दोस्त की बीवी के साथ सेक्स का मजा

Xxx चीट वाइफ सेक्स कहानी मेरे दोस्त की नवविवाहिता बीवी के साथ गर्मागर्म सेक्स की है. मैं दोस्त के पास दिल्ली घूमने गया तो उसकी बीवी से सेटिंग हो गयी.

मित्रो, मेरा नाम राज है. मैं लखनऊ से हूँ.

यह Xxx चीट वाइफ सेक्स कहानी आज से 6 महीने पहले की है.

मेरे फ्रेंड का नाम गौरव है और वो अभी दिल्ली में रहता है.
उसके पापा सरकारी कर्मचारी हैं और गौरव खुद मार्केटिंग मैनेजर है.

गौरव से मेरी दोस्ती तब हुई थी जब उसके पापा की पोस्टिंग लखनऊ में थी.
वे लोग मेरे पड़ोस में ही रहते थे और हम दोनों की फैमिली भी आपस में एक दूसरे से घुली मिली हुई थी.
उसके बाद वे सब दिल्ली शिफ्ट हो गए थे.

गौरव की शादी 2 साल पहले दिल्ली में ही हुई थी.
तब मैं अपनी फैमिली के साथ उसकी शादी में गया भी था.

उसकी पत्नी को जब मैंने शादी के जोड़े में देखा था तो देखता ही रह गया था.
वह लाल रंग के जोड़े में एकदम परी जैसी लग रही थी.
उसको देख कर मेरा मन कर रहा था कि इस लड़की की शादी गौरव की जगह मुझसे हो जाए तो मज़ा ही आ जाए.

फिर गौरव ने अपनी वाइफ से मेरा परिचय करवाया.
हम दोनों के बीच उसी समय हैलो भी हुई.

फ़ंक्शन के बाद हम लोग वापिस लखनऊ आ गए.
अब हम लोग व्हाट्सैप और इंस्टाग्राम के जरिए बातचीत करते रहे.

गौरव की वाइफ भी इंस्टाग्राम पर थी तो मैंने उसे फॉलो कर लिया और उसकी पोस्ट व स्टोरी पर कमेंट करने लगा.

एक दिन मैं गौरव से बात कर रहा था तो उसने बताया कि अगले सप्ताह वह ऑफिस के काम से मुंबई जा रहा है.
मैंने उससे कहा- ओह शिट यार … मैं तो दिल्ली घूमने आ रहा था और सोच रहा था कि तेरे साथ मैं दिल्ली अच्छे से घूम लूँगा. अब मुझे कौन घुमाएगा!

गौरव- भाई, तू बाकी का किसी तरह से मैनेज कर ले … पर तू रुकेगा घर पर ही!

मैं- नहीं नहीं भाई, इसकी कोई ज़रूरत नहीं है. मैंने होटल बुक कर लिया है.

गौरव- मुझे कुछ नहीं पता. तू बस घर रुकेगा … और तुझे घुमाने का काम तेरी भाभी कर देगी.

मैंने उसके ज्यादा ज़िद करने के कारण उसको हां बोल दिया.
जबकि मैं यही चाहता भी था कि मुझे उसके घर पर रुकने का अवसर मिल जाए.

गौरव- और सुन, मैं ट्राई करूंगा कि मैं मुंबई का काम जल्दी फिनिश करके दिल्ली वापस आ जाऊं.
मैं- ठीक है.

फिर एक सप्ताह के बाद. मैं दिल्ली पहुंच गया और गौरव के घर के बाहर आकर उसके दरवाजे की घंटी बजाई.

आंटी ने दरवाजा खोला और सामने मुझे आया देख कर वे खुश हो गईं.

आंटी- आ गए बेटा, गौरव बोल रहा था कि तू आएगा और उसने तुझे यहीं रुकने को बोला है. आ जा अन्दर आ जा.

मैं अन्दर आया और मैंने पूछा- आंटी जी, अंकल और भाभी नहीं दिख रहे हैं?

आंटी- तेरे अंकल मार्केट गए हैं और तेरी भाभी शिवानी (गौरव की पत्नी) रसोई में है.

तभी आंटी ने आवाज दी- शिवानी देख … कौन आया है!

शिवानी बाहर आई और मुझे देख कर बोली- ये राज हैं मम्मी, गौरव काफ़ी तारीफ करते हैं इनकी … और उन्होंने मुझसे इनको दिल्ली घुमाने को बोला है.

आंटी- क्या लेगा बेटा चाय या कॉफी?
मैं- कॉफी.

आंटी- शिवानी, जा कॉफी बना ला!
शिवानी को रसोई में जाते हुए देखा तो साड़ी में पीछे से उसकी मटकती गांड को देख कर मेरा मन किया कि अभी ही पटक कर चोद दूँ, लेकिन किसी तरह से अपने मन को समझाया.

कुछ देर बाद:

शिवानी- लीजिए, कॉफी पी लीजिए.
जब शिवानी कॉफी देने के लिए झुकी तो उसके मम्मों की छटा को देखता रह गया.

मेरी नजरों का पीछा करते हुए ये बात शिवानी ने भी नोटिस कर ली.
लेकिन वह बिना कुछ बोले, कॉफी टेबल पर रख कर वापस चली गई.

मैं अभी आंटी से बात कर ही रहा था कि तभी अंकल मार्केट से आ गए.

अंकल-आंटी दोनों ही मुझसे लखनऊ के बारे में पूछने लगे और मैंने उन्हें सब बताया.

तब अंकल बोले- बेटा फ्रेश हुए या नहीं या तेरी आंटी की बातें ही खत्म नहीं हो रही हैं!

यह सुन कर हम तीनों हंसने लगे.

गौरव का घर ज्यादा बड़ा नहीं था.
ग्राउंड फ्लोर पर एक रूम अंकल-आंटी का, रसोई और हॉल था.
सेकंड फ्लोर पर 2 रूम थे, एक गौरव का और एक गेस्ट रूम था. उधर दोनों कमरों के बीच एक कॉमन बाथरूम था.

अंकल- शिवानी बेटा, राज को ऊपर का रूम बता दो, वो फ्रेश हो जाएगा और ब्रेकफास्ट कर लेगा.

शिवानी- ठीक है पापा जी, राज आओ, मैं तुम्हें तुम्हारा रूम दिखा देती हूँ.

वह सीढ़ी से ऊपर चढ़ रही थी और मैं पीछे पीछे उसकी गांड की थिरकन को निहार रहा था.
उसने मुझे रूम दिखाया और बाथरूम बता कर नीचे चली गई.

मैंने अपना सामान कमरे में रखा और अंडरगार्मेंट्स व टॉवल लेकर नहाने चला गया.
अन्दर देखा कि बाथरूम में शिवानी के 3 सैट ब्रा पैंटी सूख रहे हैं, जिनमें से 2 साधारण थे और एक नेट का था.

मैंने उनको जैसे ही हाथ लगाया, मेरा हथियार तन कर खड़ा हो गया.
साथ ही मैंने देखा कि भाभी 34 सी साइज़ इस्तेमाल करती है मतलब उसके चूचे 34 के हैं.

मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने भाभी की ब्रा को उठाया और लंड पर रख कर लौड़े को हिलाने लगा.
मैं उस ब्रा को खींच खींच कर देखने लगा.

अचानक से ब्रा की तनी टूट गई. मैं डर गया कि ये क्या बवाल हो गया.
मैंने वैसे ही उसे टांग दी और जल्दी जल्दी नहा कर वापिस अपने रूम में आ गया.

मैं कपड़े पहन कर रेडी हुआ और ब्रेकफास्ट के लिए नीचे चला गया.

हमने ब्रेकफास्ट एक साथ किया.

आंटी- शिवानी बेटा जाओ … तैयार हो जाओ और राज को थोड़ा दिल्ली घुमा लाओ.
अंकल- कार से जाना, बाहर बहुत गर्मी है!

शिवानी- ठीक है मम्मी जी, पापा हम लोग मेट्रो से घूम आएंगे. ट्रैफिक और पार्किंग के कारण अच्छे से नहीं घूम पाएंगे.
अंकल- ठीक है बेटा.

शिवानी ऊपर चली गई और कुछ देर बाद वो एक पिंक कलर का सूट पहन कर नीचे आ गई.

उसने कहा- मम्मी आप लोगों के लिए कुछ बना दूँ!
आंटी- नहीं, मैं बना लूंगी.

शिवानी- चलो राज, फिर हम चलते हैं.
मैं- एक मिनट भाभी, मैं ऊपर से अपना पर्स ले आता हूँ.

मैंने रूम से पर्स लिया और टॉयलेट चला गया ताकि रास्ते में कहीं ना करना पड़े.

टॉयलेट करते हुए मैंने देखा कि भाभी की ब्रा पैंटी अब वहां नहीं हैं.
मैं डर गया और सोचने लगा कि भाभी क्या सोच रही होगी!

मैं नीचे आ गया और भाभी के साथ घूमने निकल गया.

भाभी ने मेट्रो के टूरिस्ट पास ले लिए थे.
मेट्रो में भीड़ ज्यादा थी इस कारण भाभी मेरे आगे थी और मैं उसके पीछे.
भाभी की गांड मेरे लंड से पूरी रगड़ रही थी.

अगले स्टॉप पर पीछे से भीड़ और ज्यादा चढ़ने के कारण मैं भाभी से और ज्यादा चिपक गया.
अब मेरा लंड खड़ा भी हो गया था और उसकी गांड की दरार में पूरा रगड़ मार रहा था.

शायद भाभी को इस बात का अहसास हो चुका था तो वो जबदस्ती पलट कर खड़ी हो गईं.
उसने अपना मुँह मेरी तरफ कर लिया था.

मैं तो उससे नज़र ही नहीं मिला पा रहा था.

फिर मैं भाभी के साथ लालकिला, जामा मस्जिद, मीना बाज़ार घूमता रहा.
दोपहर के 2 बज गए थे.

मैंने भाभी से लंच करने के लिए कहा.
वह हां में सर हिलाती हुई मुझे चाँदनी चौक की परांठे वाली गली में ले गईं.

वहां हमने कुछ किस्म के पराँठे खाए और स्वादिष्ट भोजन किया.
फिर हम दोनों वापस मेट्रो में आ गए.

भाभी इस बार पहले से मेरी तरफ मुँह किए हुई थी.
मैं उससे नज़र नहीं मिला पा रहा था.

वैसे लोगों को लग रहा था कि हम कपल ही हैं.

फिर राजीव चौक पर हम लोग घूमे, उधर का फास्टफूड ट्राई किया और घर आ गए.

घर आने के बाद मैं अंकल आंटी से बात करने लगा.
भाभी फ्रेश होकर रसोई में खाना बनाने लगी.

अंकल- जाओ बेटा, तुम भी फ्रेश हो आओ … फिर साथ में खाना खाते हैं.

ये सब भाभी ने सुन लिया था और उसने मुझे ऊपर जाते हुए भी देखा.

मैं बाथरूम में पहुंचा, तो देखा कि फिर से भाभी की एक ब्रा-पैंटी वॉल हैंगर पर टंगी है और विंडो में बाल हटाने वाली क्रीम रखी थी.

मुझसे रहा नहीं गया और मैंने भाभी की पैंटी को सूंघा तो बड़ी मादक खुशबू आ रही थी.
मैं समझ गया कि भाभी ने बिना धोई ही यहां रख दी है.

इससे मेरी थोड़ी हिम्मत बढ़ गई और मैं सुनहरे भविष्य की कल्पना करते हुए वीट से अपने लौड़े की सफाई करने लगा.

खाना खाने के बाद सब टीवी देखने लगे और थोड़े देर बाद सब सोने चले गए.

मैं भाभी से अभी भी नज़र नहीं मिला पा रहा था. मैं भी अपने कमरे में जाकर सो गया.

दिल्ली घूमने के कारण काफी थकान थी, तो गहरी नींद में सो गया.

सुबह उठ कर बाथरूम में जाकर देखा कि बाथरूम में कल वाली ब्रा पैंटी नहीं थी लेकिन दूसरी थी और वो भी बिना धुली.

मैं बाथरूम से फारिग हुआ और नीचे आ गया.
हम लोगों ने ब्रेकफास्ट किया और घूमने निकल गए.

मेट्रो में आज भी भीड़ थी तो भाभी आगे थी और मैं पीछे.
लेकिन भाभी ने मेरी तरफ चेहरा नहीं किया था, जिससे उनकी गांड में मेरा लंड से फिर से रगड़ रहा था.

भाभी की गांड में रगड़ से मेरा लंड थोड़ी देर में खड़ा हो गया लेकिन भाभी ने कोई हरकत नहीं की.
शायद उसको भी अच्छा लग रहा था.

आज ऐसा काफ़ी बार हुआ लेकिन भाभी ने हर बार गांड पीछे ही रखी थी. शायद ये मेरे लिए ग्रीन सिग्नल था.

मैंने ग्रीन सिग्नल को कन्फर्म करने के लिए भाभी से कहा- भाभी मुझे कुछ शॉपिंग करनी है!
वे मुझे एक मॉल में ले गई, जहां मैंने उसके सामने 2 बॉक्सर खरीदे और एक पैंट शर्ट.

मैं- भाभी आपको कुछ नहीं लेना क्या?
भाभी- राज, सबसे पहले तो भाभी बोलना बंद कर यार … बड़ा अजीब सा लगता है. तुम मुझे शिवानी भी बोल सकते हो!

मैं- ओके, शिवानी. अब तो कुछ ले लो!
शिवानी- नहीं नहीं, काफी ड्रेस हैं मेरे पास.

मैं- शिवानी, एक गिफ्ट तो मेरी तरफ से बनता है यार प्लीज़ … प्लीज़ ना मत कर ना!
शिवानी- ओके ओके.

मैं- क्या लेना है फिर?
शिवानी- सूट ले लेती हूँ.

मैं- कोई वेस्टर्न ट्राइ करो ना!
शिवानी- नहीं नहीं, घर में वो सब अलाऊ नहीं है.
मैं- ओके.

शिवानी- ये अच्छा है.
फिर वो उसे लेकर ट्रायल रूम में चली गई और चैक करके वापस आई.

वो बोली कि फिटिंग भी प्रॉपर है.
मैं- अन्दर की फिटिंग भी देख लो!

शिवानी- क्या बोले?
मैं- कुछ नहीं.

शिवानी मुस्कुरा कर बोली- ठीक है, अन्दर की चीजें तुम ही पसंद कर लो.
मैंने हंस कर कहा- सोच लो, फिर मना नहीं करना. मैं जो लूँगा … वो सब तुमको रखना होगा!
शिवानी- ठीक है!

फिर हम दोनों लेडीज सेक्शन में गए और मैंने अपनी पसंद से दो फ़ैन्सी ब्रा पैंटी के सैट, दो ब्राइडल और एक नेट वाली नाइटी दिला दीं और एक वेस्टर्न ड्रेस भी देखने लगा.

शिवानी- मैं ये वाली … ये नहीं प्लीज़, मैं नहीं पहन पाऊंगी!
मैं- अरे यार घर का मैं देख लूंगा.
वह कुछ नहीं कह पाई.

फिर बिलिंग करने के बाद हम दोनों घर के लिए निकल गए.
इस बार मेट्रो में शिवानी ने मुझे ऐसे पकड़ रखा था जैसे मैं ही उसका हज़्बेंड हूँ.
हम दोनों में कोई शर्म या डर नहीं था.

घर आने में थोड़ा लेट हो गए थे तो शिवानी आते ही खाना बनाने के लिए रसोई में घुस गई.

खाना खाने के बाद मैंने अंकल से पूछा- अंकल अगर आप आज्ञा दें, तो क्या मैं और भाभी आगरा जाकर ताजमहल देख आएं! मैंने भी नहीं देखा है और उन्होंने भी.

शिवानी ये सब सुन रही थी और अचानक से ये बात सुन कर वो चौंक सी गई.

अंकल- बेटा … पर अचानक ताज महल?
मैं- अंकल मेरे फ्रेंड ने बताया कि दिल्ली जा रहा है … तो ताज महल भी हो आना. कुल 3 घंटे ही लगेंगे. अगर आप अनुमति दें तो ही जाएंगे.

अंकल बोले- ठीक है, पर जाओगे कैसे?
मैं- कार हायर कर लूंगा.

अंकल- फिर तो अपनी कार से चले जाओ.
मैं- थैंक्स अंकल. अब सो जाता हूँ … काफी थक गया हूँ.
उन्होंने हामी भर दी तो मैं ऊपर आ गया.

थोड़ी देर बाद बाथरूम का दरवाजा खुलने की आवाज आई तो मैं समझ गया कि शिवानी फ्रेश होने गई होगी.

मैं जल्दी से बाथरूम के पास पहुंचा तो देखा कि अन्दर कोई नहीं है.

इतने में ही बाथरूम का गेट फिर से ओपन हुआ और शिवानी अन्दर देख कर चौंक गई.

मैंने जल्दी से बाथरूम का दरवाजा बंद किया और उसे चुप रहने का इशारा कर दिया.

शिवानी धीमी आवाज में बोली- यहां क्या कर रहे हो, कोई देख लेगा!

मैं- सब सो गए हैं यार … मुझसे रहा नहीं जा रहा है. प्लीज़ आओ ना!

ये कह कर मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रखे और उसको किस करना चालू कर दिया.

शिवानी ने चुपके से शॉवर चालू कर दिया तो हम दोनों भीग गए.
लेकिन हमारी चूमाचाटी चालू रही.
आग दोनों तरफ लगी थी.

फिर मैंने उस Xxx चीट वाइफ को उल्टा घुमाया और उसकी पीठ को चूमने लगा.

शिवानी कुछ ही पल बाद अपने आपसे घूम गई और मेरे सर को पकड़ कर अपनी नाभि पर दबाने लगी.

मैं खड़ा हो गया और शॉवर बंद करके शिवानी के कपड़े अलग करने लगा.
शिवानी मेरे मुँह को अपने मम्मों पर टिकाती हुए बड़बड़ाने लगी- आह खा जाओ … आह.
मैंने भी ज्यादा देर ना करते हुए उसकी ब्रा को अलग कर दिया और उसके मम्मों पर टूट पड़ा.

कुछ ही देर में मैंने उसके दोनों मम्मों को चूस चूस कर लाल कर दिए.

फिर मैंने उसकी सलवार और पैंटी को खोल दिया.
मेरे सामने एकदम मलाई जैसी चिकनी चूत आ गई थी.

देर ना करते हुए मैंने उसकी चुत को अपने मुँह में ले लिया.

शिवानी भी अब मेरे सर को ओर जोर से दबाने लगी थी और सर को हिलने नहीं दे रही थी.
तभी उसकी चूत से नमकीन स्वाद मुँह में जा रहा था और मैं अपनी पूरी जीभ उसकी चूत में दे रहा था.

कुछ ही मिनट बाद शिवानी ने मुझे सर पकड़ कर खड़ा किया और हम दोनों ने फिर से किस करना चालू कर दिया.
दोनों के मुँह का रस एक दूसरे के मुँह में जा रहा था.

इस दौरान मैं एक हाथ से शिवानी के दूध मसल रहा था और दूसरे हाथ से उसकी चूत रगड़ रहा था.

शिवानी ने देर ना करते हुए एक हाथ से लंड पकड़ लिया और एक मिनट के बाद वो नीचे बैठ कर मेरे लंड से खेलने लगी.

मेरे लौड़े से खेलते समय उसकी आंखें मेरी आंखों से लड़ रही थीं.
हम दोनों की आंखों में वासना का सागर हिलोरें ले रहा था.

उसी पल उसने मेरे लौड़े को अपने मुँह में ले लिया और पक्की रांड की तरह से लंड को ऐसे चूसने लगी जैसे उसे कई सालों बाद लंड मिला हो.

मैंने शिवानी के मुँह को लंड के अन्दर जोर से दबाया और स्खलन कर दिया.
शिवानी मेरे वीर्य को पूरा पी गई और लंड को चाट कर साफ करके खड़ी हो गई.

उसने मेरे सर को अपनी चूत पर टिकाया और पेशाब कर दी.

मैं उसकी गर्म पेशाब को पीने लगा पर पूरी पेशाब को नहीं पी पाया.
उसकी पेशाब मेरे मुँह में भर गई थी.

उसकी सुसू टपकना बंद होते ही मैं उठाया और मैंने उसी की पेशाब को उसी के मुँह पर थूक दी.
वो भी किसी छिनाल के जैसे अपनी ही पेशाब को जीभ से मुँह में लेकर चाटने लगी.

अब मैंने शिवानी को डॉगी स्टाइल में झुका दिया और लंड एक बार में ही उसकी बुर के अन्दर पेल दिया.
शिवानी के मुँह से चीख निकल गई.

थोड़ी देर बाद मैंने शिवानी को वहीं फर्श पर लिटाया और उसकी चुदाई चालू कर दी.
शिवानी भी जोर जोर से चुदाई करने को बोलने लगी.

दस मिनट बाद मेरा रस निकलने वाला हो गया था.
मैंने शिवानी से पूछा- रबड़ी कहां निकालूँ?
उसने अपना मुँह खोल कर इशारा कर दिया.

मैंने लंड चूत से निकाला और उसके मुँह में दे दिया.

उसने लौड़े को चूस चूस कर उसका माल निकाल कर खा लिया और लंड को चाट कर पूरा साफ कर दिया.

कुछ देर बाद हम दोनों नहाये और उसी दौरान मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया.
मैंने उसकी गांड में लंड डाल दिया.

शिवानी को गांड मराने में काफ़ी तेज दर्द हो रहा था.
वो बोली- प्लीज़ बाहर निकाल लो.

लेकिन मैं 5 मिनट तक अन्दर ही लंड पेले रुका रहा.
जब शिवानी का दर्द कम हो गया, तब मैंने अन्दर बाहर करना चालू कर दिया.

कुछ मिनट के बाद मैं उसकी गांड के अन्दर ही झड़ गया.

जैसे ही मैं उससे अलग हुआ, शिवानी मेरे गले से लग गई और बोली- प्लीज़ मुझे अलग मत करो. मैं तुमसे दूर नहीं होना चाहती.

फिर मैं टॉयलेट कमोड पर बैठ गया और वो मेरी गोद में बैठ गई.
वह बताने लगी कि आज उसको जितना मज़ा आया है, वो आज से पहले कभी नहीं आया.

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