X भाभी की वासना की कहानी में मैं ममेरे भाई के घर गया तो भाभी वहां अकेली थी. रात को भाभी ने मुझे अपना फोन सेट करने को कहा. उनके फोन में अश्लील सामग्री थी.
मैं हरीश, महाराष्ट्र से हूँ.
मेरी पिछली कहानी थी: मामी ने पहली चुदाई का अनुभव कराया
इस सेक्स कहानी में आप आप जानेंगे कि कैसे मेरे और भाभी के संबंध बने और उन्होंने मुझे यौन सुख दिया.
दरअसल मेरी मां के जो मामा थे, उनके चार लड़के थे.
वे सभी शादीशुदा थे.
उनका परिवार पास के ही शहर में रहता था, जहां हमारा आना-जाना लगा रहता था.
मैं उन चारों को भैया कहकर बुलाता था और उनकी बीवियों को वैनी (भाभी) कहकर.
यह X भाभी की वासना की कहानी नीता वैनी की है जो तीसरे नंबर के भैया की बीवी थीं.
नीता वैनी को पहली बार मैंने उनकी शादी में देखा था.
तब से वह मेरे दिल में बस गई थीं और हर बार मुझे मुठ मारने पर मजबूर कर देती थीं.
अभी नीता वैनी के दो बच्चे हैं
एक लड़का और एक लड़की.
मगर फिर भी उनके सौंदर्य में कोई कमी नहीं आई.
वे हमेशा साड़ी पहनती थीं और अपने दिखावे पर बहुत ध्यान देती थीं.
उनकी मांग में सिन्दूर और गले में मंगलसूत्र उनकी सुंदरता को चार चाँद लगा देते थे.
चूँकि मैं कभी-कभार ही उनके घर जाता था, इसलिए मेरी नीता वैनी से ज्यादा जान-पहचान नहीं थी.
फिर भी मेरे पास उनका नंबर और इंस्टाग्राम आईडी थी.
मैं उनकी प्रोफाइल फोटो और पोस्ट्स को फॉलो करता था.
अगर उनकी कोई नई फोटो देखने को मिल जाती थी तो मैं उसी से अपना काम (मुठ मारना) कर लेता था.
एक बार मैं शहर में काम के सिलसिले में गया था.
बारिश के दिन थे.
शाम को बहुत देर हो जाने की वजह से मैं रात भर के लिए नीता वैनी के घर रुक गया.
उस दिन सिर्फ़ नीता वैनी, बड़े भैया और बड़ी वैनी घर पर थे.
बाकी सब छोटे भैया की ससुराल में किसी प्रोग्राम के लिए गए थे.
नीता वैनी अपने छोटे बच्चे की वजह से रुकी थीं, जो महज एक साल का था.
उनके घर पहुंचते पहुंचते मुझे रात के 9 बज गए थे.
घर में आते ही भैया ने सबसे पहले मुझे उनके साथ खाना खिलवाया.
थोड़ी देर बात करने के बाद वे और उनकी बीवी सोने चले गए.
नीता वैनी अभी भी जाग रही थीं.
वे अपने फोन से कुछ परेशान लग रही थीं.
चूँकि मैं बाहर हॉल में फोन चलाते हुए बैठा था और वे अपने बेडरूम में थीं.
मैं उन्हें दरवाजे से देख पा रहा था.
थोड़ी देर बाद वे मेरे पास आईं और मोबाइल दिखाने लगीं.
नीता वैनी ठीक मेरे सामने आकर बैठ गईं.
नीता वैनी- अरे हरीश, जरा इसे देखो तो … पता नहीं इसे क्या हुआ है, बार-बार हैंग हो रहा है.
मैंने फोन लिया और देखने लगा.
मैं- वैनी, इसका स्टोरेज काफी भर गया है. इसी वजह से ऐसा हो रहा है. मैं इसका स्टोरेज कुछ कम करता हूँ.
नीता- ठीक है, पर कोई काम की चीज़ डिलीट मत कर देना.
मैं- ठीक है.
मैंने फोन का स्टोरेज चैक किया तो देखा कि इमेजेस और वीडियोज़ ने काफी जगह ले रखी थी.
मैंने वीडियोज़ डिलीट करके ट्रैश में भी डिलीट करने के लिए ट्रैश फोल्डर खोला तो वहां मुझे कुछ सेक्स वीडियो दिखे.
मैंने एक बार वैनी की तरफ देखा, वे दूसरी तरफ देख रही थीं.
उन्हें अजीब न लगे इसलिए मैंने फोल्डर साफ कर दिया.
फिर मैं इमेजेस को एक-एक करके डिलीट कर रहा था, तभी मुझे एक अजीब नाम का फोल्डर दिखा.
उसमें मैंने देखा कि बहुत सारे हीरो के फोटोज़ थे, पर साथ ही मेरे भी फोटो थे.
पहले तो मुझे हैरानी हुई लेकिन मेरे विचारों ने मेरे लौड़े में कठोरता ला दी और मैं उसे छुपाने लगा.
उन्हें मेरी बेचैनी का पता चल गया.
नीता- क्या हुआ? तुम कुछ ठीक नहीं लग रहे.
मैं- कुछ नहीं, वह जरा मुझे नींद आ रही थी.
नीता- रुको, मैं तुम्हारे लिए चाय बनाकर लाती हूँ.
वे चाय लाने चली गईं, तो मैं कुछ रिलैक्स हुआ.
मैं फिर से फोन को तलाशने लगा.
मैंने उनकी ब्राउज़िंग हिस्ट्री देखी तो वहां पर सिर्फ़ अश्लील बातें ही थीं.
जैसे पराए मर्द के साथ संबंध कैसे बनाएं, सेक्स विद न्यू हब्बी, सेक्स स्टोरीज़ विद रिलेटिव … और भी बहुत कुछ.
मैं समझ गया कि भाभी भी मुझे पसंद करती हैं और उनकी तरफ़ भी आग लगी है.
बस दोनों की आग का मिलना बाकी है.
थोड़ी देर बाद वे गिलास लेकर आईं लेकिन उनके हाथ में यह गिलास चाय का नहीं, बल्कि दूध का था.
मैं- आप तो चाय लाने गई थीं ना?
नीता भाभी- दूध सेहत के लिए अच्छा होता है.
मैं- और सेहत किस लिए अच्छी होती है?
नीता वैनी- रात भर मेहनत करने के लिए!
मैं- मतलब?
नीता भाभी- कुछ नहीं … तुम पहले दूध तो पी लो!
मैं समझ गया कि वे आज कुछ प्लान करके ही जाग रही हैं.
मैंने पहले दूध पिया.
लेकिन दूध का स्वाद कुछ अलग लग रहा था.
फिर भी नीता वैनी के होंठों को देखते हुए मैंने सारा दूध पी लिया.
मैंने नीता वैनी को छेड़ना शुरू किया- आपके फोन में मेरी फोटो कैसे?
यह सुनकर वे थोड़ा घबरा गईं, लेकिन हिम्मत करके बोलीं- नहीं तो, मैं क्यों रखूँगी तुम्हारी फोटो?
मैं- ये देखो!
मैंने उन्हें दिखाया.
उन्होंने एक बार मेरी तरफ़ देखा और एक बार मेरे लौड़े की तरफ़.
फिर मेरे बाजू में आकर बैठीं और बोलीं- चलो इधर को आओ … मैं कान में बताती हूँ.
उनके होंठ मेरे कान की तरफ़ बढ़े और उन्होंने धीरे से मेरे कान में कहा- आई लव यू … एंड आई वॉन्ट टू मैरी यू!
मैं- क्या? ये कैसे हो सकता है? आप मेरी वैनी हैं और भैया का क्या?
नीता वैनी- पता है, तुम्हारे भैया अब पहले जैसे नहीं रहे. वे अब बाहर से ही अपना काम चलाते हैं. वे मुझे अब वक्त ही नहीं देते. मैं बहुत दिनों से प्यासी हूँ. तुम्हें मैंने जब से उस दिन शादी में देखा, तब से मेरे मन में तुम्हारे साथ सेक्स की फंतासी है. प्लीज़ मेरी प्यास बुझा दो. प्लीज़ … तुम्हें मेरी कसम. मेरी फंतासी पूरी करो.
उन्हें इतने पास से देखते हुए मुझे भी कुछ कुछ होने लगा था.
X भाभी की वासना देख मुझ पर भी वासना का भूत सवार हो गया.
वैसे भी मैं कब से नीता वैनी को चोदना चाहता था.
शायद दूध का जादू चल गया था.
उनकी उस हालत को देखते हुए मेरे मुँह से निकला- ठीक है … ठीक है. पर अब मुझे क्या करना होगा?
नीता वैनी- तुम कुछ देर यहीं रुको. मैं खास तुम्हारे लिए तैयार होना चाहती हूँ और तुम्हें हर सुख देना चाहती हूँ.
इतना कहकर वे अपने कमरे में चली गईं और दरवाज़ा बंद कर लिया.
करीब 15 मिनट बाद दरवाज़े पर ठक-ठक की आवाज़ से मुझे अन्दर आने का इशारा हुआ.
मैं पहले से ही काफ़ी बेकाबू हो चुका था.
मेरा लंड टावर की तरह तनकर खड़ा हो गया था और किसी भी किले को फ़तह करने के लिए तैयार था.
मैंने दरवाज़ा धकेला.
अन्दर जाते ही देखा कि नीता वैनी किसी नई दुल्हन की पहली रात की तरह तैयार थीं.
उन्होंने अपने छोटे बच्चे को पालने में सुला दिया था और बिस्तर पर नई चादर बिछाई थी.
वे एक पिंक साड़ी और पिंक ब्लाउज़ पहन कर बड़े से आइने के सामने खड़ी थीं और पिंक चूड़ियां पहन रही थीं.
उनके हाथों में पहले से मेहंदी लगी हुई थी.
उनके माथे पर बिंदी, नाक में नथनी, कानों में झुमके, गले में सोने का हार और बालों को अच्छे से जूड़ा बनाकर पीछे बांधा हुआ था.
भाभी ने पूरे सोलह शृंगार किए हुए थे, पर फिर भी कुछ कमी नजर आ रही थी.
उसी वक्त नीता वैनी ने कहा- वहीं खड़े रहोगे या कुछ भोगना भी चाहोगे? दरवाज़ा लगाकर इधर आ जाओ.
मैं उनकी सुंदरता देखकर मंत्रमुग्ध हो गया था.
फिर भी खुद पर कंट्रोल करके मैंने दरवाज़े पर कुंडी लगाई और नीता वैनी की तरफ़ बढ़ा.
उनके पास जाते ही उन्होंने मेरे सामने तीन-चार रंग की लिपस्टिक रखीं और बोलीं- अपनी फेवरेट पसंद करो.
मैंने भी पिंक लिपस्टिक चुनी.
उन्होंने शरारत भरी मुस्कान के साथ मेरी तरफ़ देखने लगीं.
फिर बड़ी अदा से पिंक लिपस्टिक खोली और आइने में देखती हुई अपने रसीले होंठों पर लगाने लगीं.
ऐसा करती हुई वे थोड़ा आइने की तरफ़ झुकी थीं, जिससे वह दृश्य काफ़ी मनमोहक लग रहा था.
लिपस्टिक लगाने के बाद उन्होंने एक बार मेरी तरफ़ देखा और मेरे हाथों को अपने हाथों में लेकर मेरी नज़रों से नज़र मिलाकर बोलीं- मेरी यही फंतासी है कि मैं तुमसे तुम्हारी बीवी बनकर चुद जाऊं.
ऐसा कहकर उन्होंने अपना मंगलसूत्र जो अब तक उनके गले में नहीं था, मेरे हाथों में दिया.
मैंने मंगलसूत्र पकड़ कर उनके गले में डाल दिया और टेबल से सिंदूर की डिब्बी उठाकर नीता वैनी की मांग में सिंदूर भर दिया.
उनके सिर को हाथ में पकड़ कर मैंने उनके माथे पर एक चुम्बन किया.
सिंदूर मांग में भरते ही वे अब सुंदरता और काम की देवी लगने लगीं.
फिर नीता वैनी ने अपने दोनों हाथ मेरे गले में डालकर मेरे होंठों को बांध लिया.
मैं भी उनकी साड़ी में लिपटी हुई कमर पर हाथ रखकर धीरे से उन्हें अपनी तरफ खींचने लगा.
अब मेरे होंठ उनके गुलाबी होंठों के ठीक सामने थे और हम दोनों की सांसें एक-दूसरे से मिलने लगीं.
वाह … क्या पल था वह!
मैं अब अपनी नाक से उनकी नाक को रगड़ते हुए उन्हें तड़पाने लगा.
बीच-बीच में वे अपने होंठ मेरे होंठों से छू लेती थीं, पर मैं अब भी उन्हें तड़पाने में लगा था.
फिर अचानक नीता वैनी ने मेरे निचले होंठ को अपने दोनों होंठों से लपक लिया और मेरे होंठ को चूसने लगीं.
मैं भी उनका साथ देते हुए उनके ऊपरी होंठ का रस पूरी शिद्दत से पीने लगा.
अब हम एक-दूसरे के दोनों होंठों को बारी-बारी चूसने लगे.
सच में उनके होंठों में जादू था और लिपस्टिक की खुशबू मुझे और मज़ा दे रही थी.
उनकी सारी लिपस्टिक अब हम दोनों के मुँह पर फैल चुकी थी.
पर हमें अब किसी चीज़ की परवाह नहीं थी.
नीचे मेरा लंड तंबू बनते हुए नीता वैनी की साड़ी के ऊपर से ही उनकी चूत पर चुभन दे रहा था, जिससे मेरा लंड बार-बार उफान मार रहा था.
इसलिए मैंने नीता वैनी को किस करते हुए उनकी गांड पर हाथ रखते हुए ज़ोर से अपने लंड की तरफ खींच लिया.
इससे उनके मुँह से सिसकारी निकल पड़ी, जो मेरे ही मुँह के अन्दर दब गई.
उनके हाथ मेरे सिर को पकड़ कर ज़ोर से अपनी तरफ दबा रहे थे.
फिर मैंने अपनी जीभ उनके मुँह में धकेल दी.
इससे प्रभावित होकर उन्होंने मेरी जीभ को अपने होंठों से दबाकर ज़ोर से चूसना शुरू कर दिया और फिर अपनी जीभ से मेरी जीभ रगड़ने लगीं.
जैसे ही मैंने अपनी जीभ वापस ली, वैसे ही उनकी जीभ भी उसके साथ मेरे मुँह में बढ़ने लगी.
मैंने अब मौके का फायदा उठाते हुए उनकी जीभ को चूसना शुरू कर दिया था.
यह अहसास काफी मादक था.
अब हम दोनों करीब 15 मिनट तक एक-दूसरे के मुँह से रस का आदान-प्रदान करते रहे.
फिर होंठों को छोड़कर हम एक-दूसरे की तरफ देखने लगे.
उस वक्त अति उत्तेजना में किए गए होंठों के चुंबन से हम दोनों ही ज़ोर ज़ोर से हांफ रहे थे.
हम दोनों ही एक-दूसरे की आंखों में देखते हुए हंसने लगे.
अब मैंने अपने हाथ आराम से उनके बूब्स पर रखे, जो काफी ज़ोर से ऊपर-नीचे हो रहे थे.
पर वे शर्मा गईं और भागती हुई दीवार की तरफ मुँह करके खड़ी हो गईं.
इस वक्त भाभी की पीठ मेरे सामने थी.
मैं उनकी तरफ बढ़ा और उनकी पीठ को चूमने लगा, फिर धीरे से उनकी गर्दन की तरफ अपने होंठों को बढ़ा दिए.
उनकी कमर के नीचे से मेरा लंड उनकी गांड को रगड़ रहा था.
मैंने पीछे से अपने हाथ आगे को बढ़ाए और उनकी दोनों बगलों से निकाल कर उनके मम्मों को पकड़ कर दबाने लगा.
दूध मसलने के साथ ही मैं उनकी गर्दन को दाएं और बाएं चूमने लगा.
एक साथ इन तीनों हमलों की वजह से उनकी मादक सिसकारियां निकलने लगीं.
नीता वैनी- आह आह सी … आह … आराम से!
मैंने बिना कुछ बोले अपना काम जारी रखा.
उन्हें फिर से अपनी तरफ घुमा लिया और उनकी साड़ी को उनके कंधे से हटा कर नीचे डाल दिया.
फिर वैसे ही भाभी को दीवार से सटाकर मैं उनकी गर्दन को चूमते हुए उनके बूब्स की तरफ बढ़ने लगा.
उनके हाथ मेरे बालों को सहला रहे थे और नीचे की ओर दबा रहे थे.
फिर मैं उनके बूब्स को ब्लाउज़ के ऊपर से ही चूमने लगा और ज़ोर से अपने हाथों से भींचने लगा.
मैंने देर न करते हुए उनके ब्लाउज़ को खोल दिया और उसे नीता वैनी के तन से अलग कर दिया.
अब सामने वाला दृश्य देखने लायक था.
नीता वैनी ऊपर से बिल्कुल नग्न, सिर्फ अपने आभूषणों के साथ मेरे सामने थीं.
वे लज्जा से अपने स्तनों को अपने हाथों से ढकी हुई थीं.
उनके हाथों की मेहंदी इस पल को और खूबसूरती के साथ चार चाँद लगा रही थी.
अब मुझे भी मेरी वासना बर्दाश्त नहीं हो रही थी.
मैंने उनकी साड़ी को उठाते हुए खींचना शुरू कर दिया.
नीता वैनी साड़ी के साथ-साथ घूमती हुई अब सिर्फ पेटीकोट में रह गई थीं.
मैं अब भी पूरे कपड़ों में था.
इसलिए मैंने झट से अपनी शर्ट और बनियान उतार फेंकी और नीता वैनी के हाथों को हटाने लगा.
पहले तो उन्होंने विरोध किया पर फिर अचानक ही अपने हाथ हटाकर मेरी पैंट के ऊपर से ही मेरे लंड को मसलने लगीं.
मैंने वैसे ही उन्हें अपनी बांहों में भरकर फिर से उनके होंठों पर होंठ रख दिए और किस करने लगा.
तभी अचानक नीता वैनी ने आक्रामक रूप अपना लिया.
उन्होंने मुझे धकेलते हुए बेड पर गिरा दिया और अपने नग्न रूप को और अच्छे से दिखाने लगीं.
मैं भी उन्हें गौर से देखने लगा.
मांग में सिंदूर, गले में मंगलसूत्र, कानों में झुमके, हाथों में मेहंदी और चूड़ियां.
आह … क्या रूप था वह!
वे बेड पर चढ़कर मेरे लंड के पास बैठ गईं और मेरी पैंट खोलने लगीं.
दोस्तो, मुझे उम्मीद है कि आपको मेरी इस देसी भाभी सेक्स कहानी में मजा आ रहा होगा.
मैं इसके अगले भाग में चुदाई की कहानी को पूरा लिखूँगा.
X भाभी की वासना की कहानी पर आप मुझे अपने विचारों से अवश्य अवगत कराएं.
धन्यवाद.
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X भाभी की वासना की कहानी का अगला भाग: