गांव में ताड़ी पीकर अनजान लड़के से चूत गांड मरवाई

इस देशी Xxx चुदाई कहानी में मैं एक नर्स हूँ. मैं एक रात बारिश में फंस गयी. एक लड़के ने मेरी मदद की, मैंने रात उसके खेत के कमरे में गुजारी. उस लड़के ने सारी रात मेरी चूत गांड मारी.

यह कहानी सुनें.

दोस्तो, मैं हैरी.
मेरी पिछली कहानी
बारिश में भीगी चुदासी मम्मी की खेत में चुदाई
आपने पढ़ी और पसन्द की.

आज मैं एक और सेक्स कहानी लेकर हाजिर हुआ हूँ.

ये सेक्स कहानी रजनी की है.
वह शहर में रहती है और एक गांव के अस्पताल में नौकरी करती है.

आइए, इस देशी Xxx चुदाई कहानी को रजनी की जुबानी ही सुनते हैं.

फ्रेंड्स, मैं रजनी हूँ. मैं गांव के एक अस्पताल में नर्स हूँ.
मेरी उम्र 40 साल है और मेरा पति दिल्ली के एक बड़े अस्पताल में डॉक्टर है.

मेरा एक बेटा भी है, जो मेरे साथ एक छोटे से शहर में रहता है.
उसी छोटे से शहर के नजदीक के एक गांव में मेरी ड्यूटी है.

अपनी नौकरी के चलते मुझे कई बार नाइट ड्यूटी भी करनी पड़ती है.
तब मेरा बेटा मेरी रिश्ते में लगने वाली एक चाची के साथ रहता है.

मेरा फिगर 36-34-40 का है और मैं ज्यादातर जींस पहनती हूँ.
यह जींस मेरी गांड में फंसी रहती है और मेरी गांड एकदम मस्त दिखती है.

मुझे किसी का भी लंड लेने से परहेज नहीं है, बस वह मुझे पसंद आना चाहिए.

एक दिन गांव में टीकाकरण का कार्यक्रम चल रहा था.
सारे गांव वालों को टीके लगाते-लगाते शाम हो गई और अंधेरा छा गया.

उस दिन मौसम भी खराब हो रहा था.
मैं ड्यूटी से फ्री होकर अपनी स्कूटी लेकर शहर की ओर अपने घर के लिए निकल पड़ी.

अभी कुछ ही दूर गई थी कि बारिश शुरू हो गई.
कुछ देर चलते ही मैं पूरी तरह भीग गई और बारिश इतनी तेज हो गई कि मेरी स्कूटी को आगे बढ़ा पाना मुश्किल हो गया.

तब तक अंधेरा भी पूरी तरह छा चुका था.
तभी अचानक मेरी स्कूटी बंद हो गई.
स्कूटी का सेल्फ स्टार्ट भी काम नहीं कर रहा था.

मैं बारिश में स्कूटी स्टार्ट करने की कोशिश कर रही थी.
तभी पास के खेत से एक नौजवान लड़का आया.
उसकी हाइट 6 फीट थी और उसका जिस्म मजबूत था.

उसने भी स्कूटी चालू करने की कोशिश की लेकिन वह शुरू नहीं हुई.
मैं ठंड से कांप रही थी.

यह देखकर उसने कहा- मैडम, पास में मेरे खेत में एक कमरा बना है. आप वहां चलें, जब तक बारिश रुक नहीं जाती … आप वहीं रुक कर इंतजार कर सकती हैं.

मेरे पास उसकी सलाह मानने के अलावा और कोई चारा भी न था.
मैं उसके पीछे-पीछे कमरे की ओर चल पड़ी.

थोड़ी दूर चलते ही मेरा पैर फिसल गया और मैं धड़ाम से गिर पड़ी.
मेरी गांड ज़मीन से टकराई और मेरे मुँह से चीख निकल गई- आह मर गई!

उसने मुझे उठाने की कोशिश की.
लेकिन मेरे सैंडल की हाई हील के कारण मैं फिर से फिसल गई.

इस बार वह मेरे ऊपर गिर गया और उसका सख्त लंड मुझे मेरी जींस के ऊपर से मेरी चूत के आस-पास गड़ता सा महसूस हुआ.

फिर उसने मुझे पकड़ कर उठाया और पूछा- मैडम, आप ठीक तो हैं न?
मैंने कहा- हां, मैं ठीक हूँ!

हम दोनों आगे चल पड़े.
वह मेरा हाथ थामे हुए था.

न जाने क्यों मुझे उसका हाथ अच्छा लगने लगा था.
मेरे मन में शोखी जागने लगी थी.

थोड़ी ही देर में हम दोनों उस कमरे में पहुंच गए.

वहां उसने कहा- मैडम, रुकिए मैं आग जला देता हूँ, आप खुद को सेंक लीजिए!
उसने कुछ लकड़ियां इकट्ठी की और आग जला दी.

मैं उस आग के नजदीक बैठ गई और खुद को सेंकने लगी.
लेकिन मेरे कपड़े गीले होने की वजह से मैं अभी भी कांप रही थी.

आग की रोशनी में मैंने देखा कि उस लड़के ने सिर्फ़ लोअर पहना हुआ था.
तभी वह बोला- मैडम, आप अपने कपड़े उतार कर सुखा लीजिए, मैं बाहर खड़ा हो जाता हूँ!
ये कहकर वह बाहर चला गया.

मैंने कमरे में एक छोटी-सी मोरी से बाहर झांका कि कहीं वह मुझे देख तो नहीं रहा है.
जब मैंने मोरी से देखा, तो वह पेशाब कर रहा था.
उसका मुँह मेरी तरफ था, लेकिन अंधेरे की वजह से मुझे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था.

तभी अचानक बिजली की हल्की-सी चमक हुई और मेरी आंखें और गांड दोनों फटी की फटी रह गईं.

क्या लंड था उसका यार … कोई 7 इंच लंबा रहा होगा … और काफ़ी मोटा भी काफी रहा.
उसका लौड़ा एकदम काले रंग का एकदम सीधा तना हुआ किसी गधे का लंड जैसा लग रहा था.

मुझे अपनी चुत में लंड लेने की चुल्ल होने लगी और मैंने अपनी चूत को जींस के ऊपर से ही मसल लिया.

कमरे में आग जल रही थी और मेरे कलेजे के अन्दर भी वासना की चिंगारी सुलग चुकी थी.
मैंने देखा कि वह दूर अपने खेत में जा रहा था, तो मैंने भी सोचा कि कपड़े उतार कर सुखा लूँ.

मैंने अपनी शर्ट के बटन खोले और उतार कर देखा, तो उस पर कीचड़ लगा था.

फिर मैंने जींस उतारनी शुरू की.
लेकिन गीली होने की वजह से वह मेरी गांड में फंस गई थी.
मैंने खींचकर उसे उतारा तो नीचे कमरे की कच्ची ज़मीन की वजह से जींस पूरी तरह गंदी हो गई.

अब मैं सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में थी.
काले रंग की ब्रा में मेरे 36 के बूब्स बाहर आने को उतावले हो रहे थे और मेरी 40 इंच की मोटी गांड पैंटी में फंसी थी.

फिर मैंने उसे आवाज़ दी- हैलो, आप कहां चले गए हो?
कुछ दूर से आवाज़ आई- अभी आया मैडम जी!
वह कमरे के पास आकर बोला- क्या बात है मैडम जी?

मैंने बाहर निकलकर अपनी जींस और शर्ट उसे दे दी और कहा- प्लीज़, ये गंदी हो गई है. इसे बाहर बारिश के पानी में धो दीजिए.

बाहर अंधेरा होने की वजह से वह कुछ देख नहीं पाया और कपड़े लेकर बारिश में धोने लगा.
हालांकि उसे इतना तो समझ आ ही गया होगा कि मैं अन्दर बिना कपड़ों के हूँ या सिर्फ अंडरगारमेंट्स में ही हूँ.

उसे अपने कपड़े देकर मैं वापस अन्दर आई और अपनी पैंटी और ब्रा को हटा कर अपने बूब्स और गांड को भी आज़ाद कर दिया.
मैंने अपनी पैंटी और ब्रा को एक साइड में टांग दिया.

अब मैं अपनी चूत को सहलाती हुई और उस मर्द लंड को याद करती हुई आग के पास बैठ गई.

मैं आग से अपने बदन को सेंकने लगी.
लेकिन ज़मीन काफ़ी ठंडी थी तो मैं नीचे बैठ नहीं पाई.

मैंने आवाज देकर उससे पूछा- मुझे कोई कपड़ा मिलेगा, जिसे बिछाकर मैं बैठ सकूँ?
उसने कहा- मैडम, यहां कोई कपड़ा नहीं है.

मैंने उससे कहा- आप मुझे अपना लोअर उतार कर दे दीजिए. मैं उसे निचोड़ कर सुखाकर नीचे बिछा लूँगी और बैठ जाऊंगी. पता नहीं कब तक बैठना पड़े!

उसने कहा- मैडम, मैं आपको अपना लोअर नहीं दे सकता!
मैंने पूछा- क्यों?

उसने जवाब दिया- मैडम, मैंने नीचे अंडरवियर नहीं पहना हुआ है!

मैंने कहा- कोई बात नहीं, मैं खड़े-खड़े थक गई हूँ. मुझे बस बैठना है. प्लीज़, अपनी लोअर उतार कर दे दीजिए!
उसने कहा- ठीक है … आप ले लीजिए!

उसने अपनी लोअर उतार कर मुझे दे दिया.

मेरी नज़र उसके तने हुए लंड पर पड़ी और उसने भी मुझे देखा.

वह मेरे बूब्स से नज़र नहीं हटा पा रहा था.
मैंने उसके लोअर को निचोड़ कर थोड़ा सुखाया और नीचे बिछाकर उस पर बैठ गई.
मैं आग सेंकने लगी.

मैंने देखा कि वह बाहर खड़ा अपने लंड को सहला रहा था.
मैं भी अपनी चूत को मसलने लगी.

फिर मैंने उससे कहा- आप भी अन्दर आकर आग सेंक लीजिए!
उसने जवाब दिया- मैडम, मैं एक बार खेत में चक्कर लगाकर आता हूँ. कहीं कोई पशु खेत में तो नहीं घुस आया. तब तक आप आराम से बैठकर आग सेंकिए!

मैंने कहा- मुझे अकेले यहां डर लगता है, मैं भी आपके साथ चलती हूँ!
उसने कहा- बाहर बारिश हो रही है, आप फिर से भीग जाएंगी.

मैंने ज़िद की- नहीं, मैं आपके साथ ही चलूँगी.
उसने कहा- ठीक है, चलिए.

मैं उसके आगे-आगे चल पड़ी और वह मेरे पीछे-पीछे.
मुझे पता था कि वह मेरी बड़ी, मटके जैसी गांड को ऊपर-नीचे होते देख रहा है.

मैंने जानबूझकर अपनी गांड को और ज़्यादा मटकाना शुरू कर दिया.
उसका लंड अब फटने को हो गया था.

एक जगह मैं जानबूझ कर रुक गई और वह सीधा मुझसे टकरा गया. उसका लंड मेरी गांड से टकराया और मेरे चूतड़ों को चीरता हुआ मेरी गांड के छेद से जा लगा.

मेरे मुँह से आह निकल गई- आह!
उसने पूछा- क्या हुआ, मैडम जी?

मैंने कहा- पता नहीं, कुछ मेरे पीछे चुभा है!
वह कुछ नहीं बोला.

अब मेरी चुदास की आग और तेज़ हो गई थी.
मैंने चुदने का पूरा मन बना लिया था लेकिन वह शायद डर रहा था.

तभी मैंने उससे कहा कि सर्दी ज्यादा लग रही है. कुछ ऐसा पीने को मिल सकता है क्या जिससे सर्दी कम हो जाए?
वह बोला- हां ताड़ी मिल सकती है.

ताड़ी देसी शराब होती है, तो मैंने सोचा कि आज इसका मजा भी ले ही लेती हूँ.
मैंने उससे हां कह दी, तो वह आगे एक पेड़ के पास रुका और उधर टंगी एक मटकी को उतार लाया.
उसमें ताड़ी थी.

उसने मटकी मेरे मुँह से लगा दी और मैंने एक लंबा घूंट भर लिया.

ताड़ी एकदम से एक आग की लकीर की तरह मेरे समाती चली गई.
मेरे मुँह का स्वाद बहुत अजीब सा हो गया था.

उसे मालूम था कि ऐसा होने वाला है तो उसने खेत में लगी मटर तोड़ कर मुझे दे दी और मैंने मटर खा कर अपने मुँह का स्वाद सही किया.

अब हम दोनों ही उस ताड़ी का स्वाद लेते हुए अपनी सर्दी को गर्मी में बदलने लगे थे.
हमारी मस्ती भी बढ़ती जा रही थी.

अब हम दोनों ऐसे ही मस्ती भरी बातें करते हुए नंगे चले जा रहे थे.
हमें कोई देखने वाला नहीं था और मैं पूरी मस्त हो चुकी थी.

चलते-चलते मुझे शैतानी सूझी. मैं एकदम से झुक गई और वह बिल्कुल मेरे पीछे था.
उसका लंड मेरी चूत में लगभग घुस ही गया था.

उसके धक्के से मैं संभल नहीं सकी और आगे की तरफ गिर गई.

उसने न/शे में थरथराती आवाज में पूछा- क्या हुआ मैडम?
मैंने कहा- मुझे कुछ बार-बार चुभ रहा है. ज़रा देखो तो क्या चुभ रहा है?

उसने मेरी गांड पर हाथ फेरते हुए पूछा- कहां चुभ रहा है?

मैंने कहा- यहीं मेरे पीछे … जरा ध्यान से देखो!
यह कह कर मैं घोड़ी बन गई.

मैंने अपने चूतड़ों को पूरा चौड़ा कर दिया और कहा- प्लीज़ देखो ना!
अब उसका सब्र भी जवाब दे गया.

वह मेरी गांड के पीछे बैठ गया और उसने मेरी गांड में अपना मुँह दे दिया.

उसने मेरे दोनों चूतड़ों को पकड़ कर चौड़ा किया और मेरी गांड के छेद में अपनी जीभ डाल दी.

वह अपनी जीभ से ही मेरी गांड चोदने लगा.
फिर वह मेरी चूत को चाटने लगा.

उसने अपना लंड मेरी चूत पर सैट किया और एक ही झटके में पूरा लंड पेल दिया.
उसका लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अन्दर समा गया.

मेरी चीख निकल गई- आह फट गई!
मगर वह पूरे ज़ोश में आ गया था और मेरी चूत में लंड चला रहा था.

मैं भी अपने चूतड़ों को पूरा खोलकर अपनी चूत उसके घोड़े ब्रांड लौड़े से चुदवा रही थी.

इतनी बारिश और ठंड में भी मेरा जिस्म तप रहा था.
ताड़ी का न/शा इस देशी Xxx चुदाई की मस्ती को चौगुना कर रहा था.

इस तरह खुले खेत और बारिश में मैं पहली बार चुद रही थी.

कुछ देर बाद उसने चूत से लंड निकाल कर मेरी गांड के छेद पर रखा और एक ही झटके में लंड मेरी गांड में उतार दिया.

मैं गांड मरवाती रहती हूँ तो मुझे दर्द तो हुआ लेकिन जल्दी ही उसके घोड़े जैसे लौड़े से गांड मरवाने में मजा आने लगा.

करीब 20 मिनट तक चोदने के बाद वह मेरी गांड में ही झड़ गया.

अब हम दोनों ताड़ी की मटकी लेकर कमरे की तरफ चल पड़े.

कमरे में पहुंचते ही उसने अपना लंड मेरे मुँह में दे दिया.
मैं एक रंडी की तरह उसका लंड चूस रही थी.

हम दोनों ताड़ी का मजा भी लेते जा रहे थे.

धीरे-धीरे उसका लंड फिर से उसी आकार में आ गया.

अब वह भी काफ़ी खुल चुका था.
वह नशे में गाली देता हुआ बोला- चल मेरी रंडी चुदने के लिए हो जा तैयार!

मैं वहीं लेट गई और अपनी टांगें उठाकर घुटने अपने बूब्स से सटा लिए.

वह फिर मेरी चूत में अपने लौड़े का चप्पू चलाने लगा और मेरे बूब्स को भी लगातार चूस रहा था.

मैं भी नीचे से उसका साथ दे रही थी.

फिर उसने कहा- चल साली मादरचोद बन जा कुतिया!
मैं झट से कुतिया बन गई.

उसने मेरी मोटी गांड पर दो थप्पड़ मारे और बोला- साली रंडी, आज तेरी गांड फाड़ दूँगा!
मैंने कहा- मेरा राजा तुझे रोका किसने है? आज बना दे चबूतरा मेरी गांड का … मार-मारकर चोद मुझे मेरे राजा.

उसने सारी रात मुझे चोदा और तीन बार चुत चोदी व दो बार गांड चोदी.
मेरी चूत का भोसड़ा बना दिया और गांड का गड्डा.

कुतिया बने-बने मेरे घुटने छिल गए थे.
पर उसके लौड़े से चुदवाने में मज़ा बहुत आया.

सुबह मैंने अपनी स्कूटी सुधरवाई और अपने घर आ गई.

अब हम रोज़ फोन पर बात करते हैं और जल्दी ही दोबारा मिलने का प्रोग्राम बना रहे हैं.

आपको मेरी यह देशी Xxx चुदाई कहानी कैसी लगी, प्लीज जरूर बताना.
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