देसी Xxx भाभी चुदाई कहानी में मैंने अपनी मम्मी को अपने चाचा के साथ चुदाई का मजा लेती देखा. मैं अक्सर उन दोनों को सेक्स करते देखती. एक दिन मम्मी ने मुझे देख लिया.
दोस्तो, कैसे हो आप सब?
मैं अनुष्का एक बार फिर से हाज़िर हूँ अपनी रियल लाइफ की सेक्स कहानी मेरी मम्मी की गैर मर्द से चुदाई लेकर.
आपको मेरी इससे पहली वाली सेक्स कहानी बहुत पसंद आई और आपने मुझे ढेर सारे मेल भी किए. उसके लिए आप सभी का धन्यवाद.
देसी Xxx भाभी चुदाई कहानी में मैं आगे बढ़ने से पहले एक बार फिर से अपने बारे में बता देती हूँ.
मैं राजस्थान की जाटनी हूँ.
मेरी मम्मी का नाम सुमन है.
अब मैं मम्मी के बारे में बताती हूँ.
वे एक गदराए हुए, एकदम टाइट शरीर की मालकिन हैं. उनके फिगर का साइज़ 32D-30-36 है.
वे एक हाउसवाइफ हैं और ज़्यादातर पंजाबी सूट पहनती हैं, जो एकदम टाइट फिटिंग और गहरे गले के होते हैं, जिससे उनके बड़े-बड़े बूब्स झलकते रहते हैं.
वैसे उनकी गांड ऐसी है कि किसी नामर्द के लंड में जान फूंक दे.
बाकी की बातें आपने मेरी पहली सेक्स कहानी में जान ली होंगी.
तो अब सीधे कहानी पर आती हूँ.
दोस्तो, आपने पिछली कहानी में पढ़ा कि कैसे मम्मी को चाचा जी ने बाथरूम में जोरदार चुदाई का मज़ा दिया और मम्मी चाचा जी से अपनी चूत में मलाई भरवा कर बिना नहाए कपड़े पहन कर सो गईं.
दूसरे दिन सुबह जब मैं उठी, तो मम्मी किचन में काम कर रही थीं.
मम्मी आज एकदम फ्रेश लग रही थीं; उनकी आंखों में अलग ही चमक थी.
मम्मी ने बिना ब्रा के कुर्ती पहन रखी थी, जो पहली बार हुआ था.
बाद में पता चला कि चाचा जी ने मम्मी के बूब्स इतने ज़ोर-ज़ोर से मसले और चूसे कि उनके बूब्स में बहुत दर्द हो रहा था.
मम्मी से टाइट ब्रा सहन नहीं हो रही थी.
उसके बाद मम्मी दिन भर काम करके सोती रहीं और पापा अपने काम से कुछ दिन बाहर चले गए.
दो-तीन दिन में मम्मी सामान्य हो गईं.
अब मम्मी पहले से ज़्यादा खुश और खुलकर रहने लगी थीं.
उनका अंदाज़ बदल गया था.
अब जब चाचा जी आते, तो मम्मी उन्हें अपने बड़े-बड़े बूब्स के खूब दर्शन करवातीं!
जो औरत पहले चुन्नी के बिना किसी के सामने नहीं जाती थी, वह अब चाचा जी के आने पर चुन्नी उतार कर अपनी छाती दिखाती थी.
जैसा मैंने आपको बताया, उनके बूब्स बहुत बड़े और टाइट थे और उनकी कुर्ती की गहराई से बहुत मस्त दिखते थे.
कभी-कभी चाचा जी मम्मी के साथ किचन में लगे रहते और खूब मसल-मसल कर मम्मी के बूब्स चूसते और उनके रसीले होंठों का रसपान करते.
कभी मम्मी की लिपस्टिक गायब मिलती, तो कभी मम्मी का खूब मुख चोदन होता, जिसकी आवाज़ आंगन तक सुनाई देती थी.
पर बहुत दिनों से दोनों को खुलकर चुदाई का मौका नहीं मिल रहा था.
मैं भी चाहती थी कि चाचा जी मम्मी को उनके बिस्तर पर रात-रात भर चोदें, उनकी मस्त जवानी का भरपूर मज़ा लें और मम्मी को भी उनके घोड़े जैसे लंड का मज़ा मिले.
फिर आया वह दिन, जिसका ना मम्मी ने कभी सोचा, ना मैंने!
एक दिन दोपहर में मैं सो रही थी.
अचानक नींद से उठी और तेज़ प्यास लगी.
मैं किचन में पानी पीने गई, तो मेरी आंखें फटी की फटी रह गईं!
मम्मी स्लैब के सहारे खड़ी थीं.
उनकी ब्रा और कुर्ती ऊपर हो रखी थी और उनके बड़े-बड़े बूब्स बाहर लटक रहे थे, जो एकदम लाल हो चुके थे.
उनकी सलवार नीचे पड़ी थी और चाचा जी उनके पैरों के पास नीचे बैठकर मम्मी की चूत बुरी तरह से चूस रहे थे.
मम्मी झड़ने के करीब थीं.
उनकी ‘आह … सी … आह … आई … सी …’ की आवाज़ किचन में गूंज रही थी!
तभी मम्मी की आंखें खुलीं और मेरी नज़रों से नज़रें टकरा गईं.
मम्मी एकदम से डर गईं और उनका चेहरा शर्म से लाल हो गया!
पर इतने में चाचा जी ने अपनी जीभ का कमाल किया और मम्मी की चूत ने पानी छोड़ दिया!
वह ‘आह्ह … आआआ … आह ..’ करती हुई खड़ी रहीं और चाचा जी उनकी चूत का फव्वारा पीने लग गए.
ये सब इतनी जल्दी हुआ कि मैं वहां से निकल कर रूम में आ गई.
चाचा जी को मेरी भनक भी नहीं लगी.
फिर शायद मम्मी ने उन्हें बिना कुछ बताए भेज दिया और खाना बनाने में लग गईं.
उसके बाद मैं उनके पास किचन में गई, तो वे कुछ बोल नहीं पा रही थीं. वे एकदम डरी हुई लग रही थीं.
मैं पानी पीकर वापस आ गई.
फिर वे खाना देकर चली गईं.
आज ऐसा पहली बार हुआ, वरना मम्मी मेरे साथ खाना खाती थीं.
वे अपने रूम में चली गईं.
मैं पीछे-पीछे गई तो देखा मम्मी अपने बिस्तर पर लेटकर रो रही थीं.
मैंने मम्मी के पास बैठकर उन्हें चुप करवाया.
तब वे बोलीं- मुझसे गलती हो गई बेटा … मैं बहक गई और अपने आप पर कंट्रोल नहीं कर सकी! आज के बाद कभी ऐसा नहीं करूँगी.
मैंने उन्हें बीच में टोकते हुए कहा- इसमें गलत क्या है मम्मी? आपको भी लाइफ में हर सुख लेने का पूरा-पूरा हक है. इस बात पर दुखी होने या पछतावा करने की बिल्कुल ज़रूरत नहीं है! मैं सब जानती हूँ. आपको पापा से जो खुशी आज तक नहीं मिली, वह चाचा जी ने दी. तो अब आप उनके साथ अपना सुख ले सकती हैं! आपकी बेटी हमेशा आपके साथ है. आपको कोई दिक्कत नहीं आएगी. आप दिन-रात जब चाहें, चाचा जी के साथ सब कुछ खुलकर कर सकती हैं, अपने रूम में, किचन में … आप दोनों को डर-डर कर करने की ज़रूरत नहीं है.
तब जाकर मम्मी कुछ सामान्य हुईं.
मैंने उन्हें उठाया और खाना खाने ले गई.
पर मम्मी अब भी थोड़ी सकपका रही थीं.
मैंने उन्हें आंख मारते हुए कहा- अपनी बेटी कम दोस्त से शर्म मत करो! मैं आपको बाथरूम में भी देख चुकी हूँ.
फिर मैंने पूरी बात बताई और उन्हें चिढ़ाने लगी कि कैसे उनकी बड़े हथियार से बैंड बजी.
तब मम्मी ने हल्के से मारते हुए कहा- बस कर बेशर्म! तुझे शर्म नहीं आई अपनी मम्मी को इस हालत में देखते हुए!
फिर मैं बोली- शर्म कैसी! अब तो आप रोज दिन-रात मजे लो, मेरी टेंशन मत लो!
मम्मी ने मुझे अपने गले से लगाया और एकदम खुश हो गईं.
वे काम में लग गईं.
पर मेरे दिमाग में आज रात के लिए कुछ और ही चल रहा था.
रात में जब मम्मी काम कर रही थीं, तब मैंने चुपके से एक मस्त रेड ब्रा-पैंटी का सैट और एक शानदार रेड सूट मम्मी की अलमारी से निकाला.
साथ में हेयर रिमूवर क्रीम बाथरूम में रख आई.
मम्मी के रूम की खिड़की से हॉल को देखने के लिए साफ और कुछ बड़ा किया.
उनके रूम में रेड बेडशीट सैट करके तकिए लगा दिए क्योंकि रेड बेडशीट पर लंड की मलाई के दाग साफ पता लगते हैं.
फिर मैं किचन में गई और मम्मी को पीछे से चिपक गई.
मम्मी बोलीं- क्या बात है मेरी लाडो, बड़ा प्यार आ रहा है!
मैंने मम्मी को छेड़ते हुए कहा- प्यार तो आज मेरी स्वीट मम्मा को मिलने वाला है, वह भी पूरी रात! जल्दी-जल्दी काम पूरा करके चाचा जी को बुला लेना, मेरी फिक्र मत करना!
मम्मी ने मुझे दूर करते हुए कहा- हट बदमाश! मैं कुछ नहीं करने वाली और रात में तो बिल्कुल नहीं!
फिर मैं उनसे जिद करने लगी, तो वे बोलीं- ठीक है, पर मैं रोज-रोज नहीं बुलाऊंगी!
मैंने चिमटी काटते हुए कहा- आज तो अपनी सेवा करवाओ अपने देवर से! कल मेरी जरूरत नहीं, आप खुद इंतजार करोगी!
फिर मम्मी बाहर अकेले में जाकर चाचा जी को कॉल करके आईं तो वे बड़ी खुश लग रही थीं.
उन्होंने लजाते हुए बताया कि चाचा जी दस बजे आएंगे.
मैंने मम्मी को उनके रूम में जाने से मना किया और नहाने भेज दिया.
मैंने कहा- वहां आपके कपड़े रखे हैं, उन्हें पहन लेना और तैयार हो जाना!
मैं हॉल में बैठी थी.
बहुत देर बाद मम्मी नहाकर बाहर आईं तो उन्हें देखकर मैं देखती रह गई … मम्मी लाल कढ़ाई वाले सूट में एकदम नई-नवेली दुल्हन जैसी लग रही थीं.
उनके बड़े-बड़े बूब्स कुर्ती में कसे हुए बाहर आने को बेताब थे.
उनकी कुर्ती की बड़ी बैक और बूब्स की गहरी क्लीवेज मम्मी को कहर ढाती हुई दिखा रही थी!
मम्मी ने अपने बाल खुले रखे और चुन्नी एक साइड के कंधे पर डाल रखी थी.
वे एकदम मस्त पंजाबन कुड़ी लग रही थीं.
फिर मैंने उनके रूम में जाकर उन्हें हल्का सा परफ्यूम लगाया और लाल लिपस्टिक दी.
मम्मी ने काजल लगाया.
अब वे बहुत खुश लग रही थीं.
फिर मैंने मम्मी को उनके रूम में चाचा जी के साथ जाने को कहा.
रात के दस बज गए, चाचा जी के आने का टाइम हो गया था.
मम्मी हॉल में बैठी थीं और मैं अपने रूम में सोने का बोलकर चली गई थी.
तब भी मेरा सारा ध्यान चाचा जी के आने पर था.
कुछ देर बाद हॉल में चाचा जी के आने की आवाज सुनाई दी.
मैं खिड़की से देखने लगी.
चाचा जी ने मम्मी की कमर में हाथ डाल रखा था और मम्मी शर्मा रही थीं.
उनकी सांसें तेज चल रही थीं.
फिर मम्मी ने बेडरूम में जाने का इशारा किया तो चाचा जी ने उन्हें झट से गोद में उठा लिया.
मम्मी ने उनके गले में हाथ डाल लिए और वे उन्हें रूम में ले जाने लगे.
मैं जल्दी से उनके रूम की खिड़की पर लगकर देखने लगी.
अन्दर जाते ही रूम का हाल देखकर चाचा जी और ज्यादा मूड में आ गए.
वे बोले- क्या बात है भाभी जी! आज तो फुल तैयारी के साथ … क्या इरादा है?
मम्मी खुद रूम देखकर चौंक गईं, पर उनके सामने बात संभालती हुई बोलीं- अब क्या करूँ देवर जी … बहुत टाइम हो गया बेडरूम और किचन में आधा-अधूरा मजा लेते-लेते … आज खूब मजे लेने हैं, एकदम आजादी से!
चाचा जी ने मम्मी को बिस्तर पर गिराते हुए उन्हें देखने लगे.
मम्मी ने झट से बांहें फैलाकर उन्हें ऊपर आने का न्योता दे दिया.
बस फिर क्या था!
चाचा जी भी आज से इस बिस्तर के हकदार बनने वाले थे.
उन्हें क्या पता था कि आज से ये जवान भाभी रोज उन्हें दिन-रात अपनी जवानी के मजे लुटवाएगी … और लुटवाए भी क्यों नहीं, चाचा जी ने उन्हें असली औरत होने का सुख जो दिया था!
मैं भी बहुत खुश थी कि आज से मम्मी को डर कर नहीं, खुलकर चुदने का मौका मिलेगा.
फिर चाचा जी आगे बढ़े और मम्मी के होंठों से अपने होंठ मिला दिए.
उनके हाथ मम्मी की छाती पर आ गए. मम्मी भी उनके होंठ चूसने में खूब साथ दे रही थीं.
‘उम्मह … उम् … उम्हाहा … उम्हाहा … आह … आह … उम्मह …’
चुदासी मम्मी के हाथ कभी अपने देवर के बालों में, तो कभी पीठ पर घूम रहे थे.
दोनों की जीभ एक-दूसरे के मुँह में डाल-डालकर खूब रसपान कर रही थीं.
चाचा जी ने मम्मी के बूब्स मसलना शुरू कर दिया, जिसका असर दिखने लगा.
मम्मी और ज्यादा गर्म होने लगीं और चाचा जी को चिमटने लगीं.
जो औरत आज तक अपने पति से इतनी गर्म नहीं हुई, वह इतनी जल्दी लंड के लिए उतावली हो रही थी!
ये होता है अपनी पसंद के दमदार लंड का नशा!
अगले पल चाचा जी ने मम्मी की चुन्नी निकाल फेंकी.
अब वे मम्मी के माथे को चूमते हुए उनकी कानों की बालियों को चूसने लगे.
मम्मी एकदम चुदासी होकर आहें भरने लगीं- आह … आह … उह्ह … उफ्फ… आयाह … औ … उफ्फ … आउफ … आह … सीईई …
फिर चाचा जी उनकी गर्दन पर चूमते हुए मम्मी के बूब्स की क्लीवेज को चाटने लगे.
वे मम्मी की तंग कुर्ती के ऊपर से बूब्स चाटने लगे.
मम्मी उनके सिर को पकड़कर अपने दूध दबवाने लगीं.
चाचा जी भी आज अलग मूड में लग रहे थे.
वे बिल्कुल जल्दबाजी में नहीं थे. वे आज इस जाटनी की जवानी को अच्छे से भोगना चाहते थे.
अब मम्मी ने पलटी मारी और चाचा जी के ऊपर आ गईं. वे उन्हें बेतहाशा चूमने लगीं.
‘उम्मह … उम्हाहा … उम्हाहा!’
चाचा जी ने भी मम्मी की कमर में हाथ डाल लिया और उनके शरीर पर हाथ घुमाने लगे.
वे धीरे-धीरे मम्मी की कुर्ती उठाने लगे.
मम्मी ने अपने हाथ ऊपर कर दिए और बड़ी अदा से कुर्ती खुद निकालने का इशारा किया.
वैसे ऐसी अल्हड़ जवान औरत की टाइट कुर्ती उतारना भी एक मुश्किल काम होता है, पर चाचा जी ने ये सफलता बड़ी आसानी से हासिल कर ली.
मम्मी ने कुर्ती को हवा में उछाल दिया.
अब मम्मी के मिल्क टैंक चाचा जी की आंखों के सामने थे जो ब्रा को फाड़ कर बाहर आने को बेताब थे.
तभी मम्मी ने कमर का झटका दिया और वे अपने बूब्स को चाचा जी के मुँह पर हिलाने लगीं.
मम्मी के खुले बालों ने चाचा जी के चेहरे पर पर्दा कर रखा था.
चाचा जी को बालों से बार-बार दिक्कत न हो, इसलिए मम्मी ने अपने हाथ पीछे ले जाकर बड़ी अदा से अपनी छाती बाहर निकाल दी और बाल बांधने लगीं.
चाचा जी से रहा नहीं गया, उन्होंने बेताबी से मम्मी के बूब्स पकड़ कर दबाने शुरू कर दिए.
मम्मी ने चाचा जी के हाथ पकड़ लिए और वे ‘आह्ह आह आउच उफ्फ आह और तेज!’ कहती हुई सिसकारियां भरने लगीं.
वे अपने बूब्स दबवाने में मशगूल हो गईं.
अगले ही पल मम्मी ने हाथ पीछे ले जाकर अपनी ब्रा के हुक खोलने की कोशिश की.
लेकिन यह आसान नहीं था.
आज उन्होंने जो ब्रा पहनी थी, वह खास थी एकदम टाइट और विशेष.
मम्मी ने आंखों के इशारों से चाचा जी को अपने दूध आजाद करने का न्योता दे दिया.
चाचा जी ने मम्मी को अपनी बांहों में चिपका लिया और उनकी ब्रा के हुक खोल दिए.
अब मम्मी के बूब्स आजाद हो गए.
चाचा जी ने मम्मी को उठाया, ब्रा उतार फेंकी और खुद ऊपर आ गए.
मम्मी के लेटने के बाद भी उनके बूब्स काफी हद तक खड़े थे.
चाचा जी ने अपनी शर्ट उतार दी और दोनों के जिस्म एक-दूसरे से मिलने लगे.
अगले ही पल चाचा जी ने अपनी जीभ मम्मी के गुलाबी निपल्स पर घुमानी शुरू कर दी और दोनों हाथों से बूब्स को पकड़ कर दबाने लगे.
मम्मी भी ‘आह आह उफ्फ ओह्ह!’ की सिसकारियां छोड़ने लगीं.
चाचा जी ने बड़ी बेरहमी से निपल्स को दांतों में लेकर खींच-खींचकर चूसना शुरू कर दिया.
दोस्तो, चाचा के द्वारा मम्मी के दूध चूसने का परिणाम आज यह हुआ कि मेरी मम्मी के बूब्स अब काफी बड़े हो गए हैं और निपल्स भी पहले से बड़े, डार्क चॉकलेट जैसे हो गए हैं.
इतने तो शायद दो बच्चों को जन्म देने के बाद भी नहीं हुए थे.
अब मम्मी को दर्द भी हो रहा था लेकिन जो मजा आ रहा था.
उस मजा के आगे यह दर्द कुछ भी नहीं था.
वे खुद अपने बूब्स पकड़ कर उन्हें चुसवा रही थीं.
उनके निपल्स थूक से सने हुए चमक रहे थे और उन पर लाल निशान पड़ गए थे.
आप अंदाजा लगा सकते हैं कि उन्हें कैसे मसला जा रहा था.
अब मम्मी का हाथ अपने पसंदीदा लंड पर घूमने लगा.
उन्होंने चाचा जी की पैंट से लंड बाहर निकालने की कोशिश की.
चाचा जी ने उठकर मदद की और उनका विशालकाय लंड बाहर आ गया.
आज वह एकदम साफ और चिकना लग रहा था.
शायद आने से पहले चाचा जी ने अपनी झांटें साफ कर ली थीं.
उनका लंड पूरी तरह तनाव में था और उसकी नसें भी उभर आई थीं.
मम्मी ने लंड को लपक कर पकड़ लिया और गौर से देखती हुई हिलाने लगीं.
तभी चाचा जी ने मम्मी की सलवार और पैंटी एक साथ उतार दी.
मम्मी की चूत भी एकदम साफ और चिकनी थी, जो पानी टपका रही थी. मम्मी की चूत पहले से ज्यादा भारी हो गई थी.
हो भी क्यों न … चाचा जी का मूसल जैसा लंड मेरी मम्मी की चूत की सेवा में हाजिर जो रहने लगा था!
अब दोनों बेड पर पूरी तरह नंगे थे.
चाचा जी ने मम्मी को फिर से लेटाया और खुद उनके ऊपर आ गए.
उन्होंने फुल बॉडी किस करना शुरू कर दिया.
उनका लंड मम्मी की चूत को छू रहा था.
मेरी मम्मी बिना पानी की मछली की तरह तड़फ रही थीं और चाचा जी इस तड़प को और बढ़ाना चाहते थे.
वे मम्मी के बूब्स रगड़ते हुए उनकी चूत तक पहुंचे और चुत के पावरोटी सरीखे होंठों को चौड़ा करके देखने लगे.
मम्मी लेटे-लेटे जोर-जोर से सिसकारियां छोड़ रही थीं- आह आह … आउच आह … आह …
मम्मी की चूत अब खुलने लगी थी, जो शायद पापा से कभी पूरी तरह नहीं खुली थी.
उनकी चूत अब बड़े बन-पाव की तरह फूली हुई लग रही थी.
तभी चाचा जी भूखे शेर की तरह उस पर टूट पड़े और पूरी चूत को मुँह में भरकर चूसने लगे.
मम्मी एकदम तड़प उठीं- आह … आह … आउच आह …
वे चाचा जी के सिर को पकड़ कर अपनी चूत पर दबाने लगीं- आह … देवर जी आह जान निकालोगे क्या आह … मां मर गई आह … सीई … ई उफ्फ!
चाचा जी कभी मम्मी की चूत के होंठों को पकड़ कर चूसते, तो कभी जीभ अन्दर तक डालकर चूसने लगते.
मम्मी अपने बूब्स खुद दबाने लगीं और गांड उठा-उठा कर चूत चुसवाने लगीं.
अचानक मम्मी की सिसकारियां तेज हो गईं.
चाचा जी ने देसी Xxx भाभी चुदाई करते हुए मम्मी की कमर मजबूती से पकड़ कर और तेजी से चूसना शुरू कर दिया.
तभी मम्मी चिल्लाई- आह … आह्ह्म उफ्फ ओह्ह गई … आह … गई आह … देवर जी और तेज आह … उग्ग! आईई आह … देवर जी और तेज! मर गई … आह!
उसी पल उनकी चूत ने फव्वारा छोड़ दिया.
मम्मी बेजान होकर बेड पर पड़ी रहीं और चाचा जी उनकी चूत का रसपान करने लगे.
दोस्तो, मेरी मम्मी की चाचा के साथ हो रही इस देसी Xxx भाभी चुदाई कहानी के अगले भाग में आपको और अधिक मजा आने वाला है. मेरे साथ जुड़े रहें और सेक्स कहानी पर अपने विचार जरूर पोस्ट करें.
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