मामी की कुंवारी बहन चोद दी

देसी लड़की चुदाई स्टोरी में मुझे मामा के घर कुछ दिन रहना पड़ा. वहां मामा की साली भी आई हुई थी. वह सेक्सी माल थी. एक रात हम सब छत पर सो रहे थे. मैंने उसकी चूची दबा दी.

नमस्कार देवियो और सज्जनो,
मेरा नाम सार्थक है. मैं उत्तर प्रदेश के बनारस जिले से हूँ.

यह देसी लड़की चुदाई स्टोरी मेरे और मेरी मामी की बहन, जिसका नाम वेदिका है, के बीच की है.

अंतर्वासना वेबसाइट के बारे में मुझे 2020 में पता चला.
मैं भी अपनी कहानी लिखना चाहता था.
आज मैं अपनी कहानी आप सभी को बता रहा हूँ.

जैसा कि मैंने बताया कि मैं बनारस के पास के एक गांव का हूँ, लेकिन मैं गांव में नहीं रहता.
मेरी कॉलेज की पढ़ाई-लिखाई जयपुर में हुई है.

बारहवीं की पढ़ाई पूरी करके मैं आगे की पढ़ाई के लिए जयपुर आ गया था.

हमारा परिवार बहुत बड़ा है. मेरे पिताजी एक सरकारी पद पर नियुक्त हैं.
माता जी घर का काम संभालती हैं.
मेरा छोटा भाई अपनी स्कूल की पढ़ाई करता है.

पिता जी ने आगे की पढ़ाई-लिखाई के लिए मुझे जयपुर भेज दिया गया.
वहां मैंने एक अच्छी यूनिवर्सिटी में बी.सी.ए. में एडमिशन ले लिया.

कॉलेज अच्छा चल रहा था.
छह महीने हो गए थे.

तभी एक दिन मेरे पिताजी का फोन आया.
उन्होंने कहा- सार्थक, दस-पंद्रह दिन की छुट्टी लेकर घर आ जाओ, तुम्हारी नानी जी की तबीयत बहुत खराब है.

मैंने यूनिवर्सिटी में लीव एप्लिकेशन लगाई.
मुझे छुट्टी मिल गई और मैं बस पकड़ कर बनारस आ गया.

घर पहुंचा तो पता चला कि मेरी नानी अब इस दुनिया में नहीं रहीं.
फिर मुझे नानी के घर जाना पड़ा.

जब मैं छोटा था, मेरे नाना जी तभी गुजर गए थे.
मेरे मामा नौकरी के लिए दुबई चले गए थे.
घर में मामी, उनकी छोटी बहन वेदिका, मौसा-मौसी और अन्य रिश्तेदार भी मौजूद थे.

सभी क्रिया-कर्म हो जाने के बाद 5-6 दिन तक घर में उदासी छाई रही.

धीरे-धीरे सभी रिश्तेदार चले गए.
मेरे पापा-मम्मी, मैं, मेरा छोटा भाई, मेरी मामी की बहन और मामी रह गए.

फिर मामी ने मम्मी से कहा- सार्थक को कुछ दिनों के लिए यहीं रहने दीजिए दीदी!
लेकिन मैं रुकना नहीं चाहता था क्योंकि मुझे तो वापस जयपुर जाना था.

पर मैं क्या करता?
मेरे पिताजी ने भी मुझे रुकने के लिए बोल दिया और वे दोनों घर चले गए.

अब हम तीनों ही घर में अकेले रह गए थे.

फिर मामी और उनकी बहन वेदिका ने शाम के खाने की तैयारी शुरू की.

मैं अपने दोस्तों से बात करने छत पर चला गया और फोन से बातचीत करते हुए मैंने उन्हें बताया कि मैं अभी कुछ दिन और नहीं आ पाऊंगा.

रात हुई, खाना बन गया था.
मामी ने मुझे नीचे बुलाया- सार्थक, खाना खाने आ जाओ!

यहाँ मैं अपनी मामी के बारे में बता देता हूँ.
उनकी शादी को दो साल ही हुए थे.
उनकी एक छह माह की बेटी भी थी.

जब भी पहले नानी के घर आता था, तब मामी मुझे बहुत अच्छी लगती थीं.
लेकिन धीरे-धीरे समय के साथ मैं मामी से कम बातचीत करने लगा और ज्यादा हंसी-मजाक भी नहीं करता था.

मामी ने मुझे खाना खाने के लिए नीचे बुलाया.
मैं आ गया तो मामी ने पहले मुझे अपने पास बिठाया.

उन्होंने मुझे यहां जबरदस्ती रोकने के लिए कहा- सॉरी सार्थक!
मैंने भी कहा- अरे मामी आप प्लीज सॉरी मत बोलो … चलो अब हम लोग खाना खाते हैं!

फिर मामी की बहन वेदिका ने कहा- नीचे बहुत गर्मी लग रही है, चलो सब लोग छत पर चल कर खाना खाते हैं!
मामी ने भी कहा- हां, छत पर खाते हैं!

फिर खाना छत पर लगाया गया.
हम तीनों साथ खाना खा रहे थे.
मामी अपनी बेटी को भी खाना खिला रही थीं.

फिर वेदिका ने मुझसे कॉलेज के बारे में पूछा. मैंने अपने कॉलेज के बारे में बताया.

मैं वेदिका के बारे में बता देता हूँ.
मैं वेदिका से पहले भी मिल चुका हूँ लेकिन पहले में और अब में बहुत अंतर हो गया था.
अब वेदिका दिखने में बहुत सुंदर हो गई थी.
उसका पहनावा, सलवार सूट आदि उसे और भी सुंदर बना रहा था.

खाना खत्म हुआ.

गांवों में लाइट की बहुत समस्या रहती है, इसलिए मामी ने कहा- चलो, यहीं छत पर ही बिस्तर लगा लेते हैं. यहां ठंडी हवा भी चल रही है!

फिर उस दिन हम सो गए.

ऐसे ही 3-4 दिन बीत गए.
मुझे अब वेदिका की बातों में इंटरेस्ट आने लगा था क्योंकि वह सुंदर भी थी और उसकी आवाज बहुत अच्छी थी.

जब वह बोलती थी, तब ऐसा लगता था कि मैं बयान नहीं कर सकता.

दोस्तो, वह दिखने में इंडियन एक्ट्रेस इलियाना डीक्रूज की तरह बिल्कुल दिखती थी.
मैंने कई बार उसको यह बात बताई भी लेकिन वह हंसकर टाल देती थी,

एक दिन हम रात को छत पर सो रहे थे.
आधी रात होने को थी लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी.

वह करवट लेकर सो रही थी और मैं उसके बगल में लेटा हुआ था.

तभी वह अचानक मेरी तरफ घूम गई.
उसका चेहरा चांदनी रात में बिल्कुल चांद की तरह चमक रहा था.

मुझे उसका चेहरा देखने में बहुत अच्छा लग रहा था.

तभी अचानक उसने अपना एक पैर मेरे ऊपर रख दिया.
मैंने उसका पैर नहीं हटाया और उसके और करीब हो गया.

मैं उसके इतना करीब हो गया था कि उसकी सांसें मेरे चेहरे पर महसूस हो रही थीं.
वह इतनी प्यारी लग रही थी कि मेरे होंठ अपने आप ही उसके होंठों से जा मिले.

वह पल इतना सुंदर था कि जब भी मैं उस पल को याद करता हूँ, मुझे उसकी याद आ जाती है.
फिर मैंने जल्दी से अपने होंठ हटा लिए कि कहीं वह जाग न जाए.
लेकिन वह बेसुध सो रही थी.

फिर मैंने थोड़ी और हिम्मत दिखाई और एक हाथ उसकी कमर की तरफ ले जाकर रख दिया.
मैं बिल्कुल उसके करीब होकर उसे चूम रहा था.

चूमते-चूमते मैं इतना खो गया कि मेरा एक हाथ कब उसकी सलवार के अन्दर चला गया, मुझे पता ही नहीं चला.

तभी अचानक उसकी नींद खुल गई और उसने मुझे धक्का देकर हटाया.
वह बहुत गुस्से में मुझे देख रही थी.

फिर वह दूसरी तरफ मुँह करके बिना कुछ बोले सो गई.

मेरे दिल की धड़कनें बढ़ने लगीं.
मैंने सोचा, मेरी तो ये आखिरी रात है, कल सुबह वह ये सब बातें मामी को बता देगी और मामी मेरी मम्मी-पापा को बता देंगी. मैं तो गया!

फिर मैंने सोचा कि जो होगा, सुबह देखा जाएगा. ये सोचकर जैसे-तैसे मैं सो गया.

सुबह हुई तो 8 बज रहे थे.
मामी नीचे से आवाज़ लगा रही थीं- सार्थक, उठ जाओ, सुबह हो गई है!

मैं उठ तो गया था लेकिन नीचे जाने से डर रहा था.
मुझे लग रहा था कि वेदिका ने अब तक मामी को सब बता दिया होगा और इसलिए मामी मुझे बुला रही हैं.

जैसे-तैसे मैंने बिस्तर समेटा और नीचे गया.
बिस्तर रखकर बिना मामी की बात सुने मैं सीधा फ्रेश होने चला गया.

इसमें मैंने आधा घंटा लगा दिया.

तब मामी ने बाहर से आवाज़ दी- पेट खराब है क्या सार्थक? जल्दी बाहर निकलो!

मैं बाहर निकला, हाथ-मुँह धोकर रूम में चला गया.
तब मामी ने मुझे चाय लाकर दी और खाने के लिए पूछने लगीं- क्या बनाऊं?

मैंने सोचा, मामी मुझसे इतने आराम से बात क्यों कर रही हैं?
फिर मैंने सोचा, लगता है वेदिका ने कुछ नहीं बताया.

तब जाकर मैं थोड़ा शांत हुआ और मामी से बोला- जो आपको अच्छा लगे, वह बना लो!
मामी ‘ठीक है’ बोलकर किचन में चली गईं.
मैं चाय पीकर नहाने चला गया.

नहाकर कपड़े पहन ही रहा था कि वेदिका मेरे रूम में आई.
वह गुस्से से मुझे देख रही थी और मैं उसके सामने कपड़े पहन रहा था.

वह मुझे लगातार घूर रही थी.
मैंने अपनी नज़रें नीचे रखीं.

आखिरकार मैंने पूछ ही लिया- क्या है?
उसने कहा- जैसे तुम्हें पता नहीं कि कल रात को क्या कर रहे थे?
मैंने कहा- सुनो, वह मैंने जानबूझकर नहीं किया, वह गलती से हो गया था!

उसने कहा- मैं ये सब मामी को बता दूँगी!
मैंने कहा- जाओ, बता दो!

फिर वह गुस्से में मेरे रूम से निकल गई.

खाना तैयार था. मामी ने सबको खाना खिलाकर दोपहर में अपनी बेटी के साथ आराम कर रही थीं.
मैं हॉल में सोफे पर बैठकर टीवी देख रहा था.

वेदिका अपनी किसी सहेली से बात कर रही थी.

टीवी देखते-देखते मुझे पता नहीं कब नींद आ गई और मैं सो गया.

तभी वेदिका मेरे पास आकर दूसरे सोफे पर बैठ गई और तेज़ आवाज़ में गाने सुनने लगी.
उसकी आवाज़ से मेरी नींद खराब हो गई.

मैंने उसकी तरफ देखकर कहा- आवाज़ थोड़ा कम कर लो, मैं सो रहा हूँ!
उसने पहले मुझे अनदेखा किया.

मैंने दोबारा कहा- आवाज़ कम कर लो, मुझे नींद आ रही है!
उसने तपाक से जवाब दिया- अपने रूम में जाकर सो सकते हो!

मैं गुस्से में उठा, अपने रूम में आया, दरवाज़ा बंद किया और सो गया.

शाम हुई तो मामी ने मुझे जगाया और कहा- थोड़ा खेतों की तरफ घूम आओ. जब से आए हो, बाहर नहीं गए … और हां, खेत पर पपीते का पेड़ है, उससे एक पपीता तोड़ लाना!
मैं चला गया.

थोड़ी देर घूमा, जिन लोगों को मैं जानता था, उनसे बातचीत हुई.
शाम ढल गई, तो मैं एक पपीता तोड़कर घर की तरफ निकल लिया.

घर पहुंचा तो खाना बन चुका था.
वेदिका मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी.

मैंने मन में सोचा, इसे क्या हुआ जो मुझे देखकर हंस रही है?

खाना खाकर मैं ऊपर छत पर अपना बिस्तर लेकर चला गया और मामी की बेटी के साथ खेलने लगा.

तब तक मामी और वेदिका भी अपना बिस्तर लेकर आ गईं और सोने की तैयारी करने लगीं.

लेकिन वेदिका के मन में कुछ और ही चल रहा था.
वह मुझे बार-बार स्माइल दे रही थी लेकिन मैं उसे इग्नोर कर रहा था.

थोड़ी देर फोन चलाने के बाद मैं सो गया.
लेकिन वह जाग रही थी.

उसने अपना एक हाथ मेरे सिर के नीचे रख दिया और बिल्कुल करीब आ गई.

उस हाथ से वह मुझे धीरे-धीरे अपनी तरफ खींच रही थी.

पहले तो मैं नींद में था, लेकिन जब मेरी नींद खुली तो मैंने खुद को हिलता पाया.
मैंने उसकी तरफ देखा तो उसने अपनी आंखें बंद कर रखी थीं.

मैंने सोचा कि शायद नींद में कर रही होगी.
तो मैंने उसका हाथ साइड में कर दिया और फिर से सो गया.

थोड़ी देर बाद उसने मेरे शर्ट के बटन खोल दिए और अपनी उंगली से मेरे सीने पर ऊपर-नीचे करने लगी.

साथ ही, वह मुझे एक हाथ से और करीब ला रही थी.
मैंने उससे पूछा- क्या है?

तो उसने सीधे मुझे किस कर दिया और पांच-दस मिनट तक ऐसे ही करती रही!
मेरा हाथ पता नहीं कब उसके कुर्ते के अन्दर चला गया और मैं उसके बूब्स दबाने लगा.
धीरे-धीरे वह सिसकारियां लेने लगी.

मैंने दूसरा हाथ उसकी पैंटी के अन्दर डाल दिया; उसकी पैंटी पूरी गीली हो चुकी थी.

तभी अचानक बरसात की एक-दो बूंदें आसमान से गिरने लगीं और मामी जाग गईं.
मामी अपनी बेटी की तरफ करवट लेकर सो रही थीं और वे वेदिका को आवाज दे रही थीं- जल्दी नीचे चल, बरसात आ गई … बिस्तर उठा, सार्थक को बोल!

वेदिका मुझसे दूर हटी और मामी खड़ी होकर नीचे जाने लगीं.
मामी ने मुझसे कहा- नीचे चलो, बरसात आ रही है!

मैंने जवाब दिया- तुम लोग जाओ, बरसात नहीं आएगी … और अगर आएगी भी, तो मैं नीचे आ जाऊंगा!
फिर वे दोनों चली गईं.

इधर मैं अपनी किस्मत को गालियां दे रहा था.
बरसात तो नहीं आई लेकिन चुत हाथ से निकल गई थी.
मैं फिर से सो गया.

सुबह पांच बजे वेदिका ऊपर आई और मुझे जगाने लगी.
मैंने पूछा- क्या है?

वह मेरे ऊपर ही लेट गई और मुझे किस करने लगी.
उसने कहा- किसी को बताना मत!

वह मुझे लगातार किस करती रही.
मैंने भी कहा- नहीं बताऊंगा.

वह वैसे ही मेरे ऊपर लेटी रही.
फिर अचानक उसने कहा- आज कुछ हो सकता है, तुम मार्केट जाकर कंडोम ले आना!

ये कहकर वह नीचे चली गई और मैं कुछ समझ नहीं पाया.

जब मैं नहा-धोकर तैयार हुआ, तब उसके पापा आ गए थे क्योंकि मेरी मामी को कुछ डॉक्यूमेंट सही करवाने के लिए नगर निगम जाना था.

मामी के पापा को इसकी अच्छी जानकारी थी इसलिए मामी उनके साथ जा रही थीं.

हम सबने खाना खाया और मामी जाने की तैयारी करने लगीं.

उन्होंने हम दोनों से कहा- अन्दर से गेट बंद कर लेना और दोनों टीवी देख लेना या जो खाने का मन करे, वह बनाकर खा लेना!

फिर वे चली गईं.

उनके जाने के बाद मैं गेट बंद करने गया, तभी वेदिका पीछे-पीछे आई और बोली- तुम्हें मार्केट नहीं जाना क्या? बिना कंडोम के मेरे साथ करोगे क्या!

मैंने गेट बंद करने के बाद उसे गोद में उठा लिया और कहा- ये हमारा पहला सेक्स है और मैं नहीं चाहता कि कंडोम लगाकर हो … इससे फील नहीं आएगा!
वह मान गई.

हम दोनों मेरे रूम में आ गए और आते ही एक-दूसरे को किस करने लगे.

वह किस करते-करते मेरे शर्ट के बटन खोलने लगी और फिर मेरी गर्दन से लेकर छाती तक किस करती रही.

फिर उसने मेरा पैंट भी उतार दिया.
अब मैं केवल अंडरवियर में था.

मैंने उसके कपड़े उतार दिए और वह लाल रंग की ब्रा-पैंटी में थी.

जैसे ही मैंने उसकी ब्रा उतारी, उसके आम जैसे टाइट बूब्स मेरे हाथों में आ गए.

आह क्या अहसास था वह … उसे बहुत मज़ा आ रहा था.

फिर मैंने उसकी पैंटी भी उतार दी.
अब वह बिल्कुल नंगी थी.

मैंने उसे ऊपर से नीचे तक फुर्सत से देखा; उसका एक-एक बॉडी पार्ट मानो अप्सरा की मूरत की तरह तराशा गया था.
वह बहुत ही ज्यादा सुंदर लग रही थी, फिर उसने मेरा अंडरवियर उतार दिया.

मेरे लंड को देखकर बोली- इतना बड़ा, इसमें कैसे जाएगा!
मैं हंसने लगा.

वैसे मैं बता दूँ, मेरे लंड का साइज़ आठ इंच है और ढाई इंच मोटा है.
मैंने उसका हाथ पकड़कर लंड पर रख दिया.

वह उसे हिलाने लगी.
मैंने उसे अपनी गोद में बिठा लिया और उसके बूब्स चूसने लगा.

नीचे हाथ से वह मेरे लंड को अपनी छोटी सी चूत पर घुमा रही थी और सिसकारियां भर रही थी.

फिर मैंने उसके कान में कहा- इसे मुँह में ले लो!
वह मेरी तरफ देखकर मुस्कुराने लगी.

मैंने कहा- इसमें मुस्कुराने वाली क्या बात है!
तो उसने बिल्कुल मासूमियत से कहा- पहले मुझे वीडियो दिखाओ, तब ऐसे मुझे नहीं आता!

मैंने फोन में ब्लोजॉब की वीडियो चलाकर उसे दिखाई.
वह मुझे देखकर हंस रही थी.

फिर उसने कहा- तुम सो जाओ … मैं करती हूँ!
तो मैं लेट गया और उसने नीचे की ओर होकर जैसे ही मेरे लंड को मुँह में लिया, वैसे ही मुझे इतनी सुखद अनुभूति हुई कि क्या ही कहूँ!

फिर मैंने उसके सिर को पकड़कर धीरे-धीरे धक्का देना शुरू किया.

एक बार मैं इतने जोश में था कि मैंने जोर से धक्का मार दिया, इससे उसे खाँसी आ गई और उसने मुँह से लंड निकाल कर मुझे मुक्के मारने शुरू कर दिए.
वह बड़ी मासूमियत से बोली- मैं कहीं भागी जा रही हूँ? तुम्हारी तो हूँ, आराम से करने दो!

जैसा कि मैंने बताया था, उसकी आवाज़ इतनी प्यारी थी कि उसकी आवाज़ सुनकर और जिस तरह वह चूस रही थी, मुझे इतना मज़ा आया कि मैं इस पल को कभी नहीं भूल सकता.
मैंने उससे कहा- चलो हम दोनों 69 करते हैं!

मैंने उसे अपने ऊपर उल्टा कर लिया.
वह मेरा चूस रही थी और मैं उसकी चूत में जीभ से अन्दर-बाहर कर रहा था.

अब वह बहुत ज़्यादा व्यग्र हो गई थी, उससे रहा नहीं जा रहा था.

वह एकदम से खड़ी हो गई और बोली- अब बर्दाश्त नहीं होता, कुछ करो … नहीं तो मैं मर जाऊंगी!

मैंने उसे बेड पर लिटाया और उसके नीचे दो तकिए रखकर उसकी टांगों को हवा में उठा दिया.
मैंने उसके कान में कहा- पहली बार में दर्द होगा, तुम सहन कर लोगी?

तो उसने कहा- मुझे पता है, तुम आराम से करोगे!
यह कह कर उसने मुस्कुरा दिया.

मैंने उसकी आंखों में देखते-देखते लंड को चूत के ऊपर सैट किया और एक जोरदार धक्का दे दिया.
मेरा लंड का अगला हिस्सा उसकी चूत को फाड़ता हुआ अन्दर घुस गया.

वह रोने लगी और मैं रुक गया.

मैं उसे चूमने लगा और चूमते-चूमते एक और जोरदार धक्का दे मारा.
मेरा आधा लंड अन्दर घुस गया था.

वह चिल्लाने लगी- आह निकाल लो … प्लीज निकाल लो … आराम होने पर कर लेना!
लेकिन मैंने उसकी एक न सुनी और फिर से एक जोरदार धक्का मार दिया.

देसी लड़की चुदाई में वह लगभग बेहोश-सी हो गई थी.
फिर मैं रुक गया और उसके बूब्स चूसने लगा, उसे चूमने लगा.

कुछ आराम होने पर मैंने लंड को निकाल कर दोबारा से एक झटका दे दिया.
इस बार आधा लंड अन्दर चला गया.

वह फिर से रोने लगी.
मैंने एक और जोरदार धक्का दिया तो इस बार पूरा लंड अन्दर चला गया.

अब वह रोते-रोते मासूमियत भरी आवाज़ में बोली- मुझे आज मार देना, आराम से भी तो कर सकते हो!
फिर मैंने उसे चुप कराया और लंड को निकाल कर वापस सैट किया.

इस बार मैंने एक ही झटके में पूरा अन्दर डाल दिया, इस बार दर्द तो हुआ लेकिन उसने मेरी पीठ में नाखून गड़ा दिए और मुक्के मारने लगी.
अब मैं धीरे-धीरे धक्के मारने लगा.

वह कामुक सिसकारियां ले रही थी और बड़बड़ा रही थी- आह और जोर से … अच्छा लग रहा है आह!
उसने मेरी पीठ के पीछे दोनों पैरों की कैंची बना दी और नीचे से वह भी धक्के देने लगी.

फिर कुछ देर बाद मैंने उसे घोड़ी बनाया और पीछे से एक ही बार में लंड को उसकी चूत के अन्दर उतार दिया.
इस पोजीशन में उसे बहुत मज़ा आ रहा था.

कुछ देर बाद उसका शरीर अकड़ने लगा और उसने बेडशीट को जोर से पकड़ लिया.

उसका कामरस मेरे लंड पर बहने लगा था.
मैं जोश में और जोर-जोर से उसकी चूत में धक्के मार रहा था.

अब फच-फच की आवाज़ आ रही थी.

दस मिनट बाद जब मेरा निकलने वाला था, मैंने लंड को निकाल कर उसके मुँह में डाल दिया और उसके मुँह में कामरस छोड़ दिया.

उसने लंड भरे हुए मेरी आंखों में देखा और वीर्य को पी गई.
फिर मैं उसके ऊपर ही लेट गया और कब आंख लग गई, पता ही नहीं चला.

जब मेरी आंख खुली, तो वह अपने कपड़े पहन कर, मुझे कपड़े पहना कर … पूरी सफाई करके मेरे पास बैठ गई थी.
फिर उसने मेरी तरफ देखा और बोली- जल्दी उठो, मैं चाय बना रही हूँ!

जब वह चाय बनाने जा रही थी तो उससे चला नहीं जा रहा था लेकिन जैसे-तैसे वह चली गई.
यह देखकर मुझे बहुत बुरा लगा.

मैं उसके पीछे-पीछे गया और उसे गोद में उठाकर वापस बेड पर बिठा दिया.
मैंने कहा- तुम रेस्ट करो, चाय मैं बना दूँगा!

तो उसने हल्के से मुस्कुरा कर आंखों के इशारे से हां कहा.

मैं जल्दी से चाय बनाकर लाया और उसके साथ बैठकर चाय पी रहा था, तभी उसने पूछा- तुम्हारी कोई बाहर गर्लफ्रेंड तो नहीं है?

मैंने कहा- होती तो मैं कब का चला गया होता, यहां थोड़े रुकता!
इस बात पर वह नाराज़ हो गई और रोने लगी.

मैंने कहा- अरे नहीं जाऊंगा, जब तुम कहोगी, तब जाऊंगा!
वह मान गई.

मैंने किचन में जाकर गर्म पानी किया और एक कपड़ा लेकर उसकी चूत की सिकाई करने लगा.
जब उसे आराम होने लगा, तब उसने कहा- अब ठीक है!

फिर मामी के आने का टाइम हो गया था तो जल्दी-जल्दी काम खत्म करके दो प्लेट मैगी बनाई.

हम दोनों खा रहे थे, तभी मामी आ गईं और मैं खेतों की तरफ चला गया.

शाम को जब हम सब खाना खाने बैठे, तो उसने मेरी तरफ देखा और मैंने उसकी तरफ.
इसी वजह से हम दोनों को एकदम से हंसी आ गई.

मामी ने पूछा- क्या हुआ?
तो हम दोनों ने चुप्पी साध ली.

फिर मैंने कहा- एक पुरानी बात याद आ गई थी.

यह मेरी कमसिन कुंवारी लड़की की बुर का मजा लेने की सच्ची सेक्स कहानी है … आशा करता हूँ, आपको जरूर पसंद आएगी.
आगे भी बहुत कुछ हुआ था, सब बताऊंगा.

अभी के लिए आपसे निवेदन है कि इस देसी लड़की चुदाई स्टोरी को खूब प्यार दीजिएगा, जल्दी ही आगे का हिस्सा लिखूँगा.
धन्यवाद
आपका सार्थक