नदी का किनारा, अकेली चुत और तीन लंड

देसी ग्रुप Xxx कहानी में लॉकडाउन में मेरे पापा को मंदिर के बहाने मेरा यार मुझे चोदने ले गया. रास्ते में उसके 2 दोस्त और मिल गए. तीनों मुझे कार में नदी के किनारे ले गए.

हाय … मेरा नाम रेशमी है और मेरी उम्र 21 साल है.
मेरे घर में मम्मी, पापा, मेरी दादी और एक छोटा भाई है.

मेरी हाइट 5 फीट 4 इंच है, मेरी चूचियों का नाप 34 है, कमर 28 है और मेरी गांड का नाप 36 है.
पहले मेरी गांड 32 की हुआ करती थी, पर चुदाई के कारण मेरी गांड फैल गई है.

मैं छत्तीसगढ़ में रहती हूँ. मेरा घर शहर से दूर एक गांव में है.

यह देसी ग्रुप Xxx कहानी 2021 की है, लॉकडाउन चल रहा था पर गांव में इतनी सख्ती नहीं थी.
सिर्फ मार्केट बंद था, बाकी सब पहले जैसा ही था.

होली आ गई थी पर लॉकडाउन के कारण सब लोग घर में ही थे.

नन्द प्रकाश, जो मेरा बॉयफ्रेंड है और मेरे घर के पास ही रहता है.

वह शाम को घर पर आया.
उसने मेरे पापा से कहा- अंकल जी कल होली है, तो कोरोना के कारण खेल तो नहीं सकते हैं … इसलिए मैंने सोचा है कि कल मैं, मेरे कुछ दोस्त और रेशमी सब पास के मंदिर में घूमने चले जाएं.

पापा ने हां कह दी, क्योंकि पापा नन्द प्रकाश पर बहुत भरोसा करते हैं.

सुबह होते ही नन्द मेरे घर पर आ गया और उसने सबको हैप्पी होली विश किया.

उसने मुझसे कहा- चलो जल्दी. नहीं तो हाईवे पर चैकिंग शुरू हो जाएगी.
मेरे पापा ने भी कहा- नन्द सही बोल रहा है, लॉकडाउन चल रहा है तो बचकर जाना.
मैं और नन्द प्रकाश हां बोलकर निकल गए.

हम दोनों बाइक पर थे, पर थोड़ी ही दूर जाने के बाद नन्द ने गाड़ी रोकी और अपने दोस्त को फोन करने लगा.

पांच मिनट बाद वहां एक ओमनी कार आकर रुकी.
उसमें नन्द के दो और दोस्त थे, जिन्हें मैं पहचानती थी.

उनका नाम दीपू और बुल्ली था.
वे दोनों भी मेरे अच्छे दोस्त थे.

हमने नन्द की बाइक दीपू के घर में रख दी और ओमनी कार में बैठ गए.

कार दीपू चला रहा था और बुल्ली उसके साथ आगे बैठा था.
नन्द मेरे साथ पीछे था और वह मेरी चूचियों को सहला रहा था.

उन दोनों को सब मालूम था पर वे मेरे साथ सेक्स गेम को नजरअंदाज करते हुए आपस में बात कर रहे थे.

फिर गाड़ी मंदिर के पास रुकी.
सबने दर्शन किए और प्रसाद ले लिया.

होली के कारण प्रसाद में ठंडाई थी जिसमें भांग मिली थी.

मैंने सुबह से कुछ नहीं खाया था तो मुझे थोड़ी भूख लगी थी.
इसलिए मैंने दो गिलास भांग पी ली.

नन्द प्रकाश, दीपू और बुल्ली ने भी भांग पी, पर उन्होंने कम पी थी.

तभी पुलिस की जीप का सायरन सुनाई दिया.
सब लोग वहां से भागने लगे, तो हम लोग भी भागने लगे.

दीपू ने गाड़ी को मुख्य सड़क से न लेकर कच्चे रास्ते पर ले लिया.

लगभग 5 किलोमीटर चलने के बाद रास्ता खत्म हो गया और सामने नदी आ गई.
वहां कोई नहीं दिख रहा था और रास्ता भी काफी पुराना लग रहा था.

शायद लॉकडाउन के कारण वहां कोई आता-जाता नहीं था.
हम लोग शांति की सांस लेने लगे.

दीपू पिकनिक का सारा सामान लाया था, उसने उसे निकालना शुरू किया और बुल्ली उसकी मदद करने लगा.

खाना घर से बना कर लाए थे तो सबने खाना खाया और पेड़ के नीचे आराम करने लगे.

अब मुझे भांग का न/शा चढ़ने लगा और मैं मस्त होकर हंसी-मजाक करने लगी.

तब बुल्ली ने कहा- चलो सब नहा लेते हैं. भांग का न/शा कम हो जाएगा.
वे तीनों नहाने चले गए, पर मैं चल भी नहीं पा रही थी, तो वहीं लेटी रही.

थोड़ी देर बाद वह तीनों आए और बोले- रेशमी, तुम भी नहा लो. पानी काफी ठंडा है, तुम्हें मजा आ जाएगा.
मैंने कहा- मैं चल भी नहीं पा रही हूँ, तो मजा क्या घंटा लूँगी.

नन्द प्रकाश ने कहा- इसे पकड़ कर नदी तक ले चलो.
उन तीनों ने मुझे पकड़ा और नदी तक ले गए.

उन्होंने मुझे नहलाया, पर मेरा न/शा कम होने की जगह और बढ़ गया.

तभी नन्द प्रकाश ने बुल्ली को कुछ इशारा किया और वे लोग मुझे नदी के अन्दर ले गए.

दीपू भी आ गया.
वे लोग मुझ पर पानी डाल रहे थे.

तभी पीछे से मेरी गांड में कुछ छुआ.

फिर पानी के अन्दर ही मेरी चूत पर किसी का हाथ लगा.
मैं पीछे मुड़ी, तो नन्द था.

मैंने कुछ नहीं कहा, उल्टा उसे आंख मार दी.

नन्द प्रकाश ने मुझे पकड़कर किस करने लगा.
मैं भी उसका साथ दे रही थी.

नन्द का एक हाथ मेरी गांड को और दूसरा मेरे सिर को पकड़े हुए था.

तभी पीछे से एक और हाथ मेरी चूचियों पर और एक हाथ मेरी चूत पर लगा.
मैं डर गई और पीछे मुड़ी, तो बुल्ली था.

मैं कुछ बोलती, इससे पहले नन्द ने मुझे पकड़ा और वह फिर से किस करने लगा.
मैं न/शे में थी, तो नन्द प्रकाश से खुद को छुड़ा नहीं पाई.

बुल्ली मेरी चूचियों से खेलने लगा और मेरी चूत को कपड़ों के ऊपर से सहलाने लगा.
तभी दीपू भी आ गया और वह मेरी दूसरी चूची को सहलाने लगा.

वहां कोई नहीं था और मैं तीन लोगों के बीच अकेली थी.
मेरी चूत और चूचियों को मसलने और नन्द प्रकाश के किस के कारण मुझे भी मजा आने लगा.

मेरा न/शा दोगुना हो गया था.

तभी दीपू ने मेरे पजामे का नाड़ा खोल दिया और अपना एक हाथ अन्दर डाल दिया.
अब वह मेरी चूत को पानी के अन्दर ही मसलने लगा और एक उंगली मेरी चूत में डालकर आगे-पीछे करने लगा.

मैं भी मजा लेने लगी और नन्द को जोर से किस करने लगी.
मैंने अपनी चूत को और फैलाना शुरू कर दिया.

फिर उन तीनों ने मुझे पकड़ा और नदी से बाहर निकाला.
वे मुझे पेड़ के नीचे ले गए और चारों तरफ नजर घुमाने लगे.

जब वहां कोई नहीं दिखा तो नन्द ने मुझे एकदम से पकड़ा और किस करने लगा.
बुल्ली और दीपू फिर से मेरी चूचियों और चूत से खेलने लगे.

अब मुझे और भी मजा आने लगा.
मेरी उम्म … आह्ह … उम्म … आह्ह … की आवाजें निकलना शुरू हो गईं.

तभी नन्द ने कहा- देखो इस रंडी को … साली कैसे मजा ले रही है.
यह कह कर उसने अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया.

मैं कई बार नन्द प्रकाश का लंड चूस चुकी थी तो मैं उसका लंड चूसने लगी.

तभी दीपू और बुल्ली ने भी अपने लंड मेरे दोनों हाथों में पकड़ा दिए.

उन दोनों के लंड नन्द प्रकाश से छोटे थे, पर फिर भी एक का 7 और दूसरे का 6 इंच के करीब रहा होगा.

अब मुझे भांग का न/शा और चूत की खुजली दोनों मजा दे रहे थे.
मेरी आंखें बंद थीं, मुँह में भी लंड था और दोनों हाथों में भी लंड थे.

अब मेरे मुँह से गु … गु … की आवाजें आ रही थीं.

मुझे होश ही न था कि कौन मेरी चूत मसल रहा था और कौन मेरी चूचियों को सहला रहा था.

फिर उन तीनों ने मेरे कपड़े उतारना शुरू कर दिए.
कुछ ही पल में मैं एकदम नंगी हो गई. देसी ग्रुप Xxx शुरू हो गया.

उन तीनों के लंड भी एकदम कड़क हो गए थे.
नन्द प्रकाश ने मुझे पकड़ा और मेरी चूत को फैलाकर थोड़ा थूक मेरी चूत में और अपने लंड पर लगाया.

फिर वह मेरी चूत में लंड का सुपारा रगड़ने लगा, जिससे मैं तड़प उठी.

चूंकि मैं पहले भी चुद चुकी हूँ, पर आखिरी बार मैंने 4 महीने पहले चुदवाया था. इसलिए मेरी चुत में खुजली ज्यादा हो रही थी.

मैं लंड को चूत में लेने की कोशिश करने लगी, पर मेरी चूत 4 महीने से न चुदने के कारण बहुत टाइट हो गई थी.

नन्द का लंड अन्दर जा ही नहीं रहा था.

फिर नन्द ने थोड़ा और थूक लगाया और एक झटका दे दिया मगर उसका लंड फिसल गया.

नन्द ने और थूक लगाया और एक जोरदार झटका मारा.

इस बार उसका आधा लंड मेरी चूत में घुस गया.
मेरे मुँह से एक जोर की चीख निकली मगर बुल्ली ने मेरा मुँह पकड़ लिया और अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया.

अब मुझे बहुत तेज दर्द हुआ, मगर मैं कुछ नहीं कर पाई.
तभी नन्द ने दूसरा झटका मारा. इस झटके के साथ मेरा सारा न/शा कम हो गया और मेरी आंखों से आंसू बहने लगे.
पर मैं कुछ नहीं कर सकती थी.

नन्द ने जो चुदाई शुरू की, तो फिर 25 मिनट तक बिना रुके चोदता रहा.
मैं मस्त होकर अपने प्रेमी से चुद रही थी और उसके दोनों दोस्त आजू बाजू खड़े होकर अपनी बारी आने का इंतजार कर रहे थे.

नन्द ने जब झड़ने के वक्त मुझसे पूछा- अन्दर लेगी या मुँह में लेगी!
मुझे वीर्य पीना अच्छा लगता है तो मैंने उससे मुँह में माल छोड़ने के लिए कह दिया.

अब नन्द अपने लंड को मेरे मुँह में पेल कर मुँह की चुदाई करने लगा.

मेरी चुत खाली हो गई थी तो बुल्ली ने अपने लौड़े को मेरी चुत में ठांस दिया.
मुझे डबल पेनिट्रेशन में मजा आ रहा था.

नन्द प्रकाश को शायद कोई दिक्कत नहीं थी कि उसकी माशूका उसके दोस्तों के लंड से भी चुदे.

कुछ देर बाद जब नन्द का लंड मुर्दा हो गया तो मैं घोड़ी बन कर बुल्ली के लंड का मजा लेने लगी.

उसी वक्त दीपू आगे आ गया और मुझसे अपने लंड की चुसाई करवाने लगा.

तभी नन्द ने मुझसे पूछा- आह एक साथ आगे पीछे से लेने का मन है क्या?
मैंने भी भांग की मस्ती में कह दिया- हां दीपू से गांड मरवा लेती हूँ.

अब दीपू ने पोजीशन बनाई और मेरी गांड में अपना मूसल ठोक दिया.
उधर बुल्ली मेरी चुत में फिर से लग गया.

सच में होली के इस अवसर एक साथ तीन लंड से चुद कर मेरी चुत निहाल हो गई थी.

तो दोस्तो, आज इतना ही चूत गांड का मजा.
अगली सेक्स कहानी में मैं आपको बताऊंगी कि कैसे दीपू और बुल्ली ने भी मुझे दुबारा खुल कर चोदा और उसके बाद मेरी सैंडविच चुदाई भी की.

आपको मेरी देसी ग्रुप Xxx कहानी कैसी लगी, प्लीज जरूर बताएं.
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