बॉय गांड सेक्स स्टोरी में मैं मामा के लंड का दीवाना हो गया था. उनका लंड काफी बड़ा था तो मामा मेरी गांड नहीं मार रहे थे, वे केवल मेरा मुखचोदन कर रहे थे.
हैलो फ्रेंड्स, मैं आपको अपने मामा जी से अपनी गांड चुदाई की कहानी सुना रहा था.
कहानी के पहले भाग
मामा का लंड गांड में लेने की तमन्ना- 1
में अब तक आपने पढ़ लिया था कि मैं मामा से अपनी गांड मरवाना चाहता था और पापा जी ने मुझसे उनके साथ घर चलने के लिए कह दिया था.
इसी समस्या को लेकर मैं चिंतित था.
अब आगे बॉय गांड सेक्स स्टोरी:
जब पापा हॉल में आए, तो मामा उनसे बात करने लगे.
‘जीजाजी, आप समीर को कहीं ले जा रहे हैं?’ मामा ने पूछा.
‘हां, एक काम था, तो उसी वजह से उसे ले जा रहा हूँ!’ पापा ने जवाब दिया.
‘ओह … अच्छा क्या आप इसे किसी और दिन नहीं ले जा सकते?’ मामा ने पूछा.
‘क्यों? क्या बात है? पापा ने हैरानी से पूछा.
‘नहीं, ऐसी कोई खास बात नहीं है, पर मुझे नहीं पता था कि आप आज उसे ले जाने वाले हैं. अगर पता होता, तो मैं कोई प्रोग्राम नहीं बनाता!’ मामा ने सफाई दी.
‘कैसा प्रोग्राम?’ पापा ने उत्सुकता से पूछा.
मामा ने कहा- दरअसल यहां मेरा एक दोस्त है, उसका आज बर्थडे है … उसने अपने दोस्तों को बुलाया था. मुझे भी इनविटेशन था, तो सोचा समीर को भी साथ ले चलूँ, इंजॉय कर लेगा … क्यों, समीर?
ऐसा कहते हुए उन्होंने मेरी तरफ देखा.
‘लेकिन मामा, मुझे पापा के साथ जाना है. उन्होंने पहले ही बोल रखा था कि उनका कुछ काम है!’ मैंने मामा की खिंचाई करते हुए कहा.
पापा ने जवाब दिया- ठीक है समीर, कोई बात नहीं … तुम अपने मामा के साथ चले जाओ, हम किसी और दिन चले जाएंगे!
‘ठीक है पापा, जैसा आप कहें!’ मैंने सहमति जताई.
मेरे घर वालों को लग रहा था कि मैं कितना भोला हूँ, लेकिन उन्हें क्या पता, उनका बेटा क्या गुल खिला रहा था.
मामा ने चुपके से मेरी तरफ देखा और मुझे एक मुस्कान दी.
पापा अब निकल चुके थे.
उनके जाते ही मामा ने मां से ऊपर जाने को कहा और मेरी तरफ देखकर ऊपर चले गए.
मैं उनका इशारा समझ गया था.
मुझे भी अब डील पूरी करनी थी.
हालाँकि डील पूरी करने में मुझे भी मजा आने वाला था.
मामा ऊपर जा चुके थे.
मैंने थोड़ा इंतजार किया और फिर अपने रूम में चला गया.
वहां का नजारा देखकर मैं हैरान रह गया मामा ने अपनी पैंट घुटनों तक सरका रखी थी और अपना खड़ा लंड लेकर मेरे सामने खड़े थे.
उन्होंने मुझे दरवाजा बंद करने तक का मौका नहीं दिया और मुझे अपनी बाहों में खींच लिया.
वे मुझे पागलों की तरह चूमने लगे.
मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ, क्योंकि वे मुझे कुछ करने ही नहीं दे रहे थे.
मुझ पर ऐसा अचानक हमला हुआ था कि मैंने बस अपनी आंखें बंद कर लीं और उनकी एक-एक हरकत को समझने की कोशिश करने लगा.
वे मेरे गले पर पागलों की तरह काट रहे थे, उसे कस रहे थे, चूम रहे थे, मेरे होंठों को वे पागलों की तरह चूस रहे थे, मेरे दोनों निप्पलों को जोर-जोर से दबा रहे थे.
उन्होंने मुझे दीवार से सटा दिया और मेरे हाथों को अपने हाथों से जकड़ लिया.
मैं पागल होने की कगार पर था.
उन्होंने ऐसी पागलपन भरी हरकतें करते हुए मेरी पैंट भी खोल दी.
उनका लंड मेरे खड़े लंड से टकरा रहा था जैसे वह मेरी चूत में लंड डाल रहे हों
एक दीवार से दूसरी दीवार तक हम दोनों बस टकरा रहे थे लेकिन एक-दूसरे को मसलना और चूमना नहीं छोड़ा.
जल्दी-जल्दी उन्होंने अपने एक हाथ से दरवाजा बंद किया और कुंडी लगा दी.
उनकी हरकतें मुझे पागल कर रही थीं.
मैं अपने आपे से बाहर हो रहा था.
मैंने अपनी पैंट उतार दी और उन्हें बिस्तर पर धकेल दिया.
उनके खड़े लंड को मैंने अपने हाथों से पकड़ा और उसे चूमने लगा.
मैं उनका लंड बड़े शौक से चूस रहा था, एकदम पागलों की तरह बड़े जोर-जोर से उसे मैं अपने मुँह में भर रहा था.
वे बस मद भरी आवाजें निकाल रहे थे- आहह … म्म्म्म!’
उन्होंने मेरा सिर पकड़ लिया और मेरे मुँह में लंड जोर-जोर से ठूँसने लगे.
मुझे अब दर्द हो रहा था लेकिन वे बहुत मजा ले रहे थे.
शायद ये मेरी सजा थी … उन्हें तड़पाने की … उन्हें तरसाने की, जिसे मुझे सहना था.
फिर भी मैं बहुत खुश था क्योंकि मुझे अब लंड चूसने की आदत पड़ चुकी थी
मुझे अपना हथौड़ा चुसवा कर वे मुझे जलील करना चाहते थे, उनके बर्ताव से तो ऐसा ही लग रहा था.
लेकिन उनके मर्दाना शरीर का हर झटका सहने के लिए मैं तैयार था.
उनसे मिलने वाला हर दर्द मेरे अन्दर खुशी और उत्तेजना भर रहा था.
मैं शायद अपने आप को कोई लड़की समझने लगा था जिसका काम सिर्फ अपने मर्द को खुश करना था.
मैं अपने मर्द की हर तकलीफ, हर दर्द को अपने अन्दर समाने की पूरी कोशिश कर रहा था.
उनका हर झटका मुझे मेरे गले तक महसूस हो रहा था.
लेकिन मेरा मर्द मुझे सिर्फ तकलीफ नहीं देना चाहता था, वह मुझे खुशी देना चाहता था.
दुनिया की सबसे बेहतरीन खुशी, जिसे लेने के लिए हर शख्स तड़पता है.
उन्होंने मुझे पलटा और मेरी गांड पर अपनी जीभ लगा दी.
हम दोनों 69 की पोजीशन में थे.
मैं उनका लंड वैसे ही चूस रहा था और वे मेरी गांड के अन्दर अपनी जीभ घुमा रहे थे.
मेरे अन्दर करंट दौड़ गया था, जैसे-जैसे वे चूसते, वैसे-वैसे मैं और भी जोर से उनके लंड को चूसने लगता.
मैं तो बस अपने मामा के लंड का दीवाना हो गया था.
उससे निकलने वाला प्रीकम मेरे मुँह में स्वाद का काम कर रहा था.
उसका खट्टा-मीठा टेस्ट मुझे बहुत अच्छा लग रहा था.
नींबू जैसे सुपाड़े पर मैं अपने होंठ गोल-गोल घुमा रहा था.
उन्होंने मेरे छेद में अपनी उंगली डालने की कोशिश की लेकिन वह नहीं जा रही थी.
मेरा छेद वाकयी बहुत टाइट था.
उन्होंने अपनी उंगली को अपने थूक से गीला किया और फिर से उसे मेरे छेद में डालने लगे.
जैसे ही उन्होंने उंगली अन्दर डाली, मैं हिल गया और मुझे दर्द होने लगा, अन्दर जलन होने लगी.
मैंने उनका लंड अपने मुँह से निकाल लिया.
मैं दर्द से कराह रहा था.
उनके मर्दाना शरीर की वजह से उनकी उंगलियां भी काफी बड़ी थीं.
उन्होंने मेरे सिर पर हाथ रखा और फिर से अपने लंड पर झुका दिया.
मैंने उसे मुँह में भर लिया और चूसने लगा, लेकिन उनकी उंगली अभी भी मेरे छेद में थी.
वे धीरे-धीरे उसे हिला रहे थे.
फिर उन्होंने उसे बाहर निकाला, अपने थूक से थोड़ा और गीला किया और फिर अन्दर डाल दिया.
मेरा दर्द अब कुछ कम हो गया था और मुझे मजा आने लगा.
जैसे-जैसे उनकी उंगली अन्दर-बाहर होती, मैं और भी जोर से उनके लंड को मुँह में भर लेता.
आधा घंटा से ज्यादा का समय हो गया था लेकिन फिर भी मेरे छेद और मेरे मुँह की ठुकाई एक साथ हो रही थी.
मेरा छेद अब थोड़ा खुल चुका था.
मुझे इतना मजा आ रहा था कि मुझसे रहा नहीं गया.
आज मुझे किसी भी हाल में उनका लंड अपनी गांड में लेने की इच्छा हो रही थी.
मैंने उनके लंड को मुँह से निकाला और जल्दी से घूम गया.
उनके लंड पर बैठकर मैं अपने छेद को उस पर घिसने लगा.
वे नीचे लेटे हुए थे और मैं उनके ऊपर अपनी कमर को आगे-पीछे कर रहा था.
मामा जी मेरे निप्पलों को जोर-जोर से दबा रहे थे.
हम दोनों के मुँह से बस ‘आआआ … ओह्ह्ह … येस्स्स … म्म्म्म … ओह्ह्ह.’ की आवाजें निकल रही थीं.
दोनों की हालत खराब हो चुकी थी.
मामा जी मेरे निप्पल को इतनी जोर से दबा रहे थे कि मैं और भी पागल हो रहा था.
मैं अपनी कमर को और जोर-जोर से हिलाने लगा, उनके लंड पर कूदने लगा.
उन्होंने मुझे नीचे झुका दिया और मुझे चूमने लगे. नीचे से घिसाई चल रही थी और ऊपर हम दोनों का चुम्बन चालू था.
झुकाने की वजह से मेरी गांड ऊपर हो गई थी.
हम दोनों की हरकतें इतनी जोर-जोर से हो रही थीं कि इससे तकलीफ भी हो रही थी और मजा भी आ रहा था.
मेरी हालत खराब हो रही थी और साथ में मामा की स्पीड भी बढ़ रही थी.
मैं इतना उत्तेजित हो गया था कि कुछ सोचना ही मुश्किल हो रहा था.
इस उत्तेजना में मैंने कुछ ऐसा कर दिया, जिसकी मुझे बिल्कुल उम्मीद नहीं थी.
मेरा छेद, पैर फैलाकर मामा के ऊपर बैठने से खुल गया था और उस पर उनका लंड घिस रहा था.
लेकिन मैंने उत्तेजना में उनके लंड को पकड़ लिया और उसे अपने छेद पर लगा दिया.
बॉय गांड सेक्स के लिए मामा भी उत्तेजित थे तो उन्होंने एक जोरदार झटका दे दिया.
उनका यह झटका इतना तेज था कि उनका टोपा मेरे छेद में एक ही बार में घुस गया.
हमारे होंठ आपस में जुड़ चुके थे, हम चूम रहे थे.
लेकिन उस झटके से मुझे इतना दर्द हुआ कि मैंने उनके होंठ काट दिए.
मामा का लंड अभी भी मेरी गांड में था.
मैं चिल्लाना चाहता था लेकिन उन्होंने मेरा मुँह दबा रखा था क्योंकि उन्हें पता था कि अगर मैं चिल्लाया … तो मां नीचे से ऊपर आ जाएगी.
उन्होंने मेरा मुँह दबाए रखा.
मेरी आंखों से आंसू निकल रहे थे, मुझे चक्कर आने लगे थे.
मेरी गांड जैसे फट गई थी.
मैं जल्दी से वहां से उठा और बाजू में जाकर अपने पैरों को पेट में सिकोड़ कर लेट गया.
मेरी आंखों से आंसू अभी भी बह रहे थे, मुझे बहुत दर्द हो रहा था.
मुझे पता था कि मैंने क्या कर लिया था.
मामा मुझे इसलिए मना कर रहे थे क्योंकि वे जानते थे कि मैं यह दर्द अभी सह नहीं सकता.
लेकिन उत्तेजना में मैंने यह सब कर लिया था.
कुछ देर मैं वैसे ही पड़ा रहा और मामा मेरे छेद को धीरे-धीरे सहला रहे थे.
जब उन्हें लगा कि मेरा दर्द कुछ कम हो गया है तो उन्होंने फिर से मेरे छेद को चाटना शुरू कर दिया.
मेरे अन्दर फिर से उत्तेजना की आग जाग उठी.
मैं अभी भी बिस्तर पर लेटा हुआ था.
मामा धीरे से मेरे ऊपर आए और मेरे सीने पर बैठ गए.
उन्होंने अपना खड़ा लंड मेरे मुँह में दे दिया और मुझे चोदने लगे.
मैं बस उनका लंड जोर-जोर से चूस रहा था.
वे मेरे गले तक अपना लंड दे रहे थे और मेरा सिर पकड़ कर उसे ठूँस रहे थे.
वे घुटनों पर बैठे थे और मैं उनके लंड और गोटियों के बीच अटका हुआ था.
कुछ देर इसी पोजीशन में मेरा मुँह ठोकने के बाद उन्होंने मुझे पलट दिया और फिर से मेरे मुँह में अपना लंड ठूँसकर मेरी गांड को चाटने लगे.
मेरी उत्तेजना फिर से बढ़ गई थी, सारा दर्द मैं भूल चुका था.
मैं बस कामातुर होकर उनके लंड को चूस रहा था.
हम दोनों ने अपनी-अपनी स्पीड बढ़ा दी थी.
एक-दूसरे को चूसते और सहलाते हुए हम पागल हो रहे थे, सच में बहुत मजा आ रहा था.
मैं मुँह से अपनी उस खुशी को बता नहीं पा रहा हूँ, पर मुझे यकीन है कि आप समझ रहे होंगे कि मेरे साथ क्या हो रहा था.
एक घंटे से ज्यादा का समय हो गया था लेकिन हम पूरी दुनिया को भूलकर बस एक-दूसरे में खो गए थे.
एक-दूसरे को खुश करना ही हमारा मकसद था और हम उसे पूरी शिद्दत से निभा रहे थे.
उनके मुँह का चिकना रस मेरे छेद को गीला कर रहा था और उनके हथौड़े से निकला प्रीकम मेरे मुँह की मिठास बढ़ा रहा था.
पर मुझे उस रस का पान करना था, जिसका स्वाद सबसे अलग था.
लेकिन कोई भी चीज आसानी से नहीं मिलती, ये मेरे मामा ने मुझे सिखा दिया था.
बस, मैं उनके रस को निकालने की मेहनत कर रहा था.
हाय … कितना मजा आ रहा था.
उनके पैर अब सिकुड़ने लगे थे, उनकी धड़कन तेज हो रही थी.
वे नीचे से झटके दे रहे थे और मैं भी उनके झटकों को अपने मुँह में ठूँस रहा था.
मेरी मंजिल अब करीब थी.
मुझे उनका गाढ़ा रस पीने को मिलने वाला था.
मैं और भी जोर-जोर से चूसने लगा, मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी.
जैसे-जैसे मैं स्पीड बढ़ाता, वैसे-वैसे वह मेरे छेद को और भी ज्यादा चूस रहे थे.
उन्होंने मेरा छेद पूरी तरह गीला कर दिया था.
अचानक उन्होंने जोर से मेरा सिर दबाया और मुझे वैसे ही रोक लिया.
नीचे से वह अपने पैर मोड़कर ऊपर उठे, उनका आधे से ज्यादा लंड मेरे मुँह में था मुझे खाँसी आने लगी.
पर मैं साँस भी नहीं ले सकता था क्योंकि उनका लंड इतना बड़ा था कि मेरे मुँह में साँस निकलने की जगह ही नहीं थी.
धीरे-धीरे उनकी धार छूटने लगी.
उनके मर्द होने की निशानी, उनका जवान और जोशीला रस मेरे मुँह में गिर रहा था और सीधे मेरे गले से पेट में जा रहा था.
वे जोर-जोर से झटके दे रहे थे और उनका रस निकलता ही गया.
मेरे गले तक जाने वाली वह पिचकारी मुझे साफ महसूस हो रही थी.
उन्होंने मेरे छेद में अपनी जीभ डाल रखी थी, जिससे मैं पागल हो रहा था.
फिर उन्होंने अपने लंड को मेरे मुँह से निकाला और मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया.
उन्हें पता था कि मेरा रस अभी निकलना बाकी है.
जैसे ही उन्होंने मेरे लंड को मुँह में लिया, मेरी हालत खराब हो गई.
मैंने फिर से उनका लंड चाटना शुरू कर दिया और अपनी कमर को हिलाने लगा.
कुछ देर तक उन्होंने मुझे ऐसे ही चूसा और मैंने भी अपना रस उनके मुँह में छोड़ दिया.
हम दोनों एक-दूसरे के बदन पर वैसे ही पड़े थे. उनका लंड मेरे मुँह के पास था और मेरा लंड उनके मुँह के पास.
कुछ देर ऐसे ही पड़े रहने के बाद, उन्होंने मुझे सीधा किया और अपने गले से लगा लिया.
मैंने उन्हें खुश कर दिया था और उन्होंने भी मुझे खुश कर दिया था.
हम दोनों के चेहरों पर बस हंसी छूट रही थी. जब कोई पूरी तरह संतुष्ट होता है, तो ऐसा ही कुछ होता है.
हम दोनों उठे, कपड़े पहने और फिर …
आगे की कहानी में मैं आप सबको जरूर बताऊंगा कि हमने हमारा पहला सेक्स कब किया, उन्होंने मेरी सील कैसे तोड़ी और मुझे खुश कैसे किया.
आपको मेरी बॉय गांड सेक्स स्टोरी पसंद आई होगी.
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