरी तरह थक कर चूर हो चुके थे.
मेरे लंड से रस झड़ कर उसकी चूत में जा चुका था.
थकान के कारण कब सो गए, यह पता ही नहीं चला.
सुबह जल्दी उठ कर निधि अपने घर चली गयी और मैं अपने कामों में लग गया.
कल रात के संभोग में सच में बहुत आनन्द आया था. हम दोनों के शरीर और मन संतुष्ट हुए थे.
संभोग का यही असली अर्थ है.
इस पड़ोसन Xxx लव स्टोरी में आपको कितना मजा आया, प्लीज लिखें.
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