अनजान आंटी को कार में प्यार से चोदा

Xxx ओपन सेक्स कहानी में बाजार में मुझे एक सेक्सी आंटी दिखी. मैंने उन्हें लिफ्ट दी तो वे एकदम मेरी कार में आ गयी. इसके बाद मैंने आंटी को सुनसान सड़क पर कैसे चोदा?

मैं पटना में रहने वाला एक युवक हूँ.
मेरी उम्र लगभग 25 है.

यह Xxx ओपन सेक्स कहानी लॉकडाउन खत्म होने के ठीक बाद की है.

लॉकडाउन के समय काफ़ी ख़ाली टाइम मिला था.
उस वक्त हिंदी पोर्न देख देख कर मेरे दिमाग़ में सिर्फ़ भाभी और आंटी को चोदने का ख्याल आता रहता था.

लॉकडाउन खत्म हो गया था और जनजीवन सामान्य होने लगा था.

कुछ दिन पहले मैं अपनी कार से दोस्त के घर से लौट रहा था और रास्ते में मुझे कुछ चीज़ लेनी थी.

दुकान के सामने जैसे ही कार को खड़ी किया, मेरी नज़र एक बहुत ही ख़ूबसूरत और सेक्सी आंटी पर जा पड़ी.
उनकी उम्र लगभग 35 साल की होगी.
पर उनके बूब्स बेहद बड़े और सुडौल थे.
हालांकि उनका रंग जरा साँवला था.

मैंने देखा कि वे भी मुझे कार से उतरते हुए देख रही थीं और मैं भी उन्हें लगातार देखे जा रहा था.

सामान लेकर मैं जैसे ही कार के पास पहुंचा तो देखा कि वे आंटी अभी भी वहीं खड़ी होकर ऑटो का इंतज़ार कर रही थीं.
उन्हें देखते हुए मैं भी 5-10 मिनट कार में ही बैठा रहा.

फिर मैंने बहुत हिम्मत करके कार आगे बढ़ाई और उनके पास जाकर रोक कर पूछा- क्या मैं आपको कहीं ड्रॉप कर सकता हूँ?
आंटी को भी देख कर लगा कि उनका भी यह पहली बार है.

उन्होंने कहा- मुझको स्टेशन जाना है.
मैंने ध्यान दिया कि उनके पास ज़्यादा सामान भी नहीं था, बस बड़ी बड़ी चूचियों को छोड़ कर.

मैंने कहा- हां, आइये बैठिए. मैं आपको छोड़ देता हूँ.
कार में बैठते ही मुझे लगा कि मेरे साथ आज ये क्या हो रहा है.
जो मैंने आज तक सिर्फ़ वीडियोज में होता देखा था कि आंटी और भाभी को सैट करके चोदना, वह आज करने का मुझे मौक़ा मिल रहा था.

फिर मैंने कार आगे बढ़ा दी और कुछ ही दूर बाद एक सुनसान जगह पर आ गया.

मैंने देरी नहीं करते हुए सामने से उनसे पूछ दिया- क्या मैं आपका हाथ पकड़ सकता हूँ.
उन्होंने खुद मेरा हाथ गियर से हटाया और कसके पकड़ लिया.

मैंने उनसे साफ़ पूछा- मेरे कुछ करने से आपको दिक़्क़त तो नहीं है ना!
उन्होंने कहा- नहीं!

अब मैं भी अपने अन्दर काफ़ी उत्तेजना बढ़ती हुई महसूस करने लगा और अचानक से उनका हाथ अपने लंड के ऊपर रख दिया.
आंटी ने अचानक से ऐसा होता देखा तो उन्होंने पहले अपना हाथ पीछे किया और मुझे देखने लगीं.

फिर जब मैंने उनको देखा कि वे ऐसा क्यों कर रही हैं, तभी आंटी ने वापस अपने हाथ को मेरी पैंट पर रख दिया और वे कपड़ों के ऊपर से ही मेरा लंड रगड़ने लगीं.
मैंने तुरंत ही अपना पैंट नीचे किया और लंड निकाल लिया.

आंटी को देख कर ये तो पता चल ही गया था कि उनको मेरा लंड काफ़ी पसंद आया.

उन्होंने पहली बार जब लंड पकड़ा तो बहुत कस कर दबा दिया.
अब वे मेरे लंड को कस कस कर हिलाने लगी थीं.

मैंने उनसे कहा कि आगे रास्ता पूरा ख़ाली दिख रहा है. क्या आप मेरा लंड अपने मुँह में लेंगी?
तो उन्होंने मुझे डाँटते हुए अंदाज में मुझसे कहा- रंडी नहीं हूँ मैं!

मैंने कहा- अरे ऐसी कोई बात नहीं है, मैंने तो बस ऐसे ही पूछा था!
तब तक कुछ ट्रेफिक बढ़ गया था तो वे मेरा लंड हिलाना छोड़ चुकी थीं.

कुछ आगे चल कर फिर से रास्ता सुनसान हो गया.
मैंने उनसे कहा- लगता है सीट बेल्ट सही से नहीं लगी है.

यह कह कर मैंने कार को थोड़ा साइड में करके रोक दिया और कहा कि लाइये मैं लगा देता हूँ.

मैंने उनकी सीट बेल्ट लगाने के बहाने से अपने हाथ को उनके बड़े बड़े बूब्स पर रख दिया.
उनके मुलायम मम्मों का स्पर्श करते ही मेरे अन्दर फिर से एक करेंट जैसा दौड़ने लगा.

मैंने बिना उनसे पूछे उनके एक दूध को दबा दिया.
वे आह करके मुझे चुदासी नजरों से देखने लगीं.

उनकी नजरों से और मूक स्वीकृति से मुझे समझ में आने लगा कि आंटी भी काफ़ी गर्म हो चुकी थी.

मेरे हाथ से उनके दूध को वापस दबाने का कार्य शुरू हो गया.
तो उनके हाथ ने भी आगे बढ़ कर मेरे लंड को पकड़ लिया और आंटी फिर से लौड़े को अपनी पकड़ में लेकर हिलाने लगी थीं.
अब मैंने अपनी सीट को थोड़ा पीछे को किया और उनसे कहा कि आप थोड़ा सा मेरी जाँघ पर लेट जाइए.

आंटी ने अपना सर मेरी टांगों के जोड़ पर रख दिया.
उनके ऐसे चित लेटते ही मैंने आस पास देखा कि कोई आगे या पीछे से आ तो नहीं रहा.
इसी के साथ मैंने आंटी की दोनों चूचियों को एक साथ कस कसके दबाना चालू कर दिया था.

मेरे अन्दर से हवस की सारी सीमा पार हो चुकी थी.
किसी के न दिखने के बाद तुरंत मैंने अपना सर नीचे किया और आंटी की चूचियों को चूसने लगा.

आंटी भी काफ़ी ज़ोर ज़ोर से आवाज़ निकालने लगीं.
उनकी चुदास से भरी कामुक आवाजों को सुन कर मेरा लंड लोहे की तरह खड़ा होता जा रहा था.

कुछ मिनट रुक रुक कर दूध मसलने के बाद मैंने उनसे कहा- अब आपको बिना चोदे मेरा लंड ठंडा नहीं होगा.
इस बात पर आंटी हंसने लगीं.

मैंने कहा- मुझे कार कहीं और ख़ाली जगह ले जाना पड़ेगी!
वे बोलीं- तुम्हें जो भी करना है, जल्दी करो. शाम 6 बजे मुझे ट्रेन पकड़नी है.

कुछ मिनट तक इधर उधर देखते हुए चलने के बाद हम दोनों सेक्स करने का एकदम सही जगह मिल गई.
मेरी कार की एक और खूबी है कि उसमें पीछे की सीट कुछ इस तरह से पूरी ऊपर उठ जाती है कि कार की फ़्लोर पर आराम से कुछ भी कर सकें.

मैंने तुरंत अपनी पीछे की सीट को उठा दिया और आंटी से कहा कि आप पीछे आ जाओ.
आंटी के पीछे आते ही मैंने तो जैसे आंटी के ऊपर चढ़ाई ही कर दी.

दोनों सीटों के बीच खाली जगह तो बन ही गई थी, साथ ही पीछे का शीशा भी एकदम से ढक गया था.

हम दोनों कार के अन्दर कुछ भी Xxx ओपन सेक्स करते, बाहर वाले को कुछ नहीं दिख सकता था.

अब मैंने उनके ब्लाउज पर हाथ लगाया.
ब्लाउज आगे से खुलता था और चिट बटन लगे हुए थे.

मैंने जल्दी से ब्लाउज खोल कर आंटी की चूचियों को ब्रा से बाहर कर दिया.

मेरे सामने उनकी दोनों बड़ी बड़ी चूचियां हिलने लगी थीं.
मैं अपनी पूरी जीभ से उनके मम्मों को चाटने लगा.

मुझे लग रहा था कि आंटी काफ़ी ज्यादा हवसी थीं.
वे खुद से बोलने लगीं- मेरे निप्पलों के ऊपर काटो और इन्हें खींच कर चूसो.

मैं भी उनके दोनों निप्पलों को कस कसके खींचते हुए चूसता रहा.
आंटी ने मेरा सर पकड़ कर अपने बूब्स में घुसा दिया और बोलीं- काट साले.

मैंने भी मौक़ा देखते हुए सही में उनके निप्पलों के ऊपर वाली परत को बहुत कस कर काट लिया.
आंटी ने काफ़ी जोर से चिल्ला दिया और मुझको कस कर जकड़ लिया.

मैंने कहा- क्या मरवाओगी … इतनी तेज क्यों चिल्ला रही हो?
वे हंसने लगीं और बोलीं- मरवाने के लिए ही तो तेरे साथ आई हूँ.
मैं भी हंस दिया.

फिर कुछ मिनट तक मम्मों को चूसने के बाद मैंने कहा- अब मुझसे बिल्कुल बर्दाश्त नहीं हो रहा है.
यह कह कर मैंने उनकी साड़ी के अन्दर हाथ डाल दिया.

तब पता चला कि आंटी की चूत का पानी तो झरना जैसा निकल रहा था.

जैसे तैसे करके मैंने आंटी की पैंटी निकाली और अपने लोहे जैसे कड़े हो चुके लंड को आंटी की चूत के ऊपर रगड़ने लगा.
आंटी भी उह्ह आह करने लगीं.

मैंने चुत को रगड़ना और तेज कर दिया.
तभी मेरा पहली बार में मेरा रस निकल गया.

थोड़ी देर तक उन्होंने मेरा लंड हिलाया और मैं उनके मम्मों को दबाता रहा.
कुछ मिनट में मेरा लंड बिल्कुल पहले जैसा कड़ा हो गया.

अब मैंने देरी न करते हुए लंड को तुरंत अन्दर डालने की कोशिश की, पर आंटी की चूत काफ़ी टाइट थी.
मैंने ज़ोर लगा कर लंड को अन्दर डाल दिया.

आंटी फिर से चिल्लातीं कि उससे पहले मैं उनको किस करने लगा.
मैंने भी अपने चोदने की रफ़्तार दोगुनी कर दी और आंटी को चोदने के साथ साथ किस भी किया और चूचियों के साथ भी खेला.

आंटी की चूचियां इतनी बड़ी और मोटी थीं कि लग रहा था जितना कस कर दबा लो, उतना कम है.
उनको चोदते हुए मेरी नज़र उनके चेहरे से ज्यादा उनके चूचों पर थी.

वे कहने लगीं- अभी चुत चोदने में मन लगाओ, दूध बाद में पी लेना.
मैंने भी सोचा कि आंटी सही कह रही है.

अगले 20 मिनट तक मेरा लंड सिर्फ़ आंटी की चूत के अन्दर बाहर होता रहा.
इस बीच आंटी के अन्दर का भी जानवर पूरी तरह से जाग चुका था.

अब ऐसा लग रहा था, जैसे मैं आंटी की चूत में लंड नहीं डाल रहा हूँ बल्कि आंटी अपनी चुत को मेरे लंड के ऊपर नीचे करने में लगी हुई हैं.

चोदते चोदते मैंने आंटी से कहा- अब मेरा निकल जाएगा.
उन्होंने जल्दी से कहा- कोई दिक्कत नहीं, अन्दर ही गिरने दो.

अब उन्होंने मेरी कमर के पास अपने पैरों से मुझे कसते हुए जकड़ लिया और बोलने लगीं- जल्दी गिराओ जल्दी गिराओ, अब मुझे तुम्हारे रस की गर्मी अपने अन्दर महसूस करनी है.

पर पता नहीं क्यों, मेरा रस जैसे ही निकलने वाला था … मैंने उनकी चूत से अपना लंड निकाला और सीधा उनका मुँह पकड़ कर अपने लंड के पास लाया.
वे कुछ समझ पातीं, तब तक मैंने उनके गाल दबा कर मुँह खोला और उनके मुँह में अपना लंड पेल दिया.

उसी समय लंड ने झरना छोड़ दिया और मैंने आंटी को अपना पूरा रस पिला दिया.
मुझे लगा कि आंटी बहुत ग़ुस्सा हो जाएंगी.

पर जैसे ही उनको भी समझ में आया कि यह क्या हुआ, तो वे भी पूरी शिद्दत से अपनी जीभ और मुँह से मेरे लंड को किसी पॉर्न एक्ट्रेस की तरह चूसने लगीं.

यह देख कर मैंने अपना हाथ उनके मुँह से हटा लिया और उन्होंने मेरे लौड़े को चाट चाट कर साफ़ कर दिया.

यह मेरा पहला ब्लोजॉब वाला अनुभव था. मुझे इतना ज्यादा मज़ा आया कि उनके मुँह के अन्दर ही मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया.

मैंने आंटी को इस बार डॉगी स्टाइल में चोदा और वीर्य को उनकी चूत के अन्दर ही गिरा दिया.
चुदाई के बाद मैंने कस कर उनको पकड़ लिया और कुछ मिनट के लिए उनके ऊपर ही लेट गया.

जब हम दोनों एक दूसरे को संतुष्ट कर चुके, तब आंटी ने बताया कि उनके पति ने एक साल से उनके साथ कुछ नहीं किया है.
आंटी पटना से 30 किलोमीटर दूर रहती हैं और हर हफ़्ता आना जाना करती हैं.

मैंने उनका नम्बर ले लिया और कहा कि अगले हफ़्ते फिर से मिलते हैं.
वे कहने लगीं कि अगली बार किसी कमरे में मिलना.

मैंने ओके कह कर उन्हें स्टेशन छोड़ दिया.
वे अपनी गांड मटकाती हुई चली गईं.

आप मेरी इस Xxx ओपन सेक्स कहानी पर क्या कहना चाहेंगे?
प्लीज बताएं.
[email protected]