होटल में सगी चाची की चूत गांड का मजा

चाची चुदाई की हॉट कहानी में पढ़ें कि मैं अपनी चाची को इलाज के लिए उज्जैन ले गया. वहां होटल में रुके. चाची साड़ी उतार के पेटीकोट में सोने लगी तो मैंने उनके चूतड़ देखे.

मित्रो, आप सबको मेरा नमस्कार.
मेरा नाम प्रशांत है. मेरी उम्र 26 साल है कद 6 फुट 2 इंच का और लंड का साइज़ 7 इंच है.
मैं दिल्ली से हूँ.
मैंने अपनी बीएससी की पढ़ाई पूरी कर ली और अब जॉब की तलाश में हूँ.

यह कोई सेक्स स्टोरी नहीं है बल्कि एक सच में घटित वाकया हुआ था.
चाची चुदाई की हॉट कहानी में जो हुआ, सब अचानक ही हो गया था; मैंने पहले से ऐसा कुछ नहीं सोचा था.

मेरी चाची की हाइट ज्यादा लंबी नहीं है, वे लगभग 5 फुट 1 इंच की ही होंगी. देखने में एकदम स्लिम फिट हैं.
चाची के 3 बच्चे हैं, दो लड़की और एक लड़का.
मेरी चाची की उम्र लगभग 40 साल की होगी, लेकिन वे बहुत ही सुंदर और गोरी हैं.

चाची को बहुत दिनों से पथरी की प्राब्लम थी, उनके गुर्दे में पथरी थी.
जब तक वो दवाई खाती थीं, तो कुछ दिन तक आराम रहता था और फिर वही दिक्कत शुरू हो जाती थी.

मैंने चाची से कहा- चाची, उज्जैन में एक माता हैं, वो पथरी निकाल देती हैं. उनके बारे में बहुत सुना है.
वो बोलीं- लेकिन उज्जैन तो बहुत दूर है?

मैंने कहा- हां शाम को पुरानी दिल्ली से शाम को 6 बजे की ट्रेन है. वो दोपहर 1 या 2 बजे तक उतार देगी.
वो बोलीं- देखो, कहती हूँ तेरे चाचा से!

चाची ने चाचा से पूछा तो चाचा बोले- अभी तो ऑफिस से छुट्टी नहीं मिल पाएगी. तुम एक काम करो, प्रशांत से ही पूछ लो. अगर वो फ्री हो तो उसके साथ चली जाओ. वरना मैं अगले महीने चलूँगा. अगर वो साथ जाने को मान जाए तो टिकट में बुक करा देता हूँ.

चाची ने मुझसे पूछा.
अगले कुछ दिन मैं फ्री था तो मैंने सोचा कि चलो इसी बहाने से घूम ही आऊंगा.
मैंने ओके कर दिया.

उस वक्त तक मेरे मन में चाची के लिए कुछ भी ग़लत नहीं था.

चाची ने चाचा से फ़ोन करके कहा तो चाचा ने 2 दिन बाद जाने की टिकट करा दी और लौटने की टिकट वहां एक दिन रुक कर अगले नाइट की ट्रेन में करा दी क्योंकि वहां दोपहर में पहुँच कर पथरी निकल पाती या नहीं, इसकी जानकारी नहीं थी.
इसलिए चाचा ने एक दिन का मार्जिन रखा था.

फिर तयशुदा दिन को हम दोनों स्टेशन को निकल गए.
पुरानी दिल्ली से ट्रेन पकड़नी थी.

ट्रेन में सब नॉर्मल था.
हम दोनों अपनी अपनी सीट पर बैठ गए और कुछ समय बाद ट्रेन चल दी.

आठ बजे के आस पास चाची ने खाने का डिब्बा खोला और हम दोनों ने खाना खाकर अपने सोने की तैयारी की और जल्द ही सो गए.

नींद गहरी आई थी तो हम दोनों की आंख सीधे सुबह 8 बजे खुली.
मैं फ्रेश होकर आया.
फिर चाची चली आई और वो भी फ्रेश हो आईं.

उसके बाद चाय वाला निकला तो उससे चाय लेकर कुछ नमकीन मठरी आदि के साथ सुबह का नाश्ता किया.

चाची अपने साथ खाने का पूरा इंतजाम करके चली थीं.

फिर ट्रेन ने हमें दो बजे दोपहर में उज्जैन स्टेशन पर उतारा.

जिधर हमें जाना था वो स्थान स्टेशन से काफी दूर था.
हमें तीन ऑटो बदलने पड़े, तब हम दोनों वहां पहुँच सके जिधर हमको पथरी निकलवाने जाना था.

उधर पहुंचते पहुंचते हमको 4 चार बज गए थे.

वहां उन्होंने कहा- अब कल आना. सुबह के समय पथरी निकालने का काम किया जाता है.
चाची ने कहा- चलो प्रशांत, हम यहीं कहीं एक रूम लेकर रुक जाते हैं.

वहां पास में कोई होटल नहीं था.
मैंने एक ऑटो वाले से पूछा, तो उसने बताया कि होटल यहां से 15 किलोमीटर दूर है.

मैंने चाची की तरफ देखा तो उन्होंने हां में सर हिला दिया.

हमारे पास और कोई विकल्प ही नहीं था.
मैंने उस ऑटो वाले से चलने की बात की तो उसने 120 रुपए लिए और होटल के बाहर छोड़ दिया.
वहां हमने एक रूम ले लिया.

फिर हम दोनों रूम में गए, उधर गर्म पानी से अच्छे से नहाए.

मैंने बैग में से पजामा निकाला और पहन लिया.
चाची ने दूसरी साड़ी पहन ली.

इस सब में शाम के सात बज गए थे.
बहुत तेज भूख लगी थी तो बाहर आकर खाना वगैरह खाया और वापस कमरे में आकर लेट गए.

कमरे में एक ही डबलबेड था और ओढ़ने के लिए हल्का सा एक ही कम्बल था.
हम दोनों ने थोड़ी देर तक बात की और चाची ने कहा- चलो अब सो जाओ, कल पथरी निकलवा कर शाम को वापसी जाना है.

मैंने आंखें मूँद लीं.
चाची ने सोने से पहले अपनी साड़ी निकाल दी, वे पेटीकोट और ब्लाउज में ही लेट गईं.

जैसे ही साड़ी निकाली, वैसे ही मुझे चाची के चूतड़ देख कर सेक्स सा चढ़ गया.
चाची वापस लेट गईं और उन्होंने कम्बल ओढ़ लिया.

उन्होंने बेड के बाजू में लगा स्विच ऑफ करके लाइट बंद कर दी.
मैं भी सो गया.

हम दोनों गहरी नींद में सो गए थे.

रात को एक बजे मेरी आंख खुली तो मैं पेशाब करने गया.

बाथरूम से वापस आकर देखा तो चाची एक साइड करवट लेकर सो रही थीं.
मैं लेट गया.

कमरे में जीरो वाट की लाइट जल रही थी.

मेरे दिमाग़ में बार बार वही सीन आ रहा था जब चाची ने साड़ी उतारी थी.
क्या मस्त चूतड़ थे चाची के … आह मेरे लौड़े में सुरसुरी होने लगी.

मैंने कम्बल हटाया तो चाची का पेटीकोट उनकी जांघों से ऊपर था.
उनकी नंगी जांघें देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया.

मेरा 7 इंच का लंड एकदम टाइट हो गया था और कंट्रोल से बाहर हो रहा था.

लेकिन मुझको डर भी लग रहा था कि कहीं चाची गुस्सा हो गईं तो वाट लग जाएगी.

फिर हिम्मत करके मैंने चाची का पेटीकोट उनकी कमर तक कर दिया.
उन्होंने पैंटी नहीं पहनी थी.

आह क्या मस्त गांड थी चाची की … सच में मुझसे जरा भी संयम नहीं हो रहा था.
मैंने हल्का सा हाथ लगाया तो एकदम संगमरमर से चिकने चूतड़ थे.

चाची के चूतड़ के ऊपर हाथ फेरते हुए मैं हथेली को जरा सा नीचे ले गया.
एक उंगली आगे की और चूत का स्पर्श हो गया.
मैंने आज पहली बार चाची की चूत देखी थी. उस पर हल्के हल्के झांट के बाल थे.

चाची बिल्कुल शांत पड़ी थीं, मेरे स्पर्श से वो जरा सी भी नहीं हिली थीं.

शायद वो काफी थक गयी थीं. इसलिए उनकी नींद एकदम गहरी थी.
फिर मैंने अपनी उंगली पर थूक लगाया और चाची की चूत में थोड़ी सी डाली.

उनकी चूत में उंगली डालते ही चाची जरा सी हिलीं, मैंने तुरंत उंगली पीछे की और डर गया.

मैं फिर से लेट गया और चाची को ऐसे ही देखता रहा.
मेरा लंड लोहे की तरह बहुत ज्यादा सख्त हो रहा था.
वासना में मेरी सोचने समझने की शक्ति खत्म हो गई थी और डर के ऊपर वासना हावी हो गई थी.

मैंने सोचा कि जो होगा, देखा जाएगा, एक बार लंड घुस जाएगा तो खेल खत्म करके ही लौड़े को बाहर निकालूँगा.

मैंने ये सोचते ही अपने लंड के टोपे पर थूक लगाया और उनकी चूत पर हल्का सा सैट किया.
उनका एक पैर मोड़ा और बिल्कुल चुदाई की पोजीशन में आ गया.

चाची की चूत पर अपना लंड लगा कर हल्का सा झटका मारा तो लंड का टोपा चाची की चूत की फाँकों के बीच जगह बनाता हुआ अन्दर घुस गया.

लंड अन्दर पेल कर मैं बिल्कुल भी नहीं हिला.
चाची भी सो रही थीं.

मैंने आराम आराम से लौड़े को अन्दर पेलना शुरू किया तो कुछ ही देर में मेरा आधा लंड चाची की चूत में घुस गया.

उनकी चूत की गर्मी से मुझे अजीब सा अहसास होने लगा और मेरे लौड़े ने उनकी चूत में फूलना शुरू कर दिया.

जैसे ही लौड़े ने हरकत की, वैसे ही चाची उठ गयीं और जैसे ही चाची उठीं, वैसे ही मेरा लंड उनकी चूत से बाहर निकल आया.
मैं बेड से नीचे आकर खड़ा हो गया.

चाची चिल्लातीं या कुछ बोलतीं, उससे पहले ही मैंने चाची के मुँह पर हाथ रख दिया और कहा- चाची प्लीज़ आराम से … बस एक बार मेरी बात सुन लो, ये होटल है. यदि आप चिल्लाईं तो अभी सब यहां पर आ जाएंगे. मैंने आपको अपनी मम्मी बताकर ये रूम लिया है, सच में काफी ड्रामा हो जाएगा.

चाची ने हाथ बगल में किया और लाइट जला दी.
मैं बिल्कुल नंगा खड़ा था. मेरा लंड एकदम टाइट था.

चाची ने मेरे लौड़े को देखा, वैसे ही कहा- इसे तो देखो!
ये कह कर उन्होंने जल्दी से अपनी आंखें बंद कर लीं.
लेकिन मैंने अपने लौड़े को नहीं ढका.

मैंने कहा- चाची मैं पेशाब करने उठा था, तो आपका पेटीकोट कमर तक था. इसलिए मुझ पर कंट्रोल नहीं हुआ.
वे बोलीं- मैं तुम्हारी मम्मी को अभी फोन कर रही हूँ!
मैंने चाची से कहा- चाची प्लीज़ देखो, ना मैं किसी से कुछ कहूँगा और ना तुम कहना प्लीज़.

मैंने आगे बढ़ कर चाची का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया.
उन्होंने हाथ हटा लिया और कहा- इसे बंद करो जल्दी!

मैंने चाची को पकड़ा और लिटा दिया.
फिर अपने पैर फैला कर चाची का पेटीकोट ऊपर करके चाची की चूत में मुँह लगा दिया.

चाची ने पहले तो मुझे हटाने की कोशिश की लेकिन जैसे ही जीभ चूत में गयी, तो वो ढीली पड़ गईं और कामुक सिसकारी लेती हुई मचलने लगीं.

चाची बोलीं- अगर किसी को मालूम पड़ गया, तो मैं कहीं मुँह नहीं दिखा पाऊंगी.
मैंने कहा- किसी को मालूम नहीं चलेगा.
ये कह कर मैं चाची की चूत को चूसता रहा.

फिर उठ कर अपना लंड चाची के हाथ में पकड़ा कर कहा- चाची, ना आप किसी से कुछ बोलना और ना मैं किसी से कुछ कहूँगा.

चाची ने इस बार मेरा लंड हाथ में कसके पकड़ लिया और बोलीं- तुम्हारा तो बहुत बड़ा है … और मोटा भी. तुम्हारे चाचा का तो इससे आधा ही होगा.

मैंने चाची को सीधा लिटाया और चाची की पाजेब उतार कर निकाल दीं. हमारी चुदाई की आवाज़ बाहर ना चली जाए.

वैसे तो होटल में चुदाई कोई अनोखी बात नहीं थी, लेकिन मैंने अपनी मम्मी का नाम लिखवा कर कमरा लिया था … तो जरा सावधानी बरतना जरूरी था.

फिर मैंने चाची की कमर के नीचे तकिया लगाकर उनका एक पैर अपने कंधे पर रखा.

चाची बोलीं- प्लीज़ आराम से … इतना बड़ा कभी मेरी में नहीं गया प्रशांत!

मैंने एक झटका मारा तो चाची की चूत चिर गई और वो हल्के हल्के से सिसकारी लेने लगीं.

फिर मैंने धीरे धीरे झटके मारे और लंड अन्दर करने लगा. आधा लंड अन्दर पेलने के बाद मैंने एक तेज झटका मारकर पूरा लंड चाची की चूत में घुसा दिया.

आह आ क्या गर्म और टाइट चूत थी चाची की … मजा आ गया.

झटके से लंड पेलने के साथ ही मैंने अपना हाथ चाची की आवाज़ निकलने के पहले ही मुँह पर रखा और उनकी आवाज को दबा दिया.

मैंने कहा- चाची आराम से सिसकारी लो … आपकी आवाज होटल वालों के कान तक नहीं जाना चाहिए.

चाची कराहती हुई बोलीं- आह थोड़ा सा बाहर निकालो, बड़ा दर्द हो रहा है.

मैं हिला नहीं और उनकी चूत में अपना मूसल पेले पड़ा रहा.

कुछ सेकेंड बाद चाची बोलीं- अब करो, ना साले … तुम्हारा इतना बड़ा है, मेरी तो जान ही निकल गयी. चाचा का तुम्हारे लौड़े से आधा ही होगा.

मैंने अब तेज तेज झटके मारे और दस मिनट में ही चाची की चूत में निकल गया.
चाची का भी काम तमाम हो गया था. हम दोनों का एक साथ ही हुआ था.

मैंने उनके पेटीकोट से उनका भोसड़ा पौंछ कर साफ कर दिया और उनके बाजू में लेट गया.

कुछ मिनट बाद मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया.

मैंने कहा- चाची अपने सारे कपड़े उतारो.
वो बोलीं- क्यों?

मैंने कहा- इस बार सही से मजा लेना है.
उन्होंने कुछ नहीं कहा, बस अपने सारे उतार दिए. मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए. हम दोनों बिल्कुल नंगे थे.

मैंने कहा- चाची एक बार मुँह में लो ना प्लीज़!
चाची बोलीं- नहीं.

मैंने कहा- प्लीज़ थोड़ा सा, मैंने भी तो आपकी में जीभ लगाई थी!

उन्होंने कहा- ठीक है … पहले उसे धोकर लाओ.
मैं जल्दी से साबुन से लंड धोकर आया.

फिर जैसे ही चाची ने मेरे लौड़े को मुँह में लिया … आह हा मजा आ गया.

वो सिर्फ लौड़े का सुपारा भर मुँह में ले रही थीं.

मैंने कहा- चाची प्लीज़ पूरा लो ना!
वो बोलीं- नहीं, पूरा नहीं ले पाऊंगी. सांस नहीं आ पाएगी मुझे.

मैंने कहा- एक बार ट्राइ तो करो.
चाची ने लंड को सुपारे से आगे लेना शुरू किया. जैसे ही मेरा लौड़ा उनके गले तक गया, उन्होंने झट से निकाल दिया.
उन्हें खाँसी उठ गयी थी.

अब मैंने उन्हें घोड़ी बनाया और उनकी कमर पकड़ कर लंड पेल दिया. लंड अन्दर चला गया तो मैंने तेज तेज झटके मारे.
फिर आसन बदल कर चोदना चालू किया. इस बार वो मेरे लंड की सवारी कर रही थीं.
ऐसा करने में उन्हें कुछ ज्यादा ही उत्तेजना आई थी क्योंकि मैं उनकी चूचियां चूस रहा था और नीचे से गांड उठा कर उनकी चुदाई भी कर रहा था.

कुछ देर के बाद उनका रस निकल गया और वो मेरे सीने पर निढाल होकर गिर गईं.
मेरा अभी नहीं निकला था तो मैंने उन्हें चित लिटाया और उनकी कमर के नीचे तकिया लगा दिया.
उनका एक पैर अपने कंधे पर रख कर और एक पैर बेड पर फैला कर सैटिंग बनाई और अपने लवड़े के मुँहाने पर हल्का सा थूक लगाया.

चाची ये सब देख रही थीं और आह आह कर रही थीं.
ये देख कर मैंने अपना इरादा थोड़ा सा बदल दिया और उनकी गांड के छेद पर जैसे ही थूक लगाया, वो समझ गईं कि मैं उनकी गांड मारने वाला हूँ.

वो बोलीं- नहीं, उधर नहीं. सिर्फ आगे से ही करना है तो करो वरना नहीं! मैंने उधर कभी नहीं किया.
चाची की गांड का छेद देख कर लग भी रहा था कि ये कुंवारी गांड है.

वो बोलीं- तुम्हारे चाचा ने एक बार ट्राइ किया था. उस दिन बस टोपा ही अन्दर गया था कि मेरी चीख निकल गयी थी. फिर तेरा तो इतना बड़ा है!
मैंने कहा- अच्छा बस मैं टोपा भर घुसाऊँगा!
वो बोलीं- नहीं, मैं उतने में मर जाऊंगी प्लीज़ … और जैसे भी चाहो कर लो.

मैंने कहा- चाची जैसे ही दर्द होगा, मैं बाहर निकाल लूँगा.

मैंने बड़ी मुश्किल से चाची को तैयार किया.
वो लेट गईं और मैंने उंगली पर थूक लगा कर अपनी उंगली उनकी गांड में डाली.
वो सिसकारी लेती हुई बोलीं- आह उंगली निकालो … बहुत दर्द हो रहा है!

मैंने कहा- बस टोपा टोपा ही प्लीज़.

मैंने उसके बाद उनकी गांड में सुपारा ही घुसाया तो उतने में ही मज़ा गया.
उनकी गांड इतनी ज्यादा टाइट थी कि टोपा ही बड़ी मुश्किल में घुस पाया था.

मुझे उतने में ही बेहद मज़ा आ रहा था. वो सिसकारी ले रही थीं- प्लीज़ निकाल लो … मत करो … आह नहीं जाएगा.

मैं सुपारा घुसाए हुए ही उनके ऊपर लेट गया और किस करने लगा.

चाची का दर्द थोड़ा कम हुआ, तो वो शांत हुईं. उसी समय मैंने तेजी से उनकी गांड में एक झटका और मारा, तो मेरा आधा से ज्यादा लंड घुस गया.

आह इतना मज़ा … समझो जन्नत जैसा सुख मिल गया.

इतनी टाइट गांड मैंने कभी नहीं मारी थी.
उधर वो कराह रही थीं.

‘ओह मइया मर गयी … आह प्रशांत अब नहीं बचूँगी … प्लीज़ निकाल लो.’

चाची की आंखों से आंसू आ गए थे. उनकी आवाज़ मैंने ज्यादा नहीं निकलने दी क्योंकि मैंने अपने होंठों से उनके होंठ दबा लिए थे और मुँह बंद कर दिया था.

मैंने कहा- बस ऐसे ही शांत पड़ी रहो, पूरा चला गया है. बस रस निकलने वाला है. एक दो झटके में ही निकल जाएगा.

उन्होंने कहा- प्लीज़ अभी और झटका मत मारना.
मैंने हाथ लगा कर लंड देखा तो मुझे थोड़ा सा पानी का अहसास हुआ.

मैंने उंगली से देखा तो खून निकल गया था. थोड़ा चैन मिला.

फिर मैंने पूरी ताकत से ऐसे ही 7-8 झटके मारे.

चाची चुदाई के दर्द से बोली- ओ मइया मर गयी … आह गांड फट गयी मेरी … ओ मइया बचा लो!

मैंने तेज तेज दो झटके और मारे और बस मेरा निकल गया.
मेरा पूरा लंड गांड में था.

मैंने बाहर निकाला और कहा- ऐसे ही लेटी रहो चाची. हिलना मत!

फिर रूमाल से पहले लंड का खून साफ किया, फिर चाची की गांड पर से खून साफ किया.
इसके बाद चाची सीधे बाथरूम में चली आईं और साफ करके आ गईं.

उस रात हम दोनों ने 6 बार सेक्स किया.

अब तो चाची आराम से गांड भी मरा लेती हैं. उन्हें अब इतना दर्द नहीं होता.

आपको चाची चुदाई की हॉट कहानी कैसी लगी, प्लीज मुझे मेल करें.
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