3सम विद भाभी कहानी में भाभी की बहन ने भाभी को मेरे साथ सेक्स के लिए तैयार किया और रात को मौक़ा मिलते ही हम तीनों ने ग्रुप में थ्रीसम सेक्स किया।
दोस्तो!
मैं राजकुमार, प्रयागराज से।
कहानी के पिछले भाग
भाभी ने मुझे उनकी बहन की चुदाई करते देखा
में मैं भाभी की दीदी की चुदाई कर रहा था कि सेक्स करते हुए हमें भाभी ने पकड़ लिया था।
जैसा कि मैंने गारंटी ली थी कि कहानी पढ़ने के बाद महिलाएं चूत में उंगली करके और मर्द हिलाकर पानी निकाले बिना नहीं रह पायेंगे।
तो आज 3सम विद भाभी कहानी को अंजाम तक पहुँचाते हैं:
तब तक रजनी दीदी आ गयी।
सामान को किनारे रख कर वे आ कर मेरे बगल में लेट गयी।
फ़िर वे मुझे चूमने लगी।
तब मैं भी रजनी दीदी को चूमने लगा।
भाभी भी मुझे पीछे से चूम रही थी।
कमरे का मौसम एकदम गर्म हो गया था। बस ‘आह … उह … ईई … आह … सी … ओह … ईई … आह … सी’ की कामुक आवाज़ें आ रही थी।
मैंने चूमते–चूमते रजनी दीदी की साड़ी निकाल दी।
फ़िर एक हाथ नीचे ले जाकर रजनी दीदी का साया भी निकाल दिया।
अब मैंने भाभी को लेटाया और उनकी ब्रा की स्ट्रिप को खींच कर तोड़ दिया।
जिससे ब्रा की स्ट्रिप भाभी को तेजी से लगी और उनकी चीख निकल आयी– मम्मी रे …!
उधर रजनी दीदी हँस दी और बोलीं– पहली बार मेरे साथ भी ऐसा किया था।
फ़िर वे खुद ही अपनी ब्रा और पैंटी निकाल दी।
मैंने भाभी को धीरे–धीरे चूमते हुए उनकी चूत तक पहुँचा और पैंटी निकाल दी।
चूत पर चूमा तो भाभी सिहर उठी।
पीछे से रजनी दीदी ने पकड़कर मेरा बरमुडा निकाल दिया।
भाभी मेरे लंड को देखकर चुप हो गयी।
फ़िर बोलीं– तेरे भैया का इसे छोटा और पतला है।
तब मैं बोला- तब तो आज आप की चूत फटेगी।
भाभी हँस दी और बोलीं– देखते हैं कि कौन किसकी फाड़ता है।
मैं यह आप सब लोगों को बता दूं कि जो भाभी को लड़का हुआ है वह बड़े ऑपरेशन से हुआ है।
अब हम तीनों ही एकदम नंगे थे।
मैं उठा और लिक्विड चॉकलेट के बॉटल का ढक्कन खोला।
फ़िर लिक्विड चॉकलेट भाभी की चूचियों और चूत पर लगा दिया।
अब एक रैपर चॉकलेट खोला और उसको रजनी दीदी की चूत पर रगड़ दिया जिससे वे सिहर उठी।
अब मैं नीचे आकर भाभी की चूत चूसने लगा।
साथ ही में मैंने अपने एक हाथ से रजनी दीदी की चूत में चॉकलेट का बार घुसाकर अंदर–बाहर करने लगा।
भाभी के मुंह से सिर सीत्कार निकल रही थी– आह … उह … ईई … आह … सश्स … आह … सी … ऊ … या … चूस लो … खा जाओ … ये निगोड़ी चूत बहुत परेशान करती है … इसका भरता बना दो … आह … आह … ईई … आह … सी … आम्मह … सीय … ऊ … या!
उधर रजनी दीदी उनके चूचे पी रही थी।
थोड़ी देर चूत चूसवाने के बाद भाभी बड़बड़ाने लगी और एक तेज सीत्कार करती हुई झड़ गई।
फ़िर मैंने भाभी को छोड़कर रजनी दीदी की चूचियों और चूत पर चॉकलेट लगाकर चूत चाटी।
थोड़ी देर में रजनी दीदी का भी पानी निकल गया।
यह सब देखकर भाभी फ़िर से गर्म हो गयी थी।
मैं उनके ऊपर आकर उनको चूमने लगा।
जिससे मेरा लंड उनकी चूत को छू रहा था।
भाभी भी अपनी चूतड़ उचकाकर मेरा लंड अंदर लेने की कोशिश कर रही थी।
लेकिन मैं उनको अभी और तड़पाना चाह रहा था।
मैं नीचे आ गया।
फ़िर मैं चूत में एक अंगुली डाल कर चूत को चोदने लगा।
भाभी की चूत एकदम भट्टी जितनी गर्म थी।
मैंने भी मौके का फायदा उठाकर एक आइस क्यूब चूत में डाल दी।
भाभी इसके लिए कतई तैयार नहीं थी।
वे अपने हाथ–पैर को पटकने लगी और मुझे गालियाँ देने लगी।
लेकिन मैंने उस आइस क्यूब को बाहर नहीं निकलने दिया।
अब वे बिन पानी की मछली की तरह तड़प और छटपटा रही थी।
लेकिन मैंने उन्हें नहीं छोड़ा।
फ़िर मैंने थोड़ा और नीचे आकर उनकी चूत पर अपने होंठ रख दिए जिससे वे चिहुंक उठी।
अब मैं अपने होंठों से उनकी चूत में घुसे बर्फ के टुकड़े को इधर–उधर करने लगा।
जब एक टुकड़ा पिघलता तो उसको मैं पी जाता।
इस बीच भाभी के मुंह से सीत्कार निकल रही थी– आह … आह … ईई … आह … सी… ऊईई … या … चूस लो … आह … आह … ईई … आह … सीआह!
यह सब देखकर रजनी दीदी गर्म हो गयी।
वे ये सब देखते हुए अपनी चूत में उंगली करने लगी।
रजनी दीदी को देखकर मेरी हँसी छूट गयी।
फ़िर मैंने पूछा– किसकी चूत में ज्यादा आग लगी हुई है? किसको मैं पहले ठंडा करूँ?
तो रजनी दीदी ने कहा– पहले मुझे!
फ़िर मैंने रजनी दीदी की दोनों टांगों को फैलाया और अपना 7.5 इंच लंबा और 2.5 इंच मोटा लंड उनकी चूत पर रगड़ने लगा।
वे गांड उठाकर लंड को अंदर लेने के लिए बेताब हो रही थी।
मैंने भी एक झटके में पूरा लंड उनकी चूत में घुसा दिया।
जिससे वे हिल गयी और उनकी चीख़ निकल गयी।
वे सिसकारियां भरे जा रही थी।
करीब 20 मिनट की चुदाई में रजनी दीदी का पानी निकल गया।
थोड़ी देर बाद मेरा भी पानी निकल गया।
फ़िर हम लेट गए।
बगल में लेटी भाभी अब धीरे–धीरे अपने हाथ मेरे सीने पर चलाने लगी।
फ़िर मेरा लंड पकड़कर हिलाने लगी।
जिससे मेरा लंड फ़िर से अपने विकराल रूप में आ गया.
ऐसा भाभी बोलती है।
अब बारी थी भाभी की जोरदार और रगड़कर चुदाई की।
मैं उठा और रिब्बेड कॉण्डम को लंड पर लगाया।
फ़िर लंड को भाभी की चूत पर रगड़ने लगा।
जिससे भाभी के मुंह से सिसकारियां निकलने लगी– ऊआह … आह … ईई … सी … आह … सी … ऊआह …सी!
फ़िर मैंने लंड को चूत के छेद पर अच्छे से सेट किया।
तब भाभी ने लंड पर हाथ रखकर दिशा दिखाई।
मैंने एक ही झटके में पूरा लंड अंदर उतार दिया और बच्चादानी पर चोट पहुँचाई।
भाभी जोर से चीखने लगी– मम्मी बचाओ … छोड़ो मुझे … लंड बाहर निकालो … बहुत जलन हो रही है!
वे इधर–उधर अपना सर पटक रही थी। वे मुझको पीछे करने की नाकाम कोशिश कर रही थी।
भाभी जोर–जोर से चीख रही थी लेकिन मैंने एक हाथ से उनके मुंह को दबा रखा था।
चूंकि रिब्बेड कॉण्डम था तो दर्द कुछ ज्यादा ही हुआ।
मैं 2-4 मिनट तक रुका।
फ़िर भाभी ने चीखना थोड़ा कम किया।
मैंने लंड को थोड़ा बाहर निकाला और फ़िर से एक जोरदार झटका लगाया।
लंड चूत को फाड़ता हुआ 7.5 इंच अंदर बच्चादानी से जा टकराया।
इस पर भाभी बहुत जोर से चीख पड़ी और मुझसे चिपक गई।
उन्होंने मेरे गले पर दांती भी काट लिया और अपने नाखून को मेरे पीठ में गड़ा दिया।
वे रोने लगी और बोलीं- प्लीज, बाहर निकालो एक बार, बहुत लम्बा और मोटा है तुम्हारा … बहुत दर्द कर रहा है।
मगर मैं रुका नहीं, मैं उनको बिना रुके चोदने लगा।
वे सिर्फ ‘आह … आह’ करे जा रही थी!
थोड़ी देर बाद जब वे सामान्य हुई तो गांड उठा कर लंड के ताल से ताल मिला रही थी।
पूरे कमरे से फच–फच की आवाज़ आ रही थी।
वे मजे से सीत्कारें भरने लगी- आह … पूरा पेलो … आह … मजा आ रहा है … और चोदो अन्दर तक लंड पेलो … मेरी बच्चादानी में छेद कर दो … आह फाड़ दो मेरी चूत को! आज से यह तेरी गुलाम है जान!
मैं भी जोश में आ गया- आह यह लो … और अन्दर लो … आज के बाद तुम मेरी बीवी हो … आह!
भाभी– हाँ जान, ऐसे ही पेलो … मेरा जीवन धन्य हो गया … आज पहली बार इतनी देर तक चुदी हूँ! आह … फाड़ डालो आज मेरी चूत को … ऊँ … हीं … हूँ … ओ … हूँ … हाय रे … चीं … चून … चूँ … वॉव … हां … हो … ओहो … आये हाय और चोदो … बाप रे बाप … फाड़ डालो मेरी चूत … हूँ … ओ … हो … क्या मस्त लौड़ा है तेरा … ऊँ … हूँ … हो … आ … आह … बड़ा मज़ा दे रही’ भाभी के मुंह से यही सब निकल रहा था।
आगे भाभी कहने लगी– हाय जवानी तो बड़ी कुत्ती चीज है, बुरचोदी! अब मुझे रोज तुमसे चुदना है! चोद कर मेरी चूत फाड़ दो। मैं हमेशा तुम्हारा लंड अपने चूत में लिए रहूँगी।
फ़िर मैंने कहा- अब मैं आपको घोड़ी बनाकर चोदूंगा, डॉगी स्टाइल में चोदूंगा।
वह बोलीं–- जैसे चाहो, वैसे चोदो पर चोदो, रुको नहीं, चोदते जाओ। मेरी चूत की धज्जियां उड़ा दो। जब से यहाँ आयी हूँ, इस चूत की गर्मी ने परेशान कर दिया। आज इसकी सारी गर्मी निकाल दो!
मैंने कहा- आज से आपकी चूत की गर्मी शांत करने की जिम्मेदारी मेरी!
और तेजी से झटके मारने लगा।
हर झटके में भाभी ‘पूरा पेलो … आह मजा आ रहा है … और चोदो अन्दर तक लंड पेलो … फाड़ दो मेरी चूत को’ वे यही सब बोले जा रही थी।
मैंने उन्हें नीचे उतारा।
फ़िर एक गद्दा डाल कर उस पर उन्हें घोड़ी बना दिया।
मैंने लौड़ा पीछे से उनकी चूत में पेल दिया।
अब मैं अपने दोनों हाथों से उनकी कमर को पकड़े हुए दनादन चोदने लगा।
मैं पूरा लौड़ा घुसा–घुसा कर उन्हें चोदने लगा।
वे भी चुदाई में पूरा साथ देने लगी।
मैं झटके पर झटके मारे जा रहा था।
वे हर झटके का जबाव गांड पीछे करके दे रही थी।
हर एक झटके पर मुझे इतनी खुशी मिल रही थी कि शब्दों में मैं बयां नहीं कर सकता।
थोड़ी देर डॉगी स्टाइल में चोदने के बाद मैंने उन्हें मिशनरी स्टाइल में लिटा कर, घपा–घप चोदने लगा।
भाभी सिर्फ- ऊंह … उम्म … आआआह … आ अया ऊंह उम्म … आआ अया ऊंह उम्म … आआआह …आआह … आ अया ऊंह उम्म … आआआह … कर रही थी।
5 मिनट की चुदाई के बाद भाभी ने मुझे कस कर अपनी टांगों में जकड़ लिया।
अब मैं झटके नहीं लगा पा रहा था बल्कि वे खुद मुझे नीचे से अपने चूतड़ को उठाकर चोद रही थी।
2 मिनट बाद भाभी ने अपना सारा पानी छोड़ दिया।
मैंने भी 5 मिनट की चुदाई में अपना माल निकाल दिया।
फ़िर हम लेट गए।
यह कार्यक्रम लगभग 30 मिनट चला।
करीब 10 मिनट बाद मेरा लंड फ़िर खड़ा होने लगा क्योंकि मैंने दवा ले रखी थी।
उधर तब तक रजनी दीदी सो चुकी थी।
मैंने भाभी का हाथ पकड़कर अपने लंड पर रख दिया।
भाभी लंड को हिलाने लगी और लंड ने फ़िर से विकराल रूप के लिया।
इस बार भाभी उठी।
उन्होंने लंड पर कॉण्डम लगाया और एक झटके में लंड पर बैठ गयी।
जिससे उनकी सिसकारियां– आआआह … आ अया ऊंह उम्म … आआ अया ऊंह उम्म … निकल पड़ी।
अब वे आराम से सिसकारियां लेकर लंड पर घुड़सवारी कर रही थी।
करीबन 20 मिनट बाद वे जोर–जोर से चिल्लाने लगी– आ … आ … हाए मम्मी … हाए मम्मी मर गई … आ … आज मर गई … आह बचा लो … मम्मी … आह आई … अहह … उम्म्म्म … हम्म्म … करते हुए झड़ गई।
फ़िर वे मेरे ऊपर लेट गई।
अब मैं नीचे से धीरे–धीरे उनकी चुदाई करने लगा।
वे मेरे ऊपर लेटे हुए मुझे चूम रही थी।
मैंने उनको लेटाया और मैं ऊपर आकर उनकी चुदाई करने लगा।
मेरा भी होने वाला था तो मैं और तेजी से झटके मारने लगा।
हर झटके पर वे पूरा सिहर जाती और मुंह से बस एक आवाज़ आ रही थी– हाय … मम्मी मर गई … आह … आह … उम्ह … उम्ह!
तकरीबन 5 मिनट की चुदाई के बाद मेरा भी पानी निकल गया।
फ़िर मैं उनके साइड में उन्हें गले लगाकर लेट गया।
उस 3सम विद भाभी के बाद हम दोनों लोग लेट गए और बातें करने लगे कि कैसे भैया ने उनकी पहली चुदाई की थी और उनको आज की चुदाई में कितना मजा आया।
फ़िर मैंने उन्हें बताया कि कब से मैं उनकी दीदी को चोद रहा हूँ।
फ़िर हम सो गए।
सुबह 10 बजे मैं उठा तो देखा सब लोग उठ कर काम में लगे थे।
मुझे उठा देखकर भाभी कमरे में आयी और मुझे गले लगाकर चूम लिया।
फ़िर बाहर चली गयी।
उस दिन के बाद भाभी के भाई के आने तक हम तीनों ने खूब चुदाई की।
अब तो भाभी मेरी पत्नी की तरह हो गयी है।
जब चाहता हूँ चोद देता हूँ, बशर्ते घर पर कोई ना हो।
इसके बाद मैंने भाभी और रजनी दीदी की गांड का उद्घाटन किया।
लेकिन वह कहानी कभी बाद में लिखूंगा।
आज कल तो भाभी और रजनी दीदी से उनकी भाभी की चूत दिलवाने के लिए मना रहा हूँ।
लेकिन मान ही नहीं रही है दोनों!
अब आप लोग बताएं कैसे दोनों को मनाया जाए।
दोस्तो, मेरी एकदम सच्ची 3सम विद भाभी कहानी कैसी लगी और भाभी की भाभी की चूत कैसे ली जाए।
इसके लिए मेल करें।
धन्यवाद!
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