मौसी के बेटे ने मेरी गांड मारी

एनल पोर्न कहानी में मेरी मौसी के बड़े बेटे ने अपने घर में मेरी गांड मारी. उससे पहले भी मैं एक बार किसी से गांड मरवा चुका था तो मुझे मजा आया था.

दोस्तो, मेरी कोमल गांड का आप के खड़े लन्ड को प्यार भरा नमस्कार!
मैं आप सब का प्यारा सा दोस्त एक बार फिर हाजिर हूं अपनी नई कहानी लेकर।

मेरी पहली कहानी जो अभी प्रकाशित हुई है
मेरी कुंवारी गांड का मुहूर्त
आप लोगों ने बहुत प्यार दिया।

उस गांडू कहानी में बताया था, मेरी गान्ड बड़ी मस्त और चिकनी है, गोल-उभरी हुई, जो किसी भी लन्ड को खड़ा कर दे!

तो दोस्तो, ये एनल पोर्न कहानी भी पुरानी है, जब मैं एक बार ननिहाल गया था।

रास्ते में मेरी एक दूर की मौसी रहती हैं।
उनके लड़के महेश ने कैसे मेरी गान्ड मारी, ये मैं बताऊंगा।

तो दोस्तो, अब सीधे एनल पोर्न कहानी पर आते हैं।

बात उस समय की है, जब मैं कॉलेज में पढ़ता था।
कॉलेज में छुट्टियां चल रही थीं तो मैंने अपनी नानी के घर जाने का सोचा।

मेरे पापा मुझे अपने साथ बस में लेकर गए।
रास्ते में मेरे पापा की दुकान है जो एक छोटी मंडी में है।
और वहीं पर मेरी एक दूर की मौसी रहती हैं।

तो पापा ने मुझे वहीं अपने साथ उतार लिया।
“शाम को जल्दी दुकान बंद करके नानी के घर चले जाएंगे!” पापा ने कहा।
“ठीक है!” मैंने जवाब दिया।

“तुम यहां क्या करोगे? चलो, तुम्हें तुम्हारी मौसी के पास छोड़ देता हूं, वहां तुम खेल लेना!” पापा बोले।
“ठीक है!” मैंने कहा।

तो पापा मुझे मौसी के घर ले गए।

वहां जाकर हमने चाय पी और कुछ बातें की।
उसके बाद पापा वहां से चले गए।

मौसी के दो लड़के थे। एक का नाम महेश, जो बड़ा था, और दूसरे का नाम सुरेश, जो मेरी उम्र का ही था।

दिखने में दोनों अच्छे थे।
महेश थोड़ा तंदरुस्त था और सुरेश मेरी तरह पतला सा।

वो दोनों आज भी वैसे ही हैं।
महेश का रंग साफ है और सुरेश का थोड़ा सांवला सा।

मौसी भी कमाल की थी, एकदम गदराया बदन, बड़ी-बड़ी चूचियां और बड़ी सी गोल-उभरी हुई गान्ड।

मगर मौसी का फिगर दिखता नहीं था क्योंकि वो घाघरा और कुर्ता पहनती थीं।
मौसी को देखकर लगता था कि अपनी जवानी में वो नंबर वन की आइटम रही होगी!

अब आगे की ओर बढ़ते हैं।

मौसी घर का काम जल्दी-जल्दी कर रही थीं।

मैं दोनों भाइयों के साथ बातें कर रहा था।
हम खेल भी रहे थे।

मौसी ने घर का काम निपटाकर खेत चली गईं और मोसा जी भी उनके साथ चले गए।

अब हम तीनों भाई घर पर थे।

कुछ देर खेलने के बाद हम चारपाई पर बैठ गए।
मैं दोनों के बीच में बैठा था।

हम बातें कर रहे थे।
तभी महेश मुझे थोड़ा-थोड़ा सहलाने लगा।

कुछ देर बाद उसने सुरेश को बाहर भेज दिया।
“अगर कोई घर पर आए, तो मुझे आवाज़ लगा देना!” महेश ने सुरेश से कहा।
सुरेश बाहर चला गया।

अब महेश ने मुझे सहलाना शुरू किया।
फिर वो मुझसे बोला, “तुम्हें एक खेल सिखाता हूं!”
“सिखाओ!” मैंने कहा।

“ठीक है, मगर किसी को बताना मत!” महेश ने चेतावनी दी।
“ठीक है, नहीं बताऊंगा!” मैंने वादा किया।

“तुम अपनी पैंट खोलो!” उसने कहा।

मैं समझ गया कि ये मुझे कौन सा खेल सिखाने वाला है।
पर उसके सहलाने से मुझे अच्छा लग रहा था तो मेरा मूड भी लगभग बन चुका था।

तो मैंने उसका कहा मान लिया और अपनी पैंट खोल दी।
उस समय मैं चड्डी नहीं पहनता था तो मेरी गान्ड नंगी हो चुकी थी।

महेश मेरी गान्ड देखकर खुश हो गया।
उसने मेरी पैंट निकालकर एक तरफ रख दी।

फिर उसने मुझे उठाकर अपनी गोद में उल्टा लिटा लिया।
अब वो मेरी गान्ड को सहलाने लगा।

अब मुझे भी मज़ा आने लगा था।
मैं भी अपनी गान्ड ऊपर उठाकर उसका साथ दे रहा था।

अब उसने मेरी गान्ड को चूमना शुरू कर दिया।
मुझे और ज़्यादा मस्ती चढ़ने लगी।
मेरे पूरे शरीर में करंट सा दौड़ गया था।

उसने मेरी गान्ड को चूस-चूसकर लाल कर दिया और दांतों के निशान भी बना दिए।
मेरी गान्ड एकदम लाल हो गई थी, और गर्म भी।

फिर उसने अपनी पैंट खोली और अपना खड़ा लन्ड मेरे हाथ में दे दिया।

उसका लन्ड भी दीपू जैसा ही था, जिसे देखकर मैं खुश हो गया।
कुछ देर मैंने उसका लन्ड सहलाया।
फिर उसने मुझे मुंह में लेकर चूसने को कहा।

मैंने मना कर दिया, क्योंकि मैंने अभी तक लन्ड नहीं चूसा था।
“तुम इसे चूसोगे तो अच्छा लगेगा!” उसने मुझे समझाया।
थोड़ी सी आनाकानी करने के बाद मैं उसका लन्ड चूसने लगा।

पहले मैंने टोपा चूसा, फिर थोड़ा-थोड़ा करके पूरा लन्ड चूसने लगा।
उसका लन्ड मेरे गले में लग रहा था।
उसका स्वाद भी अजीब सा था। मेरा पहली बार चूसना था।

पांच मिनट बाद मुझे अच्छा लगने लगा।

फिर मैंने लगभग दस मिनट तक उसका लन्ड पूरा मन लगाकर चूसा।

फिर वो दीवार का सहारा लेकर बैठ गया और मेरी गान्ड अपनी तरफ कर ली।
अब उसने मेरी गान्ड में थूक लगाया।
फिर उसने अपना लन्ड थोड़ा सा हिलाया और मुझे अपनी गान्ड उसके लन्ड पर रखने को कहा।

मैंने भी उसके कहे अनुसार अपनी गान्ड उसके लन्ड पर टिका दी।

अब वो नीचे से थोड़ा-थोड़ा उठने लगा और लन्ड को मेरी गान्ड में प्रवेश कराने लगा।
पर कुछ देर कोशिश करने पर लन्ड गान्ड में नहीं जा रहा था।

फिर मैंने अपने आप उसके लन्ड को अपनी प्यारी सी गोल-गोल उभरी हुई गान्ड के छेद पर सटाकर आहिस्ता-आहिस्ता लन्ड को अपनी गान्ड में प्रवेश करवा दिया।
मुझे दर्द तो हुआ, मगर मैंने अपनी मर्जी मुताबिक धीरे-धीरे गान्ड में प्रवेश करवाया था, तो ज़्यादा दर्द नहीं हुआ।

और लन्ड भी चूस-चूसकर पूरा गीला कर दिया था तो आराम से अंदर चला गया।

अब मैं पूरा लन्ड अपनी गान्ड में ले चुका था।
उसके चेहरे पर मुस्कान थी।
महेश काफी खुश लग रहा था।

“अब तुम ऊपर-नीचे हो!” उसने मुझे कहा।
तो मैं अपनी कमर हिलाने लगा।

मेरी कमर जैसे-जैसे हिल रही थी, वैसे-वैसे ही उसका लन्ड मेरी गान्ड में अंदर-बाहर हो रहा था।

कुछ देर बाद मैंने अपनी कमर की रफ्तार तेज कर दी और मेरी गान्ड में मस्ती चढ़ने लगी।

महेश आराम से बैठकर आनंद ले रहा था जैसे कोई सवार में चला गया हो।
अब ऐसे ही मैं उसके लन्ड की सवारी करता रहा।

लगभग 20 मिनट बाद वो सातवें आसमान पर पहुंच गया।
और उसका छूटने को था।

मैं भी पूरे जोश के साथ, जितनी रफ्तार से हो सकता था, उतनी रफ्तार से ऊपर-नीचे होकर उसको खुश करने में लगा था।
वैसे करके मुझे भी मज़ा आ रहा था।

अब उसकी सांसें तेज हो रही थीं।

उसने मुझे एकदम से कसकर पकड़ लिया और बिल्कुल ऊपर-नीचे नहीं होने दिया।

अब उसका लन्ड अपनी आग उगल चुका था जो मेरी गान्ड में मुझे महसूस हो रहा था।

कुछ देर तक हम ऐसे ही रहे।
फिर उसने मुझे अपने ऊपर से उठाकर अलग किया और मेरी गान्ड पर दोनों तरफ किस की।

फिर हमने अपने कपड़े पहने और उसने मुझे अपने सीने से लगाया, मेरे गालों को चूमा।

क्या पता, वो शायद दोबारा मेरी गान्ड मारता, मगर इतने में मौसा और मौसी जी वापस घर आ गए।

ये सुरेश ने हमें पहले ही आकर बता दिया था, “मम्मी-पापा आ रहे हैं!”

मगर अब बहुत देर हो चुकी थी।
मेरी गान्ड बज चुकी थी।

मौसी ने आने के बाद चाय बनाई।
सबने खाना भी खाया, चाय पी।

उसके बाद कुछ देर मैं और सुरेश खेलते रहे।

बाद में दोपहर को पापा आए और मुझे लेकर नानी के घर चले गए।

तो दोस्तो, ज़रूर बताना मेरी ये एनल पोर्न कहानी आपको कैसी लगी?
फिर मैं अपनी अगली कहानी में बताऊंगा कि कैसे ननिहाल में पड़ोसी भइया ने मेरी गान्ड मारी।

तब तक आप अपने खड़े लन्ड को मेरी कोमल गान्ड का झुककर स्वागत करें!
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