शर्मीला देवर और चालू भाभी

Xxx देवर भाभी फक स्टोरी एक शर्मीले लड़के की है जिसे एक भाभी मिल गयी जो थोड़ी दिलफेंक किस्म की थी. भाभी ने अपनी जवानी दिखाकर उससे फोन नम्बर लिया और चुदाई का जुगाड़ कर लिया.

जब मैं अपनी बी.ए. की पढ़ाई पूरी कर रहा था, यह घटना मेरे और मेरी एक भाभी की है।
यह एक सच्ची घटना है।

मैं पहले उनके बारे में बता दूँ।
उनका नाम निशा है।
वो दिखने में बहुत ही सुंदर और बहुत ज्यादा आकर्षक महिला हैं; किसी को भी अपनी तरफ आकर्षित कर सकती हैं।
उनके लिए मेरे मन में कोई गलत ख्याल नहीं था।

सबसे पहले हम एक शादी समारोह में मिले थे।
हालांकि तब कुछ भी नहीं हुआ, सिर्फ मुलाकात हुई।
क्या लग रही थीं, मैं क्या बताऊँ! इतनी ज्यादा हॉट कि कंट्रोल कर पाना किसी के लिए भी मुश्किल था।

उनके गदराए हुए बदन का साइज़ 34″-32″-36″ था, जो कपड़ों में समा नहीं पा रहा था।

मानो उनकी जवानी कपड़ों से आज़ाद होना चाहती थी।
उनके दो बड़े-बड़े उभार मानो पहाड़ हों, और पीछे से भी कयामत ढा रही थीं।

वो रिश्ते में मेरी भाभी लगती थीं।

मैं भी दिखने में काफी अच्छा हूँ। हट्टा-कट्टा शरीर है मेरा, लंबा-चौड़ा हूँ।

Xxx देवर भाभी फक स्टोरी एक शादी उत्सव में शुरु हुई थी.

शादी समारोह बहुत ही सुंदर ढंग से चल रहा था।
वहाँ आए सभी लोग उन भाभी को ही घूर रहे थे, जहाँ-जहाँ वो जाती थीं।

हम सब एक जगह बैठे थे.
तभी निशा भाभी चाय लेकर आईं।
सभी को चाय देती हुई मेरे सामने कुछ ज्यादा ही झुकीं।

पता नहीं क्यों … मैं तो बहुत ही शर्मीला और शरीफ लड़का था।
मैंने झट से अपनी आँखें नीचे कर लीं।

शायद वो यही चाहती थीं कि मैं देखूँ, क्योंकि उन सब में मैं ही ज्यादा आकर्षक लग रहा था।
लेकिन मैं ठहरा बहुत शर्मीला।

जब वो चल रही थीं, तब उनके उभार ऐसे उछल रहे थे जैसे ब्लाउज़ से बाहर निकल आएँ।
हल्के नेट जैसे पिंक कलर की साड़ी-ब्लाउज़ पहनी थी, जो बहुत ही चमकदार था।

सब कुछ कसा हुआ लग रहा था, जैसे कपड़ों के अंदर से ही उनकी गदराई जवानी महसूस हो रही थी।
पीछे से तो वो कातिल लग रही थीं।

चलते वक्त उनकी गांड ऊपर-नीचे हो रही थी।
यह देख सभी जवान मर्दों के मुँह में पानी भर आ रहा था।

लेकिन वो भी कम नहीं थीं।
सबको ललचाती थीं, पर किसी के हाथ नहीं आती थीं।

शादी बहुत ही धूमधाम से खत्म हुई।
मैं बाहर रहकर पढ़ाई कर रहा था तो मैं अपने हॉस्टल लौट गया।

फिर एक दिन एक अनजान नंबर से फोन आया।
दूसरी तरफ से आवाज़ आई, “मैं निशा बोल रही हूँ, जो शादी समारोह में मिले थे!”

हालांकि तब बात नहीं हो पाई थी, पर मिले तो थे।
मैंने कहा, “हाँ, मिले तो थे! बताइए!”

मैंने पूछा, “ये नंबर कहाँ से मिला आपको?”
उसने कहा, “चाहने वाले कहीं से भी ले लेते हैं!”

फिर हम दोनों के बीच काफी बातचीत हुई।

धीरे-धीरे हम दोनों के बीच काफी घनिष्ठता हो गई।
वो सारी बातें बताने लगीं, गुप्त से गुप्त बातें भी।

एक दिन वो किसी काम से शहर आई थीं।
उनकी एक सिलाई की दुकान भी थी इसलिए आती-जाती रहती थीं।

उस वक्त मैं घर आया हुआ था।
उन्होंने कहा, “आज दुकान पर आ जाओ, कुछ ज़रूरी काम है!”

मैं मना नहीं कर पाया क्योंकि उन्होंने कहा, “आना ही होगा, नहीं तो फिर कभी बात नहीं करूँगी!”

फिर तो जाना ही पड़ा।
शाम तक मैं पहुँचा।

मैंने देखा कि वो मेरा ही इंतज़ार कर रही थीं।
मुझे देखते ही खुश हो गईं, उनकी आँखों में अजीब खुशी झलक रही थी मानो बहुत उत्सुक हों।

फिर हम दोनों होटल में जाकर डिनर करने गए।
उन्होंने कहा, “आज मेरी तरफ से पार्टी है!”
मैंने पूछा, “और लोग, घर वाले?
उसने कहा, “कोई नहीं रहता है यहाँ, मैं अकेली रहती हूँ!”

उनका पति से लड़ाई हो गई थी।
उनका पति उन्हें छोड़ चुके थे।
वो बहुत दिनों से अकेली रहती थीं।

उनके बच्चे उनके मायके में अपने नाना-नानी के साथ रहते थे।
वो कभी-कभी गाँव जाती थीं।

दुकान के अलावा उन्होंने एक कमरा ले रखा था, जिसमें वो रहती थीं।

हम खाने के बाद उसी कमरे में गए।

आते वक्त उन्होंने बियर, अंडे, और सिगरेट भी ले लिया था।
वो थोड़ी मॉडर्न थीं।

कमरे में आकर सबसे पहले उन्होंने गेट बंद कर दिया।
हम बेड पर बैठ गए।

उन्होंने कहा, “कपड़े बदल लो!”
मैं तो कुछ लाया ही नहीं था।

वो दूसरी तरफ घूमकर कपड़े उतारने लगीं।
जैसे ही उनकी गदराई जवानी दिकही, मेरे तो तोते उड़ गए.

फिर उन्होंने तुरंत एक नाइटी पहन ली।
उन्होंने कहा, “अभी तक बदले नहीं?”

मैं अपनी हाफ पैंट और बनियान में आ गया।
गर्मी होने के कारण उतारने से अच्छा भी लगने लगा।

भाभी ने कहा, “अब क्या शर्म? हम दोनों के अलावा कोई नहीं है यहाँ!”

हम दोनों ने बीयर पी, बातें कीं।
उन्होंने अपनी दुख भरी कहानी सुनाई।

बहुत दिनों से उनकी चुदाई नहीं हुई थी जिस कारण वो बहुत भूखी थीं।
कामुकता उनके सर पर नाच रही थी।

उन्हें बहुत गर्मी लग रही थी।
हमने पंखा चला दिया।

फिर हम दोनों ने खा-पीकर सब कुछ खत्म कर दिया।

उनके गदराए बदन को नाइटी में देख मेरा लौड़ा अंदर से टाइट हो रहा था।
लेकिन मैं ठहरा शरीफ लड़का, कुछ नहीं कर सकता था।

पर भाभी जानबूझकर मुझे उत्तेजित कर रही थीं।
वो अपने दूधों को बार-बार हिला रही थीं और अपने पिछवाड़े को उछाल रही थीं।

मैंने कभी चुदाई नहीं की थी, सिर्फ फिल्मों में देखा था।
इस तरह देखकर मेरा तो पहले पसीना छूट गया।

पहली बार किसी औरत के साथ कनेक्ट हो रहा था।
हम दोनों बेड पर लेट गए।

कुछ देर बाद भाभी अपनी टांगें मेरे ऊपर चढ़ाकर धीरे-धीरे रगड़ने लगीं।
उन्होंने अपनी पीठ मेरी तरफ की हुई थी।

धीरे-धीरे उनकी नाइटी ऊपर चढ़ गई।
उनकी नंगी जाँघों को बार-बार देख मैंने बहुत कंट्रोल किया, पर नहीं हो पाया।
ऊपर से पी रखी थी।

मैंने पीछे से ही उनकी गदराई जवानी का लुत्फ उठाना शुरू कर दिया।
हालांकि पहली बार था, पर मैंने बहुत सी फिल्में देखी थीं।

पीछे से ही मैंने उनकी गदराई हुई बूब्स, यानी दूध, को नाइटी के ऊपर से दबाना शुरू कर दिया।

भाभी सिसकारियाँ भरने लगीं, “उउउम्म” की आवाज़ आई।
शायद वो भी बहुत दिनों बाद महसूस कर रही थीं।

तब भाभी ने अपने हाथों से मेरे हाथ को जोर-जोर से दबाने लगीं और दूधों को रगड़ने लगीं।
भाभी ने मेरे हाथ से अपनी नाइटी उतार दी।

“ओह… हाय!” क्या मस्त गोरा बदन, काले ब्रा और पैंटी में! देखते ही मेरे औज़ार में धार आ गई, यानी रॉड जैसे बन गए।

भाभी मुझे पागलों की तरह चूमने लगीं।
मैं भी साथ देने लगा।
फिर मैंने धीरे-धीरे उनके ब्रा के अंदर हाथ डाला और दूधों को दबाने लगा।

वाह! क्या मस्त लग रहा था!
मैंने उनकी ब्रा खोल दी।
अब भाभी के रसीले दूध मेरे हाथ में थे।
मैं बच्चों की तरह उन पर टूट पड़ा।
मैं दूध पीता गया और भाभी सिसकारियाँ भरती रहीं।

करीब दस मिनट तक मैं उसी तरह करता रहा।
फिर मैंने उनके रसीले होंठों को बार-बार चूमा।

भाभी पूरी गर्म हो गई थीं, जोर-जोर से “आहहह… उउउउ… इस्स” की आवाज़ें निकालने लगीं।

फिर मैं भाभी की पैंटी की तरफ बढ़ा।
मैंने पाया कि भाभी की पैंटी से गज़ब की खुशबू आ रही थी।

ऊपर से वो गीली हो गई थी।
शायद कुछ चिपचिपा सा उनके गुप्त अंग से निकल रहा था।

मैंने भाभी की पैंटी को छुआ तो मेरे हाथ में लग गया।
मुझे तो पहली बार किसी की चूत का सुख मिल रहा था।

जैसे ही मैंने निशा भाभी की गीली बुर (चूत) के ऊपर से काली पैंटी उतारी.

फिर क्या बताऊँ यारो, एकदम चिपचिपाहट हो गई मेरे हाथ में!
भाभी की बुर पर घने काले-काले झाँटें और ऊपर से चिपचिपाहट से भरी हुई थी।

“ओहह!” क्या दृश्य देखने को मिला!

भाभी ने जोर से मेरे सिर के बाल पकड़कर अपनी बुर पर सटा दिए और जोर-जोर से दबाने और रगड़ने लगीं।
मैं तो बुर की खुशबू में लीन हो गया।

मैंने अपनी जीभ को चूत के छेद में डाल दिया और चूसने लगा।
भाभी कामुक भरी आवाज़ें निकालने लगीं।

मैंने जोर से काटना शुरू किया और वो कहने लगीं, “आज खा जाओ मेरी बुर को! बहुत खुजली हो रही है!”
उनके मुँह से “आहह… उउउउ… ईइइ” निकलने लगी।

करीब दस मिनट तक मैं चाटता रहा।
फिर अंदर से और ज्यादा मक्खन निकलने लगा।

अब भाभी अपना आपा खो बैठीं और कहने लगीं, “अब डाल दो! मुझे मत तड़पाओ, प्लीज़!”
मैंने कहा, “ठीक है, जरा इसे भी तो गीला कीजिए!”

फिर भाभी ने झट से अपने हाथ मेरी चड्डी में डाल दिए और मेरे लौड़े को बाहर निकाला।
“ओह… माय गॉड! कितना बड़ा और मोटा है, और टाइट भी!”

वो फच से मेरे लंड को अपने मुँह में डालकर चूसने लगीं।
उनके मुँह में नहीं आ रहा था, फिर भी कुछ देर बाद वो मेरा चूसने लगीं और मैं उनकी।

मैं जितना ज्यादा चूसता, वो उतनी ही गर्म होतीं।
उनकी बुर की गर्मी मैं अपनी जीभ से महसूस कर रहा था।

कुछ मिनट बाद वो फिर बोलीं, “अब नहीं हो रहा बर्दाश्त, प्लीज़!”

इतना कहते ही मैंने अपना छड़ के समान लंड, जो बहुत टाइट और लोहे की तरह हो गया था, उनकी बुर के ऊपर रखा और रगड़ने लगा।
Xxx देवर भाभी फक करके वो और भी पागल हो गईं।

“प्लीज़! प्लीज़!”

मैंने धीरे-धीरे अंदर डालना शुरू किया।
पहले तो घुस नहीं रहा था, फिर थोड़ा सा जाने के बाद भाभी कहने लगीं, “आराम से!”

ज्यादा गीली होने के कारण जैसे ही मैंने धक्का दिया, मेरा लंड भाभी की गीली बुर को चीरता हुआ अंदर जाने लगा।
ऐसा लग रहा था मानो किसी आग की भट्टी में लंड रख दिया हो।

मैंने इतना गर्मी महसूस की, क्या बताऊँ! उस वक्त लग रहा था जैसे मैं जन्नत में दाखिल हो गया।

“ओहह हह!” एक जोरदार धक्के के साथ पूरा लंड भाभी की चूत ने खा लिया।

फिर मैं अंदर-बाहर करने लगा।
“आहह हह… ईइइ इइइइ!” की आवाज़ें निकलने लगीं।
चूत गीली होने से फच-फच की आवाज़ के साथ झटके चलने लगे।

भाभी ने दोनों टांगें ऊपर उठा लीं और अपनी गांड उछाल-उछालकर पूरा लंड लेने लगीं।
मैंने झटके तेज कर दिए।

वो “ऊय माँ… आह हहह… ईइइ इइइइ… ऊउउउ उउउ… ऊय ययय” करती गईं।
मैं फच-फच चोदता गया।

गर्मी होने के कारण पंखा भी काम नहीं आ रहा था।
पसीने से लथपथ दोनों फिर भी घपाघप चोदते रहे।

तीस मिनट बाद भाभी और मैं दोनों झड़ गए।
कुछ देर बाद भाभी ने मेरे लंड को फिर खड़ा किया और उस पर बैठ गईं।
वो खुद की चुदाई करने लगीं।

फिर हम नीचे-ऊपर, बैठकर, कभी सोकर, सारी तरह से चुदाई की।
भाभी ने सब सिखाया।

अंत में बेड पर एक टांग उठाकर चोद रहा था।
हम चरम सीमा पर पहुँच गए।

मेरा पिचकारी छोड़ने वाला था।
मैंने बाहर निकालना चाहा पर भाभी ने मना किया और जोर से मुझे पकड़ लिया।
मेरा सारा वीर्य अंदर ही गिर गया।

हम उसी तरह लंड भाभी की बुर में डाले सो गए।

दो घंटे बाद नींद खुली तो देखा कि भाभी फिर से मेरे लंड को चूस रही थीं।

मेरा खड़ा हो गया और हम फिर से चुदाई करने लगे।

इस बार भाभी की गांड और बुर की चुदाई का खेल चलता रहा।

हर बार भाभी मेरे वीर्य को अपने अंदर गिरा लेती थीं।

चोदते-चोदते सुबह चार बज गए।
थककर दोनों बेड पर उसी तरह सो गए।

सुबह सात बजे नींद खुली तो मैंने भाभी को उठाया।
फिर हम दोनों नहा-धोकर तैयार हो गए।

भाभी दुकान पर चली गईं और मैं वहाँ से अपने घर के लिए निकल पड़ा।

इस तरह मेरी पहली चुदाई की कहानी थी।
Xxx देवर भाभी फक स्टोरी आपको कैसी लगी?
उम्मीद करता हूँ आप सबके लंड और चूत का पानी ज़रूर निकला होगा।
आगे वाली घटनाएँ भी इसी तरह लाता रहूँगा।
धन्यवाद.
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