दोस्त की भाभी चुत चुदवाने मचल उठीं

रेन सेक्स का मजा मैंने लिया अपने दोस्त की जवान भाभी के साथ. एक दिन मैं बारिश से बचने के लिए दोस्त के घर चला गया. वहां उसकी भाभी अकेली थी.

दोस्तो, कानपुर से मैं अभिनव फिर से आपके समक्ष अपनी नई सेक्स कहानी रखने जा रहा हूँ.
आप सभी ने मेरी पिछली सेक्स कहानी
शादी में मिली अनछुई चूत
के चारों भागों को पसन्द किया, इसके लिए मैं आपका बहुत आभारी हूँ.

आज मैं आप सबको बताऊंगा कि मैंने अपने उसी दोस्त की भाभी को कैसे चोद कर रेन सेक्स का मजा लिया.

अपनी इन भाभीजी से मेरा थोड़ा परिचय तो शादी से लौटते समय कार में ही हो गया था.
हल्की-फुल्की बातें और हंसी-मज़ाक़ करते हुए हम वापस आ गए थे.

भाभी को मेरा तथा मुझे भाभी का स्वभाव बहुत अच्छा लगा था.
हम दोनों काफ़ी घुलमिल भी गए थे.

मैं भाभी को यहां एक काल्पनिक नाम सीमा कहकर सम्बोधित करूँगा.

मेरे मित्र के बड़े भाई व भाभी के पति यानि भाई साहब एक निजी कम्पनी में कार्यरत हैं.
सेल्स का काम देखने के कारण उनका महीने में 20 दिन तो शहर से बाहर ही रहना होता है.

अब भाभी को कितना समय दे पाते होंगे, यह तो मुझे नहीं पता. पर मैंने भाभी को सदा हंसता हुआ ही पाया.

शादी के बाद भी मेरा मित्र के घर आना-जाना लगा रहता था.
उधर मित्र, भाभी तथा मैं घण्टों साथ में बैठकर बातें किया करते थे. सीमा भाभी मुझसे कोई 4 वर्ष बड़ी रही होंगी.

सुन्दर नैन-नक्श, आकर्षक चेहरा, मध्यम कद, हल्का-सा भरा हुआ बदन, एकदम दूध-सा गोरा रंग ऐसा कि छू लो तो दाग पड़ जाए.

उस समय तक मेरे मन में उनके प्रति कोई दुर्भावना नहीं थी, पर अपने हंसमुख स्वभाव के कारण शायद मैंने उनके हृदय में विशेष स्थान हासिल कर लिया था.

मैंने ध्यान दिया था कि मुझसे बातें करते समय भी वे मेरी तरफ खोयी-खोयी सी निगाहों से देखती थीं.
यदि खाने में भाभी कोई भी नई चीज बनातीं, तो मेरे लिए अवश्य ही बचाकर रख देती थीं.

इसी तरह शादी को कब एक वर्ष बीत गया, पता ही नहीं चला.
अभी तक भाभी के पांव भारी नहीं हुए थे, शायद भैया-भाभी परिवार नियोजन कर रहे थे.

मुझे भाभी को चोदने का मौका एक दिन अनायास ही मिल गया, जब एक दिन मैं मित्र के घर गया था.
उस दिन भाभी घर में अकेली थीं.

वो जुलाई की दोपहर थी. उस दिन आकाश में घने बादल थे.

मैं किसी काम से मित्र के घर की तरफ गया था. वर्षा होने की आशंका से मैं उसके घर चला गया.

भाभी ने बताया कि ननद ससुराल से आई हैं, तो मम्मी के साथ बाज़ार गयी हैं.
मित्र भी घर पर नहीं था.

यह सामान्य बात थी अक़्सर ही मैं इस तरह मित्र के घर चला जाता था तथा यदि मित्र घर पर न भी हो तो कोई भी मिल जाए, उससे बतियाता रहता था.
तो उस दिन भाभी से ही बातें होने लगीं.

तभी आकाश से बादल गरजने की आवाज़ आयी तथा वर्षा होने लगी.
दो ही मिनट बीते होंगे कि वर्षा बहुत तेज़ हो गयी.

भाभी ने मुझसे पूछा- अभिनव, बारिश में भीगना चाहोगे … चलो, छत पर चलते हैं.

मैं राज़ी हो गया, बारिश में भीगना मुझे भी बहुत पसन्द है.

तो वो मेरे लिए भैया का लोअर तथा टी-शर्ट ले आयीं और मुझे देती हुई बोलीं- इन्हीं कपड़ों में भीगेगा क्या? चल, कपड़े बदल ले. इन्हें पहनकर छत पर चल, मैं आती हूँ.

मैंने कपड़े बदले और छत पर पहुंच गया.

थोड़ी देर में भाभी छत पर आईं तो एक लाल रंग की नाइटी पहनकर आयी थीं.

मैंने उन्हें देखा तो देखता ही रह गया.
उनके उछलते हुए स्तन देखकर ये अंदाज़ा तो हो गया कि उन्होंने अन्दर कुछ भी नहीं पहना है.

वे मुझे खींचकर वर्षा में ले गईं और हम-दोनों भीगने लगे.

मैं थोड़ी दूरी बनाकर भीग रहा था पर भाभी किसी न किसी बहाने मेरे निकट आ जातीं.
कभी मेरा हाथ पकड़कर मेरे साथ डांस करने लगतीं.

जब-जब वो मुझे छूतीं, मानो मेरा पूरा शरीर झनझना जाता. छत पर एक ओर ढाल होने के कारण वहां पानी भर जाता था.

हम लोग वहां लेटकर नहाने लगे.

मेरे दोस्त का मकान तिमंज़िला होने के कारण आसपास के मकानों में सबसे ऊंचा है तो आसपास की छत से हमें कोई देख नहीं सकता था.
इसलिए हम दोनों निश्चिन्त होकर खेल रहे थे.

नाइटी से झांकता, बारिश में भीगता उनका शरीर एकदम कयामत लग रहा था.

नहाते-नहाते भाभी की नाइटी जांघों से ऊपर सरक आती तो उनकी गोरी-चिट्टी टांगें मुझे मदहोश किए जा रही थीं.

तब मौका और दस्तूर देखते हुए मैंने उनको चोदने का निर्णय ले लिया.

मैंने उनकी बांह पकड़कर उन्हें अपने पास लिटाया.
वे मेरा इरादा भांपकर तुरन्त ही पानी में सीधी लेट गयीं.

मैंने उनके बगल में लेटकर अपना एक पैर उनकी जांघों पर रख दिया और एक हाथ से उनके चेहरे को अपनी तरफ किया.

वे मेरी आंखों में झांकती हुई मेरे नज़दीक आ गईं और मैंने अपने होंठ उनके होंठों पर रख दिए.
गुलाब की नाज़ुक पंखुड़ियों जैसे उनके होंठ मेरे होंठों से मिले हुए थे और मैं एक भौंरे की तरह उनका रसपान कर रहा था.

वे भी मेरा पूरा साथ दे रही थीं.
मैंने उनको अपनी बांहों में भर लिया और वे मेरे सीने से कसकर लिपट गयीं.

उन्हें देखकर ऐसा लग रहा था कि मानो वो जन्मों की प्यासी हों.
उनके होंठ अपने होंठों में लिए हुए ही मैं सीधे लेट गया तथा उनको अपने ऊपर कर लिया.

फिर मैं नाइटी के ऊपर से अपने दोनों हाथों से उनकी कमर की गलियां नापने लगा.
भाभी मुझसे कसकर लिपटी हुई थीं.

मैंने उनकी नाइटी ऊपर की तथा अपने हाथ उनकी कमर पर रखे.

मेरा अनुमान सही था कि भाभी ने नाइटी के अन्दर कुछ भी नहीं पहना हुआ था.
वे पूरी तैयारी से आई थीं.

मैंने उनके पूरे नंगे शरीर पर हाथ फेरा.
उनका बदन एकदम मलाई जैसा चिकना था.

मैं उनके दोनों चूतड़ों को मसलते हुए अपने हाथ उनकी पीठ तक ले गया.
उन्होंने ब्रा भी नहीं पहनी थी, तो मैंने भी देर न करते हुए उसी समय उनकी नाइटी उतारकर उन्हें नंगी कर दिया.

उन्होंने अपने शरीर को छिपाने का ज़रा भी प्रयास नहीं किया और मुस्कराकर मेरी ओर देखती रहीं.
एकदम गोरी-चिट्टी निर्वस्त्र भाभी मेरे सामने पानी में लेटी ऐसी लग रही थीं जैसे आसमान से कोई जलपरी या मत्स्य सुन्दरी मुझे प्रणय का वरदान देने उतर आई हो.

वे अपने हावभाव से मुझे निमन्त्रण-सा देने लगीं.

मैंने भी उनके पूरे शरीर को निहारा जो अब कुछ ही पलों में मेरा होने वाला था.
बड़े-बड़े मस्त कर देनेवाले उनके स्तन, नाज़ुक-सी उनकी चूत, जिस पर एक बाल भी नहीं था.

चोदने से पहले मुझे स्त्रियों के पूरे नंगे शरीर को चूमना बहुत पसंद है.
मैंने उनके पूरे शरीर को चूमकर उन्हें खूब उत्तेजित कर दिया.

उन्होंने अपने हाथ से लोअर के ऊपर से मेरे लंड को टटोला.
मैंने इशारा समझकर अपना लोअर तथा टी-शर्ट उतार दिया.

उन्होंने भी तड़पकर मेरी चड्डी उतार दी और मेरा लंड अपनी मुट्ठी में पकड़ लिया.
भाभी मेरे लंड को अपनी तरफ खींच रही थीं. लंड महाराज तो तनकर पागल हुए जा रहे थे.

मैंने उनकी चूत को अपनी हथेली से दबाया तो भाभी की सिसकारी निकल गयी- आआह अभिननव!

इस पर मैं उनके दोनों स्तनों पर टूट पड़ा और उनको बारी-बारी से चूसना आरम्भ कर दिया.
जिस स्तन को मैं चूस रहा होता, भाभी अपने उस स्तन को अपने हाथ से पकड़कर मेरे मुँह में और अन्दर घुसा रही होतीं.

वर्षा अपने पूरे ज़ोर पर थी तथा हम लोगों के अन्दर भी तूफ़ान हिलोरें मार रहा था.
मैं उनके स्तनों को इतनी ज़ोर से मसल रहा था कि उनको बहुत दर्द हो रहा था.

चूसते-चूसते मैं उनको दांतों से काट भी लेता, पर भाभी सब सहन कर रही थीं.
वो मेरा लंड पकड़े हुई थीं और उसे दबा रही थीं.

भाभी सिसकारी भरती हुई बोलीं- अभिनव, अब सहन नहीं हो रहा है. जल्दीईईई करोओओ.
मैंने उनसे पूछा- सीमा, चोदना शुरू करें?

मेरे मुँह से अपना नाम सुनकर वो मुस्करा दीं और सहमति में गर्दन हिला दी.

मैंने कहा- जल्दी से अपनी टांगें फैलाकर लेटो.
भाभी ने लेटकर अपनी टांगें फैला दीं.

मैंने अपना लंड उनकी चूत के छेद से लगाया और उनकी ओर देखा.

हम दोनों एक दूसरे की आंखों में झांक ही रहे थे कि मैंने आहिस्ते से पूरा लंड उनकी चूत में उतार दिया.
उनकी आंखें नशीली होकर बन्द हो गईं.

मैंने अपनी छाती से उनका सीना दबाते हुए धक्के लगाना आरम्भ किया. हम दोनों एक-दूसरे में समाते जा रहे थे.
मैंने उनको अपनी बांहों में कसकर भींचा तथा अपने होंठों से उनके होंठों को बन्द करके धक्कों की गति बढ़ा दी.

उन्होंने भी अपनी बांहें मेरी पीठ के चारों ओर तथा अपने पैरों से मेरी कमर को लपेटा हुआ था.
ताबड़तोड़ चुदाई चलने लगी.

लगभग 15 मिनट के बाद उनका शरीर अकड़ने लगा तो मैंने भी गति और बढ़ा दी.
हम-दोनों साथ ही झड़े तथा मैंने अपना फ़व्वारा उनकी चूत में ही छोड़ दिया.

हम दोनों ही निढाल हो गए. हमारे शरीरों से निकला पसीना बारिश के पानी से धुल रहा था.

अपने लंड को पूरा उनकी चूत में खाली करके मैंने उसे बाहर निकाला तथा देर तक हम-दोनों ऐसे ही एक दूसरे से लिपटे पड़े रहे.

उसी दौरान उन्होंने मुझे बताया कि भैया के साथ उनकी सेक्स लाइफ ठीक चल रही है. यद्यपि काम के कारण भैया उन्हें अधिक समय नहीं दे पाते, पर फिर भी उन्हें इसका कोई दुःख नहीं है.

उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने जबसे मुझे पहली बार देखा था, तभी से उनको मुझसे प्यार हो गया था.
उन्होंने मुझे भी हमेशा अपने पति के रूप में ही देखा और चाहा है.

पहले दिन से उनकी तमन्ना थी कि वे मुझे एक पत्नी की तरह प्यार दें.
आज जाकर उनकी वह इच्छा पूरी हुई.

यह सब जानकर मुझे आश्चर्य मिश्रित खुशी हुई.
इसके बाद मैंने उनसे कहा- सीमा, अब तुम घोड़ी बन जाओ, मुझे तुम्हारी गांड मारनी है.

इस पर भाभी घोड़ी बन गईं, तो मैंने उनकी गांड भी मारी.
मुझसे गांड मरवाकर वो बहुत खुश थीं.

इसके बाद हमने एक बार और चुदाई करके रेन सेक्स का मजा लिया.

बारिश अभी भी हो रही थी.

मैंने छत से जब सड़क में झांका तो देखा कि सड़क में एक फुट तक पानी भर गया था.

फिर हम-दोनों नंगे-नंगे ही नीचे आ गए.
नीचे आकर बाथरूम में हम-दोनों साथ में नहाए.
नहाते समय भी हम-दोनों ने एक बार चुदाई की.

चुदाई के बाद मैंने भाभी से कहा- सीमा, मेरा लंड चूस लो.
भाभी ने तुरन्त मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया.

उन्होंने बहुत अच्छी तरह से मेरा लंड चूसा तथा उसका सारा माल पी गईं.
फिर उन्होंने चाटकर मेरा लंड साफ कर दिया.

इसके बाद हम तैयार हुए.
भाभी चाय बनाकर लाईं.

हम लोग काफी देर तक बातें करते रहे. इस दौरान भी भाभी ने साड़ी नहीं पहनी थी. वे केवल ब्लाउज-पेटीकोट पहनकर मेरे पास बैठी रहीं.

मैंने भाभी को इसके बाद भी कई बार चोदा.

मित्र की जॉब दूसरे शहर में लग जाने के कारण वह भी घर से चला गया.
मैं भी बाहर आ गया था.

अब जब मेरा अपने घर जाने का प्लान होता तो मैं भाभी को पहले से बता दिया करता.

भाभी अपनी खरीदारी के बहाने मुझे बुला लेतीं, फिर हम दोनों उनके फ्लैट में जाकर खूब चुदाई करते.
शाम को खरीदारी करवाकर मैं उन्हें घर छोड़ देता.

आज 20 वर्ष हो गए हैं. मेरे तथा सीमा भाभी के सम्बन्ध आज भी हैं. महीने-दो महीने में हम मिलते हैं तथा फ्लैट में जाकर चुदाई करते हैं.
वे मुझे अपना पति ही मानती हैं और पत्नी की ही भांति मेरा ध्यान भी रखती हैं, शायद भैया से भी ज़्यादा.

मेरा रेन सेक्स का मजा आपको कैसा लगा? बताइएगा अवश्य.
मेरी ईमेल आईडी है
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