सेक्सी लड़की की देसी चुदाई का मजा मुझे मेरी कामवाली ने दिया. वह बहुत खूबसूरत थी और उसकी चूचियाँ बहुत बड़ी बड़ी थीं। उसने मुझे और भी कई चूत दिलवाई.
मैं एक बड़ी कंपनी में काम करता हूँ और मेरी पोस्टिंग कोलकाता में हो गयी थी।
कोलकाता में मैं एक फ्लैट लेकर रहने लगा।
मुझे एक मेड सर्वेंट यानि काम वाली बाई की जरूरत थी।
मैं ढूंढता रहा, कोशिश करता रहा आखिरकार एक दिन मुझे कामवाली मिल ही गयी।
उसका नाम था बबली।
वह बहुत खूबसूरत थी और उसकी चूचियाँ बहुत बड़ी बड़ी थीं।
बबली गोरी थी, सेक्सी नाक नक्श वाली थी और मटक मटक कर चलती भी थी।
उसके चेहरे पर गज़ब की सेक्स अपील थी.
वह मुझे एक ही नज़र में भा गयी।
उसकी मस्त जवानी देख कर मेरा दिल उस पर आ गया। मैं उस सेक्सी लड़की की देसी चुदाई करना चाहता था.
मैंने पूछा- बबली, तुम कौन कौन सा काम कर सकती हो?
तो वह बोली- बाबू जी, काम मैं सब कर सकती हूँ पर मैं पैसा थोड़ा ज्यादा लेती हूँ।
मैंने कहा- जो तुम कहोगी, वो मैं दे दूंगा।
वह बोली- मैं चौका बरतन झाडू पौंछा का महीने में 4000/- लूंगी।
मैंने कहा- मैं तुम्हें 4000/- के बजाये 5,000/- दूंगा लेकिन काम सब अच्छा करना पड़ेगा। तुम कल से काम पर आ जाना।
वह बहुत ज्यादा खुश हो गयी और ख़ुशी ख़ुशी अपने घर चली गयी।
अगले दिन सवेरे 6 बजे वह आ गयी।
मैंने उसे सारा काम समझा दिया।
उसने अपनी धोती थोड़ा उठा कर कमर में खोंसी और ख़ुशी ख़ुशी काम करने लगी।
मैं उसको काम करते हुए देखने लगा।
मैंने गौर किया कि वह ब्लाउज़ तो पहने थी पर ब्रा नहीं।
उसको इधर उधर आते जाते उठते बैठते मैं सब बड़े गौर से देखने लगा।
मैं उसे आगे से भी देखने लगा और पीछे से भी।
मेरी नज़र उसके पूरे जिस्म पर थी खास तौर से उसकी मादक चूचियों पर!
उसकी चूचियाँ ब्लाउज़ से बाहर निकलने के लिए बेताब हो रही थीं।
जब वह झुक कर झाड़ू मारने लगी और पौंछा लगाने लगी तो मैं उसकी उभरी हुई चूचियाँ देख कर मस्त होने लगा।
मेरा मन हुआ कि मैं अभी इन चूचियों के बीच अपना लण्ड घुसेड़ दूँ। मेरा लण्ड भी बहनचोद काबू के बाहर होने लगा था।
अब वह हर रोज़ जब काम करने आती तो मैं उसे बराबर देखता और बड़े मजे से देखता।
मुझे उसके आने का बड़ी बेकरारी से इंतज़ार रहता।
दिन इसी तरह बीतने लगे.
एक दिन मैं नहा रहा था।
मैंने सोचा कि अगर बबली भी बाथरूम में आ जाये तो मज़ा आ जाये।
तो मैंने उसे आवाज़ दी, कहा- बबली, ज़रा मेरी पीठ में साबुन लगा दो। मेरा हाथ नहीं पहंच रहा है।
वह अंदर घुसी और मेरी पीठ पर साबुन लगाने लगी।
मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था।
उसके हाथ का स्पर्श मेरे बदन में आग का काम कर रहा था।
बाहर पानी था लेकिन अंदर बहनचोद आग सुलग रही थी।
मैं खड़ा ही था।
वह भी खड़े खड़े साबुन लगा रही थी.
मैंने एक ढीली नेकर पहन ली थी।
साबुन लगाने के बाद जब मैंने पानी डाला तो वह भी भीग गयी।
मैंने कहा- अरे बबली, तुम तो भीग गयी हो।
वह बोली- कोई बात नहीं बाबू जी, मैं घर में जाकर कपड़े बदल लूंगी।
मैंने कहा- क्यों, क्या यह घर नहीं है? तुम अपनी धोती उतार दो, उसे धोकर फैला दो, अभी सूख जाएगी। नीचे कुछ पहने हो न तुम?
वह बोली- नहीं बाबू जी, तुम पहले नहा धो लो ठीक तरह से … मैं बाद में देख लूंगी।
मेरी नेकर के अंदर खड़ा लण्ड उत्तेजित हो रहा था और उसे भी उत्तेजित कर रहा था।
ऐसे में भला कोई मस्त जवान लड़की अपने आपको कैसे काबू में रख पाती?
मैं यह तो समझ ही गया कि आग उसके जिस्म में भी लगी हुई है।
वह बोली- बाबू जी, आपके पैरों में साबुन लगा दूँ?
मैंने कहा- हां लगा दो।
वह साबुन लगाने लगी, फिर बोली- बाबू जी, अपनी नेकर थोड़ा ऊपर करो, बड़ी दिक्कत हो रही है।
मैंने नेकर को पकड़ कर ऊपर कर लिया।
वह बड़े प्यार से मेरी जाँघों में साबुन लगाने लगी।
लगाते लगाते उसने हाथ अंदर तक घुसेड़ दिया।
अब न मैं काबू में रहा और न वो!
वह धीरे से नेकर नीचे घसीटने लगी तो मैंने कहा- अरे बबली, फिर तो मैं नंगा हो जाऊंगा।
तो वह बोली- तो क्या हुआ? साबुन तो हर जगह लगना चाहिए न? नहीं तो सफाई कैसे होगी? आधा बदन तो गन्दा रह जायेगा।
मैंने कहा- ठीक है जैसा तुम समझो।
जैसे ही उसने मेरी नेकर नीचे खींची, वैसे ही लण्ड साला टन्न से खड़ा हो गया उसके सामने।
टनटनाता हुआ लण्ड एक तमाचे की तरह उसके गाल पर लगा।
वह हंस कर बोली- हाय दईया, तेरा लण्ड तो मुझे अभी से मारने लगा है बाबू जी।
उसके मुंह से ‘लण्ड’ सुनकर मेरा लण्ड और टन्ना गया।
उसने अपनी मुठ्ठी में लण्ड पकड़ लिया और बोली- अच्छा, तुमको बहुत जल्दी है साबुन लगवाने की? लो मैं पहले तुझ पर ही साबुन लगा देती हूँ।
वह बड़े प्यार से मेरे लण्ड पर साबुन लगाने लगी।
मुझे अपार मज़ा आने लगा।
वह पेल्हड़ पर भी साबुन लगाने लगी।
मैंने मन में कहा- मैं यही तो चाहता था।
मुझे इतना तो मालूम हो गया था कि वह गरम हो गयी है और लण्ड का मज़ा लेना चाहती है।
फिर मैंने शरारत की और उसकी धोती खोल डाली, उसका ब्लाउज़ खोल दिया, उसके पेटीकोट भी खोल डाला।
जैसे वह खड़ी हुई, वैसे ही एकदम नंगी हो गयी।
वह बोली- हाय राम … अब क्या होगा बाबू जी? मैं तो एकदम नंगी हो गई हूँ। अब कौन संभालेगा मेरी इस बुरचोदी चूत को बाबू जी? ये जब खुलती है तो फिर किसी के काबू में नहीं आती!
मैंने उसे अपने बदन से चिपका लिया और कहा- बबली, तुम बहुत सुन्दर हो। बिल्कुल परी जैसी हो। तुम्हारी जवानी बड़ी मदमस्त है। मैं तुमसे प्यार करता हूँ, तुम्हें दिल से चाहता हूँ।
उसके नंगे जिस्म को मैंने खूब मस्ती से चूमा, उसकी चूचियाँ दबायीं, उसकी चूत सहलाई, उसकी गांड पर हाथ फेरा।
मैंने कहा- जिसने तेरे गाल पर थप्पड़ मारा है बबली, वही संभालेगा तेरी बुरचोदी फुद्दी को!
वह बड़े प्यार से थोड़ा शर्माते हुए बोली- हाय दईया, मैं तो सातवें आसमान पर चढ़ गयी हूँ। तुम बहुत अच्छे हो बाबू जी। तुम बहुत बढ़िया मर्द हो बाबू जी। तुम्हारा दिल बहुत बड़ा है, बाबू जी, तुम्हारा लण्ड बहुत बड़ा है।
उसने मेरे लण्ड पर, मेरे पेल्हड़ों पर, मेरे चूतड़ों पर, मेरी जांघों पर हर जगह साबुन लगा लगा कर नहलाया.
और मैंने भी उसकी चूचियों पर, उसकी गांड पर, उसकी चूत पर, उसके गालों पर, उसकी बाँहों पर साबुन लगा लगा के खूब नहलाया।
फिर मैंने उसका नंगा बदन पौंछा और उसने मेरा नंगा बदन पौंछा।
मैंने उसे गोद में उठा कर बेड पर लिटा दिया।
वह मेरा लण्ड चूसने लगी और मैं उसकी बुर चाटने लगा।
वह अनायास ही बोली- तेरा लण्ड सबसे बड़ा है बाबू जी। मुझे तेरे लण्ड जैसा मोटा लण्ड ही पसंद आता है। वह लाल वाली कोठी का बाबू अपनी बीवी से बहुत डरता है।
वह कुछ न कुछ बोल रही था तभी मैंने लौड़ा गच्च से घुसा उसकी चूत में!
वह चीख पड़ी- उई माँ मर गयी मैं! बड़ा मोटा तेरा भोसड़ी का लण्ड बाबू जी। मेरी तो चूत फट गई बहनचोद। मर जाऊंगी मैं … हाय दईया कितना ज़ालिम है तेरा लण्ड।
फिर बोली- हां बाबू जी, पूरा लौड़ा पेल दो और झमाझम चोदो मुझे … फाड़ डालो मेरी चूत! ये ससुरी दिन भर लण्ड लण्ड चिल्लाया करती है. आज इसे एक मोटा लण्ड मिल गया तो इसकी माँ चुदने लगी बहनचोद। हाय दईया, मुझे बड़ा मज़ा दे रहा है तेरा लण्ड! मरद हो तो तेरे जैसा और लण्ड हो तो तेरे लण्ड जैसा बाबू जी!
उसकी प्यारी प्यारी गालियां मेरा जोश बढ़ा रहीं थीं।
मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।
मैं और धकाधक चोदने लगा वह भी अपनी गांड़ उठा उठा के धक्के का जबाब धक्के से देने लगी।
वह बोली- हाय मेरे राजा. मुझे अपनी बीवी की तरह चोदो, रंडी की तरह चोदो मुझे, पूरा लौड़ा पेल के चोदो। मुझे अभी तक इस तरह से किसी ने भी नहीं चोदा बाबू जी। तेरे मर्दाने लण्ड में बड़ी ताकत है।
मैंने चोदने की स्पीड बढ़ा दी।
मैं भी पागलों की तरह उसकी चूत चोदने में जुटा हुआ था।
आखिरकार मैंने खलास कर दी उसकी बुर!
बाद में उसने भी मेरे लण्ड का सड़का मारा और खलास कर दिया।
मेरा झड़ता हुआ लण्ड पिया, उसने और सुपारा चाट चाट कर मज़ा लिया।
फिर मैं हर रोज़ उसे चोदने लगा।
वह सवेरे 6 बजे आती और आते ही मेरे ऊपर चढ़ जाती।
सवेरे का लण्ड वैसे ही साला बड़ा कड़क रहता है, टन्नाया रहता है।
बस वह मेरा लण्ड चूसने का मज़ा लेती और मैं लण्ड चूसाने का आनंद लेता।
उसके बाद मैं पेल देता लण्ड उस सेक्सी लड़की की चूत में और खूब जी भर के देसी चुदाई करता।
मैं चोदने के बाद नहाने धोने लगता और वह चुदवाने के बाद अपना काम करने लगती।
एक दिन वह बोली- बाबू जी एक बात कहूं?
मैंने कहा- हां हां कहो न?
वह बोली- मेरी एक बीवी जी है। उसका शौहर विदेश दुबई चला गया है वह बिचारी लण्ड के लिए बहुत तरस रही है। उसने मुझसे कई बार कहा कि बबली कोई लण्ड पेलवा दे मेरी चूत में! वह बहुत चुदासी है, मैं चाहती हूँ कि तुम उसे मेरे सामने चोदो।
मैंने कहा- अगर वह तेरी तरह ही सुन्दर है तो जरूर चोदूंगा।
वह बोली- अरे बाबू जी, मैं उसका आगे कुछ भी नहीं हूँ। वह बुरचोदी बहुत ही खूबसूरत है और उसकी चूचियाँ मेरी से बड़ी बड़ी हैं। बड़ी मस्त है वह और खूब खुल कर बातें करती है। नाम है उसका खालिजा … खूब मस्त मस्त गालियां भी सुनायेगी तुमको! तेरे लण्ड में आग लगा देगी वो!
मैंने कहा- ठीक है तब तो मैं जरूर चोदूंगा उसे!
अगला दिन छुट्टी का दिन था।
बबली मुझे उसके घर ले गई।
मैंने जब खालिजा को देखा तो देखता ही रह गया।
वास्तव में वह बहुत खूबसूरत थी … एकदम झकास!
बूब्स तो सच में उसके बबली के बूब्स से ज्यादा बड़े थे।
मेरा तो लण्ड खड़ा हो गया उसे देखकर!
वह भी बहुत खुश हुई।
उसने मुझे बड़े प्यार मोहब्बत से बैठाया और बोली- बबली तुमने बहुत अच्छे आदमी से मिलवाया। यह तो बड़ा हैंडसम है।
फिर उसने नाश्ता वगैरह करवाया।
वह मेरे आगे बैठ गयी और मेरी नज़र उसके बूब्स पर अटक गई।
फिर बबली ने मेरी पैंट खोलना शुरू किया।
खालिजा भाभी बड़ी उत्सुकता से देख रही थी।
उसने मेरी पैंट उतार कर एक तरफ रख दी, मेरी कमीज उतार दी बनियान भी उतार कर फेंका।
आखिर में उसने चड्डी खोली तो लण्ड एकदम से निकल कर सामने आ गया।
खालिजा भाभी ने लपक कर पकड़ लिया लण्ड और बोली- बाप रे बाप … क्या मस्ताना लण्ड है तेरा रोहित? कितना जबरदस्त लण्ड है तेरा बहनचोद।
उसने ताबड़तोड़ लण्ड की कई चुम्मियाँ ले लीं और कहा- आज तो मज़ा आ जायेगा। बबली बुर चोदी सही कह रही थी। तेरा लण्ड तो मेरी माँ का भोसड़ा भी फाड़ डालेगा रोहित!
यह सब सुनकर मेरा लण्ड साला और सख्त हो गया।
एकदम लपलपाने लगा मेरा लण्ड!
इतने में बबली ने खालिजा को भी पूरी तरह नंगी कर दिया।
उसका नंगा जिस्म देख कर मेरा लण्ड और सख़्त हो गया। मैं एकदम से जोश में आ गया.
तब खालिजा भाभी ने लण्ड चाटना शुरू कर दिया।
बबली भी नंगी हुई और वह खालिजा की चूत चाटने लगी.
इधर मैं बबली की चूचियाँ मस्ती से दबाने लगा।
मैंने ऐसे ही मजाक में पूछा- खालिजा भाभी, तेरे पति का लण्ड कैसा है?
वह बोली- अरे उस भोसड़ी वाले का नाम मत लो यार! उसका लण्ड बहुत छोटा है यार! मैं बस किसी तरह काम चला रही हूँ, मज़ा कुछ भी नहीं आता मुझे!
मैंने फिर कहा- अगर तेरे शौहर को मालूम हो गया कि तुम मुझसे चुदवाती हो तो क्या वह गुस्सा नहीं होगा?
खालिजा बोली- उसकी माँ का भोसड़ा। उसकी बहन की चूत! वो साला मेरा क्या उखाड़ लेगा? मैं न उसकी परवाह करती हूँ और न उसके झांट भर के लण्ड की।
मैं मन ही मन कहने लगा कि हर बीवी को अपने पति का लण्ड झांट भर का ही लगता है।
फिर मैंने खालिजा की चूत में पेल दिया पूरा लण्ड और एकदम बेफिक्री से बड़ी बेशर्मी से चोदने लगा उसे!
वह बोली- हाय मेरे राजा, मुझे खूब हचक हचक के चोदो।
बबली एक हाथ से मेरे पेल्हड़ सहलाने लगी और दूसरे हाथ से खालिजा की चूचियाँ।
खालिजा बुरचोदी बड़ी मस्ती से चुदवा रही थी।
मैं भी उसे चोदने में बड़ा उत्तेजित था।
मेरे मुंह से निकला- हाय मेरी रानी, आज मैं तुझे खूब अच्छी तरह चोदूंगा. तू बड़ी मस्त चीज है यार! तेरी माँ की चूत भोसड़ी वाली … तू एकदम छिनार है बहनचोद … बहुत बड़ी रंडी है तू माँ की लौड़ी। तेरी चूत का तो मैं कचूमर बना दूंगा।
मेरी गालियां उसे बड़ी अच्छी लग रही थीं।
तब तक बबली बोली- हां बाबू जी, इस बुरचोदी खालिजा चूत चीर डालो। बहुत बड़ी चुदक्कड़ है माँ की लौड़ी खालिजा। मैं भी इसकी चूत में डिलडो खूब पेलती हूँ। इसकी गांड में ठोकती हूँ। इसकी चबूतरा जैसी चूत सबको बड़ी अच्छी लगती है बाबू जी। किसी दिन मैं इसकी माँ चोदूँगी।
खालिजा बोली- हाय मेरे राजा, मैं चाहती थी कि कोई मुझे गाली दे देकर चोदे! देखो न आज मेरी कामवाली बबली भी मेरी चूत चोद रही है। ये भी भोसड़ी वाली मुझे गाली दे रही है। जब से यह आई है, तब से हर दूसरे दिन मेरी बुर में कोई न कोई नया लण्ड घुसेड़ देती है। आज तुम मेरी इच्छा पूरी कर रहे हो। तेरा लण्ड भोसड़ी का बड़ा मज़ा दे रहा है। मुझे तेरे लण्ड से प्यार हो गया है। मुझे रोज़ रोज़ चोदो … खूब चोदो … पूरा लौड़ा पेल पेल चोदो, मैं तेरी बीवी हूँ मुझे चोदो. मैं तेरी गर्लफ्रेंड हूँ मुझे चोदो। वॉवो आज मुझे मालूम हो रहा है कि कोई मर्द मुझे चोद रहा है।
ऐसे ही एक दिन बबली मुझे मिसेज रूपाली के पास ले गयी.
वह एक बंगाली बीवी थी लगभग 32 साल की एकदम मदमस्त जवान।
उसकी चूचियाँ बहुत ज्यादा ही मादक लग रहीं थीं मुझे!
वह मुझसे मिलकर खुश हुई और मैं उससे मिलकर!
बबली उसके कपड़े उतारने लगी।
मैंने जब उसे पूरी तरह नंगी देखा तो मेरा लण्ड साला अपने आप ही बाहर निकल आया।
उसकी चूचियों ने तो मेरी जान निकाल ली थी।
मैं रुक नहीं पाया.
मैंने बिना कुछ बोले उसकी चूचियों में पेल दिया अपना पूरा लण्ड और चूत की तरह चोदने लगा उसकी मस्तानी चूचियाँ।
उसने भी अपने दोनों हाथों से चूचियाँ दबा कर बीच में मेरे लिए एक सुरंग बना दी।
उसी सुरंग में लण्ड बार बार आने जाने लगा।
मैं बुर की तरह चोदने लगा उसके बूब्स!
फिर उसने जब लण्ड चूसना शुरू किया तो ज़न्नत का मज़ा आया मुझे!
मैं जानता था कि बंगाली लड़कियां लण्ड बहुत खूबसूरती से चूसती हैं।
फिर मैंने उसे भी बबली के सामने ही खूब चोदा और दो बार चोदा।
फिर एक दिन बबली एक मस्त सेक्सी लड़की को लेकर मेरे घर आ गयी।
उसने बताया कि ये मेरी पड़ोस की लड़की है और मेरी पक्की दोस्त है। इसका पति आर्मी में है और ये बिचारी यहाँ बिना चुदे दिन काट रही है। मुझे इस पर बड़ा तरस आता है। इसलिए बाबू जी तुम इसे अपने ही घर में मेरे सामने चोदो।
मैं तो चूत चोदने में अब तक एक्सपर्ट हो गया था।
मैंने फिर मस्ती से उसे बबली के सामने चोदा और बबली की चूत उसके सामने चोदी।
उसके बाद मेरा हौसला बढ़ गया और हिम्मत भी।
मैं अपने दोस्तों की बीवियां चोदने लगा।
अब आजकल हाल यह है कि मुझे बीवियां चोदने के लिए उन्हें तारीख़ देनी पड़ती है, वो सब अपनी अपनी ताऱीख पर आती हैं और मस्ती से मुझसे चुदवाती हैं।
कभी कभी मैं उनके घर जाता हूँ और उनको चोद कर आता हूँ।
मैं बड़े अच्छे दिन गुज़ार रहा हूँ आजकल!
सेक्सी लड़की की देसी चुदाई कहानी में मजा तो आया ही होगा? मुझे कमेंट्स में बताएं.
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लेखिका की पिछली कहानी थी: मैं तो गर्मागर्म लण्ड चूसूंगी