चालू भाभी की गरम चुदाई का मजा मुझे पड़ोस में रहने वाली गाँव की भाभी ने दिया. जब मुझे पता चला कि भाभी के पति बाहर रहते हैं तो मैंने उस पर ट्राई मारी.
मेरा नाम अंकित शुक्ला है.
यह तब की बात है जब मैं अपने गांव गया था.
मैं रोज़ छत पर जाता था. वहां मेरे बगल वाली छत पर एक भाभी रोज़ शाम को आती थीं.
यह चालू भाभी की गरम चुदाई की कहानी इन्हीं के साथ की है.
भाभी दिखने में तो औसत थीं, पर उनकी गांड बहुत मस्त थी.
भाभी का नाम अनुष्का है.
मैं रोज़ उन भाभी को देखता था.
अनुष्का भाभी का पति बाहर रहता था तो आप जानते ही हैं कि ऐसे में औरतें बेवफा हो जाती हैं.
ये अनुष्का भाभी भी अपने पति के घर में ना होने का फायदा उठाती थीं और गैर मर्दों से अपनी चूत की चुदाई करवाया करती थीं, ऐसा सुनने में आया था.
जब यह बात मुझको पता चली, तो मैं भी उनको पाने की कोशिश करने लगा.
पर बहुत कोशिशों के बावजूद भी कोई बात नहीं बन रही थी.
मैं सोच रहा था कि ऐसा क्या करूँ, जो भाभी मुझसे पट जाएं.
रोज़ शाम के समय मैं छत पर जाता; उधर मैं उन भाभी को लाइन मारने लगा.
अनुष्का भाभी ने भी इस बात पर गौर कर लिया था कि मैं उन पर लाइन मारने का प्रयास कर रहा हूँ.
अब वे भी मेरी तरफ तिरछी नज़रों से देखने लगी थीं.
मैं भी उनकी तरफ देख कर अपना लंड सहला देता था.
एक दो बार तो उन्होंने कुछ नहीं कहा.
फिर अगली बार उन्होंने भी अपनी एक बांह ऊपर उठाई और अपनी काँख को खुजाने लगीं.
यह उनकी तरफ से पहला संकेत था कि वे चुदने के लिए राजी हैं.
अब रोज़ ऐसा ही होने लगा और मुझे मेरा काम भी बनता दिखने लगा था.
यह सिलसिला ऐसे ही चलता रहा.
जब सुबह मैं ब्रश करने के लिए घर के पिछवाड़े जाता था तो वे भी वहीं आ जाती थीं.
अब चुदना तो भाभी को भी था इसलिए वे भी राजी हो गयी थीं.
बस यही था कि दोनों में से पहले बात कौन करे.
वे कोई इशारा नहीं कर रही थीं, तो मैं भी कुछ डर रहा था कि मैंने कुछ किया या कहा … और लफड़ा हो गया तो इज्जत की वाट लग जाएगी.
फिर एक दिन मैंने भाभी से नमस्ते की- भाभी जी, नमस्ते!
उन्होंने तुरंत नमस्ते का जबाव दिया और चुटकी भी ले ली- बड़े स्लो हो देवर जी!
मैंने कहा- भाभी, आप सही कह रही हैं. पर वह क्या है कि मेरी आपसे फट रही थी कि कहीं मैंने आपसे कुछ कहा और आप नाराज हो गईं, तो मजा किरकिरा हो जाएगा.
भाभी- अच्छा मजा लेने के लिए कुछ करना चाह रहे थे?
मैं समझ गया कि भाभी बड़ी तेज आइटम है और दुरंतो की रफ्तार से दौड़ने वाली माल हैं.
मैंने कहा- हां भाभी, अब देवर को भाभी का मजा न मिले, तो काहे का देवर.
भाभी बोलीं- हां, यह तो है देवर जी!
मैंने कहा- और सुनाइए भाभी जी, क्या हाल चाल हैं?
भाभी बोलीं- आपकी भाभी के हाल चाल ठीक नहीं हैं देवर जी!
मैंने कहा- देवर से कुछ हो सकता हो, तो बताइएगा!
भाभी मेरी तरफ तिरछी नजरों से देखती हुई बोलीं- देवर से तो बहुत कुछ हो सकता है, पर मेरा देवर स्लो है न!
इसी तरह की हम दोनों में बातें होती रहीं और मामला सैट हो गया.
अब कम से कम बातचीत होना तो शुरू हो ही गई थी.
बाद में मैंने भाभी से उनका फोन नंबर माँगा.
तो उन्होंने यह कह कर मना कर दिया- बाजू में ही तो रहते हो, फिर फोन की क्या जरूरत!
मैंने तब भी ज़बरन अपना नंबर उनको दे दिया.
वे हंसने लगीं कि मैं क्या करूंगी नंबर का … और इतना बड़ा नंबर कैसे याद रखूंगी?
मैंने कहा- अच्छा आप अपना नंबर बताओ, मैं डायल कर देता हूँ.
उन्होंने नंबर बताना शुरू किया और इस तरह से मैंने नंबर साझा कर लिया था.
मैं बहुत खुश था कि अब चुदाई करने की दिशा में सफलता जरूर मिलेगी.
उस दिन यह बात होकर भाभी से मुलाकात खत्म हुई कि भाभी फोन लगाएंगी.
मैंने बहुत इंतजार किया कि भाभी का फोन आए.
पर उनका कोई कॉल या मैसेज नहीं आया.
दोपहर में मेरे फोन पर एक कॉल आया.
मैं समझ गया कि यह वही हैं.
मैंने हैलो बोला तो उन्होंने भी हैलो बोला.
भाभी बोलीं- मैं आपकी पड़ोसन भाभी बोल रही हूँ.
मैं बोला- हां भाभी बोलिए, मैं आपका प्यारा सा देवर बोल रहा हूँ.
वे हंसने लगीं.
फिर हम दोनों ने सामान्य बातचीत की.
उसके बाद ऐसे ही बात करते करते तीन दिन हो गए थे.
मैंने उनसे मिलने का बोला तो पहले तो भाभी मना कर रही थीं.
पर उन्हें भी चुदवाना था तो वे मान गईं.
मैंने उन्हें घर के पीछे बुलाया और मैं भी अपने घर के पीछे आ गया.
रात का समय था. उस वक्त एक बज गया था.
सब गहरी नींद में सोए हुए थे.
भाभी भी आ गयी थीं.
उन्होंने अपने घर में आने का इशारा किया.
मैं उनके घर में चला गया.
भाभी के घर में अन्दर जाते ही उन्होंने दरवाजा बंद कर दिया.
मैं भी अन्दर जाते ही भाभी को किस करने लगा.
वे भी मुझे किस करने लगी थीं.
किस करने के बाद वे अन्दर जाने लगीं.
मैंने उनको रोका और उनके चूचे दबाने लगा.
भाभी के चूचे ज़्यादा बड़े तो नहीं थे, पर दबाने लायक थे.
मैंने जैसे ही उनके चूचे दबाए तो उनकी ‘इस्स’ की सिसकारी निकल गयी.
तब मैंने उनको अपनी बांहों में खींच लिया और उन्हें किस करने लगा.
वे भी लग गईं.
हम दोनों ने 5 मिनट तक किस का मजा लिया.
उसी दौरान मैं भाभी के चूचे दबाने लगा था.
भाभी बेहद गर्मा गई थीं और अपना हाथ मेरे लंड पर रख कर उसे मसलने लगी थीं.
मैंने अपने पैंट से लंड बाहर निकला और उनके हाथ में लंड थमा दिया.
भाभी लौड़ा हिलाने लगीं.
मैंने उनसे लंड मुँह में लेने को बोला.
वे झट से घुटनों के बल बैठ गईं और लंड चूसने लगीं.
मुझको भी मज़ा आने लगा.
मैंने उनके मुँह को ही चोदना शुरू कर दिया.
कुछ देर बाद मैंने भाभी से कहा कि भाभी मेरा होने वाला है.
उन्होंने लंड बाहर निकाल दिया.
वे फिर से किस करने लगीं.
मैंने उनको दीवार से लगाया और लंड उनकी चूत में डालने लगा.
चूंकि पोजीशन सही नहीं थी, इसलिए लंड अन्दर नहीं जा रहा था.
मैंने उनको झुक कर खड़े होने को बोला.
वे झुक गईं और मैंने पीछे से लंड डाल दिया.
इस बार सही स्थिति बन गई थी तो एक ही बार में पूरा लंड चूत के अन्दर चला गया.
मेरा लंड 6 इंच का है.
भाभी भारी चुदक्कड़ हैं इसलिए एक ही बार में पूरा हथियार उनकी भोसड़ी में घुस गया था.
मैं धक्के देने लगा तो भाभी को मज़ा आने लगा.
वे मादक आवाजें निकाल रही थीं.
इस बार वे बहुत दिन से नहीं चुदी थीं तो बहुत मज़े से चुद रही थीं.
कुछ मिनट बाद मेरा माल गिरने को हुआ तो मैंने भाभी से बोला कि मेरा होने वाला है.
उन्होंने कहा- अन्दर ही गिरा दो.
मैंने कुछ तेज तेज झटके दिए और झड़ गया.
जिस वक्त मेरा माल टपका, मैंने भाभी की कमर को कसके पकड़ लिया.
मैं झड़ गया था लेकिन भाभी की प्यास अभी बुझी नहीं थी.
उन्होंने मुझे वहीं ज़मीन पर नीचे लेटने का कहा.
मैं लेट गया और वे मेरा लंड चूसने लगीं.
थोड़ी देर बाद लंड खड़ा हो गया.
जल्दी ही मेरा लंड कड़क हो गया.
वे मेरे लंड के ऊपर बैठ गईं और लंड को पकड़ कर अपनी चूत में सैट करके बैठ गईं.
भाभी की चूत मेरा पूरा लंड खा गयी.
वे मेरे लौड़े के ऊपर कूदने लगीं और कुछ मिनट बाद वे एकदम से भौकाल बन गईं.
मैं उनकी चुदास देख कर भौचक्का था कि यह क्या हुआ.
भाभी बहुत तेज़ तेज़ कूदने लगी थीं.
कुछ ही पलों बाद वे झड़ गईं और हांफती हुई मेरे ऊपर लेट गईं.
मैं उनकी गांड को पकड़ते हुए नीचे से धक्के देने लगा.
भाभी को भी मज़ा आने लगा.
वे दुबारा उत्तेजित हो गईं.
ऐसे ही हम दोनों ने चुदाई जारी रखी और कुछ देर बाद मैंने भाभी को वापस डॉगी स्टाइल में खड़ा किया और लंड पेल कर सेक्स करने लगा.
फिर मैं भी झड़ गया.
मैंने समय देखा तो 3 बज रहे थे.
हम दोनों ने अपने अपने कपड़े सही किए और मैं अपने घर चला आया.
उसके बाद हम दोनों 3 दिन बाद फिर से रात में मिले.
इस बार भी मैं उनके घर में गया था.
उनके घर में सिर्फ़ सास ससुर रहते थे.
वे बूढ़े थे तो दवा खाकर सो जाते थे.
भाभी एक अलग कमरे में सोती थीं.
मैं सीधा उनके कमरे में घुस गया और उनको वहीं किस करने लगा.
हम दोनों फटाफट नंगे हो गए और मैंने तुरंत चालू भाभी के मुँह में लंड डाल दिया.
मैं उनकी चूत में उंगली करने लगा और जल्दी ही लंड पेलने लगा.
वे बहुत अन्दर तक मेरा लंड ले रही थीं. मुझको बहुत मज़ा आ रहा था.
फिर मैंने उनको सीधा लेटा दिया और उनके ऊपर चढ़ गया. भाभी की चूत पर एक भी बाल नहीं था.
मैंने लंड सैट किया और उनको चोदना शुरू कर दिया.
आज बहुत मज़ा आ रहा था, भाभी भी गांड उठा उठा कर चुदने लगी थीं.
मैं उसको किस करते हुए चोद रहा था.
मैंने भाभी से कुतिया बनने को बोला, वे बन गईं.
मैं पीछे से उनकी गरम चुदाई करने लगा.
मैंने भाभी के बाल पकड़ कर उन्हें खींचा तो उनकी आह निकल गयी.
मुझको बहुत मज़ा आ रहा था.
भाभी एक बार झड़ चुकी थीं पर मेरा अभी हुआ नहीं था.
मैंने उनको फिर से सीधा लिटाया और चोदने लगा.
भाभी ने मुझको कसके पकड़ लिया और आवाज़ निकाल कर चुदवाने लगीं.
मैंने भी झटके तेज़ कर दिए.
उनको फिर से उत्तेजना चढ़ने लगी और वे मुझसे खा जाने वाली तरह से चोदने की कहने लगीं.
अब मैं भाभी से उनकी गांड चोदने के लिए बोलने लगा.
वे बोलीं- ठीक है. पर जरा ध्यान से करना, मेरी गांड अभी बहुत टाइट है. तेल लगा कर लेना.
मैंने ओके कहते हुए भाभी से तेल लाने का कहा.
वे तेल लेकर आईं.
मैंने भाभी की गांड के छेद पर तेल लगाया और लंड पर भी लगाया.
उसके बाद लंड को गांड के छेद पर सैट करके धक्का दिया, तो लंड झट से अन्दर घुस गया.
मैंने हैरानी से पूछा- लो ये तो बड़ी आसानी से अन्दर चला गया, आप तो कह रही थीं कि बड़ी टाइट है.
उन्होंने कहा- हां, पर काफी दिनों से पीछे से नहीं चुदी थी.
मैंने उनकी गांड को पकड़ा और धकापेल कर दिया.
भाभी की गांड बहुत बड़ी थी.
मुझको उनकी गांड मारने में बहुत मज़ा आ रहा था.
करीब 20 मिनट बाद मैं उनकी गांड में ही झड़ गया, वीर्य झाड़ कर मैं शांत हो गया और उनके ऊपर ही लेट गया.
फिर मैं वहां से चला आया.
उसके बाद मैंने भाभी की चूत व गांड बहुत बार मारी है.
आपको मेरी चालू भाभी की गरम चुदाई कहानी कैसी लगी, आप मुझे मेल करके बताएं.
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