होने वाली बहू और समधन की चुत चुदाई

मैन ओल्ड यंग गर्ल सेक्स कहानी में एक आदमी अपने बेटे के लिए लड़की देखने गए. लड़की देखकर उनका लंड खड़ा हो गया. लड़की भी उनका खड़ा लंड देख मुस्कुरा दी.

रमेश सिंह अपने लड़के सुरेश के लिए लड़की देखने गए.

आवभगत के बाद लड़की को देखने के लिए बुलाया गया.
वह लड़की उनके दूर के रिश्तेदार की बेटी थी.

उसका ढला हुआ कमसिन शरीर देखकर रमेश सिंह का लंड टनटना गया.
वे अपने लंड को धोती से छिपाकर पकड़े रहे.

रमेश सिंह बोले- क्या नाम है बेटी?
लड़की ने जवाब दिया- पिंकी.

रमेश सिंह मुस्कराए- बहुत सुंदर नाम है! कुछ काम-काज कर लेती हो?
पिंकी ने कहा- जी, सब कुछ करती हूँ.

रमेश सिंह बोले- देखो, सास नहीं है तो बेटा और मेरी पूरी सेवा करनी होगी. कर लोगी ना?
पिंकी ने आत्मविश्वास से कहा- जी, सब कुछ कर लूँगी.

यहीं से मैन ओल्ड यंग गर्ल सेक्स कहानी शुरू हुई.

पिंकी के पापा बालेश्वर सिंह बोले- मेरी बेटी सब कुछ ठीक-ठाक कर लेगी.
रमेश सिंह ने मुस्कराकर कहा- आप बीच में मत बोलिए! आजकल शादी-विवाह के बाद लड़कियां सास-ससुर की सेवा नहीं करतीं. यहां सास नहीं है, तो ससुर की सेवा तन-मन से करनी होगी. मैं पिंकी के मुँह से सुनना चाहता हूँ.

‘तन-मन’ बोलते ही लंड टनटना कर हिलने लगा, जिसे पिंकी ने देख लिया.
वह अंदाज़ा लगाने लगी कि ससुर का लंड मेरी चुदाई करने लायक है, यानि शादी के एक साथ दो लंड से चुदाई का मज़ा मिलने वाला है!

वह रोमांच से आनन्दमयी होकर खुश हो गई.
पिंकी को ध्यान नहीं रहा कि क्या पूछा जा रहा है.

यह देखकर बालेश्वर सिंह बोले- पिंकी, बोलो बेटी, अंकल कुछ पूछ रहे हैं!
पिंकी ने झट से कहा- जी, कहा ना, सब कुछ तन-मन से करूँगी, तो बार-बार क्यों पूछते हैं!

रमेश सिंह मुस्करा कर बोले- आप बोलीं कि सब कुछ सेवा करोगी, लेकिन झुंझला क्यों रही हो?
इस पर पिंकी चुप हो गई.

रमेश सिंह ने आगे कहा- इसलिए एक महीने तक मेरे घर भेज दीजिए, सब जाँच-पड़ताल हो जाएगी.
बालेश्वर सिंह ने मुस्कराकर जवाब दिया- कुँवारी लड़की को होने वाले ससुराल में भेजने से बदनामी होगी. आप हमारे घर पर ही रहकर सेवा कराकर संतुष्ट हो लें.

रमेश सिंह उत्तेजित होकर बोले- जैसी आपकी मर्जी! हमें लड़की पसंद है. बस इसकी सेवा करने से और संतुष्ट हो जाऊं.

बालेश्वर सिंह ने मुस्कराकर कहा- मेरी बेटी ऐसी सेवा करेगी कि स्वर्ग भूल जाएंगे.
रमेश सिंह ने हँसकर कहा- ठीक है! आज से सेवा शुरू, जाओ बेटी.

पिंकी खुश होकर रमेश सिंह के पैर छूने के लिए झुकी.

मौके का फायदा उठाकर रमेश सिंह ने धोती हटाकर अपना घोड़ा लंड टनटनाया हुआ दिखा दिया, जिसे सिर्फ़ पिंकी ही देख सकी.

वह मुस्कराकर अपनी मम्मी के पास चली गई और बोलने लगी- मम्मी मम्मी! बाप रे बाप, बहुत बड़ा और मोटा है.
उसकी मम्मी रागिनी सिंह मुस्कराकर बोली- अरे, क्या बोल रही है? कुछ तो बताओ, क्या मोटा और लंबा है?

पिंकी ने शर्माते हुए कहा- अंकल का लंड बहुत मोटा और लंबा है.
रागिनी खिलखिलाकर हँस पड़ी और बोली- यह तो और अच्छी बात है! ससुर का लंड मोटा और लंबा है, बहुत मज़ा आएगा चुदवाने में! मेरे ससुर का भी तो मोटा और लंबा है, उससे चुदाई कराती हूँ. तेरे पापा का तो सिर्फ़ पांच इंच लंबा और दो इंच मोटा है.

पिंकी उत्तेजित होकर बोली- अरे मम्मी! रमेश अंकल का लंड घोड़े के लंड जैसा मोटा और लंबा है.
रागिनी भी उत्तेजित होकर बोली- तब तो और मज़ा आएगा पगली!

पिंकी ने डरते हुए कहा- ना बाबा ना! मैं अंकल से चुदाई नहीं कराऊंगी, कहीं बुर फट गई तो!
रागिनी ने उसे सिर पर चुम्मा लेते हुए कहा- धत पगली! हमें तो तुम्हारे भाग्य पर जलन हो रही है, जो ऐसा घोड़ा लंड ससुर मिला है! जाकर तेल-मालिश कर देना, फिर चुदाई कराना.

पिंकी सब कुछ समझ कर चुदाई के ख्याल में डूब गई.

रात में खाना खिलाते हुए पिंकी ने अंकल रमेश सिंह को कातिल नज़रों से देखा और बोली- और कुछ चाहिए अंकल!

रमेश सिंह ने अपना घोड़ा लंड निकाल कर दिखाते हुए कहा- यह भूखा है, इसको खाना कब खिलाओगी?

पिंकी ने एकदम से अपनी बिना बालों वाली बुर दिखाते हुए कहा- अंकल! यह भी तैयार है! आप पहले पेट भर खा लीजिए, फिर आपका पालतू घोड़ा भी थोड़ी देर में खाएगा.

रमेश सिंह मुस्कराकर बोले- पिंकी! यह तो तुम्हारी बुर का भूखा है, कब भूख मिटाओगी?
पिंकी ने जवाब दिया- आप हाथ-पैर धोकर रूम में जाइए, मैं आती हूँ.

यह सुनकर रमेश सिंह उत्तेजित होकर खाने लगे.
फिर समधी-समधन से मिलकर रूम में चले गए.

मेहमान का बैठक रूम कुछ हटकर बना था.

पिंकी सज-धजकर रूम में चली गई और दरवाज़ा अन्दर से बंद कर दिया.

रमेश सिंह सिर्फ़ धोती पहनकर बैठे थे.
उन्होंने पिंकी को पकड़कर मुँह चूमना शुरू कर दिया.

होंठ चूमते हुए, गर्दन चूमते हुए, उन्होंने ब्लाउज़ खोलकर फेंक दिया.

अन्दर ब्रा नहीं थी, तो नींबू साइज़ की चूचियां सीधे उनके हाथ में आ गईं.
उन्हें दबाते हुए वे चूसने लगे.

फिर उन्होंने उसकी साड़ी और साया हटाकर अलग कर दिया, पैंटी के ऊपर से ही बुर को चूम लिया.

अब रमेश सिंह उसकी पैंटी उतारने लगे.

पिंकी एकदम उत्तेजित होकर बोली- अंकल! पहले आपके घोड़े को तेल-मालिश करके टाइट करती हूँ! उसके बाद आप मेरी पैंटी खोलकर अलग कीजिएगा.

यह सुनकर रमेश सिंह मुस्कराकर बोले- मेरी बहू कितनी होशियार है! लो, धोती हटाकर अपने घोड़े को तेल-मालिश कर टाइट करो.

पिंकी ने मुस्करा कर अपने होने वाले ससुर रमेश सिंह की धोती हटाकर अलग कर दी.
रमेश सिंह ने अन्दर कुछ नहीं पहना था, इसलिए लंड बाहर आ गया.

पिंकी ने हाथ-पैर में तेल-मालिश के बाद लंड को भी मालिश शुरू कर दी.
रमेश सिंह चुदाई के ख्यालों से एकदम उत्तेजित होकर पसर गए.

वे बेकाबू होकर बोले- पिंकी रानी! अब और कितना तड़पाओगी! दया करके मेरे घोड़े को खाना खिलाओ न! अपनी अनचुदी, बिना बालों वाली कमसिन बुर दिखाओ न, मेरी जान, मेरे लंड की मल्लिका.

यह सुनकर पिंकी ने अपनी बुर से पैंटी उतारकर फेंक दी और बोली- लो मेरे राजा! मेरे ससुर राजा! अपने घोड़े को मेरी कमसिन, अनचुदी और बिना बालों वाली बुर का दर्शन करा दो न!

रमेश सिंह मुस्कराकर पिंकी की बुर देखने लगे.

फिर बुर देख कर खुशी से उछलकर बोले- वाह वाह … क्या बुर है! मैंने अब तक इतनी कमसिन बुर देखी और चोदीं, परन्तु तुम्हारी बुर लाजवाब है! सचमुच तुम्हारी बुर सब बुरों की रानी … नहीं, महारानी है! बुर-ए-मल्लिका है! इसके सामने अप्सराओं की बुर भी फीकी पड़ जाएगी.

पिंकी एकदम उत्तेजित होकर बोली- मेरे ससुर राजा! आपका लंड भी सभी लंडों का राजा है, कोहिनूर है! अब अपने घोड़े को मेरी बुर से चुदाई कराओ न! इधर भी आग लगी है, उधर भी आग लगी है.

रमेश सिंह मुस्करा कर बोले- पहले कमसिन, अनचुदी, बिना बालों वाली रसीली बुर को देख लूँ और चूम लूँ! चुदाई के बाद तुम्हारी बुर अनचुदी और कुँवारी थोड़े ही रहेगी.

यह कहकर वे बुर को जीभ से चूमने लगे, जीभ को अन्दर-बाहर करने लगे, जिससे बुर चुदासी होकर रसीली हो गई.

उन्होंने सोचा कि अब बुर में मेरा घोड़ा लंड घुसने लायक हो गया है.

कितनी ही कमसिन बुरों को रमेश सिंह चोद चुके थे.
रमेश सिंह कमसिन बुर के पक्के खिलाड़ी थे इसलिए वे अपना लंड बुर पर रखकर रगड़ने लगे.

इधर पिंकी एकदम उत्तेजित होकर पसर गई और बोली- मेरे ससुर राजा, अब और कितनी देर तड़पाओगे! मेरी बुर में अन्दर खुजली हो रही है.

यह सुनकर रमेश सिंह ने अपना लंड चूत के मुँह पर रखकर एक जोरदार धक्का दिया.
‘फचाक’ की आवाज के साथ सुपारा सहित तीन इंच लंड घुस गया.

ओल्ड यंग सेक्स का मजा लेती हुई पिंकी चिल्लाती हुई बोली- उई माँ … मर गई रे … अंकल … जल्दी से निकालो न!

मगर आनन्दमय रमेश सिंह कहां सुनने वाले थे, वे पिंकी के मुँह, होंठ और चूचियों को सहलाने लगे और चूमने लगे.

फिर फुसफुसाकर बोले- मेरी रानी! पहली बार चुदाई में दर्द होता ही है छमियां … थोड़ा सब्र रखो … धीरे-धीरे सारा दर्द गायब हो जाएगा.
कुछ देर तक चूमने और दूध मसलने के बाद रमेश सिंह ने वापस पूछा- अब बोलो, बुर की खुजली मिटी कि नहीं?

पिंकी कराहती हुई बोली- बुर के मुँह तक खुजली मिटी है, जहां तक आपका लंड घुसा! लेकिन अन्दर बहुत खुजली और गुदगुदी हो रही है.

यह सुनकर रमेश सिंह उत्तेजित होकर धीरे-धीरे धक्के लगाने लगे और लंड पेलते पेलते उन्होंने अपना पूरा लंड बुर की जड़ तक ठोक दिया.

फिर उसके सिर के बाल, गाल, चूचियां सहलाते हुए बोले- अब बताओ, बुर की खुजली मिटी कि नहीं मेरी बहुरानी! अब तो मेरा लंड अन्दर तक पूरा घुस गया है!

अब पिंकी को मजा आने लगा था.
वह सीत्कार करती हुई बोली- हां, मेरे ससुर राजा! अब बुर की खुजली अन्दर तक मिट गई है और मजा भी आ रहा है.

यह सुनकर रमेश सिंह उत्तेजित होकर दनादन-दनादन चुदाई करने लगे.
पिंकी भी अपनी चूतड़ उछालती हुई चुदाई का मज़ा लेने लगी.

वह बोली- और ज़ोर ज़ोर से दनादन दनादन धक्का मारकर चूत फाड़ दो ना! बुर का भर्ता बना दो ना!

रमेश सिंह उत्तेजित होकर दनादन-दनादन धक्के देते हुए बोले- आज से रोज़ चुदाई कराओगी ना!
पिंकी एकदम उत्तेजित होकर चिल्लाई- हां ससुर राजा! अब से आपसे ही रोज़ चुदाई करवाऊंगी … आआहहह … ओह बहुत मज़ा आ रहा है!

पूरा कमरा फचाक-फचाक, फचाक-फचाक की आवाज़ से गूँज उठा.

विभिन्न आसनों में एक घंटे तक दनादन चुदाई करने के बाद, रमेश सिंह ने अपना वीर्य पिंकी की बुर में गहराई तक छोड़ दिया.

अपनी बुर में अपने ससुर के लौड़े का कामरस पीकर पिंकी मस्त होकर पड़ी रही.

वह अपने ससुर की पीठ थपथपाकर सहलाने लगी और उनका मुँह चूमने लगी.

रमेश सिंह भी पिंकी की पीठ थपथपा कर आशीर्वाद देते हुए बोले- मेरी बहू, ससुर का असली आशीर्वाद उसका वीर्य है, जो अभी-अभी तुम्हारी बुर के अन्दर गया है.

उस रात चार बार चुदाई करवा कर पिंकी मस्त और पस्त हो गई.

रात के दो बजे तक चुदाई का कार्यक्रम चलता रहा.

अब पिंकी उठकर अपना ब्लाउज़, पैंटी, साया और साड़ी पहनने लगी.

फिर अपने होने वाले ससुर के पैर छूकर प्रणाम कर वह जाने लगी.

तब तक रमेश सिंह भी धोती-कुर्ता पहन चुके थे और बोले- मेरे घोड़ा लंड राजा को भी छूकर प्रणाम करो.
पिंकी ने मुस्कुरा कर घोड़ा लंड को छूकर प्रणाम किया.

फिर लौड़े को प्यास भरी नज़र से देखती हुई वह चली गई.

बाहर सन्नाटा पसरा हुआ था और पिंकी चुपचाप अपनी मम्मी के पास जाकर सो गई.

सुबह-सुबह बालेश्वर सिंह मुस्कुराते हुए रमेश सिंह को उठाने गए.

रमेश सिंह सो रहे थे, इसलिए बालेश्वर खेत में काम करने चले गए.

उधर पिंकी भी दस बजे तक सोती रही, और मम्मी खाना बनाकर बैठ गईं.

जब पिंकी अंगड़ाई लेकर उठी तो मम्मी ने सिर पर हाथ रखकर पूछा- रात में मज़ा आया कि नहीं?
पिंकी मुस्कुराकर बोली- तुम ठीक कहती हो मम्मी! बहुत मज़ा आया! अब तो रोज़ चुदाई करने का मन कर रहा है! ससुर जी को रोक लो, मम्मी.

रागिनी सिंह खिलखिला कर हँस पड़ीं और बोलीं- ठीक है, मेरी दुलारी-प्यारी राजकुमारी बेटी … लेकिन एक शर्त है!
पिंकी मुस्कुरा कर बोली- मैं ससुर जी के लिए सारी शर्तें मंजूर कर लूँगी.

रागिनी सिंह मुस्कुराकर बोलीं- अकेले-अकेले नहीं! मुझे भी चुदाई का मजा करवाओ ना!
पिंकी राजी हो गई.

अगली ही रात पिंकी अपनी मम्मी रागिनी को अपने ससुर के कमरे में छोड़ने गई, बोली- असुर जी, आज मम्मी आपकी मालिश करेंगी.

फिर रागिनी कई बार अपने समधी से चुदी.

सुबह को रागिनी सिंह ने बालेश्वर सिंह से कहा- मेहमान अपने मन से आता और मेजबान के मन से जाता है. रमेश सिंह को रोक लो ना.

बालेश्वर सिंह मुस्कुराकर बोले- जैसी तुम्हारी मर्ज़ी! हम कहां भगा रहे हैं? पहले बताओ, बेटी को पसंद किया है कि नहीं?

रागिनी सिंह खिलखिला कर हँस पड़ीं और बोलीं- अगर मेरी बेटी पसंद नहीं होती, तो सुबह उठकर भाग गए होते!

इस प्रकार पिंकी और उसकी मम्मी का एक महीने तक चुदाई का कार्यक्रम चला.

एक दिन पिंकी ने रमेश सिंह से कहा- मेरे ससुर राजा जी.
रमेश सिंह मुस्कुराकर बोले- बोलो, मेरी बहुरानी जी.

पिंकी मुस्कुराकर बोली- आप बाप बनने वाले हैं! मेरी माहवारी रुक गई है. अब जल्दी से अपनी बहू बनाकर ले जाइए.

रमेश सिंह मुस्कुराकर पिंकी को गोद में उठाकर चूमने लगे.
वह बोले- तुमने तो खुश कर दिया.

आनन-फानन में एक हफ्ते में उनके बेटे सुरेश के साथ धूमधाम से शादी हो गई.

ससुराल में जाने के बाद बहू-ससुर का कार्यक्रम चलता रहा.

बेटा सुरेश के काम पर चले जाने के बाद, रमेश सिंह कभी रसोईघर में, कभी बाथरूम में, कभी पलंग पर सुलाकर, खड़े-खड़े, या घोड़ी बनाकर चुदाई करने लगे.

अब पिंकी की चूचियां बड़ी होकर नारियल बन गई थीं.
कमसिन, अनछुई और कोहिनूर बुर फैलकर भोसड़ा बन चुकी थी.

उसके अथाह समुद्र में बेटा सुरेश गोता लगाता रहता, परंतु रहस्य से अनजान रहा.

नियत समय पर पिंकी को एक सुंदर लड़का पैदा हुआ.

उधर उसकी मम्मी रागिनी सिंह को भी एक बेटी पैदा हुई.

पिंकी ने एकांत में ससुर रमेश सिंह से कहा- आपको बेटा और बेटी के लिए बधाई हो!
पिंकी की बात सुनकर रमेश सिंह हंस दिए और बोले- चलो अब समधन से मिलने चलते हैं. उधर माँ बेटी को एक साथ चोदने की रस्म भी पूरी कर दी जाए.

पिंकी खुश हो गई और अपने ससुर रमेश सिंह के साथ अपनी माँ चुदवाने चल पड़ी.

आपको मेरी मैन ओल्ड यंग गर्ल सेक्स कहानी कैसी लगी, प्लीज जरूर बताएं.
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