मेरी बहन की पहली चुदाई चाचा ने की

Xxx चाचा सेक्स कहानी में पढ़ें कि मैं और मेरी दीदी मम्मी की चुदाई की आवाजें सुन कर आपस में ओरल सेक्स करने लगे थे. दीदी गर्म रहने लगी थी. एक दिन चाचा आये हमारे घर!

हमारा 4 लोगों का परिवार है. मम्मी पापा मैं और मेरी दीदी.

हमारा घर छोटा है और दो ही कमरे हैं. एक कमरे में मम्मी पापा सोते हैं और एक कमरे में मैं और दीदी सोते हैं.

कभी-कभी रात में मम्मी की ‘आह, बहुत तेज दर्द हो रहा है …’ ऐसी आवाज आती थी.
तो मैं उस आवाज को सुनने की और समझने की कोशिश करता था और उसी क्रम में दीदी की तरफ सवालिया नजरों से देखता था.

तब दीदी कहती थीं- सो जाओ, मम्मी खेल रही हैं.
मुझे नहीं पता था कि ऐसा कौन सा खेल खेला जाता है, जिसमें मम्मी को दर्द होता है.

मैंने एक दो बार दीदी से पूछा भी- ये कौन सा खेल होता है दीदी, जिसमें दर्द होता है?
इस पर दीदी मुझे डपट देती थीं और मैं मन मसोस कर चुप होकर सो जाता था.

मेरी दीदी बहुत ही सुंदर हैं. एकदम गोरी और सफेद मक्खन की तरह.
उनके होंठ एकदम गुलाबी हैं.
उनकी कमर एकदम पतली और उनकी गांड उठी हुई है; ऊपर चूचियां भी एकदम गोल संतरे जैसी हैं.

यह Xxx चाचा सेक्स कहानी इन्ही दीदी की पहली चुदाई की है.

वे घर में एक टी-शर्ट और स्कर्ट पहने रहती थीं.
उनकी पैंटी सिल्की लाल कलर की उनकी गोरी गांड में कसी हुई बहुत सुंदर लगती थी … ये मैंने देखा था.

वे जब रात में सोती थीं, तो मुझे जोर से पकड़ लेती थीं और मैं भी उन्हें जोर से पकड़ कर सो जाता था.

एक रात को मेरी दीदी मेरी तरफ अपनी गांड करके लेटी हुई थीं.
तो मेरा मन उनसे चिपकने का हुआ और मैं अपना हाथ उनकी कमर की तरफ ले गया और उनकी कमर पर हाथ फिराने लगा.

हाथ फिराते हुए मैं अपने हाथ को उनकी चूची की तरफ हाथ ले गया.

थोड़ी देर बाद मैंने देखा कि वो आह आह की आवाज कर रही थीं और मेरा हाथ अपने हाथ से पकड़ कर अपनी एक चूची को जोर जोर से दबवा रही थीं.

मुझे भी मजा आ रहा था तो मैंने भी दीदी की चूची को भींचना शुरू कर दिया और उनके निप्पल को अपनी दो उंगलियों में दबाकर मींजना चालू कर दिया.

इससे मेरे लंड में तनाव आने लगा था जो दीदी की गांड की दरार में अपना मुँह मारने लगा था.

दीदी की दोनों चूचियों को काफी देर दबाने और निप्पलों को मींजने के बाद मैंने अपना हाथ चूची से हटा कर फिर से उनकी कमर पर रख दिया.

अब दीदी अपनी गांड को मेरे लौड़े में सटाकर जोर जोर से रगड़ने लगी थीं.

मैंने भी अपने सख्त लंड से दीदी की गांड के छेद में ठोकर देनी चालू कर दी थी.
बस उनकी पैंटी मेरे लंड के मार्ग में अवरोध बन रही थी.

दीदी ने फिर से मेरा हाथ पकड़ कर आगे किया और कमर से सरका कर अपनी पैंटी के अन्दर डलवा लिया.
मेरा हाथ जैसे ही अन्दर गया, मुझे एकदम गीला गीला सा लगा.
साथ ही मेरे हाथ का मुकाबला दीदी की बुर पर उगी रेशमी झांटों से हुआ.

कुछ देर तक बुर की पुत्तियों को सहलवाने और रगड़वाने के बाद दीदी कामुकता के चरम पर आ गईं.

उन्होंने अब अपनी पैंटी को उतार दिया और मेरा हाथ पकड़ कर अपनी बुर के दाने से टच करवाया.
और मैंने भी अपनी एक उंगली को दीदी के हाथ में दे दिया.

दीदी मेरी उंगली को अपने हाथ से पकड़ कर अपनी बुर के दाने को रगड़वाने लगीं.
फिर मेरी उसी उंगली को पकड़ कर अपनी बुर के छेद में डलवा लिया.

उन्हें मेरी उंगली से दर्द हो रहा था और वो जोर-जोर से आह उह किए जा रही थीं.
मगर कुछ ही देर में उन्हें उंगली से मजा आने लगा और मेरी उंगली भी उनकी बुर के छेद में स्वत: ही अन्दर बाहर होने लगी.

कुछ ही देर में दीदी इतनी ज्यादा जोश में आ गई थीं कि उन्होंने अपनी टी-शर्ट भी उतार दी और मेरी बनियान और अंडरवियर भी उतार दी.
मैं समझ नहीं पा रहा था कि आज दीदी को क्या हो गया है.

वो मुझसे लिपट गई थीं. फिर वो मुझे पेट पर जोर जोर से किस करने लगीं और धीरे-धीरे अपने होंठ नीचे ले जाने लगीं.

उन्होंने अपने होंठ गोल करके मेरे कड़क हो चुके लंड से लगा दिए और लंड के सुपारे को चाटने लगीं.
मेरे अन्दर इतनी ज्यादा सनसनी हो रही थी कि मैं बता नहीं सकता.

फिर दीदी ने मेरे लंड को मुँह में भर लिया और जोर जोर से चूसने लगीं.
उनके एक हाथ ने लंड के नीचे वाले अंडों से खेलना शुरू कर दिया था.

मुझे बहुत अजीब सा लग रहा था, काफी गुदगुदी हो रही थी.

फिर अचानक से मेरे अन्दर एक सैलाब सा आता हुआ महसूस हुआ.
मेरा बदन एकदम से अकड़ गया और मैं अपने लंड से कुछ तरल सा निकलता महसूस करते हुए शांत हो गया.
मेरे जिस्म में एकदम से शिथिलता आ गई.

उधर दीदी भी मुझसे अलग हो गईं और वो अपनी टी-शर्ट, स्कर्ट, पैंटी आदि पहन कर सो गईं.

अब हम लोग रोज एक दूसरे को पकड़कर सोने लगे थे और वह भी पूरे नंगे.

दीदी ने मुझे अपनी बुर चाटना सिखा दिया था.
मैं दीदी की बुर में अपनी जीभ दे देता, उनके दाने को अपने होंठ में दबा कर खींच खींच कर चूसता.

वो आह आह करतीं तो मुझे उनकी आवाज, मम्मी की आवाज से मिलती जुलती लगती.
मैंने समझ लिया था कि पापा मम्मी के साथ यही खेल खेलते हैं, जिससे मम्मी की आवाजें आती थीं और दीदी मुझसे कह देती थीं कि वो खेल खेल रही हैं.

मेरी शंका दूर हो गई थी.
लेकिन दीदी की वो हिदायत कि ये सब किसी को बताना नहीं, मुझे अभी भी परेशान करती थी कि जब ये खेल है तो किसी को बताने में क्या हर्ज है.

खैर … मुझे मजा आता था.

दीदी मेरे लंड को चूसती थीं और मेरा रस पी जाती थीं और उन्होंने मुझे भी अपनी बुर का खट्टा कसैला मदन रस चूसना सिखा दिया था.

उस दिन मेरे चाचा आए हुए थे. उनकी हाइट 6 फीट के आसपास है और वे तगड़े भी हैं.
वे दीदी से छह साल बड़े हैं.

चाचा हम सबके लिए गिफ्ट भी लाए थे.
वे बहुत अच्छे हैं.
उनके साथ मैंने दिन भर खूब मस्ती की और रात में सोने के लिए चल दिए.

मैंने पहले भी बताया था कि हमारे यहां दो ही कमरे हैं … इसलिए मैं, चाचू और दीदी एक कमरे में सो गए.

रात को 12.00 के बाद दीदी किनारे लेटी थीं.
मैं बीच में लेटा था.

दीदी ने मुझे फिर अपनी बांहों में ले लिया और मैं अपनी दीदी की चूची दबाने लगा.
जल्दी ही वो गर्म हो गई थीं.
फिर दीदी बाथरूम गईं … तब तक मैं किनारे लेट गया.

दीदी बीच में लेट गईं, पर दीदी अब भी गर्म थीं तो उन्होंने अपनी गांड चाचा की तरफ कर दी और वो लेट गईं.

कुछ ही देर में वो चाचा के लंड की जगह अपनी गांड रगड़ने लगीं.
चाचा ने भी दीदी की कमर में हाथ रख दिया.

अब दीदी एकदम से वासना से तड़प उठीं और उनका मन लंड के साथ खेलने का हो गया.
मेरी दीदी इतनी हॉट माल हैं कि उन्हें कोई कैसे छोड़ सकता था.

चाचा ने डरते डरते दीदी की चूची पर हाथ रख दिया और धीरे धीरे दीदी आहें भरने लगीं.

दीदी को ये पता नहीं था कि उनका लौड़ा काफी बड़ा होगा.
चाचा जैसे जैसे दीदी की संतरे जैसी चूची दबा रहे थे, वैसे वैसे उनका साहस बढ़ता जा रहा था.

फिर उन्होंने दीदी की टी-शर्ट को उतार दिया.
अब दीदी ऊपर से बिल्कुल नंगी थीं.

चाचा ने धीरे से उनकी चूची के निप्पल पर अपने होंठ रख दिए और ढेर सारा थूक गिराकर चूसने लगे.

दीदी अन्दर से तड़प रही थीं पर अपनी आंख बंद किए हुई थीं.
फिर चाचा ने धीरे से दीदी की नाभि में थूक गिराया और चूसने लगे. उसके बाद चाचा खुल कर खेलने लगे.

उन्होंने दीदी की उनकी स्कर्ट को नीचे कर दिया और अपना मुँह नीचे ले जाकर दीदी की पैंटी पर मुँह लगा दिया.
वो पैंटी के ऊपर से बुर चाटने लगे.

दीदी बस अपने होंठ काटती रहीं.

जैसे ही पैंटी को नीचे करके चाचा ने बुर चाटना चालू किया, वैसे ही दीदी ने मुझे जोर से पकड़ लिया.
चाचा ने दीदी की पैंटी उतारकर पूरी नंगी कर दिया.

दीदी सोने का बहाना कर रही थीं पर उनका शरीर कांप रहा था.
मेरी दीदी ने अभी तक कभी भी अपनी बुर में लंड नहीं लिया था.

तभी चाचा ने दीदी की बुर के दाने पर अपनी जीभ रख दी और दांत से काट लिया.
दीदी धीरे धीरे से रोने लगीं- आंह आंह.

फिर चाचा ने बुर के छेद में ढेर सारा थूक गिराया और अपनी जीभ को घुसाने लगे.

चूंकि दीदी मेरी जीभ से अपनी बुर की चटाई रोज ही करवाती थीं तो दीदी को मजा आने लगा.
बीच बीच में चाचा दीदी की बुर के दाने को भी चाट लेते थे जिससे दीदी अपनी गांड उठाने लगी थीं.

दीदी की इन्हीं हरकतों से चाचा को लगा कि उनकी भतीजी लंड से बुर चुदवाने के लिए तैयार है.

बस अब चाचा ने अपने सारे कपड़े उतार दिए और दीदी का हाथ पकड़कर अपने लंड पर रख दिया.
इतना बड़ा लंड हाथ से छूकर दीदी एकदम से डर गईं और कांपने लगीं.

चाचा का लंड वाकयी बहुत बड़ा था.
ऐसा लगता था कि उनका लंड किसी गधे के लंड जितना बड़ा है.

मैंने भी इतना मोटा और इतना लंबा देखा तो डर गया कि जो लंड हाथ में भी समा नहीं रहा है, वो दीदी की बुर के जरा से छेद में कैसे घुसेगा.

लेकिन तारीफ़ उस बनाने वाले की कि जरा सी बुर में बड़े से बड़ा लंड घुस जाता है और कमाल की बात तो ये है कि उसी जरा सी बुर से बच्चा भी बाहर निकल आता है.

खैर … चाचा ने लंड को हिलाया और दीदी के ऊपर चढ़ गए.
वे दोनों पूरी तरह नंगे थे.

मैं आंख खोल कर दीदी और चाचा की चुदाई का चश्मदीद गवाह बनने जा रहा था.

चाचा ने दीदी के होंठों पर होंठ रख दिए और चूसने लगे.

मेरी दीदी शायद चुदाई के बारे में अभी कुछ ज्यादा नहीं जानती थीं.
मगर वे भी चाचा के साथ होंठों की चुसाई में साथ देने लगीं.

फिर चाचा ने दीदी के मुँह से मुँह हटाया और अपने मुँह से ढेर सारा थूक लेकर अपने लौड़े पर लगा लिया.
उन्होंने वापस मुँह दीदी के मुँह पर लगाया और मेरी दीदी की बुर में लंड रगड़ने लगे.

सुपारा गीला होने की वजह से चाचा लौड़ा का टोपा बुर की फांकें फैला कर अन्दर घुसने लगा.
दीदी उन्ह आंह कर रही थीं.

चाचा ने थोड़ा और जोर लगाया और जैसे ही उनका मोटा टोपा अन्दर घुसा.
दीदी के मुँह से जोर से चीख निकल गई.

चाचा ने दीदी का मुँह पर जोर से अपना मुँह दबा दिया और लंड अन्दर पेलने लगे.
दीदी ने कसमसाते हुए मुझे जोर से पकड़ लिया और लंबी लंबी सांसें लेने लगीं.

अब चाचा ने कोई रहम नहीं किया और लंड अन्दर पेलते चले गए.
दीदी की बुर से खून निकल आया, पर चाचा तो जैसे कसाई बन गए थे.

उन्होंने अगला झटका मार दिया. दीदी जोर जोर से रोने लगीं- आंह मर गई … उह सीई उई … मम्मी बचा लो … बहुत दर्द हो रहा है मत करो चाचा!
मगर चाचा में जैसे दया नाम की कोई चीज ही नहीं थी.
उन्होंने अपना लंड बाहर निकालकर फिर से घुसेड़ दिया.

वो बार बार लंड निकाल कर अन्दर पेलते रहे और दीदी तो बस रोती रहीं.
इतना मोटा लंड तो उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था.

चाचा बस झटके पर झटके मार रहे थे.
दीदी मुझे पकड़कर रो रही थीं.

चाचा को थोड़ा सा अहसास हुआ कि उनकी भतीजी रो रही है तो उन्होंने दीदी से कहा- बस थोड़ा सा और सहन कर लो फिर बहुत मजा आएगा.

कुछ ही पलों में दीदी की बुर बहुत गर्म हो गई थी.
अब तो वो भी मम्मी की तरह आह आह करती हुई चिल्ला रही थीं.

चाचा पूरा दम लगाकर लंड घुसेड़ निकाल रहे थे और दीदी अधमरी कुतिया सी बिलबिला रही थीं.
मेरी दीदी के मुँह से अब आह आह के अलावा और कोई आवाज नहीं निकल रही थी.

फिर अचानक चाचा ने अपना लंड निकालकर मेरी दीदी के मुँह में डाल दिया और जोर से झटका देकर मेरी दीदी के मुँह में लंड का रस गिरा दिया.
दीदी को अचानक उल्टी करने का मन किया और वो तेजी से बाथरूम की तरफ भागीं.

पर उनकी चुत का दर्द बहुत ज्यादा था इसलिए वो गिर गईं, फिर लंगड़ाती हुई बाथरूम में चली गईं.

जब दीदी बाथरूम से वापस आईं तो वो चाचा के बाजू में लेट गईं और चाचा उन्हें प्यार करने लगे.

उस रात दीदी ने चाचा से एक बार और अपनी बुर चुदवाई.
मैं भी बुर चोदना सीख गया था और अगले दिन से मुझे ही दीदी की बुर सेवा करनी थी.

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