डर्टी मॅाम बैड सेक्स कहानी में मेरे पापा बिजनेस में बिजी रहने के कारण मम्मी को समय नहीं दे पाते थे. तो मम्मी ने अपने जिस्म की प्यास बुझाने के लिए मुझे फंसाया.
दोस्तो, मेरा नाम नितिन है और मेरी उम्र 29 साल है.
मैं दिल्ली में रहता हूं.
हमारा घर दिल्ली के लक्ष्मी नगर में है. मेरे परिवार में हम चार लोग हैं.
यह मेरी पहली और सच्ची सेक्स कहानी है.
इस पूरी कहानी में मैं कहीं भी झूठ नहीं लिखूँगा!
यह बात तब की है, जब मैं 19 साल का था और मैंने ग्रेजुएशन के फर्स्ट ईयर में एडमिशन लिया था.
पहले मैं अपनी फैमिली के बारे में बता देता हूँ.
मेरी फैमिली में मेरी मम्मी-पापा और बड़ी दीदी हैं.
मम्मी का नाम रीमा है, वे 45 साल की हैं.
पापा का नाम राकेश है और उनकी उम्र 49 साल है.
मेरी बड़ी दीदी का नाम ऋचा है और उनकी उम्र 22 साल है.
मैंने ग्रेजुएशन के फर्स्ट ईयर में एडमिशन लिया था और रोज़ घर से ही कॉलेज जाया करता था.
पापा की अपनी शॉप है इसलिए वे काम में बहुत व्यस्त रहते हैं जिस वजह से घर में समय नहीं दे पाते हैं.
पापा सुबह 7 बजे दुकान के लिए निकल जाते हैं और रात में 11 बजे के बाद ही लौटते हैं.
दीदी की शादी 6 महीने पहले हुई है.
जीजाजी बिजनेसमैन हैं और वे लोग लखनऊ में रहते हैं.
एक दिन पापा ने कहा- करवा चौथ आने वाला है, मम्मी को मॉल जाना है शॉपिंग करने … तो तुम उनके साथ चले जाना!
मैंने हां में सिर हिला दिया.
उस दिन मैंने जाना कि मेरी मम्मी कितनी सुंदर हैं.
वैसे मम्मी ने मुझसे पूछा था कि मैं कैसी लग रही हूँ?
तो मैंने कहा- आप बहुत अच्छी लग रही हैं.
दोस्तो, मैं बता दूँ कि मेरी मम्मी का फिगर भरा हुआ है.
उनका वज़न करीब 70 किलो है. बूब्स हैवी हैं, करीब 36 इंच के रहे होंगे.
चूतड़ों का साइज़ करीब 85 सेंटीमीटर है.
उस दिन मम्मी ने ब्लू कलर की साड़ी पहनी थी.
वे बेहद खूबसूरत लग रही थीं.
हम दोनों रिक्शे से जा रहे थे.
मम्मी और मैं सटकर बैठे थे.
पहली बार लगा कि मम्मी के टच से मेरी पैंट में कुछ कुलबुलाहट हो रही है.
मम्मी भी मुझसे चिपकी जा रही थीं.
उनके गहरे गले वाले ब्लाउज से मुझे उनकी दूधिया रंग वाली चूचियां बेहद उत्तेजित कर रही थीं.
मैंने ध्यान दिया कि मम्मी मुझे खुद से अपनी चूचियां दिखाने की कोशिश कर रही थीं.
यह सोच कर मुझे एकदम से पापा का घर पर कम रहना याद आ गया.
मुझे लगा कि शायद मम्मी को किसी के साथ सेक्स करने की जरूरत हो सकती है.
पर वे अपने बेटे के साथ ही सेक्स करने की सोच सकती हैं, यह मैं नहीं समझ पा रहा था.
फिर भी मैंने कुछ भी गलत नहीं सोचा था.
हम दोनों जब शॉपिंग करने गए तो मम्मी ने मेरे साथ ही अपने लिए ब्रा पैंटी खरीदी.
बल्कि उन्होंने मुझसे कलर के लिए भी पूछा कि कौन सा कलर अच्छा लग रहा है.
यह कहते हुए उन्होंने मुझे एक ब्रा पकड़ा दी.
मैं ब्रा लेने में झिझक रहा था … तो वे मुस्कुरा कर मेरी तरफ देख रही थीं.
सारी खरीदारी करने के बाद शाम 7 बजे हम दोनों घर आ गए.
मैंने इतनी देर से अपने लौड़े को साध कर रखा था तो मुझसे रुका नहीं जा रहा था.
मैंने घर में घुसते ही बाथरूम का रुख किया और अन्दर जाकर मम्मी की जवानी को याद करके मुठ मारी.
वीर्य झाड़ लेने के बाद मुझे सुकून मिला और उसके बाद मैं अपने कमरे में जाकर लेट गया.
मम्मी ने खाना बनाया और मुझे आवाज दी.
मैं नीचे आया तो मैंने देखा कि मम्मी ने एक बेहद सेक्सी सी नाइटी पहनी हुई थी जिसमें से उनका एक एक अंग नुमाया हो रहा था.
उनके दूध शायद बिना ब्रा के थे तो उनके निप्पल एकदम साफ उभर कर समझ आ रहे थे.
मैं उनकी गांड को देखने लगा तो समझ आया कि मम्मी ने पैंटी भी नहीं पहनी हुई थी.
फिर जब वे सामने से मुझे कुछ परोसने आईं तो मैं उनकी टांगों के बीच नजरें गड़ाए हुए था कि क्या चुत का आकार दिख रहा है या नहीं.
यह बात मम्मी ने नोटिस कर ली थी शायद तो वे मेरे करीब आकार एक कुर्सी पर अपने पांव को रख कर अपनी पायल ठीक करने का ड्रामा करने लगीं और मुझे उनकी फूली हुई चुत नाइटी की सिलवटों से दिखने लगी.
मैं उन्हें देख कर गर्म हो रहा था.
किसी तरह से मैं खाना खाकर अपने कमरे में आ कर लेट गया और लंड को सहलाते हुए सो गया.
पापा रात करीब 11:15 बजे आए और बोले- मम्मी की तबीयत खराब है, उसे उल्टियां हो रही हैं … जाकर दवाई ले आ!
मैं दवाई ले आया.
मम्मी ने दवाई खाई और वे सो गईं.
उस वक्त मम्मी ने साड़ी पहनी हुई थी तो मुझे जरा आश्चर्य हुआ कि पहले तो मेरे सामने नाइटी पहनी हुई थी और पापा के सामने साड़ी क्यों पहनी?
पापा ने कहा- आज तुम यहीं लेट जाओ, मैं तुम्हारे कमरे में सो जाता हूँ. मुझे सुबह जल्दी दुकान जाना है, कल करवाचौथ के कारण ज़्यादा भीड़ होगी!
मैंने पापा को ओके बोल दिया.
मैं मम्मी के बगल में ही सो गया.
उनके बदन की महक मुझे वासना से भर रही थी.
रात को सपने में अचानक मेरा लंड खड़ा हो गया था.
मेरी वी-कट चड्डी में लंड में दर्द होने लगा था तो मैंने लोअर और चड्डी उतार दी और सो गया.
मम्मी तो दवाई खाकर सोई थीं तो मुझे लगा कि वे जागेगीं नहीं.
सुबह करीब 4 बजे ऐसा लगा कि कोई मेरा लंड चूस रहा है.
मैंने हल्के से आंख खोलकर देखा, अंधेरे की वजह से कुछ दिखा तो नहीं, पर चूड़ी की छनछनाहट से समझ गया कि मम्मी ही हैं.
मेरी समझ में यह नहीं आ रहा था कि मैं रिएक्ट करूँ या नहीं.
मैं लेटा रहा और मेरा लंड खड़ा हो गया था.
मम्मी जोर-जोर से ‘गप … गुप … अप्प …’ करके लंड चूस रही थीं.
मम्मी ने मुझे जगाया- उठो न … मेरा बहुत मन कर रहा है!
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ.
फिर भी हिम्मत करके शरीर हिलाया.
मम्मी समझ गईं कि मैं जाग गया हूँ.
मम्मी ने कहा- तुम मुझे लिप वाला किस करो … मेरा बहुत मन हो रहा है.
बेड पर बैठकर मैंने जोर से मम्मी का सिर अपनी ओर खींचा और लिप किस करने लगा.
‘गप … गुप … अप्प … एप्प … उम्म्म …’
मैं मम्मी को दबा कर चूस रहा था और उन्हें भी मेरे साथ चुंबन करने में मज़ा आ रहा था.
मुझे उनके मादक जिस्म से खेलने में खूब मज़ा आ रहा था.
ये मेरे लिए किसी औरत के शरीर का पहला स्पर्श था.
एक अलग ही आनन्द आ रहा था.
फिर मम्मी ने अलग होते हुए कहा- किस करते समय मेरे बूब्स और चूत पर भी हाथ फेरना चाहिए न! क्या तुमको मैं अच्छी नहीं लग रही हूँ. अच्छे से कर ना!
मैंने फिर बिना कुछ बोले मम्मी को नीचे लिटाया और उनकी साड़ी उतार दी.
अब मम्मी ब्लाउज़ और पेटीकोट में थीं.
मैंने उनका ब्लाउज़ भी उतार दिया.
अब मैं फिर से मम्मी को लिप किस करने लगा और उनके बूब्स सहलाने लगा.
मुझे दूध सहलाना नहीं आता था, बस करता जा रहा था क्योंकि मैं हाथ आए मौके को गँवाना नहीं चाहता था.
इसके बाद मम्मी ने मेरे सिर को लिप्स से हटाया और अपने बूब्स पर रख दिया.
मैं समझ गया कि अब इनको बूब्स पिलाने का मन है.
मैं भी पिल पड़ा और अपनी मम्मी के दूध चूसने लगा.
मैं एक को पी रहा था और दूसरे हाथ से दूसरे दूध को मसल रहा था.
फिर मैं अपने एक हाथ को मम्मी के पेटीकोट के ऊपर ले गया और टांगों के बीच की दरार को सहलाने लगा.
मम्मी को अपनी चुत रगड़वाने में मज़ा आ रहा था.
वे कामुक सिसकारियां लेने लगीं- आह … ओह … चूस लो … और ज़ोर से चूसो!
वे चुत चूसने का बोल रही थीं, तो मैंने उनके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और पेटीकोट को नीचे सरकाने लगा.
मम्मी ने अपना चूतड़ उठाकर सहयोग दिया.
मैंने अपना हाथ मम्मी की चूत पर लगाया तो चूत पर काफी बाल थे.
मैं अपनी उंगली उनकी चूत में घुसाने लगा तो मम्मी बोलीं- नहीं उंगली नहीं … आज सीधे अपना लंड अन्दर डालो.
मैं उठा और लंड को चूत पर सैट करने लगा.
मुझे नहीं पता था कि लंड कहां घुसता है.
मम्मी ने अपने हाथ से मेरे लंड को अपनी चूत पर टिका दिया.
मैं धीरे-धीरे अन्दर पेल कर चुत में धक्के लगाने लगा.
मेरा लंड शायद पापा के लंड के मुकाबले मोटा था.
मम्मी बोलीं- तुम्हारा लंड दर्द क्यों दे रहा है. लेकिन अच्छा लग रहा है.
मम्मी मेरे लौड़े से चुदने का आनन्द ले रही थीं.
मैं धक्के पर धक्का लगाए जा रहा था.
मम्मी बोल रही थीं- आह … ओह … आज तो मज़ा ही दे दिया तूने!
मैं जल्दी झड़ना चाहता था क्योंकि सुबह होने वाली थी, पर मेरा रस गिर ही नहीं रहा था.
मम्मी चुदाई के आनन्द में डूबी थीं- आह … ओह … उफ्फ … हम्म … और ज़ोर से … आह … मैं झड़ने वाली हूँ चोदो मुझे आह … और ज़ोर से चोदो … फाड़ दो आज मेरी चूत को आह.
तभी मम्मी ने मुझे ज़ोर से पकड़ लिया और वे झड़ गईं.
अब मम्मी ने कहा- तुम मेरे मुँह में झड़ना!
मैं धक्के लगाए जा रहा था और मुझे डर भी सता रहा था कि सुबह होने वाली है, कहीं मैं पकड़ा न जाऊं.
मैं ज़ोर से धक्के लगाने लगा. मम्मी फिर से आंखें बंद करके सिसकारियां लेने लगीं.
वे फिर से झड़ने वाली थीं.
मैं चोदे जा रहा था.
इतने में वे फिर से झड़ गईं और मैं भी झड़ने ही वाला था.
मैंने लंड निकाल कर उनके मुँह पर दे दिया.
मम्मी ने चूस चूस कर लंड का पानी पी रही थीं … उन्होंने सारा पानी गटक लिया था.
तभी हल्की हल्की सुबह हो गई.
मम्मी ने अपने मुँह में अपने बेटे का लंड देखते ही मुँह से लंड निकाला और बोलीं- नितिन … तुम यहां क्या कर रहे हो! तुमने मेरे साथ सेक्स किया! मैं तुम्हारी मम्मी हूँ … तुमने बेटे के रिश्ते को तार-तार कर दिया!
उस समय मम्मी और मैं दोनों नंगे थे.
मैं मम्मी के ऊपर था, मेरा लंड मम्मी के बूब्स के पास था.
मम्मी ने मुझे हटाते हुए कहा- हटो मेरे ऊपर से!
मैंने मम्मी को सॉरी कहा और फिर रात की पूरी बात बताई कि पापा ने कहा था कि यहां आपके पास रहने को, क्योंकि आपकी तबीयत खराब थी!
फिर मम्मी ने भी सॉरी कहा और बोलीं- हाँ, मुझे पता है. मेरा ही किया धरा है सब … ये बात किसी को मत बताना … जो हो गया, सो हो गया. तुम्हारी कोई गलती नहीं है … पर एक बात है, तुम्हारा लंड पापा के लंड से मोटा है! तुमसे चुदने में मुझे बहुत मज़ा आया. अब तुम कपड़े पहन ले और आ जा, अब मम्मी के पास सो जा. पापा को नहीं लगना चाहिए कि कुछ हुआ है, वे जागने ही वाले होंगे!
मैंने मम्मी को अपनी बांहों में भर लिया और उनसे कहा- एक बात सच सच बताओ मम्मी कि आप मुझसे चुदवाना चाहती थीं न!
वे मुझे चूम कर बोलीं- हां, मैं तुम्हें पाना चाहती थी बेटा … क्या करती तेरे पापा को मुझमें इंटरेस्ट ही नहीं है और मुझे अपनी जिस्म की प्यास बुझानी थी. मैं बाहर किसी दूसरे से संबंध बनाती तो शायद यह गलत हो सकता था. कोई हमारा फायदा भी उठा सकता था. इसलिए मैंने तुम्हें ही चुना कि तुम ही मेरे लिए एकदम सही हो.
उनके इतना कहते ही मैंने उन्हें अपने अंक में भर लिया और होंठों चूमने लगा.
मैंने कहा- मैं मादरचोद बन गया न मम्मी!
वे हंस दीं.
हम दोनों अलग अलग हो कर सो गए.
थोड़ी देर बाद पापा जाग गए.
उन्होंने मम्मी को जगाया और पूछा- अब तुम्हारी तबीयत कैसी है?
मम्मी ने कहा- ठीक है!
फिर मम्मी उठ कर किचन में गईं और पापा के लिए चाय नाश्ता व खाना बनाने चली गईं … क्योंकि पापा को जल्दी दुकान जाना था.
पापा के दुकान जाते ही मम्मी ने मुझे जगाया- बेटा उठ जा … नाश्ता कर ले!
उसी दिन बातों-बातों में मम्मी ने बताया कि पहले तेरे जीजाजी मेरे साथ सेक्स करना चाहते थे … और जब मैंने उन्हें मना किया तो वे धमकी देने लगे थे कि अगर मैं नहीं मानी, तो वे तेरी दीदी को परेशान करेंगे!
उसी वक्त मेरे दिमाग में एक प्लान आया कि क्यों न मम्मी, दीदी, जीजाजी और मैं ग्रुप सेक्स का आनन्द लें!
मैंने मम्मी को बाथरूम में ले जाकर उन्हें घोड़ी बना कर चोदा और उनसे दीदी जीजा के साथ ग्रुप सेक्स की चर्चा की.
मम्मी चुप रहीं. मैं समझ गया कि इनका मन भी है और शायद दीदी भी मम्मी के साथ लेस्बियन का मजा ले चुकी हैं.
आगे क्या हुआ, वह सब आपको अगली सेक्स कहानी में बताऊंगा.
आपको मेरी सच्ची सेक्स कहानी कैसी लगी, प्लीज ज़रूर बताइएगा!
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