भाई के साथ मिलकर भाभी को चोदा

देवर भाभी चुदाई कहानी में भाभी मेरे कमरे में मुझसे चुद कर चली गयी. अगली सुबह मुझे पता चला कि भाई ने हम दोनों को सेक्स करते देख लिया था. उसके बाद क्या हुआ?

दोस्तो नमस्कार, यह कहानी मेरे और मेरी सगी भाभी की है.

जैसे कि मैं अपनी भाभी के बारे में मेरी पिछली कहानी
भाभी का मादक जिस्म चोदने को मिल गया
में बता चुका हूँ.
उस कहानी में आपने पढ़ा कि कैसे भाभी और मेरे बीच देवर भाभी Xxx रिश्ता हो गया था.

अब आगे देवर भाभी चुदाई कहानी:

मैं कोई लेखक नहीं हूँ, इसलिए बिना किसी भूमिका के सीधे अपनी सेक्स कहानी पर आता हूँ.

मेरी भाभी से मेरे जिस्मानी रिश्ते हो गए थे और अब वे बिना बुलाए रोज़ रात को मुझसे चुदाने के लिए मेरे कमरे में आ जाती थीं.

दीवाली का समय करीब था.

बड़े भैया, जो कोलकाता से दीवाली के दिन घर आए थे, उनके आने से मुझे ये लगने लगा कि अब भाभी को मेरी ज़रूरत नहीं है क्योंकि उनके पास अब उनके पति थे.

मैंने समझ लिया था कि जो काम वे मुझसे करवाती थीं, वह काम अब वे अपने पति से करवाएंगी.
जब तक भैया इधर रहेंगे, उनको मेरी ज़रूरत नहीं पड़ेगी.

दीवाली का दिन शाम को भाभी खूब अच्छी तरह से सज-संवर कर तैयार हुईं.

वे मुझे देखकर मंद-मंद मुस्कुरा रही थीं.
भाभी का सिंगार देखकर मेरा मन बहक रहा था.

दीवाली का दीया जलाकर, पटाखे फोड़कर, सारे काम खत्म होने के बाद सबने खाना खाया.

मैं भी खाना खाकर अपने कमरे में सोने चला गया.
मुझे नींद नहीं आ रही थी.
मैं अपने लंड को पकड़ कर भाभी के चेहरे को याद कर सहलाने लगा.

मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ.
लगभग एक घंटे बाद मुझे नींद आ गई और मैं सो गया.

रात के लगभग 1:00 बजे मुझे अहसास हुआ कि कोई मेरा लंड पकड़ कर सहला रहा है.
मेरे कमरे का जीरो बल्ब जल रहा था.
मैंने देखा कि भाभी थीं.

मैंने भाभी से पूछा- भाभी … आप यहां?
तो भाभी मेरे कान के पास आईं और बोलीं- मैं अपनी दीवाली मना लूँ और तुम वैसे ही रहो … ये अच्छी बात नहीं है. बस तुम एक काम करो, जितनी जल्दी हो सके मेरे साथ सेक्स करके मुझे फ्री कर दो. क्योंकि यदि तुम्हारे भैया की नींद टूट गई तो वे मुझे ढूँढने लगेंगे!

मैंने तुरंत भाभी को अपनी बांहों में भर लिया और उनके कपड़े निकालने की कोशिश करने लगा.
लेकिन भाभी ने कपड़े निकालने से मना कर दिया.

मैंने भाभी से पूछा- भाभी … भैया तो आ गए हैं, फिर ये सब मेरे साथ क्यों?
भाभी ने कहा- तुमने ऐसी गंदी लत लगा दी है, जो तुम्हारे भैया के दिमाग में नहीं आता. बस तुम जल्दी से काम करो, मेरा भी पानी निकाल कर मुझे शांत कर दो!

हम दोनों सेक्स में डूब गए.
लगभग 15 मिनट बाद भाभी मेरे पास से चली गईं.

सुबह जब मैं सोकर उठा तो पता चला कि भाभी को चोट लगी है और भैया खेत की तरफ गए हुए थे.

मैंने मां से पूछा- मां भाभी को चोट कैसे लगी?
मां ने कहा- पता नहीं, किस बात पर पति-पत्नी में झगड़ा हो गया और तेरे बड़े भैया ने उसे मारा है.

मैंने भाभी से जाकर पूछा- भाभी, ये सब चोट कैसे लगी?
भाभी ने कहा- तुम्हारे भैया ने हॉकी से मारा है!

मैंने पूछा- क्यों?
उन्होंने कुछ नहीं बताया?

फिर मेरे दबाव देने पर भाभी ने बताया- रात में तुम्हारे साथ सेक्स कर रही थी तब तुम्हारे बड़े भैया ने सब कुछ देख लिया था!

यह सुनकर मेरा शरीर पूरा ठंडा हो गया.
मुझे ऐसा लगा जैसे मेरी हड्डियों में बर्फ जम गई हो.

मैंने भाभी से पूछा- मैं क्या करूँ? मैं कहीं भाग जाऊं?
भाभी ने कहा- घर में सिर्फ तुम्हारे भैया को पता है, मां-पिताजी को नहीं मालूम. अगर तुम चले गए तो लोगों को शक होगा कि कोई बात हम तीनों की है. रुको, कोई रास्ता निकलेगा!

मुझमें अपने भाई का सामना करने की हिम्मत नहीं थी.
मैंने मां से कहा- मैं मामा के घर जा रहा हूँ!

ये कहकर मैं मामा के घर चला गया.
मैं लगभग 10 दिन मामा के घर रहा.

फिर मैंने और मामा के लड़के ने ये प्रोग्राम बनाया कि गाड़ी चलाना सीखा जाए.
उधर एक आदमी बड़ी गाड़ियां चलाना सिखाता था. उसके पास जाकर मैं और मामा का लड़का ट्रक चलाना सीखेंगे.

घर आकर मैंने सिर्फ मां से इतना कहा- मैं विशाल भैया के साथ, जो मेरे मामा के लड़के का नाम है, के साथ जा रहा हूँ गाड़ी पर.
मां ने कहा- अपने भैया से पूछ ले.
मैंने कहा- आप बता देना.

ये कहकर मैं निकल गया.

घर पर सिर्फ मां थीं, भाभी और भैया भाभी के मायके गए हुए थे क्योंकि उधर उनकी साली की शादी थी.

मैं विशाल भैया के साथ धनबाद आ गया.

लगभग एक साल तक गाड़ी चलाना सीखता रहा और बढ़िया से गाड़ी चलाना सीख गया.

विशाल भैया ने मुझे गाड़ी दिलवा दी.
यह गाड़ी धनबाद से कोलकाता चलती थी.

एक बार मैं अपने गांव गया, जो हाइवे के नजदीक था. मैंने गाड़ी खड़ी करके मां से मुलाकात की.
उस वक्त घर में मेरी बड़ी बहन और मां थीं.

मां ने बताया- लगभग छह महीने हो गए हैं, तेरी भाभी तेरे भैया के साथ कोलकाता गई हैं.
मां ने यह भी कहा- तेरे भैया का एक पत्र तेरे लिए भी आया है, वह पत्र तभी से रखा है.

मां ने मुझे वह पत्र लाकर दिया.
पत्र में लिखा था कि उन्हें पता है कि मैं धनबाद से कोलकाता गाड़ी चला रहा हूँ. तू जब भी कोलकाता आए, तो घर पर आना!

यह पढ़कर मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ.
न तो मुझमें भैया से नजरें मिलाने की हिम्मत थी, न ही जाने की इच्छा.

मैं पूरी तरह उलझन में था.

आखिरकार मैंने वापस चलते वक्त मां को कुछ पैसे दिए और गाड़ी लेकर चला गया.
लगभग एक महीने बाद मेरा ममेरा भाई मुझसे मिला.

वह मुझसे बोला- यार, तेरे बड़े भैया मिले थे और वे तुझे घर पर बुला रहे हैं!
मैंने कहा- ठीक है, मैं चला जाऊंगा.

जब मैं कोलकाता पहुंचा और ट्रांसपोर्ट पर देखा तो पाया कि मेरे बड़े भैया पहले से ही वहां मौजूद थे.
मुझे समझ नहीं आया कि उन्हें किसने बताया.

फिर मुझे लगा कि शायद विशाल भाई ने बताया होगा.

भैया ने कहा- चल, घर चल!
मैंने नजरें नीची रखीं और कुछ नहीं बोला.

जब उन्होंने फिर से कहा तो मैंने जवाब दिया- भैया, गाड़ी लोड करनी है!
भैया बोले- मैंने ट्रांसपोर्ट में बात कर ली है. दुर्गा पूजा की वजह से यहां पाँच दिन ट्रांसपोर्ट बंद रहेगा.

अब मेरे पास कोई बहाना नहीं था. आखिर में, मैं उनकी बाइक के पीछे बैठ गया.

घर पहुंच कर मैं भाभी से मिला.
भाभी ने मेरे साथ ऐसा व्यवहार किया, जैसे पहले कुछ हुआ ही न हो.

भाभी ने मुझे पानी और चाय लाकर दी.
यहाँ मैं एक बात और बता दूँ, कोलकाता वाला घर एक कमरा, एक किचन वाला ही है.

हम सबने खाना खाया और थोड़ा आराम किया.

फिर मैंने भाभी से कहा- भैया से बोल दो, मैं गाड़ी पर जा रहा हूँ.
भाभी बोलीं- तुम्हारी तो पाँच दिन की छुट्टी है न! गाड़ी पर जाकर क्या करोगे?

मैंने कहा- सुबह वापस आ जाऊंगा.
भाभी ने कुछ नहीं कहा.

मैंने पूछा- भैया कहां हैं?
उन्होंने जवाब दिया- बाजार की तरफ गए हैं.

फिर मैंने भाभी से पुरानी बातों का जिक्र किया.
भाभी ने सिर्फ इतना कहा- तू टेंशन मत ले … कोई दिक्कत नहीं है, सब ठीक है!

थोड़ी देर में भैया आ गए.

मैंने नजरें नीची रखीं और भैया से कहा- मैं गाड़ी पर जा रहा हूँ.
भैया बोले- क्यों?
मैंने कहा- यहां सोने की दिक्कत होगी, मैं सुबह आ जाऊंगा!

भैया ने कहा- कोई दिक्कत नहीं होगी, वहां जाकर क्या करेगा?
मैं चुप रहा.

शाम को खाना खाकर हम तीनों बेडरूम में सोने चले गए.
मेरे भैया को रोज शराब पीने की आदत है.
कमरे में बढ़िया खाट नहीं थी, नीचे मोटा गद्दा बिछाकर वे लोग सोते थे.
भाभी भैया के बगल में और भैया के बगल में मैं सोया.

भैया तो शराब के न/शे में थे लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी.

भाभी को देखकर मेरे अन्दर सेक्स की भूख बढ़ रही थी.
लेकिन मैंने खुद को समझाया कि सोने में ही भलाई है.

मैं चुपचाप लेटा रहा.
भैया टी-शर्ट और अंडरवियर में सो रहे थे.

तभी भैया ने करवट लेकर भाभी के ऊपर पैर रखा और न/शे में उन्हें अपनी बांहों में समेट लिया.
कुछ देर तक दोनों ऐसे ही पड़े रहे.

मैं आंखें बंद करके छुपी नजरों से देख रहा था कि भैया-भाभी क्या कर रहे हैं.

मुझे समझ नहीं आ रहा था कि वे ऐसा कैसे कर रहे हैं, जबकि उन्हें पता है कि मैं बगल में सो रहा हूँ!
फिर मैंने सोचा कि भैया न/शे में हैं, शायद इसलिए ऐसा कर रहे हैं.

कुछ देर बाद भैया ने भाभी के पिछवाड़े को सहलाना शुरू किया और भाभी चुपचाप पड़ी रहीं.
फिर भैया ने भाभी के कान में कुछ कहा. भाभी उठकर शायद बाथरूम गईं.

वापस आकर भाभी लेट गईं, लेकिन उनकी सोने की जगह बदल गई थी.

अब भाभी मेरी तरफ लेट गई थीं.

मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि ये सब क्या हो रहा है!

मैंने छिपी नजरों से देखा कि भैया और भाभी आपस में मस्ती कर रहे थे.

मुझे अन्दर से तो डर लग रहा था, लेकिन वासना सिर पर चढ़ गई थी.
मुझे कुछ समझ नहीं पड़ रहा था कि आखिर हो क्या रहा है!

मैंने करवट बदल कर सोने की कोशिश की.
लेकिन अपने आप को कंट्रोल नहीं कर पाया.

तभी मुझे लगा कि किसी का हाथ मेरे कंधे को छू रहा है.
यह हाथ भाभी का था.

मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि भाभी चाहती क्या हैं!
अगर भैया ने देख लिया, तो अभी मेरे हाथ-पैर तोड़ देंगे!
लेकिन भाभी भैया की बांहों में थीं और दोनों लिप-किस में लगे हुए थे.

फिर भी भाभी का एक हाथ मुझे अपनी तरफ खींच रहा था.

मैंने भाभी का हाथ हटाकर दूर कर दिया और सोने की कोशिश करने लगा.

लेकिन कुछ समय बाद भाभी मस्ती करती करती मुझसे पीछे से आकर चिपट गईं.

मैंने अपना सिर घुमाकर देखा, भैया और भाभी मस्ती करते हुए बिस्तर से सरक गए थे.
भाभी और भैया मस्ती में डूबे थे.

इतने में भाभी ने हाथ उठाकर मेरे अन्दर वाले ब्रीफ के ऊपर मेरे लंड पर रख दिया.
अब तो मेरी हालत खराब हो गई.
मुझे समझ में आ गया कि आज भाभी मेरा हाल बहुत बुरा करने वाली हैं.

मैंने भाभी का हाथ हटा कर दूर किया और पेट के बल लेट गया.
फिर जब मैंने सिर घुमाकर देखा, तो भैया भाभी के ब्लाउज के बटन खोलकर उनकी चूचियों को मसल रहे थे.

मैं चुपचाप छिपी नजरों से देखता रहा.

पता नहीं फिर अचानक से क्या हुआ कि भाभी ने भैया के कान में कुछ कहा.
भैया उठकर बाहर चले गए.

भैया के बाहर जाते ही भाभी ने मुझसे कहा- क्या हुआ? दिल नहीं कर रहा है?
मैंने भाभी से कहा- आप ऐसा क्यों कर रही हैं? भैया देख लेंगे तो मेरी नौबत आ जाएगी.
भाभी ने कहा- ऐसा कुछ नहीं होगा.

इतने में भैया दरवाजा खोल कर अन्दर आ गए.
मैं चुपचाप लेटा रहा.

भैया आकर भाभी के बगल में लेट गए.
अब भाभी बीच में थीं और दोनों तरफ से हम दोनों के स्पर्श कर मजा ले रही थीं.

इतने में भाभी ने मेरी तरफ करवट लेकर मेरी कमर पर पैर रखकर मुझसे चिपकने लगीं.
मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि ये सब क्या हो रहा है!

भाभी मेरे होंठों को किस करने लगीं.
मैं चुपचाप पड़ा रहा.

इतने में भैया ने भाभी के पीछे से सटकर उनकी खबर लेना शुरू कर दिया.
मैं अभी भी चुपचाप उसी अवस्था में लेटा हुआ था.

जब मेरी तरफ से कोई हरकत नहीं हुई, भाभी ने मुझे छोड़कर भैया से कान में कुछ कहा और कहकर सीधी लेट गईं.

इतने में भैया ने मेरा हाथ पकड़ कर भाभी की चूचियों पर रख दिया.
मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर चल क्या रहा है!

भाभी ने मेरे साथ मस्ती करना शुरू कर दिया.
भाभी ने मेरी अन्दर वाले ब्रीफ को झटके से नीचे खींच दिया.

अब हमारी शर्म की सीमा तो टूट ही गई!
मैं तो परेशान हो गया.

भाभी ने बैठ कर मेरे लंड को पकड़ कर अपने मुँह में डाल लिया.

अब मैं धीरे-धीरे गर्म होने लगा. उधर भैया ने भाभी की साड़ी और पेटीकोट दोनों निकाल दिए.

भाभी सिर्फ खुले हुए ब्लाउज में थीं और भैया उनके पिछवाड़े से खेल रहे थे.

अब मैं समझ चुका था कि भैया की मर्जी एक साथ भाभी को चोदने की है.

मैं भी धीरे-धीरे भाभी को सहलाने लगा.

कुछ समय बाद भैया ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे भाभी के ऊपर चढ़ा दिया.
देवर भाभी चुदाई करते हुए मैं भाभी की चुत चुदाई करने लगा.

भैया हम दोनों को देख कर मुठ मार रहे थे.

मुझे भाभी को चोदने में शर्म बहुत आ रही थी.
उस दिन हम तीनों ने मिलकर साथ में सेक्स किया.
लेकिन मैं खुलकर सेक्स नहीं कर पाया क्योंकि मुझे शर्म आ रही थी.

कुछ देर बाद हम तीनों का सेक्स खत्म हुआ और सब झड़ कर सो गए.

दूसरे दिन सुबह भाभी ने चाय बनाकर लाकर दी और कहा- क्या बात है? अब तुम्हारा इंटरेस्ट मुझसे खत्म हो गया क्या?
मैंने कहा- नहीं भाभी, मुझे भैया के सामने शर्म आ रही थी!

भाभी ने कुछ नहीं बोला.

दूसरे दिन हम तीनों ने दारू पीकर सेक्स किया.
तब मुझे पता लगा कि जब मैंने भाभी और भैया के निर्वस्त्र अंग को देखा.

असल में भैया हाइड्रोसील के मरीज थे और उनके लिंग की लंबाई लगभग मेरे लंड से आधी थी.

मैं समझ गया कि भाभी की इच्छा पूरी नहीं हो पाती इसलिए भाभी मुझसे सेक्स करना चाहती हैं.

उस रात हम लोगों ने जमकर सेक्स किया.
आज भी मौका मिलने पर हम तीनों निर्वस्त्र होकर सेक्स करते हैं और हम दोनों भाई मिलकर नंगी भाभी के साथ चुदाई की मस्ती करते हैं!

शायद मेरे भाई को यह बात समझ आ गई थी कि घर का मामला घर में ही सुलटता रहे तो ज्यादा ठीक है.

अब जब मेरी शादी होगी तब देखना होगा कि मेरी घरवाली अपने पति के लौड़े को अपनी जेठानी की चूत के साथ साझा करती है या नहीं!

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