TMKUC फंतासी स्टोरी में लेखक ने ससुर बहू चुदाई की कल्पना की है घर में चम्पक और उसकी बहू अकेले थे. रात को बहू अपने ससुर को दवाई देने गयी तो देखा कि ससुरा मुठ मार रहा था.
शाम का वक्त था और चंपक लाल और दया दोनों घर में अकेले थे.
आज जेठालाल काम से शहर के बाहर गया था और टपू दोस्त के घर में था.
चंपक लाल टीवी देख रहा था और दया किचन में खाना बना रही थी.
जब खाना बनकर तैयार हो गया तो वह खाना लेकर बाहर आई और डाइनिंग टेबल पर रखने लगी.
TMKUC फंतासी स्टोरी यहीं से बननी शुरू हुई.
उसने देखा कि टीवी पर एक पुरानी फिल्म में रोमेंटिक सीन चल रहा था जिसे देखकर चंपकलाल का लंड खड़ा होने लगा था.
तभी उसकी नज़र दया की कमर पर टिक गई थी.
दया की गोरी चिकनी कमर देखकर चंपकलाल और उतेजित होने लगा.
तब दया ने नीले रंग की साड़ी पहनी हुई थी और वह उसमें बहुत खूबसूरत लग रही थी.
बाहर बारिश का मौसम था और कभी कभी बिजली भी कड़क रही थी.
दया ने चंपक लाल को खाने के लिए कहा- बापू जी, खाना बन गया है, आइए खाने के लिए बैठ जाइए.
चंपक लाल ने रिमोट से टीवी को बंद किया और डाइनिंग टेबल के पास खाने के लिए चल दिया.
उसने दया को भी खाने को बैठा दिया और दोनों साथ में खाना खाने लगे.
दोनों ने खाना ख़त्म किया और चंपक लाल अपने कमरे में चला गया.
दया ने बरतन साफ किए और उसे सोने से पहले याद आया कि बापूजी ने दवाई नहीं खाई … तो वह एक गिलास में पानी लेकर बापूजी को दवा खिलाने चली गई.
जब दया ने बापूजी के कमरे का दरवाजा खोला तो उसने देखा कि बापूजी बिस्तर पर लेट कर हस्तमैथुन कर रहे हैं.
चंपक लाल के हाथों में एक तस्वीर थी और वह उसे देखते हुए मुठ मार रहा था.
उसने दया को नहीं देखा था.
दया ने जल्दी से दरवाजा बंद कर दिया और बाहर खड़ी हो गई.
उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे, थोड़ी देर तक वहीं रुककर इंतज़ार करने लगी.
फ़िर उसने दरवाजे को नॉक किया और बापू जी को आवाज़ लगाई.
चंपकलाल ने दया की आवाज सुनी और उसने जल्दी से उस तस्वीर को सिरहाने के नीचे छिपा दिया.
चंपक लाल अपने खड़े लंड को छिपाने के लिए चादर को ऊपर खींच लिया.
‘आ जाओ बहू, दरवाजा खुला ही है!’
दया अन्दर जाती है और बापूजी से आंखें मिलाये बिना उनके पास को आ गई, फिर उन्हें दवाई देती हुई बोली- बापूजी आपकी दवा!
चंपक लाल ने अपनी बहू से दवाई लेकर खा ली और पानी का गिलास दया को दे दिया.
तभी लाइट चली गई और कमरे में पूरा अंधेरा हो जाता है.
‘अरे ये लाइट कैसे चली गई!’
फिर चंपकलाल ने कहा- बहू, थोड़ी देर यहीं बैठ जाओ … अंधेरे में कैसे जाओगी!
दया वहां बैठना नहीं चाहती थी पर बापूजी को मना भी नहीं कर सकती थी.
उसी वक्त बिजली चली गई तो कुछ सोच कर वह वहां बैठ गई.
वह कुछ बोल नहीं रही थी.
इसी वजह से शायद अंधेरे में चंपक को पता नहीं चला था कि दया गई या फिर बैठी है.
‘बहू, यहीं हो ना!’ चंपक ने आवाज देकर पूछा.
तो दया ने जवाब दिया- जी बापू जी, यहीं पर बैठी हूँ!
‘अरे तो चुपचाप क्यों बैठी हो? कुछ बात तो करो!’
दया के दिमाग में बापूजी का वह सीन चल रहा था, जब कल चंपकलाल ने कैसे अपने हाथों में अपना बड़ा काला लंड लिया हुआ था.
वह मन ही मन यह भी सोच रही थी कि उस वक्त उनके हाथों में किसकी तस्वीर हो सकती थी जो उन्हें इस उम्र में हस्तमैथुन के लिए उत्तेजित कर सकती थी.
वह सोच रही थी कि शायद बापूजी की पत्नी यानि दया की सास की कोई तस्वीर देखकर वे उत्तेजित हो गए होंगे, शायद उन्हें बहुत याद कर रहे होंगे.
दया इस बारे में सोचना बंद ही नहीं कर पा रही थी.
उधर चंपकलाल भी सोच में पड़ गए थे कि उनकी बहू इतनी चुप क्यों है.
‘क्या हुआ बहू? किस बात से परेशान हो? इतनी चुप क्यों बैठी हो!’
दया अपने मुँह से कुछ बोल ही नहीं पा रही थी.
बहुत कोशिश करके उसने कहा- बापूजी, परेशानी वाली कोई बात नहीं है! बस थोड़ी थकान हो गई है और बहुत नींद आ रही है!
‘अरे बहू नींद आ रही है तो यहीं सो जाओ न! जब लाइट आएगी, तो मैं तुम्हें बता दूँगा! थक गई हो, तो आराम कर लो!’
दया को अपनी कही बात पर बहुत पछतावा हुआ.
उसे ऐसा नहीं कहना चाहिए था कि उसे नींद आ रही है.
अब तो बापूजी उसे उनके साथ ही सुलाने लगे.
‘अरे नहीं बापूजी! इतनी भी नींद नहीं आ रही है, मैं ठीक हूँ!’ दया ने कहा.
चंपकलाल ने एक बार फिर से उसे बोला.
लेकिन इस बार अपना हाथ हल्के से दया के कंधों पर रखकर कहा कि बहू, सो जाओ! शर्माओ मत, मैं तुम्हें उठा दूँगा!’
उसका हाथ अभी भी वहीं था.
दया अपने कंधों पर बापूजी का हाथ महसूस करती हुई मन में विचार करने लगी कि वह शायद ज्यादा सोच रही है.
हस्तमैथुन में क्या बुरा है? हो सकता है कि बापूजी को सासू मां की याद आ गई हो … और इसमें बुरा क्या?
जेठालाल भी तो मुठ मारता है, जब दया का मूड नहीं होता.
जब बापूजी इतना जोर दे रहे हैं, तो सो ही जाती हूँ. वरना उन्हें बुरा लगेगा.
वह फर्श से उठ कर बिस्तर पर जाकर लेट गई.
‘बापूजी, अगर मुझे नींद आ जाए और लाइट आ जाए, तो मुझे जगा देना!’
दया ने करवट लेते हुए कहा.
चंपकलाल को लगा नहीं था कि उनकी बहू लेटने को मान जाएगी.
लेकिन वह इतनी सीधी है कि मान गई और चुपचाप उनके साथ एक छोटे से बेड पर सोई हुई है.
‘हां बहू … तुम सो जाओ!’ चंपक ने कहा.
दया सचमुच आज बहुत थक गई थी.
बेड पर लेटते ही उसे नींद आने लगी थी और वह गहरी नींद में सो भी गई.
चंपक लाल अभी वैसे ही बैठा हुआ था, उसे नींद नहीं आ रही थी.
उसका लंड सख्त था और अब तो दया उसके पास सोई हुई थी.
उससे रहा ही नहीं गया.
उसका हाथ अपने आप उसके लंड पर चला गया और वह मुठ मारने लगा.
लेकिन ऐसे मजा नहीं आ रहा था.
उसने सोचा कि दया के पीछे लेटकर हिलाता हूँ!
जब वह बिस्तर पर सिरहाने की तरफ खिसक रहा था, उसका हाथ गलती से दया की गांड पर लग गया.
उसने जल्दी से हाथ हटा लिया और पीछे को लेट गया.
तभी लाइट भी आ गई.
चंपक लाल ने देखा कि दया का मुँह दूसरी तरफ था और उसकी पीठ चंपक की तरफ थी.
अब चंपक लाल उसे जगाना नहीं चाहता था.
उसने चुपके से दया के चेहरे की तरफ झांककर देखा कि कहीं बहू को लाइट आने का पता तो नहीं चला.
लेकिन दया गहरी नींद में थी.
चंपक लाल ने लाइट बंद कर दी, जिसका स्विच उसी बेड के पास था.
फिर वह अपना लंड हिलाने लगा.
लेकिन अब उसके दिमाग में सिर्फ दया के ख्याल आ रहे थे.
अपनी बहू की चिकनी पीठ, कमर और अभी-अभी उसका हाथ दया की गांड को भी छू गया था, जिसकी गर्मी उसे हस्तमैथुन के लिए मजबूर कर रही थी.
इसलिए वह मुठ मारता रहा.
फिर उससे रहा नहीं गया और उसका दूसरा हाथ अपने आप दया की पीठ पर चला गया.
दया के जिस्म की गर्मी महसूस करके चंपक लाल के पसीने छूट गए!
वह दया की पीठ पर छूने लगा था.
जब उसे दया से कोई हरकत नहीं दिखी तो वह उसकी पीठ को जीभ से चाटने लगा.
धीरे-धीरे वह उसके चूचों को भी छूने लगा.
दया इतनी गहरी नींद में थी कि उसे कुछ भी महसूस नहीं हो रहा था.
चंपक की उत्तेजना बढ़ती गई.
वह दया के निप्पल को उंगलियों से छूने लगा और उसके गोल व मुलायम, दूध से भरे चूचों को मसलने लगा.
कुछ पल बाद वह खिसकते हुए दया के एकदम पास पहुंच गया था.
फिर दया को अचानक अपनी गांड पर कुछ रगड़ता हुआ महसूस हुआ और वह एकदम जाग गई.
क्योंकि अंधेरा था, बापूजी को पता नहीं चला कि दया की आंखें खुल गई हैं.
वह तो दया के चूचे मसलने और उसकी गर्दन को चूमने में मस्त हो गया था.
उसका लंड दया के चूतड़ों पर रगड़ रहा था.
दया को अपने और बापूजी के ऊपर बहुत गुस्सा आ रहा था.
लेकिन अब पछताने से क्या फायदा?
दया कुछ भी नहीं बोल सकती थी.
इधर चंपक का लंड शांत होने का नाम नहीं ले रहा था.
वह अपने हाथों से दया की साड़ी खोलने लगा.
दया ने चुपचाप ऐसा होने दिया.
असल में अब उसे भी मजा आने लगा था!
वह बापूजी के मजबूत हाथों को अपने चूचों पर महसूस करके पूरी गर्म हो गई थी.
बापूजी का बड़ा सा सख्त लंड जब उसकी गांड में लग रहा था तो उसकी चूत में पानी आ रहा था.
अपनी कामुक सिसकारियों को रोकने के लिए दया ने अपने मुँह पर हाथ रख लिया.
चंपक लाल ने दया को अधनंगी कर दिया था.
वह दया के गांड के छेद में अपना लंड डालने लगा और धीरे-धीरे झटके देना भी शुरू कर दिए.
दया को बहुत दर्द होने लगा था क्योंकि जेठालाल ने कभी उसकी गांड नहीं मारी थी.
यह पहली बार था जब दया ने अपनी गांड में किसी के लौड़े का अनुभव किया था.
चंपक लाल पूरी तरह अपनी बहू की गांड मारने में मगन हो गया था.
उसे अब फर्क नहीं पड़ रहा था कि दया जाग जाए तो क्या होगा … या वह जाग ही रही हो तो क्या होगा!
अब वह दया की टाइट गांड की गर्मी महसूस करके एक अलग ही दुनिया में चला गया था, जहां दया उसकी बहू नहीं, बल्कि उसकी कोई माशूका थी.
दया को अपनी गांड में बहुत दर्द हो रहा था.
उसे डर लग रहा था कि अगर कहीं उसकी तेज स्वर में सिसकारी निकल गई तो क्या होगा.
बापूजी उसके साथ और क्या-क्या करेंगे, यह सोचकर वह और भी परेशान हो रही थी.
लेकिन तभी चंपक लाल का माल निकलने लगा और वीर्य की पिचकारियां दया के चूतड़ों पर गिरने लगी थीं.
चंपक हांफता हुआ बेड पर पीछे लेट गया.
अब दया को थोड़ी शांति मिल गई थी.
वह सोचने लगी कि अच्छा हुआ, बापूजी का माल निकल गया!
वरना पता नहीं कब तक मैं खुद को चिल्लाने से रोक पाती!
इधर चंपक लाल सोच रहा था कि उसने कितना गलत किया.
अगर बहू जाग रही हो और किसी को बता दे तो क्या होगा?
लेकिन ऐसा भी हो सकता है कि दया अभी भी नींद में ही हो.
चंपकलाल ने फैसला किया कि वह अपना वीर्य दया की गांड से साफ करके उसे वापस कपड़े पहना देगा, ताकि उसे कुछ पता न चले!
जैसे ही चंपकलाल ने दया को कपड़े पहनाने के लिए लाइट जलाई, दया ने अपनी आंखें बंद कर लीं.
वह अब भी चंपकलाल की तरफ पीठ करके सो रही थी और ऐसा जाहिर कर रही थी मानो उसे अभी तक नहीं पता था कि लाइट जल चुकी है.
वह कुछ नहीं कर सकती थी.
नंगे बदन, सिर्फ़ ब्लाउज़ पहने हुए, वह बापूजी के साथ बेड पर पड़ी थी.
तभी एक बार फिर से उसने बापूजी का हाथ अपनी गांड पर महसूस किया!
लेकिन इस बार बापूजी केवल उसके चूतड़ों से अपना वीर्य साफ कर रहे थे.
चूतड़ों को साफ करते करते चंपक लाल का लंड पुनः अकड़ गया.
चंपकलाल फिर से खुद को रोक नहीं पाया. इस बार तो लाइट भी जल रही थी और दया का फिगर देखकर वह खुद को कैसे रोक पाता!
उसने अपना लंड हाथ में पकड़ा और दया के शरीर पर रगड़ने लगा, साथ ही मुठ भी मारता रहा.
उसने एक उंगली दया की फुद्दी में डाली, जो पूरी तरह गीली थी.
उसका लंड फिर से झड़ने वाला था!
वह दया के मुँह के पास मुठ मारने लगा और उसका वीर्य निकल कर दया के गाल पर गिरा, जहां से वह उसके होंठों तक बहता चला गया.
चंपक लाल झड़ कर फिर से बेड पर पीछे लेट गया.
उसी बीच दया ने बापूजी के थोड़े से वीर्य को अपनी जीभ से चाटकर मुँह में ले लिया.
चंपक लाल उठा और दया का मुँह साफ किया, फिर उसे कपड़े पहना दिए.
कपड़े पहनाते समय उसने दया के बदन को एक बार तसल्ली से निहार लिया था और लाइट बंद करके सो गया.
लेकिन दया की सारी नींद उड़ चुकी थी. उसके मुँह में बापूजी का वीर्य था, जिसे वह स्वाद ले लेकर निगल रही थी.
अब वह इतनी गर्म हो चुकी थी कि उसने खुद अपनी उंगलियों का इस्तेमाल करके अपनी प्यास बुझाने की कोशिश की.
थोड़ी देर तक चुत में फिंगरिंग करने के बाद वह भी सोने की कोशिश करने लगी.
अगले दिन सुबह उठकर दया कमरे से बाहर जाने लगी, तभी उसकी नज़र उस तस्वीर पर पड़ी, जिसे देखकर चंपकलाल हिला रहा था.
यह तस्वीर दया की ही थी!
दया ने तस्वीर को वहीं रख दिया और मुस्कान बिखेरती हुई अपने बेडरूम में चली गई.
वह सीधे बाथरूम में घुस गई.
वहां उसने अपने कपड़े उतारे और नहाने लगी.
वह नहाकर बापूजी की गंध को मिटाना चाहती थी लेकिन फिर भी वह पिछली रात के घटनाक्रम को अपने दिमाग से नहीं निकाल पा रही थी.
दोस्तो, यदि TMKUC फंतासी स्टोरी पर आपके कमेंट्स अच्छे आए तो इसके अगले भाग में इसी सेक्स कहानी को आगे लिखूँगा.
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लेखक की पिछली कहानी थी: माधवी ने पैसे के बदले चूत दी