राजस्थान भाभी वांट सेक्स कहानी में मेरे पड़ोस की एक भाभी से मेरी बात चीत शुरू हुई. मुझे लगा कि वे मुझमें इंटरेस्टेड हैं। मुझे भी चूत की जरूरत थी तो मैंने भी आगे बढ़ने
दोस्तो, मेरा नाम राज है। मैं राजस्थान के एक छोटे से गांव का रहने वाला हूँ।
मेरी उम्र 21 साल है।
मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ।
कहानियाँ पढ़ते-पढ़ते एक दिन मुझे लगा कि क्यों न मैं भी अब तक की अपनी की हुई चुदाइयों के बारे में लिखूँ।
ये अन्तर्वासना पर मेरी पहली कहानी है।
ये काफी लंबी है, इसलिए मैं इसे अलग-अलग भागों में लिखने वाला हूँ।
मेरी कहानी और लिखने के तरीके के बारे में कृपया अपने विचार अवश्य साझा करें।
इससे पहले कि मैं राजस्थान भाभी वांट सेक्स कहानी शुरू करूँ, मैं आपको थोड़ा अपने बारे में बता दूँ।
दोस्तो, मुझे शुरू से ही सेक्स में बेहद दिलचस्पी थी।
अच्छे-खासे परिवार से होने के कारण मेरे पास फोन और कंप्यूटर था तो मैंने बहुत कम उम्र में ही इसके बारे में जान लिया था।
मेरा कद 6 फुट है और मैं गोरे रंग का, मझोली कद-काठी का हूँ।
मैं एक हैंडसम लड़का हूँ, और मेरे पास ऐसा ही हैंडसम, लंबा, मोटा, आठ इंच का ताकतवर लंड है, जो ऊपर की ओर मुड़ा हुआ है।
ये किसी भी औरत की चूत की ऐसी-तैसी कर उसे ठंडा करने में सक्षम है।
कहानी उन दिनों की है, जब मैं 12वीं की पढ़ाई कर हॉस्टल से अपने गांव आया हुआ था।
जब मैं वहाँ था, तब मैंने अपनी गर्लफ्रेंड के साथ कई बार सेक्स किया था।
लेकिन जब मेरी वहाँ की पढ़ाई पूरी हो गई और मैं घर आ गया तो मुझे अपने लंड के लिए शिकार की चूत की कमी महसूस होने लगी।
मेरे गांव में मेरे परिवार की बड़ी इज्जत थी, तो मैं वहाँ ऐसा कुछ कर नहीं सकता था।
ऐसे ही कुछ दिन बीते थे कि मेरी पड़ोस की एक भाभी से मेरी बातचीत शुरू हो गई।
वो मेरे रिश्ते में ही थीं इसलिए मेरा कोई गलत इरादा नहीं था।
ऐसे ही बातें करते-करते कुछ दिन बीत गए।
मुझे लगने लगा कि वो मुझमें इंटरेस्टेड हैं।
फिर भी मेरी हिम्मत आगे बढ़ने की नहीं हुई।
एक दिन मैं किसी काम से उनके घर गया, तो उन्होंने मुझे चाय ऑफर की और थोड़ी देर बैठने को कहा।
बातों-बातों में मैंने नोटिस किया कि वो मुझे घूर रही थीं।
मुझे लगने लगा जैसे वो मुझसे कुछ चाहती हों।
खैर, दिन का वक्त था और घर में लोग भी थे, तो बस नॉर्मल बातें करके और थोड़ी देर बैठकर मैं वापस आ गया।
फिर हमारी व्हाट्सएप पर पहले की तरह ही बातें होती थीं।
ऐसे ही दो-तीन महीने बीत गए।
इस समय में हम दोनों काफी खुल गए, अच्छे दोस्तों की तरह।
एक दिन बातों-बातों में उन्होंने मुझसे पूछा, “इतने हैंडसम हो, कोई जीएफ बनाई हॉस्टल में या नहीं?”
मैं थोड़ा शरमा गया।
तो वो बोलीं, “हम अच्छे दोस्त हैं, मुझसे कैसा शर्माना!”
मैंने भी बता दिया अपने स्कूल लाइफ में जो मजे किए, उनके बारे में।
फिर मैंने भी पूछ लिया, “आपकी लाइफ कैसी चल रही है?”
उन्होंने बात घुमा दी और बोलीं, “छोड़ो, फिर कभी बात करेंगे।”
मुझे थोड़ा अजीब लगा लेकिन ज्यादा पूछने की हिम्मत नहीं हुई।
फिर कुछ दिन बाद बातों-बातों में जब फिर से ऐसी बात आई, तो मैंने पूछ ही लिया, “अब तो आप भी बता दो यार!”
वो बोलीं, “कुछ देर में फ्री होकर कॉल करूँगी।”
मैंने कहा, “कोई ना!”
कुछ देर बाद जब उनका कॉल आया तो उन्होंने पूछा, “और कोई है तेरे पास?”
मैंने कहा, “कोई नहीं … क्यों?”
वो बोलीं, “मुझे तुमसे कुछ बात करनी है। और दोस्ती की कसम, ये हमारे बीच ही रहनी चाहिए।”
मैंने कहा, “आप मुझ पर भरोसा करो!”
तो उन्होंने कहा, “यार, मेरे पति मुझे सही से खुश नहीं कर पाते। शादी के कुछ दिन बाद तो फिर भी ठीक था, लेकिन धीरे-धीरे सब कुछ खत्म होता गया। जैसे-तैसे बचा तो हो गया, लेकिन सेक्स लाइफ एकदम झंड हो गई है। वो मुझसे प्यार तो बहुत करते हैं, लेकिन और कुछ कर ही नहीं पाते।”
उन्होंने परेशान होकर एक ही सांस में सारी बात कह डाली।
हमने पहले नॉर्मल बातें की थीं, और मुझे पता था कि वो कुछ परेशान हैं।
लेकिन ऐसी बात की मुझे उम्मीद नहीं थी।
मैं कुछ बोलने की स्थिति में भी नहीं था। सोच रहा था, अब क्या बोलूँ?
इतने में भाभी बोलीं, “कुछ तो बोलो यार!”
मैंने कहा, “भाभी, बताओ मैं आपकी क्या मदद कर सकता हूँ?”
वो बोलीं, “मैं कुछ सवाल पूछूँगी, उनके सीधे-सीधे जवाब देना।”
मैंने कहा, “हाँ!”
उन्होंने पूछा, “क्या इसमें मेरी गलती है कि मेरा पति मुझे शारीरिक सुख नहीं दे पाता?”
मैंने कहा, “नहीं!”
फिर वो बोलीं, “इतने सालों से मैं सहन कर रही हूँ। आखिर कब तक खुद को काबू में रखूँ? ये भगवान की बनाई प्राकृतिक जरूरत है। इसकी जरूरत सबको होती है।”
मैंने कहा, “हाँ!”
“इसमें मेरी क्या गलती है?”
मैंने कहा, “नहीं, भाभी! आपका इसमें कोई दोष नहीं है।”
फिर वो बोलीं, “इतने समय से मैंने ये बात किसी को नहीं बताई। तुमसे भी इतना समय बात करने के बाद आज जाकर बता रही हूँ। वो भी इसलिए कि हम इतने समय से अच्छे दोस्त हैं, और तुम मुझे अच्छे भी लगते हो… यार, बहुत!”
मैं किंकर्तव्यविमूढ़ की स्थिति में था।
फिर भाभी बोलीं, “अगर मैं अपने पति के ठीक होने के बावजूद किसी और के साथ संबंध रखती, तो मैं गलत होती। इसमें मेरा क्या कसूर?”
मैंने जवाब दिया, “नहीं!”
“भाभी, आपका कोई कसूर नहीं है इसमें। प्लीज, खुद को दोष मत दो!”
मैं ऐसे समझा ही रहा था कि वो बीच में बोल पड़ीं, “मैं अच्छी नहीं लगती क्या तुम्हें?”
मैंने कहा, “हाँ, लगती हो!”
“तो करो ना मेरी मदद, यार!” उन्होंने कहा।
मैंने कहा, “आप मेरे रिश्ते में भाभी हो, ये गलत होगा!”
उन्होंने कहा, “अगर तुम मेरे साथ जबरदस्ती करते, तो तुम गलत होते। और अगर मैं अपने पति के ठीक होने के बावजूद तुम्हारे साथ संबंध बनाती, तो मैं गलत होती। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है। मेरी मजबूरी और मर्जी दोनों हैं, और मेरे पास दूसरा कोई रास्ता नहीं है। अगर तुम मेरी मदद नहीं करना चाहते, तो मैं यही अपना भाग्य मानकर बाकी जिंदगी भी निकाल दूँगी।”
ऐसा कहते-कहते उनका गला भर आया।
मैंने कहा, “भाभी, प्लीज आप रो मत! प्लीज!”
“मैं हूँ आपके साथ। जो आप बोलेंगी, वैसा ही करूँगा मैं!”
उन्होंने भरे गले से कहा, “सच में?”
मैंने कहा, “हाँ, भाभी! आप टेंशन मत लो। मुझे नहीं पता था कि आप इतनी परेशानी झेल रही हैं। मैं आपकी सारी जरूरतों का ध्यान रखूँगा।”
मैंने आगे कहा, “मुझे बस ऐसा लग रहा था कि ये गलत है, लेकिन आपकी बातों से मेरी सारी उलझन खत्म हो गई!”
खुश होते हुए वो बोलीं, “मैं कबसे तुम्हें ये बात बताना चाह रही थी, लेकिन बोल ही नहीं पाई। आज हिम्मत करके बोल पाई। तुम सोच भी नहीं सकते कि मैं कितनी खुश हो गई हूँ तुम्हारे ‘हाँ’ से!”
और उन्होंने मुझे कॉल पर ही किस कर दिया!
12वीं की छुट्टियाँ खत्म होने के बाद मैं आगे की पढ़ाई के लिए शहर आ गया था।
मैंने भाभी से कहा, “बताओ, अब आगे क्या प्लान है?”
उन्होंने कहा, “अब सब्र नहीं होता, यार! जल्द से जल्द मिलना है!”
मैंने कहा, “आप तो हुकम कर दो, बंदा हाजिर हो जाएगा!”
उन्होंने बताया कि पंद्रह दिन बाद उनके सास-ससुर एक शादी में जा रहे हैं, दो-तीन दिन के लिए। वो घर पर अकेली होंगी। उसी दिन मुझे आने को बोल दिया।
सारी प्लानिंग करके हम सो गए।
ऐसे ही कुछ दिन बीतते गए।
हम रोज फोन पर बातें करते थे।
भाभी के सब्र का बांध टूट रहा था।
मैंने उनसे कहा, “इतना लंबा इंतजार किया है, अब तो बस कुछ ही दिन की बात है। सब्र करो, कसम से बहुत मजा आने वाला है आपको!”
भाभी बोलीं, “मैं सुहागरात के जैसे सजूँगी तुम्हारे लिए!”
मेरा दिल तो बस अभी जाकर भाभी की लेने को उछल रहा था।
आखिरकार वो दिन आ ही गया, जब सुबह-सुबह भाभी का कॉल आया।
वो बोलीं, “अब सब्र नहीं होता, मेरी जान! आज दोपहर को वो सब चले जाएँगे, तो तुम आ जाना!”
मैंने समझाया, “मैं शहर से सीधा आपके पास ही आऊँगा। घर पर भी नहीं बताऊँगा, ताकि पूरा टाइम हम साथ बिता सकें। इसलिए मैं रात में अंधेरा होने के बाद ही आऊँगा, ताकि कोई देखे नहीं।”
उन्हें ये आइडिया बहुत अच्छा लगा।
उन्होंने कहा, “मैं रात के लिए तैयार होने जा रही हूँ!”
और एक लंबी किस करके कॉल रख दिया।
मैं भी जरूरी काम पूरा करके टाइम से गांव की बस में निकल पड़ा।
मैंने अपने साथ पाँच-छह कंडोम के पैकेट ले लिए और भाभी के लिए एक अच्छा-सा गिफ्ट, मेरी पसंद की दो-तीन ब्रा, पैंटी, और नाइटी ले ली, जो उन्होंने ही मुझे लाने को कहा था।
दोस्तो, मुझे गांव से शहर आए हुए पाँच-छह महीने हो गए थे। इस दौरान मैंने जिम जॉइन कर रखा था और अपने शरीर को एकदम मजबूत बना लिया था।
मुझे सेक्स किए हुए भी बहुत टाइम हो गया था।
जैसा कि मैंने बताया, मेरा लंड आठ इंच का लंबा-चौड़ा है, जो ऊपर की ओर उठा हुआ है। मेरी टाइमिंग भी जबरदस्त है। फोरप्ले के बाद मैं इंटरकोर्स में 40-50 मिनट तक चुदाई कर सकता हूँ, जो किसी भी औरत का 4-5 बार पानी निकालने के लिए काफी है।
और मैं ऐसे ही 5-6 राउंड कर सकता हूँ एक रात में।
मुझे पता था कि एक औरत के लिए इतनी चुदाई सहना बहुत मुश्किल होता है।
इसलिए मैंने अपने एक मित्र से थोड़ी-सी अफीम भी ले ली थी।
तभी भाभी का कॉल आया।
उन्होंने पूछा, “कहाँ हो?”
मैंने कहा, “निकल गया हूँ, रास्ते में हूँ। बस आ ही रहा हूँ!”
अंधेरा होने से बस कुछ देर पहले ही मैं गांव पहुँच गया था तो मुझे ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा।
सर्दियों की वजह से सूर्यास्त भी जल्दी हो गया।
अंधेरा होते ही मैं सीधा भाभी के घर की तरफ चल दिया और उन्हें कॉल कर दिया कि पीछे का दरवाजा खोल के रखें।
हमारा गांव छोटा-सा है और भाभी का घर भी कोने पर है, तो कोई दिक्कत नहीं हुई।
मैं सीधा उनके घर पहुँच गया।
वे गेट पर ही खड़ी थीं, मेरा इंतजार कर रही थीं।
भाभी के बारे में थोड़ा बता दूँ। उनकी उम्र 29 साल है, और मेरी 20 साल.
उनकी हाइट 5 फुट 3 इंच है, रंग साँवला, पतली कमर, बूब्स और कूल्हे परफेक्ट शेप में हैं।
उनकी आँखें इतनी गहरी और कामुक हैं कि बस उनमें डूबते ही जाओ।
इतने दिन हम दोनों ने बहुत इंतजार किया था इसलिए मैं उत्सुकता में आते ही उन्हें उठा लिया और चूमने लगा।
वो भी पागलों की तरह मुझे किस कर रही थीं।
मुझे कुछ होश ही नहीं था।
मैं उनके गालों और होठों को चूमे ही जा रहा था।
मेरे जोश से वो भी पागल होती जा रही थीं।
लेकिन खुद को संभालते हुए वो बोलीं, “मेरी जान, हम बाहर खड़े हैं। अंदर तो ले चलो! मैं तुम्हारी ही हूँ। दो रात और तीन दिन, जो चाहे वो करना!”
भाभी ने दरवाजा बंद किया और मुझे पकड़कर अंदर ले गईं।
जाते ही मैं फिर शुरू हो गया, उनके बूब्स दबाने लगा और कपड़े खींचने लगा।
उन्होंने मुझे एक लंबा-सा लिप किस किया और बोलीं, “बस थोड़ा-सा और सब्र! तुम नहा लो, तब तक मैं तुम्हारे लिए हल्दी दूध बना लेती हूँ। फिर तुम और मैं, और पूरी रात होगी बस!”
मैं खुश होकर नहाने चला गया।
भाभी को छूने भर से मेरा लंड अपने भयानक रूप में आ चुका था और बस चूत लेने को बेताब हो रहा था, क्योंकि बहुत दिनों से भूखा था।
मैं नहाकर बाहर आया, तो भाभी दूध का गिलास लेकर आईं।
मैंने कहा, “आज तो आप बलम को खूबसूरत लग रही हो!”
उन्होंने कहा, “सब कुछ तुम्हारा है, जो चाहे वो करो!”
और मुझे उस कमरे में ले गईं, जिसमें आज हमारी सुहागरात होने वाली थी।
उन्होंने कमरे को बहुत अच्छे से सजा रखा था।
दरवाजा बंद करके वो बिस्तर पर आईं और मुझे अपने हाथों से दूध पिलाया।
मैंने उन्हें प्यार से किस किया और कहा, “आपके लिए भी कुछ गिफ्ट लाया हूँ!”
मैं उनके लिए एक सुंदर-सी साड़ी लाया था, जो उन्हें बहुत पसंद आई।
उन्होंने रूम की लाइट बंद की और छोटा-सा बल्ब जला दिया, जिससे कमरे में हल्की-सी रोशनी रहे।
फिर मेरी गोद में बैठ गईं।
मैंने उन्हें टाइटली हग किया।
धीरे-धीरे हम एक-दूसरे को किस करने लगे।
भाभी एकदम पागलों की तरह मुझे चूमने लगीं।
मैंने भी उनके गाल, होंठ, कान, गर्दन, हर जगह चूमकर उन्हें गर्म करना शुरू कर दिया।
धीरे-धीरे उनके कपड़े उतारने लगा।
उनका चिकना बदन मेरे सामने आते ही मैं और जोश में आ गया।
उनके बूब्स निकालकर मैं पागलों की तरह चूसने और काटने लगा।
भाभी मुझे आवेश में देखकर बोलीं, “जान, अब मैं सिर्फ तेरी हूँ! आराम से!”
लेकिन मैं कहाँ रुकने वाला था! मैंने उनका घाघरा भी खोलकर उन्हें पूरा नंगी कर दिया।
बहुत दिनों बाद मैं आज किसी औरत की लेने जा रहा था।
भाभी को नंगी करके मुझे और जोश आ गया।
उनकी साफ की हुई चूत को मैंने सीधा मुँह में लेकर चाटना शुरू कर दिया।
वो मेरे हर दाँव से उत्तेजित हो रही थीं और मादक आवाजें निकाल रही थीं, छटपटाकर मुझसे छुड़ाने की कोशिश कर रही थीं.
लेकिन मेरी मजबूती के आगे कुछ नहीं कर पा रही थीं।
उन्हें समझ आ गया था कि मैंने कच्ची गोटियाँ नहीं खेली हैं।
अब भाभी एकदम गर्म हो उठी थीं और चुदवाने के लिए तड़प रही थीं।
उन्होंने मेरा टी-शर्ट उतारकर मेरे निपल्स और पूरी बॉडी को चूमना शुरू कर दिया।
वो बोलीं, “क्या तगड़ी बॉडी बनाई है! कबसे खाने का मन कर रहा था!”
मैंने कहा, “अभी तो कई सरप्राइज बाकी हैं तेरे लिए, मेरी जान!”
उनके चेहरे पर एक अलग-सी चमक थी।
मैंने कहा, “दो मिनट के लिए मैं तुम्हारी आँखों पर पट्टी बाँधूँगा। चलेगा ना?”
उन्होंने हाँ में सिर हिलाया।
भाभी पूरी नंगी मेरे सामने आँखों पर पट्टी बाँधे खड़ी थीं।
मैंने मेरी पसंद की फुल ब्लैक ब्रा और पैंटी उन्हें पहनाई और पलंग पर बिठा दिया।
मैं सिर्फ पजामे में उनके मुँह के सामने खड़ा था।
फिर मैंने अपना लंड बाहर निकाला और पूरा नंगा हो गया।
मैंने भाभी से कहा, “असली सरप्राइज तो अब होगा!”
उन्होंने कहा, “तो हटा दूँ पट्टी?”
मैंने कहा, “हाँ, बिल्कुल!”
जैसे ही उन्होंने पट्टी हटाई और आँखें खोलीं, उनकी आँखें और मुँह खुले के खुले रह गए।
उन्हें सरप्राइज के रूप में ऐसे विशालकाय लंड की उम्मीद भी नहीं थी।
उनकी आँखों में चमक और आश्चर्य दोनों दिख रहे थे।
वो बस मेरे जबड़े लंड को निहार रही थीं।
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