Xxx रेन सेक्स कहानी में मैं अपनी भाभी को चोदता था तो मेरे भाभी मेरी बहन की चूत की बातें करती थी. इससे मेरे मन में बहन की चुदाई की लालसा जाग गयी. एक दिन मौक़ा मिला तो …
मेरा नाम राजन है, मेरी उम्र 21 साल है.
मेरे परिवार में माँ, भैया, भाभी और मेरी बहन है.
मेरी बहन का नाम प्रीति है जो मुझसे 2 साल छोटी है यानि 19 साल की.
मैं अपनी भाभी को भी चोद चुका हूँ.
यह Xxx रेन सेक्स कहानी भाभी की नहीं, मेरी कुंवारी बहन की चुदाई की है.
जब मेरी भाभी को मैंने चोदा तो उन्होंने मुझे मेरी बहन के बदन के बारे में बताया था कि मेरी बहन का फिगर एकदम मस्त है, उसकी 34 की चूचियाँ हैं.
तब भाभी बातों ही बातों में मेरी बहन की चूत के बारे में बताने लगी कि प्रीति की चूत पर बहुत बाल हैं. वह अभी चुदी नहीं है … इत्यादि!
ये सब सुन कर किसी भी लड़के के दिमाग़ में किसी के लिए भी चूत और मन ही मन में चुदाई का ख्याल आना स्वाभाविक है, चाहे वो सगी बहन ही क्यों ना हो!
तब से मैं अपनी बहन को कुछ और ही नज़र से देखता था.
वह सब काम करती थी घर का!
ऐसा हुआ कि अभी जुलाई के महीने में धान की रोपाई चल रही थी, भाभी अभी खेत में नहीं जाती है पर मैं, मेरी बहन और माँ ही ज्यादातर खेत का काम करते हैं.
मेरा एक खेत गाँव से थोड़ा दूर ताल के बगल में है. वहीं पर रोपनी चल रही थी.
बरसात का दिन था तो भीगने की वजह से माँ कोई बुखार आ गया था खेत में थोड़ा रोपना बाकी रह गया था.
उस दिन मेरी बहन बोली- चलो भैया, थोड़ा सा ही तो रह गया है. हम लोग रोपकर आ जाएंगे शाम तक … सब काम ख़त्म हो जाएगा.
मैं और प्रीति चले गए धान के पौधे और एक छाता लेकर रोपने!
मेरे खेत में जोंक भी आती है ताल के पास होने की वजह से!
प्रीति बहुत डरती है जोंक से!
यही वजह थी कि मैं उसके साथ में रहता था.
जोंक पकड़ती तो छुड़ा कर फ़ेंकता रहता था.
हमने जैसे ही रोपाई शुरू की, बरसात शुरू हो गयी.
मैं भीग कर रोपता रहा पर मेरी जवान बहन छाते में बाहर बैठ गयी थी.
बरसात बंद हुई तो वह भी धन रोपने लगी.
कुछ समय बाद उसके पैर में जोंक ने पकड़ लिया. यह जोंक थोड़ा बड़ी थी तो बहन डरकर बाहर भाग गयी.
मैं भी बहन के पीछे गया.
जोंक ने घुटने के थोड़ा नीचे पकड़ा था …उसे मैंने अपने हाथ से निकाल दिया और थोड़ा सहला के बोला- चल कुछ नहीं होता इतने से!
फिर हम दोनों लग गए काम में!
15 मिनट बाद फिर बारिश शुरू हुई.
अबकी बार तेज़ हवा के साथ बिजली भी चमक रही थी और बादल भी गरज रहे थे.
हम दोनों एक ही छाते में आकर बैठ गए.
10 मिनट बाद उसे कुछ हुआ, वो इधर उधर हुई लेकिन कुछ बोली नहीं.
वह अपना हाथ अपने दाई जाँघ के पास ले गई और चिल्ला दी.
उसे लगा कि जोंक है!
पहले मैं भी डर गया, फिर मैंने उसे चुप कराया और मैंने भी हाथ लगाया तो मुझे भी कुछ लगा.
मैं बोला- मैं पकड़ के रखता हूँ. तू अपना सलवार खोल!
तो वह बोली- मैंने कच्छी नहीं पहनी है.
अब मेरी नज़रों के सामने भाभी द्वारा बताये गए सब फिगर, बहन की चूत और झांटें … इस सबका ख्याल आने लगा.
मैं बोला- तो क्या हुआ? बिना खोले कैसे जोंक छोड़ेगी?
तो जैसे ही बहन ने अपनी सलवार की डोरी खोली, मैंने उसे थोड़ा सा लेटाते हुए उसकी सलवार सरकाई.
सबसे पहले चूत के बाल के दर्शन होते ही मेरा दिमाग़ ख़राब हो गया.
मेरी कल्पना से भी ज्यादा बाल थे बहन की चूत पर!
लेकिन मैंने ऐसा रियक्ट किया कि जैसे मैंने देखा ही नहीं!
फिर सलवार को और सरकाया तो देखा कि मैंने जो पकड़ा था, वह सलवार की डोरी ही थी.
अब मेरे दिमाग़ में उल्टा ख्याल आने लगा.
मैंने अपने नाख़ूनों से बहन की जांघ पर चिकोटी काटी ताकि उसे लगे जोंक ही है.
मेरा लंड तनकर शख्त हो गया था.
मैंने अपना दूसरा हाथ उसकी चूत पर लगाया.
वह गर्म भट्ठी जैसे तप रही थी.
बारिश अब कम हो रही थी लेकिन जिस्म में आग लग गयी थी.
मैं सीधा उसकी चूत को सहलाने लगा.
तभी चौंक कर वह उठने लगी.
लेकिन मैंने हाथ उसकी चूचियों पर रखकर धक्का देकर लिटा दिया और उसके बराबर में लेट गया.
वह नीचे से नंगी थी, उसकी सलवार खुली हुई थी तो थोड़ी कोशिश करके मैंने एक पैर निकाल दिया था और मैं उसकी दोनों टांगों के बीच में आ गया.
मैं हाथ से बहन की चूची दबाने लगा.
उसकी चूची बहुत टाइट थी फिर भी मैं उसे जोश में मसले जा रहा था.
लेकिन मेरी बहन थोड़ा नाम मात्र दिखावे का विरोध कर रही थी.
मेरे लंड और उसकी चूत के बीच बस मेरा अंडरवियर बचा था.
उसकी चूत बिल्कुल तप रही थी, भट्ठी के समान गर्म हो गयी थी.
मैंने अपना अंडरवियर नीचे सरकाया, लंड उसकी चूत पे टच हुआ, फिर उसकी चूत पे हाथ लगाया तो देखा कि बहन की चूत पानी छोड़ रही थी, गीली हो गयी थी.
इधर चूत चुदाई के लिए बिल्कुल तैयार थी हाथ लगाने से ही पता चल गया था.
जब मैंने बहन के चेहरे को देखा तो वह भी आँकहें बंद करके सिसकारियाँ ले रही थी.
अब मैंने अपने लंड को बहन की चूत के मुँह पर लगाकर दोनों हाथों से उसके दोनों हाथ दबा के शरीर का पूरा बल उसके ऊपर दिया और एक किस किया.
एक बार वो बोली- भईया, क्या ये सही है?
मैं बोला- अभी मज़ा ले! वैसे भी तू माल मस्त है! मौसम भी साथ दे रहा है, जवानी के मज़े ले अभी!
वह बोली- कुछ हो गया तो?
मैं बोला- अरे पागल … मैं कहाँ भागने वाला हूँ? मुझे भी तो गाँव में ही रहना है ना! कुछ होने दूंगा तुझे क्या? हाँ लेकिन एक बार थोड़ा दर्द होगा झेल लेना बस!
पहले मेरी बहन थोड़ा घबराई … लेकिन और कोई चारा ना दिखा तो वह बोली- थोड़ा आराम से … मेरी अभी तक पूरा कुंवारी है!
अब उसको तैयार देख थोड़ा शरारती लहजे में उसके कान में बोला- तभी तो और मज़ा आएगा बहन की कुंवारी चूत फाड़ने में!
उसके बाद मैंने उसके हाथ छोड़ कर दोनों हाथ से उसके चेहरे को पकड़ कर होंठों से होंठ मिला दिये.
मेरा लंड अभी चूत के पास ही उफान मार रहा था.
बारिश अब धीरे धीरे फिर तेज़ हो रही थी.
जब मुझसे रहा ना गया तो मैंने मुँह से ढेर सारा थूक ले कर लंड पर और चूत पर लगाया और अपनी एक उंगली बहन की बुर में डालने की कोशिश की.
आराम से फ़िसलकर उंगली ने चूत में अपना रास्ता बना लिया.
हवा तेज़ हो रही थी.
तब मैंने उंगली निकालकर चूत पर लंड रखा और हल्का सा दबाव दिया.
थोड़ा सा अंदर गया मेरा लंड … प्रीति ऊपर सरक कर बोली- दर्द कर रहा है भाई!
मैं बोला- यार, अभी तो शुरू हो रहा है. एक बार दर्द सह कर ले लो. फिर मज़ा देखो!
इतना बोल कर मैं भी थोड़ा सा ऊपर हो गया.
फिर लंड को चूत के मुँह पे रगड़ कर रोककर प्रीति को जकड़ लिया और झटके के साथ एक बार में लंड घुसाने की कोशिश की.
करीब आधा लंड ही घुसा होगा कि दर्द के मारे मेरी बहन की आँखें बाहर को आ गयी.
वह रोने लगी और मेरी पकड़ से छूटने की कोशिश करने लगी.
जैसे ही वह थोड़ी ढीली हुई, मैंने हल्का पीछे होकर पूरा लंड पूरा पेल दिया उसके अंदर!
बरसात के साथ बिजली कड़कने की तेज़ ध्वनि आकाश में थी.
मेरा लंड बहन की चूत के अंदर तक घुस चुका था.
प्रीति एकदम शांत पड़ गयी जैसे शरीर में उसके जान ही ना हो.
मैं उठा तो देखा लंड पूरा चूत में था और बाहर खून की धार टपक सी रही थी.
बहुत सुकून मिला मुझे आज अपनी बहन की सील तोड़कर!
अब मैं उसको हिला कर थोड़ा होश में लाया.
फिर पीछे होकर धक्का दिया.
अब वह सिर्फ आह्ह उह्ह्ह के जैसे आवाज निकाल रही थी.
5 मिनट बाद वह इस चुदाई में सहयोगी का काम करने लगी.
10 मिनट बाद उसकी चूत इतना पानी छोड़ने लगी कि मेरा लंड आसानी से आ जा रहा था.
Xxx रेन सेक्स का पूरा मजा हम दोनों भाई बहन ले रहे थे.
लेकिन वह फिर भी ‘आहह ऊऊ स्सस्सी मम्मीई’ ऐसी आवाजें निकाले जा रही थी.
कुछ देर बाद ज़ब चूत का पानी सूख रहा था, तभी मेरा माल निकल जाने को आया.
मैं उसकी दोनों चूची हाथों में कस कर तेज़ी से चोद रहा था.
1 मिनट बाद लंड का लावा आखिर निकल ही गया.
मैंने आखिरी बूँद तक पूरा वीर्य बहन की चूत में ही भर दिया.
कुछ पल बाद मेरा लंड छोटा होकर बाहर आ गया.
तब मैंने अपनी बहन की चूत को देखा तो उसमें लगभग 2.5 सेमी का खुला छेद हो गया था.
उसमें से उसकी चूत का रस और मेरा वीर्य बहते हुए आ रहा था.
दोस्तो, अभी तक मैंने अपनी बहन प्रीति की चूचियाँ नहीं देखी थी. वे उसकी कमीज के अंदर ही थी. मैंने उन्हें खूब मसला था पर शर्ट के ऊपर से ही.
इस तरह से मैंने अपनी कुंवारी बहन को चोद दिया था.
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