भीगी रात में जंगल में माँ के साथ

मॅाम फक़ कहानी में एक रात मैं अपनी माँ को बाइक पर घर ले जा रहा था कि बारिश होने लगी और हमें रुकना पड़ा. सर्दी की रात में भीगे कपड़े … सुनसान खराब सड़क!

नमस्ते दोस्तो, मेरा नाम सुधीर (बदला हुआ नाम) है.
आज मैं आप सबको मेरे साथ घटी एक घटना के बारे में बताने जा रहा हूँ.

यह एक सच्ची मॅाम फक़ कहानी है, जो मेरे और मेरी मम्मी के बीच हुई थी.
कुछ लोगों के मन में यह सवाल आएगा कि यह फेक कहानी होगी.
दस्तो, मुझे खुद भी विश्वास नहीं हो रहा था कि यह सब मेरे साथ भी हो सकता था.
लेकिन जब हुआ … तब मुझे विश्वास हुआ कि इस तरह से होने वाली घटनाएं सच होती हैं.

अब भी जिनको विश्वास नहीं है या वह अभी भी इस सेक्स कहानी को फेक समझता है, तो वह इस मॅाम फक़ कहानी को यहीं छोड़ सकता है.
आप यह पक्का जानिए कि जैसा हुआ था, वैसा कभी भी किसी भी माँ बेटे के साथ हो सकता है.

माँ की जब हवस जग जाती है, तब कुछ इस तरह की स्थिति में सम्बन्ध बन जाते हैं.
चूंकि कोई भी स्त्री मां से पहले एक औरत भी होती है.

मेरी माँ एक घरेलू महिला हैं. उनकी उम्र 44 साल की है.
उनका साइज 30-28-32 का है, वे देखने में अति सेक्सी हैं.
उनका वजन लगभग 50 किलो है.

मेरी मां का नाम रंजना (बदला हुआ नाम) है. यह घटना 18 दिसंबर 2021 की है. उस वक्त ठण्ड का मौसम था.
हम दोनों को उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में जाना था, उधर मेरी बुआ रहती हैं.

बुआ जी के घर में एक प्रोग्राम था.
हमारे घर से उनके शहर की दूरी 150 किलोमीटर की थी.
हम दोनों सुबह सुबह बाइक से निकल पड़े क्योंकि हमें शाम तक वापस भी आना था.

उधर केवल दो तीन घंटे का प्रोग्राम था, तो हम 12 बजे मिर्जापुर पहुंच गए.
हमें पहुंचने में कुल चार घंटे लगे.

फिर बुआ के घर पहुंच कर मैंने और मम्मी ने फ्रेश होकर प्रोग्राम अटेंड किया.
हमारी उम्मीद से थोड़ा ज्यादा समय लग गया था.
शाम के 6 बजे चुके थे.

मैंने मम्मी को वापस चलने के लिए बोला.
उन्होंने हामी भरी और बुआ से इजाजत लेने की कहने लगीं.

हम दोनों अब चलने को रेडी हो गए.

सुबह मेरा ऑफिस था.
मैंने सिर्फ एक दिन की छुट्टी ली थी.
काम ज्यादा जरूरी होने के कारण मुझे हर हाल में वापस जाना था.

उधर बुआ नहीं मान रही थीं क्योंकि मौसम में थोड़ा पानी बरसने के आसार नज़र आ रहे थे.
मैंने बुआ से कहा- अरे ठंडी में पानी कब से गिरने लगा, थोड़ा बहुत गिरेगा भी तो किसी पेड़ के नीचे रुक जाएंगे.

इस तरह से हम दोनों मिर्जापुर से शाम को पौने सात बजे निकले.
कुछ समय रिश्तेदारों से भी मिलने में लग गया था.

अब जैसे ही हम दोनों लगभग 40 किलोमीटर निकल गए, तब मुझे याद आया कि मेरा पावर बैंक और मोबाइल चार्जर बुआ के घर में छूट गया है.
मोबाइल की तरफ देखा तो उसकी बैटरी भी 20 प्रतिशत ही बची थी.

सर्दी में अंधेरा जल्दी हो जाता है, तो अंधेरा गहरा गया था, जिस वजह से बाइक की स्पीड कम रखनी पड़ रही थी.
इसी कारण से हम दोनों साढ़े आठ बजे तक सिर्फ 40 किलोमीटर पहुंच पाए थे.
उसके बाद लगभग 35 किलोमीटर तक सिर्फ पहाड़ी जंगल था.

आप गूगल मैप में धारकुंडी के जंगल को देख सकते हैं कि यह जंगल कितना बड़ा है.
इधर मैं पहली बार गया था, तो मुझे रास्ते का अंदाज़ा भी कम था.

मैं खुद भी गूगल मैप में रास्ता देख कर गाड़ी चला रहा था.
मेरे मोबाइल की भी बैटरी कुछ देर बाद ख़त्म हो गई.
अब सिर्फ मम्मी के मोबाइल की बैटरी बची थी तो मैंने उसमें गूगल मैप खोला और रास्ता देख कर चलने लगा.

मम्मी का मोबाइल पुराना होने के कारण कुछ देर बाद उसकी भी बैटरी खत्म हो गई.

मैं भी बेवकूफ था तो गलत रास्ते पर बाइक को दौड़ा दिया था.
हम दोनों घर जाने की बजाए गलत रास्ते पर चल पड़े थे.

अब मैं और मम्मी परेशान हो गए थे कि सही रास्ता कहां है.
समय भी काफी हो गया था, लगभग 10 बज चुके थे.

एक तो सही रास्ता नहीं समझ आ रहा था और उस पर भी सोने में सुहागा यह था कि जंगल एकदम घना, जिसमें इतना ज्यादा अंधेरा था कि कुछ दिखाई ही नहीं दे रहा था.

उसी समय बादलों से भी पानी बरसने लगा.
साला इतनी तेज़ बारिश कि क्या बताएं.

मम्मी ने सिर्फ एक शॉल और पतला सा स्वेटर पहना हुआ था.
क्योंकि दिन में ठण्ड बहुत कम थी और उन्हें यह अंदाजा नहीं था कि वापसी में इतना समय लग जाएगा.

मैंने जैकेट पहनी हुई थी.
मम्मी पूरी तरह से पानी में भीग चुकी थीं.
मेरा सिर्फ पैंट भीगा था.

हम दोनों एक बड़े से पेड़ के नीचे खड़े हो गए और पानी के रुकने का इंतजार करने लगे.
दोनों ही बहुत ज्यादा भीग गए थे और ठंड की ठिठुरन बढ़ गई थी.

उस जंगली इलाके में जगह कोई घर भी नहीं दिख रहा था.
पानी अपनी पूरी तेजी पर था और झमाझम बरसे जा रहा था.

भीगने की वजह से मम्मी को बहुत अधिक ठण्ड भी लग रही थी.

मैंने मम्मी से कहा कि अगर पानी बंद नहीं हुआ, तो पूरी रात यहीं खड़े रहना पड़ेगा क्योंकि जंगल में पानी कई बार बिना मौसम कई घंटे तक बरसता रहता है.
हालांकि यह मैंने अनुमान लगाया था.

हम दोनों पेड़ के नीचे नीचे से बाइक में बैठ कर चलने लगे.
मैंने अपनी जैकेट मम्मी को दे दी थी तो मैं भी ऊपर से पूरा भीग गया और मुझे गाड़ी चलाने में परेशानी होने लगी थी.

ठंड की वजह से मैं भी कांपने लगा था.
उस वजह से गाड़ी ठीक से नहीं चल पा रही थी.

मैंने एक बार तो सोचा कि कहीं रुक जाते हैं, लेकिन रात में डर भी लग रहा था.

तभी फिर से एक परेशानी आ गई.
साला बाइक का टायर किसी कांटे के लगने की वजह से पंचर हो गया.

अब यह बहुत बड़ी परेशानी आ गई थी. मैं कुछ दूर तक पंचर टायर में ही बाइक को चलाता रहा, लेकिन गाड़ी में वजन और रोड के बगल की मिट्टी गीली हो जाने के कारण गाड़ी चल ही नहीं पा रही थी.
पानी लगातार बरसे जा रहा था.

मम्मी बोलीं- देखो, कहीं अगर घर दिख जाए, तो वहीं रुक जाते हैं. मुझे बहुत ठण्ड लग रही और तबियत भी ख़राब हो रही है.
आगे चल कर देखा एक आधी टूटी झोपड़ी दिखी, जो कि किसी आदमी ने जानवर रखने के लिए या फिर खुद के लिए बनाई होगी.

पास जाकर देखा तो उस झोपड़ी में सिर्फ एक आदमी रुक सकता था. चूंकि झोपड़ी पेड़ के नीचे थी इसलिए उधर पानी कम आ रहा था.
उस वक्त लगभग 11 बज चुके थे.

हम दोनों जल्दी से झोपड़ी के पास आए और देखा कि कुछ सूखा सा था और घास जैसा भी पड़ा था.
वह झोपड़ी के कुछ हिस्से ठीक होने के कारण सूखा था.

लेकिन उधर इतनी कम जगह थी कि सिर्फ एक आदमी ही बैठ सकता था.
मम्मी बोलीं- चलो बैठते हैं.

पहले मैं बैठा और फिर मम्मी मेरी गोदी में बैठ गईं.
लेकिन अभी भी पानी के छींटे आ रहे थे और हमारे सभी कपड़े गीले होने के कारण ठण्ड भी लग रही थी.

मैंने मम्मी से कहा- आप साड़ी और पेटीकोट उतार दो, क्योंकि गीले कपड़ों से ठण्ड ज्यादा लगती है … और आप जैकेट पहन कर बैठ जाओ.
मम्मी बोलीं- तुम्हारे सामने कैसे कपड़े उतारूं … मुझे शर्म आ रही है!

मैंने कहा- जब ठण्ड लग जाएगी, तब क्या करोगी मम्मी … और इतना अधिक अंधेरा है कि आप दिखोगी ही नहीं.
मम्मी बोलीं- ठीक है.

उन्होंने साड़ी और पेटीकोट उतार कर एक लकड़ी के डंडे से टांग दी ताकि वह कुछ सूखी सी हो जाए.
मैं शर्ट और जींस में था.

जैसे ही मम्मी वापस मेरी गोद में बैठीं, उनकी जांघों की गर्मी मुझे लगी.
आप लोगों को क्या बताऊं, मम्मी की जांघों में एक भी बाल नहीं था.
एकदम मुलायम और चिकनी जांघें थीं.

मैंने मम्मी की जांघों में हाथ रख दिया था.
कुछ देर बाद वे बोलीं- तुम्हारे गीले पैंट की वजह से मुझे ठण्ड लग रही है.

मुझे खुद भी ठण्ड लग रही थी तो मैंने मम्मी को उठाया और अपनी पैंट को उतार दिया.
अब मम्मी नीचे से सिर्फ पैंटी और ऊपर जैकेट में थीं. मैं चड्डी और गीली शर्ट में था.

मम्मी बोलीं- यह गीली शर्ट भी उतार दो, कम ठण्ड लगेगी.
वे जैकेट में थीं और मेरे ऊपर थीं, तो मैंने सोचा ये सही है.

मैंने शर्ट को भी उतार दिया.

हम दोनों बैठे बैठे पानी रुकने का इंतजार करने लगे.

कुछ देर बाद मुझे ठण्ड ज्यादा लगने लगी.
मैं कंपकंपाने लगा.
मम्मी बोलीं- तुम जैकेट के अन्दर आ जाओ.

मेरी जैकेट थोड़ी बड़ी थी और वह कुछ खिंचने वाली भी थी तो मम्मी ने जैकेट को उतार दिया और मुझे पहना दिया.
अब मैं और मम्मी एक साथ जैकेट में आ गए.

मेरी मम्मी इकहरी देह की हैं, सो हम दोनों एक दूसरे की तरफ मुँह करके बैठ गईं.
मम्मी मेरी गोदी में बैठ गईं और उनके स्तन मेरी छाती में दबे हुए थे.

इस तरह बैठने से ठण्ड कम लगने लगी थी.
लेकिन हम जिस तरह बैठे थे तो मम्मी की योनि का कुछ भाग मेरे लिंग से दबा हुआ था.
उनकी योनि की गर्मी के कारण मेरा लिंग खड़ा होने लगा और बार बार मम्मी की योनि को धक्का देने लगा था.

अब मम्मी भी समझ चुकी थीं कि क्या हो रहा है.

सेक्स कहानी की शुरुवात में मैंने बताया नहीं था कि मेरी शादी के कुछ साल हो चुके थे.
मेरी बीबी से कम पटरी खाती थी तो मैंने एक महीने से सेक्स नहीं किया था.

इस कारण भी मेरा लिंग खड़ा हुआ जा रहा था.
जब मम्मी को समझ आया तब तक मेरा लिंग खड़ा हो चुका था.

मम्मी की योनि से दबा होने कारण मेरे लिंग में दर्द होने लगा.
मैंने मम्मी से कहा- मुझे थोड़ी तकलीफ हो रही है.

मम्मी समझ गईं, लेकिन जैकेट इतनी टाइट थी कि हम दोनों हिल भी नहीं सकते थे.
मेरा हाथ लिंग तक न पहुंचने के कारण मैं कुछ कर भी नहीं सकता था.

तभी मम्मी से हल्के से ऊपर की तरफ उठीं, तो मुझे लगा कि जैकेट की चैन फट गई है.
मैंने तुरंत मम्मी को रोका.

मम्मी के थोड़े से उठने की वजह के मेरा लिंग चड्डी के बाहर निकल गया और मम्मी की पैंटी की बगल से होते हुए उनकी योनि में छूने लगा था.

मेरे पिता जी 6 माह में एक बार आते हैं और शायद मम्मी को संतुष्ट ना कर पाने की वजह से मम्मी की प्यास भी नहीं बुझ पाती होगी.

यही कारण था कि मम्मी योनि और मेरे लिंग के घिसाव से मम्मी की योनि में पानी आ गया था.
यह स्वाभाविक सी बात है और ये सभी से साथ हो सकता है.

जिस तरह से हम दोनों बैठे थे, उस पोजीशन में यह तो होना ही था.

यह सब एक घंटा के दरमियान की कहानी थी.
अब शायद मेरी मम्मी को भी मेरे साथ बैठने में अच्छा लग रहा था.

कुछ देर और बैठने के बाद मेरे पैर सुन्न पड़ गए थे और पानी भी कम बरसने के कारण मैं थोड़ा आगे की तरह खिसक गया.
मेरा लिंग पहले से ही मम्मी की योनि में छू रहा था.

मेरे आगे होने के कारण और लिंग दबे होने के कारण पूरा बाहर निकल आया.
वह मम्मी की गीली हुई योनि में धीरे धीरे अन्दर जाने लगा.

बड़ी उम्र की औरतों की योनि ज्यादा खुली होती है, इसलिए मेरा पूरा लिंग बड़े आराम से कुछ ही मिनट में अन्दर घुस गया.
मतलब मेरा पूरा लिंग मम्मी की पैंटी के साइड से होता हुआ उनकी योनि में चला गया.

मैंने महसूस किया कि मम्मी की सांसें थोड़ी तेज तेज चलने लगी थीं.
उन्हें मेरे लिंग से कुछ दर्द सा होने लगा था.

मेरे लिंग का आकार काफी बड़ा है और यह मोटा भी काफी है.

कई बार तो मेरी बीवी ने भी मेरे साथ सेक्स करने से इन्कार कर दिया था और शायद वह इसी वजह से मेरे साथ कम सेक्स करती है.
कुछ मिनट तक लिंग के योनि में घुसे रहने की वजह से मुझे गर्मी महसूस होने लगी.

बाहर इतनी ज्यादा ठण्ड थी और ऊपर से जंगल में थे, तब भी मुझे लग रहा था कि मेरा लिंग किसी भट्टी में घुसा हुआ है.
तभी मम्मी बोलीं- जब सब खुद से ही हो गया है, तो अब शर्म छोड़ो.

जैसे ही मम्मी ने यह सब कहा, मैंने तुरंत जैकेट की चैन खोल दी और मम्मी को जैकेट पहना कर उन्हें जमीन में लिटा दिया.
उधर जगह कम थी तो पैर बाहर निकल गए थे लेकिन अब परिस्थितियां बदल चुकी थीं और पानी बरसने का कोई फर्क नहीं पड़ रहा था.

इतनी ठण्ड होने के बाद भी मम्मी का शरीर गर्म हो गया था.
मैंने अंधेरे में मम्मी की पैंटी को उतार कर साइड में रख दिया और उनके ऊपर चढ़ गया.

यह मेरा पहला अनुभव था, जो मेरी मम्मी के साथ हो रहा था. इसकी वजह से मेरा शरीर थरथराने लगा और मैं मम्मी के कंधे, गले, स्तनों को चूमने और चाटने लगा.
वे भी मेरे साथ मस्त होने लगीं.

जब मैं उनकी कमर के नीचे गया तो मैंने देखा कि मम्मी की योनि में ढेर सारे बाल थे. पर उनकी योनि से इतनी अच्छी महक आ रही थी कि मैं योनि को किसी रसीले आम की तरह चूसने लगा.

मम्मी की आवाज़ पानी की रिमझिम की आवाज़ में मिल कर मुझे बेहद मज़ा दिला रही थी.

वे बोल भी रही थीं- आह बेटा मज़ा आ रहा है … और कर आह!
मैं अपनी मम्मी की योनि को इस तरह से चूस रहा था कि नीचे ज़मीन की मिट्टी भी मुँह में चली जा रही थी.

मेरे कुछ मिनट चूसने के बाद योनि में आग जैसा लावा निकलने लगा.
मेरा लिंग थोड़ा मुरझा गया था, तो मैंने मम्मी से कहा- आप भी मुँह में ले लो.

वे उठीं और थोड़ा सोच कर मेरे लिंग को मुँह में लेकर चूसने लगीं.
मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं आज पहली बार किसी के साथ सेक्स कर रहा हूँ.

उस वक्त हम दोनों के सेक्स में इतना ज्यादा उफान था कि मेरा रस निकलने को हो गया.
मैंने तुरंत मम्मी से मुँह से लिंग निकाला और रस बाहर गिर जाने दिया.

मैं कुछ मिनट के लिए बैठ गया और मम्मी की योनि को सहलाता रहा.

तभी मम्मी बोलीं- तुमने मज़ा ले लिया और मेरा क्या?
मैंने कहा- बस थोड़ा और समय दो.

यह सुनकर मम्मी ने भी मेरे लिंग को थाम लिया और वे मेरी गोद में मुँह लगा कर लिंग को चूसने लगीं.
कुछ ही मिनट में मेरा लिंग फिर से खड़ा होने लगा.

अब मैंने मम्मी को लिटा दिया और उनके होंठों से अपने होंठों को सटा कर चूसने लगा.
तभी अति उत्तेजना में आकर मैंने उनके होंठों को काट लिया, वे एकदम से कांप उठीं.

मम्मी का पूरा शरीर गर्म हो गया था.
सर्दी नाम की चीज कहीं दिख ही नहीं थी.

मुझे मम्मी के ऊपर लेटने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था, जो मैं बता नहीं सकता.

खैर … मम्मी ने अपने हाथ में मेरे लिंग को पकड़ा और उसे अपनी योनि के मुख में रगड़ना चालू कर दिया.
उनकी योनि पहले से गीली थी और मेरे थूक से इतनी चिकनी हो गई थी कि लिंग को जरा सा ही दबाने से वह थोड़ा अन्दर घुस गया.

इस बार मम्मी के मुँह से आह की आवाज़ निकल गई.

मैंने पूछा- दर्द हो रहा है?
वे बोलीं- तुम अपना काम करो.

मैंने जैसे ही थोड़ा जोर लगा कर धक्का दिया, मेरा समूचा लिंग उनकी योनि में घुसता चला गया.
मम्मी की योनि के अन्दर इतनी गर्मी थी कि मुझे लगा कि मैं फिर से झड़ जाऊंगा.

तभी मम्मी अपने नितम्बों और जांघों को ऊपर उठाती हुई लिंग को अन्दर बाहर करने लगीं.
मुझे अभी तक सब सपने जैसा महसूस हो रहा था, लेकिन जब अहसास हुआ कि मैं अपनी मम्मी के साथ सम्बन्ध बना रहा हूँ, तो एक अलग अहसास के साथ मैं भी जल्दी जल्दी अपने लिंग को योनि के अन्दर बाहर करने लगा.

कुछ बीस मिनट के मैथुन के बाद मैं मम्मी की योनि में ही झड़ गया.
हम दोनों कुछ मिनट यूं ही लेटे रहे. फिर मैं उठ कर बैठ गया.

समय का अंदाजा लगाया कि कुछ दो बज गया होगा.
कुछ देर बाद मुझे वापस ठण्ड लगने लगी.

हम दोनों ने फिर से एक बार सेक्स किया और कुछ देर बात करके जैकेट के सहारे रात पूरी काट ली.

सुबह सबेरे उठ कर कपड़े पहन कर मैं आगे निकल गया.
करीब घंटे पैदल चलने के बाद मैं एक चाय वाले की दुकान के पास पहुंचा और उधर ही एक साइकिल के पंचर बनाने वाले की दुकान भी थी.

मैंने बड़ी मुश्किल से बाइक के टायर का पंचर बनवाया और वापस घर चल दिया.

इस घटना के होने के एक महीने बाद तक मम्मी मुझसे कम बात करने लगी थीं.

लेकिन एक दिन बीबी के मायके जाने के बाद हमारा एक बार और सम्बन्ध बना और मज़ा भी आया.
तो हम दोनों ने उस रात खूब मजा लूटा.

बस तभी से मेरा मन बड़ी औरतों की चुदाई में लगने लगा.
अब मैंने मम्मी की मदद से चाची के साथ भी संभोग का मजा लिया.
उन्हें मैंने मम्मी से साथ ही चोदा.

इस घटना को केवल एक मॅाम फक़ कहानी समझने के बाद अगर आप लोगों को अच्छा लगा हो, तो कमेंट करके बताएं कि आपके क्या विचार हैं.

आपका प्रोत्साहन और समय मिला तो मैंने अपनी मम्मी से मिल कर कैसे चाची के साथ सेक्स किया, वह सेक्स कहानी भी लिखूँगा.
धन्यवाद.
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