सामने वाली दीदी की कुंवारी बुर की चुदाई

देसी लड़की की चूत चोदने का मजा मैंने अपने गाँव में घर के सामने रहने वाली काफ़ी सुंदर लड़की के साथ सेक्स करके लिया. वह मुझसे 4 साल बड़ी है, मैं उसे दीदी कहता हूँ.

दोस्तो, मेरा नाम राज है. मैं अभी 20 साल का हूँ और यूपी के एक गांव का रहने वाला हूँ.

अभी करीब 4 साल से बाहर रह कर मैं पढ़ाई कर रहा हूँ और घर से दूर ही रहता हूँ.

इतने साल बाहर रहने की वजह से मेरा ध्यान कभी अपने गांव की लड़कियों पर नहीं गया.

यह देसी लड़की की चूत कहानी तब की है, जब मैं बहुत समय बाद लंबे समय के लिए मेरे गांव आया था.

मेरे घर के बिल्कुल सामने ही एक दीदी रहती है, यह उसकी चुदाई की कहानी है.

उसका नाम कविता था. मैंने पहले कभी इतना अच्छे से नोटिस नहीं किया था और कभी उसके बारे में कुछ उल्टा सीधा नहीं सोचा था.
आगे बढ़ने से पहले मैं आपको कविता दीदी के बारे में कुछ बता देता हूँ.

कविता एक काफ़ी सुंदर लड़की है. वह मुझसे 4 साल बड़ी है, जिस वजह से मैं उसे दीदी कहता हूँ.
उसका फिगर काफ़ी मस्त है.
वह भी मेरी तरह कुंवारी थी.

एक दिन मैं अपने घर के आंगन में खड़ा था, तभी मुझे सामने के घर से कपड़े धोने की आवाज़ आई.
मैंने देखा तो कविता ही कपड़े धो रही थी. मेरे घर से उसका घर साफ दिखता है.

कपड़े धोने की वजह से वह थोड़ी गीली हो गई थी. उसके कपड़े धोते समय ऊपर नीचे होते मुझे उसके चूचों की गली का दर्शन हो रहा था.
हाथ से कपड़े धोने की वजह से उसके बूब्स भी काफ़ी हिल रहे थे और उसके कपड़े गीले होने की वजह से उसके बूब्स सही आकार में दिख रहे थे.

यह सब देख कर मैं एकदम से उत्तेजित हो गया और उसे देखते हुए मदहोश होने लगा था.
मेरे छोटू उस्ताद भी टनटना गए थे, मानो अभी पैंट से बाहर आ जाएंगे.

उसी समय मुझे कॉल आ गया और मैं एक साइड में चला गया.
थोड़ी देर बाद वो भी कपड़े लेकर छत पर चली गयी. मैं भी अपनी छत पर आ गया.

गीली होने की वजह से मुझे उसका सारा फिगर अच्छे से दिख रहा था.
मुझे तब पहली बार उसे चोदने की इच्छा हुई.

उसने मुझे देख लिया और आवाज़ दी.
हम दोनों ने थोड़ी बातचीत की और नीचे आ गए.

फिर मैं कई बार उसके घर उसे देखने के लिए जाने लगा, कभी सब्जी लेने या कभी देने.
कुछ दिनों में हमारी बातचीत बहुत बढ़ गयी. हम दोनों दोस्त ही बन गए थे.

अब कभी कभी तो हम दोनों एक अकेले कमरे में बैठ कर बातें कर लेते थे.
हमारे बीच बातें साफ़ होने लगी थीं और जवानी की तपिश हम दोनों को ही जलाने लगी थी.

वो मुझे पसंद करने लगी थी और मैं तो उसकी जवानी का रस चूसने के लिए व्याकुल था ही.

मैं मस्ती करते करते कभी उसके बूब्स को हाथ लगा देता, तो कभी उसके ऊपर लेट जाता, तो कभी उसके बूब्स ही दबा देता.
पर वह मजाक में या जानबूझ कर सब नजरअंदाज कर देती थी.

एक बार जब मैं सुबह मेरी मम्मी के कहने पर कविता के घर सब्जी देने गया तो मैं कविता से मिलने उसके कमरे में चला गया.
मैंने बिना नॉक किए ही दरवाजा खोल दिया.

उस समय वह नंगी थी और कपड़े पहन रही थी. फिर भी उसने मुझसे कुछ नहीं कहा.
मैं सीधा उसके बेड पर लेट गया.

वो कपड़े पहनने के बाद अपने बाल संवार रही थी.
उसने उस समय बस ऊपर कमीज़ ही पहनी थी, जिससे उसके बूब्स के बीच की लाइन काफ़ी अन्दर तक दिख रही थी. उसकी कमीज़ उसके घुटनों के थोड़ा ऊपर तक ही थी और उसने नीचे कुछ भी नहीं पहना था.

मैं भी टी-शर्ट और शॉर्ट में ही था.
उसने मुझे उसे घूरते हुए देखा पर कुछ नहीं कहा.

फिर उसकी मम्मी ने आवाज़ दी कि वे बाहर जा रही हैं.
कविता ने मुझे बताया कि मम्मी शाम को वापस आएंगी और अब घर में तुम्हारे अलावा कोई नहीं है.

मैं खुद भी ऐसे किसी मौके की तलाश में था. आज मुझे कैसे भी उसे चोदना ही था.
मेरा मन उसकी चुदाई के लिए बेचैन हो रहा था.

उसने मुझे अपने पास बुलाया और समीज़ के बंद बांधने को कहा.
वह मेरी तरफ़ पीठ करके एक छोटे से स्टूल पर बैठ गयी.

मैं उसके करीब आ गया और उसके बालों को आगे कर दिया, जिससे उसकी गोरी पीठ दिखने लगी.
मेरी नज़र नीचे गयी तो मैंने देखा कि उसके पेट का वो हिस्सा जो कमर के नीचे होता है, मुझे दिखने लगा.

चूंकि उसने नीचे कुछ नहीं पहना था, तो झलक दिखाई देने लगी थी.
मैं उसे और ज्यादा देखने के लिए अपने दोनों हाथ उसकी पीठ पर रख दिए.

उसके गोरे चिकने बदन को छूते ही मानो मेरे अन्दर आग सी लग गई और मैं मदहोश हो गया. मेरा लंड भी तन गया.
मैंने हाथ से पीठ को सहलाया.
उसने भी कुछ नहीं बोला.

मैं अपने हाथ को धीरे धीरे चलाने लगा.
वो भी मस्त होने लगी.

फिर मैं घुटने के बल बैठ गया और उसकी पीठ को चूमने लगा.
उसकी तरफ़ से कोई विरोध नहीं था.

यह देख कर मैं खड़ा हो गया और उसके गले को चूमने लगा. फिर एक कंधे को चूमते चूमते मैंने उसकी कमीज़ को कंधे से जरा नीचे सरका दी.

इसी बीच मैं अपने हाथ को उसकी कमर और उसके पेट पर फेरने लगा.
वो बस हल्की आवाज में आंह आंह कर रही थी.

फिर मैं अपना एक हाथ उसके बूब्स पर ले गया और जोर से एक को दबा दिया.

अपने दूध दबते ही वह ‘आआहह …’ की आवाज करके हल्के से चिल्लाई मानो वह अभी होश से बाहर आई हो.
वो मुझे देखने लगी.

मैं खड़ा हो गया और उसे भी खड़ा कर दिया.
अगले ही पल मैंने उसके होंठों से अपने होंठ मिला दिए.

हम दोनों काफ़ी देर तक किस करते रहे मानो जन्म जन्मान्तर के भूखे हों.
इसी बीच उसने मुझे बेड पर धकेल दिया और खुद मेरे ऊपर चढ़ कर मुझे किस करने लगी.

फिर मैंने उठ कर उसकी कमीज़ उतारी.
उसका गोरा रसीला और मदहोश बदन देख मेरा लंड और टाइट हो गया.
अब वह मेरे सामने बस ब्रा और पैंटी में ही थी.

मैंने उसे चूमते चूमते उसकी ब्रा खोल दी.
कसी हुई ब्रा खुलते ही उसके बूब्स उछल कर खुली हवा में फुदकने लगे.

मुझे मानो दो नर्म मुलायम कबूतरों के दर्शन हो गए.
मैं उसके मम्मों को देखते ही उन पर झटप सा पड़ा.

मैंने उसे बेड पर लिटा दिया और उसके दोनों मम्मों से खेलने लगा, एक को चाटने लगा, दूसरे को मसलने लगा.
वो भी अपने हाथ से अपने दूध पिला रही थी.

काफी देर तक उसके दोनों दूध चूसने चाटने के बाद मैंने अपना एक हाथ उसकी चूत पर फेरा और उसकी पैंटी के अन्दर डाल दिया.
उसकी चूत का स्पर्श मुझे स्वर्ग का मज़ा दे रहा था. मैंने उसकी पैंटी उतार दी और अपनी एक उंगली उसकी चूत में डालने लगा.

उसकी सील अभी तक फटी नहीं थी, तो उसे एक उंगली से ही काफ़ी दर्द हो रहा था.
फिर जब एक उंगली के लिए रास्ता साफ हो गया तो मैंने अपनी दूसरी उंगली को भी डालना शुरू कर दिया.

वह काफ़ी तेज स्वर में कराहने लगी और ‘नहीं नहीं …’ बोलने लगी.
उसके कराहने के साथ मैंने उसके होंठों पर चुम्मी करना शुरू कर दिया जिससे उसकी आवाज़ दब गयी.

जहां तक मेरी उंगली जा सकती थी, मैंने डाली.
उसे काफ़ी दर्द भी हो रहा था पर मज़ा भी बहुत आ रहा था.

इसी बीच उसने अपनी चूत से पानी छोड़ दिया जिससे वो थोड़ी शांत हो गई और चुपचाप लेट गयी.

मैंने उसकी चूत को कपड़े से साफ किया और चाटने लगा.
मेरी जीभ लगते ही वो सिहर उठी और मना करने लगी.
मगर मैं मुँह लगाए देसी लड़की की चूत चाटता रहा.

कुछ ही पलों में वो चूत चटवाने का सुख लेने लगी.
मैंने अपनी जीभ को छूट के काफ़ी अन्दर तक डाला, जिससे उसे बहुत मज़ा आने लगा था.

वो बस आआहह उउह ही कर रही थी और अब तो वो मुझे रोक ही नहीं रही थी.

उसकी चूत चाटने के बाद मैं भी बेड पर लेट गया.
उसने मेरी तरफ देखा.

मैंने उससे पूछा- अब आगे क्या करना है?
उसने मेरे लंड अपना हाथ रखा और बोली- अब मेरी बारी है.

उसने मेरे कपड़े उतारे और लंड को हाथ में पकड़ लिया. फिर वो लंड को हल्के से हिलाने लगी और उठ कर बैठ गई.
कुछ पल उसने लंड को देखा और नीचे जाकर वो मेरे लंड को चूसने लगी और टोपे को चाटने लगी.

उसने कुछ देर तक ऐसा किया और लंड देखने लगी. शायद वो लंड मुँह में लेने से हिचकिचा रही थी.
मैंने उसके बाल पकड़ कर उसके सर को लंड पर दबा दिया, जिससे मेरा लंड उसके मुँह में घुस गया.

लंड का स्वाद पाकर वो मानो बौखला सी गयी और ज़ोर ज़ोर से लंड को अन्दर बाहर करने लगी.
उसको मेरे लंड से काफ़ी मज़ा आ रहा था.

मैं कुछ ही देर में उसके मुँह में ही झड़ गया.
सारा रस उसके मुँह में निकल गया और उसने उसे निगल भी लिया.

फिर वह मेरे ऊपर आकर लेट गयी.
थोड़ी देर बाद जब मेरा लंड फिर से खड़ा हुआ तो मैंने उसकी चूत को चोदना चाहा, पर मेरी आशा के विपरीत उसने चुदाई से मना कर दिया.
मैंने उसे देखा.

उसने कहा- कंडोम नहीं है न … तो अभी नहीं करते हैं. मुझे कोई रिस्क नहीं लेना है.
मैंने कहा- पर मैं बाहर ही रस निकाल दूँगा … और वैसे भी एक बार में कुछ नहीं होता है.

मैंने उसे बहुत समझाया, पर उससे मना कर दिया.
वह बेड से उठ गयी और कपड़े पहनने लगी.

मैंने भी गुस्से में अपने कपड़े पहने और घर चला गया.
उसके बाद उसने मुझे बहुत मैसेज किए, पर मैंने उसे रिप्लाई नहीं किया.

उसने मुझसे बात करने की भी काफ़ी कोशिश की पर मैं उस पर काफी गुस्सा था तो मैं बात नहीं कर रहा था.
फिर एक दिन वह मेरे घर आई और मेरे कमरे में आकर मुझसे माफी मांगने लगी.

मैं उसे इग्नोर करता रहा. कई बार उसने किस भी करने की कोशिश की, पर मैंने उसे मना कर दिया.
फिर उसने धीरे से मेरे लंड पर हाथ फेरा और पैंट में हाथ डाल दिया जिससे मैं मदहोश हो गया.

उसने मेरा लंड काफ़ी देर तक चूसा.

मैं भी अब उससे सिर्फ लंड ही चुसवाता था और उसके मुँह को कई कई बार चोदता था.
ऐसा हम दोनों ने कई बार किया.

फिर करीब एक महीने बाद और उससे काफी बार लंड चुसवाने के बाद मुझे उसे चोदने का मौका मिला.
उस समय हमारे एक रिश्तेदार के घर के शादी थी, वो हम दोनों के करीबी रिश्तेदार थे और गांव में ही रहते थे. शादी के पहले कुछ दिनों तक हम दोनों की मौज हो गई थी.

उस दिन मेरे घर के … और कविता के घर के सभी लोग शादी में गए थे.
मैं भी गया था.

शादी हमारे घर से थोड़ा आगे ही थी, तो घर पर अब कोई भी नहीं था.
मैं शादी में बस कविता को ही ढूंढ रहा था क्योंकि उसने मुझसे कहा था कि वह आज मुझे एक गजब का सर्प्राइज़ देगी.

फिर आखिरकार वह मुझे मिल ही गयी.
उसने उन दिन साड़ी पहनी थी जिसमें वह काफ़ी कातिलाना माल लग रही थी.
मुझे तो उसे देखते हो उसे चोदने का मन हो गया.

शादी के दौरान मैं पूरे समय में उसको ही देखता रहा.

वह कभी अपनी कमर दिखाती, तो कभी बूब्स, तो कभी जांघ तक साड़ी उठा कर दिखाने लगती.
इससे मुझे उसे चोदने की इच्छा और भी बढ़ रही थी.

पिछले कुछ दिनों से जब से शादी की तैयारियां शुरू हुई थीं, मुझे उसे चोदने की इच्छा काफी बढ़ने लगी थी.

वह बहुत ही कमाल की माल लगने लगी थी.
उसने शादी से पहले के बाकी कार्यक्रमों में भी अपना लुक बहुत कातिलाना बनाया था.
पर मौका ना मिलने के कारण कुछ दिनों से कुछ नहीं हुआ था.

जब वरमाला हो गई तो कविता मेरे पास आई और बोली- सुनो 15 मिनट में मेरे घर पर आकर मुझसे मिलो … और हां कंडोम लेकर ही आना.
इतना कह कर वह चली गयी और मैं खुशी के मारे पागल हो उठा.

मैं मन ही मन नाचने लगा.
आज पहली बार मैं उसकी असली में चुदाई करूंगा.

हर तरह से माकूल माहौल था, घर पर भी कोई नहीं था, सब लोग शादी खत्म होने के बाद ही घर आने वाले थे.
उसमें पूरी रात बीत जाएगी. जब कि अभी सिर्फ़ दोपहर के 3 ही बजे थे.
हमारे पास काफ़ी वक्त था.

मैंने बाज़ार का रुख किया और उधर से कंडोम ले लिये.
फिर उसके घर चला गया.

वह सोफे पर बैठी फिल्म देख रही थी, कुछ खा भी रही थी.
उसने अभी भी वही साड़ी पहनी हुई थी जिसमें वह बहुत हॉट लग रही थी.

उसकी साड़ी का पल्लू पिंक कलर का था और बाकी साड़ी ऑरेंज और हल्के पीले रंग की थी.
दिन के समय में ये रंग उस पर बड़े फब रहे थे.

साथ ही उसने सुनहरे रंग का ब्लाउज पहना था जिसमें वह बहुत ही ज्यादा हॉट लग रही थी.
ब्लाउज काफी कसा हुआ था और गला काफी गहरा था.

मैं उसके पास जाकर बैठ गया और बोला- शुरू करें.
कविता- थोड़ी देर रूको यार, मुझे भूख लगी है, कुछ खा लेने दो.

मैं- हां तो तेरी भूख मिटाने ही तो मैं आया हूँ.
कविता- मुझे सच्ची वाली भूख लगी है.

मैं कुछ नहीं बोला.
वी किचन से एक प्लेट में नाश्ता लाई और खाने के बाद वह बोली- चलो अब ये वाली भूख भी मिटा दो.

मैं उसे उठा कर कमरे में ले गया और उस नंगी करके देखने लगा.
आज चूत एकदम साफ़ थी.
मैंने उसकी चूत चाटी उसने मेरा लंड चूसा.

उसके बाद मैंने कंडोम लगाया और देसी लड़की की चूत में लंड सैट कर दिया.
लंड पेला तो चूत में दर्द होने लगा और वो बिलबिलाने लगी.
उसे काफी दर्द हुआ, खून भी निकला.

अंत में लंड लेकर दीदी बहुत मस्ती से चुदी.
मैंने दीदी की काफ़ी देर तक चुदाई की.

एक बार चुदाई के बाद मन नहीं भरा तो दुबारा और तिबारा भी चुदाई की.

उस दिन मैं उसके साथ 4 घण्टे रहा. वो काफी खुश थी और मैं भी.

अब जब भी हम दोनों को मौका मिलता है, मैं उसकी चुदाई करता हूँ.
पर मुझे अब कंडोम का स्टॉक रखना पड़ता है.

आशा करता हूँ कि आपको मेरी और कविता दीदी की चुदाई की कहानी पसंद आई होगी.
आपने भी कभी देसी लड़की की चूत चोदने का मजा लिया होगा?
मुझे मेल करें!
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